राष्ट्रीय

'आत्मनिर्भरता' को चुना गया साल 2020 का ऑक्सफ़ोर्ड हिंदी शब्द
02-Feb-2021 6:46 PM
'आत्मनिर्भरता' को चुना गया साल 2020 का ऑक्सफ़ोर्ड हिंदी शब्द

ऑक्सफ़ोर्ड लैंग्वेजेज़ ने 'आत्मनिर्भरता' शब्द को साल 2020 के लिए ऑक्सफ़ोर्ड हिंदी शब्द चुना है.

ऑक्सफ़ोर्ड लैंग्वेजेज़ के अनुसार, "साल का शब्द किसी ऐसे शब्द को चुना जाता है, जिससे बीते साल का मूड और लोगों की व्यवस्तता झलकती हो और जिसका आने वाले दौर में भी सांस्कृतिक महत्व होता है. आत्मनिर्भरता शब्द का अर्थ और सोच बीते साल अधिकतर भारतीयों की भावना का हिस्सा रहा है."

एक प्रेस रिलीज़ जारी कर ऑक्सफ़ोर्ड लैंग्वेजेज़ ने कहा है कि "बीता साल भारत के लिए काफ़ी मुश्किलों भरा रहा था. यहाँ कोरोना महामारी के कारण लंबा और सख़्त लॉकडाउन लगाया गया. लोगों की आवाजाही को लेकर लगाई गई पाबंदियों का सीधा असर यहाँ की अर्थव्यवस्था पर पड़ा, जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए. इस मुश्किल दौर में लोगों ने अपनी कोशिशें जारी रखीं और आत्मनिर्भरता का प्रमाण दिया."

हिंदी वर्ड ऑफ़ द ईयर की सलाहकार समिति की कृतिका अग्रवाल ने कहा, "हमें कई शब्द एंट्री के तौर पर मिले थे लेकिन आत्मनिर्भरता शब्द को इसलिए चुना गया, क्योंकि ये शब्द अनगिनत भारतीयों की दैनिक संघर्ष और महामारी के ख़िलाफ़ उनकी जंग को दर्शाता है."

कोरोना महामारी के शुरुआती दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब कोविड-19 पैकेज की घोषणा की थी, उस दौरान आत्मनिर्भरता पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा था कि महामारी से निकलने के लिए हमें "एक देश के तौर पर, एक समाज के तौर पर, एक अर्थव्यवस्था के तौर पर और स्वयं के तौर पर आत्मनिर्भर होना होगा."

इसके बाद से ही इस शब्द का इस्तेमाल काफ़ी बढ़ गया और आम बोलचाल में भी लोग इस शब्द का इस्तेमाल करने लगे. साल 2021 के गणतंत्र दिवस की परेड में भी इसकी झलक देखने को मिली, जब बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने 'मेड इन इंडिया' या 'आत्मनिर्भर भारत' के नाम से एक झाँकी निकाली.

हालांकि ऑक्सफ़ोर्ड लैंग्वेजेज ने ये भी कहा है कि "आत्मनिर्भरता की अवधारणा नई नहीं है बल्कि गाँव की अर्थव्यवस्था को लेकर महात्मा गांधी के विज़न से मिलता-जुलता है. गांधी का कहना था कि अपने आप में एक आत्मनिर्भर इकाई के तौर पर गाँव का विकास होना चाहिए."

1960 और 70 के दशक में भारत सरकार ने हरित क्रांति और दुग्ध क्रांति के नाम से जो क़दम उठाए थे, वो भी इसी दिशा में की गई कोशिशें थी. देश के भीतर खाद्य संकट से निपटने के लिए उस दौर में सरकार ने इस तरह के क़दम उठाए थे.

गांधी का आत्मनिर्भरता का विज़न
अपनी किताब 'स्वतंत्रयोत्तर भारत में ग्राम्य विकास और गांधी दर्शन' में केशन पांड्या लिखते हैं, "गांधी जी ने अपने विभिन्न लेखों तथा व्याख्यानों में गाँवों में सत्ता के विकेंद्रीकरण का विचार दिया था. वे प्रत्येक गाँव को अपनी भौतिक आवश्कताओं की पूर्ति के संभव में यथासंभव आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे."

गाँव में व्यवस्था कैसी होनी चाहिए और वहाँ की अर्थव्यवस्था कैसी हो, इसके बारे में गांधी की अवधारणा का ज़िक्र पीटर गॉन्ज़ालेविस ने अपनी किताब 'गांधी के क्रांति के महाप्रतीक' में किया है.

वो लिखते हैं कि गांधी का मानना था कि "प्रत्येक गाँव को उस सीमा तक आत्मनिर्भर और अपने मामलों को व्यवस्थित करने में सक्षम होना चाहिए, जिससे वो पूरी दुनिया के ख़िलाफ़ भी स्वयं की रक्षा कर सके. यह पड़ोसियों या दुनिया पर निर्भर रहने और सहायता प्राप्त करने से रोकता नहीं है."

"स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गांधी ने प्रत्येक गाँव को भोजन के लिए अपनी फसल और कपड़े के लिए स्वयं का कपास उगाने के लिए प्रोत्साहित किया." (bbc.com)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news