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PF के ब्याज पर अब सरकार की नज़र, जानिए VPF पर क्या होगा असर
02-Feb-2021 6:55 PM
PF के ब्याज पर अब सरकार की नज़र, जानिए VPF पर क्या होगा असर

-सरोज सिंह

भविष्य निधि यानी पीएफ़ के पैसे को लोग अपने बुढ़ापे का सहारा मानते हैं. घर बनाना हो या फिर बेटी की शादी करनी हो, जीवन भर की इसी कमाई पर सालों से लोग भरोसा जताते आए हैं.

सरकारी आँकड़ों के मुताबिक़ कोरोना महामारी के शुरुआती तीन महीने में तक़रीबन 80 लाख लोगों ने पीएफ़ में जमा पैसे निकाल कर महीनों तक गुज़ारा किया, जब लोगों की नौकरियाँ चली गई.

वैसे पीएफ़ में जमा राशि निकालने के नियम कड़े हैं, लेकिन महामारी की वजह से आर्थिक संकट से राहत देने के लिए सरकार ने सबसे पहले जिन क़दमों का एलान किया था, उनमें से एक बड़ा क़दम पीएफ़ से पैसा निकालने की सुविधा देना भी था.

लेकिन आपकी कमाई के इस हिस्से पर भी केंद्र सरकार की नज़र है.

बजट 2021 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एलान किया है कि जो भी कर्मचारी भविष्य निधि (PF) में किसी वित्तीय वर्ष में 2 लाख 50 हज़ार रुपए से ज़्यादा का योगदान देते हैं, उन्हें उसके ब्याज पर टैक्स देना होगा.

ये लोग पीएफ़ से मिलने वाले ब्याज पर टैक्स छूट का दावा नहीं कर पाएँगे. ये टैक्स कर्मचारी के योगदान पर ही लगेगा. ये नया प्रावधान 1 अप्रैल 2021 से लागू होगा.

ज़ाहिर है ये ऐसा प्रावधान है, जो देश के हर कर्मचारी वर्ग को प्रभावित करता है.

आसान भाषा में आपको समझाने के लिए बीबीसी ने बात की टैक्स एक्सपर्ट गौरी चड्ढा से. पढ़िए उनसे सवाल जवाब के अंश ताकि आपके सारे सवालों का जवाब मिल जाए.

पीएफ़ के ब्याज पर टैक्स की बात से सैलरी क्लास को कितनी चिंता होनी चाहिए?

अभी तक पीएफ़ में जो भी योगदान होता था, वो 1 लाख 50 हज़ार तक इनकम टैक्स के 80C के छूट के दायरे में आता था. साथ ही पीएफ़ पर मिलने वाला ब्याज़ भी टैक्स के दायरे से बाहर था.

लेकिन 1 अप्रैल 2021 से इसमें थोड़ा बदलाव आएगा. कर्मचारी का पीएफ़ में योगदान 1 लाख 50 हज़ार तक है तो इनकम टैक्स में 80C में उसपर छूट तो मिलेगी. लेकिन कर्मचारी का योगदान पीएफ़ में 2 लाख 50 हज़ार से ऊपर है, तो उसके ब्याज पर अब टैक्स चुकाना पड़ेगा.

दरअसल पीएफ़ का एक हिस्सा कंपनी देती है, जिसमें आप काम करते हैं और एक हिस्सा कर्मचारी देता है. नए प्रावधान वाला टैक्स केवल कर्मचारी के योगदान पर ही लगेगा.

अगर कर्मचारी का पीएफ़ में सालाना योगदान 3 लाख है तो...?

ऐसे में 2 लाख 50 हज़ार तक के कर्मचारी के पीएफ़ योगदान पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. बाक़ी बचे 50 हज़ार के योगदान पर ही टैक्स लगेगा.

मान लीजिए कि पीएफ़ पर ब्याज दर 8.5 फ़ीसदी है. तो बाक़ी बचे 50 हज़ार के योगदान पर कर्मचारी को 4250 रुपए मिले. अब अगर कर्मचारी 30 फीसदी वाले टैक्स स्लैब में आता है तो कर्मचारी को 1275 रुपए टैक्स के तौर पर देने पड़ेंगे. इस पर 4 फ़ीसदी का स्वास्थ्य और शिक्षा सेस जोड़ दिया जाए, तो ये टैक्स बैठेगा 1326 रुपए.

यानी अगर सालाना कर्मचारी 3 लाख रुपये पीएफ़ में जमा करता है, तो उसे टैक्स के रूप में अब 1326 रुपये देने होंगे, जो अब से पहले नहीं लगता था.

ये टैक्स उतना ही कटेगा, जिस टैक्स स्लैब में कर्मचारी की सैलरी है. यानी कर्मचारी की सैलरी अगर 30 फ़ीसदी वाले टैक्स स्लैब में है, तो पीएफ़ योगदान 2.50 लाख से ऊपर के ब्याज पर 30 फ़ीसदी ही टैक्स कटेगा.

जिन लोगों की सैलरी ज़्यादा है, इस घोषणा का असर उन पर ही ज़्यादा पड़ेगा. कम सैलरी वालों की पीएफ़ कॉन्ट्रीब्यूशन 2 लाख 50 हज़ार होती भी नहीं है.

एक मोटा हिसाब लगाएँ, तो जिन कर्मचारियों का पीएफ़ में मासिक योगदान 20 हज़ार 833 रुपए तक है, उनको इस नए प्रावधान से चिंतित होने की ज़रूरत नहीं है.

क्या वॉलंटरी प्रॉविडेंट फ़ंड (VPF) के योगदान पर भी इसका असर पड़ेगा?

बिल्कुल, इस नए प्रावधान का असर वॉलंटरी प्रॉविडेंट फ़ंड पर भी पड़ेगा. अगर पीएफ़ में कर्मचारी का योगदान मासिक 11 हज़ार रुपए है और वॉलंटरी प्रॉविडेंट फ़ंड में भी योगदान 11 हज़ार रुपए है. तो कुल मिला का कर्मचारी का पीएफ़ और वीपीएफ़ मिला योगदान 22 हज़ार रुपए मासिक हो गया. इसका मतलब सालाना 2 लाख 50 हज़ार से ज़्यादा का योगदान हुआ. 2 लाख 50 हज़ार के ऊपर के अतिरिक्त योगदान के ब्याज पर कर्मचारी को टैक्स चुकाना पड़ेगा.

दरअसल ये नया प्रावधान इसी वॉलंटरी प्रॉविडेंट फ़ंड के तहत पैसा बचाने वालों के लिए के लिए किया गया है. बहुत कर्मचारी इस वीपीएफ़ की वजह से इस 2 लाख 50 हज़ार के दायरे में आ सकते हैं. केवल सैलरी पर कटने वाले पीएफ़ की वजह से कम लोग ही इस प्रावधान के दायरे में आएँगे.

तो क्या वॉलंटरी प्रॉविडेंट फ़ंड में पैसा जमा करना फ़ायदे का सौदा नहीं रहा?

इसका सीधा जवाब नहीं हो सकता. ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस उम्र के इंसान है और आप वीपीएफ़ में कितना योगदान करते हैं. ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि बचत के बाक़ी पैसे आपने कहाँ-कहाँ लगा रखे हैं और आपका फ़ाइनेंशियल पोर्ट फ़ोलियो कैसा है.

आम तौर पर जानकार बचत के लिए एक फ़ॉर्मूला बताते हैं. आप अपनी उम्र को 100 से घटा दें, जो भी अंक आए उतना पैसा आप बचत खाते में डालना चाहिए. इसमें से 60 फ़ीसदी इक्विटी फ़ंड में लगाएँ और 40 फ़ीसदी डेट फ़ंड में. इक्विटी फ़ंड का मतलब शेयर मार्केट और म्यूचुअल फ़ंड से है और डेट फ़ंड का मतलब पीएफ़, वीपीएफ़, एनपीएस, टैक्स फ़्री बॉन्ड, एफ़डी से है.

सरकार ने ऐसा क़दम क्यों उठाया ?

सरकार की दलील है कि इस क़दम से बचत के अलग-अलग तरीक़ों में एकरूपता लाने की कोशिश की गई है. जिन कर्मचारियों को ज़्यादा सैलरी मिलती है और एक बड़ा हिस्सा पीएफ़ में इंवेस्ट करके ब्याज के पैसे को टैक्स फ़्री करवा लेते थे, सरकार उन पर शिंकजा कसना चाहती है. (bbc.com)

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