अंतरराष्ट्रीय
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान 23 फ़रवरी को श्रीलंका के दौरे पर जा रहे हैं. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पीएम ख़ान का दौरा श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के आमंत्रण पर होने जा रहा है.
इस दौरे में इमरान ख़ान श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाभाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे. इसके अलावा भी कई उच्चस्तरीय बैठक होनी है. पाकिस्तानी पीएम बिज़नेस और निवेश फोरम की बैठक में भी शामिल होंगे.
साथ ही क्रिकेट को लेकर भी कुछ समझौते हो सकते हैं. दोनों मुल्कों के बीच कई एमओयू पर भी हस्ताक्षर होंगे. प्रधानमंत्री के तौर पर इमरान ख़ान पहली बार श्रीलंका जा रहे हैं. इस साल का यह उनका पहला विदेशी दौरा है.
इमरान ख़ान के साथ एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी होगा. इस दौरे में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी, इमरान ख़ान के सलाहकार अब्दुल रज़ाक दाऊद और विदेश सचिव सुहैल महमूद के अलावा कई सीनियर अधिकारी रहेंगे.
श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने शनिवार को ट्वीट कर कहा है कि इमरान ख़ान का श्रीलंका में स्वागत है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है, ''श्रीलंका अगले हफ़्ते इमरान ख़ान के स्वागत के लिए तैयार है. इस दौरे से दोनों देशों के संबंध और मज़बूत होंगे.''
पाकिस्तान को श्रीलंका इतनी तवज्जो क्यों देता है?
1950 के दशक में पाकिस्तान और श्रीलंका दोनों अमेरिका के नेतृत्व वाले कम्युनिस्ट विरोधी खेमे में थे. जब श्रीलंका ने प्रधानमंत्री श्रीमाओ भंडारनायके के काल में सोवियत संघ और चीन के पक्ष में राजनीतिक रंग बदला तब भी दोनों देश क़रीब रहे.
यहाँ तक कि श्रीमाओ भंडारनायके ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी एयरक्राफ़्ट को कोलंबो में 174 बार ईंधन भरने की अनुमति दी थी जबकि भारत ने पाकिस्तानी विमानों को अपने हवाई क्षेत्र में उड़ान भरने पर पाबंदी लगा रखी थी. श्रीलंका ने भारत की आपत्ति को भी अनसुना कर दिया था.
इसके बाद 1990 के दशक में जब पश्चिम के देश और भारत ने तमिल विद्रोहियों से लड़ाई में हथियार की आपूर्ति रोकी तो पाकिस्तान सामने आया और उसने हथियार भेजे. तमिलों के ख़िलाफ़ युद्ध में पाकिस्तान की सरकार ने श्रीलंका की खुलकर मदद की थी.
श्रीलंकाई अख़बार डेली स्टार के अनुसार पाकिस्तानी पायलटों ने श्रीलंका की वायुसेना को ट्रेनिंग भी दी थी. तमिलों के ख़िलाफ़ युद्ध अपराध को लेकर भी पाकिस्तान ने हमेशा श्रीलंका की मदद की. 2000 से 2009 के बीच पाकिस्तान और श्रीलंका काफ़ी क़रीब रहे.
तब श्रीलंका में तमिल विद्रोहियों और श्रीलंका की सेना के बीच युद्ध चल रहा था. 2000 में जाफना में जब श्रीलंका के सैनिक फँसे थे तो पाकिस्तान ने उन्हें एयरलिफ़्ट किया था. 2006 में एलटीटीई ने कोलंबो में पाकिस्तानी उच्चायुक्त बशीर वली मोहम्मद पर हमला भी किया था. कहा जाता है कि वली ही श्रीलंका में एलटीटीई के ख़िलाफ़ पाकिस्तान को आगे करने में लगे थे. (bbc.com)