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बिजली की कमी से जूझते पाकिस्तान को हर हाल में चाहिए सौर ऊर्जा
07-May-2021 9:29 PM
बिजली की कमी से जूझते पाकिस्तान को हर हाल में चाहिए सौर ऊर्जा

पाकिस्तान का धूप भरा मौसम सौर ऊर्जा के लिए बिल्कुल उपयुक्त है लेकिन वो अभी भी गंदले जीवाश्म ईंधनों पर निर्भर है, और ज्यादा कोयला ऊर्जा संयत्र बना रहा है.

 डॉयचे वैले पर एस खान की रिपोर्ट- 

पाकिस्तान के पास सौर ऊर्जा से बिजली पैदा करने की बहुत ज्यादा क्षमता है. पश्चिमोत्तर के कुछ इलाकों को छोड़कर इस दक्षिण एशियाई देश के करीब करीब सभी हिस्सों का मौसम शुष्क और गरम रहता है. फिर भी पाकिस्तान सौर ऊर्जा से महज 1.16 प्रतिशत ही बिजली पैदा कर पाता है जबकि जीवाश्म ईंधनों से 64 प्रतिशत बिजली बनती है. दूसरे बिजली संसाधनों में 27 प्रतिशत पनबिजली और पांच प्रतिशत एटमी ऊर्जा है. अक्षय ऊर्जा स्रोतों से सिर्फ चार फीसदी बिजली पैदा होती है.

जलवायु परिवर्तन से बुरी तरह प्रभावित भूगोल में अवस्थित होने के बावजूद पाकिस्तान ऊर्जा उत्पादन के पर्यावरण प्रतिकूल तरीकों में निवेश को जारी रखे हुए है. हाल में सरकार ने चीन से सहायता प्राप्त सात कोयला ऊर्जा परियोजनाओं को मंजूरी दी थी जिनसे आने वाले वर्षों में नेशनल ग्रिड में 6,600 मेगावाट बिजली जमा होगी.

अक्षय ऊर्जा के लिए राजनीतिक समर्थन की दरकार

पिछले साल प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार ने वादा किया था कि देश 2030 तक अपनी 60 प्रतिशत ऊर्जा जरूरतें अक्षय स्रोतों से पूरी करेगा. इसके लिए पाकिस्तान को, 2030 तक करीब 24 हजार मेगावाट की सौर और पवन ऊर्जा क्षमता हासिल करनी होगी. अभी ये सिर्फ 1500 मेगावाट है.

पर्यावरणविदों का कहना है कि पाकिस्तान के पास सौर संयंत्र स्थापित करने की अच्छी-खासी क्षमता है लेकिन विकास के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है. पर्यावरणवादी हसन अब्बास ने डीडब्लू को बताया कि पाकिस्तान के पास 2,900 मेगावाट से ज्यादा सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता है. अमेरिकी ऊर्जा विभाग के मुताबिक एक गीगावाट सौर ऊर्जा से 11 करोड़ एलईडी लाइटें जल सकती हैं. 

अब्बास कहते हैं कि सौर ऊर्जा के खिलाफ प्रभावशाली नौकरशाही, नीति निर्माता और पनबिजली से जुड़ी लॉबी सक्रिय हैं. वह कहते हैं, "चीन ने पंजाब में एक पुराना पड़ चुका सौर सिस्टम लगाया और उसकी खराब हालत से आलोचकों के उन दावों को बल मिला कि पाकिस्तान में सौर ऊर्जा कारगर नहीं है.

अब्बास का कहना है कि सौर ऊर्जा का विकास पनबिजली से सस्ता है. उनका दावा है कि सौर ऊर्जा में दस अरब डॉलर का निवेश 50 से 60 गीगावाट बिजली पैदा कर सकता है. ये तारबेला और मांग्ला के दो बड़े बांधों से पैदा होने वाली बिजली की दस गुना मात्रा होगी.

सौर ऊर्जा के रास्ते में रुकावट क्या है?

पाकिस्तान में ऊर्जा विशेषज्ञ गजाला रेजा ने डॉयेचेवेले को बताया कि बहुत से कारण सौर ऊर्जा को पनपने से रोके हुए हैं. इनमें से कुछ हैं- सौर फार्मों के लिए जगह की तलाश से जुड़ी मुश्किलें, निर्माण मंजूरियों में होने वाली प्रक्रियात्मक देरी और नेशनल ग्रिड में बिजली बेचने की खराब दरें.

रेजा कहती हैं, "राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और सरकारी निवेश में उदासीनता के चलते इस टिकाऊ जरिए से बिजली पैदा करने की उम्मीदें धरी की धरी रह जाती हैं." अर्थशास्त्री शाहिदा विजारत कहती हैं कि ऊर्जा संसाधनों में विविधता लंबे समय में आर्थिक रूप से फायदेमंद होने के बावजूद, शुरुआती निवेश की ऊंची लागत देश में सौर ऊर्जा की वृद्धि में रोड़े अटका रही है.

लेकिन कुछ पाकिस्तानी अर्थशास्त्री इस बात से सहमत नहीं हैं. आजरा तलत सईद, सौर ऊर्जा में तमाम पहलुओं को मद्देनजर रखे बिना अत्यधिक निवेश के प्रति आगाह करती हैं. वह बताती हैं कि भले ही सौर ऊर्जा, जीवाश्म ईंधनों के मुकाबले पर्यावरण के लिए बेहतर है लेकिन सौर प्रौद्योगिकी में एक जोखिम, अमेरिका और चीन पर निर्भरता बढ़ने के तौर पर भी जुड़ा है.

सईद कहती हैं, "बहुत बड़े पैमाने पर लगाए जाने की स्थिति में सौर पैनल को ज्यादा स्पेस भी चाहिए. जिसका असर कृषि पर पड़ सकता है. खाद्य असुरक्षा बढ़ सकती है. भारी-भरकम शुरुआती निवेश के अलावा सौर पैनलों के टिकाऊपन का भी मुद्दा है. अमीर जमींदार तो ये कर लेंगे लेकिन गरीब किसानों के बस का नहीं है ये."

बिजली की किल्लत से जूझता पाकिस्तान

ऊर्जा जानकार रेजा का कहना है कि सौर ऊर्जा के बदले, दशकों चलने वाले मौजूदा ऊर्जा संयंत्रों को बंद कर देने का ख्याल तो बुरा होगा. वह कहती हैं, "पाकिस्तान ने हाइड्रो और थर्मल संयंत्रों में अरबों डॉलर निवेश किया था. उनमें से कई सालों चल सकते हैं. उन्हें हटा देने का मतलब होगा एक वित्तीय तबाही."

पर्यावरणविद् अब्बास कहते हैं कि सरकार भले ही मौजूदा प्लांटों को न हटाए लेकिन पर्यावरण के प्रतिकूल ऊर्जा परियोजनाओं में नये निवेश करने से उसे बचना चाहिए. ट्रांसमिशन के कमजोर ढांचे की वजह से पाकिस्तान बिजली की कमी से जूझता आ रहा है. स्थानीय स्तर पर तैयार होने वाले सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट, समस्या का हल निकाल सकते हैं. (dw.com)

 

    

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