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नयी दिल्ली, 13 अक्टूबर। रेलवे ने सेमी हाई स्पीड वंदे भारत एक्सप्रेस की तर्ज पर दिल्ली-एनसीआर तथा मुंबई क्षेत्र के बीच सुपरफास्ट माल गाड़ी चलाने का निर्णय किया है । रेलवे बोर्ड के एक पत्र में इसकी जानकारी दी गयी है ।
रेलवे बोर्ड की ओर से क्षेत्रीय रेलवे महाप्रबंधकों को 11 अक्टूबर को लिखे पत्र के अनुसार, इसका नाम ‘फ्रेट ईएमयू’ होगा। ये ट्रेनें एक सुपरफास्ट पार्सल सेवा के रूप में काम करेंगी, जिसका उद्देश्य उच्च मूल्य और समय के प्रति संवेदनशील माल खेपों को उनके गंतव्य तक पहुंचाना है जिनकी ढुलाई वर्तमान में यातायात के अन्य साधनों से की जा रही है।
वंदे भारत मालगाड़ियों को 160 किमी प्रति घंटा की गति से कंटेनर परिवहन के लिए डिज़ाइन किया गया है।
स्वचालित स्लाइडिंग दरवाजों के साथ 1,800 मिमी चौड़े रैक में तापमान के प्रति संवेदनशील कार्गो के लिए रिफर कंटेनरों को चढ़ाने का प्रावधान होंगे ।
सूत्रों ने बताया कि वंदे भारत ट्रेन के लिये कोच का निर्माण करने वाली चेन्नई स्थित समन्वित यान फैक्टरी द्वारा दिसंबर तक ‘फ्रेट ईएमयू’ रैक बनाने की संभावना है
पत्र में कहा गया है कि कुछ संभावित ग्राहकों के साथ बातचीत के आधार पर, पहली सेवा दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र और मुंबई क्षेत्र के बीच शुरू की जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को हिमाचल प्रदेश के ऊना के अम्ब अंदौरा से भारत की चौथी वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। यह ट्रेन हिमाचल प्रदेश के अम्ब अंदौरा और नयी दिल्ली के बीच चलेगी। (भाषा)
10 दमकल गाडिय़ां बुझाने में जुटी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर, 13 अक्टूबर। आज दोपहर भिलाई इस्पात संयंत्र के अंदर ब्लास्ट फर्नेस-8 में भीषण आग लग गई है। यह आग फर्नेस-8 के स्टोव नंबर-3 में वॉल्व उडऩे की वजह से लगी है।
बताया जा रहा है कि इससे लगी आग को बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड की 10 गाडिय़ां मौके पर पहुंच गई हैं। सभी कर्मियों को बाहर निकाल दिया गया है। फिलहाल नुकसान का आंकलन नहीं किया गया है लेकिन माना जा रहा है कि आग की वजह से प्रोडक्शन पर गहरा असर पड़ा है क्योंकि कई यूनिट्स को बंद कर दिया गया है।
नयी दिल्ली, 13 अक्टूबर (भाषा)। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने ‘फास्टैग वॉलेट’ का इस्तेमाल कर कथित मोबाइल धोखाधड़ी में शामिल गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी ।
पुलिस ने बताया कि आरोपी 5जी सेवा अथवा क्रेडिट कार्ड शुरू करने जैसी सेवाएं प्रदान करने के बहाने लोगों को फोन करते थे और उनके ‘फास्टैग वॉलेट’ में पैसे अंतरित करने के लिए आवश्यक विवरण ले लेते थे ।
उन्होंने बताया कि आरोपियों की पहचान मोहम्मद जाहिद, पवन सिंह और रवि मित्तल के रूप में हुई है।
विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) रविंद्र सिंह यादव ने बताया कि जांच के दौरान इस बात का खुलासा हुआ कि जाहिद इस गिरोह के सरगना पवन सिंह की ओर से मुहैया कराये गये फर्जी खातों का प्रबंधन करता था।
रायपुर, 13 अक्टूबर। प्रवर्तन निदेशालय-ईडी ने चिप्स के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई को गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश किया। यहां उनकाे 14 दिनाें की रिमांड दे दी गई है। ईडी ने काेर्ट में बताया समीर विश्नोई के घर में 4 किलो सोना और 20 कैरेट हीरा और 47 लाख रुपए नगद मिले हैं।
ईडी पास जब्त सोना की कीमत 2 करोड़ 20 लाख रुपए बताई जा रही है। इधर बचाव पक्ष ने ईडी की कार्रवाई को गलत बताया है। गिरफ्तारी को भी अवैध बताया है। उनका कहना है कि आय से अधिक संपत्ति का मामला तो आईटी का है। इसमें ईडी का क्या काम। समीर विश्नोई को कोर्ट में पेश करने से पहले मेकाहारा में उनका मेडिकल चेकअप भी कराया गया। उनके अलावा कारोबारी सुनील अग्रवाल, लक्ष्मीकांत तिवारी की गिरफ्तारी हुई है। इनके लिए भी ईडी 14 दिनाें की रिमांड मांग रही है, इस पर अभी फैसला नहीं हुआ है।
सुकमा, कोण्डागांव और महासमुंद के अधिकारियों को शो काज नोटिस
रायपुर, 13 अक्टूबर। समाज कल्याण मंत्री ने गुरुवार को मंत्रालय महानदी भवन में विभागीय समीक्षा बैठक ली।
उन्होंने ने बैठक में कोरबा जिले में योजनाओं की संतोषजनक प्रगति नहीं पाए जाने और बैठक में अनुपस्थिति को गंभीरता से लेते हुए विभागीय उप संचालक बेलार मिंज बेक को निलंबित करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही उन्होंने सुकमा के जिला अधिकारी की अनुपस्थिति, सुकमा जिला अधिकारी द्वारा अधूरी जानकारी भेजने पर भी गहरी अप्रसन्नता व्यक्त की और सुकमा की जिलाधिकारी और महासमुंद के बहु विकलांग गृह के अधीक्षक को संस्था में बच्चों के कम प्रवेश पर कारण बताओं नोटिस देने के निर्देश दिए। इस अवसर पर समाज कल्याण विभाग के सचिव श्री भुवनेश यादव और संचालक श्री रमेश कुमार शर्मा भी उपस्थित थे।
श्रीमती भेंड़िया ने कहा कि राज्य सरकार ने निराश्रितों, दिव्यांगों, उभयलिंगी समुदाय के लिए योजनाएं संचालित कर रही है। इसका लाभ सभी जरूरतमंद व्यक्तियों को समय पर मिलना सुनिश्चित करें। राज्य सरकार जरूरतमंद व्यक्तियों के लिए पैसा खर्च कर रही है, जिसका लाभ लोगों तक पहुंचना चाहिए। अधिकारी बेहतर काम कर के दिखाएं। दो महीने बाद काम-काज की फिर समीक्षा होगी। योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही बरतने और अपेक्षित प्रगति नहीं होने पर सख्त कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने शासकीय संस्थाओं में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को पढ़ाने के लिए तृतीय लिंग समुदाय के प्रशिक्षित व्यक्तियों को लेने पर भी सहमती जतायी।
श्रीमती भेंड़िया ने कहा कि दिव्यागों और उभयलिंगी समुदाय को पहचान पत्र प्रदान करने के लिए हर 15 दिन में शिविर लगाएं जाएं। लोगों तक शिविर की जानकारी के लिए पर्याप्त प्रचार-प्रसार करें, जिससे लोगों को शिविर की जानकारी मिल सकें। उन्होंने कहा कि दिव्यागों की पहचान और उनकों योजनाओं के लाभ के लिए यूडीआईडी कार्ड बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस पर विशेष ध्यान देकर समय-सीमा में सभी दिव्यांगजन का पहचान पत्र बनाना सुनिश्चित करें। श्रीमती भेंड़िया ने सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत संचालित पेंशन योजना, डोर-टू-डोर सर्वेक्षण, दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंग और सहायक उपकरण वितरण, शासकीय संस्थाओं के विशेष विद्यालयों में प्रवेश, यूडीआईडी कार्ड वितरण, संस्थाओं को अनुदान, भारतमाता वाहिनी गठन की स्थिति सहित राज्य में संचालित वृद्धाश्रम, प्रशामक देख-रेख गृह और नशामुक्ति केन्द्रों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि डोर-टू-डोर सर्वेक्षण की प्रगति का मूल्यांकन करें और काम नहीं कर रही ऐजेंसियों पर कार्यवाही करें।
विभाग के सचिव भुवनेश यादव ने कहा कि समाज के जरूरतमंद लोगों तक विभागीय योजनाओं के माध्यम से मदद के लिए सक्रियता से काम करें। इसके लिए सामाजिक संस्थाओं से सम्पर्क बढ़ाएं और लोगों तक पहुंचे। संस्थाओं को समय पर अनुदान देने की कार्यवाही पूरी करें ताकि जरूरतमंद लोगों तक मदद पहुंच सकें। उन्होंने कहा कि जिन दिव्यांजनों के यूडीआईडी कार्ड बन गए हैं, उन्हें आगामी सात दिनों के भीतर शिविर लगाकर वितरण सुनिश्चित करें। साथ ही चिन्हांकित दिव्यांगजनों के कार्ड जल्द बनवाएं। इस अवसर पर समाज कल्याण विभाग के सभी जिलों के अधिकारियों सहित संचालनालय के प्रभारी अधिकारी भी मौजूद थे।
रायपुर, 13 अक्टूबर। ईडी की जारी कार्रवाइयों के बीच गुरूवार को एक और उल्लेखनीय घटनाक्रम हुआ। चिप्स के सीईओ और मनी लांड्रिंग के मामले में गिरफ्तार आईएएस समीर विश्नोई का पीए ने भी रायपुर छोड़ दिया है।
वह विश्नोई के मंत्रालय वाले दफ्तर में पदस्थ है। मंत्रालयीन कर्मचारी संघ के सूत्रों ने उसके वाट्स एप स्टेटस के हवाले से बताया है कि वह आज ही नियमित विमान से बंगलुरू चला गया है। स्टेटस मे उसके साथ दो लोग और हैं और बैकग्राउंड में विमान नजर आ रहा है। संघ के नेताओं ने इस दौरे के पीछे कई तरह की आशंकाएं जताई हैं। यह सर्वविदित है कि अफसरों के पीए , कई तरह से राजदार होतें है। साथ ही कागजातों के दस्तावेजीकरण में भी उनकी अहम भूमिका होती है। बताया गया है कि यह पीए,कुछ महीनों के लिए विभाग बदला था और फिर से वापस विश्नोई के निजी स्थापना में लौट गया। यह स्पष्ट नहीं है कि पीए स्वयं गया या विश्नोई ने वापस मांगा। कुछ इसी तरह की आशंकाएं उसके बंगलुरू जाने पर भी जताई जा रही है। बंगलुरू का, छत्तीसगढ़ में चल रहे मनी लांड्रिंग मामलों से कनेक्शन रहा है। दो माह पूर्व ही एक कांग्रेस नेता को आयकर टीम ने बंगलुरू से ही गिरफ्तार कर पहले रायपुर और फिर भोपाल ले जाया गया था।
बंधुआ मुक्ति प्रमाण पत्र, बकाया मजदूरी और पुनर्वास के प्रावधान का लाभ देने की मांग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नई दिल्ली, 13 अक्टूबर। जम्मू-कश्मीर के ईंट भट्ठों से छुड़ाए गए मजदूर बंधुआ मुक्ति प्रमाण पत्र, बकाया मजदूरी और उचित पुनर्वास की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर में धरने पर बैठ गए हैं। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ और जम्मू-कश्मीर की सरकार उहें न्याय दिलाने के बजाय दमन का ठीक वही तरीका अपना रहे हैं, जो ईंट भट्ठे के मालिकों ने अपनाया है। मानवाधिकार आयोग ने उनकी शिकायत पर एक माह बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की। अब वे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं।
बीते सितंबर माह में जांजगीर-चांपा, सक्ती, बलौदाबाजार व सारंगढ़ जिले के 90 मजदूरों को बंधक बनाने का मामला सामने आया था। छत्तीसगढ़ सरकार ने उन्हें ईंट भट्ठों से लाकर उनके गांव में छोड़ दिया, पर उनका सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष चल रहा है। मुख्यमंत्री से लेकर मानवाधिकार आयोग से उन्होंने गुहार लगाई। एक माह बाद पुरुष मजदूर दिल्ली के जंतर-मंतर पहुंचे और आज से धरना शुरू किया। महिला मजदूर अपने गांवों में भूख-हड़ताल पर हैं।
जंतर मंतर की सभा में बंधुआ मजदूर अंबे लाल ने कहा कि जांजगीर-चांपा कलेक्टर से जब उसने अपनी गरीबी, मजदूरी, बंधक बनाने का जिक्र किया तो उन्होंने कह दिया कि तुम्हारे कर्म ऐसे ही लिखे हैं, मैं क्या करूं। बंधुआ मजदूर टेकराम ने कहा कि महिला बंधुआ मजदूरों के साथ ईंट भट्टे में हुए लैंगिक हमले को लेकर जम्मू एवं छत्तीसगढ़ सरकार पहल नहीं कर रही है जो शर्मनाक है। सुरेश ने कहा कि बड़गाम, जम्मू-कश्मीर के उपायुक्त ने बंधुआ मजदूरी प्रथा उन्मूलन कानून 1976 की प्रक्रिया नहीं अपनाई। छत्तीसगढ़ से गई टीम हमें डरा-धमका रही थी और बड़गाम प्रशासन की जी हुजूरी में लगी थी। छत्तीसगढ़ के अधिकारियों ने हमें पुनर्वास का आश्वासन दिया था पर छत्तीसगढ़ आने पर वे हमें रेलवे स्टेशन पर छोड़कर भाग गए।
नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ़ बॉन्डेड लेबर के संयोजक निर्मल गोराना अग्नि ने कहा कि बड़गाम के उपायुक्त रिलीज ऑर्डर देने से डर रहे हैं ताकि मजदूर कही किसी कोर्ट में ऑर्डर को चुनौती न दे दे। किंतु मजदूर अगला कदम सुप्रीम कोर्ट की तरफ बढ़ाएंगे। छत्तीसगढ सरकार मुक्त बंधुआ मजदूरों को कानूनी सहायता प्रदान करे ताकि जम्मू कश्मीर के बड़गाम प्रशासन से रिलीज आर्डर लिया जा सके। साथ ही 4 माह के वेतन का भुगतान सभी मजदूरों को दिया जाए। अगर बकाया वेतन मालिक नही दे पाता है तो सरकार उसका भुगतान करे। गोराना ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पर इस मामले में तत्परता न दिखाने को लेकर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने आयोग से यह जवाब मांगा है कि वो कौन-कौन से साक्ष्य हैं जिसके आधार पर प्रशासन से लेकर छत्तीसगढ़ सरकार प्रवासी बंधुआ मजदूरों के मामले में मौन हैं। बंधुआ मजदूरों के पुनर्वास को लेकर छत्तीसगढ सरकार पोर्टल पर कोई आंकड़ा पेश नहीं कर रही है। गोराना ने बताया कि आज एक मेमोरेंडम भी प्रधानमंत्री कार्यालय एवं श्रम मंत्री को दिया गया। संगठन इस लड़ाई को जब तक न्याय नही मिलेगा तब तक जारी रखेगा।
रायपुर, 13 अक्टूबर। माना एयरपोर्ट अब सौर ऊर्जा से संचालित होगा। इसके लिए एयरपोर्ट के भीतर स्टेट हैंगर के पास 1.5 मेवा क्षमता के स्थापित पावर प्लांट आज से शुरू कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ने दो दिन पहले ही यह खबर प्रकाशित कर दी थी। इस प्लांट के मोनो पर्क सोलर माड्यूल से हर रोज 10 हजार यूनिट बिजली का उत्पादन होगा जो एयरपोर्ट की जरूरत में से 60-70% है। इससे न केवल टर्मिनल बिल्डिंग बल्कि एटीसी टावर का भी संचालन हो सकेगा।
इस वजह से एयरपोर्ट अथारिटी का हर माह 30,लाख रुपए महीना और 3.5 करोड़ रुपए सालाना बिल की बचत होगी। यानी छत्तीसगढ़ विद्युत वितरण कंपनी से एक बड़ा ग्राहक निकल रहा है।
रायपुर, 13 अक्टूबर। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किए गए चिप्स के सीईओ समीर विश्नोई ने विशेष न्यायालय में दिए बयान में एजेंसी पर मामला गढ़कर फंसाने का आरोप लगाया है।वहीं दूसरी ओर समीर विश्नोई की पत्नी प्रीति विश्नोई ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर ईडी के अधिकारियों पर फंसा देने की धमकी देकर दस्तावेजों में हस्ताक्षर करवाने की बात कही है। दूसरी ओर कोर्ट में ईडी ने
समीर विश्नोई के यहां से चार किलो,बीस कैरेट हीरा और 47 लाख कैश मिला है। इनके यहां मिले दस्तावेजों से और भी निवेश की जानकारी मिली है जिनकी आगे और पड़ताल करनी है इसलिए सप्ताह भर का रिमांड दिया जाए।
रायपुर, 13 अक्टूबर। मानसून की विदाई रेखा उत्तरकाशी, नजीबाबाद, आगरा, ग्वालियर, रतलाम, भरूच है। कुछ और क्षेत्र से मानसून के बिदाई के लिए अनुकूल परिस्थितियां हो रही हैं । अगले 3-4 दिनों में इसकी घोषणा हो सकती है। प्रदेश में बंगाल की खाड़ी से प्रचुर मात्रा में निम्न स्तर पर नमी आ रही है जिसके कारण प्रदेश में कल 14 अक्टूबर को कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने अथवा गरज चमक के साथ छींटे पड़ने की संभावना है।प्रदेश में एक-दो स्थानों पर गरज चमक के साथ वज्रपात भी होने की संभावना है।
रायपुर, 13 अक्टूबर। देवेंद्र नगर सेक्टर 5 में एक अज्ञात व्यक्ति का शव मिला है। यह लाश नाली में डूबी मिली ।रिहायशी इलाके में शव मिलने से हड़कंप मच गया है।शव के साथ पुलिस को मिला एक मोबाइल भी मिला है।मृतक की उम्र 25 से 30 साल बताया जा रहा है।शव की हालत को देखते हुए हत्या की आशंका जताई जा रही है। देवेंद्र नगर पुलिस शव की शिनाख्त में जुटी है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 13 अक्टूबर । ईडी की टीम ने रिमांड के लिए कोर्ट में पेश करने से पहले पहले तीनों को डॉ.अंबेडकर अस्पताल में मेडिकल चेकअप कराया। चिकित्सकीय सूत्रों ने बताया कि तीनों में से आईएएस समीर बिश्नोई की धडक़न बढ़ी हुई थी। वैसे अन्य दोनों लक्ष्मीकांत तिवारी, सुनील अग्रवाल का भी पल्स रेट ज्यादा था, लेकिन बिश्नोई का बीपी-शूगर भी हाई था।
ईडी की टीम ने कोर्ट परिसर की पांचवीं मंजिल में श्री अजय सिंह की कोर्ट तक विश्नोई को लिफ्ट से और दोनों को पैदल लेकर गई। दूसरी ओर समीर विश्नोई की पत्नी प्रीता सिंह ने सीएम बघेल से हैलीपेड में मुलाकात की और तीन पन्ने का पत्र सौंपा। इसमें उन्होंने परिवार को सुरक्षा और समीर को माइग्रेन, बीपी और लीवर सिरोसिस से पीडि़त बताया और इनकी दवा उपलब्ध कराने का आग्रह किया। बता दें कि ईडी की टीम ने बीती रात विश्नोई दंपति से आधी रात बाद तक पूछताछ की थी।
नई दिल्ली, 13 अक्टूबर । सुप्रीम कोर्ट में हिजाब विवाद पर सुनवाई कर रही दो जजों की बेंच ने अब इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेजने की सिफ़ारिश की है.
जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धुलिया ने गुरुवार को इस मामले पर बंटा हुआ फ़ैसला दिया.
सुप्रीम कोर्ट के दो जजों के बेंच की अलग-अलग राय पर ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन' यानी 'एआईएमआईएम' के प्रमुख और सांसद असदउद्दीनओवैसी ने कहा, "कर्नाटक की मुस्लिम लड़कियां इसलिए हिजाब पहन रही हैं क्योंकि क़ुरान में अल्लाह ने कहा है. बीजेपी ने गैर-ज़रूरी तौर पर हिजाब को मसला बनाया, बैन किया और बेवजह अशांति फैलाई."
असदुद्दीन ओवैसी ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर भी सवाल उठाए और कहा कि वो निर्णय कानूनन तर्कसंगत नहीं था.
उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने कु़रान की आयतों के ग़लत अनुवाद का इस्तेमाल किया. इसलिए मैं इसे ग़लत मानता हूं. (bbc.com/hindi)
मुजफ्फरनगर दंगों में पहली बार किसी को सजा हुई है. सजा पाने वाले बीजेपी विधायक के बारे में लोगों का मानना है कि दंगों में उनकी भूमिका, सरकार की कार्रवाई और फिर सहानूभूति ने उन्हें विधायक बनाया.
डॉयचे वैले पर समीरात्मज मिश्र की रिपोर्ट-
इन दंगों से जुड़े बहुत से मामले सरकार ने वापस भी लिए लेकिन विक्रम सिंह सैनी के खिलाफ मामला वापस नहीं हुआ. यूपी के मुजफ्फरनगर जिले की खतौली विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक की विधायकी पर तलवार लटक गई है. करीब दस साल पहले जिस घटना ने उनके ग्राम प्रधान से विधायक बनने का रास्ता साफ किया था, वही घटना अब उनकी विधायकी छिनने की वजह बन रही है.
मुजफ्फरनगर में साल 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगों के मामले में खतौली से बीजेपी विधायक विक्रम सैनी समेत 12 लोगों को निचली अदालत ने सजा सुनाई गई है. मुजफ्फरनगर दंगों की प्रमुख वजह माने जाने वाले ‘कवाल कांड' में विशेष एमपी/ एमएलए कोर्ट ने इसी हफ्ते सजा सुनाई है. विधायक विक्रम सैनी को इन्हीं दंगों से जुड़े एक मामले में कोर्ट ने बरी कर दिया है लेकिन सजा पाने के बाद अब उनकी विधायकी जानी तय है.
कवाल कांड में बीजेपी विधायक विक्रम सैनी और 11 अन्य लोगों को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने दो-दो साल की कैद और 10-10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. सजा सुनाए जाने के कुछ देर बाद ही सभी को निजी मुचलके पर जमानत भी दे दी गई और सभी लोग तत्काल रिहा कर दिए गए. इस मामले में अदालत ने अन्य 15 अभियुक्तों को बरी कर दिया. बीजेपी विधायक विक्रम सैनी समेत 27 लोगों के खिलाफ मुजफ्फरनगर दंगों की मुख्य वजह माने जाने वाले कवाल कांड मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था.
विक्रम सैनी के वकील भरत सिंह अहलावत ने फैसले के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि वो इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे. इस बहुचर्चित मामले में सजा पाने वाले विक्रम सैनी पहले व्यक्ति हैं.
मुजफ्फरनगर दंगे का मामला
मामला 2013 का है जब मुजफ्फरनगर जिले के कवाल कस्बे में शाहनवाज, सचिन और गौरव नाम के तीन युवकों की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में छेड़खानी को लेकर पहले शाहनवाज की हत्या हुई और फिर शाहनवाज की हत्या के मुख्य अभियुक्त बताए जाने वाले सचिन और गौरव की हत्या कर दी गई. इसी हत्या के बाद मुजफ्फरनगर और आस-पास के इलाकों में सांप्रदायिक दंगे हुए थे जिनमें पचास से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा था.
28 अगस्त 2013 को सचिन और गौरव की अंत्येष्टि से लौट रहे लोगों ने कवाल में मारपीट और तोड़ फोड़ की थी जिसके बाद वहां दोनों समुदाय के लोगों के बीच बहस हो गई थी. मौके पर पहुंची पुलिस ने 9 लोगों को गिरफ्तार किया था जबकि 15 लोग फरार हो गए. विक्रम सैनी भी कुछ हथियारों के साथ पकड़े गए थे और उसी वजह से उन्हें इस मामले में कोर्ट की ओर से राहत नहीं मिल सकी.
जानसठ पुलिस स्टेशन के तत्कालीन इंचार्ज शैलेंद्र कुमार ने बीजेपी नेता विक्रम सैनी समेत 27 लोगों पर गंभीर धाराओं में नामजद केस दर्ज किया था. वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि कवाल कांड में विक्रम सैनी के खिलाफ जब चार्ज शीट दायर की गई थी तभी लग रहा था कि इसमें सजा होनी तय है. चार्ज शीट तब दायर की गई थी जब राज्य में बीजेपी सरकार आ चुकी थी.
दंगों में शामिल होने के आरोप में विधायक विक्रम सैनी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी एनएसए के तहत भी कार्रवाई हुई थी और वो कई महीने तक जेल में रहे थे.
सरकार की कार्रवाई से सहानुभूति
स्थानीय लोगों के मुताबिक, समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान विक्रम सैनी पर हुई कार्रवाई की वजह से मिले सहानुभूति वोटों के चलते वो विधायक बने थे. विक्रम सैनी कवाल गांव के प्रधान रह चुके हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें खतौली से टिकट दिया था और वो पहली बार विधायक चुने गए. साल 2022 में उन्हें दोबारा टिकट मिला और जीत गए लेकिन अब सजा मिलने के बाद उनकी सदस्यता चली जाएगी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता अली कमर जैदी कहते हैं कि किसी केस में दोषी सिद्ध हो गए हैं तो सजा कितनी भी मिले, अब सदस्यता जाएगी. जैदी के मुताबिक, "यदि ऊपर की अदालत से इनकी दोषसिद्धि पर स्टे हो गया तो इनकी सदस्यता पर असर नहीं पड़ेगा, यदि नहीं हुआ तो सदस्यता जाएगी.”
जैदी इस संबंध में लिली थॉमस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहते हैं कि पहले यह संभव नहीं था लेकिन उस फैसले के बाद दोषसिद्ध होते ही सदस्यता जाने का प्रावधान हो गया है. दो साल की सजा पूरी करने के बाद भी अगले छह साल तक वो कोई चुनाव नहीं लड़ सकते हैं.
लिली थॉमस ने साल 2003 में जनप्रतिनिधित्व कानून 1952 के विरुद्ध एक याचिका दायर की थी जिसमें मांग की गई थी कि इसके सेक्शन 8 (4) को असंवैधानिक करार दिया जाए. इस इस सेक्शन में प्रावधान किया गया था कि दोषी करार दिए जाने के बाद भी कोई जनप्रतिनिधि अपने पद पर तब तक बने रह सकते हैं यदि वो तीन महीने के भीतर अदालत के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देते हैं और वहां से उन्हें स्टे मिल जाता है या मामला लंबित रहता है. लंबी सुनवाई के बाद 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी भी कोर्ट द्वारा अपराधी साबित होने के बाद तुरंत जनप्रतिनिधियों को पद से हटना होगा. यहां तक कि सजा काटने वाले जनप्रतिनिधि चुनाव लड़ने की योग्यता भी खो देते हैं.
पिछले साल यूपी के एक अन्य बीजेपी विधायक इंद्रप्रताप उर्फ खब्बू तिवारी की विधानसभा सदस्यता चली गई थी. उन्हें कोर्ट ने एक मामले में दोषी ठहराया था और सजा सुनाई थी.
दंगे से जुड़े सैकड़ों मामले वापस
यूपी की राजनीति में बड़ा परिवर्तन लाने वाले मुजफ्फरनगर दंगों में साल 2017 में सत्ता परिवर्तन के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने 77 मामले वापस ले लिए थे लेकिन कुछ मामलों में अदालत ने वापसी से इनकार कर दिया था. इन दंगों से जुड़े कुल 510 मामलों में से सिर्फ 164 में ही अंतिम रिपोर्ट पेश की गई. मामलों को वापस लेते समय सरकार ने कोई विशेष कारण नहीं बताया था.
साल 2019 में मुजफ्फरनगर की एक अदालत ने सचिन और गौरव की हत्या से संबंधित एक मामले में सात लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. मामलों की जांच के लिए गठित एसआईटी ने पिछले साल कहा था कि दंगों के दौरान हत्या, बलात्कार, डकैती एवं आगजनी से संबंधित 97 मामलों में एक हजार से भी ज्यादा लोग सबूतों के अभाव में बरी हो गए. एसआईटी 20 मामलों में आरोप-पत्र दायर कर नहीं सकी क्योंकि राज्य सरकार की ओर से उसे मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं मिली. (dw.com)
कर्नाटक में हिजाब बैन पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की पीठ ने बंटा हुआ फैसला दिया है और फैसला तीन जजों की पीठ पर छोड़ दिया है. एक जज ने राज्य सरकार द्वारा लगाए गए बैन का समर्थन किया जबकि दूसरे जज ने विरोध.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
मामला कर्नाटक सरकार द्वारा राज्य के सरकारी कॉलेजों में हिजाब पर लगाए गए प्रतिबंध का था. मार्च में कर्नाटक हाई कोर्ट ने प्रतिबंध के फैसले को सही ठहराया था और फिर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 26 अपीलें दायर की गई थीं. बंटा हुआ फैसला इन्हीं अपीलों पर आया.
पीठ का नेतृत्व कर रहे न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने बैन को सही ठहराया और अपील को खारिज कर दिया. लेकिन न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने अपील को स्वीकृति दी और कर्नाटक सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया. इसके बाद पीठ ने कहा कि चूंकि जजों के बीच मतभेद है, मामले को मुख्य न्यायाधीश के सामने उचित निर्देशों के लिए रखा जाए. अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की कम से कम तीन जजों की पीठ सुनवाई करेगी.
न्यायमूर्ति गुप्ता ने अपने फैसले में 11 सवाल उठाए और कहा कि हिजाब पहनने कीइस्लाम में अनिवार्यतानहीं है और राज्य सरकार का आदेश शिक्षा हासिल करने के उद्देश्य को पूरा करता है. लेकिन न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा कि इस्लाम के तहत अनिवार्यता परखने की आवश्यकता ही नहीं थी क्योंकि हिजाब पहनना या नहीं पहनना बस चयन का सवाल है.
उन्होंने बिजॉय इमैनुएल नाम के एक दूसरे मामले का हवाला देते हुए यह भी रेखांकित किया कि सबसे जरूरी बात यह है कि यह मामला लड़कियों की शिक्षा का है. उन्होंने कहा, "यह जानी हुई बात है कि विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-ग्रामीण इलाकों में लड़कियों को शिक्षा हासिल करने में पहले से कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है...तो क्या हम उसकी जिंदगी और बेहतर बना पा रहे हैं?"
पीठ के फैसले पर मिली जुली प्रतिक्रिया आ रही है. कर्नाटक सरकार में मंत्री बीसी नागेश ने कहा कि सरकार को "बेहतर फैसले" की उम्मीद थी क्योंकि पूरी दुनिया में महिलाएं हिजाब-बुर्का नहीं पहनने की मांग कर रही हैं. दूसरे पक्ष की तरफ से प्रतिक्रिया अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है.
यह विवाद इसी साल जनवरी में कर्नाटक के उडुपी से शुरु हुआ था. पीयू कॉलेज की छह छात्राओं ने कक्षा में हिजाब पहनने से रोके जाने का विरोध किया था. हिजाब पर विवाद उडुपी के अलावा अन्य जिलों तक फैल गया. हिजाब के साथ कॉलेज जाने की मांग को लेकर कई हफ्ते प्रदर्शन चले और छात्राएं कर्नाटक हाईकोर्ट गईं. अपनी याचिका पर आए फैसले से निराश होने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. (dw.com)
नई दिल्ली, 13 अक्टूबर । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पत्रकार राणा अय्यूब के ख़िलाफ़ बुधवार (12 अक्टूबर, 2022) को गाज़ियाबाद की एक विशेष अदालत में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज की है.
प्रवर्तन निदेशालय ने ट्वीट कर जानकारी दी कि "ईडी ने 12.10.2022 को गाजियाबाद की विशेष अदालत में पीएमएलए, 2002 के तहत अभियोजन शिकायत दर्ज की है.
इससे पहले, ईडी ने 2021 में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी. राणा अय्यूब पर आरोप है कि उन्होंने चैरिटी के नाम पर जनता से अवैध रूप से धन जुटाया.
कौन हैं राणा अय्यूब?
राणा अय्यूब एक पत्रकार और लेखिका हैं.
राणा अय्यूब 2007 में तहलका मैगजीन में काम करती थीं.
संपादक तरुण तेजपाल पर यौन शोषण के आरोप लगने के बाद राणा अय्यूब ने इस्तीफ़ा दे दिया.
गुजरात फाइल्स- एनाटॉमी ऑफ ए कवर अप की लेखिका अय्यूब ने 2002 में गुजरात में हुए दंगों के लिए राज्य सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया था.
राणा अय्यूब इशरत जहां की पुलिस मुठभेड़ पर भी सवाल उठा चुकी हैं.
फरवरी 2022 में बीबीसी के साथ हुई बातचीत में उन्होंने उडुपी कॉलेज के छात्रों को आंतकी करार दिया था. (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 13 अक्टूबर । आम आदमी पार्टी की गुजरात इकाई के अध्यक्ष गोपाल इटालिया को दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय महिला आयोग के दिल्ली दफ़्तर से हिरासत में ले लिया है.
इससे पहले, राष्ट्रीय महिला आयोग ने गोपाल इटालिया को गुरुवार को अपने दिल्ली दफ़्तर आने को कहा था. समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, इसी सिलसिले में वे संस्था के दिल्ली दफ़्तर में पेश हुए थे.
गोपाल इटालिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में आपत्तिजनक भाषा बोलने का आरोप है. इस बारे में एक वीडियो भी वायरल हुआ है.
गुरुवार को गोपाल इटालिया जब राष्ट्रीय महिला आयोग के दिल्ली दफ़्तर में पेश हुए, तो आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भाजपा सरकार के विरोध में जमकर नारेबाज़ी की.
वहीं सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर गिरफ़्तारी से ठीक पहले उन्होंने एक ट्वीट किया है.
इसमें उन्होंने लिखा, ‘‘राष्ट्रीय महिला आयोग की चीफ़ मुझे जेल में डालने की धमकी दे रही हैं. मोदी सरकार पटेल समाज को जेल के सिवा दे ही क्या सकती है. बीजेपी पाटीदार समाज से नफ़रत करती है. मैं सरदार पटेल का वंशज हूँ. तुम्हारी जेलों से नहीं डरता. डाल दो मुझे जेल में. इन्होंने पुलिस को भी बुला लिया है. मुझे धमका रहे हैं."(bbc.com/hindi)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 13 अक्टूबर । मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी आईएएस समीर विश्नोई, कारोबारी लक्ष्मीकांत तिवारी और सुनील अग्रवाल को कोर्ट में पेश किया। इससे पहले ईडी के अफसरों ने अंबेडकर अस्पताल ले जाकर समीर विश्नोई और दोनों कारोबारियों का मेडिकल चेकअप कराया। वहां से 3: 50 बजे कोर्ट लाकर पेश किया गया। कोर्ट परिसर में समीर विश्नोई ने मीडिया से कहा कि यह कार्रवाई पूरी तरह से प्रायोजित है। ईडी उसे विशेष न्यायाधीश अजय सिंह की कोर्ट में पेश कर दिल्ली ले जाने ट्रांजिट रिमांड पर लेगी। इन तीनों की ईडी को 7 दिनों की रिमांड मिलने की खबर है।
नई दिल्ली, 13 अक्टूबर । आम आदमी पार्टी की गुजरात इकाई के अध्यक्ष गोपाल इटालिया को गुरुवार को राष्ट्रीय महिला आयोग के दिल्ली स्थित दफ़्तर से हिरासत में लिया गया.
इन्हें हिरासत में क्यों लिया गया है, इस पर अब आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा का बयान आया है.
समाचार एजेंसी एएनआई से हुई बातचीत में रेखा शर्मा ने कहा है, ‘‘मैंने पुलिस को इनके (गोपाल इटालिया के) ख़िलाफ़ कार्रवाई करने को बोला है, क्योंकि वे क़ानून और व्यवस्था प्रभावित करने वाला माहौल बनाने का प्रयास कर रहे थे."
"इनके (गोपाल इटालिया के) समर्थक राष्ट्रीय महिला आयोग के दफ़्तर में घुसने की कोशिश कर रहे थे. दोपहर बाद दो बजे मेरी एक अहम बैठक थी, लेकिन मैं बाहर नहीं आ सकी, जिससे अब उसमें देर हो रही है. यदि 100-150 लोग आकर मुझे धमकाते हैं, तो वे कैसे नेता हैं?
इससे पहले उन्होंने अपने निजी ट्विटर हैंडल से किए एक ट्वीट में आप कार्यकर्ताओं पर अपने दफ़्तर के बाहर हुड़दंग मचाने का आरोप लगाया था.
इस ट्वीट में उन्होंने दिल्ली पुलिस के कमिश्नर, दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के डीसीपी और प्रधानमंत्री कार्यालय को भी टैग किया था.
एएनआई से रेखा शर्मा ने कहा है, ‘‘इन्होंने यानी गोपाल इटालिया ने कोई भी नोटिस मिलने की बात से इंकार किया है, लेकिन इनका जवाब पहले से तैयार है. इन्होंने उस वीडियो में ख़ुद के होने से इनकार किया है, लेकिन अपने जवाब में इन्होंने ट्वीट करने की बात कुबूल की है."
"इनके मौखिक और लिखित बयान एक-दूसरे से मेल नहीं खाते. इन्होंने उचित जवाब नहीं दिया है.’’
रेखा शर्मा के अनुसार, ‘‘गोपाल इटालिया को राष्ट्रीय महिला आयोग के दफ़्तर आकर केवल कुछ सवालों के जवाब देने थे. लेकिन उन्हें झूठ क्यों बोलना पड़ा और इतने वकील साथ में क्यों लाने पड़े.’ (bbc.com/hindi)
सीआरपीएफ जवान बड़ी संख्या में तैनात, डीएमएफ दफ्तर सील
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 13 अक्टूबर। प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने आज कोरबा कलेक्ट्रेट में छापा मारा है। ईडी की टीम ने आज सुबह 11 बजे कलेक्ट्रेट परिसर में दबिश दी। टीम के लोग एक बस में पहुंचे, जिनके साथ सीआरपीएफ के जवान भी मौजूद है। कलेक्टर परिसर के भीतर लोगों की आवाजाही पर बंदिश लगा दी गई है। परिसर लगभग छावनी में तब्दील कर दी गई है। जिला खनिज न्यास का दफ्तर भी सील किया गया है। इसी तरह रायगढ़ कलेक्ट्रेट में भी ईडी ने दबिश दी है।
मालूम हो कि प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने छत्तीसगढ़ में पिछले 4 दिनों से डेरा डाल रखा है। वह खनिज और कोयले में घोटाले और मनी लांड्रिंग की जांच कर रही है। इसी सिलसिले में आज रायपुर से एक आईएएस समीर विश्नोई और दो कारोबारियों को गिरफ्तार भी किया गया है।
अभी अधिकारिक रूप से यह जानकारी सामने नहीं आई है कि ईडी की टीम कलेक्ट्रेट के किन कार्यालयों में कौन-कौन से दस्तावेजों की तलाश कर रही है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर, 13 अक्टूबर। आज दोपहर भिलाई नगर में सेक्टर 5 बीएसएनएल ऑफिस के पास दो कार के बीच जबरदस्त भिड़ंत हो गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कार के परखच्चे उड़ गए और एयरबैग भी खुल गए। दोनों ही चालकों को चोटें आई हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दोपहर को 12.30 बजे के करीब सेलेरियो कार क्रमांक सीजी 07 बीएफ 7207 एवं च्डि क्लाइंबर कार सीजी 07 सीजी 0605 के मध्य बीएसएनएल ऑफिस सेक्टर 5 के पास आमने-सामने की भिड़ंत हो गई। दोनों ही कारों के मध्य टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कार के परखच्चे उड़ गए। दोनों ही कारों के सामने का हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। दोनों ही चालकों को चोटें आई हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 13 अक्टूबर । मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी आईएएस समीर विश्नोई, कारोबारी लक्ष्मीकांत तिवारी और सुनील अग्रवाल को कोर्ट में पेश किया। इससे पहले ईडी के अफसरों ने अंबेडकर अस्पताल ले जाकर समीर विश्नोई और दोनों कारोबारियों का मेडिकल चेकअप कराया। ईडी उसे विशेष न्यायाधीश अजय सिंह की कोर्ट में पेश कर दिल्ली ले जाने ट्रांजिट रिमांड पर लेगी। कोर्ट जाते आरोपियों को तस्वीरों में देंखे।
भारत में एक महीने में नरबलि के नाम पर हत्या की दूसरी घटना सामने आई है. दिल्ली के बाद अब केरल से तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
भारत के दक्षिणी राज्य केरल में पुलिस ने तीन लोगों को नरबलि देन के आरोप में गिरफ्तार किया है. पुलिस का दावा है कि इन लोगों ने दो महिलाओं को बलि देने के नाम पर इसलिए जान से मार दिया कि वे धनी हो जाएंगे.
केरल पुलिस ने दावा किया है कि राज्य के एक दंपती ने धन पाने के लिए दो महिलाओं की बलि दे दी. पुलिस प्रवक्ता प्रमोद कुमार ने बताया कि आर्थिक दिक्कतों का सामना कर रहे इस दंपती ने मोहम्मद शफी नामक एक व्यक्ति को तीन लाख रुपये दिए और बलि के लिए लोगों का इंतजाम करने को कहा. पुलिस ने शफी के अलावा पति-पत्नी भागवाल सिंह और लैला को गिरफ्तार कर लिया है.
पुलिस के मुताबिक शफी ने तीन महीने के अंतर पर दो अलग-अलग घटनाओं में दो महिलाओं का कत्ल किया. शफी ने ही भागवाल सिंह और उनकी पत्नी को बताया था कि इंसानों की बलि देकर वे धनवान बन सकते हैं. पुलिस ने शफी को यौन-विकृति का शिकार व्यक्ति बताया है, जिस पर पहले भी बलात्कार के आरोप लगे हैं.
गरीब महिलाओं को फांसा
जांचकर्ताओं ने मीडिया को बताया कि शफी ने पहली पीड़िता को एक फिल्म में काम दिलाने का वादा कर सिंह के घर जून महीने में बुलाया था. लेकिन इस हत्या के बाद सिंह दंपती ने शफी से कहा कि उनकी किस्मत में कोई बदलाव नहीं हुआ है. दूसरी बार कथित बलि सितंबर में दी गई. इस बार शफी ने सिंह दंपती को भी इस कर्मकांड में शामिल होने को मना लिया.
कुमार ने बताया, "हम पहली पीड़िता के लापता होने के मामले की जांच कर रहे थे जब दूसरी लापता महिला के फोन की अंतिम लोकेशन भी सिंह दंपती के घर के निकट मिली.”
कोच्चि के पुलिस आयुक्त ने कहा कि 52 वर्षीय शफी मनोविकृति का शिकार एक साइकोपैथ है जिसने महिलाओं के साथ यौन दुर्व्यवहार भी किया. दोनों पीड़ित महिलाएं गरीब तबके से आती थीं और घर-घर जाकर लॉटरी टिकट बेचती थीं. हत्या के बाद उनके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर सिंह के घर में दबा दिए गए थे.
मनोविकृति का शिकार
पुलिस को संदेह है कि शफी और हत्याओं में शामिल रहा हो सकता है और इसकी जांच की जा रही है.
पुलिस को इस बात का भी संदेह है कि शफी ने पीड़ितों का मांस खाया हो. पुलिस आयुक्त ने बताया, "ऐसा संभाव है कि अभियुक्त ने हत्या के बाद शरीर से मांस खाया हो. इसकी पुष्टि नहीं हुई है लेकिन जांच की जा रही है. हम इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि ऐसे और मामले तो नहीं हुए हैं और कुछ और लोग भी इसमें शामिल हो सकते हैं.”
सिंह के पड़ोसियों ने हिंदुस्तान टाइम्स अखबार से बातचीत में कहा कि उन्हें यकीन नहीं हो रहा है कि उनका पड़ोसी इतने जघन्य अपराथ में शामिल हो सकता है. गोपन के. नामक पड़ोसी ने कहा, "बहुत से लोग यहां हड्डियां जुड़वाने, चोट और बीमारी का इलाज कराने आते थे. हमें कभी लगा नहीं कि कुछ गलत हो रहा है. वह व्यवहार का भी अच्छा था.”
एक महीने में दूसरी घटना
भारत में नरबलि के मामले पहले भी सामने आते रहे हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि कई ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में आज भी ऐसी परंपराएं कायम हैं और लोग नरबलि आदि में यकीन रखते हैं. लेकिन बड़े शहरों में भी लोगों को ऐसे आरोपों में गिरफ्तार किया गया है.
इसी महीने दिल्ली पुलिस ने दो व्यक्तियों को छह साल के एक बच्चे की बलि देने के आरोप में गिरफ्तार किया था. ये दोनों व्यक्ति मजदूरी करते थे और उन्होंने बताया कि धन कमाने के मकसद से अफीम के नशे में उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बच्चे की हत्या कर दी थी.
3 अक्टूबर को गिरफ्तार इन दोनों व्यक्तियों ने दिल्ली की एक झुग्गी बस्ती से 6 साल के बच्चे को अगवा कर लिया और उसका गला काट दिया. दिल्ली पुलिस के डीसीपी चंदन चौधरी ने बताया था कि यह घटना सीजीओ कॉम्पलेक्स के पास हुई और बच्चे के शव को झोपड़ी से ही बरामद किया गया था. (dw.com)
एक ताजा रिपोर्ट कहती है कि भारत में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र लगातार फलफूल रहा है. 2030 तक देश में 35-40 गीगावाट अतिरिक्त ऊर्जा नवीकरणीय स्रोतों से मिलने की उम्मीद है.
इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकनॉमिक्स एंड फाइनेंशल ऐनालिसिस की रिपोर्ट कहती है कि भारत में ऊर्जाका भविष्य हराभरा है. इस रिपोर्ट में अनुमान जाहिर किया गया है कि दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा बिजली उपभोग करने वाला यह देश 2030 तक अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता को 405 गीगावाट तक कर लेगा. भारत ने 2030 तक अपनी जरूरत की आधी से ज्यादा बिजली अक्षय ऊर्जा स्रोतो से हासिल करने का लक्ष्य तय किया है और रिपोर्ट कहती है कि इस लक्ष्य से ज्यादा भी हासिल किया जा सकता है.
भारत सरकार का अनुमान हालांकि 500 गीगावाट से ज्यादा बिजली अक्षय ऊर्जा स्रोतों से हासिल करने का है. फिलहाल देश 59 फीसदी ऊर्जा जीवाश्म ईंधनों से बनाता है लेकिन अनुमान है कि 2030 तक ये 31.6 फीसदी पर सिमट जाएंगे.
आईईईएफए में वरिष्ठ ऊर्जा विशेषज्ञ विभूति गर्ग कहती हैं कि भारत की योजनाएं काफी महत्वाकांक्षी हैं. उन्होंने बताया, "भारत की स्वच्छ ऊर्जा यात्रा में यूरोप में जारी युद्ध के कारण कुछ बाधाएं आई हैं लेकिन उसके पास बड़ी योजनाएं हैं. भारत में ऊर्जा की भूख है और आर्थिक विकास तथा जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ यह भूख बढ़ती जाएगी.”
वैसे विशेषज्ञ कहते हैं कि भले ही भारत ने अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हों लेकिन कई जगह सुधारों की जरूरत है. बर्लिन स्थित थिंक टैंक क्लाइमेट ऐनालिटिक्स में जलवायु और ऊर्जा अर्थशास्त्र की विशेषज्ञ नंदिनी दास कहती हैं भारत की महत्वाकांक्षी अक्षय ऊर्जा नीतियों ने अब तक कोयले के उपभोग को प्रभावित नहीं किया है. दास कहती हैं कि "मौजूदा कोयला संयंत्रों को सेवानिवृत्त करने की योजना होनी चाहिए ताकि यह स्प्ष्ट संकेत दिया जा सके कि हम स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ रहे हैं.” साथ ही, वह जीवाश्म ईंधनों को दी जाने वाली सब्सिडी की व्यवस्था में भी सुधार की सिफारिश करती हैं.
इसका एक पहलू यह भी है कि कोयले का प्रयोग बंद करने और अक्षय ऊर्जा की ओर बढ़ने के लिए धन की जरूरत है. हालिया अनुमानों के मुताबिक भारत को 2030 के अपने ऊर्जा लक्ष्य हासिल करने के लिए 223 अरब डॉलर यानी लगभग 183 खरब रुपये के निवेश की जरूरत है.
गति अब भी धीमी है
विशेषज्ञ इस बात की ओर भी इशारा करते हैं कि भारत में छतों के ऊपर सौर ऊर्जा पैनल लगाने के क्षेत्र में विकास की गति धीमी रही है. भारत इस साल के आखिर तक सिर्फ छतों पर लगे सौर पैनलों से 40 गीगावाट बिजली हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है जबकि अब तक सिर्फ 7.5 गीगावाट बिजली हासिल होती है.
पर्यावरण पर काम करने वाली लंदन स्थित संस्था एंबर के आदित्य लोला कहते हैं, "चुनौती यह है कि अलग-अलग राज्यों की इस बारे में अलग-अलग नीतियां हैं. इस क्षेत्र में पूरे देश की एकरूप नीति नहीं है.” लोला यह भी जोड़ते हैं कि अन्य अक्षय ऊर्जा योजनाओं को भी गति देने की जरूरत है.
उन्होंने बताया, "हमें निर्माण की दर बढ़ाने की सख्त जरूरत है. इस साल हम हर महीने 1.7 गीगावाट इंस्टॉल कर रहे हैं जबकि यह दर 3.7 गीगावाट मासिक होनी चाहिए. ऐसा करने के लिए हम कई तरह के कदम उठा सकते हैं लेकिन इसका बहुत जल्दी हो जाना जरूरी है.”
वीके/एए (एपी)
हरियाणा सरकार ने बुधवार को गाम्बिया में 69 बच्चों की मौत की जांच के तहत दवा फैक्ट्री में उत्पादन रुकवा दिया है.
पिछले हफ्ते ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि दिल्ली स्थित मेडन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा बनाई गईं चार दवाओं में डाइथाइलीन ग्लाइकोल और इथाइलीन ग्लाइकोल की मात्रा सुरक्षित मानकों से 'अस्वीकार्य स्तर तक' ज्यादा है, जो घातक हो सकता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था इन रसायनों के जहरीले असर से "किडनी को नुकसान पहुंचता है जिससे मौत भी हो सकती है." साथ ही संगठन ने कहा था कि यह दवाएं पश्चिमी अफ्रीकी देशों के अलावा भी अन्य देशों में सप्लाई की गईं होंगी.
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने बुधवार को मीडिया को बताया, "हमने आदेश दिया है कि इस इकाई में सभी दवा के उत्पादन को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया जाए."
विज ने कहा कि एक प्रारंभिक जांच में कुंडली शहर में स्थित फैक्ट्री में 12 उल्लंघन पाए गए. यह दवा फैक्ट्री दिल्ली से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
मेडेन फार्मास्युटिकल्स के निदेशक नरेश गोयल ने कथित तौर पर इस बात से इनकार किया है कि उनकी कंपनी में उत्पादित कफ सिरप के कारण मौतें हुईं.
उन्होंने अंग्रेजी अखबार इकोनॉमिक टाइम्स अखबार को बताया, "मौतें पैरासिटामोल सिरप के कारण हुई हैं, न कि हमारी कफ सिरप के कारण."
शनिवार को गाम्बिया की पुलिस ने कहा था कि वह बच्चों की मौत की जांच शुरू कर रही है.
भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले हफ्ते कहा था कि उसे डब्ल्यूएचओ के निष्कर्षों से अवगत करा दिया गया है और वह चार उत्पादों पर अपने खुद के प्रयोगशाला परीक्षणों के परिणामों की प्रतीक्षा कर रहा है.
भारत का कहना है कि कफ सिरप केवल गाम्बिया को निर्यात के लिए स्वीकृत किया गया था और कंपनी को भारत में ये चार दवाएं बेचने के लाइसेंस नहीं दिए गए थे.
पिछले दिनों मंत्रालय के एक बयान में कहा गया, "यह एक सामान्य प्रथा है कि आयात करने वाला देश गुणवत्ता मानकों पर इन आयातित उत्पादों का परीक्षण करता है और गुणवत्ता के मुताबिक खुद को संतुष्ट करता है."
हालांकि गाम्बिया की पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में सीधे तौर पर भारतीय कंपनी का नाम नहीं लिया है लेकिन कंपनी की बनाई चारों दवाओं – प्रोमेथाजीन ओरल सॉल्यूशन, कॉफेक्समैलिन बेबी कॉफ सिरप, मेकऑफ बेबी कॉफ सिरप और मैगरिप एन कोल्ड सिरप का नाम लिया गया है. पुलिस का कहना है कि अमेरकी कंपनी अटलांटिक फार्मास्युटिकल्स ने इन दवाओं की कुल 50 हजार बोतलों को गाम्बिया में आयात किया था.
गाम्बिया पुलिस की ओर से जारी बयान में कहा गया, "यह पुष्ट हो गया है कि बेबी सिरप की इन संक्रमित 50 हजार बोतलों में से 41,462 बोतलें जब्त कर ली गईं है. 8,538 बोतलों का अभी कुछ पता नहीं है."
एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)