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जयपुर, 27 अगस्त। राजस्थान के पाली जिले में 14 वर्षीय दलित छात्र की कथित तौर पर पिटाई करने के आरोप में एक सरकारी स्कूल के शिक्षक को हिरासत में लिया गया और उसे निलंबित कर दिया गया। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि राजस्थान के दौसा जिले में इसी तरह की एक घटना में पांचवीं कक्षा के एक दलित छात्र की स्कूल के शिक्षक ने कथित तौर पर पिटाई कर दी।
पुलिस ने दोनों घटनाओं के संबंध में शिक्षकों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पाली जिले के बगड़ी थाना प्रभारी भंवरलाल ने बताया कि पाली जिले में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक भंवर सिंह के खिलाफ बृहस्पतिवार रात 14 वर्षीय दलित छात्र के साथ कथित मारपीट का मामला दर्ज किया गया है।
उन्होंने बताया कि नौवीं कक्षा के दलित छात्र के परिजनों की ओर से दर्ज शिकायत के आधार पर शिक्षक भंवर सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कर उसे हिरासत में ले लिया गया है। वहीं शिक्षा विभाग ने आरोपी शिक्षक को निलंबित कर दिया है।
दौसा के सिकंदरा थाना क्षेत्र में एक सरकारी स्कूल के शिक्षक रामेश्वर गुर्जर के खिलाफ बृहस्पतिवार को पांचवीं कक्षा के एक दलित छात्र की कथित तौर पर पिटाई का मामला सिकंदरा थाने में दर्ज किया गया है।
मानपुर के सर्किल अधिकारी संतराम ने बताया कि घटना छह अगस्त की है और परिजनों की ओर से घटना के 19 दिन बाद इस संबंध में बृहस्पतिवार को सिंकदरा थाने में मामला दर्ज करवाया गया है। उन्होंने बताया कि छात्र का चिकित्सकीय परीक्षण कराया गया है और मामले की जांच जारी है।
उल्लेखनीय है कि बाड़मेर के कोतवाली थाना क्षेत्र में बुधवार को एक सरकारी स्कूल में एक शिक्षक ने कक्षा सात के एक दलित छात्र की कथित रूप से पिटाई इसलिये कर दी क्योंकि वह पूछे गए सवालों का उत्तर नहीं दे पाया था। विभिन्न दलित संगठनों ने इस मामले में अपना विरोध दर्ज कराया है, जिसके बाद पुलिस ने आरोपी शिक्षक को हिरासत में ले लिया था।
इससे पूर्व जालोर में एक नौ वर्षीय दलित छात्र की 20 जुलाई को स्कूल के शिक्षक ने पीने के पानी के बर्तन को छूने पर कथित तौर पर पिटाई कर दी थी। बाद में 13 अगस्त को छात्र की अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई थी। (भाषा)
नयी दिल्ली, 27 अगस्त। कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कहा कि वह जम्मू कश्मीर में ‘‘जल्द ही’’ अपनी नयी पार्टी बनाएंगे।
आजाद ने यहां कहा कि वह अपने समर्थकों तथा लोगों से मुलाकात करने के लिए जल्द ही जम्मू कश्मीर जाएंगे।
उन्होंने कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा भेजने के बाद टीवी चैनलों से कहा, ‘‘मैं जल्द ही जम्मू कश्मीर जाऊंगा। मैं जम्मू कश्मीर में जल्द ही अपनी पार्टी बनाऊंगा। मैं भारतीय जनता पार्टी में शामिल नहीं होऊंगा।’’
गौरतलब है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने करीब पांच दशकों के बाद शुक्रवार को पार्टी को अलविदा कह दिया और दावा किया कि देश का सबसे पुराना दल अब ‘समग्र रूप से नष्ट हो चुका है’ तथा इसका नेतृत्व आतंरिक चुनाव के नाम पर ‘धोखा दे रहा है।’
उन्होंने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर ‘अपरिपक्व और बचकाने व्यवहार’ का भी आरोप लगाया और कहा कि अब सोनिया गांधी नाममात्र की नेता रह गई हैं क्योंकि फैसले राहुल गांधी के ‘सुरक्षागार्ड और निजी सहायक’ करते हैं। (भाषा)
श्रद्धांजलि सभा में गिरीश देवांगन ने की घोषणा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 27 अगस्त। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता व भारत रत्न ममतामयी मदर टेरेसा की शुक्रवार को 112 वीं जयंती थी। इस मौके पर राजेंद्र नगर में होटल कर्मचारी व श्रमिक कल्याण संगठन ने श्रद्धांजलि सभा आयोजन किया। मुख्य अतिथि खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन थे। उन्होंने संगठन की मांग पर घोषणा की कि राजधानी के एक प्रमुख चौराहे पर मदर टेरेसा की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इसके साथ ही रिंगरोड मदर टेरेसा के आश्रम से कटोरा तालाब तक मार्ग का नामकरण मदर टेरेसा के नाम पर किया जाएगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष महेंद्र छाबड़ा ने की। अति विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ भाजपा नेता ब्रेवरेजेस कार्पोरेशन के पूर्व अध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने, पूर्व आईएएस व भाजपा पर्यावरण प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक गणेश शंकर मिश्रा तथा अंबिकापुर के पूर्व महापौर व अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य प्रबोध मिंज थे। विशेष अतिथि छत्तीसगढ़ डायसीस के प्रवक्ता और समाजसेवी जॉन राजेश पॉल, कृषि कल्याण परिषद के चेयरमेन नंद कुमार पटेल, समाजसेवी व अभिनेता जेएम दास, कांग्रेस लीगल सेल के अध्यक्ष देवा देवांगन, श्रम कल्याण सदस्य एडवोकेट मनोज ठाकुर व संगठन के संयोजक सुरेश मसीह, नाचा गम्मत के प्रदेश अध्यक्ष रंजीत चक्रधारी थे।
सभी नेताओं व अतिथियों ने समाजजनों से मदर के जीवन से प्रेरणा लेकर दीन -दुखियों की सेवा करने का संकल्प लेने का आह्वान किया। मिशनरीज आफ चैरिटी की सवा सौ से अधिक देशों में निस्वार्थ सेवा की प्रशंसा की। इस मौके पर मदर की स्मृति में उनकी जयंती पर केक भी काटा गया। उनकी प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। इस अवसर पर एडवोकेट वैभव अब्राहम, भाजपा प्रदेश अल्पसंख्यक मोर्चा के सह मीडिया प्रभारी सौरभ देव, संगठन के अध्यक्ष प्रसन्न कुमार पंड्या, लक्ष्मी नारायण, राहुल करीम, पुनीत कुमार छुरा, गुड्डू सिका आदि शामिल हुए।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बोस्टन, (यूएसए) 27 अगस्त। लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला से अमेरिका प्रवास के दौरान बोस्टन में अप्रवासी भारतीयों के प्रतिनिधिमंडल मिले और उनका अभिनंदन किया। इस दौरान छत्तीसगढ़ एनआरआई सेल के संयोजक पल्लव शाह ने भी राज्य के अन्य प्रवासी प्रतिनिधियों के साथ बिड़ला से मुलाकात की।
इस दौरान स्पीकर ने छत्तीसगढ़ वासियों को पारंपरिक त्यौहार तीजा पोला की बधाई दी और राज्य के लोगों के समृद्धि की कामना की।
रांची, 27 अगस्त। झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विधायक पद के अयोग्य ठहराने का आदेश शनिवार को निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को भेज सकते हैं। राजभवन के सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सोरेन के राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलों के बीच, राज्य के सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्य मुख्यमंत्री आवास पर सुबह तीसरे दौर की बैठक के लिए इकट्ठा होंगे। सोरेन की विधानसभा सदस्यता खनन पट्टे के मामले के कारण अधर में लटकी हुई है।
राजभवन के एक सूत्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि राज्यपाल शनिवार को अयोग्यता आदेश पर हस्ताक्षर करेंगे और इसे निर्वाचन आयोग को भेजा जाएगा।
राज्यपाल के आधिकारिक आवास के सूत्रों ने बृहस्पतिवार को दावा किया था कि निर्वाचन आयोग ने सोरेन को एक खनन पट्टा स्वयं को देकर चुनावी मापदंडों का उल्लंघन करने के आरोप में विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की थी, लेकिन इस पर अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई।
सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो)-कांग्रेस-राष्ट्रीय जनता दल (राजद) गठबंधन के विधायक आगे की रणनीति पर चर्चा के लिए शनिवार पूर्वाह्न करीब 11 बजे फिर से मिलेंगे। इन विधायकों ने शुक्रवार सुबह और शाम को मैराथन बैठकें की थीं। सत्तारूढ़ गठबंधन के सूत्रों ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए रणनीति बनाई जा रही है कि सरकार को कोई खतरा नहीं हो।
झामुमो के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में एक महत्वपूर्ण सहयोगी कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने कहा था कि पश्चिम बंगाल, बिहार या छत्तीसगढ़ जैसे ‘‘मित्र राज्य’’ में एक रिसॉर्ट में विधायकों को रखा जाएगा ताकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उन्हें अपने जाल में नहीं फंसा पाए।
हालांकि, उन्होंने कहा कि सोरेन की विधायक के रूप में संभावित अयोग्यता पर निर्वाचन आयोग की राय के बारे में राज्यपाल द्वारा उन्हें सूचित करने के बाद भविष्य की कार्रवाई पर निर्णय लिया जा सकता है।
एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए शुक्रवार को लातेहार आए सोरेन ने केंद्र पर निशाना साधते हुए सभी संवैधानिक एजेंसियों को ‘‘लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने’’ के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि ‘‘शैतानी ताकतें’’ बुरे मंसूबों को अंजाम देने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने बाद में ट्वीट किया, ‘‘जब मैंने राज्य के लिए लंबित 1.36 लाख करोड़ रुपये का वैध बकाया मांगा, तो केंद्र ने मेरे खिलाफ सभी एजेंसी को लगा दिया। जब उन्होंने देखा कि वे मुझे नुकसान नहीं पहुंचा सकते, तो वे मुझ पर शिकंजा कसने के लिए ‘गुरुजी’ (शिबू सोरेन) को परेशान करने की कोशिश करने लगे।’’
मामले में याचिकाकर्ता भाजपा ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा नौ (ए) का उल्लंघन करने के लिए सोरेन को अयोग्य ठहराए जाने की मांग की है। यह अधिनियम सरकारी अनुबंधों के लिए अयोग्यता से संबंधित है।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की इस धारा में कहा गया है, ‘‘ऐसे व्यक्ति को अयोग्य ठहराया जा सकता है जिसने भारत सरकार के अधीन या किसी राज्य की सरकार के अधीन पद धारण करते हुए उस सरकार के साथ अपने व्यापार या कारोबार के संदर्भ में कोई ऐसा अनुबंध किया है जो उसी सरकार को माल की आपूर्ति करने या उसके द्वारा किये जा रहे काम के निष्पादन के लिये किया गया है।’’
इस मुद्दे को राज्यपाल को भेजा गया जो निर्वाचन आयोग को अपनी राय भेजेंगे, क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 192 में कहा गया है कि एक विधायक की अयोग्यता पर फैसला करने संबंधी मामला पहले राज्यपाल को भेजा जाएगा जो ‘‘निर्वाचन आयोग की राय प्राप्त करेंगे और उस राय के अनुसार कार्य करेंगे’’।
झारखंड में 81 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के 49 विधायक हैं। सबसे बड़ी पार्टी झामुमो के 30, कांग्रेस के 18 और राजद का एक विधायक हैं। मुख्य विपक्षी दल भाजपा के सदन में 26 विधायक हैं। (भाषा)
गठबंधन सहयोगियों ने बृहस्पतिवार को दावा किया था कि सरकार को कोई खतरा नहीं है। झामुमो ने विश्वास जताया था कि सोरेन 2024 तक पूरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री बने रहेंगे।
बेंगलुरु, 27 अगस्त। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एम. मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि राहुल गांधी की कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में वापसी के लिए प्रयास किया जाएगा, क्योंकि पार्टी में उनके अलावा कोई ऐसा नहीं है जिसकी अखिल भारतीय अपील हो।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि पार्टी का नेतृत्व करने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति को पूरे देश में जाना जाना चाहिए और उसे कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर और पश्चिम बंगाल से गुजरात तक समर्थन प्राप्त होना चाहिए।
खड़गे ने शुक्रवार को यहां ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘वह (कांग्रेस अध्यक्ष को) पूरी कांग्रेस पार्टी में जाना-पहचाना, स्वीकृत व्यक्ति होना चाहिए। ऐसा (इस तरह के कद के साथ पार्टी में) कोई नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि सभी वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी को पार्टी में शामिल होने और काम करने के लिए ‘‘विवश’’ किया था और राहुल गांधी से ‘‘सामने आने और लड़ने’’ का अनुरोध किया था।
खड़गे ने पूछा, ‘‘आप मुझे विकल्प बताएं। (राहुल गांधी के अलावा पार्टी में अन्य) कौन है?’’ इन खबरों पर कि राहुल गांधी पद संभालने को तैयार नहीं हैं, खड़गे ने कहा कि उनसे अनुरोध किया जाएगा और उन्हें ‘‘पार्टी की खातिर, देश की खातिर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस)-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से लड़ने और देश को एकजुट बनाए रखने के लिए कार्यभार संभालने के लिए कहा जाएगा।’’
खड़गे ने पार्टी की आगामी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का भी जिक्र किया और कहा कि ‘जोड़ो भारत’ के लिए राहुल गांधी की जरूरत है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘हम उनसे पूछेंगे, हम उन्हें मजबूर करेंगे और उनसे (कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में लौटने के लिए) अनुरोध करेंगे। हम उनके साथ खड़े हैं। हमें उन्हें मनाने की कोशिश करेंगे।’’
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की तारीखों के कार्यक्रम को मंजूरी देने के लिए पार्टी की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) रविवार को एक डिजिटल बैठक करेगी।
सीडब्ल्यूसी की बैठक की अध्यक्षता सोनिया गांधी करेंगी। कई नेता राहुल गांधी को फिर से पार्टी प्रमुख बनने के लिए सार्वजनिक रूप से प्रोत्साहित कर रहे हैं। हालांकि, इस मुद्दे पर अनिश्चितता और रहस्य बरकरार है। पार्टी के कई अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी अपने रुख पर कायम हैं कि वह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) अध्यक्ष नहीं बनेंगे।
2019 में संसदीय चुनावों में पार्टी के लगातार दूसरी हार का सामना करने के बाद उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था। सोनिया गांधी, जिन्होंने अंतरिम अध्यक्ष के रूप में फिर से पार्टी की बागडोर संभाली, ने भी अगस्त 2020 में जी-23 नाम से जाने जाने वाले नेताओं के एक वर्ग द्वारा खुले विद्रोह के बाद पद छोड़ने की पेशकश की, लेकिन सीडब्ल्यूसी ने उनसे पद पर बने रहने का आग्रह किया था। (भाषा)
डिंडोरी (मप्र), 27 अगस्त। मध्य प्रदेश के डिंडोरी में एक सरकारी स्कूल के शिक्षक ने अपनी पत्नी की मौत के बाद उसके शव को अपने घर में दफना दिया और पड़ोसियों के विरोध के बाद प्रशासन ने शव को निकालकर मुक्तिधाम में उसका अंतिम संस्कार कराया।
डिंडोरी के तहसीलदार गोविंदराम सलामे ने शनिवार को बताया कि शिक्षक ओंकार दास मोगरे (50) ने बीमारी से 45 वर्षीय अपनी पत्नी की मौत हो जाने के बाद उसके शव को घर के अंदर ही एक कमरे में दफना दिया था। स्थानीय लोगों ने इसका विरोध करते हुए बुधवार को प्रशासन को इसकी जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि सूचना मिलने पर 24 घंटे के अंदर ही शव को स्थानांतरित कर निर्दिष्ट स्थान पर उसका अंतिम संस्कार करवाया गया।
सूत्रों ने बताया कि स्थानीय लोगों ने और मोगरे के रिश्तेदारों ने घर के अंदर शव को दफन करने से शिक्षक को रोका था, लेकिन उसने किसी की बात नहीं मानी और कहा कि पत्नी से प्यार के कारण वह ऐसा कर रहा है। शिक्षक ने ऐसा करने के लिए अपने पनिका समुदाय की परंपरा का भी हवाला दिया।
अधिकारियों ने बताया कि पनिका समुदाय के लोग मृतक परिवार के सदस्यों के शवों को ग्रामीण इलाकों में रिहायशी परिसर में ही दफना देते हैं।
कोतवाली थाना प्रभारी सी के सिरामे ने बताया कि मोगरे ने अपने समुदाय के रीति-रिवाजों का हवाला देकर शव को 23 अगस्त को अपने घर में ही दफना दिया था।
हालांकि स्थानीय नगर निकाय और जिला प्रशासन ने पड़ोसियों की शिकायत के बाद हस्तक्षेप किया। (भाषा)
झारखंड में पैदा हुए ताज़ा राजनीतिक संकट के बीच यूपीए विधायकों की बैठक लगातार दूसरे दिन शनिवार को बुलाई गई है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता पर मंडरा रहे ख़तरे के बीच हो रही इस बैठक को काफ़ी अहम माना जा रहा है. यह बैठक शनिवार की सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री सोरेन के आवास पर बुलाई गई है.
मीडिया में चल रही कई अटकलें
यह बैठक इसलिए अहम है कि मीडिया में ख़बरें चल रही हैं कि झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विधायक के रूप में अयोग्य ठहरा दिया है. ख़बरों के अनुसार इसकी सिफ़ारिश केंद्रीय चुनाव आयोग को भेजी जा रही है.
यह भी दावा किया गया है कि शनिवार को केंद्रीय चुनाव आयोग अधिसूचना जारी करेगा. इस अधिसूचना को राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी और राज्य विधानसभा के अध्यक्ष को भेजा जाएगा.
यदि ऐसा होता है तो हेमंत सोरेन विधायक नहीं रह जाएंगे. फ़िलहाल वे बरहेट विधानसभा सीट से विधायक हैं.
एक अन्य ट्वीट में सोरन ने लिखा, ‘‘दुर्भाग्य है हमारा, हम आदिवासियों का कि विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर देश के प्रधानमंत्री एवं आदिवासी राष्ट्रपति ने देश के आदिवासी समाज को शुभकामना सन्देश देना भी उचित नहीं समझा. इनकी नज़र में हम आदिवासी नहीं, वनवासी हैं.’’
विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त को मनाया जाता है.
हेमंत सोरेन ने किया बीजेपी पर प्रहार
इस बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने ट्विटर हैंडल से किए एक ट्वीट में केंद्र सरकार और बीजेपी पर निशाना साधा है.
अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘‘केंद्र सरकार और भाजपा ने जितना कुचक्र रचना है रच ले, कोई फ़र्क नहीं पड़ता. मैं आदिवासी का बेटा हूँ. झारखण्ड का बेटा हूँ. हम डरने वाले नहीं, लड़ने वाले लोग हैं.’’
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा, ‘‘आदिवासी को वनवासी कहने वाले लोग हमें क्या डराएंगे! हम आदिवासी हैंए हमारे डीएनए में डर-भय नहीं है.’’
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार और कुर्सी का भूखा नहीं हूं. (bbc.com/hindi)
जस्टिस उदय उमेश ललित ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ले ली. उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में शपथ दिलाई.
सुप्रीम कोर्ट के 49वें मुख्य न्यायधीश बने जस्टिस ललित इस पद पर 73 दिनों तक यानी 8 नवंबर, 2022 तक रहेंगे.
जस्टिस उदय उमेश ललित भारत के दूसरे ऐसे चीफ़ जस्टिस हैं, जो सीधे सुप्रीम कोर्ट के जज के पद पर नियुक्त हुए. उनसे पहले जस्टिस एसएम सिकरी वकीलत से सीधे सुप्रीम कोर्ट जज बने थे.
जस्टिस उदय उमेश ललित: चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना के उत्तराधिकारी को कितना जानते हैं आप
जस्टिस ललित को इस पद पर निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन्ना की जगह पर नियुक्त किया गया है, जो शनिवार को ही रिटायर हो गए.
जस्टिस ललित के बाद जस्टिस वाईवी चंदचूड़ के अगला मुख्य न्यायाधीश बनने की संभावना है. यदि ऐसा हुआ तो वे ठीक दो सालों तक इस पद पर रहेंगे. (bbc.com/hindi)
रायपुर, 27 अगस्त। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज के रायपुर दौरे में आंशिक संशोधन हुआ है। सीजेआई यूयू ललित के शपथ ग्रहण समारोह की वजह से अब वे दोपहर दो बजे बीएसएफ के विशेष विमान से आएंगे।
उनके दिल्ली स्थित आवास से बताया गया कि शाह अब ठाकरे परिसर नहीं जाएंगे। इसके बजाय वे एयरपोर्ट में ही वरिष्ठ नेताओं से चर्चा कर दिल्ली लौट जाएंगे। वैसे बंगले से यह भी कहा गया है कि रायपुर आने के बाद शाह फैसला करेंगे। इसे देखते हुए दोनों प्रभारी डी पुरंदेश्वरी और नितिन नवीन भी रायपुर पहुंच गए हैं। भाजपा नेताओं से अमित शाह की अनौपचारिक चर्चा होगी। सीएम हाउस जाने को लेकर बंगले ने कोई जवाब नहीं दिया है।
रायपुर, 27 अगस्त। राजधानी के फाफाडीह इलाके में स्थित एसबीआई ग्राहक सेवा केंद्र में संचालक को हथौड़ी से वारकर लूट करने वाला शातिर लुटेरा गिरफ्तार कर लिया गया है। 23 अगस्त को केंद्र में ग्राहक बनकर आये लुटेरे ने संचालक याला प्रकाश को हथौड़ी से वारकर लॉकर से नगदी लूटकर फरार हो गया था। पूरी वारदातसीसीटीवी कैमरे में कैद हुई थी।गंज थाना में दर्ज हुआ था लूट का मामला।पुलिस आज शाम पूरे मामले का खुलासा करेगी । गंज टीआई ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ को यल्ला प्रकाश की हालत खतरे से बाहर बताया था।
रांची, 27 अगस्त। झारखंड उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को सांसदों एवं विधायकों के खिलाफ राज्य की विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों की पूरी जानकारी सरकार और सीबीआई को सौंपने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश डा. रवि रंजन एवं सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ ने ‘झारखंड अगेंस्ट करप्शन’ की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिये। याचिका में सांसदों-विधायकों के खिलाफ मुकदमों में तेजी लाने और उनका निपटारा समयबद्ध ढंग से शीघ्र करने की मांग की गयी है।
अदालत ने केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) तथा राज्य सरकार दोनों से यह बताने को कहा है कि सांसदों-विधायकों के खिलाफ कितने मामले लंबित हैं, कितने मामलों में जांच जारी है, कितने मामलों में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है और कितने में बहस हुई है। अदालत ने यह भी पूछा कि किन मामलों में मुदकमा अभी चल रहा है, मुकदमे की वर्तमान में क्या स्थिति है।
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ ने यह निर्देश दिया। अदालत ने दोनों पक्षों से 16 सितंबर तक रिपोर्ट सौंपने को कहा है। (भाषा)
कोलकाता, 26 अगस्त। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने शुक्रवार को यह कहते हुए एक और विवाद खड़ा कर दिया कि वह दिन दूर नहीं जब तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को राज्य में भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों में संलिप्तता के लिए ‘‘सार्वजनिक रूप से पीटा’’ जाएगा।
घोष पहले भी विवादित टिप्पणियां करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि टीएमसी नेता मवेशी तस्करी तथा एसएससी घोटालों समेत विभिन्न घोटालों में कथित तौर पर शामिल होने के लिए जल्द ही ‘‘जनता के आक्रोश’’ का सामना करेंगे।
उन्होंने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘वह दिन दूर नहीं जब टीएमसी के नेताओं को सार्वजनिक रूप से पीटा जाएगा...राज्य के लोग इस भ्रष्ट टीएमसी सरकार से तंग आ गए हैं। वे विभिन्न घोटालों में संलिप्तता के लिए जल्द ही जनता के आक्रोश का सामना करेंगे।’’ (भाषा)
वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद के कांग्रेस से इस्तीफ़ा देने पर पार्टी के नेता पवन खेड़ा ने इसे बीजेपी की मिलीभगत बताई है.
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए पवन खेड़ा ने कहा, "पार्टी का कार्यकर्ता इस धोखे को अच्छी तरह से जानता है. वो जानता है कि जो व्यक्ति आज इस मौके पर पार्टी को धोखा देता है, उस आदमी का रिमोट कंट्रोल नरेंद्र मोदी के हाथ में है. नरेंद्र मोदी और गुलाम नबी आज़ाद जी का प्रेम हमने खुद देखा, संसद में भी देखा. इस पत्र में उस प्रेम की परिणिति आज हुई है."
उन्होंने कहा कि ग़ुलाम नबी आज़ाद की राज्यसभा सदस्यता पूरी होते ही वे तड़पने लगे. ये चुनौती का समय है, हमें सबको मिलकर लड़ना था.
पवन खेड़ा ने ग़ुलाम नबी आज़ाद पर पार्टी को कमज़ोर करने का आरोप लगाया और कहा कि पार्टी कार्यकर्ता उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे.
ग़ुलाम नबी आज़ाद का इस्तीफ़ा
आज ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है. अपने पाँच पन्नों के इस्तीफ़ा पत्र में ग़ुलाम नबी आज़ाद राहुल गांधी का ज़िक्र करते हुए लिखा है कि कांग्रेस पार्टी की ये हालत इसलिए हुई है क्योंकि पिछले आठ वर्षों से नेतृत्व ने एक ऐसे व्यक्ति को आगे किया, जो कभी गंभीर ही नहीं था.
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की राजनीति में एंट्री और ख़ासकर जब वर्ष 2013 में जब उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया, उसके बाद पार्टी के अंदर की सलाह लेने की प्रक्रिया को उन्होंने पूरी तरह ख़त्म कर दिया. (bbc.com/hindi)
भारतीय मूल के एक अमेरिकी पत्रकार के परिवार ने आरोप लगाया है कि बुधवार रात दिल्ली पहुंचने के तुरंत बाद उन्हें न्यूयॉर्क डिपोर्ट कर दिया गया.
पत्रकार अंगद सिंह, वाइस न्यूज़ के लिए डॉक्यूमेंट्री बनाते हैं. अंगद की मां गुरमीत कौर के मुताबिक वे भारत निजी काम से आए थे.
अंगद सिंह ने भारत में कोविड संकट और सरकार विरोधी किसान प्रदर्शन और शाहीन बाग प्रदर्शन पर डॉक्यूमेंट्री बनाई हैं. परिवार के मुताबिक अंगद को वापस क्यों भेजा गया उसके लिए कोई कारण नहीं बताया गया है.
भारत सरकार ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
गुरमीत कौर ने बीबीसी पंजाबी को बताया कि दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के करीब 15 मिनट बाद अंगद का पासपोर्ट को इमिग्रेशन अधिकारियों ने ज़ब्त कर लिया. पासपोर्ट ज़ब्त करने के बाद उन्हें वापिस अमेरिका भेज दिया गया.
परिवार के मुताबिक अंगद ने कई देशों में चल रहे आंदोलनों पर डॉक्यूमेंट्री बनाई हैं. (bbc.com/hindi)
राजस्थान से कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने ग़ुलाम नबी आज़ाद के इस्तीफे़ और चिट्ठी की टाइमिंग को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.
उन्होंने कहा कि ग़ुलाम नबी आज़ाद कांग्रेस में तमाम पदों पर रहे. वे यूथ कांग्रेस, सांसद, मंत्री, मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष का पद संभाला है. आज पार्टी और देश को भाजपा शासन के ख़िलाफ़ महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के मुद्दों को उठाने की ज़रूरत थी.
सचिन पायलट ने कहा कि जो बातें चिट्ठी में लिखी गई हैं वो सच्चाई से दूर हैं. ग़ुलाम नबी आज़ाद ने संघर्ष करने की बजाय पार्टी को छोड़ने का काम किया है, कहीं ना कहीं वे अपनी ज़िम्मेदारी से पीछे हटे हैं.
भूपेश बघेल ने क्या कहा
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि ग़ुलाम नबी आज़ाद के जाने से कांग्रेस को नुकसान नहीं होगा.
मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, "लगातार वो कांग्रेस में रहकर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे. अब उनकी लड़ाई समाप्त हो गई है, वो खुद नेपथ्य में चले गए हैं. कांग्रेस ने उन्हें सम्मान दिया. केंद्रीय मंत्री, महासचिव और मुख्यमंत्री तक बनाया. जो किसी एक व्यक्ति को पार्टी से मिल सकता है वो सब उन्हें मिला."
ग़ुलाम नबी आज़ाद का इस्तीफ़ा
आज ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफ़ा दे दिया है. अपने पाँच पन्नों के इस्तीफ़ा पत्र में ग़ुलाम नबी आज़ाद राहुल गांधी का ज़िक्र करते हुए लिखा है कि कांग्रेस पार्टी की ये हालत इसलिए हुई है क्योंकि पिछले आठ वर्षों से नेतृत्व ने एक ऐसे व्यक्ति को आगे किया, जो कभी गंभीर ही नहीं था.
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की राजनीति में एंट्री और ख़ासकर जब वर्ष 2013 में जब उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया, उसके बाद पार्टी के अंदर की सलाह लेने की प्रक्रिया को उन्होंने पूरी तरह ख़त्म कर दिया. (bbc.com/hindi)
-दिलनवाज़ पाशा
'मुझे हाई कमान जो कहता है मैं वो करता हूं. मेरी पार्टी ने जब भी जो भी हुक्म दिया है मैंने एक अनुशासित सिपाही की तरह पूरा किया है.'
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या वो कांग्रेस के अध्यक्ष का पद स्वीकार करेंगे तो उन्होंने यही जवाब दिया.
अशोक गहलोत ने मंगलवार को दिल्ली में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाक़ात की. इस मुलाक़ात के बाद मीडिया रिपोर्टों में ये कहा गया कि सोनिया गांधी ने उनसे कांग्रेस का अध्यक्ष पद स्वीकार करने के लिए कहा है.
राजस्थान में पार्टी की आंतरिक राजनीति झेल रहे अशोक गहलोत के लिए ना सोनिया गांधी के आदेश पर इनकार करना आसान है और ना ही राजस्थान का मुख्यमंत्री पद छोड़ना.
राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद अध्यक्ष पद छोड़ दिया था. तब से ही कांग्रेस अध्यक्ष का पद खाली है और सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष हैं.
कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए होने वाले पार्टी के आंतरिक चुनाव कई बार आगे बढ़ चुके हैं. पार्टी ने 21 सितंबर की तारीख़ अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए निर्धारित की थी जिसे एक बार फिर बढ़ा दिया गया है.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अब अक्तूबर में दिवाली से पहले नया अध्यक्ष चुनने के लिए चुनाव हो सकते हैं.
कांग्रेस पार्टी के एक भरोसेमंद सूत्र के मुताबिक 'गांधी परिवार चाहता है कि अशोक गहलोत अध्यक्ष पद संभालें. ये संदेश उन्हें दे भी दिया गया है.'
राजस्थान कांग्रेस इस समय गुटबाज़ी का शिकार है और सचिन पायलट ने बार-बार अशोक गहलोत के नेतृत्व को चुनौती दी है.
राजस्थान की राजनीति पर नज़र रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार त्रिभुवन का मानना है कि अशोक गहलोत के लिए मुख्यमंत्री पद छोड़कर कांग्रेस का अध्यक्ष बनने का फ़ैसला करना आसान नहीं होगा.
त्रिभुवन कहते हैं, "कांग्रेस की राष्ट्रीय परिस्थिति को देखते हुए भले ही ये माना जा रहा हो कि वो अध्यक्ष पद के लिए एक बेहतर विकल्प हैं लेकिन यहां राजस्थान की राजनीति को नज़दीक से देखते हुए ये कहा जा सकता है कि अशोक गहलोत को ये घाटे का प्रस्ताव लगेगा. ऐसा लगता है कि अशोक गहलोत ख़ुश होकर और मन से इस पद को स्वीकार करना नहीं चाहेंगे."
तकनीकी रूप से भले ही अशोक गहलोत का मुख्यमंत्री पद से पार्टी के अध्यक्ष पद पर पहुंचना राजनीति में आगे बढ़ना हो लेकिन इसे अशोक गहलोत की राजनीतिक शिकस्त के रूप में भी पेश किया जा सकता है.
त्रिभुवन कहते हैं, "भले ही कांग्रेस अध्यक्ष का पद राज्य के मुख्यमंत्री पद से शक्तिशाली हो लेकिन अशोक गहलोत के सामने जो परिस्थितियां हैं वो विकट हैं. राजस्थान में कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में कड़वाहट घुली है. भले ही कांग्रेस अध्यक्ष पद कितना ही बड़ा क्यों ना हो लेकिन राजस्थान कांग्रेस में उनका विरोधी खेमा और मीडिया इसे उनके पराभव के रूप में पेश करेगा."
अशोक गहलोत को अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस दो संकटों का समाधान कर सकती है. एक तो लगभग तीन साल से खाली पार्टी अध्यक्ष पद पर नेहरू-गांधी परिवार के बाहर का कोई व्यक्ति बैठेगा और ऐसा करके कांग्रेस परिवारवाद के आरोपों का जवाब दे देगी और दूसरा राजस्थान में गहलोत और सचिन पायलट गुट के बीच चल रही अंदरूनी राजनीति का समाधान हो जाएगा. हालांकि विश्लेषक मानते हैं कि ये इतना आसान नहीं है जितना नज़र आ रहा है.
त्रिभुवन कहते हैं, "ये आसान विकल्प लगता है कि गहलोत को अध्यक्ष बनाकर दिल्ली भेज दिया जाए और राज्य की कमान सचिन पायलट को दे दी जाए. लेकिन राजनीति इतनी सीधी और आसान नहीं होती. अशोक गहलोत के लिए अपने विरोधी को मुख्यमंत्री का पद देकर दिल्ली जाना आसान नहीं होगा."
वहीं वरिष्ठ पत्रकार अर्चना शर्मा कहती हैं, "ये भी माना जा रहा है कि हाईकमान कांग्रेस के दोनों धड़ों को ख़त्म करने के लिए ही ये क़दम उठा रही है. ये भी संभावना व्यक्त की जा रही है कि अगर गहलोत दिल्ली में अध्यक्ष बनते हैं तो पायलट को एक साल के लिए मुख्यमंत्री बनाकर गुटबाज़ी ख़त्म की जा सकेगी और दोनों धड़े मिलकर अगला विधानसभा चुनाव लड़ सकेंगे."
अर्चना कहती हैं, "राजस्थान में हर पांच साल में सत्ता बदलती है. ऐसे में एक साल बाद जब चुनाव होंगे तो बीजेपी अधिक मज़बूत स्थिति में होगी. लेकिन अगर कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाज़ी ख़त्म हो जाती है तो पार्टी मज़बूत चुनौती ज़रूर पेश कर पाएगी."
दिसंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में जब कांग्रेस 99 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी तब कांग्रेस की तरफ़ से सचिन पायलट और अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री पद के लिए दावा ठोक दिया था.
कई दिन चली राजनीतिक रस्साक़शी के बाद अशोक गहलोत विजेता बनकर उभरे थो और सचिन पायलट को 'भविष्य में अच्छा होगा' के वादे के साथ संतोष करना पड़ा था. अब जब गहलोत दिल्ली की राह पर हैं तब सचिन पायलट खेमे में ज़बरदस्त उत्साह हैं.
अर्चना शर्मा कहती हैं, "पायलट कैंप में इस ख़बर के बाद से उत्साह है. कल पायलट कैंप के लोग ट्वीट कर रहे थे- राजस्थान मांगे पायलट. गहलोत के कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह के बेटे अनिरुद्ध सिंह ने पायलट के समर्थन में एक ताज की तस्वीर पोस्ट की थी. वो पायलट के इतने पक्के समर्थक हैं कि अपने पिता के ही ख़िलाफ़ हो गए हैं."
"राहुल गांधी ने जब से पायलट के सब्र की तारीफ़ की थी तब से ही कयास लगाए जाने लगे थे कि राजस्थान में कुछ ना कुछ होगा और अब गहलोत को लेकर ख़बर आने के बाद से पायलट समर्थक ज़बरदस्त उत्साह में है और ये माना जाने लगा है कि शायद पायलट को मुख्यमंत्री घोषित कर दिया जाए."
अशोक गहलोत को कांग्रेस के ओल्ड गार्ड (पुराने नेताओं) का अंतिम प्रतिनिधि कहा जा सकता है. उनके और नई पीढ़ी की ऊर्जावान नेता सचिन पायलट के बीच कड़वाहट किसी से छुपी नहीं है. विश्लेषक मानते हैं कि गहलोत के लिए सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद पर देखना आसान नहीं होगा.
त्रिभुवन कहते हैं, "अशोक गहलोत खेमे और सचिन पायलट खेमे के बीच रिश्ते बहुत कड़वे हो चुके हैं. अशोक गहलोत का विरोधी खेमा उन्हें दिल्ली भेजना चाहता है. ऐसा लग रहा है कि गहलोत दिल्ली जाना नहीं चाह रहे हैं और अगर जाना पड़ा भी तो वो अपने खेमे के हाथ में कमान सौंपकर जाना चाहते हैं."
त्रिभुवन कहते हैं, "सचिन पायलट और अशोक गहलोत ख़ेमों के बीच संतुलन साधकर पार्टी हाइकमान राजस्थान में बेहतर कर सकती है. राजस्थान में अब कॉंग्रेस के लिए पीढी का बदलाव समय की मांग है; क्योंकि भाजपा में यह बहुत सहजता से हो चुका है; लेकिन यह लोकतांत्रिक तरीके से हो तो इसमें गुटबाज़ी को कम किया जा सकता है. बेहतर विकल्प ये है कि ओल्ड गार्ड न्यू गार्ड को खुद दिल बड़ा करके ग्रूम करें और पार्टी को संजीवनी दें."
राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके अशोक गहलोत गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ काम कर चुके हैं. वो इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अब राहुल गांधी के क़रीबी हैं.
कांग्रेस के तीन प्रधानमंत्रियों- इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव की सरकारों में मंत्री रह चुके अशोक गहलोत ने तीन बार राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष का पद भी संभाला है.
पार्टी और गांधी परिवार के प्रति उनकी निष्ठा असंदिग्ध हैं. कांग्रेस के संकट के समय में वो कई बार रणनीतिकार और संकटमोचक बनकर उभरे हैं. अशोक गहलोत ने बार-बार पार्टी और गांधी परिवार के प्रित अपनी वफ़ादारी साबित की है.
त्रिभुवन कहते हैं, "अशोक गहलोत ने अभी तक की अपनी राजनीतिक यात्रा में बार-बार ये दर्शाया है कि वो अपने हितों के ऊपर पार्टी के हित रखते हैं. चाहें फिर वो इंदिरा गांधी का दौर रहा हो, राजीव गांधी का दौर रहा है या अब सोनिया गांधी का दौर हो. वो पार्टी और संगठन के प्रति हमेशा वफ़ादार रहे हैं. उन्होंने कभी भी ऐसा कुछ नही किया जिसे पार्टी गतिविधि के रूप में देखा जा सके."
त्रिभुवन कहते हैं, "राजस्थान कांग्रेस के कई नेताओं ने कई बार पार्टी की लाइन तोड़ी, अपनी जाति का साथ दिया और विपक्ष के साथ हाथ मिलाया. लेकिन अशोक गहलोत हमेशा निष्ठावान बने रहे."
कांग्रेस के संकटमोचक
गहलोत की छवि एक कुशल रणनीतिकार की हो. चाहें क्राइसिस मैनेजमेंट हो या चुनाव प्रबंधन, कांग्रेस हाईकमान ने हमेशा उन पर भरोसा किया है.
अगस्त 2017 का गुजरात में अहमद पटेल का राज्यसभा चुनाव हो या फिर कांग्रेस को जब भी विधायकों को सुरक्षित रखने की ज़रूरत हुई, भरोसा अशोक गहलोत पर ही किया गया.
पार्टी को जब महाराष्ट्र के विधायकों को एकजुट रखना था तब उन्हें पंजाब या छत्तीसगढ़ ना ले जाकर राजस्थान में गहलोत की निगरानी में लाया गया.
विश्लेषक मानते हैं कि अशोक गहलोत ने अपनी राजनीति के साथ-साथ कांग्रेस के हितों को हमेशा आगे रखा.
वरिष्ठ पत्रकार अर्चना शर्मा कहती हैं, "अशोक गहलोत के ख़िलाफ़ बड़ा राजनीतिक विद्रोह हुआ, कुछ मंत्री तितर-बितर भी हुए, लेकिन फिर भी उन्होंने परिस्थिति को साध लिया और अपनी सरकार को बचाए रखा. ये एक बहुत बड़ी चुनौती थी जिसे उन्होंने अपने रणनीतिक कौशल से संभाल लिया. गहलोत ने बार-बार ये साबित किया है कि वो ज़मीन से जुड़े राजनेता और सफल रणनीतिकार हैं."
अशोक गहलोत की एक सबसे बड़ी ख़ूबी ये भी है कि वो गांधी परिवार के हमेशा क़रीब रहे. कांग्रेस में बाग़ी नेताओं के एक गुट ने गांधी परिवार को चुनौती देने की कोशिश की. 23 नेताओं के इस गुट को जी-23 कहा गया. इसमें ग़ुलाम नबी आज़ाद, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी और शशि थरूर जैसे नेता शामिल हैं.
विश्लेषक मानते हैं कि गांधी परिवार को अध्यक्ष पद के लिए एक ऐसे व्यक्ति की ज़रूरत है जो ना सिर्फ़ पार्टी को नई दिशा दे बल्कि गांधी परिवार का भरोसा भी बनाए रखे.
अर्चना शर्मा कहती हैं, "अशोक गहलोत ने ना सिर्फ़ इंदिरा, राजीव और सोनिया के साथ काम किया है बल्कि वो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की स्वभाव को भी भलीभांति समझते हैं. वो अभी कांग्रेस के एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्होंने दिल और आत्मा दोनों से कांग्रेस को जिया है. ऐसे में इसमें कोई शक नहीं है कि वो अध्यक्ष पद को अच्छे से संभाल लेंगे."(bbc.com/hindi)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 27 अगस्त। आबकारी एवं उद्योग मंत्री कवासी लखमा को सीने में दर्द के बाद रायपुर के एक प्रायवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वे शुक्रवार को कोंडागांव में बस्तर विकास प्राधिकरण की बैठक के बाद राजधानी लौट रहे थे। फिलहाल उनका स्वागत सामान्य है।
सभी ने कौशल्या मन्दिर का किया दर्शन, छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का स्वाद लिया
रायपुर, 27 अगस्त। आज से शुरू हो रहे दो दिनी अखिल भारतीय महापौर परिषद के राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं आगरा के महापौर नवीन जैन सहित देश के 24 महापौर पहुंच चुके हैँ. महापौर एजाज ढेबर, सभापति प्रमोद दुबे, एमआईसी सदस्यों, पार्षदों ने स्वागत किया. वे सम्मेलन स्थल पर बगघी पर सवार होकर आये । उप नेता प्रतिपक्ष मनोज वर्मा ने कानपुर की महापौर श्रीमती प्रमिला पाण्डेय का रेल्वे स्टेशन पर आत्मीय स्वागत किया। सभी चन्द्रखुरी के सुप्रसिद्ध कौशल्या माता मन्दिर गये एवं दर्शन किया।वहाँ छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का स्वाद लिया एवं इसे सभी महापौर ने सराहा. मन्दिर की दिव्यता एवं भव्यता को सराहा। आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और रविवार को राज्यपाल अनुसूइया उईके विशेष रूप से उपस्थित रहेंगी.
मिजोरम से ऑनलाइन ठगी के दो आरोपी गिरफ्तार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 27 अगस्त। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम पर फर्जी वाट्सएप प्रोफाइल बनाकर अंबिकापुर के जिला जज से ठगी का प्रयास करने के दो आरोपियों को पुलिस ने आइजोल मिजोरम से गिरफ्तार किया है।
20 जुलाई को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरूप कुमार गोस्वामी की प्रोफाइल फोटो लगे वाट्सएप नंबर 6033151630 से अंबिकापुर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश राकेश बिहारी घोरे को मेसैज आया। इसमें चीफ जस्टिस की ओर से कहा गया कि व्यस्त रहने की वजह से अमेजॉन गिफ्ट कार्ड की व्यवस्था कर दे। इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट के प्रोटोकॉल अधिकारी संजीव सिन्हा ने चकरभाठा थाने में दर्ज कराई। हाईकोर्ट चीफ जस्टिस के नाम पर ठगी की कोशिश का मामला सामने आने के बाद जिले की पुलिस व साइबर सेल ने तत्काल तत्परता दिखाते हुए जांच शुरू की। साइबर यूनिट ने मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर, गूगल नोडल और वाट्सएप कंपनी से जानकारी हासिल की तो पता चला कि संबंधित व्यक्ति चार अलग-अलग फोन नंबर रखते हैं। सभी फोन नंबर के लोकेशन आइजोल मिजोरम में मिले। इधर जैसे ही उनके फोन नंबर की सर्चिंग शुरू हुई, पहले वाले नंबर को आरोपियों ने बंद कर दिया। मिजोरम में हिंदी व अंग्रेजी बोलने वाले कम होने के कारण पुलिस को जानकारी जुटाने में दिक्कत हुई तो उन्होंने स्थानीय पुलिस की मदद से आइजोल में स्थानीय स्तर पर मुखबिर तैयार किया और आरोपियों की खोजबीन शुरू की। चार दिन की रैकी के बाद पुलिस को आरोपी लाल हमिंग सांगा और जोथान मोविया का लोकेशन मिल गया। उन्हें आइजोल से हिरासत में लिया गया और अन्य चार सिम जब्त कर लिए गए। मिजोरम के मुख्य न्यायाधीश से आरोपियों को ट्रांजिट रिमांड पर लिया गया है। उन्हें बिल्हा के प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश किया जाएगा। आरोपियों के खिलाफ धारा 419, 420, 511 आईपीसी एवं 66 (सी), 66 (डी) व 84 आईटी एक्ट के तहत अपराध दर्ज किया गया है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 27 अगस्त। गुरुवार से लापता पांच साल की पायल का शव अरपा नदी के एनिकट में मिला है। सौतेले पिता ने उसे नदी में डुबोकर मार डाला था और शव बहा दिया था। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है।
तोरवा के पटेल मोहल्ले की रोजी मजदूरी करने वाली राधिका लहरे (33 वर्ष) ने गुरुवार की शाम थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसकी बेटी दोपहर के बाद से लापता है। पड़ोस में वह टीवी देखने के लिए गई थी, इसके बाद वह अपने पिता मन्नू लहरे के साथ निकली थी। उसका पिता भी गायब है। पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। इधर रिपोर्ट दर्ज होने के बाद राधिका का पति मन्नू भी घर पहुंच गया और पायल को ढूंढने का नाटक करने लगा। रातभर उसकी वे तलाश करते रहे। दूसरे दिन शुक्रवार को पुलिस को सूचना मिली कि मस्तूरी के पास कर्रा के एनिकट के किनारे एक छोटी बच्ची का शव मिला है। पुलिस ने उसे कब्जे में लिया और राधिका को उसकी फोटो दिखाई। राधिका फोटो देखकर बिलख पड़ी और बताया कि वह उसकी ही बेटी है। इसके बाद पुलिस ने जानकारी जुटाई तो पता चला कि राधिका ने कुछ साल पहले अपने पहले पति को छोड़कर मन्नू से शादी की थी। पहले पति से उसका एक बेटा व बेटी है। बेटी पायल को मन्नू पसंद नहीं करता था और उसके साथ आए दिन मारपीट करता था। पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर कड़ाई से पूछताछ की तो उसने अपराध स्वीकार कर लिया। उसने बताया कि वह पायल को पसंद नहीं करता था। काफी दिनों से उसकी हत्या का मौका तलाश कर रहा था। गुरुवार की दोपहर में जब वह टीवी देख रही थी तो नहाने के नाम पर उसे वह अरपा नदी की ओर ले गया और वहां पानी में डुबाकर उसकी हत्या कर दी। उसके बाद शव को नदी में ही बहा दिया। इसके बाद दिनभर इधर-उधर घूमता रहा और शाम को घर लौटकर बाकी लोगों के साथ बच्ची को तलाश करने का नाटक करने लगा।
पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 27 अगस्त। रतनपुर इलाके में चीतल का शिकार कर मांस की बिक्री करने का मामला सामने आया है। घटना में शामिल दोनों शिकारी फरार हैं। मांस खरीदने वाले तीन लोगों में से भी दो फरार हैं, जबकि एक को गिरफ्तार किया गया है।
रतनपुर में भैंसाझार के पास वन विकास निगम की रोपणी हैं, जहां चीतल विचरण करते हैं। शुक्रवार को वव विभाग को सूचना मिली कि ग्राम मेंड्रापारा में चीतल का शिकार कर उसके मांस की कुछ लोग बिक्री कर रहे हैं। टीम वहां डॉग स्क्वाड लेकर पहुंची। इसकी पहले से शिकारियों को भनक लग गई। मांस को उन्होंने बोरी में बांधकर एक सूने मकान में छिपा दिया और भाग खड़े हुए। डॉग स्क्वाड ने मांस को सूंघने के बाद गांव के श्याम लाल को पकड़ा। उसे हिरासत में लेकर वन कर्मियों ने पूछताछ की तो बताया कि उसके अलावा दुर्गेश व रोहित ने भी मांस खरीदा है। दोनों की तलाश की तो वे भी अपने घरों से फरार हो गए थे। पुलिस ने मांस को जब्त कर जांच के लिए लैब भेजा है। श्यामलाल को वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर बाकी आरोपियों की तलाश की जा रही है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 27 अगस्त। सीएमएचओ डॉ. प्रमोद महाजन की दुबारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. मनिंदर कौर द्विवेदी सहित अन्य अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी किया है।
उल्लेखनीय है कि 24 जून को स्वास्थ्य विभाग ने एक आदेश जारी कर बिलासपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रमोद महाजन की जगह पर रतनपुर के बीएमओ डॉ. अनिल श्रीवास्तव को पदस्थ किया था। इसमें कहा गया था कि डॉ. श्रीवास्तव के प्रभार ग्रहण करने पर डॉ. महाजन अपने पद से मुक्त होंगे। इस आदेश के खिलाफ डॉ. महाजन हाईकोर्ट गए थे। उन्होंने कहा था कि उनकी पदस्थापना मुख्यमंत्री के अनुमोदन से 27 मई 2019 को हुई थी। 24 जून 2022 के आदेश में यह नहीं बताया गया है कि उनकी पोस्टिंग कहां की गई है। हाईकोर्ट ने डॉ. महाजन को अंतरिम राहत प्रदान करते हुए कहा कि यदि 24 जून के आदेश का पालन नहीं हुआ है तो डॉ. महाजन अपने पद पर बने रहेंगे। इस दौरान 24 जून से 29 जून तक अवकाश पर थे। उन्होंने 29 जून को वापस लौटकर सीएमएचओ के पद पर वापस आकर काम किया। उन्होंने डॉ. श्रीवास्तव को प्रभार नहीं दिया था। इधर हाईकोर्ट में प्रकरण लंबित रहने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने 24 जून के आदेश को संशोधित करते हुए 26 जुलाई को एक नया आदेश निकाल दिया। इसमें कहा गया कि डॉ. श्रीवास्तव सीएमएचओ के प्रभार पर रहेंगे जबकि डॉ. महाजन संयुक्त संचालक बिलासपुर के पद पर कार्य करेंगे। इस आदेश के खिलाफ डॉ. महाजन ने याचिका दायर कर अपने अधिवक्ता के माध्यम से बताया कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के फैसलों में कहा गया है कि कोर्ट में याचिका लंबित होने के दौरान संशोधित आदेश जारी नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव व अवर सचिव को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
अंबिकापुर, 27 अगस्त। सरगुजा जिले में शराब के आदी पति की क्रूरता का मामला सामने आया है। पत्नी से विवाद के बाद उसने उसके साथ मारपीट की और हंसिये से वार कर आंख निकाल दी। यही नहीं उसने आंख को आग के हवाले भी कर दिया। पत्नी ने अस्पताल में इलाज कराने के बाद घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई। आरोपी पति की पुलिस तलाश कर रही है।
लुंड्रा तहसील के डड़गांव की मानमति (29 वर्ष) का उदयपुर ब्लॉक के केसगवां के देवप्रसाद गोंड (34 वर्ष) के साथ कुछ साल पहले हुआ था। शादी के बाद वह आये दिन अपनी पत्नी से शराब के नशे में विवाद और मारपीट करता था। बीते 14 अगस्त को पत्नी के मायके जाने के विवाद में उसने शराब के नशे में मारपीट की और हंसिये से हमला कर दिया। उसने महिला की आंख फोड़ दी और उसे आग में झोक दिया।
घटना की जानकारी मिलते ही मानमति की सास और देवर वहां पहुंचे। उन्होंने डायल 112 को फोन किया। घायल मानमति को उदयपुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। बीते 12 दिन से उसका अस्पताल कराया है। हालत में सुधार होने के बाद उसने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस आरोपी पति की तलाश कर रही है, जो अब तक फरार है। उसके विरुद्ध हत्या के प्रयास का अपराध दर्ज किया गया है।
इंडसइंड बैंक का एटीएम तोड़ कर रकम साफ करने की फिराक में बैठा था
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 26 अगस्त। टिकरापारा के मोती नगर स्थित इण्डसइण्ड बैंक के ए.टी.एम. बूथ में मशीन तोड़ कर चोरी का प्रयास कर रहे अंशु उर्फ अंशुल दुबे को मौके से गिरफ्तार किया गया।
गुरुवार, शुक्रवार की दरम्यानी रात टिकरापारा पुलिस की रात्रि गश्त टीम को इसकी सूचना मिली थी। इस पर टीम मोती नगर पेट्रोल पम्प पास स्थित इण्डसइण्ड बैंक के ए.टी.एम. बूथ पहुंचकर देखने पर मशीन में तोड़फोड़ नजर आई। और वहां कोई भी नहीं था। टीम के सदस्यों आस-पास पतासाजी शुरू की। इस दौरान एक व्यक्ति घने झाड़ियों में छिप कर बैठा मिला जिसे पकड़ा गया। पूछताछ में उसने अपना नाम अंशु उर्फ अंशुल दुबे निवासी टिकरापारा होना बताया। उसने अपने पास रखे चाकू से एटीएम मशीन में तोड़फोड़ कर रकम निकालने का प्रयास करना स्वीकार किया। आरोपी अंशु उर्फ अंशुल दुबे को गिरफ्तार कर कब्जे से बटनदार चाकू जप्त कर धारा 457, 380, 427, 51103 लोक सम्पत्ति का नुकसानी का निवारण अधिनियम एवं 25, 27 आम्र्स एक्ट का अपराध पंजीबद्ध किया गया।
इससे पहले अंशुल पूर्व में थाना टिकरापारा में दर्ज धारा 307 भादवि. के मामले में जेल जा चुका है तथा वह 01 माह पूर्व ही बाहर आया था।