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कांग्रेस के राज्यसभा सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने ग़ुलाम नबी आज़ाद के इस्तीफ़े पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि राहुल गांधी पर हमला उचित नहीं है.
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में उन्होंने कहा- आप उस परिवार के हर व्यक्ति को निजी तौर पर जानते हैं. सोनिया गांधी ने हमेशा आपसे सलाह ली है. आप कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक और कोर कमेटी की बैठक का हिस्सा रहे हैं.
ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा देते हुए सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी. उन्होंने उस पत्र में ख़ास तौर पर राहुल गांधी की कार्यप्रणाली की काफ़ी आलोचना की थी.
उन्होंने यहाँ तक कहा था कि राहुल गांधी ने कांग्रेस में फ़ैसला लेने वाली प्रक्रिया को समाप्त कर दिया. ग़ुलाम नबी आज़ाद ने ये भी कहा कि पार्टी में वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर दिया गया और कम अनुभवी और चाटुकारों को प्राथमिकता दी जाने लगी.
अपनी प्रतिक्रिया में मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- जब कांग्रेस मुश्किल में है, अल्पसंख्यकों, दलितों, पत्रकारों और लोकतंत्र की बात करने वाले लोगों पर हमला किया जा रहा है, हमें मिल-जुलकर बीजेपी और आरएएस से लड़ना है. अगर आप इस लड़ाई से भाग जाओगे, तो आप पार्टी को धोखा दे रहे हैं. आप मोदी जी की ओर से बनाए गए डर के माहौल में भाग रहे हैं.
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वे ख़ुद फ़ैसला लेते थे और हर चीज़ का हिस्सा होते थे, ऐसे में ये कहना कि पार्टी अच्छी नहीं चल रही है, सही नहीं है. उन्होंने कहा- वे आरएसएस के ख़िलाफ़ हमारी लड़ाई का हिस्सा नहीं हैं. ये उनका नुक़सान है. मैं दुखी हूँ. उन्हें अपने फ़ैसले पर फिर से विचार करना चाहिए. (bbc.com/hindi)
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ग़ुलाम नबी आज़ाद के इस्तीफे़ को लेकर राहुल गांधी पर निशाना साधा है.
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस में सभी जानते हैं कि राहुल गांधी अपरिपक्व हैं. सोनिया गांधी पार्टी को नहीं चला पा रही हैं, वे सिर्फ़ अपने बेटे को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही हैं. इसकी वजह से पार्टी के प्रति वफादार लोग छोड़कर जा रहे हैं.
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि एक समय आएगा जब कांग्रेस पार्टी में सिर्फ़ गांधी परिवार के लोग ही बचेंगे और वो अब हो रहा है.
उन्होंने राहुल गांधी को बीजेपी के लिए वरदान बताया है.
ग़ुलाम नबी आज़ाद का इस्तीफ़ा
आज ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है. अपने पाँच पन्नों के इस्तीफ़ा पत्र में ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कांग्रेस के साथ अपने लंबे संबंधों का ज़िक्र किया है, साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से अपने रिश्तों को भी याद किया है.
आज़ाद ने पत्र में लिखा है कि कांग्रेस पार्टी में ऐसी स्थिति पैदा हो गई है, जहाँ से वापस लौटना मुश्किल है.
राहुल गांधी का ज़िक्र करते हुए ग़ुलाम नबी आज़ाद ने लिखा है कि कांग्रेस पार्टी की ये हालत इसलिए हुई है क्योंकि पिछले आठ वर्षों से नेतृत्व ने एक ऐसे व्यक्ति को आगे किया, जो कभी गंभीर ही नहीं था.
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की राजनीति में एंट्री और ख़ासकर जब वर्ष 2013 में जब उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया, उसके बाद पार्टी के अंदर की सलाह लेने की प्रक्रिया को उन्होंने पूरी तरह ख़त्म कर दिया. (bbc.com/hindi)
गुलाम नबी के इस्तीफे पर रार
रायपुर, 26 अगस्त। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के पार्टी से इस्तीफा देने के बाद दिल्ली की तरह रायपुर में भी सियासती रार तेज हो गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट कर आजाद के इस्तीफे पर निशाना साधा है तो वहीं सांसद सुनील सोनी और भाजपा प्रवक्ता राजेश मूणत ने कहा कि कांग्रेस में नेता घुटन महसूस कर रहे हैं।
सीएम बघेल ने अपने ट्वीट में आजाद को कोट-अनकोट करते हुए कहा कि कांग्रेस में तो सब ‘आजाद’ ही होते हैं. अपने विचारों से, अपने तरीकों, अपने सुझावों से. सभी ‘आजाद’ होते हुए, हर महत्वपूर्ण बैठक और हर महत्वपूर्ण निर्णय का हिस्सा होते हैं. पार्टी अगर संघर्ष के दौर से गुजरे तो सड़क पर झंडा और पर्चे लेकर निकलने से कौन रोकता है? बाकि जो है सो है..।
सांसद सुनील सोनी ने सीएम बघेल को जवाब दिया है कांग्रेस से गुलाम नबी आजाद हो गए क्योंकि मौजूदा कांग्रेस में सोनिया राहुल-प्रियंका के सलाहकार ही आबाद होते हैं। कांग्रेस एक निजी स्वामित्व वाली कंपनी में तब्दील हो गई है। इसके मालिक के वफादार ही सूबेदार से लेकर ओहदेदार बने हुए हैं। देश, जनता और पार्टी के लिए सोचने वालों के लिए कांग्रेस में कोई स्थान नहीं है।
पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने कहा कि यह कांग्रेस पार्टी के लिए चिंता का विषय है। कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा और उसके बाद गुलाम नबी आजाद आज कांग्रेस पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। यह इस बात को इंगित करते हैं कि वह सब कांग्रेस पार्टी में घुटन महसूस कर रहे थे. जिस सिद्धांत और विचारों के साथ कांग्रेस पार्टी चलती थी उन विचारों को त्याग करके व्यक्ति विशेष पर आधारित यह कांग्रेस पार्टी हो गई है.यह कांग्रेस के लिए सोचने का प्रश्न है. कहीं ना कहीं उनके मन में जो उनका योगदान है जो पार्टी के लिए 40 साल से पार्टी में काम कर रहे हैं. ऐसे नेता अगर पार्टी से पलायन कर रहे हैं तो आत्म चिंतन कांग्रेस पार्टी के नेताओं को करना चाहिए कि आखिर में या नेता क्यों पार्टी छोड़कर जा रहे हैं.
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 26 अगस्त। राज्य सरकार ने चुनावी वर्ष 2023-24 के लिए वार्षिक बजट की तैयारी शुरू कर दी है। संचालक बजट शारदा वर्मा ने आज सभी सचिवों और संचालकों को पत्र और टाइम टेबल जारी कर दिया है।
श्रीमती वर्मा ने 7 सितंबर से विभागवार राजस्व प्राप्तियों की जानकारी मांगी है। उसके बाद 5 दिसंबर से वित्त सचिव,नये प्रस्ताव पर विभागीय एसीएस, प्रमुख सचिव और सचिवों से चर्चा कर अंतिम रूप देंगी। फिर 5 जनवरी से वित्त एवं सीएम बघेल मंत्रिस्तरीय चर्चा कर फायनल बजट तैयार करेंगे। अगले वर्ष चुनाव होने हैं इसे देखते हुए बजट लोकलुभावन घोषणाओं वाला होगा।
विस्तृत बजट कार्यक्रम देखें--
रायपुर, 26 अगस्त। सीएम हाउस में कल पोला और 30 तारीख को तीजा पर्व को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। पूरे हाउस को एक गांव का रूप दिया जा रहा है। सीएम बघेल ने इस बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को आमंत्रित किया है।
-कीर्ति दुबे
मीरवायज़ उमर फ़ारूक़ को श्रीनगर की जामा मस्जिद में नमाज़ पढ़ाने की इजाज़त नहीं दी गई. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि 26 अगस्त यानी शुक्रवार को मीरवायज़ उमर फ़ारूक़ तीन साल बाद एक बार फिर जुमे की नमाज़ पढ़ा सकते हैं.
लेकिन शुक्रवार को प्रशासन की ओर से उन्हें घर से निकलने की इजाज़त नहीं दी गई.
उमर फ़ारूक़ कश्मीर के प्रमुख अलगाववादी नेताओं में से एक हैं. इसके अलावा वो मीरवायज़ भी हैं जिसके कारण वो कश्मीर घाटी में एक प्रमुख धार्मिक नेता की भी हैसियत रखते हैं.
मीरवायज़ उमर फ़ारूक़ अलगाववादी विचार रखने वाले 26 संगठनों के समूह ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष हैं.
भारतीय संविधान के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और 35A के हटाए जाने के ठीक एक दिन पहले यानी चार अगस्त, 2019 को मीरवायज़ उमर फ़ारूक़ को भारत सरकार ने एहतियातन नज़रबंद किया था. और वो तभी से नज़रबंद हैं.
बीते शुक्रवार को बीबीसी ने जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा से एक इंटरव्यू के दौरान यह सवाल किया था कि आख़िर मीरवायज़ उमर फ़ारूक़ अब तक नज़रबंद क्यों हैं?
इसके जवाब में उप-राज्यपाल सिन्हा ने कहा था, ''उन्हें बंद नहीं रखा गया है. अगर आप थोड़ा पीछे जाएंगे तो आपको मालूम होगा कि उनके पिता जी की दुर्भाग्यपूर्ण तरीक़े से हत्या कर दी गई थी. उनके अग़ल-बग़ल हम पुलिस को रखते हैं ताकि वह सुरक्षित रहें, हमारी ओर से ना वो नज़रबंद हैं और ना ही बंद हैं."
मनोज सिन्हा ने अपनी बातों को ज़ोर देकर कहा था, "मैं बड़ी ज़िम्मेदारी के साथ यह बात कह रहा हूं कि वह कहीं भी आने-जाने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र हैं. उन्हें कहीं नहीं रोका गया है."
हालांकि, जब बीबीसी की एक टीम बीते शुक्रवार को मीरवायज़ से मिलने उनके आवास पर पहुंची तो ना सिर्फ़ बीबीसी संवादताता को मुलाक़ात करने से रोका गया बल्कि पुलिस की ओर से कैमरापर्सन को कुछ रिकॉर्ड करने से भी जबरन रोका गया.
अब गुरुवार को श्रीनगर की जामा मस्जिद के एक संगठन अंजुमन-ए-औक़ाफ़-ए-जामा मस्जिद ने एक बयान जारी कर कहा है कि "एक विदेशी चैनल (बीबीसी) को दिए गए इंटरव्यू में उप-राज्यपाल ने कहा कि मीरवायज़ उमर फ़ारूक़ पर किसी भी तरह की पाबंदी नहीं है. उम्मीद है कि अध्यक्ष मीरवायज़ मोहम्मद उमर फ़ारूक़ को कल यानी शुक्रवार को जामा मस्जिद में जुमे की नमाज़ पढ़ाने की इजाज़त मिलेगी."
इस बयान में आगे कहा गया है, "साल 2019 से मीरवायज़ नज़रबंद हैं और इस कारण जामा मस्जिद के अनुयायी शांत पड़ गए हैं. तमाम वर्ग के लोगों की लगातार अपील के बावजूद उन्हें उनके घर पर ही नज़रबंद रखा गया है. कल जामा मस्जिद में मीरवायज़ के जुमे की नमाज़ पढ़ाने और तक़रीर देने की तैयारी की जा चुकी है और लोग उन्हें (मीरवायज़ उमर फ़ारूक़) देखने और सुनने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं."
एक विश्वस्त सूत्र ने बीबीसी को बताया है कि सरकार की ओर से मीरवायज़ या अंजुमन-ए-औक़ाफ़-ए-जामा मस्जिद को अभी तक किसी भी तरह की कोई आधिकारिक इजाज़त लेफ़्टिनेंट गवर्नर प्रशासन की ओर से नहीं दी गई हैं. हालांकि, उनके आवास के सामने फ़ौज की जो बख़्तरबंद गाड़ी तैनात की गई थी उसे अब थोड़ी दूर तैनात किया गया है.
एलजी प्रशासन की तरफ़ से भी अभी तक इस बारे में कोई बयान नहीं आया है.
एलजी का दावा और बीबीसी की पड़ताल
बीते सप्ताह बीबीसी को दिए गए इंटरव्यू में उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा था...
"मैं बड़ी ज़िम्मेदारी के साथ ये बात कह रहा हूं कि वह कहीं भी आने-जाने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र हैं. उन्हें कहीं नहीं रोका गया है. यहां कुछ वक़्त पहले ऐसी दो हत्याएं हुईं जो पाकिस्तान ने कराई लेकिन आईएसआई ने कहा कि भारत सरकार ने कराई, ऐसा कुछ ना हो इसलिए हमने सुरक्षा लगाई है और ये सुरक्षा उनके घर के बाहर नहीं है बल्कि उस इलाक़े में है ताकि वह जब घर के बाहर कहीं जाएं तो उनके पास सुरक्षा रहे."
शनिवार को जब बीबीसी की टीम मीरवायज़ उमर फ़ारूक़ से मुलाक़ात करने के लिए पहुंची तो बीबीसी संवाददाता को गेट पर ही पुलिस ने रोक दिया. इसके बाद यहां के डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ़ पुलिस ने बीबीसी संवाददाता से कहा कि "मीरवायज़ नज़रबंद नहीं हैं लेकिन आप अभी अंदर नहीं जा सकतीं, सवाल पूछने पर वो कहते हैं आप आईजी से इजाज़त ले लें तो हम आपको जाने देंगे."
इस बीच मीरवायज़ उमर फ़ारूक़ अपने गेट के भीतर से एक छोटी सी खिड़की पर आए और बीबीसी से बात करने की कोशिश की जिसे बीबीसी को रिकॉर्ड नहीं करने दिया गया.
बीबीसी के कैमरापर्सन का कैमरा पुलिस ने जबरन बंद करवाया और जब बीबीसी संवाददाता ने अपने फ़ोन में रिकॉर्डिंग करनी चाही तो उनका फ़ोन पुलिस ने छीन लिया.
मीरवायज़ ने बीबीसी से कहा, "जो हालात आप देख रही हैं, यही हक़ीक़त है. अगर मैं आज़ाद हूं तो मुझे आपसे मिलने क्यों नहीं दिया जा रहा. मैं किसी से नहीं मिल सकता, अपने परिवार को छोड़कर. आपने हिम्मत की और क्योंकि आप कश्मीरी नहीं हैं तो आप यहां खड़े होकर सवाल पूछ पा रही हैं. आप देखिए आपके ही कैमरापर्सन जो कश्मीरी हैं उन्हें कैसे आगे बढ़ने से रोके रखा है. मैं चाहता हूं कि दुनिया देखे कि कैसे उप-राज्यपाल जिस बात को पूरी ज़िम्मेदारी के साथ कह रहे हैं. उसकी सच्चाई क्या है, वो झूठ है."
मीरवायज़ के परिवार के लोग श्रीनगर की जामा मस्जिद में एक ज़माने से जुमे की नमाज़ पढ़ाते रहे हैं. उमर फ़ारूक़ के पिता की हत्या के बाद उमर फ़ारूक़ मीरवायज़ बने और उसके बाद से जुमे की नमाज़ वो पढ़ाते रहे हैं.
लेकिन चार अगस्त, 2019 से वो नज़रबंद हैं और अब अगर तीन साल बाद इस शुक्रवार को वो एक बार फिर से जुमे की नमाज़ पढ़ाते हैं तो यह एक अहम घटना होगी. (bbc.com/hindi)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 26 अगस्त। राज्य प्रशासनिक सेवा के 18 अफसरों के तबादले किए गए हैं। इस आशय के आदेश जारी कर दिया गया है। आदेश इस प्रकार है-
कोलकाता, 26 अगस्त। पश्चिम बंगाल में प्राथमिक विद्यालय शिक्षक भर्ती में कथित अनियमितताओं की जांच के सिलसिले में विधायक माणिक भट्टाचार्य के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा लुकआउट नोटिस जारी किए जाने के एक दिन बाद तृणमूल नेता ने शुक्रवार को कहा कि वह शहर में अपने आवास में हैं और जांच एजेंसी के साथ सहयोग कर रहे हैं।
राज्य प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष भट्टाचार्य ने कहा कि लुकआउट नोटिस उन्हें ‘‘बदनाम करने की कोाशिश’’ है।
उन्होंने एक बांग्ला समाचार चैनल से कहा, ‘‘मैं न तो बच कर भागा हूं और न ही कहीं गया हूं। मैं यादवपुर में अपने आवास में हूं। मैं नहीं जानता कि मेरे खिलाफ लुकआउट नोटिस क्यों जारी किया गया। मैंने जांच को लेकर सीबीआई के साथ हमेशा सहयोग किया है और मैं भविष्य में भी ऐसा ही करता रहूंगा।’’
भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि मुझे बदनाम करने के लिए लुकआउट नोटिस जारी किया गया। मुझे नहीं पता कि संशय की यह स्थिति क्यों पैदा की जा रही है।’’
सीबीआई ने एक अधिकारी ने बताया था कि जांच एजेंसी ने भट्टाचार्य के अपने आवास पर नहीं मिलने के बाद बृहस्पतिवार को उनके विरुद्ध लुकआउट नोटिस जारी किया था।
नादिया जिले के पलाशीपाड़ा के विधायक भट्टाचार्य से पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूछताछ की थी। ईडी इस मामले में इस बात का पता लगा रहा है कि धन किन-किन हाथों/ रास्तों से गुजरा है।
एजेंसी ने इन अनियमितताओं के सिलसिले में इस माह के प्रारंभ में स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के पूर्व सलाहकार डॉ. शांति प्रसाद सिन्हा और उनके पूर्व सचिव अशोक कुमार साहा को गिरफ्तार किया था।
प्रवर्तन निदेशालय ने जुलाई में इस घोटाले में पैसों के लेन-देन का पता लगाने के लिए पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को गिरफ्तार किया था।
सीबीआई ने इस घोटाले की जांच के सिलसिले में बुधवार को सिलीगुड़ी में उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के कुलपति सुवीरेश भट्टाचार्य के कार्यालय भी पर छापा मारा था। (भाषा)
(दीपक रंजन)
नयी दिल्ली, 26 अगस्त। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा है कि हमने वर्ष 2024 में संगठन की स्थापना के 60वें वर्ष में इसका कार्य विस्तार एक लाख गांवों तक करने और हितचिंतकों की संख्या एक करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
ज्ञात हो कि विश्व हिंदू परिषद की स्थापना 29 अगस्त 1964 को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन हुई थी।
आलोक कुमार ने ‘‘भाषा’’ से साक्षात्कार में कहा, ‘‘ परिषद अपने विस्तार के लिये ‘ समरसता, परिवार प्रबोधन तथा मठ-मंदिरों के सामाजिक दायित्व’ के तीन सूत्री मंत्र पर काम करेगी। ’’
उन्होंने कहा कि वर्ष 2024 में विश्व हिंदू परिषद का षष्ठिपूर्ति वर्ष (60वां) मनाया जायेगा, ऐसे में हमने संगठन का कार्य विस्तार एक लाख गांवों तक करने और हितचिंतकों की संख्या एक करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।’ गौरतलब है कि वर्तमान में परिषद की 60 हजार शाखाएं हैं और करीब 70 लाख हितचिंतक हैं। विहिप ने षष्ठिपूर्ति वर्ष में संगठन का विस्तार करने का खाका तैयार किया है। यह संयोग ही है कि वर्ष 2024 में अगला आम चुनाव होगा ।
कुमार ने कहा कि समरसता पर ध्यान केंद्रित करते हुए संगठन अनुसूचित जाति समाज से भेदभाव एवं पिछड़ापन दूर करने के लिये काम करेगा ।
उन्होंने परिवार प्रबोधन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हिन्दू समाज में नयी पीढ़ी में बहुत से लोग केवल अपने माता-पिता के धर्म के कारण हिन्दू हैं, हमें इस नयी पीढ़ी का प्रबोधन करना है।
उन्होंने कहा, ‘‘तीन, चार या दस पीढ़ी पहले जो हिन्दू समाज से बिछड़ गए, उन्हें भी यह बताना है कि वे परंपरा, रक्त, डीएनए के तहत एक ही हैं, ऐसे में वे लौट कर अपने समाज में आ जाएं।’’ विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष ने कहा कि हमारे मठ-मंदिर हिन्दू समाज की जागृति के केंद्र रहे हैं, ऐसे में हमारा प्रयास होगा कि ये मठ-मंदिर हमारे सामाजिक जीवन के केंद्र बने।
उन्होंने कहा कि मठ मंदिरों को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के कार्यो को अपने हाथों में लेना चाहिए । कुमार ने कहा कि यह देखना तकलीफदेह है कि कुछ स्थानों पर पंडे और पुजारी मंत्रों का शुद्ध उच्चारण नहीं कर पाते हैं, ऐसे में हम उनकी उचित शिक्षा की भी व्यवस्था करेंगे ।
देश में घटित धार्मिक विवाद की हाल की कुछ घटनाओं के संदर्भ में उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज सभी के साथ मिलकर रहना चाहता है लेकिन अनावश्यक रूप से चुनौती देने वालों का मुकाबला करने की भी हिम्मत रखता है।
कुमार ने कहा, ‘‘ मैं समझता हूं कि भारत में कट्टरपंथ का मुकाबला करने की शक्ति बनी है। सरकार एवं समाज ने भी इसका उत्तर दिया है।’’ विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष ने दोहराया कि अगर कोई सड़क पर उतर कर हिंसा करेगा, तो हिन्दू समाज भी उसका मुकाबला करेगा ।
कुमार का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से निलंबित कर दिए गए विधायक टी राजा सिंह द्वारा इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के बारे में कथित टिप्पणी को लेकर हैदराबाद के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुआ है । राजा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले नुपुर शर्मा की पैगम्बर के खिलाफ की गई टिप्पणी पर भी देश के कई इलाकों में भारी विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था । (भाषा)
जयपुर, 26 अगस्त। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के कपासन थाना क्षेत्र में बृहस्पतिवार की रात को जयपुर की सीआईडी (सीबी) ने स्थानीय पुलिस की सहायता से विशाखापट्टनम से ट्रक कंटेनर में तस्करी कर लाया जा रहा 1205 किलो गांजा बरामद करते हुए तीन लोगों को गिरफ्तार किया है ।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्लास्टिक की 364 थैलियों में भरकर लाये गये गांजे (मादक पदार्थ) को तस्कर राजस्थान के भीलवाड़ा जिले और हरियाणा के स्थानीय तस्करों को इसकी आपूर्ति करने वाले थे।
उन्होंने बताया कि जब्त किये गए गांजे की कीमत करीब तीन करोड़ रुपए आंकी गई है। डाक पार्सल लिखे कंटेनर से अवैध मादक पदार्थ की तस्करी की जा रही थी।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (अपराध) डॉ रवि प्रकाश मेहरड़ा ने बताया कि इस संबंध में आरोपी राजू पुरी गोस्वामी, जितेंद्र पुरोहित व प्रह्लादराय सोनी को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया कि इनकी हर गतिविधियों पर सीआईडी सीबी की टीम पिछले दो-तीन महीनों से नजर रख रही थी।
उन्होंने बताया कि तीनों अभियुक्तों को हिरासत में लेकर कंटेनर को थाना परिसर लाया गया जहां तलाशी ली गई, आरोपियों के पास तीन कीपैड मोबाइल, दो एंड्राइड मोबाइल कुल 900 रुपये एवं कंटेनर में प्लास्टिक की वेस्ट बोतलों के बीच और आगे की तरफ छुपा कर 364 प्लास्टिक की थैलियों में भरा 1205 किलो 600 ग्राम गांजा मय बारदाना पाया गया जिसे जब्त कर लिया गया है।
पुलिस उपमहानिरीक्षक राहुल प्रकाश ने बताया कि उड़ीसा तथा आंध्र प्रदेश की सीमाओं के पास नक्सलियों के प्रभाव वाले दुर्गम क्षेत्रों में गांजे की अवैध खेती की जाती है और वहां से इस नशीले पदार्थ को तस्करी के जरिये देश भर पहुंचाया जाता है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 26 अगस्त। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उस याचिका पर केंद्र सरकार का रुख जानना चाहा, जिसमें संविधान के उद्देश्यों के अनुरूप सभी आदेश, सूचनाओं और पत्राचार में ‘केंद्र सरकार’ शब्द को ‘संघ’ या ‘संघ सरकार’ से बदलने की अपील की गई है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश हो रहे वकील को एक 84-वर्षीय व्यक्ति द्वारा दायर याचिका में उठाए गए मुद्दे पर सरकार से निर्देश हासिल करने को कहा।
कोलकाता निवासी आत्माराम सरावगी ने याचिका में कहा कि 'संघ सरकार' शब्द का संघ और सभी राज्यों के बीच संबंधों पर एक एकीकृत प्रभाव पड़ता है और यह इस धारणा को गलत साबित करने की दिशा में लंबा रास्ता तय करेगा कि संघ में सत्ता का केंद्रीकरण है।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन पेश हुए, जिन्होंने सामान्य उपबंध अधिनियम, 1897 की धारा 3(8)बी के तहत परिभाषित ‘सेंट्रल गवर्नमेंट’ की परिभाषा को संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध बताते हुए उसे निरस्त करने की मांग की है।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि उन्होंने इस संबंध में उचित कार्रवाई के लिए कानूनी मामलों के विभाग को एक अभ्यावेदन दिया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने के बाद, उन्होंने शीर्ष अदालत में जनहित याचिका दायर की है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 26 अगस्त। कांग्रेस ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता सहित सभी पदों से गुलाम नबी आजाद के इस्तीफा देने को ‘दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद’ करार दिया लेकिन साथ ही आरोप लगाया कि आजाद ने पार्टी को धोखा दिया और उनका रिमोट कंट्रोल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने शुक्रवार को आजाद पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि ‘जीएनए’ (गुलाम नबी आजाद) का डीएनए ‘मोदी-मय’ हो गया है।
उन्होंने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री ने ऐसे समय पर यह कदम उठाया जब कांग्रेस महंगाई, बेरोजगारी और ध्रुवीकरण के खिलाफ लड़ रही है तथा त्यागपत्र में कही गई बातें तथ्यपरक नहीं हैं, इसका समय भी ठीक नहीं है।
रमेश ने कहा, ‘‘जिस व्यक्ति को कांग्रेस नेतृत्व ने सबसे ज़्यादा सम्मान दिया, उसी व्यक्ति ने कांग्रेस नेतृत्व पर व्यक्तिगत आक्रमण करके अपने असली चरित्र को दर्शाया है। पहले संसद में मोदी के आंसू, फिर पद्म विभूषण, फिर मकान का एक्सटेंशन…यह संयोग नहीं, सहयोग है !’’
पार्टी सूत्रों का यह भी कहना है कि गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी से ‘निजी खुन्नस’ और राज्यसभा में न भेजे जाने के कारण त्यागपत्र में ‘अनर्गल बातें’ की हैं।
कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा, ‘‘गुलाम नबी आजाद और इन जैसे लोगों को समझ लेना चाहिए कि पार्टी के कार्यकर्ता क्या चाहते हैं... यह सज्जन पांच पृष्ठों के पत्र में डेढ़ पृष्ठ तक यह लिखते हैं कि वह किन-किन पदों पर रहे और फिर लिखते हैं कि उन्होंने नि:स्वार्थ सेवा की।’’
उन्होंने दावा किया कि राज्यसभा न भेजे जाने के कारण आजाद तड़पने लगे।
खेड़ा ने आरोप लगाया, ‘‘पार्टी को कमजोर करने में इन्हीं लोगों का तो योगदान रहा है। आप लोगों की वजह से पार्टी कमजोर हुई... पार्टी का कार्यकर्ता इस धोखे को जानता है। कार्यकर्ता यह भी जानता है कि जो व्यक्ति इस समय धोखा दे रहा है, उसका रिमोट कंट्रोल नरेंद्र मोदी के हाथ में है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आजाद और मोदी जी के प्रेम को हमने खुद देखा है। यह प्रेम संसद में भी दिखा था। उस प्रेम की आज परिणति हुई है... देश का कार्यकर्ता इस व्यक्ति को माफ नहीं करेगा।’’
राहुल गांधी के अध्यादेश की प्रति फाड़ने का आजाद द्वारा अपने त्यागपत्र में उल्लेख किए जाने पर खेड़ा ने कहा, ‘‘आजाद उस वक्त क्यों नहीं बोले? उस वक्त पद था, इसलिए नहीं बोले। मतलब यह है कि आप स्वार्थी हैं। पद है तो नहीं बोलेंगे और जब पद नहीं है तो बोलेंगे।’’
कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर प्रभारी रजनी पाटिल ने ट्वीट किया, ‘‘जो सोचते हैं कि धोखे से बाजी मार गए, हकीकत में तो कितनों का भरोसा हार गए .... इस सोच के शायद गुलाम ही रहे होंगे, तभी आज खुद को आजाद समझ रहे हैं। बरसों सत्ता को भोगा और संघर्ष के समय मौकापरस्ती में अपनों को छोड़ा, यह सोच गुलामी और धोखे की भावना को ही दर्शाती है।’’
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि आजाद की पसंद से ही पिछले दिनों वकार रसूल वानी को जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘आजाद की कांग्रेस नेताओं अंबिका सोनी और रजनी पाटिल के साथ चार बैठकें हुईं। आखिरी बैठक 14 जुलाई को हुई थी। उन्होंने जो सूची सौंपी थी उसी में से जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी बनाए गए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आजाद को राहुल गांधी पर सवाल करने से पहले यह सोचना चाहिए कि उन्होंने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कांग्रेस की क्या दुर्गति की। आंध्र प्रदेश के बंटवारे के निर्णय के लिए वह पूरी तरह जिम्मेदार हैं।’’ गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया तथा नेतृत्व पर आंतरिक चुनाव के नाम पर पार्टी के साथ बड़े पैमाने पर ‘धोखा’ करने का आरोप लगाया ।
आजाद के इस्तीफे को पहले से ही समस्याओं का सामना कर रही कांग्रेस पार्टी पर एक और आघात माना जा रहा है । पूर्व में कई बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं जिसमें कपिल सिब्बल, अश्विनी कुमार आदि शामिल हैं । (भाषा)
नयी दिल्ली, 26 अगस्त। दिल्ली विधानसभा के शुक्रवार को हंगामेदार रहे विशेष सत्र में सत्तारूढ़ ‘आम आदमी पार्टी’ (आप) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर उसके विधायकों को खरीदने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए ‘‘खोखा-खोखा’’ के नारे लगाए, जबकि विपक्ष ने कथित शराब घोटाले का जिक्र करते हुए ‘‘धोखा-धोखा’’ के नारे लगाए।
नारेबाजी के बीच, एक आप विधायक द्वारा विपक्ष के मुख्य सचेतक अजय महावर पर लगाए गए सदन की कार्यवाही के वीडियो को रिकॉर्ड करने के आरोप पर दिल्ली विधानसभा की उपाध्यक्ष राखी बिड़ला ने भाजपा के सभी आठ विधायकों को विशेष सत्र के पूरे दिन के लिए मार्शल की मदद से बाहर निकाल दिया।
इससे पहले बिड़ला ने सदन में व्यवस्था कायम करने की कोशिश की और दोनों पक्षों के विधायकों को नारेबाजी बंद करने को लेकर चेतावनी देते हुए सीट पर बैठने को कहा। उपाध्यक्ष के बार-बार चेतावनी देने के बावजूद चुप नहीं होने पर उन्होंने ‘आप’ के विधायक ऋतुराज को सदन से बाहर भेज दिया।
सत्तारूढ़ आप ने उसके विधायकों को कथित रूप से ‘‘लुभाने’’ की भाजपा की कोशिश पर चर्चा करने और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार की उपलब्धियों को रेखांकित करने के लिए सत्र आहूत किया था।
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया था कि भाजपा ने ‘आप’ के 40 विधायकों को 20-20 करोड़ रुपए की पेशकश करके उनकी सरकार को अपदस्थ करने के लिए 800 करोड़ रुपए की व्यवस्था की है।
सदन से मार्शल की मदद से बाहर निकाले जाने के बाद भाजपा के विधायकों ने विधानसभा परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे प्रदर्शन किया। वह शिकायत दर्ज कराने के लिए उपराज्यपाल वी के सक्सेना के पास भी गए।
सदन में उपाध्यक्ष ने विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी से पूछा कि क्या महावर ने वीडियो रिकॉर्ड किया है या नहीं। उनके बार-बार सवाल करने पर बिधूड़ी ने दावा किया कि सत्तारूढ़ दल के विधायकों ने भी विधानसभा सत्र के दौरान वीडियो रिकॉर्ड किया।
प्रश्नों का उत्तर नहीं दिए जाने पर बिड़ला ने भाजपा विधायकों को मार्शल की मदद से बाहर निकालने का आदेश दिया।
भाजपा के एक विधायक ने कहा, ‘‘हम आबकारी नीति घोटाले पर चर्चा करना चाहते थे, लेकिन हमारे अनुरोध ठुकरा दिए गए, इसलिए हम उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को केजरीवाल के मंत्रिमंडल से तत्काल हटाए जाने की मांग को लेकर गांधी की प्रतिमा के पास धरना दे रहे हैं।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी विधायकों को इसलिए बाहर निकाला गया, क्योंकि कथित शराब घोटाले संबंधी भाजपा के सवालों का आप सरकार के पास कोई जवाब नहीं है।
सिसोदिया ने विभिन्न क्षेत्रों में केजरीवाल सरकार द्वारा किए काम पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि आबकारी नीति 2021-22 से उपभोक्ताओं पर कोई बोझ नहीं पड़ा और इससे राजस्व में वृद्धि हुई, लेकिन भाजपा इसमें भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है।
विशेष सत्र की शुरुआत में सदन ने पिछले महीने पहलगाम में एक बस दुर्घटना में मारे गए भारत तिब्बत सीमा पुलिस के जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा। (भाषा)
मुंबई, 26 अगस्त। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता किरीट सोमैया ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि मुंबई के पूर्व प्रभारी मंत्री और शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे तथा कांग्रेस नेता असलम शेख ‘‘1000 करोड़ रुपये के स्टूडियो घोटाले’’ में शामिल रहे हैं।
सोमैया ने आरोप लगाया कि दोनों मुंबई के उत्तरी मलाड उपनगर के एक इलाके में तटीय नियमन क्षेत्रों (सीआरजेड) का उल्लंघन करते हुए एक फिल्म स्टूडियो के निर्माण में शामिल थे। भाजपा नेता ने आज अधिकारियों के साथ इस स्थान का दौरा किया।
पूर्व लोकसभा सदस्य ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्रालय ने फरवरी 2021 में सीआरजेड इलाके में एक फिल्म सेट के लिए मंजूरी दी थी और उस समय मंत्रालय का प्रभार आदित्य ठाकरे के पास था। हालांकि सीमेंट और कांक्रीट के साथ ढांचा खड़ा कर दिया गया जिसमें व्यावसायिक सुविधाएं भी थीं।’’
सोमैया ने आरोप लगाया ‘‘जुलाई 2021 में ढांचे को गिराने के आदेश के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई और स्टूडियो को अक्टूबर 2022 तक विस्तार दे दिया गया। स्टूडियो और व्यावसायिक संरचनाओं में 1000 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है।’’
जिस इलाके में कथित स्टूडियो बनाया गया वह असलम शेख की विधानसभा में आता है जिन्होंने पहले इन आरोपों को खारिज कर दिया था। (भाषा)
(संजीव कुमार)
नयी दिल्ली, 26 अगस्त। भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन. वी. रमण ने राजद्रोह कानून पर रोक लगाने, धनशोधन के फैसले की समीक्षा करने, पेगासस जासूसी और लखीमपुर खीरी मामलों की जांच का आदेश देने और शीर्ष अदालत में रिकॉर्ड 11 तथा उच्च न्यायालयों में 220 से अधिक न्यायाधीशों की नियुक्तियां सुनिश्चित करने सहित कई महत्वपूर्ण न्यायिक और प्रशासनिक फैसले लिये।
अपने कार्यकाल के अंतिम दिन 48वें सीजेआई ने शीर्ष अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग सुनिश्चित करने के 2018 के फैसले पर अमल के तहत आज रस्मी पीठ की कार्यवाही की वेबकास्टिंग सुनिश्चित करके एक और उपलब्धि हासिल कर ली।
आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव में एक कृषक परिवार से ताल्लुक रखने वाले न्यायमूर्ति रमण ने 24 अप्रैल, 2021 को ऐसे समय तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की जगह ली थी, जब शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के पद बड़े पैमाने पर रिक्त थे।
गौरतलब है कि 17 नवंबर, 2019 को तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष अदालत में एक भी न्यायाधीश की नियुक्ति नहीं हुई थी और जब न्यायमूर्ति रमण ने सीजेआई का पद संभाला था तब शीर्ष अदालत में नौ रिक्तियां थीं, जबकि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के लगभग 600 पद रिक्त थे।
सीजेआई की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने एक रिकॉर्ड कायम करते हुए 11 न्यायाधीशों की नियुक्ति सुनिश्चित की, जिनमें से नौ न्यायाधीश एक ही बार में नियुक्त हुए थे। इनमें तीन महिला न्यायाधीश भी शामिल हैं।
न्यायमूर्ति रमण ने कोविड-19 महामारी के दौरान अदालतों का निर्बाध कामकाज सुनिश्चित करने के अलावा, उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए बार और न्यायिक सेवाओं से 224 नामों की सिफारिश की थी।
उन्होंने देश भर के न्यायाधिकरणों में पीठासीन अधिकारियों, तकनीकी और कानूनी सदस्यों की लगभग 100 नियुक्तियां सुनिश्चित कीं।
सीजेआई ने गत मई में एक ऐतिहासिक आदेश दिया और राजद्रोह के मामले में औपनिवेशिक काल के कानूनी प्रावधानों पर रोक लगा दी। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें इस प्रावधान की समीक्षा लंबित रहने तक राजद्रोह के आरोपों के तहत कोई भी मामला दर्ज नहीं करेंगी।
उन्होंने राजद्रोह कानून के दुरुपयोग का संज्ञान लिया था और केंद्र को नोटिस जारी किया था। उन्होंने औपनिवेशिक युग के उस दंडात्मक प्रावधान की आवश्यकता पर सवाल उठाया था, जिसका इस्तेमाल स्वतंत्रता सेनानियों के उत्पीड़न और यातनाओं के लिए किया गया था।
सेवानिवृत्ति से एक दिन पहले भी सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कार्ति चिदम्बरम की याचिका सहित कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की तथा धनशोधन निवारक कानून के तहत प्रवर्तन निदेशालय की शक्तियों को बरकरार रखने वाले विवादित फैसलों की समीक्षा खुली अदालत में करने का निर्णय लिया।
प्रधान न्यायाधीश ने एक विशेष पीठ की भी अध्यक्षता की और 2002 के बिल्कीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया।
इसने एक समिति की रिपोर्ट के निष्कर्षों का भी संज्ञान लिया, जिसने जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा उल्लंघन मामले की जांच की थी। समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि फिरोजपुर एसएसपी अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रहे, जबकि पर्याप्त सुरक्षा बल उपलब्ध था। सीजेआई ने कार्रवाई के लिए रिपोर्ट केंद्र को भेज दी है।
न्यायमूर्ति रमण के नेतृत्व वाली पीठों ने राजनेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर नजर रखने के लिए एजेंसियों द्वारा इजरायली स्पाइवेयर ‘पेगासस’ के इस्तेमाल के आरोपों और लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में जांच का आदेश दिया। लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में पिछले साल अक्टूबर में चार किसानों सहित आठ लोग मारे गए थे।
उन्होंने अतिक्रमण-रोधी अभियान रोकने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप भी किया। यहां जहांगीरपुरी में सांप्रदायिक दंगों के बाद कई लोगों ने इस हस्तक्षेप का स्वागत किया था।
उनके प्रयासों से तेलंगाना उच्च न्यायालय की पीठ में न्यायाधीशों की संख्या 24 से बढ़कर 42 हो गई।
सत्ताईस अगस्त, 1957 को जन्मे न्यायमूर्ति रमण ने 10 फरवरी, 1983 को वकालत शुरू की थी। उन्हें 27 जून, 2000 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने 10 मार्च, 2013 से 20 मई, 2013 तक आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवा दी।
न्यायमूर्ति रमण को दो सितंबर, 2013 को दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में और 17 फरवरी, 2014 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था।
निवर्तमान सीजेआई के स्थान पर न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित नये प्रधान न्यायाधीश होंगे, जिनका कार्यकाल दो महीने से थोड़ा अधिक होगा। (भाषा)
नयी दिल्ली, 26 अगस्त। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि व्हाट्सऐप की 2021 की निजता नीति उसके उपयोगकर्ताओं को ‘‘अपनाओ या छोड़ दो’’ की स्थिति में डाल देती है और विकल्पों का भ्रम पैदा करके समझौता करने के लिए उन्हें वस्तुत: मजबूर करती है तथा उसके बाद उनका डेटा अपनी मूल कंपनी फेसबुक के साथ साझा किया जाता है।
उच्च न्यायालय ने उस आदेश के खिलाफ व्हाट्सऐप और फेसबुक की अपीलें बृहस्पतिवार को निरस्त कर दीं, जिनमें व्हाट्सऐप की 2021 की नयी निजता नीति की जांच से संबंधित भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के आदेश को चुनौती देने वाली अर्जी खारिज कर दी गई थी।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि 22 अप्रैल, 2021 को सुनाया गया एकल पीठ का फैसला उचित था और इन अपीलों में कोई दम नहीं है।
खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को यह फैसला सुनाया, लेकिन इसे अदालत की वेबसाइट पर शुक्रवार को अपलोड किया गया।
अदालत की एकल पीठ ने सीसीआई द्वारा निर्देशित जांच रोकने से पिछले साल अप्रैल में इनकार कर दिया था और ‘व्हाट्सऐप एलएलसी’ तथा ‘फेसबुक इंक’ (अब ‘मेटा’) की याचिका खारिज कर दी थी।
सीसीआई ने ‘इंस्टेंट मैसेजिंग’ प्लेटफॉर्म की अद्यतन निजता नीति 2021 संबंधी खबरों के आधार पर पिछले साल जनवरी में इसकी जांच करने का स्वयं फैसला किया था।
खंडपीठ ने 49 पृष्ठों के अपने आदेश में कहा कि यह स्पष्ट है कि सीसीआई इस निर्णय पर पहुंचा है कि व्हाट्सऐप और फेसबुक के खिलाफ प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के प्रावधानों के उल्लंघन का प्रथम दृष्टया मामला बनता है जिसकी सीसीआई के महानिदेशक द्वारा जांच की आवश्यकता होगी।
आदेश में कहा गया है कि एकल न्यायाधीश ने इस बात पर गौर करने से पहले प्रासंगिक कारकों को भी ध्यान में रखा है कि व्हाट्सऐप के पास डेटा संकलन से प्रतिस्पर्धा संबंधी चिंताएं बढ़ सकती हैं और इसके परिणामस्वरूप अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन हो सकता है।
खंडपीठ ने कहा कि 2016 की निजता नीति ने व्हाट्सऐप उपयोगकर्ताओं को अद्यतन सेवा शर्तों और गोपनीयता नीति से सहमत होने के 30 दिनों के भीतर फेसबुक के साथ उपयोगकर्ता अकाउंट की जानकारी साझा करने से विकल्प से ‘‘बाहर निकलने’’ का प्रदान किया।
उसने कहा, ‘‘लेकिन 2021 की नीति अपने उपयोगकताओं को ‘‘इसे अपनाओ या छोड़ दो’’ की स्थिति में डाल देती है, विकल्पों का भ्रम पैदा करके समझौता करने के लिए उन्हें वस्तुत: मजबूर करती है तथा फिर नीति की परिकल्पना के अनुसार उनका डेटा उसकी मूल कंपनी फेसबुक के साथ साझा किया जाता है।’’
पीठ ने कहा कि सीसीआई ने मुख्य रूप से ‘‘बाहर निकलने’’ के विकल्प के कारण यह निष्कर्ष निकाला कि 2016 की नीति प्रतिस्पर्धा अधिनियम का उल्लंघन नहीं करती।
उसने कहा कि लेकिन बदली हुई परिस्थितियों के मद्देनजर, व्हाट्सऐप की बाजार में प्रमुख स्थिति को देखते हुए सीसीआई द्वारा प्रस्तावित जांच में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है, इसलिए मौजूदा मामले में पूर्व का निर्णय लागू नहीं होगा।
फेसबुक ने तर्क दिया कि यह व्हाट्सऐप से अलग और एक विशिष्ट वैध संस्था है और इसलिए सीसीआई के निष्कर्षों के तहत उसकी गहन और दखल देने वाली जांच नहीं की जानी चाहिए।
अदालत ने कहा कि उसे सीसीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल का यह प्रतिवेदन उचित लगा कि अपनी मूल कंपनी ‘फेसबुक इंक’ के साथ अपने उपयोगकर्ताओं के डेटा को साझा करने की व्हाट्सऐप की प्रवृत्ति 2021 की नीति के प्रमुख मुद्दों में से एक है।
उसने व्हाट्सऐप और फेसबुक के इस तर्क को भी स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि चूंकि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के समक्ष आने वाले अंतर्निहित मामलों और सीसीआई के आदेश से की जा रही जांच के क्षेत्र में समानता है, इससे संभावित रूप से परस्पर विरोधी विचार पैदा हो सकते हैं।
पीठ ने कहा कि न तो उच्च न्यायालय और न ही उच्चतम न्यायालय प्रतिस्पर्धा कानून के पहलू से 2021 नीति का विश्लेषण कर रहे हैं।
उसने कहा कि सीसीआई द्वारा की गई जांच शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित सुनवाई के परिणाम से प्रभावित नहीं होगी। (भाषा)
पणजी, 26 अगस्त। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता सोनाली फोगाट के ड्रिंक में उनके दो सहयोगियों ने एक पार्टी के दौरान नशीला पदार्थ मिलाकर पिलाया था । संभवत: इसके चलते फोगाट की मौत हुई। यह दोनों फोगाट ‘हत्याकांड’ में आरोपी हैं। गोवा पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हत्या के पीछे की वजह ‘‘आर्थिक हित’’ हो सकता है।
पुलिस महानिरीक्षक ओमवीर सिंह बिश्नोई ने बताया कि दोनों आरोपी पेय पदार्थ में ‘‘कुछ रासायनिक पदार्थ’’ मिलाते देखे गए थे, जिसे अंजुना के रेस्तरां में हुई पार्टी में फोगाट को पिलाया गया।
हिरासत में लिए गए आरोपी सुधीर सांगवान और सुखविंदर सिंह 22 अगस्त को फोगाट के साथ गोवा गए थे।
बिश्नोई ने बताया कि आरोपियों ने पुलिस पूछताछ के दौरान उत्तरी गोवा में अंजुना के रेस्तरां में फोगाट को जानबूझकर नशीला पदार्थ पिलाने की बात स्वीकार की है। यह घटना 22-23 अगस्त की मध्यरात्रि की है।
उन्होंने कहा कि दोनों आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा। पुलिस अधिकारी ने कहा कि 23 अगस्त को तड़के 4:30 बजे दोनों आरोपी फोगाट को प्रसाधन कक्ष (वॉशरूम) ले गए थे, जहां तीनों लोग दो घंटे तक अंदर ही रहे थे।
बिश्नोई ने कहा कि हिरासत में पूछताछ के बाद ही यह पता चल पाएगा कि उन दो घंटे के दौरान क्या हुआ था। उन्होंने कहा कि पार्टी के दौरान आरोपियों के साथ दो महिलाएं भी थीं और इन्हें केक काटते देखा गया था।
पुलिस महानिरीक्षक ने कहा कि दोनों महिलाओं से भी पूछताछ की जा रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में फोगाट के शव पर ‘‘चोट के कई निशान’’ होने से जुड़े सवाल पर बिश्नोई ने कहा कि आरोपियों ने पूछताछ में कहा है कि फोगाट को अस्पताल ले जाने के दौरान खंरोच लगने के कारण ऐसा हो सकता है।
उन्होंने कहा कि फोगाट को अस्पताल ले जाने पर उनके शरीर पर चोट के कोई निशान नजर नहीं आ रहे थे इसलिए चिकित्सकों ने संदेह जताया था कि मौत का कारण दिल का दौरा पड़ना हो सकता है।
बिश्नोई ने कहा कि ऐसा जान पड़ता है कि फोगाट की मौत नशीले पदार्थ के कारण हुई है।
बिश्नोई ने कहा कि पुलिस उन टैक्सी चालकों का भी बयान दर्ज करेगी जिनमें से एक फोगाट को रेस्तरां से होटल लेकर आया था और दूसरा फोगाट को अस्पताल लेकर गया था।
गोवा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में फॉरेंसिक विशेषज्ञों द्वारा बृहस्पतिवार सुबह फोगाट के शव का पोस्टमार्टम किए जाने के बाद अंजुना पुलिस ने ‘‘अप्राकृतिक मौत’’ के मामले में हत्या का आरोप जोड़ा था और बताया था कि रिपोर्ट में उनके शरीर पर ‘‘गहरी चोट के कई निशान’’ होने की बात कही गई है।
टिकटॉक ऐप से शोहरत हासिल करने वाली हरियाणा के हिसार जिले की भाजपा नेता फोगाट 22 अगस्त को सांगवान और सिंह के साथ गोवा आईं और अंजुना में एक होटल में ठहरी थीं। तबियत ठीक न लगने की शिकायत के बाद 23 अगस्त को सुबह उन्हें सेंट एंथनी अस्पताल ले जाया, लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो चुकी थी। चिकित्सकों ने तब दिल का दौरा पड़ने के कारण उनकी मौत होने की आशंका जतायी थी। (भाषा)
संयोजक चौधरी ने बताया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 26 अगस्त। गृहमंत्री अमित शाह शनिवार को रायपुर में पीएम मोदी पर लिखी किताब की विषय वस्तु पर वक्तव्य देंगे। यह कार्यक्रम डीडीयू सभागृह में दोपहर दो बजे से आयोजित है। इसमें भाजपा द्वारा आमंत्रित प्रबुद्ध लोगों को प्रवेश दिया जाएगा। इसके लिए पार्टी ने एंट्री पास जारी किया है।
मोदी @20 अभियान के संयोजक ओपी चौधरी ने कहा कि पीएम मोदी ने अपनी राजनीति अब तक के कार्यकाल में एक नया कीर्तिमान रचा है। नंदन नीलेकणी लिखित किताब में पी वी सिंधु, कोटक बैंक के चेयर में, देवेंद्र सेठी, जग्गी वासु, अजीत डोभाल जैसे विशेषज्ञों ने अपने लेख में मोदी और अमित शाह के भी राजनैतिक पक्ष पर आर्टिकल लिखा है। मोदी @20 देश के विशेषज्ञों के आर्टिकल का संग्रह है।
एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर कांग्रेस देश के लिए अच्छा काम करती तो देश के प्रख्यात लेखक उनपर भी लिखते।
ये किताब किसी के कहने और जबरन प्रशंसा की किताब नहीं है। यह किताब हर कांग्रेसी को भी पढऩी चाहिए। उन्होंने कहा कि वे यह सीएम बघेल को भी भेजेंगे।
क्योंकि किताब में विशेषज्ञों का अपना मत है जिसका संग्रह मोदी @20 में किया गया है। इस किताब को हर वर्ग के लोगों को पढऩा चाहिए। एक चाय वाले बालक से पीएम तक के सफर और देश के विकास की गति मिली है वह पीएम मोदी के प्रयासों से हुआ है।
इस किताब में मोदी सरकार की योजनाओं से आम लोगों को मिले फायदों का भी इन आर्टिकल्स में जिक्र किया गया है।
जर्मनी के ट्रियर डायोसिज के अधिकारियों ने कैथोलिक पादरियों के हाथों यौन उत्पीड़न को दशकों तक छुपाये रखा. इस मामले में बनाये एक स्वतंत्र आयोग की अंतरिम जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई है.
गुरुवार को जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यौन उत्पीड़न करने वालों को डायोसीज के भीतर और कैथोलिक संस्थाओं में दूसरी जगहों पर भेजा गया. रिपोर्ट के मुताबिक इसके पीछे एक वजह इन पादरियों को कानूनी कार्रवाइयों से बचाना भी था. डायोसीज चर्च प्रशासन की एक ईकाई है जिसमें एक बिशप के अंतर्गत आने वाले अधिकार क्षेत्र को शामिल किया जाता है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन पादरियों ने नई जगहों पर जाकर भी नाबालिगों और बच्चों का बार बार यौन उत्पीड़न करते रहे. आयोग ने डायोसीज की आलोचना करते हुए कहा है कि वह "बहुत से मामलों में" प्रमुख पीड़ितों को संरक्षण देने के उपाय करने में नाकाम रहा.
यौन शोषण के गंभीर मामले
रिपोर्ट में खासतौर से दो गंभीर मामलों का जिक्र किया गया है. इनमें से एक मामले में यौन उत्पीड़न की कई घटनाओं के बाद एक पादरी के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी हुआ, मगर डायोसीज ने विशेष दखलंदाजी करके उस पादरी को पराग्वे भेज दिया.
इसी तरह एक और पादरी को ऑस्ट्रिया में बच्चे के यौन शोषण मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद भी डायोसीज में एक पद पर नियुक्त कर दिया गया. नियुक्ति के बाद पादरी ने फिर नाबालिगों का यौन शोषण करने में अपने पद का दुरुपयोग किया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ये मामले दिखाते हैं कि अपराध करने वालों को "जिम्मेदारी से संभाला" नहीं गया.
यौन शोषण और दोषियों को बचाने के मामलों में अलग अलग बिशपों और दूसरे अधिकारियों की खास भूमिका का पता लगाने के लिये आयोग अभी और आगे जांच करेगा. ट्रियर के पूर्व बिशप बर्नहार्ड स्टाइन के दौर में हुए दुर्व्यवहार के मामलों की जांच रिपोर्ट अक्टूबर के मध्य तक पूरी होने की उम्मीद है. पूरी जांच में छह साल का समय लगने की योजना बनी है और इसे शुरू हुए अभी एक साल से थोड़ा ज्यादा हुआ है.
195 दोषी और 513 पीड़ित
अब तक की जांच में ही 195 दोषियों और 513 पीड़ितों का पता चल गया है. यौन शोषण के ये मामले 1946 से लेकर 2021 के बीच के हैं. जांच आयोग में प्रभावित लोगों और विशेषज्ञों समेत कुल सात सदस्य हैं. पीड़ितों की संख्या अभी और बढ़ने के आसार हैं खासतौर से ट्रियर यूनिवर्सिटी के साथ मिल कर की जा रही स्टडी में.
पादरियों के हाथों यौन शोषण की घटनायें बहुत लंबे दौर में हुई हैं. बहुत से दोषियों ने यौन शोषण के साथ ही पद का दुरुपयोग करने के आरोपों को स्वीकार भी किया है. सितंबर 2018 में जर्मन बिशप्स कांफ्रेंस ने यौन दुर्व्यवहार के बारे में एक रिपोर्ट जारी की थी. इसमें ट्रियर डायोसीज के 442 पीड़ितों की पहचान की गई थी और ये मामले 2014 तक के थे.
कैथोलिक चर्चों से जुड़े यौन शोषण के मामले पिछले दशकों में कई जगहों पर सामने आये हैं. चर्च प्रशासन पर इन मामलों की जांच और दोषियों के खिलाफ ढिलाई के आरोप भी लगते रहे हैं.
एनआर/ओएसजे (डीपीए)
28 अगस्त को नोएडा के सेक्टर 93ए में स्थित103 मीटर ऊंचे ट्विन टावर को विस्फोट के जरिए गिरा दिया जाएगा. दरअसल इस इमारत को बनाने में नियमों की अनदेखी की गई थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे गिराने का आदेश दिया था.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
सुप्रीम कोर्ट ने नियमों को दरकिनार कर बनाए गए नोएडा स्थित सुपरटेक के 32 मंजिला ट्विन टावरों को अवैध करार देते हुए गिराने का आदेश दिया था. जिसके बाद नोएडा अथॉरिटी ने इसे गिराने को लेकर कई कंपनियों से सलाह मशविरा लिया था. अब ट्विन टावर को गिराने की उलटी गिनती शुरू हो गई है.
इस तरह से जमींदोज हो जाएगी 32 मंजिला बिल्डिंग
इस बिल्डिंग को ढहाने का जिम्मा एडिफिस इंजीनियरिंग और जेट डिमोलिशन को मिला है. इन कंपनियों का कहना है कि भीड़ भाड़ वाले इलाके में कंट्रोल्ड एक्सप्लोशन ही सबसे सुरक्षित तरीका है. सुपरटेक की इमारत एपेक्स और सियाने को उड़ाने के लिए 3700 किलो विस्फोटक लगाया जा चुका है.
रविवार को एक तेज आवाज के साथ 9 से 10 सेकेंड का वक्त लगेगा जब दोनों ट्विन टावर जमीन पर आ गिरेंगे. इन दोनों टावर के गिरने से करीब 30,000 टन मलबा निकलेगा और धूल का गुबार करीब 500 मीटर तक करीब 30 मिनट तक छाया रहेगा. इस मलबे को हटाने के लिए करीब 1200 से 1300 से ट्रक लगाए जाएंगे और कई दिनों तक सफाई का काम होगा.
विस्फोट से पहले आसपास की सोसायटी को खाली कराया जा रहा है और विशेष कपड़े और प्लास्टिक से इमारतों को ढका जा रहा है. जिस वक्त विस्फोट होगा उस वक्त आसपास के ट्रैफिक को 15 मिनट के लिए रोक दिया जाएगा.
आसपास के क्षेत्रों के निवासियों के लिए यह रविवार का दिन थोड़ा नर्वस करने वाला होगा क्योंकि धमाके की वजह से घरों के शीशे और गमले टूटने की आशंका जताई जा रही है. प्रशासन ने कम से कम 7,000 लोगों और उनके 150 पालतू जानवरों को रविवार की सुबह 7 बजे तक आसपास के घरों से जाने के लिए कह दिया है.
वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो पहले ही लंबी छुट्टी पर चले गए हैं. चिंता इस बात की भी है कि धमाके के बाद धूल से बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में परेशानी तो नहीं हो सकती है. प्रशासन ने विस्फोट वाले दिन के लिए आपात सेवा के साथ साथ मेडिकल सेवा के इंतजाम का भरोसा दिया है.
क्या है मामला
सात साल चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को बड़ा झटका देते हुए सोसायटी में रहने वाले लोगों के पक्ष में फैसला सुनाया था. 31 अगस्त 2021 को कोर्ट ने कहा था कि ये ट्विन टावर गिराए जाएंगे.
सुपरटेक पर आरोप था कि उसने ट्विन टावरों का निर्माण शर्तों का उल्लंघन करके किया और इसमें नोएडा अथॉरिटी के कुछ अधिकारी ने मदद की थी. नक्शे में ट्विन टावर की जगह ग्रीन पार्क दिखाया गया लेकिन हुआ कुछ और. टावर का निर्माण 2009 में हुआ था.
कई फ्लैट खरीदारों ने साल 2012 में बिल्डिंग प्लान में बदलाव की शिकायत को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दी थी. हाईकोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी को इन टावरों को गिराने का आदेश दिया था, मामला कई सालों तक हाईकोर्ट में चला, फिर उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और इसे उड़ाने का आदेश दिया था. (dw.com)
फ्रांस की राजधानी और विदेशी पर्यटकों में बहुत मशहूर ठिकाना है पेरिस. यहां एक मकानमालिक एक 50 वर्ग फुट के फ्लैट के लिए 550 यूरो किराया लेती थी. भारतीय मुद्रा में यह लगभग 44 हजार रूपये हुआ.
पेरिस का यह अपार्टमेंट मात्र 4.7 वर्ग मीटर जगह में है. राजधानी पेरिस में ऐसे कई एक बेडरूम वाले फ्लैट किराये पर उठे हैं और अकसर उनका किराया भी काफी ज्यादा होता है. लेकिन इस फ्लैट की बात अलग है. इस मामले में तो अपार्टमेंट इतना छोटा और उसका किराया इतना ज्यादा था कि प्रशासन को दखल देना पड़ा.
टाइनी फ्लैट
फ्रांस के एक अखबार "ले परीजियन" में छपी रिपोर्ट से पता चला है कि शहर प्रशासन इस मामले में कार्रवाई कर रहा है. यहां एक बेहद छोटे से फ्लैट के लिए वेटर का काम करने वाले किराएदार से मकानमालकिन 550 यूरो किराया लेती थी.
42 साल का यह किरायेदार जब रात को सोने के लिए बेड पर चढ़ता तो उसके गद्दे और छत के बीच केवल 50 सेंटीमीटर की जगह होती. ऊंचे बेड पर चढ़ने के लिए थोड़ी बहुत कलाबाजी करनी पड़ती है. बीते चार सालों से वहां रहने वाले किरायेदार बताते हैं, "मैं यहां केवल सोने के लिए आता हूं, वरना तो इतना खराब लगता है."
क्या कहता है कानून
इस बीच शहर प्रशासन ने इस कमरे के हालात देख कर इसे किसी के भी रहने के लिए अयोग्य करार दिया है. साथ ही दूसरा ठिकाना तलाशने में प्रशासन इस वेटर की मदद भी करेगा.
फ्रांस में रहने की जगहों के लिए कानूनन बहुत कुछ तय है. जैसे कि एक अपार्टमेंट में कम से कम एक मेन रूम होना चाहिए जो नौ वर्ग मीटर से बड़ा हो. छत की ऊंचाई कम के कम 2.20 मीटर और कमरे का आकार न्यूनतम 20 घन मीटर होना चाहिए. इस फ्लैट के बारे में मकानमालिक ने लीज के कागजों में इसका आकार 24 घन मीटर लिखवाया था. समाचारपत्र में लिखा है कि अपार्टमेंट का असल आकार इसका आधा था.
सर्वेंट क्वाटर से भी छोटा
वेटर का काम करने वाले किरायेदार का नाम है मसी और वह 2018 में अल्जीरिया से पेरिस आया था. किराये पर एक अपार्टमेंट लेने के लिए उसने पेरिस में एक एजेंसी को 300 यूरो दिए थे. इस कमरे के लिए भी उसे छह और लोगों के साथ लाइन में लग कर इंतजार करना पड़ा था.
मसी की मिसाल से इस बात की ओर ध्यान जाता है कि फ्रांसीसी राजधानी में रहने की जगह की कितनी दिक्कत है. पेरिस में "राइट टू हाउसिंग" (DAL) के प्रवक्ता जॉं-बापतिस्त आइरूड ने परीजियन अखबार से बातचीत में कहा कि मकानमालिक इस कमी का गलत फायदा उठाते हैं और ऐसे अजीबोगरीब फ्लैट निकालते हैं.
इस समय पेरिस में हाउसिंग सोसायटी के बनाए हुए करीब 58,000 पूर्व सर्वेंट्स क्वाटर हैं. इसमें भी कमरों का आकार आठ वर्ग मीटर तो होता है. इनमें से ज्यादातर किराये पर ही दिए गए हैं.
आरपी/ एनआर (डीपीए)
चीन से सुरक्षा समझौता कर चुके सोलोमन आइलैंड्स ने अमेरिकी कोस्ट गार्ड के जहाज को अपने पोर्ट पर एंट्री देने से इनकार किया. अमेरिका का कहना है कि भविष्य में उसके जहाजों को एंट्री देनी होगी.
प्रशांत महासागर में नियमित गश्त के दौरान अमेरिकी कोस्ट गार्ड के एक जहाज को रिफ्यूलिंग की जरूरत पड़ी. जहाज ने सोलोमन आइलैंड्स के अधिकारियों से संपर्क किया. अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक द्वीपीय देश की सरकार ने कॉल का जवाब नहीं दिया. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक अमेरिकी कोस्ट गार्ड के जहाज ऑलिवर हैनरी को रूटीन के तहत सोलोमन आइलैंड्स जाना था.
यूएस कोस्ट गार्ड की जनसंपर्क अधिकारी क्रिस्टीन कैम के मुताबिक, "सोलोमन आइलैंड्स की सरकार ने होनिआरा में जहाज की रिफ्यूलिंग और दूसरे प्रावधानों को लेकर अमेरिकी सरकार की डिप्लोमैटिक क्लीयरेंस की दरख्वास्त का कोई जवाब नहीं दिया."
सोलोमन आइलैंड्स और चीन के रिश्ते
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, उसने सोलोमन सरकार का पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन अभी तक प्रतिक्रिया नहीं मिली है. सोलोमन आइलैंड्स ने मई 2022 में चीन के साथ एक सुरक्षा समझौता किया. इस संधि के बाद से ही सोलोमन आइलैंड्स और अमेरिका के रिश्ते बिगड़ रहे हैं.
ऐसी आशंकाएं हैं कि चीन सोलोमन आइलैंड्स में मिलिट्री बेस बना रहा है. हालांकि दोनों देशों ने इन रिपोर्टों को खारिज किया है. लीक हुए एक दस्तावेज के मुताबिक दोनों देशों के बीच सुरक्षा समझौता हुआ है. इसके तहत सोलोमन आइलैंड्स चीनी नौसेना के जहाजों को अपने बंदरगाहों में रुकने की अनुमति दे चुका है.
गैरकानूनी फिशिंग और सुरक्षा का मसला
अमेरिकी कोस्ट गार्ड का जहाज ऑलिवर हेनरी दक्षिण प्रशांत महासागर में गैरकानूनी फिशिंग पर नजर रखने के लिए गश्त लगा रहा था. इस दौरान जहाज ने सोलोमन आइलैंड्स की राजधानी होनिआरा के पोर्ट में दाखिल होकर ईंधन भरने की अनुमति मांगी. यह जानकारी एक ईमेल के जरिए अमेरिकी कोस्ट गार्ड के एक अधिकारी ने रॉयटर्स को दी. सोलोमन आइलैंड्स में एंट्री नहीं मिलने के बाद कोस्ट गार्ड के जहाज को पापुआ न्यू गिनी भेजना पड़ा.
ऐसी रिपोर्टें हैं कि वहां ब्रिटिश नौसेना का गश्ती जहाज एचएमएस स्पे भी था. वह भी पेट्रोलिंग ऑपरेशन में शामिल था. ब्रिटिश नौसेना का जहाज भी फिजी, पापुआ न्यू गिनी, सोलोमन आइलैंड्स और वानुआतु के एक्सक्लूसिव जोन में गैरकानूनी रूप से मछली पकड़ने वालों पर नजर रखने के इरादे से काम कर रहा था. सोलोमन आइलैंड्स ने ब्रिटिश नौसेना को भी अनुमति नहीं दी.
एचएमएस स्पे में फिजी के नेवी अफसर भी मौजूद थे. इन समुद्री जहाजों के साथ ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के लंबी उड़ान भरने वाले विमान मिलकर काम करते हैं. ये सिस्टम इलाके में गैरकानूनी रूप से गतिविधियों में लगे जहाजों पर नजर रखते हैं.
ब्रिटेन की रॉयल नेवी के प्रवक्ता ने ईमेल पर भेजे बयान में कहा, "जहाजों के प्रोग्राम हर वक्त निगरानी में होते हैं, और उनका बदलना भी एक रूटीन प्रैक्टिस है. ऑपरेशनल सिक्योरिटी के कारण हम इसे विस्तार से नहीं बताते हैं."
अमेरिका और ब्रिटेन का रुख
पैसिफिक आइलैंड्स फोरम के लिए बनाई गई फिशरीज एजेंसी में प्रशांत क्षेत्र के 17 देश शामिल हैं. एजेंसी का सर्विलांस सेंटर सोलोमन आइलैंड्स की राजधानी होनिआरा में हैं. एजेंसी प्रशांत महासागर में गैरकानूनी ढंग से मछली पकड़ने वाले जहाजों पर नजर रखती है. ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, न्यूजीलैंड और फ्रांस इस काम में एजेंसी की मदद करते हैं.
यूएस कोस्ट गार्ड की जनसंपर्क अधिकारी क्रिस्टीन कैम ने अमेरिकी रुख की झलक देते हुए कहा, "अमेरिकी विदेश मंत्रालय सोलोमन द्वीप की सरकार के साथ संपर्क में है और उम्मीद करता है कि भविष्य में अमेरिकी जहाजों को क्लीयरेंस दी जाएगी." रॉयल नेवी ने भी अपने बयान में कहा है कि उसे उम्मीद है कि भविष्य में उसके जहाज सोलोमन द्वीप जा सकेंगे.
ओएसजे/एनआर (रॉयटर्स)
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश के बाद झारखंड में सियासी हलचल तेज हो गई है. अब निर्णय राज्यपाल को लेना है.
डॉयचे वैले पर मनीष कुमार की रिपोर्ट-
चुनाव आयोग द्वारा राज्यपाल रमेश बैस को भेजे गए एक पत्र के बाद गुरुवार से झारखंड में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गईं. आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश राज्यपाल से की है. निर्वाचन आयोग ने यह अनुशंसा बीजेपी द्वारा राज्यपाल से की गई उस शिकायत के संदर्भ में की है, जिसमें मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए उन पर लाभ लेने (ऑफिस ऑफ प्रॉफिट) का आरोप लगाया गया था. आयोग ने उन्हें जनप्रतिनिधि अधिनियम की धारा-9ए के उल्लंघन का दोषी पाया है.
सूत्रों के अनुसार, आयोग ने अपने पत्र में हेमंत सोरेन की बरहेट विधानसभा क्षेत्र से उनकी सदस्यता रद करने की अनुशंसा की है. हालांकि, उनके लिए राहत की बात यह है कि उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य करने का कोई जिक्र पत्र में नहीं किया गया है. अब राज्यपाल लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 2005 की धारा 192 (1) के तहत प्राप्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता रद्द करने का निर्णय ले सकते हैं.
राज्यपाल पर नजरें टिकी
शुक्रवार को ही इस संबंध में राजभवन से अधिसूचना जारी की जा सकती है. हालांकि, राज्यपाल के दिल्ली से लौटने के बाद भी इस संबंध में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है. बताया जा रहा है कि इस संबंध में राज्यपाल ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस मामले में राय ली है.
फिलहाल, यह साफ नहीं है कि आयोग ने हेमंत को लंबी अवधि तक चुनाव लड़ने से रोकने को लेकर कोई अनुशंसा की है अथवा नहीं. वैसे राज्यपाल के निर्णय के आधार पर हो सकता है सरकार का मुखिया बदल जाए, लेकिन सत्ता के अंकगणित के अनुसार महागठबंधन की सरकार पर इसका कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है. इस मौके पर झारखंड में वक्त-बेवक्त होने वाली ऑपरेशन लोटस की चर्चा भी काफी तेज हो गई है.
हेमंत की इस सरकार में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के 30, कांग्रेस के 18, सीपीआई (एमएल) के एक तथा एनसीपी के एक यानी कुल 50 विधायक है. 81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 42 है. वहीं, विपक्ष में बीजेपी के 26, आजसू के दो तथा दो निर्दलीय विधायक हैं. झारखंड विधानसभा में जेएमएम सबसे बड़ा दल है.
जाहिर है, सियासी पारा चढ़ने के बाद सभी पार्टियां अपनी रणनीति तय करने में जुट गईं हैं. दावों-प्रति दावों का दौर जारी है. शुक्रवार को महागठबंधन के विधायकों की करीब डेढ़ घंटे चली बैठक के बाद ऑल इज वेल होने का दावा किया गया है. मंत्री आलमगीर आलम ने तंज कसते हुए कहा, ‘‘कोई विधायक छत्तीसगढ़ नहीं जा रहा. राज्यपाल का निर्देश आने के बाद उसके अनुसार निर्णय लिया जाएगा. हमें अभी कोई नोटिस नहीं मिली है.'' शाम सात बजे के बाद फिर महागठबंधन के विधायकों की बैठक बुलाई गई है.
फसाद की जड़ खनन की लीज
दरअसल, यह पूरा मामला रांची के अनगढ़ा प्रखंड में 88 डिसमिल के पत्थर खदान के खनन की लीज (पट्टे) से जुड़ा हुआ है. बीते 10 फरवरी को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर पद के दुरुपयोग का आरोप लगाया. 11 फरवरी को भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी, रघुवर दास व सांसद दीपक प्रकाश ने राज्यपाल से मिलकर जनप्रतिनिधि कानून,1952 की धारा-9ए के तहत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग की.
आरोप लगाया गया कि सोरेन ने मुख्यमंत्री व खनन मंत्री के पद पर रहते हुए अनगढ़ा में खनन का पट्टा लिया है. जबकि, हेमंत सोरेन का कहना था कि यह लीज उन्हें करीब 14 साल पहले 2008 में दस साल के लिए मिली थी. 2018 में इसका रिन्युअल (नवीनीकरण) नहीं हो सका. लीज का रिन्युअल 2021 में हुआ. किंतु, बीते 4 फरवरी तक जब खनन की अनुमति नहीं मिली तो उन्हें इसे सरेंडर कर दिया. न तो उनके पास कोई लीज है और न ही उन्हें खनन किया है.
राज्यपाल ने शिकायत मिलने के बाद इसे निर्वाचन आयोग को भेज दिया. आयोग ने मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर संबंधित दस्तावेज पेश करने को कहा. आयोग ने हेमंत सोरेन को भी नोटिस दी तथा कई तारीखों पर मामले की विस्तार से सुनवाई की. चर्चा है कि दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अब आयोग ने अपना मंतव्य राज्यपाल को भेज दिया है. अब फैसला राज्यपाल को करना है.
क्या विकल्प हैं हेमंत के पास
कानून के जानकारों के अनुसार राज्यपाल के निर्णय के अनुसार तीन परिस्थितियां बन सकती हैं. उन्हें लाभ के पद के कारण विधानसभा की सदस्यता छोड़नी पड़ सकती है. इस स्थिति में वे इस्तीफा देकर फिर से पार्टी द्वारा सदन का नेता चुने जाने के बाद मुख्यमंत्री बन सकते हैं. हालांकि, उन्हें छह माह के अंदर फिर से विधानसभा का चुनाव जीतना होगा. अगर लंबी अवधि तक उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाएगी तो जाहिर है, सत्ता की चाबी जेएमएम अपने हाथ में ही रखना चाहेगी. इसके लिए पार्टी लालू मॉडल को अपना सकती है. लालू ने जैसे अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बना दिया था, उसी तरह हेमंत अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपने का निर्णय ले सकते हैं.
वैसे, जोबा मांझी तथा चंपई सोरेन को भी यह जिम्मेदारी सौंपे जाने की चर्चा है. दोनों ही सोरेन परिवार के काफी भरोसेमंद हैं. सूत्र बताते हैं कि कल्पना सोरेन ही पार्टी की पहली पसंद होंगी. तीसरा विकल्प कोर्ट जाने का बनता है. राज्यपाल के फैसले को वे अदालत में चुनौती दे सकते हैं. लेकिन, इसमें काफी समय लग सकता है. सूत्रों के अनुसार पार्टी इस बिंदु पर विचार भी नहीं कर रही है.
कानून के जानकारों के मुताबिक भ्रष्टाचार तथा दल-बदल जैसे मामलों में छह वर्ष का प्रतिबंध लगाया जा सकता है. ऑफिस ऑफ प्रॉफिट जैसे मामले में तीन साल का प्रतिबंध काफी है. पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता एमएन तिवारी कहते हैं, ‘‘आयोग ऐसे मामले में सदस्यता रद्द कर सकता है, लेकिन वे भी इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैैं. आर्टिकल 32 के मामले में वे सीधे सुप्रीम कोर्ट की शरण में भी जा सकते हैं.''
बोले हेमंत, जनसमर्थन कैसे खरीद पाओगे
मीडिया में चल रही रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि भाजपा नेता, सांसद तथा कठपुतली पत्रकारों ने यह रिपोर्ट तैयार की है. अन्यथा यह लीक कैसे होती. वहीं, आयोग की अनुशंसा के संबंध में उन्होंने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं और एजेंसियों को भाजपा ने टेकओवर कर लिया है. भारतीय लोकतंत्र में ऐसा कभी नहीं देखा गया. इसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि "संवैधानिक संस्थाओं को तो खरीद लोगे, जन समर्थन कैसे खरीद पाओगे. हैं तैयार हम, जय झारखंड."
पत्रकार सुधीर के. सिंह कहते हैं, ‘‘कुछ अजूबा नहीं हुआ है. ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में सोनिया गांधी, शिबू सोरेन तथा जया बच्चन के खिलाफ पहले भी कार्रवाई हो चुकी है. रही बात उत्तराधिकारी की तो राबड़ी देवी का मुख्यमंत्री बनना आप भूल गए क्या. शायद अब यही स्वस्थ लोकतंत्र की परंपरा बन गई है.''
विधायकों की निगहबानी में पार्टियां
जाहिर है, यदि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता जाती है तो बीजेपी इसे अपनी जीत के रूप में प्रचारित करते हुए सरकार से इस्तीफे की मांग करेगी. और हमलावर होते हुए पार्टी की मांग होगी कि मध्यावधि चुनाव कराया जाए और हेमंत सोरेन जनता का सामना करें. हालांकि, ऐसा संभव होता नहीं दिख रहा.
बीजेपी की नजर कांग्रेस के दस तथा शराब नीति की वजह से जेएमएम के असंतुष्ट तीन विधायकों पर भी है. इस वजह से जेएमएम से लेकर कांग्रेस तक में कई विधायकों के असंतुष्ट होने के कारण महागठबंधन सहज स्थिति में नहीं है. हालांकि, सभी विधायक रांची में ही कैंप कर रहे हैं और अंदरखाने में उन्हें एकजुट रखने के सभी प्रयास चल रहे हैं.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने पार्टी की बैठक के बाद सभी विधायकों को रांची में ही रूकने का निर्देश दिया है. वैसे यह भी सच है कि राष्ट्रपति चुनाव के दौरान सत्ता पक्ष के कई विधायकों द्वारा की गई क्रॉस वोटिंग और फिर पश्चिम बंगाल में भारी मात्रा में नकदी के साथ पकड़े गए तीन विधायकों के कारण महागठबंधन की परेशानी जरूर बढ़ गई है. क्या होगा फेर-बदल, इसे लेकर सबकी निगाहें अब राजभवन की ओर हैं. (dw.com)
शाखा प्रबंधक ने भी किया गबन, दोनों हो चुके हैं निलंबित, जल्द एफआईआर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 26 अगस्त। ग्राम घोटिया पलारी जिला सहकारी बैंक वटगन शाखा में हुए गबन की जांच की रिपोर्ट सामने आ गई है। इसमें लेखापाल सूरज साहू के 3.40 करोड़ का गबन करना पाया गया है, वहीं जांच में बलौदाबाजार शाखा के प्रबंधक लाखेश्वर साहू द्वारा भी करीब 6 लाख 51 हजार का गबन करना पाया गया है। उन्हें भी निलंबित कर दिया गया है। सूरज साहू को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। अब जल्द ही इन भ्रष्ट कर्मचारियों पर एफआईआर होने वाली है।
बलौदाबाजार शाखा में भी गबन का कनेक्शन
जांच कमेटी से प्राप्त जानकारी के आधार पर वटगन से राशि हेरफेर कर बलौदाबाजार के खाताओं में डालकर निकालकर गबन किया गया है, जिसमें बलौदाबाजार के शाखा प्रबंधक लाखेश्वर साहू का संलिप्तता भी जांच में आई है, जिसमें 6 लाख 51 हजार 911 रुपए का गबन किया गया है। साथ ही वटगन के पहले सूरज साहू बलौदाबाजार में पदस्थ था, वहां भी वह हेरफेर किया है।
शाखा प्रबंधक रहते हुए लेखापाल
ने की थी हेराफेरी
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक वटगन शाखा में सूरज साहू बतौर शाखा प्रबंधक रहते हुए यह कारनामा किया है। वह विभिन्न समितियों के खातों के पैसों का हेरफेर कर करोड़ों का गबन किया है। यह कारनामा पिछले चार साल से चल रहा था, लेकिन मामला अब खुला है।
शाखा प्रबंधक ने उच्च अधिकारियों को किया सूचित
शाखा प्रबंधक प्रहलाद पटेल वटगन में पदस्थ होने के बाद लेखापाल की भ्रष्ट होने की पहचान कर उधा अधिकारियों को सूचित किया। शाखा प्रबंधक प्रहलाद पटेल का कहना है कि किसानों एवं समस्त ग्राहकों को बैंक की सही सुविधाएं प्राप्त कराना उनका कार्य है। जिसको लेकर वे आगे बढ़ रहे हंै।
एक के साथ अनेक कर्मचारी
भी फंसने के कगार पर
सूरज साहू ने अपने पद का फायदा उठाकर अन्य कर्मचारियों के खातों में राशि डालकर उपभोग किया है। जिससे साथ में काम करने वाले कार्यरत कर्मचारी भी चपेट में आ गए। एक के साथ अनेक कर्मचारियों ने पैसे देखकर अपने आप को भ्रष्ट होने से रोक नहीं पाये। अभी भी अन्य बैंक कर्मचारियों के अंदर से चिंता खत्म नहीं हुआ और कहीं फंस न जाने खतरा मंडरा रहा है जिसके चलते भय में है।
स्थानांतरण नहीं होने का उठाया लाभ
वहीं बलौदाबाजार के शाखा प्रबंधक लाखेश्वर साहू एक बैंक का कर्मचारी जरूर था मगर एक ही स्थान में पिछले 15 वर्षों से जमें रहने का फायदा उठाते हुए लखेश्वर साहू ने यह गबन किया है। अपनी मनमानी और भ्रष्ट काम आखिर पकड़ में आ गया।
पीएचसी, सीएचसी, सिविल, जिला तथा मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में उपचार की सुविधा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 26 अगस्त। प्रदेश में स्वाइन फ्लू के मामले भी सामने आ रहे हैं। रायपुर में ही अब तक छह लोगों की मौत हो चुकी है।
स्वाइन फ्लू के प्रकरण आमतौर पर सर्दियों में होते हैं। पर इसका वायरस मानसून में भी सक्रिय हो गया है। इससे बचने और सावधान रहने की जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को मौसमी बीमारियों के साथ ही कोविड-19 और स्वाइन फ्लू से अलर्ट रहने की अपील की है। स्वाइन फ्लू के लक्षण भी कोरोना के लक्षणों से मिलते-जुलते हैं। इसमें खांसी, बलगम आना, गले में दर्द या खराश, जुकाम और कुछ लोगों को फेफड़ों में इन्फेक्शन होने पर सांस चढऩे लग जाती है। जिन व्यक्तियों को इस तरह के लक्षण महसूस हो रहे हैं, उन्हें तुरंत स्वाइन फ्लू के साथ कोरोना की भी जांच कराना चाहिए।
संचालक महामारी नियंत्रण, डॉ. सुभाष मिश्रा ने स्वाइन फ्लू के कारणों व लक्षणों के बारे में बताया कि स्वाइन फ्लू एच-1 एन-1 इन्फ्लुएंजा ‘ए’ के कारण होता है। यह वायरस वायु कण एवं संक्रमित वस्तुओं को छूने से फैलता है। इसकी संक्रमण अवधि सात दिनों की होती है। बरसात के मौसम में बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों में संक्रमण तीव्र गति से प्रभावी होने का अधिक खतरा रहता है। विशेष रूप से हृदय रोग, श्वसन संबंधी रोग, लीवर रोग, किडनी रोग, डायबिटीज, एचआईव्ही और कैंसर से पीडि़त या ऐसे मरीज जो कि स्टेराइड की दवा का सेवन लम्बे समय से कर रहे हों, उन पर अधिक खतरा बना रहता है।
डॉ. मिश्रा ने बताया कि संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार के साथ खांसी, नाक बहना, गले में खराश, सिर दर्द, बदन दर्द, थकावट, उल्टी, दस्त, छाती में दर्द, रक्तचाप में गिरावट, खून के साथ बलगम आना व नाखूनों का नीला पडऩा स्वाइन फ्लू के लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने इससे बचाव के लिए भीड़-भाड़ वाली जगहों में नहीं जाने, संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क से दूर रहने तथा नियमित रूप से हाथ साबुन या हैण्डवॉश से धोने की सलाह दी है। साथ ही सर्दी-खांसी एवं जुकाम वाले व्यक्तियों के द्वारा उपयोग में लाये गये रूमाल और कपड़ों का उपयोग नहीं करना चाहिए। स्वाइन फ्लू के लक्षण पाए जाने पर पीडि़त को 24 से 48 घंटों के भीतर डॉक्टर से जांच अवश्य कराना चाहिए।
प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में स्वाइन फ्लू की जांच की सुविधा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, सिविल अस्पतालों, जिला चिकित्सालयों तथा मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में इसका इलाज कराया जा सकता है।