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नई दिल्ली, 17 अगस्त (भाषा)। वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट में फेसबुक द्वारा भारत में सत्तारूढ़ दल के नेताओं पर घृणा भाषण संबंधी नियमों को लागू करने में लापरवाही का दावा किये जाने के बाद रविवार को कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गये। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रिपोर्ट को लेकर बीजेपी तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर फेसबुक तथा वॉट्सऐप का इस्तेमाल करते हुए मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए 'फर्जी खबरें' फैलाने का आरोप लगाया।
कांग्रेस जेपीसी जांच की मांग की
इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विपक्षी दल को कैंब्रिज एनालिटिका मुद्दे की याद दिलाने का प्रयास किया। कांग्रेस ने रिपोर्ट में लगाये गये आरोपों की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की मांग करते हुए कहा कि ये भारतीय लोकतंत्र की बुनियाद के लिए खतरा हैं और इनकी जांच की जानी चाहिए। प्रसाद ने पलटवार करते हुए ट्वीट किया, जो हारने वाले लोग अपनी ही पार्टी में लोगों को प्रभावित नहीं कर सकते, वे ऐसा माहौल बनाते रहते हैं कि पूरी दुनिया पर बीजेपी और आरएसएस का नियंत्रण है।
राहुल ने बीजेपी और संघ पर निशाना साधा
उन्होंने कहा, आप चुनाव से पहले आंकड़ों को हथियार बनाने के लिए कैंब्रिज एनालिटिका तथा फेसबुक के साथ गठजोड़ करते हुए रंगे हाथ पकड़े गये थे और अब हमसे सवाल पूछ रहे हैं। इससे पहले राहुल ने रिपोर्ट की एक तस्वीर डालते हुए ट्वीट किया था और बीजेपी और संघ पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, बीजेपी और आरएसएस भारत में फेसबुक तथा वॉट्सऐप पर नियंत्रण करते हैं। वे इसके माध्यम से फर्जी खबरें तथा नफरत फैलाते हैं और मतदाताओं को लुभाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। आखिरकार अमेरिकी मीडिया ने फेसबुक के बारे में सच सामने ला दिया है।
प्रसाद हुए राहुल पर हमलावर
अमेरिकी अखबार ने शुक्रवार को प्रकाशित रिपोर्ट में फेसबुक के अनाम भीतरी सूत्रों के साथ साक्षात्कारों का हवाला दिया है। इसमें दावा किया गया है कि उसके एक वरिष्ठ भारतीय नीति अधिकारी ने कथित तौर पर सामुदायिक आरोपों वाली पोस्ट डालने के मामले में तेलंगाना के एक बीजेपी विधायक पर स्थायी पाबंदी को रोकने संबंधी आंतरिक पत्र में दखलंदाजी की थी। राहुल के बयानों पर जवाब देते हुए प्रसाद ने यह भी कहा, सच यह है कि आज सूचना प्राप्त करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लोकतांत्रिक रूप दिया गया है। अब इन पर आपके परिवार के अनुयायियों का कब्जा नहीं रहा है और इसलिए यह बात आपको चुभती है।
प्रसाद ने कैंब्रिज एनालिटिका का जिक्र किया
प्रसाद ने जिस कैंब्रिज एनालिटिका का जिक्र किया वह 2018 में कांग्रेस पर लगे आरोपों से संबंधित है। आरोप थे कि ब्रिटिश कंपनी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए कांग्रेस को फेसबुक की अनेक पोस्ट का विश्लेषण करने की पेशकश की थी। कांग्रेस ने आरोपों को खारिज कर दिया था।
फेसबुक का पक्ष जानना चाहते हैं थरूर
सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि समिति रिपोर्ट के बारे में फेसबुक का पक्ष जानना चाहेगी। थरूर की टिप्पणी पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि उन्हीं विषयों को समिति के समक्ष उठाया जा सकता है जो स्वीकार्य हैं और संसदीय स्थायी समितियों के नियमों के अनुरूप हैं। उन्होंने कहा कि इन समितियों को सदस्यों द्वारा अपनी पार्टी के नेताओं के अहम के तुष्टीकरण के लिए राजनीतिक मंच नहीं बनाना चाहिए।
माकन ने जेपीसी से जांच की मांग की
कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन ने एक डिजिटल संवाददाता सम्मेलन में इन आरोपों में जेपीसी जांच कराने की मांग की कि फेसबुक ने बीजेपी सांसदों के मामले में अपनी घृणा भाषण वाली नीति की अनदेखी की। इसमें नई बात क्या है, ये सब पहले से ही जानते हैं की ये लोग ऊपर से नीचे तक झूठे होते हैं।
बरेली, 17 अगस्त (आईएएनएस)| बरेली में सरकारी महिला आश्रय गृह के 90 कैदियों का कोविड-19 टेस्ट पॉजीटिव आया है। महिला कल्याण विभाग की उपनिदेशक, नीता अहिरवार ने कहा, "पिछले दो दिनों में नारी निकेतन की 90 कैदियों का कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटिव आया है। इन सभी को क्वारंटाइन कर दिया गया है।"
उन्होंने आगे कहा, "ये कैदी कोरोनावायरस से संक्रमित कैसे हुईं, इसकी जांच की जा रही है।"
सभी कैदियों में इसका लक्षण नहीं दिखा है, उन्हें दो मंजिला घर में क्वारंटाइन किया गया है।
इससे पहले, एक सहायक स्टाफ सदस्य का वायरस टेस्ट पॉजीटिव आया था।
नीता अहिरवार ने कहा कि आश्रय गृह में करीब 200 कैदी हैं और उन सभी का कोरोना टेस्ट किया गया है। इनमें से 90 का रिपोर्ट पॉजीटिव आया है।
डॉक्टरों की एक टीम नियमित रूप से चेकअप के लिए दौरा करती है और दवा उपलब्ध करा रही है।
अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अशोक कुमार ने कहा, "हमने आश्रय गृह को सैनिटाइज कर दिया है। फिलहाल, हमने किसी भी कैदी को अस्पताल में स्थानांतरित नहीं किया है, क्योंकि उन सभी में लक्षण नहीं है। आपातकालीन सेवाएं भी उपलब्ध हैं।"
कोरोना वायरस, 17 अगस्त। देश में कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. इस बीच भाजपा के एक सांसद ने अजीबो-गरीब सलाह दी है. राजस्थान के टोंक से बीजेपी के सांसद ने सलाह दी है कि कीचड़ में नहाने और शंख बजाने से कोरोना वायरस पास नहीं आएगा और आप इससे बचे रहेंगे. बीजेपी सांसद का ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
भाजपा सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया का इस वीडियो में कीचड़ में नहाते दिख रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने अपने एक हाथ में शंख लिया हुआ है और वह इसे बजाते दिख रहे हैं. वह इस वीडियो में कह रहे हैं कि कोरोना जिस दिन शुरू हुआ था, उसी दिन उन्होंने कहा था कि अपनी इम्यूनिटी बढ़ाइए. वह कह रहे हैं कि इम्यूनिटी दवाई खाने से नहीं बढ़ेगी.
वह कह रहे हैं कि आपको प्राकृतिक तरीके से इम्यूनिटी मिलेगी. घूमने जाइए, बारिश में जाइए, मिट्टी में बैठिए. इसके साथ-साथ खेत में काम करिए, पैदल घूमिए और शंख बजाइए. इन चीजों से इम्यूनिटी बढ़ती है. उन्होंने कहा कि दवाई खाने की जरूरत बिल्कुल नहीं है.
सांसद ने कीचड़ स्नान और शंख बजाकर अपनी इम्यूनिटी बढ़ने का दावा भी किया. उन्होंने इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए गुडहल के पत्ते तथा एलोविरा खाने की सलाह दी. इससे पहले केन्द्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद अर्जुन मेघवाल ने भाभीजी पापड़ खाने की सलाह दी थी. उन्होंने कहा था कि भाभीजी पापड़ खाने से कोरोना नहीं होगा. हालांकि बाद में अर्जुन मेघावल खुद कोविड-19 से संक्रमित हो गए.(CATCHNEWS)
नई दिल्ली, 17 अगस्त। रूस द्वारा कोरोना टीका बनाने का दावा करने के बाद सोने और चांदी के दाम में बीते सप्ताह भारी गिरावट आई। लेकिन, आर्थिक सुस्ती, अमेरिका-चीन के बीच तकरार और डॉलर में कमजोरी से सोने और चांदी की तेजी को आगे भी सपोर्ट मिलने के आसार हैं। कमोडिटी विशेषज्ञों की माने तो सोने और चांदी के प्रति निवेशकों को आकर्षण अभी कायम है क्योंकि कोरोना का कहर अभी टला नहीं है और शेयर बजार में अनिश्चितता बनी हुई है। विशेषज्ञ बताते कि महंगी धातुओं के प्रति निवेशकों का आकर्षण कम नहीं हुआ है, यही वजह कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने का वायदा भाव रिकॉर्ड उंचाई 2089 डॉलर प्रति औंस से 215 लुढ़ककर 1874 डॉलर पर आ गया, लेकिन सप्ताह के आखिर में सोने का भाव 1953.60 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुआ, जोकि इससे पहले के रिकॉर्ड स्तर काफी उपर है। सोने का वायदा भाव इससे पहले 2011 में 1,911.60 डॉलर प्रति औंस तक उछला था। हालांकि हाजिर में इससे पहले का रिकॉर्ड स्तर 1920 डॉलर प्रति औंस था।
कॉमेक्स पर सोने का वायदा भाव सात अगस्त 2020 को रिकॉर्ड 2,089.20 डॉलर प्रति औंस तक उछला, लेकिन कोरोना के वैक्सिन तैयार होने की खबर के बाद बीते बुधवार को लुढ़ककर 1,874.20 डॉलर प्रति औंस पर आ गया।
केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया बताते हैं कि अमेरिका और चीन के बीच तनाव और डॉलर में कमजोरी के साथ-साथ शेयर बाजार में अस्थिरता लगातार जारी है, जिससे सोने को सपोर्ट मिल रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की रेस में मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कमजोर पड़ने से शेयर बाजार की अनिश्चितता और गहरा सकती है, जिससे सोने और चांदी के प्रति निवेशकों का रुझान बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंकों की ब्याज दरें कम होने और कोरोना के कहर से मिल रही आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए निवेशक अभी भी निवेश के सुरक्षित साधन को पसंद कर रहे हैं जिनमें सोना उनका पसंदीदा निवेश उपकरण है।
घरेलू वायदा बाजार में भी सोना बुधवार को 50,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से नीचे आ गया, लेकिन बाद में संभलकर 52,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से उपर बंद हुआ। चांदी का भाव जो घरेलू वायदा बाजार में सात अगस्त को 77,949 रुपये प्रति किलो के रिकॉर्ड स्तर तक उछला था वह 12 अगस्त को टूटकर 60,910 रुपये प्रति किलो पर आ गया जबकि सप्ताह के आखिर मंे शुक्रवार को एमसीएक्स पर चांदी का भाव 67,220 रुपये प्रति किलो पर बंद हुआ। सोने और चांदी में तेजी के आसार से कोई इनकार नहीं कर रहा है, लेकिन उंचे भाव पर मुनाफावसूली का दबाव रहने से कीमतों में उतार-चढ़ाव का दौर जारी रह सकता है।
एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता कहते हैं कि डॉलर में कमजोरी से सोने को सपोर्ट मिलेगा लेकिन कोरोना वैक्सीन बन जाने से मुनाफावसूली का दबाव बना रहेगा, क्योंकि सोने और चांदी कीमतें अभी काफी उपर हैं जोकि छोटे निवेशकों के दायरे से उपर है। उन्होंने कहा कि फिजिकल मार्केट यानी हाजिर बाजार में पुराने सोने की बिकवाली बढ़ सकता है।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि कोरोना के टीके की खबर के बाद सोने चांदी में गिरावट आना और फिर रिकवरी इस बात का सूचक है कि सोने और चांदी में अभी और तेजी की संभावना है जिससे निवेशकों का मनोबल और उंचा होगा और जो लोग अब तक इंतजार में थे वे खरीदारी के प्रति उत्सुक होंगे।(IANS)
कुल संक्रमित 26 लाख के पार
देश में कुल कोरोना संमितों की संख्या 26,47,664 हो गई है। इसमें 6,76,900 मामले सक्रिय हैं। वहीं, अब तक 19,19,843 लोगों को इलाज के बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है। कोरोना की चपेट में आकर अब तक देश में 50,921 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
देश में हर दिन कोरोना के 50 हजार से ज्यादा मामले आ रहे और सैकड़ों लोगों की मौत हो रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 57,982 नए केस सामने आए है और 941 लोगों की मौत हो गई है।
देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 26 लाख के पार पहुंच गई है। देश में कुल कोरोना संमितों की संख्या 26,47,664 हो गई है। इसमें 6,76,900 मामले सक्रिय हैं। वहीं, अब तक 19,19,843 लोगों को इलाज के बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है। कोरोना की चपेट में आकर अब तक देश में 50,921 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
देश के अलग-अलग राज्यों से कोरोना के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं वह बेहद चिंताजनक हैं। महाराष्ट्र में अब तक कोरोना के 5,95,865 केस सामने आ चुके हैं। कोरोना प्रभावित राज्यों में महाराष्ट्र पहले नंबर पर है। राज्य में कोरोना के 1,58,395 मामले सक्रिय हैं। अब तक 4,17,123 लोगों को डिस्चार्ज किया जा चुका है और 20,037 लोगों की मौत हो चुकी है।
कोरोना प्रभावित राज्यों में तमिलनाडु दूसरे नंबर पर है। तमिलनाडु में कोरोना के अब तक 3,38,055 मामले सामने आ चुके हैं। राज्य में 54,019 सक्रिय केस हैं और 2,78,270 लोगों को अस्पताल से इलाज के बाद छुट्टी दी जा चुकी है। अब तक 5,766 लोगों की मौत हो चुकी है।
वहीं, आंध्र प्रदेश कोरोना प्रभावित राज्यों में तीसर ने नंबर पर है। राज्य में अब तक कोरोना के 2,89,829 केस सामने आ चुके हैं। इनमें 85,945 मामले सक्रिय हैं और 2,01,234 लोगों को डिस्चार्ज किया जा चुका है। राज्य में अब तक कोरोना से 2,650 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
कोरोना प्रभावित राज्यों में कर्नाटक चौथे नंबर पर पहुंच गया है। कर्नाटक में अब तक कोरोना के 2,26,966 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 81,510 केस सक्रिय हैं और 1,41,491 लोगों को डिस्चार्ज किया जा चुका है। राज्य में कोरोना से अब तक 3,956 लोगों की जान जा चुकी है।
देश की उत्तर प्रदेश कोरोना प्रभावित राज्यों में पाचंवें नंबर पर है। यूपी में कोरोना के अब तक 1,54,418 मामले सामने आए हैं। प्रदेश में कोरोना के 51,537 सक्रिय मामले हैं। अब तक 1,00,432 लोगों को इलाज के बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है। कोरोना की चपेट में आकर अब तक 2,449 लोगों की मौत हो चुकी है।(नवजीवन)
नई दिल्ली, 17 अगस्त। पश्चिम बंगाल में एक और कार्यकर्ता की हत्या की घटना पर भाजपा ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है। पार्टी नेताओं का मानना है कि जिस तरह से राज्य में विपक्षी नेताओं पर लगातार हमले की घटनाएं हो रहीं हैं, उससे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को बगैर राष्ट्रपति शासन के निष्पक्ष और शांतिपूर्ण तरीके से नहीं कराया जा सकता।
स्वतंत्रता दिवस के दिन हुगली जिले के आरमबाग में 40 वर्षीय बीजेपी कार्यकर्ता सुदर्शन प्रमाणिक की तिरंगा फहराने को लेकर हुए हुई हत्या की घटना ने पार्टी नेताओं को आक्रोशित कर दिया है। भाजपा ने सत्ता पर कब्जा बरकरार रखने के लिए सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस पर हिंसा का सहारा लेने का आरोप लगाया है।
पश्चिम बंगाल की दार्जिलिंग सीट से सांसद राजू बिष्ट ने यहां राजधानी में आईएएनएस से कहा, जिस तरह से हेमताबाद विधायक देबेंद्र नाथ के बाद पार्टी कार्यकर्ता सुदर्शन की हत्या हुई। उससे इन परिस्थितियों में अगले साल संभावित विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से नहीं हो सकता। लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराना है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करना ही एकमात्र विकल्प है।
उन्होंने कहा कि हिंसक घटनाओं से जूझ रहे राज्य के हालात के बारे में पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व से संज्ञान में लेने का अनुरोध किया है। ताकि इस दिशा में ठोस कदम उठाकर पार्टी कार्यकतार्ओं के जान-माल की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।
भाजपा सांसद राजू बिष्ट ने कहा कि भय और आतंक के माहौल में लोकतंत्र नहीं पनप सकता। पश्चिम बंगाल में खतरनाक स्थिति है। लगातार हमले के कारण पार्टी के जमीनी कार्यकतार्ओं के मनोबल पर असर पड़ रहा है। सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस हिंसा के जरिए राज्य पर कब्जा बरकरार रखना चाहती है। इस नाते राष्ट्रपति शासन लगना जरूरी है।(IANS)
-रिपोर्ट ईशा भाटिया सानन
डिजिटल दुनिया में इस तरह का रिकॉर्ड इससे पहले किसी भारतीय वीडियो का नहीं रहा है. दुनिया भर में यूट्यूब पर सबसे ज्यादा डिसलाइक किए जाने वाले वीडियो की लिस्ट में सड़क 2 का ट्रेलर तीसरे नंबर पर आ गया है. दूसरे नंबर पर है जस्टिन बीबर का गाना "बेबी" जिसे 11.59 मिलियन यानी एक करोड़ 15 लाख डिस्लाइक मिले हैं. जिस रफ्तार से सड़क 2 के डिसलाइक बढ़ रहे हैं, कोई बड़ी बात नहीं कि और एक-दो दिन में यह जस्टिन बीबर के वीडियो को भी पीछे छोड़ दे.
हालांकि इसे पहला स्थान दिलाने के लिए लोगों को थोड़ी और मेहनत करनी पड़ेगी क्योंकि इस सूची में सबसे ऊपर जो वीडियो है उसे 18.20 मिलियन यानी एक करोड़ 82 लाख डिसलाइक मिले हैं. इसका नाम है यूट्यूब रिवाइंड 2018. यूट्यूब रिवाइंड सीरीज के तहत हर साल एक लंबा वीडियो अपलोड किया जाता है जिसमें साल भर के यूट्यूब ट्रेंड्स पर चर्चा की जाती है. 2018 में लोगों को यह इतना नापसंद आया कि इसे "मोस्ट डिसलाइक्ड यूट्यूब वीडियो" का खिताब मिल गया.
सड़क 2 को इस कदर डिसलाइक मिलने की वजह बॉलीवुड में नेपोटिज्म पर जारी बहस को माना जा रहा है. एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से यह बहस काफी तेज हो गई है. करण जौहर, महेश भट्ट और आलिया भट्ट पर सबसे ज्यादा टिप्पणी की जा रही है. लोगों को सबसे ज्यादा तकलीफ कॉफी विद करण शो की उस क्लिप से है जिसमें आलिया भट्ट करण के साथ "मैरी, हुक अप, किल" नाम का गेम खलती नजर आ रही हैं. यह एक बचकाना गेम है जिसे अकसर स्कूलों या कॉलेजों में खेला जाता है. तीन नामों में से एक को "मैरी" यानी शादी के लिए चुनना होता है, एक को "हुक अप" यानी छोटे मोटे अफेयर के लिए और एक को "किल" यानी मारने या फिर गेम से ही हटा देने के लिए. इस गेम में आलिया ने सुशांत का नाम "किल" के लिए चुना था.
सुशांत की मौत के बाद जब यह क्लिप वायरल हुआ तो लोग कहने लगे कि आलिया पहले से ही सुशांत को मारना चाहती थीं. यही वजह है कि उनकी फिल्म के ट्रेलर को लोग इतना ज्यादा डिसलाइक कर रहे हैं. फिल्म में संजय दत्त भी हैं और उनकी कैंसर की खबर के बाद से लोग उनके लिए संवेदना दिखा रहे हैं. ऐसे में यूट्यूब का कमेंट सेक्शन आलिया भट्ट के लिए नफरत और संजय दत्त के लिए दुआओं से भरा हुआ दिख रहा है.(DW.COM)
नई दिल्ली, 17 अगस्त। मौजूदा समय में दुनिया के सबसे बड़े कर्जदाता देश चीन ने पिछले दो दशकों में 150 से अधिक देशों को ऋण दिया है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उसने ऐसा बिना किसी बाधा या जरूरी औपचारिकताओं के किया है।
चीन पेरिस क्लब का सदस्य नहीं है जो ऋणदाता राष्ट्रों का एक अनौपचारिक समूह है जिसका उद्देश्य व्यावहारिक पुनर्भुगतान समाधान पेश करना है। यह आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) का भी हिस्सा नहीं है। पेरिस क्लब और ओईसीडी, दोनों आधिकारिक देनदारों के ऋण रिकॉर्ड को बनाए रखते हैं।
चीन की वित्तीय सहायता को प्रत्यक्ष ऋण के अलावा ट्रेड क्रेडिट, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अग्रिम के रूप में निर्देशित किया जाता है। हालांकि यह कोई रहस्य नहीं है लेकिन जो बहुत चिंताजनक है, वह है इसके उधार पैटर्न और रिकॉर्ड रखने में पारदर्शिता की कमी।
हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू (एचबीआर) के अनुसार, चीन के बकाया दावे अब वैश्विक जीडीपी के पांच प्रतिशत से अधिक हो चुके हैं। इसके साथ ही ड्रैगन द्वारा अपने स्थानीय अधिकारियों और उधारदाताओं के माध्यम से अनौपचारिक रूप से ऋण का एक बड़ा हिस्सा भी दिया गया है, जिसका व्यावहारिक रूप से कोई हिसाब-किताब नहीं है।
रिपोर्ट बताती है कि लगभग 1.5 ट्रिलियन डॉलर दिया गया है लेकिन विश्लेषकों ने इस आंकड़े पर सवाल उठाया है क्योंकि चीन अन्य देशों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता की मात्रा पर चुप है।
नाम नहीं छापने की शर्त पर एक विश्लेषक ने कहा, "चीन के आधिकारिक आंकड़े सही तस्वीर पेश नहीं करते हैं और कोरोना वायरस युग जैसे संकटों के काल में आर्थिक स्थिति, ऋण और पुनर्भुगतान के बारे में स्पष्ट और पारदर्शी जानकारी प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। चीन के साथ मामला ऐसा नहीं है।"
कोरोना वायरस महामारी द्वारा चीन और दुनिया की वैश्विक अर्थव्यवस्था को गतिरोध में लाने से पहले चीन रेटिंग एजेंसियों की जांच से बचा हुआ था।
लेकिन, महामारी फैलने के साथ तस्वीर बदल गई। जून में विश्व बैंक ने अपने ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स में कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था इस साल 5.2 प्रतिशत तक सिकुड़ सकती है जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे खराब स्थिति होगी।
चीनी ऋण लेने वाले कई देश ने कर्ज चुकाने में असमर्थता का संकेत दिया है। इसके बावजूद चीन नए गठबंधनों को बनाने के लिए नई सहायता प्रदान कर रहा है। नेपाल और बांग्लादेश इसकी मिसाल हैं।
एचबीआर ने रिपोर्ट में कहा है कि चीन अपने अंतरराष्ट्रीय उधार को रिपोर्ट नहीं करता है और चीनी ऋण हर तरह से पारंपरिक डेटा-एकत्रित करने वाले संस्थानों से बच जाते हैं। उदाहरण के लिए मूडीज और स्टैंडर्ड एंड पुअर्स जैसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां या ब्लूमबर्ग जैसे डेटा प्रदाता, निजी कर्जदाताओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं। चूंकि चीन का कर्ज राज्य प्रायोजित है, इसलिए इनकी रडार स्क्रीन से बाहर है।
यह बिना हिसाब-किताब वाला कर्ज या जिसे एचबीआर ने 'छिपा हुआ ऋण' कहा है, अब कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के लिए चिंता का कारण बन गया है।
(यह सामग्री इंडियानैरेटिव डॉट कॉम के साथ एक व्यवस्था के तहत प्रस्तुत की गई)(IANS)
एयरलिफ्ट कर रायपुर में भर्ती कराया
बिलासपुर, 17 अगस्त। खूंटाघाट बांध की उलट में तेज बहाव के बीच फंसे अधेड़ (43 साल) की जान आखिर बच गई। रातभर वह तेज बहावों के बीच पेड़ के सहारे फंसा रहा और प्रशासन और भीड़ उसे ढांढस बंधाती रही। सुबह वायुसेना के हेलिकॉप्टर ने पहुंचकर उसे एयरलिफ्ट किया और उसकी जान बच गई। पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया की शाम 6 बजे से तेज बहाव में पेड़ के सहारे फंसे अधेड़ को बचाने के लिये हरसंभव प्रयास किये गये। राज्य आपदा प्रबंधन, नगर सेना, एसईसीएल, एनटीपीसी, खनिज विभाग के बचाव दल को खबर कर बुलाया गया पर स्थिति नाजुक थी कोई भी वहां पहुंचकर उसे निकालकर लाने की स्थिति में नहीं था। आखिरकार रात में ही वायुसेना से सम्पर्क किया गया। सुबह 7.30 बजे सेना के हेलिकॉप्टर ने पहुंचकर अधेड़ को एयरलिफ्ट किया और उसको सफलतापूर्वक बाहर निकाल लिया गया। अधेड़ का नाम जितेन्द्र कश्यप (43 वर्ष) ग्राम गिधौरी का बताया गया है। उसे वायुसेना के बचाव दल ने रायपुर ले जाकर रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल में भर्ती कराया है। एस पी अग्रवाल ने बताया कि युवक का हौसला बनाये रखने के लिये रातभर पुलिस टीम के साथ लोगों की भीड़ वहां जमा रही। प्रकाश की व्यवस्था की गई थी और लाउड स्पीकर के जरिये बताया जा रहा था उसे बचाने के लिये लोग पहुंच रहे हैं। उसे रात भर जागते रहने के लिये कहा गया था ताकि बहाव के बीच अपने आपको संभाले रखे।
ज्ञात हो कि कल शाम करीब 6.15 बजे एक अधेड़ मछली मारने की नीयत से खूंटाखाट बांध के वेस्ट वियर के पास उतर गया था। दर्जनों नालों और कई नदियों से भारी बारिश के कारण बांध में पानी तेजी से पहुंचने लगा और देखते ही देखते वह तेज बहाव में फंस गया। उसे तैरना आता है तो वह कुछ आगे एक पेड़ पर जाकर टिक गया। इस बीच लगातार वेस्ट वियर पर पानी का बहाव बढ़ने लगा। इस खौफनाक मंजर के बीच लटके अधेड़ के बचाव के लिये बांध में कोई व्यवस्था नहीं थी। पूरे बिलासपुर जिले में दिनभर तेज बारिश हुई। इसके चलते नदी नाले उफान पर हैं और जन-जीवन अस्त व्यस्त है।
Breathtaking!
— Dipanshu Kabra (@ipskabra) August 17, 2020
What seems impossible to us, #IndianAirForce makes it look so simple...
The @IAF_MCC's #SkyWarrior first himself attempted to go down & bring the man up, risking his own life. But due to fast wind it wasn't possible, later the guy was rescued with other technique. pic.twitter.com/3xfpbScTbP
भारत के ग्रामीण इलाक़ों में साठ करोड़ से अधिक लोग रहते हैं और अब ये डर बढ़ रहा है कि बहुत से लोग बिना टेस्ट और इलाज के ही इस वायरस का शिकार न बन जाएं.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के डेटा के मुताबिक़ देश की ग्रामीण आबादी के 25 प्रतिशत लोगों की पहुंच ही सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं तक है.
भारत के बुज़ुर्गों की 70 फ़ीसदी आबादी गाँवों में रहती है और इन्हें लेकर भी चिंताएं बढ़ रही हैं.
स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच न होने की वजह से गाँवों में बहुत से लोग गंभीर बीमारियों का भी इलाज नहीं करा पाते हैं. ऐसे में जानलेवा बीमारियों का इलाज समय पर नहीं हो पाता है.
भारत के शीर्ष महामारी विशेषज्ञ जयप्रकाश मुलीयिल मानते हैं कि भारत की कम से कम आधी आबादी तक कोरोना संक्रमण पहुंचेगा.
उन्होंने द गार्डियन से कहा है कि भारत के ग्रामीण इलाक़ों में पहले से जानलेवा बीमारियों का शिकार बहुत से लोग कोविड-19 का इलाज नहीं करा पाएंगे
वो कहते हैं, '’इस समूह और बुज़ुर्गों पर वायरस की चपेट में आने का ख़तरा ज़्यादा है. सीमित संसाधनों की वजह से परिवार बुज़ुर्गों को तुरंत अस्पताल नहीं लेकर जाएंगे. उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया जाएगा. ये ग्रामीण भारत की एक सच्चाई है जहां औसत आयु 65 वर्ष ही है.’'
मुलियल कहते हैं कि भारत के कई ज़िले दस हज़ार वर्ग किलोमीटर से भी बड़े हैं. मौत अलग-अलग इलाक़ों में हो रही होंगी. ऐसे में इस मानवीय त्रासदी की पूरी तस्वीर कभी सामने आ ही नहीं पाएगी या सामने आएगी भी तो इसमें बहुत वक़्त लगेगा.
ग्रामीण इलाक़ों के डर
सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण भारत में जिस तरह महामारी फैलेगी वो शहरों के मुक़ाबले बिल्कुल अलग होगा.
शहरों में भले ही ये बीमारी तेज़ी से फैल रही है लेकिन यहां डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के ख़िलाफ़ इससे लड़ने के लिए कुछ संसाधन तो है हीं. भारत में 80 प्रतिशत डॉक्टर और 60 प्रतिशत अस्पताल शहरी इलाक़ों में ही हैं.
बीस करोड़ से अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश और 10 करोड़ से अधिक आबादी वाले राज्य बिहार में हालात मुश्किल हो सकते हैं. दोनों ही राज्यों की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं बेहद लचर हैं.
भारत के सबसे ग़रीब प्रांतों में से एक बिहार में तीस प्रतिशत से अधिक लोग ग़रीबी रेखा से नीचे हैं. यहां 90 प्रतिशत के क़रीब आबादी गाँवों में ही रहती है.
2019 के नेशनल हेल्थ प्रोफ़ाइल डेटा के मुताबिक़ बिहार में हर दस हज़ार की आबादी पर सिर्फ़ एक बिस्तर और चार डॉक्टर ही उपलब्ध हैं. राज्य में जब वायरल बुख़ार या डेंगू फैलता है तब भी स्वास्थ्य सेवाओं की हालत ख़राब हो जाती है.
उत्तर प्रदेश सरकार के मुताबिक़ इस समय प्रदेश में कोविड संक्रमण के लिए 135 अस्पताल हैं. सरकार ने बड़े पैमाने पर टेस्ट कराने का लक्ष्य भी रखा है लेकिन अभी भी संक्रमण की पूरी तस्वीर सामने नहीं आई है. (BBC)
उज्जैन, 17 अगस्त। मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में खुद को भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) बताकर लोगों पर धौंस जमाने वाले अधेड़ को पुलिस ने दबोच लिया है। उसके घर से सौ से ज्यादा पासबुक बरामद की गई हैं। विशेष कार्य बल (एसटीएफ ) के पुलिस अधीक्षक गीतेश गर्ग ने रविवार को संवाददाताओं को बताया कि अमलाहा टोल बैरियर पर एक व्यक्ति के खुद को आईपीएस बताकर धमकाने की शिकायत मिली। वह इस टोल बैरियर पर तीन से चार लोगों को नौकरी पर रखने का दवाब बना रहा था। वह खुद को विपिन माहेश्वरी बता रहा था, जबकि उसकी पहचान ज्योतिर्मय विजयवर्गीय के तौर पर हुई है।
गर्ग के अनुसार, वह इंदौर से भोपाल जाते समय तमाम टोल बैरियरों पर खुद को आईपीएस विपिन माहेश्वरी बताता था। उसके खिलाफ भोपाल में मामला भी दर्ज है। आरोपी के घर से सौ पासबुक बरामद की गई हैं। बैंक अकाउंट उसकी पत्नी और नौकर आदि के नाम पर हैं।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, इस अधेड़ का रहन-सहन शाही है। वह फॉच्र्युनर कार से चलता है, जिस पर आसानी से कोई शक भी नहीं कर सकता। उसके माता-पिता देवास में रहते हैं।(IANS)
नई दिल्ली, 17 अगस्त। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को रविवार को उनके जन्मदिन पर 30 हजार ऑक्सीमीटर दान में मिले। इन ऑक्सीमीटरों का इस्तेमाल अब देशभर के विभिन्न गांवों में लोगों के ऑक्सीजन स्तर की जांच के लिए किया जाएगा। शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम होने पर कोरोना के संक्रमण का खतरा रहता है। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा, "हमें दान में 30,000 ऑक्सीमीटर देकर लोगों ने अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। मैं इससे अभिभूत हो गया हूं। अब 30,000 गांवों में ऑक्सीजन जांच केंद्र स्थापित किए जा सकेंगे।"
केजरीवाल और उनकी पार्टी के मुताबिक, इन ऑक्सीमीटरों का इस्तेमाल किए जाने से पहले गांव में रहने वाले युवाओं को इनके इस्तेमाल का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के बाद गांव के युवा गांव के अंदर ही ऑक्सी केंद्र स्थापित करेंगे। सेनिटाइज करके एक ऑक्सीमीटर का उपयोग कई लोग कर सकेंगे।
16 अगस्त केजरीवाल का जन्मदिन है। हालांकि इस बार उन्होंने जन्मदिन न मनाने का फैसला किया है। बावजूद इसके, मुख्यमंत्री अपने समर्थकों से गिफ्ट लेने को राजी हैं। यह गिफ्ट कुछ और नहीं, बल्कि कोरोना रोगियों के उपचार में काम आने वाला ऑक्सीमीटर है। मुख्यमंत्री ने लोगों से ऑक्सीमीटर दान देने की अपील की है।
मुख्यमंत्री ने कहा, "मैं जन्मदिन नहीं मना रहा हूं। इसलिए आप लोगों को केक नहीं खिलाऊंगा, लेकिन आप लोगों से मुझे गिफ्ट चाहिए और वह गिफ्ट यही है कि जो लोग जितने ऑक्सीमीटर आम आदमी पार्टी को दान कर सकते हैं, दान कीजिए।"
मुख्यमंत्री को ऑक्सीमीटर दान करने के लिए कई व्यक्ति आगे आए हैं। इसमें अमृतसर से डॉ. निज्झर 500 ऑक्सीमीटर दान कर रहे हैं। इसी तरह मीना और अजय मित्तल 500, बेंगलुरू से मोहन दसारी 250 और लखनऊ के वैभव महेश्वरी 300 ऑक्सीमीटर दान दे रहे हैं। इसके अलावा भी बहुत से लोग ऑक्सीमीटर दान करने के लिए आगे आए हैं।(IANS)
नई दिल्ली, 17 अगस्त। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुण्यतिथि से कुछ दिन पहले, तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुखेंदु राय ने आरोप लगाया है कि भारत सरकार ने नेताजी के सभी फाइलों को अभी तक अवर्गीकृत(डिक्लासिफाइड)नहीं किया है। साथ ही उन्होंने देश के महान स्वतंत्रता सेनानी के खिलाफ कथित रूप से साजिश रचने के लिए जवाहर लाल नेहरू पर निशाना साधा। तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुखेंदु शेखर राय बोस के मामले संसद के अंदर और बाहर भी लगातार उठाते रहे हैं। उन्होंने आईएएनएस से इस मुद्दे पर खुल कर अपना पक्ष रखा।
यहां साक्षात्कार के कुछ अंश प्रस्तुत हैं।-
प्रश्न : नेताजी के गायब होने के 75 वर्ष बाद, आपको लगता है कि उनके साथ क्या हुआ था, वह हमें पता है?
उत्तर : सालों से सच्चाई बाहर नहीं आने के लिए एक ठोस साजिश रची गई। मैं ब्रिटेन, अमेरिका, रूस और जापान के गुप्त रखे गए फाइलों को अवर्गीकृत करने की मांग करना चाहूंगा। उन्होंने इसे क्यों नहीं किया? मैं इस सूची में वियतनाम का भी नाम जोड़ना चाहूंगा।
प्रश्न : क्या आप यह सुझाव दे रहे हैं कि नेताजी से संबंधित फाइलों को अवर्गीकृत करने के लिए उन सरकारों को कहना चाहिए?
उत्तर : ब्रिटेन ने कुछ फाइलों को जारी किया था, लेकिन 2000 में वर्गीकृत फाइलों को जारी करने की तिथि 2025 तक बढ़ा दी, जब उन्हें इन फाइलों को अवर्गीकृत करना था। इसलिए इस बात की क्या गारंटी है कि जब 2025 आएगा तो वह इसे 2050 तक नहीं बढ़ा देंगे। 3-4 पीढ़ी के बाद, कोई भी यह जानने में रूचि नहीं लेगा कि नेताजी के साथ क्या हुआ था। यहीं उनका आइडिया है।
प्रश्न : आपके अुनसार इसका समाधान क्या है?
उत्तर : मैंने तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को इस मुद्दे पर पत्र लिखा था। उन्होंने राज्यसभा में बताया था कि अमेरिका ने बिखरे हुए रिकार्ड का हवाला देकर इसमें अपनी अक्षमता की सूचना दी है। जब हम डिजिटल इंडिया की बात करते हैं और जब सारी सूचनाएं एक माउस पर उपलब्ध है, अमेरिका 'बिखरे हुए रिकार्ड' का हवाला देना हास्यास्पद है। ब्रिटेन ने कहा है उन्होंने उन फाइलों को अवर्गीकृत कर दिया है जिसे वह उचित मानते हैं। जापान ने कोई जवाब नहीं दिया है। मैंने सुषमा जी को फिर से सभी विदेशी सरकारों से आग्रह करने के लिए कहा। लेकिन एक सांसद क्या कर सकता है, जब अन्य किसी सांसदों को इससे कोई मतलब नहीं है। किसी भी सांसद की इसमें रूचि नहीं है।
प्रश्न : चलिए अब घर पर आते हैं, भारत ने नेताजी की फाइलों को अवर्गीकृत कर दिया है। इससे बहुत सारी अज्ञात सच्चाई बाहर आई है। क्या आप इससे सहमत नहीं है?
उत्तर : मैं चुनौती देता हूं कि भारत ने नेताजी की सभी फाइलों को अवर्गीकृत नहीं किया है। अभी भी नेताजी से संबंधित दस्तावेज रक्षा मंत्रालय और पीएमओ में पड़ा हुआ है।
प्रश्न : आपने साजिश की बात की है। क्या आप इसे विस्तार से बता सकते हैं?
उत्तर : इंडियन नेशनल आर्मी(आईएनए) की वजह से भारत आजाद हुआ। आईएनए के कई जवानों को भारत के कैंपों में बंद रखा गया और अन्य को रेड फोर्ट में रखा गया। लोग नेताजी का नारा लगाते हुए इंतजार कर रहे थे। जवाहर लाल नेहरू ने कभी अपने जीवन में लॉ की प्रैक्टिस नहीं की थी, वह तेज बहादुर सप्रू के साथ केवल आईएनए की तरफ दिखने के लिए आईएनएस जवानों को बचाने गए। नेहरू केवल वहां पब्लिसिटी के लिए गए थे। साजिश बहुत पुरानी है। शहनवाज समिति का गठन क्यों किया गया? क्यों पूर्व आईएनए सदस्य द्वारा जांच किया गया? जिस समय जांच हो रही थी, उसे क्यों केंद्र सरकार में उप मंत्री बनाया गया।(IANS)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 अगस्त। प्रदेश में रात 11 . 00 बजे तक 576 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इनमें रायपुर जिले से 230+16 , दुर्ग 57+41 , बिलासपुर 42, रायगढ़ 34+2 , बालोद 33 , सरगुजा 16, जशपुर 11, राजनांदगांव 9+42 , दंतेवाड़ा 5, बालोद 3 +33 , बलौदाबाजार 3 व महासमुंद 3+5 , कोरिया, नारायणपुर व बीजापुर 2-2, बेमेतरा, कबीरधाम1 +6 , गरियाबंद, कोरबा, सूरजपुर, कांकेर व अन्य से 1-1 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।
राज्य में आज 7 कोरोना पॉजिटिव मरीजों की मौत हुई है।
प्रदेश में कुल पॉजिटिव मरीजों की संख्या 15621 है। एक्टिव मरीज 5244 हैं। आज प्रदेश में कुल 189 मरीज स्वस्थ होने पर डिस्चार्ज किए गए।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 अगस्त। प्रदेश में शाम 8.15 बजे तक 426 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इनमें रायपुर जिले से 230, दुर्ग 57, बिलासपुर 42, रायगढ़ 34, सरगुजा 16, जशपुर 11, राजनांदगांव 9, दंतेवाड़ा 5, बालोद, बलौदाबाजार व महासमुंद 3-3, कोरिया, नारायणपुर व बीजापुर 2-2, बेमेतरा, कबीरधाम, गयिाबंद, कोरबा, सूरजपुर, कांकेर व अन्य से 1-1 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।
राज्य में आज 7 कोरोना पॉजिटिव मरीजों की मौत हुई है।
प्रदेश में कुल पॉजिटिव मरीजों की संख्या 15471 है। एक्टिव मरीज 5095 हैं। आज प्रदेश में कुल 189 मरीज स्वस्थ होने पर डिस्चार्ज किए गए।
-संजय पराते
किसी सभ्यता और संस्कृति को नष्ट करना हो, तो उसके पास जो जल, जंगल, जमीन, खनिज व अन्य प्राकृतिक संपदा है, उस पर कब्जा करो। वह सभ्यता अपने आप मर जाएगी। आर्य और अनार्य/द्रविड़ों के संघर्ष का इतिहास यही सच्चाई बताता है। यह संघर्ष आज भी जारी है, लेकिन विकास के नाम पर आधुनिकता के नए जामे के साथ।
पेनगुड़ी आदिवासी देवों का प्राकृतिक आवास है। यह एक घर (झोपड़ी) होता है, जहां आदिवासियों के देव प्रकृति-चिन्हों के रूप में रहते हैं। आदिवासी समुदाय प्रकृति पूजक है। वे पहाड़, नदी, जंगल पूजते हैं। सो इन पेनगुड़ियों में किसी देव की मूर्ति नहीं मिलेगी। आदिवासी देवों का आवास उनके आवास से अलग हो भी कैसे हो सकता है? उनके देव भी उनकी तरह झोपड़ियों में ही रहते हैं। कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार अब इन पेनगुड़ियों को मंदिरों में बदलने जा रही है।
प्रदेश में तब भाजपा की सरकार थी, तो राम को केंद्र में रखकर एक आक्रामक सांप्रदायिकता की नीति पर अमल किया जा रहा था। इसके लिए शोध का पाखंड रचा गया। राम के वन गमन की खोज पूरी की गई। बताया गया कि छत्तीसगढ़ के धुर उत्तर में कोरिया जिले के सीतामढ़ी से लेकर धुर दक्षिण में सुकमा जिले के रामाराम तक ऐसी कोई जगह नहीं है, जो कि राम के चरण-रज से पवित्र ना हुई हो। संघ के इतिहासकारों की यह नई खोज है। इतिहास-विज्ञान वैज्ञानिक साक्ष्यों पर जोर देता है, उसकी बात कृपया ना करें, तो अच्छा है।
आदिवासी क्षेत्रों में भले ही 3000 स्कूलों को बंद कर दिया गया हो, लेकिन इतिहासकारों, संस्कृतिविदों की एक फौज जरूर खड़ी हो गई है, जो आदिवासियों को उनके अज्ञात इतिहास से परिचित करवाने पर तुली हुई है। सुकमा-कोंटा क्षेत्र के लोगों को एक दिन पता चला कि उनकी पुरखों की माता चिटपीन माता का घर वास्तव में राम का घर है। इस क्षेत्र के वामपंथी राजनीतिक कार्यकर्ता मनीष कुंजाम बताते हैं - "जहां मैं रहता हूं वहां लोगों को पता ही नहीं है कि राम कभी यहां आए थे। एक दिन सरकार के आदेश पर राम वन गमन का बोर्ड लगा दिया गया। जिस स्थल पर यह बोर्ड लगाया गया है, वह हमारे पुरखों का स्थान है। हम लोग उसे चिटपीन माता के स्थान से जानते हैं।"
प्रकारांतर से संघ के स्वघोषित इतिहासकारों का महान शोध है कि राम के स्थान पर आदिवासी देवों ने कब्जा कर लिया है। अनार्यों के इन देवों से 'आर्य' राम को मुक्त कराना है। यह छत्तीसगढ़ में राम के कथित चिन्हों को आदिवासियों के चंगुल से मुक्त कराने का अभियान है। इसके लिए राम वन गमन विकास के नाम पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए जा रहे हैं। पहले यह खेल भाजपा खेल रही थी, अब सत्ता में आने के बाद उदार हिंदुत्व के नाम पर कांग्रेस खेल रही है।
आरएसएस की आक्रामक सांप्रदायिकता का दावा है कि उसने अयोध्या में एक राम जन्मभूमि को मुस्लिमों से मुक्त किया है। कांग्रेस के उदार हिंदुत्व का दावा है कि वह राम के 51 इतिहास-चिन्हों को आदिवासियों से मुक्त करने जा रही है। इसके लिए छत्तीसगढ़ के 29 जिलों में से 16 जिलों में हिंदुत्व की पताका फहराई जाएगी। कोरिया में 6, सरगुजा में 5, जशपुर में 3, जांजगीर में 4, बिलासपुर में 1, बलौदा बाजार-भाटापारा में 4, महासमुंद में 1, रायपुर में 3, गरियाबंद में 8, धमतरी में 4, कांकेर में 1, कोंडागांव में 2, नारायणपुर में 2, दंतेवाड़ा में 3, बस्तर में 4 और सुकमा में 4 -- इस प्रकार आदिवासियों के 51 स्थलों को मंदिरों में बदला जा रहा है।
आदिवासियों की सभ्यता व संस्कृति पर आक्रमण कोई नया नहीं है। वनवासी कल्याण आश्रम के जरिए संघ दशकों से यह काम आदिवासियों को शिक्षित करने के नाम पर कर रहा है। इस अभियान में उन्होंने रामायण का गोंडी व अन्य आदिवासी भाषाओं में अनुवाद कर उसे बांटने का काम किया है। जगह-जगह 'मानस जागरण' के कार्यक्रम भी हो रहे हैं। हिंदुओं के त्योहारों को मनाने व उनके देवों को पूजने, हिंदू धर्म की आस्थाओं पर टिके मिथकों को आदिवासी विश्वास में ढालने का काम भी किया जा रहा है। इस आक्रामक अभियान में आदिवासियों के आदि धर्म व उनके प्राकृतिक देवों से जुड़ी मान्यताओं, विश्वासों व मिथकों पर खुलकर हमला किया जा रहा है और जनगणना में आदिवासियों को हिंदू दर्ज करवाने का अभियान चलाया जा रहा है।
कारपोरेट पूंजी के हिंदुत्व की राजनीति के साथ गठजोड़ होने के बाद से यह अभियान और ज्यादा आक्रामक हो गया है। इतना आक्रामक कि अब समूची आदिवासी सभ्यता व संस्कृति को लील जाना चाहता है। अपने मुनाफे के लिए इस कारपोरेट पूंजी को आदिवासियों के स्वामित्व वाले जंगल चाहिए, ताकि उसे खोदकर उसके गर्भ में दबे खनिज को निकाल-बेच कर मुनाफा कमा सके। लेकिन बस्तर में टाटा को उल्टे पांव वापस लौटना पड़ा है। सलवा जुडूम अभियान भी आदिवासियों की हिम्मत नहीं तोड़ पाया। जिन जंगलों-गांवों से उसे भगाया गया था, अब वे फिर वापस आकर उस पर काबिज होने लगे हैं। जिन गांव-घरों को उसने जलाया था, उस पर फिर झोपड़ियां उगने लगी हैं ।
जो आदिवासी पेड़ की एक टहनी भी उससे पूछ कर ही तोड़ते हैं, जिनके जीवन में फसल बोने से लेकर काटने तक, जन्म से मृत्यु तक प्रकृति है, जो अपने आनंद के लिए सामूहिकता में रच-बस कर प्रकृति को धन्यवाद देता है, उसका आभार मानता है, वह आदिवासी और उसकी सामूहिकता कारपोरेट पूंजी के मुनाफे के लिए सबसे बड़ी दीवार बनकर उभरी है। पेड़ से पूछ कर ही उसकी टहनी तोड़ने वाला आदिवासी समुदाय भला जंगलों के विनाश की स्वीकृति कैसे देगा? इसलिए जरूरी है कि पूरे समुदाय का विनाश किया जाए। शाब्दिक अर्थों में उनका जनसंहार नहीं, तो सांस्कृतिक हत्या तो हो ही सकती है। अपनी सभ्यता और संस्कृति के बिना किसी समाज के पास प्रतिरोधक क्षमता नहीं होती। वे आदिवासियों की प्रतिरोधक क्षमता को खत्म करके उन्हें जिंदा मांस के लोथड़ों में तब्दील कर देना चाहते हैं, ताकि कारपोरेट मुनाफे की भट्टी में उन्हें आसानी से झोंका जा सके।
बोधघाट परियोजना के प्रति बड़े पैमाने पर आदिवासियों का विरोध सामने आया है। बैलाडीला की पहाड़ियां आदिवासियों के सांस्कृतिक प्रतिरोध की नई कहानी कह रहे हैं। आज आदिवासी समुदाय अपने संवैधानिक अधिकारों की, पेसा व वनाधिकार कानून, पांचवी अनुसूची और ग्राम सभा की सर्वोच्चता की बात कर रहा है। वह अपनी जनसंख्या के कम होने के कारणों पर सवाल खड़ा कर रहा है व शिक्षा, रोजगार, आवास व स्वास्थ्य से जुड़े बुनियादी मुद्दों को भी दमदारी से उठा रहा है।
राम वन गमन के खिलाफ पेनगुड़ियों को राम मंदिर में बदलने के खिलाफ आदिवासियों का सांस्कृतिक प्रतिरोध विकसित हो रहा है। 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के सरकारी कार्यक्रम में जब मुख्यमंत्री बघेल आदिवासी विकास की बात कह रहे थे, तभी कांकेर में कांग्रेसी विधायक शिशुपाल शोरी व मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार राजेश तिवारी के पुतले जल रहे थे और मानपुर में भगवा ध्वज का दहन किया जा रहा था। आदिवासियों के इस सांस्कृतिक प्रतिरोध का दमन जिस तरह तब की भाजपा सरकार ने किया था, उसी तरह कांग्रेस भी कर रही है। यही कारपोरेट मुनाफा है, जो कांग्रेस और भजपा को आपस में जोड़ रही है और चाहे बोधघाट हो या राम वन गमन, दोनों मुद्दों पर हमनिवाला - हमप्याला बना रही हैं।
हिंदुत्व के इस सांस्कृतिक आक्रमण ने पेसा कानून के जरिए आदिवासी क्षेत्रों में ग्राम सभा को मिली सर्वोच्चता के मुद्दे को सामने लाकर रख दिया है। इस कानून को लागू करने से सरकार का इंकार और इस कानून से मिले अधिकारों का प्रयोग करने की आदिवासियों की जिद -- आदिवासियों और गैर- आदिवासी सरकार के बीच संघर्ष का एक नया मैदान खोल रही है। बस्तर के आदिवासियों ने साफ तौर पर घोषणा कर दी है कि चाहे सिंचाई के विकास के नाम पर बोधघाट परियोजना हो या पर्यटन स्थल के विकास के नाम पर राम मंदिरों के निर्माण का, ग्राम सभा की अनुमति के बिना किसी भी विकास योजना की इजाजत नहीं दी जाएगी और आदिवासी समुदाय इसके खिलाफ ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर अपने अधिकारों का उपयोग करेगा। सर्व आदिवासी समाज की महिला अध्यक्ष चंद्रलता तारम पूछती है -- "हमारा एक आंगा देव होता है, जिसकी यात्राओं में कभी राम का जिक्र नहीं हुआ। हमारे गीतों में कभी राम का जिक्र नहीं हुआ। हमारी भाषा बोली सब अलग है, तो भूपेश बघेल सरकार जबरदस्ती राम वन गमन योजना के तहत मंदिर निर्माण क्यों कर रही है?"
यदि आदिवासी समाज इस सवाल का जवाब खोज लेता है, तो वह अपने सांस्कृतिक प्रतिरोध को कॉर्पोरेट मुनाफे के खिलाफ विकसित हो रहे राजनैतिक प्रतिरोध से जोड़ने में सफल हो सकता है। आदिवासी समाज का यही जुड़ाव उसके अस्तित्व की रक्षा की गारंटी बनेगा।
राज्य के आंकड़े 186
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 अगस्त। केंद्र सरकार के आईसीएमआर को छत्तीसगढ़ में आज शाम 7 बजे तक 418 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इनमें सर्वाधिक 179 अकेले रायपुर जिले में हैं।
दूसरी तरफ राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग ने शाम 7 तक 186 कोरोना पॉजिटिव की पुष्टि की है जिनमें सर्वाधिक 104 रायपुर जिले के हैं।
आईसीएमआर के आंकड़े कोरोना पॉजिटिव नतीजे जल्दी बताते हैं, और राज्य शासन उनमें से हर रिजल्ट की पुष्टि करता है कि उनमें कोई पुराने मरीज का रिपीट टेस्ट तो नहीं है।
आईसीएमआर के मुताबिक रायपुर से परे अन्य जिलों में राजनांदगांव 45, बिलासपुर 42, दुर्ग 40, रायगढ़ 33, बालोद 31, सरगुजा 20, कबीरधाम 7, सुकमा 5, बलौदाबाजार और महासमुंद 4-4, कोरिया 3, बलरामपुर, बेमेतरा, गरियाबंद, जांजगीर-चांपा, कांकेर 1-1 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।
राज्य शासन के 186 पॉजिटिव में रायपुर 104, रायगढ़ 30, दुर्ग 22, सरगुजा व बिलासपुर 12-12, महासमुंद 3, बलौदाबाजार 2, और राजनांदगांव 1 हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 अगस्त। बिलासपुर रहवासी उत्तरप्रदेश के आईएएस अफसर वैभव श्रीवास्तव को रायबरेली का कलेक्टर बनाया गया है। वैभव वर्तमान में पीलीभीत कलेक्टर हैं। उन्होंने पीलीभीत में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं। जिसकी राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हो रही है।
उत्तरप्रदेश सरकार ने बाकी जिलों में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए पीलीभीत मॉडल को अपनाने पर जोर दिया है। साथ ही वैभव श्रीवास्तव का ट्रांसफर रायबरेली किया गया है, जो कि राजनीतिक और प्रशासनिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। रायबरेली से वर्तमान में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी सांसद हैं। वैभव, खेल संचालक श्रीमती श्वेता सिन्हा के भाई हैं।
वाशिंगटन, 16 अगस्त (आईएएनएस)| अमेरिका के आगामी 3 नवंबर के चुनाव के लिए राष्ट्रपति पद के डेमोक्रेटिक पार्टी दावेदार जो बाइडेन की रनिंग मैट भारतीय-अमेरिकी कमला हैरिस ने कहा कि उनकी मां 'वह हमेशा से उनमें अच्छी इडली के प्रति प्यार को जगाना चाहती थीं।' उनकी मां मूल रूप से चेन्नई की थीं। उन्होंने भारत के 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शुक्रवार को एक वीडियो मैसेज में यह टिप्पणी की।
वीडियो की शुरुआत में वह कह रही हैं, "भारत के लोगों और भारतीय-अमेरिकियों, मैं आपको भारतीय स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देना चाहती हूं।"
उन्होंने कहा, "15 अगस्त, 1947 को पूरे भारत के पुरुषों और महिलाओं ने भारत देश की स्वतंत्रता की घोषणा का जश्न मनाया था। (और) आज 15 अगस्त, 2020 को, मैं आपके सामने अमेरिका के दक्षिण एशियाई मूल के उपराष्ट्रपति की पहली उम्मीदवार के रूप में खड़ी हूं।"
वीडियो में हैरिस ने अपनी मां श्यामला गोपालन, जो भारत की एक कैंसर शोधकर्ता थी और पिता डोनाल्ड हैरिस जो एक अफ्रीकी जमैकन अर्थशास्त्र के प्रोफेसर थे, का भी उल्लेख किया है।
उन्होंने कहा, "जब मेरी मां श्यामला ने कैलिफोर्निया के विमान से यहां कदम रखा था, तब वह मात्र 19 साल की थीं। उनके पास बहुत कुछ नहीं था, लेकिन उन्होंने एक चीज को बहुत संभाल कर रखा, वह था अपने घर पर अपने माता-पिता से मिली सीख।"
हैरिस ने कहा, "उन्होंने उन्हें सिखाया जब आप दुनिया में अन्याय देखते हैं, तो आपका दायित्व है कि आप इसके बारे में कुछ करें।"
अपनी मां के साथ की यादों को याद करते हुए हैरिस ने कहा, "बड़े होने पर मेरी मां, मेरी बहन माया और मुझे लेकर तब के मद्रास वापस आई थीं, क्योंकि वह चाहती थीं कि हम उस स्थान को समझें कि वह कहां से आई थीं और हमारा वंश कहां था।"
उन्होंने कहा, "और हां, जाहिर तौर पर वह हमारे अंदर इडली को लेकर प्यार जगाना चाहती थी।"
उन्होंने कहा, "मद्रास में मैं अपने नानाजी के साथ लंबी सैर पर जाती थी .. और वह मुझे उन नायकों की कहानियां सुनाते थे जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के जन्म के लिए जिम्मेदार थे।"
वीडियो के अलावा, हैरिस ने बधाई देने के लिए ट्विटर का भी सहारा लिया।
उन्होंने शनिवार को ट्विटर पर लिखा, "भारतीय स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं! बीते 74 साल यह दर्शाते हैं कि हमारे लोगों ने न्याय की लड़ाई में कितनी प्रगति की है। मुझे आशा है कि आप आज मेरे जश्न में शामिल होंगे और फिर एक बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध होंगे।"
मुंबई, 16 अगस्त (आईएएनएस)| महानायक अमिताभ बच्चन ने फिल्म लुटेकेस में कुणाल केमू का अभिनय देखने के बाद उन्हें लिखित संदेश भेजा, कुणाल केमू ने कहा कि मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। कुणाल ने इंस्टाग्राम पर बीग बी द्वारा लिखित खत को पोस्ट किया, जिसमें लिखा था, "कुणाल कुछ दिनों पहले मैंने आपकी फिल्म 'लूटकेस' देखी थी, यह बातने के लिए लिख रहा हूं कि मैंने कितना इंज्वाय किया फिल्म को। फिल्म की स्क्रिप्ट, डायरेक्शन, और को- आर्टिस्ट द्वारा निभाई गए भूमिका शानदार है।"
उन्होंने लिखा, "लेकिन आप एक्सेप्सनल थे, आपके शरीर की हर गति, एक्सप्रेशन एकदम उत्कृष्ट थी। आप यूंही अच्छा करते रहें। आप हमेशा खुशहाल रहें। अमिताभ बच्चन का प्रशंसा और प्यार।"
संदेश पाते ही मानों कुणाल केमू मानों सातवें आसमान पर चले गए हों।
उन्होंने लिखा, "क्या !!!! यह अभी तक की सबसे बेहतरीन चीज है। मैंने अक्सर इस के बारे में पढ़ा या सुना है और हमेशा यह कामना की है कि एक दिन मैं भी खुद के लायक बन जाऊं . बहुत बहुत धन्यवाद अमिताभ बच्चन सर, यह मेरी जीवन में बहुत मायने रखता है। इस वक्त मैं अपने दिमाग और दिल में बैक फ्लीप कर रहा हूं।"
'लुटकेस' में रसिका दुगल, गजराज राव, रणवीर और विजय राज भी हैं।
संदीप पौराणिक
भोपाल 16 अगस्त (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के सियासी गलियारों में एक बार फिर विधान परिषद के गठन की चर्चाओं ने जोर पकड़ना शुरु कर दिया है। विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में वादा तो कांग्रेस ने किया था, लेकिन वह ऐसा कर नहीं पाई, वहीं भाजपा के सत्ता में लौटते ही पार्टी के भीतर से ही विधान परिषद के गठन की आवाजें उठने लगी हैं।
राज्य की सत्ता में लौटी भाजपा अपने नेताओं को विभिन्न स्थानों पर समायोजित करने के रास्ते खोज रही है, उसके पास फिलहाल निगम-मंडलों के साथ सहकारी समितियों में नियुक्ति के अवसर हैं। इसके बावजूद कई ऐसे नेता है जो बड़ी जिम्मेदारी चाहते हैं, ऐसे लोगों के लिए बेहतर जगह विधान परिषद हो सकती है और पार्टी में इसको लेकर मंथन भी चल रहा है।
पार्टी में एक तरफ जहां विधान परिषद को लेकर मंथन हो रहा है तो दूसरी ओर नागरिक आपूर्ति निगम के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ हितेष वाजपेई ने तो विधान परिषद बनाने की वकालत ही कर दी। उनका कहना है, अब वक्त आ गया है जब हमें मध्य प्रदेश में विधान परिषद के गठन पर आगे बढ़ना चाहिए।
आईएएनएस से बात करते हुए बाजपेई ने कहा राजनीति में फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिटस्टम जो है वो लोकतंत्र के लिए चुनौती बन गया है। भाजपा को कोई और नेता इस पर कुछ भी कहने को तैयार नहीं है।
वाजपेई के इस बयान के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं क्योंकि राज्य में भाजपा की सरकार कांग्रेस से बगावत करके आए 25 तत्कालीन विधायकों की मदद से बनी है। पहले 22 विधायक और फि र एक-एक करके तीन विधायक भाजपा में आए। सरकार बनाने में मदद करने वालों को पार्टी ने सरकार में बड़ी हिस्सेदारी दी है। इसके साथ ही आगामी समय में निगम मंडलों में भी पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में आए लोगों को समायोजित किया जाना है। ऐसे में पार्टी के कई दावेदारों का हक प्रभावित हो सकता है और इसीलिए विधान परिषद के गठन की चर्चाओं ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है।
वहीं संसदीय कार्य मंत्री डा नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि राज्य में विधान परिषद के गठन का कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
ज्ञात हो कि राज्य में में डेढ़ दशक तक भाजपा का शासन रहा और वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में उसे सत्ता गंवानी पड़ी थी। राज्य में 15 माह तक कांग्रेस की सरकार रही और अंतर्द्वद के चलते सरकार गिर गई। भाजपा फिर सत्ता में आई है और राज्य में 27 स्थानों पर होने वाले विधानसभा के उपचुनाव में से 25 ऐसे स्थान हैं जहां से भाजपा दलबदल करके आने वालों को चुनाव लड़ाने वाली है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में बतौर कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव जीतने वाले अब भाजपा के उम्मीदवार के रुप में उप-चुनाव लड़ने वाले हैं, इससे पार्टी के भीतर असंतोष पनप रहा है। इस असंतोष को दबाने के लिए पार्टी लगातार नए उपाय खोज रही है।
कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिह यादव का कहना है कि भाजपा में असंतोष है क्योंकि दल बदलुओं को महत्व मिल रहा है। आगामी समय में होने विधानसभा के उप-चुनाव में भाजपा को हार दिख रही है, इसलिए वह विधान परिषद के गठन की बात कर रही है। कांग्रेस जब सत्ता में थी, तब भाजपा विधान परिषद का विरोध करती थी, अब विधान परिषद की पक्षधर हो गई है। वास्तव में भाजपा मौका परस्तों की पार्टी है।
राजनीतिक विश्लेषक और संविधान के जानकार गिरजा शंकर का कहना है कि राज्य में विधान परिषद की कोई आवश्यकता नहीं है। जिन राज्यों में परिषद है उनका क्या हाल है इसे देख लेना चाहिए, हां यह राजनीतिक तौर पर पुनर्वास का एक स्थान जरूर हो सकता है। अन्य राज्यों में यह राजनीतिक पुर्नवास के केंद्र में बदल चुके है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 अगस्त। प्रदेश में शाम 6 बजे तक 166 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इनमें रायपुर में सौ पॉजिटिव हैं। यह जानकारी राज्य महामारी नियंत्रण कंट्रोल रूम ने दी है। बाकी जिलों का आंकड़ा अभी नहीं मिल पाया है।
बीजिंग, 16 अगस्त (आईएएनएस)| स्पेन की एल मुनदो वेबसाइट ने हाल में लेख जारी कर कहा कि विश्व के प्रमुख बहुराष्ट्रीय निगमों का मानना है कि विश्व अर्थव्यवस्था को 2022 से पहले महामारी के पहले के स्तर तक बहाल नहीं किया जा सकता है। यह अमेरिका ओवी परामर्श कंपनी की एक जांच में सामने आया है। जांच से जाहिर है कि अमेरिकी फॉर्च्यून पत्रिका के विश्व 500 शक्तिशाली बहुराष्ट्रीय निगमों के सीईओ में 75 प्रतिशत लोग मानते हैं कि 2022 से पहले विश्व अर्थव्यवस्था को महामारी के पहले के स्तर तक बहाल नहीं किया जा सकेगा।
इसके साथ ही विश्व के पहले 50 बहुराष्ट्रीय निगमों में से 90 प्रतिशत निगमों ने महामारी के दौरान खर्च को कम करने की योजना बनायी है। यह निगमों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने का प्राथमिक मिशन है।
विश्व बैंक द्वारा जून माह में जारी विश्व आर्थिक आउटलुक की रिपोर्ट में कहा गया कि कोविड-19 के झटके से अनुमान है कि 2020 में विश्व अर्थव्यवस्था में 5.2 प्रतिशत की कटौती होगी। यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे गंभीर आर्थिक मंदी है।
(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
नवनीत मिश्र
नई दिल्ली, 16 अगस्त (आईएएनएस)| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) का मानना है कि किसी लोकतांत्रिक देश में राष्ट्रहित और जनहित से जुड़े विषयों पर सरकारों के सामने आवाज उठानी चाहिए। जनप्रतिनिधि, अगर जन हितों को लेकर उदासीन हैं तो उन पर भी दबाव की ताकत का प्रयोग करना चाहिए। आरएसएस के शीर्ष पदाधिकारियों में से एक और संगठन के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने भारतीय मजदूर संघ के पदाधिकारियों को सचेत भी किया कि वे संगठन की ताकत का इस्तेमाल हमेशा सत्य और जनहित में करें। दत्तात्रेय होसबोले ने ताकत के इस्तेमाल को अंतिम अस्त्र बताते हुए कहा है कि इसके प्रयोग से पहले संवाद से समस्याओं को सुलझाने पर जोर दें।
दरअसल, भारतीय मजदूर संघ की ओर से आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम में कई पदाधिकारियों की ओर से देश हित में सरकार, जनप्रतिनिधियों और जनसंगठनों की भूमिका से जुड़े सवालों का जवाब देते हुए दत्तात्रेय होसबोले ने ये बातें कहीं। भले ही यह कार्यक्रम भारतीय मजदूर संघ का था, मगर माना जा रहा है कि दत्तात्रेय होसबोले का यह बयान संघ के सभी सहयोगी संगठनों के लिए एक अहम सुझाव है।
दत्तोपंत ठेंगड़ी जन्म शताब्दी लेक्च र सीरीज के तहत शनिवार को आयोजित हुए इस चर्चा सत्र के आखिर में दत्तात्रेय होसबोले ने पदाधिकारियों के सवालों का जवाब दिया था। इस दौरान भारतीय रेलवे मजदूर संघ के पदाधिकारी अशोक शुक्ला ने संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले से पूछा था कि सरकार पॉलिसी के बारे में सामाजिक संगठनों की जगह सांसदों और जनप्रतिनिधियों से वार्ता करने को प्राथमिकता देती है। लेकिन जिस सांसद की पृष्ठिभूमि श्रमिक या किसान की न रही हो, वह भला कैसे उनका प्रतिनिधित्व कर सकता है?
इस सवाल का जवाब देते हुए दत्तात्रेय होसबोले ने कहा लोकतंत्र में किसान, मजदूर, महिला और विद्यार्थियों के जनसमूह की आवाज जितनी मजबूत होती है, लोकतंत्र में उस पर सरकार को विचार करना होता है। लेकिन आवाज उठाने के साथ यह भी देखना होगा कि सत्य क्या है, हितकारी क्या है, इस पर भी चर्चा होनी जरूरी है।
जनप्रतिनिधियों से जुड़े सवाल पर दत्तात्रेय ने कहा, "उन्हें जनहित में काम करने के लिए दबाव में लाने का काम आपका है। इसके लिए लोकतंत्र में आपको कई औजार और मार्ग बताए गए हैं। आंदोलन करना, आवाज उठाना मार्ग है। अपने ताकत और बल पर आवाज उठाना चाहिए। लेकिन अंतिम अस्त्र का पहले दिन ही प्रयोग नहीं करना चाहिए। लोकतंत्र में संवाद ही सबसे बड़ा अस्त्र है।"
संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने इस दौरान सरकारों के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने कहा, "कोई भी सरकार हो, चाहे वह भाजपा हो या कांग्रेस की, सभी सरकारें एक दायरे में काम करतीं हैं। अब सरकारों को इस दायरे से बाहर लाने के लिए कई व्यवस्थाएं हैं- जनसंगठन, मीडिया, न्यायालय इस काम को कर सकते हैं। दस मीडिया में संपादकीय आ गया तो सरकार भी संबंधित विषय पर सोचती है। न्यायालय के निर्णय पर भी सरकार काम करती है।"
उन्होंने कहा कि जन संगठन, मीडिया, अदालत कई मार्ग हैं, जिनका उपयोग करना चाहिए। लेकिन, कब और कौन सी चीज का उपयोग करना है, यह अपने विवेक पर निर्भर करता है। विजडम(बुद्धिमानी) और स्ट्रेटजी(रणनीति) बहुत महत्वपूर्ण है।
इससे पूर्व भारतीय मजदूर संघ की जम्मू-कश्मीर इकाई के महामंत्री अशोक चौधरी के सवाल पर दत्तात्रेय होसबोले ने कहा था कि देशहित, उद्योग और श्रमिक हित में दबाव की ताकत का प्रयोग कर सकते हैं। जरूरी विषयों पर आवाज उठानी भी चाहिए। ताकत है तो चुप भी नहीं रहना है, लेकिन ताकत का दुरुपयोग भी नहीं करना है।
मौतें-134, एक्टिव-4865, डिस्चार्ज-10046
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 अगस्त। प्रदेश में कोरोना मरीज 15 हजार पार हो गए हैं। बीती रात सामने आए 486 नए पॉजिटिव के साथ इनकी संख्या बढक़र 15 हजार 45 हो गई है। इसमें से 134 मरीजों की मौत हो चुकी है। 4 हजार 865 एक्टिव हैं, जिनका एम्स समेत अलग-अलग अस्पतालों में इलाज जारी है। 10 हजार 46 मरीज ठीक होकर अपने घर लौट गए हैं। सैंपलों की जांच जारी है।
प्रदेश में कोरोना का कहर लगातार जारी है। खासकर राजधानी रायपुर एवं आसपास क्षेत्र में रोज नए मरीज मिल रहे हैं। बुलेटिन के मुताबिक बीती रात 8 बजे 428 नए पॉजिटिव सामने आए। इसमें रायपुर जिले रायपुर से सबसे अधिक 217 मरीज पाए गए हैं। दुर्ग जिले से 49, बिलासपुर से 25, रायगढ़ से 19, राजनांदगांव से 16, सरगुजा व कोण्डागांव से 14-14, महासमुंद से 13, सुकमा से 9, कबीरधाम व बलौदाबाजार से 7-7, कोरिया से 6, नारायणपुर से 5, गरियाबंद, सूरजपुर, कांकेर व अन्य राज्य से 4-4, बेमेतरा से 3, बालोद, धमतरी व जांजगीर-चांपा से 2-2 एवं बलरामपुर व जशपुर से 1-1 मरीज शामिल रहे।
इसके बाद रात 10.30 बजे 58 और नए पॉजिटिव मिले। इसमें रायगढ़ जिले से 25, दुर्ग से 15, कोरबा व जशपुर से 7-7, जांजगीर-चांपा से 4 मरीज शामिल रहे। दूसरी तरफ, 4 लोगों की मौत दर्ज की गई। इन सभी मरीजों के संपर्क में आने वालों की जांच -पहचान जारी है। वहीं जो मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं, उनमें से अधिकांश ठीक होकर अपने घर भी जा रहे हैं। बीती रात भी 189 मरीज ठीक होकर अपने घर लौटे हैं।
स्वास्थ्य अफसरों का कहना है कि प्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या बढऩे के साथ ही उनके इलाज का इंतजाम भी किया जा रहा है। सैंपल जांच बढ़ाने से मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है और यह क्रम फिलहाल बना रह सकता है। दूसरी तरफ, जो मरीज अस्पतालों में हैं, वे जल्द ठीक होने पर डिस्चार्ज भी हो रहे हैं। उनका मानना है कि नए मरीजों के साथ पुराने मरीज जल्द ठीक होकर अपने घर चले जाएंगे।