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रायपुर से जिले से 77
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 जुलाई। स्वास्थ्य विभाग ने जानकारी दी है कि आज छत्तीसगढ़ में 154 नए कोरोना पॉजिटिव की पहचान हुई है। जिसमें रायपुर से 77 केस हैं। प्रदेश में कुल पॉजिटिव मरीजों की संख्या 2556 है। जिसमें 3324 डिस्चार्ज किए जा चुके हैं और 1212 एक्टिव हैं।
154 नए पॉजिटिव में रायपुर 77, नारायणपुर 19, बिलासपुर 11, सरगुजा 10, जांजगीर-चांपा, कोंडागांव और दंतेवाड़ा से 6-6, दुर्ग और कांकेर से 3-3, राजनांदगांव, बेमेतरा, धमतरी और गरियाबंद से 2-2, बालोद, बलौदाबाजार, कोरबा, कोरिया और सुकमा से 1-1 मरीज मिले हैं।
रायपुर, 15 जुलाई। राज्य शासन द्वारा शासकीय कार्य सुविधा की दृष्टि से सहकारिता विभाग के अंतर्गत संभाग और जिला कार्यालयों में पदस्थ प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों की नवीन पदस्थापनाएं की गई है।
मंत्रालय सहकारिता विभाग से आज जारी आदेशानुसार मां दंतेश्वरी मैया सहकारी शक्कर कारखाना बालोद में प्रबंध संचालक के पद पर पदस्थ मुकेश कुमार धु्रव संयुक्त पंजीयक एवं प्रबंध संचालक की प्रतिनियुक्ति से वापसी लेते हुए उन्हें संयुक्त पंजीयक सहकारी संस्थाएं दुर्ग पदस्थ किया गया है। मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाना अंबिकापुर केरता (प्रबंध संचालक) विनोद कुमार बुनकर उप पंजीयक एवं प्रबंध संचालक की प्रतिनियुक्ति से वापसी करते हुए उन्हें उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं दुर्ग पदस्थ किया गया है।
इसी प्रकार कार्यालय उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं बालोद के सहायक पंजीयक टी. आर. साहू को प्रभारी उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं बालोद, लौह पुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल सहकारी शक्कर कारखाना पंडरिया सतीश कुमार पाटले सहायक पंजीयक एवं महाप्रबंधक को प्रतिनियुक्ति पर सहकारी शक्कर कारखाना पंडरिया के प्रबंध संचालक के पद पर पदस्थ किया गया है। कार्यालय उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं जांजगीर-चांपा चंद्रशेखर जायसवाल सहायक पंजीयक को प्रभारी उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं जांजगीर-चांपा, कार्यालय उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं सूरजपुर अनिल कुमार तिर्की सहायक पंजीयक को प्रतिनियुक्ति पर मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाना अंबिकापुर केरता में प्रबंध संचालक के पद पर पदस्थ किया गया है।
कार्यालय संयुक्त पंजीयक सहकारी संस्थाएं बिलासपुर आकाशदीप पात्रे सहायक पंजीयक को प्रतिनियुक्ति पर भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना कवर्धा में महाप्रबंधक के पद पर पदस्थ किया गया है। महाप्रबंधक लौह पुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल सहकारी शक्कर कारखाना पण्डरिया राजेन्द्र प्रसाद राठिया सहायक पंजीयक को प्रतिनियुक्ति पर मां दंतेश्वरी मैया सहकारी शक्कर कारखाना बालोद में प्रबंध संचालक के पद पर पदस्थ किया गया है। सहायक पंजीयक सहकारी संस्थाएं कोण्डागांव कन्हैया लाल उईके सहायक पंजीयक को प्रबंध संचालक मां दंतेश्वरी मक्का प्रसंस्करण एवं विपणन सहकारी समिति कोण्डागांव का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। मां दंतेश्वरी सहकारी शक्कर कारखाना बालोद में महाप्रबंधक के पद पर पदस्थ पीताम्बर ठाकुर सहायक पंजीयक की प्रतिनियुक्ति से वापसी करते हुए उन्हें प्रभारी उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं धमतरी पदस्थ किया गया है।
दो दिन पहले ही मृतक लौटा था क्वारांटीन सेंटर से
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 15 जुलाई । पेन्ड्रा में बीती रात क्वारांटीन सेंटर से लौटे एक युवक की पत्थरों से कुचलकर हत्या कर दी गई। आरोपी और उसके साथी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। घटना के पीछे अवैध सम्बन्ध की बात आई है।
पेन्ड्रा पुलिस थाने के मुरमुर गांव का तेजनारायण तेन्द्रो रायपुर की एक बेसन फैक्ट्री में काम करता था। काम छूट जाने के बाद वह गांव आया तो उसे क्वारांटीन सेंटर भेज दिया गया था जहां से रविवार को वह अपने घर लौटा था। मंगलवार की शाम करीब 5.30 बजे वह अपने घर के बाहर बैठा था कि आरोपी अरविन्द पैकरा व भगवान सिंह कंवर ने अचानक उसके साथ मारपीट कर दी। अरविन्द ने एक भारी पत्थर को उठाकर तेजनारायण के सिर पर पटक दिया, जिससे उसके सिर से खून बहने लगा। पड़ोसियों ने देखा तो डायल 112 को फोन करके बुलाया गया और उसे पेन्ड्रा अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस के मुताबिक आरोपी अरविन्द पैकरा को अपने तेजनारायण पर अपनी पत्नी से अवैध सम्बन्ध होने का शक था, जिसके चलते वह उससे रंजिश रखता था।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 जुलाई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के दो विकास प्राधिकरणों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की नियुक्ति की है। डोंगरगढ़ के विधायक भुवनेश्वर बघेल को अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया है। इस प्राधिकरण के लिए दो उपाध्यक्ष की नियुक्ति की गई है। सरायपाली के विधायक किस्मत लाल नंद तथा सारंगढ़ की विधायक श्रीमती उत्तरी जांगड़े को अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाया गया है।
इसी तरह छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पद पर डोंगरगांव के विधायक दलेश्वर साहू की नियुक्ति की गई है। रायगढ़ के विधायक श्री प्रकाश नायक एवं चन्द्रपुर के विधायक रामकुमार यादव को इस प्राधिकरण का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 जुलाई। सीबीएसई 10वीं के बुधवार को रिजल्ट घोषित किए गए। कई स्कूलों के शतप्रतिशत रिजल्ट रहे। डीपीएस रायपुर के आर्यन अग्रवाल 98.4 प्रतिशत अंकों के साथ अव्वल रहे। अर्णव मरोठिया, पार्थ शुभम अग्रवाल, रोहन ने 98 प्रतिशत अंक अर्जित किए। पाखी दुबे ने 97.8, प्रियांशी राय ने 97.6, अदित महावर ने 97.2, जय जैन 97, मायशा और नंदिनी जलान ने 97 प्रतिशत अंक अर्जित किए। एनएच गोयल स्कूल के 25 विद्यार्थियों ने 90 फीसदी से अधिक अंक हासिल किए। दृष्टि बाधित छात्रा आरूषि रैका को 92 फीसदी अंक हासिल हुए।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
तोंगपाल, 15 जुलाई। बीती रात सुकमा जिला के मुठेली के 35 वर्षीय ग्रामीण की नक्सलियों ने मुखबिरी का आरोप लगाकर धारदार हथियार से गला रेतकर हत्या कर दी।
जानकारी अनुसार बीती रात 11 से 12 के बीच कूकानार थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत पेंदलनार के मुठेली पुजारी पारा के भीमा के घर में 20 से अधिक वर्दीधारी नक्सली आ धमके। उन्होंने भीमा की पत्नी मुये और पिता कोशा को साथ में लेकर घर से पीछे कुछ ही दूरी पर नाले के पास एक छोटी से टेकरी पर ले गए। वहां पर नक्सलियों ने भीमा पर पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाते हुए कहा कि तुम्हारे घर पुलिस आती है, तुमने सरकार से 12 लाख रु लेकर पुलिस में सरेंडर किया है। इस क्षेत्र में पुलिस को तुम ही बुलाते हो, कहकर भीमा के पिता व पत्नी को वहीं रुकने को कहकर थोड़ी दूरी पर ले जाकर धारधार हथियार से गला रेतकर व चेहरे पर वार कर उसकी हत्या कर दी।
भीमा के पिता कोशा ने बताया कि कूकानार पुलिस दो बार भीमा को नक्सलियों का सहयोगी बताकर थाने ले गई थी तथा पूछताछ करने के बाद उसे छोड़ दिया था। उसी समय से भीमा नक्सलियों को खटकने लगा था व रात में उस पर पुलिस का मुखबिर होने का आरोप लगाकर हत्या कर दी।
मुठेली के ग्रामीणों ने बताया कि मात्र एक एकड़ जमीन पर भीमा का पूरा परिवार निर्भर था। भीमा किसी प्रकार मजदूरी कर अपने पांच बच्चे, पत्नी व बूढ़े पिता का सहारा बन जीवनयापन कर रहा था। नक्सलियों ने उन पर भी तरस नहीं खाया। भीमा के जाने के बाद यह परिवार बिखर गया है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 जुलाई। पाठ्य पुस्तक निगम के टेंडर में अनियमितता की ईओडब्ल्यू-एसीबी जांच कर रही है। ईओडब्ल्यू ने इस सिलसिले में निगम की जांच समिति की रिपोर्ट और गवाहों की जानकारी बुलाई है। बताया गया कि निगम ने टेंडर में गड़बड़ी की शिकायत की जांच के लिए समिति बनाई थी। जिसमें गड़बड़ी की पुष्टि हुई है।
पाठ्य पुस्तक निगम ने स्कूलों में ग्रीन बोर्ड, रेट्रो साइन बोर्ड लगाने के टेंडर में अनियमितता की शिकायत की पड़ताल के लिए चार सदस्यीय समिति बनाई थी। जांच समिति ने 14 मई को अपना प्रतिवेदन राज्य शासन को भेजा है। जांच में पाया गया कि निविदाकारों के हस्ताक्षर के बिना प्राप्त टेंडर जिसमें कूटरचित दस्तावेज प्रस्तुत किए गए। उनका छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियम, 2002 के प्रावधानों के अनुसार भली-भांति परीक्षण के बिना टेंडर की अनुशंसा कर दी गई।
टेंडर प्रक्रिया में फर्जी और बनावटी प्रतियोगी टेंडर और कूटरचित दस्तावेजों में पाए गए तथ्यों के अनुसार मेसर्स क्रिएटिव फाइवर ग्लास रायपुर, मेसर्स मिनी सिग्नसेस और मेसर्स एसआर इंटरप्राइजेस रायपुर के नाम से छल, कपटपूर्वक फर्जी और बनावटी प्रतियोगी निविदाएं प्रस्तुत की गई। और मेसर्स होप इंटरप्राइजेस, सुंदर नगर को अपात्र होते हुए भी निविदा स्वीकृत की गई।
जांच समिति ने अपने प्रतिवेदन में निविदा समिति के सदस्यों जीएम अशोक चतुर्वेदी, दीप्ति अग्रवाल, वरिष्ठ प्रबंधक, सच्चिदानंद शास्त्री, वरिष्ठ प्रबंधक (वितरण), जे शंकर वरिष्ठ प्रबंधक (वितरण), एससीआरटी, संजय पिल्ले उपप्रबंधक के द्वारा अपने कतव्र्यों के प्रति लापरवाही कर छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। जिसके फलस्वरूप मेसर्स होप इंटरप्राइजेस को छह करोड़ 55 लाख 48 हजार 598 रूपए को अनियमित भुगतान की स्थिति निर्मित हुई है।
जांच प्रतिवेदन के आधार पर ईओडब्ल्यू-एसीबी प्रकरण दर्ज कर लिया है। साथ ही ईओडब्ल्यू-एसीबी ने सभी अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र, अभिकथन और गवाहों की सूची भी मांगी है। इससे परे कांग्रेस नेता विनोद तिवारी ने मंगलवार को स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह से मुलाकात की थी और दस्तावेज सौंपकर कार्रवाई की मांग की। उन्होंने यह भी बताया कि चतुर्वेदी अभी भी महाप्रबंधक के पद पर बने हुए हैं और जांच को प्रभावित करने के लिए दस्तावेजों में हेरफेर कर रहे हैं।
तिवारी ने बताया कि फरवरी-2018 में अशोक चतुर्वेदी ने एमडी के फर्जी हस्ताक्षर कर एक प्रकरण पर गलत तरीके से निविदा जारी की थी। इसकी जांच में पुष्टि भी हो चुकी है। उन्होंने यह भी बताया कि खुद तत्कालीन एमडी संजय अलंग ने शासन को अवगत कराया था कि संबंधित कार्रवाई विवरण और उपस्थिति पत्रक के प्रथम पृष्ठ पर अंकित प्रबंध संचालक के हस्ताक्षर उनके द्वारा नहीं किए गए हैं। इस प्रकरण में तत्कालीन एमडी अलंग ने प्रकरण की जांच कर कार्रवाई के लिए लिखा है।
कांग्रेस नेता ने यह भी बताया था कि अशोक चतुर्वेदी ने अन्य दर्जनों मामलों में घपला किया है और इनके विरूद्ध की गई जांच में कई मामलों में जांच समिति ने घोटालों की पुष्टि की है। इसके बावजूद भी वे महाप्रबंधक पद पर लगातार बने हुए हैं तथा जांच को प्रभावित व दस्तावेजों में हेर-फेर कर रहे है। और जानकारी मांगी है।
नई दिल्ली, 15 जुलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि कोरोना काल ने वर्क कल्चर और नेचर ऑफ जॉब बदलकर रख दिया है और युवा इसके मुताबिक खुद को तेजी से ढाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के युवाओं की सबसे बड़ी ताकत स्किल ही है। उनमें इसे हासिल करने की क्षमता है।
उन्होंने कहा कि आज के दौर में बिजनेस और व्यापार तेजी से बदल रहा है। विभिन्न सेक्टरों में लाखों स्किल्ड लोगों की जरूरत है। देश के युवाओं को इसके लिए तैयार करने की जरूरत है और स्किल इंडिया मिशन की यही कोशिश है। मोदी ने विश्व युवा कौशल दिवस और स्किल इंडिया मिशन की 5वीं वर्षगांठ के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधन अपने संबोधन में यह बात कही।
मोदी ने कहा कि तेजी से बदल रही इस दुनिया में स्किल, रिस्किल और अपस्किल ही प्रासंगिक रहने का मंत्र है। इस मंत्र को जानना, समझना और इसका पालन करना अहम है। स्किल की ताकत इंसान को कहां से कहां पहुंचा देती है। इंसान में हर उम्र में कुछ सीखने की ललक होनी चाहिए। सफल व्यक्ति की निशानी यही है कि वह अपने स्किल को माजने का कोई मौका नहीं छोड़ता है। बल्कि हमेशा ऐसे मौके की तलाश में रहता है। अगर आपमें नया सीखने की ललक नहीं है तो जीवन ठहर जाता है। ऐसा व्यक्ति ने केवल अपने लिए बोझ बन जाता है बल्कि स्वजनों के लिए भी बोझ बन जाता है। (navbharattimes.indiatimes.com)
सहरसा, 15 जुलाई (वार्ता)। पूर्व-मध्य रेलवे के समस्तीपुर रेल मंडल ने यात्रियों को रियायत, समूह आरक्षण, यात्रा विवरणी आदि की जानकारी के लिए मोबाइल ऐप ‘समग्र’ की शुरुआत की गई है।
पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक एलसी त्रिवेदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से इस ऐप की शुरुआत की। इस अवसर पर उन्होंने अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा की इस ऐप के माध्यम से यात्रियों के साथ ही रेल सेवा को और भी बेहतर बनाया जा सकेगा। इस ऐप को वाणिज्य विभाग की टीम की ओर से बनाया गया है। इसे बनाने की पहल मंडल रेल। प्रबंधक अशोक माहेश्वरी के नेतृत्व में की गई थी।
समस्तीपुर रेल मंडल के वरिष्ठ डीसीएम सरस्वतीचंद्र ने बताया कि ऐप का लाभ आम यात्रियों के साथ ही रेलवे के वाणिज्य विभाग के कर्मचारियों को भी मिल सकेगा। ऐप के माध्यम से आम यात्री सभी तरह की सूचनाऐं यात्रा के संबंध में प्राप्त कर सकते हैं। किसी भी स्टेशन की यात्री सुविधा की जानकारी हासिल की जा सकती है। सभी तरह के फार्म और आवेदन प्राप्त किये जा सकेंगे।
इसके अलावा इससे कर्मचारियों की रियल टाइम मॉनटरिंग होगी। ऐसे में कर्मी अभी जहां कागजों का उपयोग रिपोर्टिंग के लिये करते हैं वहीं टिकट चेकिंग, बुकिंग, आरक्षण, माल, पार्सल आदि कार्यालय में कार्य करने वाले सभी तरह के आंकड़ें, रिपोर्ट इस एप पर बनाएंगे, जहां से वरीय अधिकारियों की सीधी नजर कर्मियों के कार्य पर होगी।
नयी दिल्ली, 15 जुलाई ( वार्ता)। विश्व की सबसे बड़ी सहकारी उर्वरक कंपनी इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको ) ने वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान उत्पादन, बिक्री, लाभ और प्रचालन के क्षेत्र में अब तक के सबसे अच्छे प्रदर्शन के साथ नया कीर्तिमान कायम किया है।
पिछले वित्त वर्ष के दौरान इफको को 1005 करोड़ का शुद्ध लाभ हुआ जो अब तक का सर्वाधिक है। कठिन और अनिश्चित बाजार दशा तथा मौसम के बावजूद उसने 133 लाख टन उर्वरकों की रिकॉर्ड बिक्री की । वर्ष 2019-20 के दौरान इफको का समूह कारोबार 57,778 करोड़ रुपये का रहा जबकि वर्ष 2018-19 के दौरान यह 50,908 करोड़ था।
वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान इफको का कुल उर्वरक उत्पादन गत वर्ष के 81.49 लाख टन से बढक़र 91.42 लाख टन हो गया । वर्ष 2019-20 के दौरान हुए कुल उर्वरक उत्पादन में से यूरिया का उत्पादन 48.75 लाख टन तथा डीएपी/एनपीके/डबल्यूएसएफ का उत्पादन 42.87 लाख टन रहा जबकि गत वर्ष इनका उत्पादन क्रमश: 45.62 लाख टन तथा 35.87 लाख टन रहा था।
इफको ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान 133.31 लाख टन उर्वरकों की बिक्री की थी। वर्ष 2018-19 के दौरान 115.56 लाख टन उर्वरकों की बिक्री हुई थी। कुल बिक्री में से, यूरिया की 86.31 लाख टन तथा डीएपी/एनपीके की 47 लाख टन की बिक्री हुई। इफको का न्यूनतम संयुक्त ऊर्जा खपत 5.285 जीकैल प्रति टन रहा, जबकि वर्ष 2018-19 में यह 5.331 जीकैल प्रति टन था। भारत में कलोल, कांडला, फूलपुर, आंवला तथा पारादीप में स्थित अपने कुल पांच संयंत्र तथा विदेश में स्थित तीन संयंत्र के साथ इफको विश्व की सबसे बड़ी सहकारी उर्वरक कंपनी है।
इफको ने उर्वरकों के अपने मूल व्यवसाय के अतिरिक्त आम बीमा, ग्रामीण खुदरा व्यापार, कृषि वानिकी, ग्रामीण दूरसंचार, कृषि रसायन, ग्रामीण वित्त, वस्तु परिवहन-व्यवस्था और विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईज़ेड) में भी अपना व्यापार फैलाया है। कंपनी ने खाद्य प्रसंस्करण, जैविक उत्पादों और शहरी बागवानी के लिये पोषक तत्वों के उत्पादन संबंधी व्यापार में भी कदम रखा है।
इफको की इस कामयाबी पर खुशी व्यक्त करते हुए प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने कहा कि वैश्विक और आर्थिक चुनौतियों से भरे वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान इफको ने जिस शानदार तरीके से कार्य किया है, वह अविश्वसनीय है। उन्होंने कहा कि किसानों के कल्याण के लिए इफको द्वारा देश के कोने-कोने में उठाए गए विविध कदमों से न केवल राष्ट्र निर्माण में बल्कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि कंपनी आने वाले समय में अपने कारोबार का तीव्र विस्तार करते हुए नई ऊंचाइयों को छुएगी।
मेहमान लेखक
कहते है कि भारत की आत्मा गांवों में बस्ती है। लेकिन अब इसे संयोग कहें या विडंबना कि गाँवों के केंद्र परिवारों के आधा सदस्य घरेलू प्रदूषण के कारण कई तरह की बीमारियों से जूझ रहे हैं।दरअसल ग्रामीण क्षेत्रों के ज़्यादातर परिवारों का खाना मिट्टी के चूल्हों पर बनता है, जिसमें ठोस ईंधन का इस्तेमाल किया जाता है। शहरी क्षेत्र के झुगी-झोपड़ी वाले इलाकों में भी इस ईंधन का इस्तेमाल कर खाना बनाया जाता हैं। सरकारी आँकड़ों के अनुसार, भारत 24 करोड़ से अधिक घरों का देश है, जिनमें से क़रीब 10 करोड़ परिवार अभी भी एलपीजी को खाना पकाने के ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने से वंचित हैं और उन्हें खाना पकाने के लिए प्राथमिक स्रोत के रूप में लकड़ी, कोयले, गोबर के उपले, केरोसिन तेल जैसी चीजों का इस्तेमाल करना पड़ता हैं।
ऐसे ईंधन के जलने से उत्पन्न धुआं खतरनाक घरेलू प्रदूषण का कारण बनता है, जिससे कई तरह के श्वसन रोग सम्बन्धी विकारों का प्रतिकूल प्रभाव महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ता है।वैज्ञानिकों का भी मानना है कि लकड़ी जैसे अन्य ठोस ईंधनों का इस्तेमाल खाना बनाने में करने से फेफड़ों में प्रति घंटा चार सौ सिगरेट पीने जितना धुआं भरता है, जो किसी भी स्वस्थ व्यक्ति के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है।
साल 2011 की आवास जनगणना डेटा हाइलाइट्स के अनुसार, भारत में खाना पकाने के लिए ईंधन का इस्तेमाल करने वाले 0.2 बिलियन लोगों में से 49 फ़ीसद जलाऊ लकड़ी का, 8.9 फ़ीसद गाय का गोबर केक, 1.5 फ़ीसद कोयला, लिग्नाइट या चारकोल, 2.9 फ़ीसद केरोसीन, 28.6 फ़ीसद लिक्विड पेट्रोलियम गैस (LPG), 0.1 फ़ीसद बिजली, 0.4 फ़ीसद बायोगैस और 0.5 फ़ीसद किसी अन्य साधन का इस्तेमाल करते हैं।
जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में खाना पकाने के लिए 67.4 फ़ीसद घरों में मुख्य रूप से ठोस ईंधन का इस्तेमाल किया जाता है। यही आंकड़ा ग्रामीण क्षेत्रों में 86.5 फीसद का हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में 26.1 फीसद का। भारत में लगभग सत्तर करोड़ लोग खाना पकाने के लिए पारंपरिक ईंधन जैसे – लकड़ी, कोयला, गोबर के उपले और मिट्टी के तेल आदि का इस्तेमाल करते हैं। इस प्रक्रिया से उत्पन्न कालिख इन घरों में लोगों के जीवन और स्वास्थ्य पर काली छाया डाल रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, खाना पकाने के लिए इस्तेमाल होने वाले प्रदूषणकारी ईंधन की वजह से भारत में हर साल 13 लाख लोगों की मौत होती है।
ठोस ईंधन काफी मात्रा में स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले प्रदूषकों का उत्सर्जन करते हैं, जिससे कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, बेंजीन, फॉर्मलाडेहाइड और पोलीरोमैटिक आदि जैसे विनाशकारी गैसों का उत्सर्जन होता हैं। घरेलू वायु प्रदूषण हानिकारक रसायनों और अन्य सामग्रियों से घरेलू वायु गुणवत्ता को दुष्प्रभावित करने से उत्पन्न होता है। वैज्ञानिकों का मानना हैं कि यह (घरेलू वायु प्रदूषण) बाहरी वायु प्रदूषण से दस गुना अधिक दुष्प्रभावित कर सकता है।
विकासशील देशों में घरेलू वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभाव बाहरी वायु प्रदूषण की तुलना में बहुत अधिक हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ठोस ईंधन से उत्पन्न घरेलू वायु प्रदूषण की वजह से साल 2010 में 35 लाख लोगों की मौत हुई और वैश्विक दैनिक-समायोजित जीवन वर्ष (DALY) का दर भी 4.5 फीसद का रहा। इंडियन जर्नल फॉर कम्युनिटी मेडिसिन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव से प्रतिवर्ष क़रीब दो मिलियन लोगों की मौत होती हैं, जिसमें 44 फ़ीसद निमोनिया, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) से 54 फ़ीसद और 2 फ़ीसद फेफड़ों के कैंसर के कारण होते हैं। सबसे अधिक प्रभावित समूह महिलाएं और छोटे बच्चे हैं, क्योंकि वे घर पर अधिकतम समय बिताते हैं।
इसी रिपोर्ट में ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस ईंधन के इस्तेमाल से उत्सर्जित होने वाले विभिन्न रासायनिक गैसों और अन्य सामग्रियों से पैदा होने वाले बिमारियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य दुष्प्रभावित होते हैं। इसके कारण श्वास सम्बन्धी संक्रमण, दीर्घकालिक या स्थायी फेफड़े की सूजन और सीओपीडी का कारण बनता है।
सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड से अस्थमा होने की संभावना होती है। इसके अलावा, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड श्वसन संक्रमण का कारण बनता है और फेफड़ों के कार्यों को बिगड़ता है। सीओपीडी और हृदय रोग के विस्तार में सल्फर डाइऑक्साइड की भी भूमिका होती है। कार्बन मोनोऑक्साइड के संपर्क में आने से गर्भवती महिलाओं के लिए जोखिम बढ़ जाता है। इससे कम वजन के बच्चे होने की संभावना होती है। साथ ही, प्रसवकालीन मृत्यु का डर भी बना रहता है। बायोमास धुआं विशेष रूप से धातु आयनों और पॉलीसाइक्लिक एरोमेटिक्स से मोतियाबिंद होने की भी संभावना बनी रहती है। पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन से फेफड़े, मुंह, नासॉफरीनक्स और स्वरयंत्र के कैंसर भी होता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में लोग गरीबी और जानकारी के अभाव में खाना बनाने में ठोस ईंधनों का इस्तेमाल करते हैं, जिसकी वज़ह से वे खुद को मौत के तरफ धकेल रहे हैं। हालांकि पिछले कुछ सालों में ऐसे घरों में कमी आयी हैं। लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। डाउन टू अर्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2030 में खाना पकाने के लिए 580 मिलियन भारतीय ठोस ईंधन का इस्तेमाल करेंगे। ज़ाहिर है इससे न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुँचेगा बल्कि मनुष्य के लिए भी एक गहरा संकट को जन्म देगा। (feminisminindiah)
(यह लेख पहले फेमिनिज्मइनइंडियाडॉटकॉम पर प्रकाशित हुआ है।)
पटना , 15 जुलाई। बिहार में हर हाल में समय पर चुनाव कराने की ज़िद ने पहली बलि ले ली है! खगड़िया में ईवीएम की ट्रेनिंग के दौरान संक्रमित हुए प्रधानाचार्य कैलाश झा किंकर की सोमवार 13 जुलाई को इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी। वे खगड़िया जिले में चल रही ईवीएम ट्रेनिंग के मास्टर ट्रेनर थे और हैदराबाद से आये उन प्रशिक्षकों के संपर्क में आकर कोरोना संक्रमित हो गये थे, जो बाद में कोरोना पॉजिटिव पाये गये।
बिहार में नीतीश कुमार की सरकार का कार्यकाल अक्तूबर, 2020 को पूरा हो रहा है। अनलॉक होने के बाद राज्य में तेजी बढ़े कोरोना संक्रमण, बिगड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था और विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद चुनाव आयोग ने कहा है कि चुनाव हर हाल में समय से ही होंगे। बीजेपी भी चुनाव को लेकर काफी उत्साहित दिख रही है और चुनाव टालने की बात करने वालों को कमज़ोर और चुनौती से भागने वाला बता रही है।
ट्रेनिंग में शामिल नहीं होने वाले को शोकॉज
कैलाश झा किंकर अपने स्कूल के प्राचार्य होने के साथ-साथ खगड़िया शहर के जाने-माने कवि और साहित्यसेवी भी थी। वे कौशिकी नामक पत्रिका का संपादन भी करते थे। उन्हें जिले में दो जुलाई से शुरू हुई ईवीएम की फर्स्ट लाइन ट्रेनिंग में मास्टर ट्रेनर के रूप में शामिल होने को कहा गया था।
पिछले दिनों राज्य में तेजी से बढ़े कोरोना के मामले को देखते हुए, उनके साथ-साथ जिले के दूसरे वरीय शिक्षक इस ट्रेनिंग में शामिल नहीं होना चाहते थे। इसी वजह से इस ट्रेनिंग के लिए प्रतिनियुक्त 70 में से 61 मास्टर ट्रेनर ट्रेनिंग से अनुपस्थित रहे। बाद में आठ जुलाई को खगड़िया जिला के डीएम ने इन सभी मास्टर ट्रेनर को ट्रेनिंग से अनुपस्थित रहने की वजह से शोकॉज नोटिस भी जारी किया।
बाद में जब ट्रेनिंग में शामिल हैदराबाद के इंजीनियरों के कोरोना संक्रमित होने की खबर आयी तो जिला प्रशासन ने प्रशिक्षण के दौरान उपस्थित सभी मास्टर ट्रेनरों और अन्य कर्मियों का टेस्ट कराया। उनमें से सात लोग कोरोना संक्रमित पाये गये, जिनमें कैलाश झा किंकर की इलाज के दौरान आइसोलेशन सेंटर में मौत हो गयी।
इलाज से संतुष्ट नहीं थे कैलाश झा किंकर
कोरोना संक्रमित होने के बाद भी कैलाश झा ने जिला प्रशासन के वाट्सएप ग्रुप में नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा था कि ताजा खुशखबरी है कि ट्रेनिंग में शामिल होने के बाद मैं कोरोना संक्रमित हो गया हूं। आईसोलेशन सेंटर से उन्होंने अपने कई मित्रों को वहां की अव्यवस्था के बारे में वाट्सएप मैसेज किया, ये तमाम मैसेज सोशल मीडिया में शेयर किये जा रहे हैं। उन्होंने अपने एक चिकित्सक मित्र को यह मैसेज भी किया कि टेस्ट के दौरान स्वाब लेते हुए उनके नाक में कट हो गया है, जिससे लगातार खून रिस रहा है। आईसोलेशन सेंटर के डॉक्टर उनकी समस्या पर ध्यान नहीं दे रहे। हो सके तो वे इसकी कोई दवा बतायें। मगर चिकित्सक ने अपनी मजबूरी यह कहते हुए जाहिर की कि आईसोलेशन सेंटर में होने के कारण वे अपनी दवा उन्हें कैसे दे सकते हैं। बाद में उनकी मृत्यु की खबर सामने आयी।
चुनाव आयोग की लापरवाही का शिकार
खगड़िया के वरिष्ठ पत्रकार अजिताभ कहते हैं कि कैलाश झा वस्तुतः चुनाव आयोग की लापरवाही का शिकार हुए हैं। सरकार में हर काम के लिए एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तैयार होता है। कोरोना को देखते हुए उसे सख्ती से लागू कराये जाने की जरूरत होती है। अगर ट्रेनिंग के दौरान उस प्रोसीजर को लागू कराया गया होता और कोरोना को लेकर बरती जाने वाली सोशल डिस्टेंसिंग और सेनिटाइजिंग की प्रक्रिया का पालन किया गया होता तो आज सात लोग संक्रमित नहीं होते और कैलाश जी की दुखद मृत्यु नहीं होती।
इस घटना ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली को भी संदेह के घेरे में ला दिया है। अगर वह 70 लोगों की ट्रेनिंग में मानक प्रक्रियाओं का पालन नहीं करवा पा रहा और सात लोग कोरोना संक्रमित हो जा रहे हैं, तो वह 13 करोड़ की आबादी और 7.31 करोड़ वोटरों वाले बिहार जैसे राज्य में कैसे विधानसभा चुनाव संपन्न करायेगा।
समय से चुनाव कराने की जिद पर अड़ा है आयोग
बिहार में हाल के दिनों में कोरोना संक्रमण के मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि के बावजूद चुनाव आयोग ने 9 जुलाई को साफ कर दिया था कि राज्य में चुनाव समय से होंगे। बाद में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने भी एक अंग्रेजी अखबार को दिये इंटरव्यू में साफ-साफ कहा कि बिहार के चुनाव को टालने का कोई विचार नहीं है। ये चुनाव समय से ही होंगे। जबकि राज्य में प्रमुख विपक्षी दल राजद समेत कांग्रेस, सत्ताधारी दल लोजपा, और अन्य कई प्रमुख दलों ने कोरोना संक्रमण के इस भीषण स्थिति में चुनाव नहीं कराने का आग्रह किया था।
राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा था कि लाशों पर चुनाव कराने का कोई मतलब नहीं। इस पर राज्य के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने जवाब दिया कि तेजस्वी चुनौतियों से भाग रहे हैं। राज्य में सरकार में शामिल दलों में से भाजपा और जदयू हर हाल में समय से चुनाव करवाने पर अडिग है।
अनलॉक शुरू होने के बाद तेजी से बिगड़ी है बिहार की स्थिति
31 मई को जहां बिहार में सिर्फ 3692 कोरोना संक्रमित थे, और इस रोग से सिर्फ 23 लोगों की मृत्यु हुई थी, 14 जुलाई को खबर लिखे जाने तक राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 18853 हो गयी। 13 जुलाई की शाम तक राज्य में कोरोना से 134 लोगों की मौत हो चुकी थी। पिछले 14 दिनों में ही राज्य में 8865 मरीज मिले हैं। पिछले तीन दिनों से राज्य में रोज एक हजार से अधिक मरीज मिल रहे हैं। पूरे राज्य में राजनेताओं, अधिकारियों और चिकित्सकों के बड़ी संख्या में कोरोना से संक्रमित होने की खबरें हैं। अस्पतालों में लापरवाही की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। कई शहरों में सीमित अवधि का लॉकडाउन लगाया जा चुका है। अब बिहार में 31 जुलाई तक पूर्ण लॉकडाउन लगाने की तैयारियां चल रही हैं।
राजनीतिक गतिविधियों में संक्रमित हो रहे नेता-कार्यकर्ता
मंगलवार, 14 जुलाई को बिहार भाजपा के 24 नेताओं के कोरोना संक्रमित होने की खबर सामने आयी। ये लोग राज्य में चुनाव को लेकर आयोजित वर्चुअल रैली की तैयारी से संबंधित बैठकों में शामिल हुए थे। इससे पहले मुंगेर में एक वर्चुअल रैली में शामिल होने वाले दो दर्जन भाजपा नेताओं के संक्रमित होने की खबर सामने आयी थी। विधान परिषद में शपथ ग्रहण समारोह के बाद परिषद के अध्यक्ष के सपरिवार कोरोना संक्रमित होने की खबर के बाद राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी समेत कई बड़े नेताओं का कोरोना टेस्ट कराया गया। इनमें सीएम और डिप्टी सीएम कोरोना निगेटिव पाये गये, मगर एक नव निर्वाचित विधान पार्षद कोरोना से संक्रमित हो गये। जदयू के दो बड़े प्रवक्ता भी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इसके बावजूद राज्य के सत्ताधारी दल हर हाल में समय से चुनाव चाहते हैं। जबकि विपक्षी दल लगातार विरोध कर रहे हैं।
डंवाडोल है राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था
बिहार जैसे संसाधन विहीन राज्य में पहले से ही डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों और वेंटीलेटर का घोर अभाव है। राज्य के चिकित्सा अधिकारियों के 10609 पद सृजित हैं, जबकि इस वक्त सिर्फ 4172 चिकित्सक कार्यरत हैं। स्टाफ नर्स के 14198 पदों के एवज में सिर्फ 5068 नर्स, एएनएम के 27505 पदों के विरुद्ध सिर्फ 17934 एएनएम पदस्थापित हैं। कुल मिलाकर राज्य में चिकित्सकों के 60 फीसदी से अधिक पद रिक्त हैं और स्वास्थ्यकर्मियों के 70 फीसदी से अधिक पद खाली हैं। अगर चुनाव की वजह राज्य में मेलमिलाप बढ़ा और संक्रमण की दर तेज हुई तो संभालना मुश्किल हो सकता है।(newsclick)
नई दिल्ली, 15 जुलाई (वार्ता)। देश में कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है और इससे प्रभावित शीर्ष तीन राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली में अब तक इसके संक्रमण से कुल 5,30,335 लोग पीडि़त हो चुके हैं, जो देश में इस वायरस की चपेट में आई कुल आबादी का 56.64 प्रतिशत है।
कोरोना महामारी से सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों में संक्रमण के 6,741 नये मामले सामने आये जिससे संक्रमितों का आंकड़ा 2,67,665 पर पहुंच गया है। संक्रमण के मामले में दूसरे स्थान पर पहुंचे तमिलनाडु में पिछले 24 घंटों के दौरान संक्रमण के मामले 4,526 बढक़र 1,47,324 पर पहुंच गए हैं तथा राजधानी दिल्ली में अब तक 1,15,343 लोग कोरोना की चपेट में आये हैं।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश भर में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना संक्रमण के 29,429 नए मामले सामने आये हैं जिससे संक्रमितों की संख्या 9,36,181 हो गई है। इससे पहले तीन दिन तक लगातार 28 हजार से अधिक मामले सामने आये थे। पिछले 24 घंटों के दौरान 582 लोगों की मौत होने से मृतकों की संख्या 24,309 हो गई है।
संक्रमण के तेजी से बढ़ रहे मामलों के बीच राहत की बात यह है कि इससे स्वस्थ होने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है और पिछले 24 घंटों के दौरान 20,572 रोगी स्वस्थ हुए हैं जिन्हें मिलाकर अब तक कुल 5,92,032 लोग रोगमुक्त हो चुके हैं। देश में अभी कोरोना संक्रमण के 3,19,840 सक्रिय मामले हैं।
नई दिल्ली, 15 जुलाई (वार्ता)। मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कोरोना से लडऩे के लिए महज 399 रुपये कीमत के बहुत ही किफायती जांच किट को बुधवार को लांच किया। जिसका भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली ने निर्माण किया है। इस किट के जरिये 30 लाख लोगों की जांच की जा सकती है ।
डॉ. निशंक ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस किट को लॉन्च करते हुए कहा कि आईआईटी दिल्ली ने कोरोना संकट के मुश्किल समय में बहुत कम दिन में इस किट का निर्माण कर एक ऐतिहासिक कार्य किया है और इससे दुनिया में भारत का सिर गर्व से ऊंचा हुआ है।
उन्होंने आईआईटी दिल्ली के निदेशक राजगोपाल राव और उनकी टीम को इस किट के लिए बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने बहुत ही कम समय में इस किट का निर्माण किया है जो मात्र 399 रुपये का है जबकि बाहर यह किट 2000 रुपये में उपलब्ध है। इस किट के जरिए केवल तीन घंटे में जांच रिपोर्ट मिलेगी, जबकि अन्य किट से कम से कम 24 घंटे में जांच रिपोर्ट मिलती है। पहले किट से केवल तीन लाख जांच हो पाती थी जबकि इस किट से बीस लाख मरीजों की जांच हो पाएगी।
उन्होंने कहा कि आज हम 128 देशों के साथ शोध एवं अनुसंधान कार्यों में जुटे हुए हैं और हमारे आईआईटी ने अपने शोध और अनुसंधान कार्यों से देश का नाम दुनिया रोशन किया है।आज गूगल के सीईओ भी आईआईटी के छात्र रहे हैं।
डॉ निशंक ने यह भी कहा है कि उन्हें इस बात की खुशी है कि आईआईटी दिल्ली ने आज के दिन यह किट लांच किया है और आज उनका जन्मदिन भी है। उन्होंने कहा, ‘हमने अपने जीवन में कभी जन्मदिन नहीं मनाया, लेकिन जब उत्तराखंड का मुख्यमंत्री था तो हमने अपने जन्मदिन पर रक्तदान शिविर लगाने की संवेदना नामक योजना शुरू की क्योंकि रक्त का एक बूंद लोगों का जीवन बचा सकता है।
इस कार्यक्रम को मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री संजय धोत्रे और शिक्षा सचिव अमित खरे के अलावा अधिकारियों ने भी संबोधित किया।
बीजिंग/जिनेवा/नई दिल्ली, 15 जुलाई (वार्ता)। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का कहर तेजी से बढ़ता जा रहा है और दुनियाभर में इससे संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या 1.33 करोड़ के पार पहुंच गई है जबकि मृतकों की संख्या पांच लाख 78 हजार से ऊपर हो गयी है।
कोविड-19 के संक्रमितों के मामले में अमेरिका दुनिया भर में पहले, ब्राजील दूसरे और भारत तीसरे स्थान पर बरकरार है। वहीं इस महामारी से हुई मौतों के आंकड़ों के मामले में अमेरिका पहले, ब्राजील दूसरे और ब्रिटेन तीसरे स्थान पर है जबकि भारत मृतकों की संख्या के मामले में आठवें स्थान पर है।
अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के विज्ञान एवं इंजीनियरिंग केन्द्र (सीएसएसई) की ओर से जारी किये गये आंकड़ों के अनुसार विश्व भर में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1,33,23,530 हो गई है जबकि अब तक इस महामारी के कारण 5,78,628 लोगों ने जान गंवाई है।
विश्व की महाशक्ति माने जाने वाले अमेरिका में कोरोना से अब तक 34,31,574 लोग संक्रमित हो चुके हैं तथा 1,36,466 लोगों की मौत हो चुकी है। ब्राजील में अब तक 19,26,824 लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं जबकि 74,133 लोगों की मौत हो चुकी है।
भारत में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना संक्रमण के 29,429 नये मामले सामने आये हैं जिससे संक्रमितों की संख्या 9,36,181 हो गयी है। इससे पहले तीन दिन तक लगातार 28 हजार से अधिक मामले सामने आये थे। पिछले 24 घंटों के दौरान 582 लोगों की मौत होने से मृतकों की संख्या 24,309 हो गई है।
संक्रमण के तेजी से बढ़ रहे मामलों के बीच राहत की बात यह है कि इससे स्वस्थ होने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है और पिछले 24 घंटों के दौरान 20,572 से अधिक रोगी स्वस्थ हुए हैं जिन्हें मिलाकर अब तक कुल 5,92,032 रोगमुक्त हो चुके हैं। देश में अभी कोरोना संक्रमण के 3,19,840 सक्रिय मामले हैं।
रूस कोविड-19 के मामलों में चौथे नंबर पर है और यहां इसके संक्रमण से अब तक 7,38,787 लोग प्रभावित हुए हैं तथा 11,597 लोगों ने जान गंवाई है। पेरू में लगातार हालात खराब होते जा रहे है वह इस सूची में पांचवें नम्बर पर पहुंच गया है। यहां संक्रमितों की संख्या 3,33,867 हो गई तथा 12,229 लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमण के मामले में चिली विश्व में छठे स्थान पर आ गया हैं। यहां अब तक कोरोना वायरस से 3,19,493 लोग संक्रमित हुए हैं और मृतकों की संख्या 7069 है।
कोरोना संक्रमण के मामले में मेक्सिको ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया है। यहां पर इससे अब तक 3,11,486 लोगों संक्रमित हुए हैं तथा 36,327 लोगों की मौत हुई है।
दक्षिण अफ्रीका कोरोना से प्रभावित होने के मामले में ब्रिटेन से आगे निकल कर आठवें स्थान पर पहुंच गया है। दक्षिण अफ्रीका में कोरोना से अब तक 2,98,292 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 4346 लोगों की मौत हो चुकी है।
ब्रिटेन संक्रमण के मामले में नवें नंबर पर आ गया है। यहां अब तक इस महामारी से 2,92,931 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 45,053 लोगों की मृत्यु हो चुकी है।
वहीं खाड़ी देश ईरान में संक्रमितों की संख्या 2,62,173 हो गई है और 13,211 लोगों की इसके कारण मौत हुई है। वहीं स्पेन में कोरोना संक्रमितों की संख्या 2,56,619 है जबकि 28,409 लोगों की मौत हो चुकी है। पड़ोसी देश पाकिस्तान में कोरोना से अब तक 2,55,769 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 5386 लोगों की मौत हो चुकी है।
यूरोपीय देश इटली में इस जानलेवा विषाणु से 2,43,344 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 34,984 लोगों की मौत हुई है। सऊदी अरब में कोरोना संक्रमण से अब तक 2,37,803 लोग प्रभावित हुए हैं तथा 2283 लोगों की मौत हो चुकी है। तुर्की में कोरोना संक्रमितों की संख्या 2,14,933 हो गयी है और 5402 लोगों की मौत हो चुकी है। फ्रांस में कोरोना संक्रमितों की संख्या 2,09,640 हैं और 30,032 लोगों की मौत हो चुकी है। जर्मनी में 2,00,456 लोग संक्रमित हुए हैं और 9078 लोगों की मौत हुई है।
बंगलादेश में 1,90,057 लोग कोरोना की चपेट में आए हैं जबकि 2424 लोगों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है। कोरोना वायरस से बेल्जियम में 9787, कनाडा में 8845, नीदरलैंड में 6154, स्वीडन में 5545, इक्वाडोर में 5130, मिस्र में 4008, इंडोनेशिया में 3710, इराक में 3345, स्विट्जरलैंड में 1968, रोमानिया में 1931, अर्जेंटीना में 1968, बोलीविया में 1898, आयरलैंड में 1746 और पुर्तगाल में 1668 लोगों की मौत हो चुकी है।
मौतें-20, एक्टिव-1084, डिस्चार्ज-3275
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 जुलाई। प्रदेश में कोरोना मरीज 44 सौ के आसपास पहुंच गए हैं। बीती रात रायपुर, बिलासपुर, सरगुजा समेत प्रदेश के 17 जिलों में मिले 105 नए पॉजिटिव के साथ इनकी संख्या बढक़र 43 सौ 79 हो गई है। इसमें 20 की मौत हो चुकी है। एक हजार 84 एक्टिव हैं और इन सभी का एम्स व अन्य कोरोना अस्पतालों में इलाज जारी है। 32 सौ 75 मरीज ठीक होकर अपने घर लौट गए हैं।
रायपुर समेत प्रदेश में कोरोना मरीजों के आंकड़े हर रोज बढ़ते जा रहे हैं। जारी बुलेटिन के मुताबिक बीती रात बिलासपुर, सुकमा व नारायणपुर से 18-18 नए पॉजिटिव पाए गए। सरगुजा से 12, रायपुर से 9, बलरामपुर से 8, नांदगांव से 7, कोंडागांव से 3 एवं रायगढ़, कोरबा, कांकेर से 2-2 मरीज मिले। इसके अलावा दुर्ग, गरियाबांद, सूरजपुर, जशपुर, बस्तर, दंतेवाड़ा से 1-1 मरीज शामिल हैं। ये सभी मरीज आसपास के कोरोना अस्पतालों में भर्ती कराए जा रहे हैं।
दूसरी तरफ अंबेडकर अस्पताल में कल एक की मौत दर्ज की गई है। बताया गया है कि रायपुर निवासी एक व्यक्ति एक्यूट कोरोनरी सिन्ड्रोम निमोनिया, एक्यूट रीनल, इन्जूरी व सेप्टिक शॉक से पीडि़त था। उसे किसी निजी अस्पताल से यहां रेफर किया गया । कुछ दिन के इलाज के बाद 13 जुलाई को यहां उसकी मौत हो गई। इस दौरान जांच में वह कोरोना पॉजिटिव भी पाया गया। इस मरीज को मिलाकर प्रदेश में कोरोना व कोरोना के साथ अन्य बीमारियों से 20 की मौत हो चुकी है।
स्वास्थ्य अफसरों का कहना है कि प्रदेश में जांच का दायरा बढ़ाने के साथ कहीं-कहीं पर भीड़ वाली जगहों से रेडंम जांच भी किए जा रहे हैं। इसके अलावा पॉजिटिव मरीजों के आसपास और संपर्क में आने वालों की जांच चल रही है। जांच में पुलिस, डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, छात्र के साथ अन्य लोग संक्रमित पाए जा रहे हैं। निगम के फील्ड में रहने वाले वर्कर भी अब संक्रमित मिल रहे हैं। सभी नए पॉजिटिव आसपास के अस्पतालों में भर्ती कराए जा रहे हैं। सैंपलों की जांच जारी है।
छत्तीसगढ़ से कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य, और प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष फूलोदेवी नेताम अपने खेत में काम करते हुए। कांग्रेस ने इस पर लिखा है कि हम खून-पसीने और मेहनत से मजबूती देते हैं, फिर चाहे वे फसल हो, या संगठन।
छत्तीसगढ़ के बस्तर की फूलोदेवी नेताम लंबे समय से कांग्रेस में सक्रिय हैं।
नई दिल्ली, 15 जुलाई । भारत और एशिया के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी दुनिया के टॉप 5 अमीरों में शामिल होने की दहलीज पर हैं। देश की सबसे मूल्यवान कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के चेयरमैन मुकेश अंबानी ब्लूमबर्ग के बिलिनेयर इंडेक्स में अभी छठे नंबर पर है। अंबानी की नेटवर्थ हाल के दिनों में बहुत तेजी से बढ़ी है। 9 जुलाई को उनकी नेटवर्थ 67.4 अरब डॉलर थी और वह जाने माने अमेरिकी निवेशक वारेन बफे से एक स्थान नीचे नौवें स्थान पर थे।
लेकिन मंगलवार को उनकी नेटवर्थ 72.4 अरब डॉलर पहुंच गई। यानी इस दौरान अंबानी की दौलत प्रति सेकंड 8.74 लाख रुपये की रफ्तार से बढ़ी। इसकी वजह आरआईएल के शेयरों में उछाल रही। पिछले 5 दिनों में कंपनी के शेयर में 5 फीसदी तेजी आई है। इससे कंपनी का बाजार पूंजीकरण 12 लाख करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच गया। आरआईएल यह उपलब्धि हासिल करने वाली देश की पहली कंपनी है।
मुकेश अंबानी को रिलायंस के शेयरों में बढ़त का फायदा तो मिला ही, अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट का भी फायदा उन्हें मिला। इस गिरावट के चलते गूगल के को-फाउंडर लैरी पैज की दौलत 71.6 अरब डॉलर पर आ गई। वहीं गूगल की स्थापना करने वाले सर्गेई ब्रिन की दौलत 69.4 अरब डॉलर पर पहुंच गई। टेस्ला के एलन मस्क भी मुकेश अंबानी के मुकाबले पीछे रह गए हैं। इतना ही नहीं, पिछले ही सप्ताह मुकेश अंबानी ने बर्कशायर हैथवे के सीईओ और दुनिया के दिग्गज निवेशक वॉरेन बफे को भी पछाडक़र लिस्ट में सातवां स्थान हासिल किया था।
इस साल के शुरुआती महीनों में कारोबार में कमजोरी के बाद मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने लगातार ग्रोथ की है। रिलायंस इंडस्ट्रीज की कंपनी जियो प्लेटफॉर्म्स में एक के बाद एक 13 निवेशक पैसे लगा चुके हैं, जिसमें फेसबुक भी शामिल है। इन निवेशों से अंबानी को 1,18,000 करोड़ रुपये की रकम हासिल हो चुकी है। सोमवार की तेजी की वजह भी यह निवेश ही था, क्योंकि रविवार को ही 13वें निवेशक क्तह्वड्डद्यष्शद्वद्व ङ्कद्गठ्ठह्लह्वह्म्द्गह्य ने जियो प्लेटफॉम्र्स की 0.15 फीसदी हिस्सेदारी खरीदते हुए 730 करोड़ रुपये के निवेश का ऐलान किया था। (navbharattimes.indiatimes.com)
छत्तीसगढ़ संवाददाता
रायपुर, 15 जुलाई। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह बुधवार को देर शाम यहां पहुंच रहे हैं। वे सीएम हाऊस में पार्टी के कुछ प्रमुख नेताओं से मेल मुलाकात करेंगे। इसके बाद गुरूवार की सुबह दिल्ली रवाना हो जाएंगे।
सूत्रों के मुताबिक सीएम हाऊस में होने वाली बैठक में दिग्विजय सिंह, सीएम भूपेश बघेल, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव और एक-दो अन्य नेता मौजूद रह सकते हैं। दिग्विजय के अचानक रायपुर आने को कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान से जोड़कर देखा जा रहा है। खास बात यह है कि सीएम भूपेश बघेल और अन्य सभी बड़े नेता दिग्विजय सिंह के ही करीबी हैं।
जयपुर, 15 जुलाई। कांग्रेस ने राजस्थान में सचिन पायलट और उनके बागी साथियों को अयोग्य घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. खबरों के मुताबिक पार्टी की शिकायत के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने इन सभी 19 असंतुष्ट विधायकों को नोटिस जारी कर शुक्रवार तक जवाब मांगा है. नोटिस में पूछा गया है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों और कांग्रेस विधायक दल की दो बैठकों में शामिल नहीं होने पर उन्हें अयोग्य क्यों नहीं ठहराया जाना चाहिए? कल हुई विधायक दल की दूसरी बैठक में सचिन पायलट को राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष पद और राज्य के उपमुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था. उनके समर्थक दो मंत्री भी हटा दिए गए हैं. चर्चा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आज नए सिरे से कैबिनेट के गठन पर काम शुरू कर सकते हैं.
माना जा रहा है कि सचिन पायलट और बागी विधायकों के बर्खास्त होने से अशोक गहलोत को फायदा होगा क्योंकि इससे राजस्थान विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी 101 सदस्यों का आंकड़ा नीचे आ जाएगा. इस बीच, सचिन पायलट ने एक बार फिर कहा है कि वे भाजपा में शामिल नहीं हो रहे हैं. खबरों के मुताबिक उनका कहना था, ‘अभी भी मैं कांग्रेस का मेंबर हूं. कुछ लोग मेरा नाम भाजपा से जोड़ रहे हैं. मेरी इमेज खराब करने की कोशिश की जा रही है.’ उन्होंने बगावत क्यों की, इस सवाल पर उनका कहना था कि वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इतना ही चाहते थे कि वे जनता से किए गए वादे पूरे करें. उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के अंदर चर्चा का कोई मंच बचा ही नहीं था.(satyagrah)
प्रजनन दर कमी और वृद्ध आबादी को देखते नया अनुमान
ब्रिटेन के प्रसिद्ध साइंस जर्नल लैंसेट में छपी इस ताजा रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त राष्ट्र ने अपने आकलन में गिरते प्रजनन दर और वृद्ध आबादी को ध्यान में जरूर रखा था लेकिन नीतियों से जुड़े कुछ अन्य पैमानों को नजरंअदाज कर दिया था. रिसर्चरों के अनुसार एक बार अगर आबादी गिरने लगे तो उसे रोकना नामुमकिन हो जाता है. इसके परिणामस्वरूप दुनिया में सत्ता के लिहाज से बड़े बदलाव भी देखे जाएंगे. जिन 23 देशों की जनसंख्या आधी हो जाने की बात कही गई है, उनमें जापान, स्पेन, इटली, थाईलैंड, पुर्तगाल, दक्षिण कोरिया और पोलैंड शामिल हैं.
फिलहाल दुनिया की आबादी 7.8 अरब है. एक अनुमान के अनुसार 2064 तक यह बढ़ कर रिकॉर्ड 9.7 अरब हो जाएगी लेकिन इसके बाद यह कम होने लगेगी और साल 2100 तक यह गिर कर 8.8 अरब हो जाएगी. 2019 में संयुक्त राष्ट्र ने जो रिपोर्ट प्रकाशित की थी उसके अनुसार साल 2100 तक आबादी के 10.9 अरब पहुंच जाने का अनुमान था. यानी यह मौजूदा अनुमान से दो अरब ज्यादा था. यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन की इस नई रिपोर्ट में रिसर्चरों ने संयुक्त राष्ट्र के अनुमान को गलत बताया है. रिसर्चरों के अनुसार साल 2100 तक 195 में से 183 देशों की जनसंख्या में कमी आएगी. 23 देशों की आबादी तो आधी हो जाएगी और 34 अन्य देशों की जनसंख्या में 25 से 50 फीसदी की कमी आएगी.
2035 तक सुपरपावर बनेगा चीन?
रिपोर्ट के अनुसार 2035 तक चीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यस्था बन जाएगा और वह अमेरिका को भी पीछे छोड़ देगा. लेकिन चीन की जनसंख्या में गिरावट के बाद अमेरिका फिर से अपनी जगह हासिल करने में कामयाब रहेगा. फिलहाल चीन की जनसंख्या 1.4 अरब है. अगले अस्सी सालों में यह 73 करोड़ ही रह जाएगी. इसी दौरान अफ्रीकी देशों में जनसंख्या वृद्धि देखी जाएगी. उप सहारा अफ्रीका में आबादी तीन गुना बढ़ कर तीन अरब हो सकती है. अकेले नाइजीरिया की ही आबादी 80 करोड़ हो जाएगी.
जीडीपी के लिहाज से भारत तीसरे पायदान पर
अगर ऐसा हुआ तो साल 2100 तक वह भारत के बाद जनसंख्या के लिहाज से दूसरे स्थान पर होगा. अर्थव्यवस्था और सत्ता के लिहाज से अमेरिका, चीन, नाइजीरिया और भारत दुनिया के चार अहम देश होंगे. अनुमान के अनुसार भारत की जनसंख्या में बहुत बड़े बदलाव नहीं देखे जाएंगे. और जीडीपी के लिहाज से भारत तीसरे पायदान पर होगा. जापान, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन दुनिया की दस महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं में बने रहेंगे.
इस रिसर्च के मुख्य लेखक क्रिस्टोफर मुरे ने इस बारे में कहा, "ये पूर्वानुमान पर्यावरण के लिए अच्छी खबर हैं. खाद्य उत्पादन प्रणालियों पर दबाव कम होगा, कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा और उप सहारा अफ्रीका के हिस्सों में अहम आर्थिक मौके पैदा होंगे. हालांकि अफ्रीका के बाहर ज्यादातर देशों में आबादी घटेगी, वर्कफोर्स कम हो जाएगी और अर्थव्यवस्था पर इसका काफी बुरा असर होगा."
मुरे का कहना है कि अगर उच्च आय वाले देश चाहते हैं कि ऐसा ना हो, तो जनसंख्या स्तर को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि वे प्रवासियों को ले कर बेहतर नीतियां बनाएं और ऐसे परिवारों को आर्थिक सहयोग दें जो बच्चे चाहते हैं. लेकिन उन्हें डर है कि मौजूदा दौर में कई देश इसके ठीक विपरीत नीतियां बना रहे हैं, जिनके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं. (डीपीए, एएफपी)
जयपुर, 15 जुलाई। कांग्रेस के बाग़ी नेता सचिन पायलट ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा है कि वो बीजेपी में नहीं जाएंगे.
सचिन ने कहा कि 'उन्होंने कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए कड़ी मेहनत की थी.'
कांग्रेस के इस युवा बाग़ी नेता ने कहा कि 'राजस्थान में कुछ नेता उनके बीजेपी में शामिल होने की अफ़वाह उड़ा रहे हैं लेकिन वो ऐसा नहीं करने जा रहे.'
दूसरी तरफ़ राजस्थान विधानसभा के स्पीकर ने सचिन पायलट समेत 19 विधायकों को नोटिस भेजा है और 17 जुलाई तक जवाब मांगा है.
सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक सीएलपी की बैठक में नहीं आए थे और इसे लेकर राजस्थान सरकार के व्हिप चीफ़ महेश जोशी ने स्पीकर के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी.
सचिन पायलट ने पूरे राजनीतिक घटनाक्रम पर इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में कहा है कि वो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराज़ नहीं हैं.
सचिन ने इस इंटरव्यू में कहा, ''मैं उनसे नाराज़ नहीं हूं. मैं कोई विषेशाधिकार भी नहीं मांग रहा. हम सभी चाहते हैं कि कांग्रेस ने राजस्थान के चुनाव में जो वादा किया था उसे पूरा करे. हमने वसुंधरा राजे सरकार के ख़िलाफ़ अवैध खनन का मुद्दा उठाया था. सत्ता में आने के बाद गहलोत जी ने इस मामले में कुछ नहीं किया. बल्कि वो वसुंधरा के रास्ते पर ही बढ़ रहे हैं.''
सचिन पायलट ने इस इंटरव्यू में कहा है, ''पिछले साल राजस्थान हाई कोर्ट ने 2017 के वसुंधरा सरकार के उस संशोधन को ख़ारिज कर दिया था जिसमें उन्हें जयपुर में सरकारी बंगला हमेशा के लिए मिल गया था. गहलोत सरकार को बंगला उनसे ख़ाली करवाना चाहिए था लेकिन उन्होंने हाई कोर्ट के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.''
सचिन ने कहा, ''गहलोत बीजेपी की राह पर ही चल रहे हैं और उन्हें मदद कर रहे हैं. वो मुझे और मेरे समर्थकों को राजस्थान के विकास के लिए काम नहीं करने दे रहे हैं. नौकरशाहों से कह दिया गया है वो मेरे निर्देशों का पालन नहीं करें. फाइलें मेरे पास नहीं आती हैं. महीनों से कैबिनेट और सीएलपी की बैठक नहीं हुई है. उस पद का क्या मतलब है जिस पर रहकर मैं लोगों से किए वादों को ही पूरा नहीं कर सकता?''
सचिन ने इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में कहा है, ''मैंने पूरे मामले को कई बार उठाया. मैंने राजस्थान में कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे जी से कहा. सीनियर नेताओं से भी कहा. मैंने गहलोत जी से भी बात की. लेकिन इसका कोई फ़ायदा नहीं हुआ क्योंकि मंत्रियों और विधायकों की शायद ही कोई बैठक होती थी. मेरे आत्मसम्मान को चोट पहुंची है. प्रदेश की पुलिस ने सेडिशन के एक मामले में मुझे नोटिस भेजा है.''
''आप याद कीजिए कि कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने घोषणापत्र में सेडिशन का क़ानून हटाने का वादा किया था और यहां कांग्रेस की सरकार अपने ही मंत्री के ख़िलाफ़ इस क़ानून का इस्तेमाल कर रही है. मेरा यह क़दम अन्याय के ख़िलाफ़ है. पार्टी का व्हिप तब वैध होता है जब विधानसभा चल रही होती है. मुख्यमंत्री ने विधायक दल की बैठक अपने घर पर बुलाई. कम से कम यह बैठक पार्टी मुख्यालय में ही बुला लेते.''(bbc)
नई दिल्ली, 15 जुलाई (वार्ता)। देश में कोरोना संक्रमण के दिनों दिन बढ़ते प्रकोप के बीच पिछले 24 घंटों के दौरान अब तक के सर्वाधिक 29 हजार से अधिक नए मामले सामने आए हैं जिससे संक्रमितों का आंकड़ा 9.36 लाख के पार पहुंच गया है हालांकि राहत की बात यह है कि इस दौरान इससे 20 हजार से अधिक रोगी स्वस्थ भी हुए हैं।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश भर में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना संक्रमण के 29,429 नये मामले सामने आये हैं जिससे संक्रमितों की संख्या 9,36,181 हो गयी है। इससे पहले तीन दिन तक लगातार 28 हजार से अधिक मामले सामने आए थे। पिछले 24 घंटों के दौरान 582 लोगों की मौत होने से मृतकों की संख्या 24,309 हो गई है।
संक्रमण के तेजी से बढ़ रहे मामलों के बीच राहत की बात यह है कि इससे स्वस्थ होने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है और पिछले 24 घंटों के दौरान 20,572 से अधिक रोगी स्वस्थ हुए हैं जिन्हें मिलाकर अब तक कुल 5,92,032 रोगमुक्त हो चुके हैं। देश में अभी कोरोना संक्रमण के 3,19,840 सक्रिय मामले हैं।
कोरोना महामारी से सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों में संंक्रमण के 6,741 नये मामले सामने आये जिससे संक्रमितों का आंकड़ा 2,67,665 पर पहुंच गया है। इसी अवधि में 213 लोगों की मौत हुई है जिसके कारण मृतकों की संख्या 10,695 हो गयी है। वहीं 1,49,007 लोग संक्रमण मुक्त हुए हैं।
संक्रमण के मामले में दूसरे स्थान पर पहुंचे तमिलनाडु में पिछले 24 घंटों के दौरान संक्रमण के मामले 4,526 बढक़र 1,47,324 पर पहुंच गये हैं और इसी अवधि में 76 लोगों की मौत से मृतकों की संख्या 2,099 हो गयी है। राज्य में 97,310 लोगों को उपचार के बाद अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना महामारी की स्थिति अब कुछ नियंत्रण में है और यहां संक्रमण के मामलों में वृद्धि की रफ्तार थोड़ी कम हुई है। राजधानी में अब तक 1,15,343 लोग कोरोना की चपेट में आये हैं तथा इसके कारण मरने वालों की संख्या 3446 हो गयी है। यहां 93,236 मरीज रोगमुक्त हुए हैं।
दक्षिण का राज्य कर्नाटक संक्रमितों की संख्या के मामले में गुजरात को पीछे छोडक़र चौथे स्थान पर पहुंच गया है। राज्य में 44,077 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 842 लोगों की इससे मौत हुई है। राज्य में 17,390 लोग स्वस्थ भी हुए हैं।
देश का पश्चिमी राज्य गुजरात संक्रमण के मामले में पांचवें स्थान पर आ गया है, लेकिन मृतकों की संख्या के मामले में यह महाराष्ट्र और दिल्ली के बाद तीसरे स्थान पर है। गुजरात में 43,637 लोग वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 2,069 लोगों की मौत हुई है। राज्य में 30,503 लोग इस बीमारी से स्वस्थ भी हुए हैं।
आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के अब तक 39,724 मामले सामने आए हैं तथा इस महामारी से 983 लोगों की मौत हुई है जबकि 24,983 मरीज ठीक हुए हैं।
दक्षिण के एक और राज्य तेलंगाना में भी कोरोना संक्रमण के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। तेलंगाना में कोरोना संक्रमितों की संख्या 37,745 हो गयी है और 375 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 24,840 लोग अब तक इस महामारी से ठीक हो चुके है।
आंध्र प्रदेश में संक्रमितों की संख्या में तेजी से वृद्धि होने के कारण यह सर्वाधिक प्रभावित राज्यों की सूची में पश्चिम बंगाल से ऊपर आ गया है। राज्य में 33,019 लोग संक्रमित हुए हैं तथा मरने वालों की संख्या 408 हो गयी है जबकि 17,467 लोग स्वस्थ हो चुके हैं।
पश्चिम बंगाल में 32,838 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 980 लोगों की मौत हुई है और अब तक 19,931 लोग स्वस्थ हुए हैं। राजस्थान में भी कोरोना संक्रमितों की संख्या 25,571 हो गयी है और अब तक 525 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 19,161 लोग पूरी तरह ठीक हुए हैं। हरियाणा में 22,628 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 312 लोगों की मौत हुई है।
इस महामारी से मध्य प्रदेश में 673, पंजाब में 213, जम्मू-कश्मीर में 195, बिहार में 174, ओडिशा में 74, उत्तराखंड में 50, असम में 36, झारखंड में 36, केरल में 34, छत्तीसगढ़ में 20, पुड्डुचेरी और गोवा में 18, हिमाचल प्रदेश में 11, चंडीगढ़ में 10, अरुणाचल प्रदेश में तीन, मेघालय और त्रिपुरा में दो तथा लद्दाख में एक व्यक्ति की मौत हुई है।
-ईशान कुकरेटी
वनवासियों पर एक बार फिर बेदखली की तलवार लटक रही है। इस साल 24 फरवरी तक 14 राज्यों ने कुल 5,43,432 वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) 2006 के तहत किए गए दावों को स्वत: संज्ञान समीक्षा के बाद खारिज कर दिया। ये राज्य हैं- आंध्र प्रदेश (2,355), बिहार (1,481) छत्तीसगढ़ (39,4851), हिमाचल प्रदेश (47), कर्नाटक (58,002), केरल (801), महाराष्ट्र (9,213), ओडिशा (73737), राजस्थान (5,906), तेलंगाना (5,312), तमिलनाडु (214), उत्तराखंड (16), त्रिपुरा (4), पश्चिम बंगाल (54,993)। पश्चिम बंगाल ने कुल 92 प्रतिशत दावों को खारिज कर दिया। राज्य में कुल 59,524 दावों की समीक्षा की गई थी।
यह जानकारी राज्यों ने जनजातीय मामलों के मंत्रालय को 24 फरवरी के दिन हुई एक बैठक में दी है। मंत्रालय ने इस बैठक के मिनट्स को अपनी वेबसाइट पर 2 जुलाई को अपलोड किया।
गौरतलब है कि 13 फरवरी, 2019 को एफआरए मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को उन दावेदारों को बेदखल करने को कहा था जिनका दवा खारिज हो चुका था। हालांकि कोर्ट ने सरकार के दखल के बाद 28 फरवरी को आदेश पर रोक लगा दी थी। इसके बाद जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने सभी राज्यों के साथ एक बैठक आयोजित की थी।
6 मार्च और 18 जून को दो बैठकों में राज्यों ने मंत्रालय को बताया था कि उन्होंने दावों को खारिज करने में एफआरए के कई प्रावधानों का पालन नहीं किया था। मंत्रालय ने तब राज्यों को सभी खारिज किए गए दावों की स्वत: समीक्षा की सलाह दी थी।
24 फरवरी की बैठक के मिनट्स के अनुसार, 14,19,259 में से 1,72,439 दावों की समीक्षा की गई। समीक्षा किए गए दावों की संख्या की तुलना में अधिक दावों को खारिज किया जाना डेटा में विसंगति की वजह से है। कुछ राज्यों ने कुल की गई समीक्षाओं के डेटा को साझा नहीं किया है और कुछ ने यह नहीं बताया है कि कुल कितने दावों की समीक्षा होनी है।
मध्य प्रदेश के प्रतिनिधि ने मंत्रालय को बताया कि इस प्रकिया में कम से कम 12 महीने का समय लगेगा। तब तक कोई दावेदार बेदखल नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार खारिज दावों की समीक्षा और दावेदार की पहचान के लिए मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम (एमआईएस) का सहारा ले रही है। राज्य सरकार ने फील्ड स्टाफ और अधिकारियों को एमआईएस और मोबाइल एप्लीकेशन का प्रशिक्षण देने के लिए ट्रेनिंग कार्यक्रम किए हैं।
जरूरी नहीं है कि समीक्षा में खारिज सभी दावे बेदखल होंगे क्योंकि बहुत सारे दावे डुप्लीकेशन की वजह से भी खारिज कुए हैं। उदाहरण के लिए राजस्थान ने मंत्रालय को बताया कि 18,446 खारिज किए गए दावे कब्जे नहीं होने, दोहरे दावे, अन्य राजस्व भूमि पर कब्जे, दावेदार की मृत्यु, गलत प्रविष्टि, प्रवास आदि के कारण गैर बेदखली दावे हैं।
दावेदारों की बेदखली के क्या परिणाम होंगे, यह जानने के लिए राज्य खारिज किए गए दावों का समुचित वर्गीकरण करेंगे और बताएंगे कि किस आधार पर यह बेदखली हुई है। एफआरए बेदखली के बारे में कुछ नहीं कहता है, इसलिए बैठक में यह निर्णय लिया गया कि एक विस्तृत वर्गीकरण किया जाएगा जो बेदखली की प्रकृति का चित्रण करेगा।(downtoearth)
-ललित मौर्या
चमगादड़ों में कोरोनावायरस के साथ-साथ न जाने कितने वायरस होते हैं। इसके बावजूद इन वायरसों का असर उसके शरीर पर नहीं पड़ता। आखिर ऐसा क्या होता है इन चमगादड़ों के शरीर में, जिनसे वो बीमार नहीं पड़ते। आइये जानते हैं चमगादड़ों की इस ‘सुपर इम्युनिटी’ का राज। और क्या मनुष्य भी इस ‘सुपर इम्युनिटी’ को समझकर इन हानिकारक वायरसों से बच सकते हैं। मनुष्यों में कई बीमारियां चमगादड़ों से ही फैली हैं। इनमें इबोला, रेबीज, सार्स और कोविड-19 भी शामिल है।
सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि आखिर इंसानों को बीमार करने वाले इन वायरसों का असर चमगादड़ों पर क्यों नहीं पड़ता। और क्यों उनमें यह बीमारियां नहीं होती हैं। इसका कारण चमगादड़ों की सुपर इम्युनिटी है जो इन्हें इन बीमारियों को सहन करने के लायक बनाती हैं। जबकि यदि सामान आकर के स्तनधारियों से चमगादड़ों की तुलना करें तो वो उनसे अधिक समय तक जीवित रहते हैं। अनुमान है कि चमगादड़ 30 से 40 साल तक जीवित रह सकते हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर के शोधकर्ताओं के अनुसार, चमगादड़ की लंबी उम्र और वायरस को सहन करने की क्षमता का मुख्य कारण उसके इन्फ्लेमेशन (सूजन) को नियंत्रित करने की क्षमता से है। जब भी शरीर में कोई विकार आता है या फिर चोट लगती है तो शरीर में मौजूद श्वेत रक्त कोशिकाएं शरीर को बाहरी आक्रमणों (जैसे वायरस और बैक्टीरिया) से बचाने के लिए सक्रिय हो जाती हैं। यदि इस प्रक्रिया को नियंत्रित कर लिया जाये तो यह शरीर में बीमारी को फैलने से रोक सकती हैं। वैज्ञानिकों द्वारा किया गया यह शोध जर्नल सेल मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित हुआ है। इस शोध के प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर वेरा गोरबुनोवा और आंद्रेई सेलुआनोव ने चमगादड़ों के शरीर में यह प्रक्रिया कैसे काम करती है उसकी पूरी रुपरेखा तैयार की है। साथ ही इस बात का भी पता लगाया है कि यह तंत्र किस तरह से बीमारियों के लिए नए उपचार खोजने में मदद कर सकता है।
वायरसों को कैसे सह लेता है चमगादड़ का शरीर?
इसे समझने के लिए शोधकर्ताओं ने चमगादड़ों की लम्बी उम्र के रहस्य और उनके वायरसों के खिलाफ सुपर इम्युनिटी को साथ-साथ समझने का प्रयास किया है। बढ़ती उम्र और उम्र से जुडी बीमारियों दोनों में ही इन्फ्लेमेशन (सूजन) का बहुत बड़ा हाथ होता है। कई बड़ी बीमारियां जैसे कैंसर, अल्जाइमर और हृदय रोग सहित उम्र से जुड़े विकारों में इन्फ्लेमेशन का बहुत बड़ा हाथ होता है। कोरोनावायरस भी शरीर में सूजन को सक्रिय कर देता है।
गोरबुनोवा के अनुसार कोरोनावायरस के मामले में जब वायरस को रोकने के लिए शरीर का इम्यून सिस्टम काम करता है, तो इन्फ्लेमेशन अनियंत्रित हो जाती है। जिसके कारण वो वायरस को खत्म करने की जगह मरीज को ही नुकसान पहुंचाने लगती है। उनके अनुसार हमारा इम्यून सिस्टम इस तरह काम करता है कि जैसे ही हम संक्रमित होते हैं तो हमारे शरीर में अपने आप ही एक प्रतिरक्षा प्रणाली काम करने लगती है। संक्रमण को रोकने के लिए शरीर में बुखार और सूजन होने लगती है, जिसका मकसद वायरस को खत्म करना और संक्रमण को रोकना होता है। पर कभी-कभी यह प्रतिक्रिया अनियंत्रित हो जाती है जिसकी वजह से यह रोगी पर ही असर डालना शुरू कर देती है।
जबकि चमगादड़ों के साथ ऐसा नहीं होता। मनुष्यों के विपरीत उन्होंने इससे निपटने के लिए विशिष्ट तंत्र विकसित कर लिया है। जो वायरस के फैलने की गति को काम कर सकता है। इसके साथ ही वो अपने इम्यून की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी नियंत्रित कर लेते हैं। जिस वजह से जो संतुलन बनता है वो उनके शरीर में वायरस के असर को खत्म कर देता है। और उन्हें लम्बे समय तक जीने में मददगार होता है।
क्यों बन गए हैं चमगादड़ बीमारियों को सहने के काबिल?
शोधकर्ताओं के अनुसार, ऐसे कई कारक हैं जो इनके वायरस से लड़ने और लंबे जीवन के लिए मददगार होते हैं। एक कारक उनकी उड़ने की क्षमता में छिपा है। चमगादड़ अकेले ऐसे स्तनधारी हैं जो उड़ सकते हैं। जिसके लिए उसे अपने शरीर के तापमान में तेजी से वृद्धि और कमी को नियंत्रित करना होगा है। साथ ही अपने मेटाबोलिज्म में होने वाली एकाएक वृद्धि को भी नियंत्रित करना पड़ता है। साथ ही उन्हें अपने मॉलिक्यूलर को होने वाली क्षति को भी नियंत्रित करने में वर्षों लगे हैं। उनका यह अनुकूलन रोगों से लड़ने में भी मदद करता है।
दूसरा कारण इनका वातावरण है। इनकी कई प्रजातियां बहुत तंग जगह और घुप्प अंधेरे वाली गुफाओं में रहते हैं। जहां इनकी एक बड़ी आबादी साथ-साथ होती है। यह दशा वायरस को फैलने के लिए आदर्श स्थिति प्रदान करती है। यह लगातार वायरस के संपर्क में रहते हैं। जब वो बहार से गुफाओं में आते हैं तो अपने साथ वायरस भी लाते हैं जो बड़ी आसानी से दूसरों में भी फ़ैल जाता है। लगातार लम्बे समय से इन वायरसों के संपर्क में रहने के कारण इनका इम्यून सिस्टम इन वायरसों से लड़ने के काबिल बन गया है। शोधकर्ताओं के अनुसार चमगादड़ों का विकास इन वायरसों के साथ लड़ते-लड़ते ही हुआ है जिसने इसे इनसे निपटने के काबिल बना दिया है। साथ ही यह इनके दीर्घायु होने में भी मददगार रहा है।
क्या इंसानों में भी विकसित हो सकती है इसी तरह की रोगप्रतिरोधक क्षमता?
विकास कुछ महीनों में नहीं होता यह साल दर साल विकसित होने की प्रक्रिया है। चमगादड़ों में यह क्षमता हजारों सालों में विकसित हुई है। इंसान अपनी सुख-सुविधाओं के बीच शहरों में रहने लगा है। साथ ही तकनीकों के बल पर एक जगह से दूसरी जगह जा सकता है। हमारी कुछ सामाजिक आदतें भले ही चमगादड़ों की तरह हैं। पर हमारा विकास उनकी तरह नहीं हुआ है। इंसानों के शरीर में अभी तक चमगादड़ों की तरह परिष्कृत तंत्र विकसित नहीं हुआ है। क्योंकि उनका शरीर वायरस का मुकाबला करता है उसके साथ-साथ और तेजी से विकसित होता जाता है।
गोरबुनोवा के अनुसार यह हमारे शरीर में अधिक इन्फ्लेमेशन के कारण हो सकता है। शोधकर्ताओं का यह भी मत है कि अधिक उम्र के लोगों पर यह वायरस ज्यादा बुरा असर करता है। यह उम्रदराज लोगों में अलग तरह से असर डालता है। वैसे भी जीवन और मृत्यु के लिए उम्र बहुत मायने रखती है। उम्र पर काबू पाने के लिए हमें इसकी पूरी प्रक्रिया पर नियंत्रण पाना होगा, न कि केवल उसके एक कारक पर काम करके उसे नियंत्रित किया जा सकता है।
हालांकि इसके बावजूद शोधकर्ताओं का मानना है कि चमगादड़ों के इम्यून सिस्टम का अध्ययन चिकित्सा जगत के लिए मददगार हो सकता है। इसकी मदद से रोगों और बुढ़ापे से लड़ने में मदद मिल सकती है। चमगादड़ों ने इन्फ्लेमेशन से निपटने के लिए अपनी कई जीनों में बदलाव और कई को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। मनुष्य इन जीनों में बदलाव करने के लिए नई दवाओं का विकास कर सकता है। पर शोधकर्ताओं ने यह भी माना है कि इससे सभी वायरसों से लड़ने में मदद मिलेगी यह मुमकिन नहीं है, पर हम इसकी मदद से अपने इम्यून सिस्टम को चमगादड़ कि तरह बेहतर बना सकते हैं, यह मुमकिन है। (downtoearth)