राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 20 जनवरी | दिल्ली के जंतर-मंतर पर कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कुश्ती खिलाड़ी धरने पर बैठे है। धरने पर बैठे कुश्ती खिलाड़ियों से खेल मंत्री अनुराग ठाकुर शुक्रवार को फिर मुलाकात करेंगे। सूत्रों के अनुसार जानकारी मिली है कि इस मामले पर कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह भी आज गोंडा जिले के नंदिनी नगर स्थित कुश्ती प्रशिक्षण केंद्र में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। उल्लेखनीय है कि दिल्ली के जंतर मंतर पर कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कुश्ती खिलाड़ी 2 दिन से धरने पर बैठे है। भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर खिलाड़ियों ने यौन शोषण का आरोप लगाया है। उन्हें हटाने के लिए और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करवाने के लिए पहलवान प्रदर्शन कर रहे है।
कुश्ती खिलाड़ियों से केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने गुरुवार रात अपने आवास पर लंबी बातचीत की, लेकिन कोई हल नहीं निकला। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 20 जनवरी | दिल्ली के जंतर-मंतर पर कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कुश्ती खिलाड़ी धरने पर बैठे है। धरने पर बैठे कुश्ती खिलाड़ियों से खेल मंत्री अनुराग ठाकुर शुक्रवार को फिर मुलाकात करेंगे। सूत्रों के अनुसार जानकारी मिली है कि इस मामले पर कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह भी आज गोंडा जिले के नंदिनी नगर स्थित कुश्ती प्रशिक्षण केंद्र में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। उल्लेखनीय है कि दिल्ली के जंतर मंतर पर कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कुश्ती खिलाड़ी 2 दिन से धरने पर बैठे है। भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर खिलाड़ियों ने यौन शोषण का आरोप लगाया है। उन्हें हटाने के लिए और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करवाने के लिए पहलवान प्रदर्शन कर रहे है।
कुश्ती खिलाड़ियों से केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने गुरुवार रात अपने आवास पर लंबी बातचीत की, लेकिन कोई हल नहीं निकला। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 20 जनवरी | मेट्रो के आगे कूदकर आत्महत्या करने की घटनाएं अक्सर सामने आती रहती हैं। बुधवार के दिन मंडी हाउस मेट्रो स्टेशन पर एक शख्स ने मेट्रो के आगे कूदकर जान दे दी। आत्महत्या करने की इस तरह की घटनाएं मेट्रो स्टेशन पर लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। इसको लेकर एक सवालिया निशान खड़ा हो गया है कि दिल्ली मेट्रो एक सुसाइड प्वॉइंट भी बनता जा रहा है। जबकि डीएमआरसी प्रशासन और सुरक्षाकर्मी भी इस तरह की घटनाएं ना हो उसके लिए भरपूर प्रयास करते हैं व मुस्तैद रहते हैं। डीएमआरसी प्रशासन की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है कि सुरक्षाकर्मियों की तरफ से सभी मेट्रो स्टेशन पर ऐसे लोगों पर नजर रखी जाती है, जो असामान्य नजर आते हैं। मेट्रो पर तैनात सुरक्षाकर्मी पूरी कोशिश करते है कि कोई अप्रिय घटना ना हो।
आपको बता दें कि दिल्ली के मंडी हाउस मेट्रो स्टेशन पर बुधवार दोपहर 2:30 बजे के करीब मेट्रो ट्रेन के आगे कूद कर एक शख्स ने आत्महत्या कर ली थी। मंडी हाउस मेट्रो स्टेशन ब्लू लाइन से कश्मीरी गेट की तरफ जाने वाली वॉयलेट मेट्रो लाइन पर बिहार के रहने वाले एक शख्स शख्स ने छलांग मार दी।
अब ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि डीएमआरसी प्रशासन की ओर से ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कुछ इंतजाम है। डीएमआरसी प्रशासन का कहना है कि आत्महत्या जैसी घटनाएं बहुत दुखद है। आत्महत्या जैसी घटनाएं मेट्रो स्टेशन पर ना हो, इसके लिए डीएमआरसी प्रशासन भी मुस्तैद रहता है। सुरक्षाकर्मियों की नजर ऐसे संदिग्ध लोगों पर रहती है। जिनका व्यवहार सामान्य लोगों से कुछ अलग होता है और कंट्रोल रूम से भी सीसीटीवी कैमरे के जरिए ऐसे लोगों पर नजर रखी जाती है। फिर भी अगर अचानक से यात्री रेलवे ट्रैक के आगे कूद जाता है, तो ऐसी स्थिति बहुत खतरनाक हो जाती है। फिर भी सुरक्षाकर्मी और डीएमआरसी प्रशासन हर संभव कोशिश करते हैं कि इस तरह की घटनाएं मेट्रो स्टेशन पर या कहीं भी ना हो।
कुछ ही दिन पहले वैशाली में सीआईएसफ जवानों की मुस्तैदी की वजह से एक व्यक्ति को आत्महत्या करने से रोका गया था। और भी बहुत ऐसे उदाहरण है जिसमें समय रहते सुरक्षा कर्मियों ने अप्रिय घटनाओ को होने से बचाया है। इसके अलावा प्लेटफार्म पर बने येलो लाइन से पहले यात्रियों को खड़ा रहने की विशेष हिदायत दी जाती है। लेकिन कम समय में किसी व्यक्ति द्वारा खुद को मेट्रो ट्रेन के सामने अगर ला दिया जाता है, तो इस प्रकार की स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण बन जाती है। (आईएएनएस)|
लखनऊ, 20 जनवरी | लकी ड्रा में इनामी राशि देने का झांसा देकर बेटी की सर्जरी के लिए एक लाख रुपए बचाने वाली महिला को साइबर जालसाजों ने ठग लिया। आशियाना, लखनऊ के सेक्टर-के की शिवा शर्मा ने अपनी शिकायत में कहा कि उन्हें एक ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी द्वारा घोषित पुरस्कार के लिए भाग्यशाली उम्मीदवारों के बीच अपने चयन के बारे में एक संदेश मिला।
उसने अपने मोबाइल फोन पर लिंक खोलने के बाद संदेश में दिए गए मोबाइल नंबर को डायल किया।
पीड़ित ने कहा, मुझे पंजीकरण शुल्क के रूप में 4,200 रुपये जमा करने के लिए कहा गया और मैंने ऐसा किया। फोन करने वाले ने मुझे कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी से बात करने के लिए कहा और मैंने निर्देशों का पालन किया। सीईओ ने मुझे जीत के लिए बधाई दी और मुझे बताया कि पैसा उसके बैंक खाते में भेजा जा रहा है।
महिला ने कहा कि उसने गूगल पे ऐप के जरिए पैसे का भुगतान किया।
पीड़िता ने कहा, मैंने पैसे ट्रांसफर कर दिए और मुझे तभी शक हुआ, जब मैंने उससे पैसे वापस करने के लिए कहा, लेकिन उसने मुझे रिफंड वापस पाने के लिए और अधिक पैसे जमा करने के लिए कहा।
शिकायतकर्ता ने कहा कि अभी तक उसे पुलिस से कोई मदद नहीं मिली है और उसके पास जो पैसे थे वह उसकी चार साल की बेटी की सर्जरी के लिए रखे हुए थे।
एसएचओ, आशियाना, अजय प्रकाश मिश्रा ने कहा कि एक प्राथमिकी दर्ज की गई है और साइबर क्राइम सेल के साथ विवरण साझा किया गया है।
मामले की जांच की जा रही है। (आईएएनएस)|
ग्रेटर नोएडा, 20 जनवरी | ग्रेटर नोएडा के कोतवाली बीटा 2 क्षेत्र में रहने वाली इंटर कॉलेज की 12वीं की छात्रा का अश्लील वीडियो बनाकर तीन लड़कों ने सामूहिक दुष्कर्म किया। पांच माह से हो रहे यौन शोषण से परेशान होकर पीड़िता ने घर में फंदा लगाकर जान देने की कोशिश की, लेकिन परिजनों ने उसे बचा लिया। पुलिस ने पीड़िता की मां की शिकायत पर तीनों लड़कों के खिलाफ गैंगरेप का मुकदमा दर्ज कराया है। ग्रेटर नोएडा के एक इंटर कॉलेज में पढ़ने वाली 12वीं क्लास की छात्रा से अजय नाम की युवक ने प्यार करने का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाए। इस दौरान उसने अश्लील वीडियो बनाकर छात्रा को ब्लैकमेल करने के साथ ही उसके भाई और बहन को जान से मारने की धमकी देकर अजय उसके साथ 5 माह तक दुष्कर्म करता रहा। इसके बाद अजय ने अश्लील वीडियो अपने दोस्तों निखिल और विपिन को भी दे दिया। उन दोनों ने भी छात्रा को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया और उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया।
तीनों छात्रा पर अपने अन्य दोस्तों से भी संबंध बनाने का दबाव बना रहे थे। इसके कारण छात्रा मानसिक रूप से हताश होकर घर में फंदा लगाकर जान देने की कोशिश की। लेकिन घर में मौजूद छोटी बहन ने उसे सुसाइड करते हुए देख शोर मचा दिया। इसके बाद छात्रा के परिजनों ने उसकी जान बचा ली। जब छात्रा से परिजनों ने सुसाइड का कारण पूछा, तो उसने अपने साथ हो रहे यौन उत्पीड़न की जानकारी दी। पीड़िता की मां ने बीटा 2 कोतवाली पुलिस में इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई है। ग्रेटर नोएडा जोन एडीसीपी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि छात्रा की मां की शिकायत के आधार पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस आरोपी अजय और उसके दोस्तों निखिल और विपिन की तलाश कर रही है। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 20 जनवरी | अगले तीन साल में रेलवे 35 नई हाइड्रोजन और 500 वंदे भारत ट्रेनें चलाने की योजना बना रहा है। रेल मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से आगमी केंद्रीय बजट 2023-24 में, फ्रेट कॉरिडोर, हाई- स्पीड ट्रेन और ट्रेन आधुनिकीकरण जैसी लंबी अवधि की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के वित्तपोषण को प्राथमिकता देने को कहा है।
इस बार में बजट सरकार जिन नई ट्रेनों की घोषणा होगी, उनमें 35 नई हाइड्रोजन-ईंधन वाली ट्रेनें और लगभग 500 नई वंदे भारत ट्रेनें शामिल होंगी। इसके साथ ही अगले तीन वर्षों में लगभग 4,000 नए डिजाइन किए गए ऑटोमोबाइल करियर कोच और लगभग 58,000 वैगनों को रोल आउट करने की भी उम्मीद है।
बजट 2023-24 में रेलवे को लगभग 1.9 लाख करोड़ रुपये का आवंटन मिलने की संभावना है। हाल ही में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ये भी उल्लेख किया था कि रेलवे कुछ मार्गों पर हाइड्रोजन-ईंधन वाली ट्रेनें चलाएगा। आधुनिक और उन्नत होने के अलावा, ये ट्रेनें अपनी गति और यात्रा के समय को काफी कम करने के लिए जानी जाती हैं। भारत में भी हाइड्रोजन ट्रेन यानी गैस से चलने वाली ट्रेन पर तेजी से काम हो रहा है। भारत की पहले हाइड्रोजन ट्रेन इस साल के अंत तक बनकर तैयार हो जाएगी।
गौरतलब है की रेलवे ने पिछले दिनों अपने रोलिंग स्टॉक के आधुनिकीकरण, पटरियों के विद्युतीकरण आदि पर काफी ध्यान दिया है। अगले तीन साल में उसपर भी लगभग 2.7 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जा सकते हैं। रोलिंग स्टॉक के अलावा सरकार 100 विस्टाडोम कोच बनाने और प्रीमियर ट्रेनों के 1,000 कोचों के नवीनीकरण की भी योजना बना रही है। (आईएएनएस)|
ग्रेटर नोएडा, 20 जनवरी | ग्रेटर नोएडा में शराबियों को खुले में जाम छलकाना भारी पड़ गया। इस दौरान पुलिस ने सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने वाले लोगों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया और 102 लोगों को पकड़ा। इन लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 290 के तहत कार्रवाई भी की गई और सभी को आगे से सार्वजनिक स्थानों पर शराब का सेवन न करने की हिदायत दी गई। नोएडा पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह के निर्देश पर ग्रेटर नोएडा में सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने वालों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जा रहा है। गुरुवार शाम को भी यह अभियान चलाया गया। इस दौरान बीटा 2 पुलिस और थाना नॉलेज पार्क पुलिस ने सार्वजनिक स्थानों पर शराब पी रहे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। पैदल गस्त के दौरान सार्वजनिक स्थानों पर पुलिस के द्वारा चेकिंग की गई तो खुले में यह लोग शराब का सेवन कर रहे थे। पुलिस ने सभी लोगों की धरपकड़ करनी शुरू कर दी। इस दौरान इन लोगों में भगदड़ मच गई।
बीटा 2 पुलिस और नॉलेज पार्क पुलिस ने 102 लोगों को पकड़ा। इन सभी लोगों को पकड़कर पुलिस थाने ले आई। इन सभी लोगों के नाम और एड्रेस नोट किए गए और सभी के खिलाफ 290 आईपीसी के तहत कार्रवाई भी की गई। इन सभी लोगों को साफ तौर पर हिदायत दी गई कि आगे से ऐसे कहीं भी सार्वजनिक स्थान पर शराब पीते हुए मिले तो आप के खिलाफ और कड़ी कार्रवाई होगी और आप को जेल भेज दिया जाएगा। (आईएएनएस)|
सरकार किसी भी खबर को फेक न्यूज बता कर वेबसाइटों से पूरी तरह से हटाने की शक्ति हासिल करना चाह रही है. लेकिन पीआईबी 'फैक्ट चेक' के तीन साल के इतिहास में देखा गया है कि वो अक्सर सरकार की आलोचना को भी फेक न्यूज बता देता है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
केंद्र सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में एक नए संशोधन का प्रस्ताव रखा है, जिसके तहत प्रेस सूचना ब्यूरो या सरकार की दूसरी कोई संस्था जिस भी खबर को 'फेक न्यूज' बताएगी उस खबर को सभी समाचार और सोशल मीडिया संस्थानों को अपनी वेबसाइटों से हटाना होगा.
बल्कि सिर्फ वेबसाइटें ही नहीं, इंटरनेट कंपनी, क्लाउड सेवा कंपनी, डोमेन रजिस्ट्रार जैसी संस्थाओं पर भी ऐसी सामग्री को हटाने की जिम्मेदारी होगी. यानी इंटरनेट पर से किसी सामग्री को हटाने की शक्ति पूरी तरह से सरकार के पास सिमट जाएगी.
क्या कर रहा है पीआईबी 'फैक्ट चेक'
दिसंबर 2019 से इंटरनेट और सोशल मीडिया पर मौजूद सामग्री में फेक न्यूज को चिन्हित करने का काम प्रेस सूचना ब्यूरो की एक नई सेवा 'पीआईबी फैक्ट चेक' कर रही है. सरकार ने नए संशोधन के प्रस्ताव में संकेत दिया है कि भविष्य में यह काम सरकार की और संस्थाएं भी कर सकती हैं.
लेकिन बीते तीन सालों में ऐसा कई बार देखा गया है कि 'पीआईबी फैक्ट चेक' अक्सर उन खबरों को भी फेक न्यूज बता देती है जिनमें सरकार की आलोचना की गई हो या सरकार के किसी कदम की कमियों को दिखाया गया हो.
जैसे जून 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई एक हिंसक झड़प के बाद चीन के सैनिकों के एलएसी पार करने की मीडिया रिपोर्टों को पीआईबी फैक्ट चेक ने फेक न्यूज बताया.
जबकि सच्चाई यह है कि पिछले दो सालों से भी ज्यादा से लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीनी सेना की गतिविधियों और भारत की स्थिति को लेकर तथ्यों को छिपाने के आरोप सरकार पर लगते आए हैं.
प्रेस की आजादी पर संकट
इसी तरह उसी महीने पीआईबी फैक्ट चेक ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश पुलिस के एसटीएफ के प्रमुख द्वारा टास्कफोर्स के सभी कर्मियों को अपने मोबाइल फोन से चीनी ऐप हटा देने का आदेश देने की खबर फेक न्यूज है. बाद में उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस खबर को सही बताया लेकिन पीआईबी फैक्ट चेक का ट्वीट आज भी मौजूद है.
इस तरह के कई उदाहरण हैं जब पीआईबी का फैक्ट चेक या तो झूठा यासरकार के बयान का प्रसार करता साबित हुआ है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या ऐसी संस्था को इतनी शक्ति दी जानी चाहिए कि कौन सी खबर सच्ची है और कौन सी झूठी इसका फैसला करने वाली वो अकेली और अंतिम संस्था बन जाए.
पत्रकारों और मीडिया संस्थानों के संगठन एडिटर्स गिल्ड ने इसका विरोध किया है. एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए गिल्ड ने कहा है किफेक न्यूज निर्धारण करने की शक्ति के सिर्फ सरकार के हाथ में होने से प्रेस की सेंसरशिप होगी.
इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने इस संशोधन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण समस्याओं को रेखांकित किया है. सबसे पहले तो संस्था ने कहा है कि इस संशोधन से अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार का भी हनन होगा.
संदेहास्पद कदम
दूसरे, संस्था ने यह भी बताया कि इस तरह की शक्ति सरकारी आदेश से नहीं बल्कि संसद द्वारा दी जाती है. फाउंडेशन का यह भी कहना है कि सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में प्रस्तावित संशोधनों पर पहले से बहस चल रही है और इन पर सुझाव देने की आखिरी तारीख 17 जनवरी थी.
लेकिन उसी दिन इन नए प्रस्तावित संशोधनों को जोड़ दिया गया और इन पर सुझाव देने के लिए लोगों को एक सप्ताह का समय और दे दिया गया. फाउंडेशन का कहना है कि इन इन नए प्रस्तावों की वजह से संशोधनों का दायरा भी बढ़ गया है और उसे प्रभावित होने वाले लोगों और संस्थानों का भी. ऐसे में एक हफ्ते का समय बहुत कम है.
अब देखना होगा कि सरकार इन सभी आपत्तियों पर क्या प्रतिक्रिया देती है और सुझाव देने की मियाद को बढ़ाती है या नहीं. (dw.com)
सैन फ्रांसिस्को, 20 जनवरी | माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर ने तीसरे पक्ष के ग्राहकों पर प्रतिबंध लगाने के लिए अपने 'डेवलपर एग्रीमेंट' को अपडेट कर दिया है। करीब एक हफ्ते पहले उसने अपने प्लेटफॉर्म पर ऐप्स की पहुंच को ब्लॉक कर दिया। द वर्ज की रिपोर्ट के मुताबिक नए नियमों में उल्लेख किया गया है कि उपयोगकर्ता ट्विटर के एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) या सामग्री का उपयोग ट्विटर एप्लिकेशन के लिए एक विकल्प या समान सेवा या उत्पाद बनाने या बनाने का प्रयास नहीं कर सकते हैं।
गुरुवार से नए नियम लागू हो गए हैं।
नियम अपडेट 12 जनवरी से शुरू होने वाले ट्वीटबॉट और ट्विटरिफिक सहित कई लोकप्रिय तृतीय-पक्ष ट्विटर अनुप्रयोगों को तोड़ते हुए ट्विटर का अनुसरण करता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि उस समय तीसरे पक्ष के एप्लिकेशन के डेवलपर्स ने दावा किया था कि उन्हें कंपनी से कोई जानकारी नहीं मिली है।
मंगलवार को माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने कहा था, ट्विटर अपने लंबे समय से चले आ रहे एपीआई नियमों को लागू कर रहा है। इसके परिणामस्वरूप कुछ ऐप काम नहीं कर सकते हैं।
इस बीच ट्विटर के सीईओ एलन मस्क ने पिछले हफ्ते कहा था कि ट्विटर का ओपन सोर्स एल्गोरिथ्म अगले महीने सामने आएगा, क्योंकि कई लोग थर्ड-पार्टी ट्विटर ऐप का उपयोग करने में असमर्थ थे और लॉगिंग और एक्सेस करने में समस्याओं का सामना कर रहे थे।
ट्विटर के सीईओ ने पोस्ट किया था, पारदर्शिता विश्वास पैदा करती है। (आईएएनएस)|
खेल संगठनों में नेताओं के दबदबे की बड़ी मिसाल क्रिकेट है. बीसीसीआई से लेकर प्रदेश संघों में नेताओं की भरमार रही है. ज्यादातर के पास उस खेल से जुड़ा अनुभव बस इतना होता है कि वह उस खेल विशेष के प्रेमी बताए जाते हैं.
डॉयचे वैले पर स्वाति मिश्रा की रिपोर्ट-
रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएफआई) और उसके अध्यक्ष बीजेपी सांसद बृज भूषण सिंह के खिलाफ खिलाड़ियों का प्रदर्शन 19 जनवरी को भी जारी है. धरने के दूसरे दिन खिलाड़ी विनेश फोगाट ने कहा है कि धरना दे रहे खिलाड़ी यह सुनिश्चित करेंगे कि आरोपित बृज भूषण इस्तीफा दें और उन्हें जेल हो. विनेश ने यह भी कहा कि इस मामले में वह और साथी खिलाड़ी केस भी दर्ज कराएंगे. खिलाड़ियों ने डब्ल्यूएफआई और प्रदेश कुश्ती संघों को भंग करने की भी मांग की है.
इस बीच कुश्ती खिलाड़ी और बीजेपी नेता बबीता फोगाट भी जंतर-मंतर पर खिलाड़ियों से मिलने आईं. उनके आने का मकसद बताते हुए खिलाड़ी बजरंग पुनिया ने बताया कि बबीता, सरकार की ओर से मध्यस्थता के लिए आई हैं. बबीता फोगाट ने इस मौके पर मीडिया को बताया कि उन्होंने प्रदर्शनकारी खिलाड़ियों को आश्वासन दिया है कि सरकार उनके साथ है. उन्होंने यह भी कहा कि वह आज ही खिलाड़ियों की मांगें पूरी करने की कोशिश करेंगी.
अधिकारियों पर यौन शोषण के गंभीर आरोप
इससे पहले 18 जनवरी को विनेश फोगाट और साक्षी मलिक ने डब्ल्यूएफआई और उसके अध्यक्ष बृज भूषण सिंह पर महिला पहलवानों के यौन शोषण का गंभीर आरोप लगाया था. विनेश ने कहा था, "राष्ट्रीय शिविरों में कोचों और रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बृज भूषण शरण द्वारा महिला पहलवानों का यौन शोषण किया जाता रहा है. राष्ट्रीय शिविरों में नियुक्त किए गए कुछ कोच बरसों से महिला पहलवानों का यौन शोषण करते आए हैं. फेडरेशन के अध्यक्ष भी यौन उत्पीड़न में शामिल हैं."
विनेश देश की सबसे जानी-मानी महिला पहलवानों में हैं. उनके साथ धरने में साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया समेत कई और खिलाड़ी मौजूद थे. इन खिलाड़ियों ने कुश्ती फेडरेशन और उसके अध्यक्ष बीजेपी सांसद बृज भूषण शरण पर बेहद गंभीर आरोप लगाए. कई और महिला खिलाड़ियों के शोषण का शिकार होने की बात करते हुए साक्षी मलिक बोलीं, "हम उन्हें बचाने आए हैं. हम उनके लिए संघर्ष कर रहे हैं. जब वक्त आएगा, हम बोलेंगे. जो भी जांच करेगा, हम उसे उनके भी नाम देंगे जो शोषण की शिकार हुई हैं." बृज भूषण शरण पर आरोप लगाने वालों में पहलवान अंशु मलिक भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि अगर बृज भूषण टीम होटल में ठहरे होते हैं, तो महिला खिलाड़ी अपने कमरों में जाने से कतराती हैं.
रद्द किया किया राष्ट्रीय कुश्ती शिविर
खिलाड़ियों के आरोप सामने आने के बाद खेल मंत्रालय ने भी बयान जारी किया. इसमें जानकारी दी गई कि 19 जनवरी से लखनऊ में महिला खिलाड़ियों के लिए जो राष्ट्रीय कुश्ती शिविर होना था, उसे फिलहाल रद्द कर दिया गया है. साथ ही, यह भी बताया गया कि चूंकि मुद्दा खिलाड़ियों के हित से जुड़ा है, ऐसे में मंत्रालय ने इस मामले को काफी गंभीरता से लिया है. खेल मंत्रालय ने डब्ल्यूएफआई को 72 घंटे के अंदर अपना पक्ष रखने को कहा है. मंत्रालय की यह डेडलाइन 21 जनवरी को पूरी होगी. मंत्रालय ने आगे की कार्रवाई के बारे में बताते हुए कहा कि अगर तय मियाद में फेडरेशन जवाब नहीं देता, तो नेशनल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट कोड 2011 के तहत उसपर एक्शन लिया जाएगा.
खेल मंत्रालय के बयान से पहले 18 जनवरी को ही बृज भूषण सिंह ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज किया था. उन्होंने कहा था, "क्या किसी ने कहा है कि डब्ल्यूएफआई ने किसी पहलवान का यौन उत्पीड़न किया है? सिर्फ विनेश ने यह कहा है. क्या किसी ने सामने आकर यह कहा है कि निजी तौर पर उनके साथ सेक्शुअल हरैसमेंट हुआ है? अगर एक भी पहलवान सामने आकर कहती है कि उसके साथ यौन शोषण हुआ है, तो उसी दिन मुझे फांसी दे देना."
खेल संगठनों में राजनीति की पैठ
इस पूरे मामले में खिलाड़ियों के यौन शोषण के अलावा एक मुख्य पहलू खेल संगठनों का नेतृत्व भी है. राजनेता और नौकरशाह लंबे समय से अहम खेल संगठनों का नेतृत्व करते आ रहे हैं. इसका सबसे प्रमुख उदाहरण आपको देश के सबसे लोकप्रिय और कमाऊ खेल क्रिकेट की गवर्निंग बॉडी में दिखेगा. 1956 में सुरजीत सिंह मजीठिया के बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया (बीसीसीआई) का प्रेसिडेंट बनने से लेकर 1982 में कांग्रेस नेता एनकेपी साल्वे की नियुक्ति तक. 1990 में कांग्रेस नेता माधवराव सिंधिया और 2005 में एनसीपी के शरद पवार, 2016 में बीजेपी के अनुराग ठाकुर और वर्तमान अध्यक्ष जय शाह, जो गृहमंत्री और बीजेपी नेता अमित शाह के बेटे हैं, सभी राजनैतिक परंपरा का हिस्सा हैं.
बीसीसीआई से पहले गुजरात क्रिकेट असोसिएशन में भी अमित शाह और जय शाह पद संभाल चुके हैं. अमित शाह जहां प्रेसिडेंट थे, वहीं जय शाह के पास जॉइंट सेक्रेटरी का पद था. 2014 में प्रधानमंत्री बनने पर नरेंद्र मोदी ने गुजरात क्रिकेट असोसिएशन के अध्यक्ष का पद छोड़ा. इसके बाद अमित शाह ने यह पद संभाला. उनके पद छोड़ने पर काफी समय तक अध्यक्ष का पद खाली रहा. फिर नवंबर 2022 में धनराज परिमल नाथवानी, जो कि पहले उपाध्यक्ष थे, सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुने गए. लंदन के रीजेंट्स बिजनस स्कूल से इंटरनेशनल बिजनस की पढ़ाई करने वाले धनराज रिलायंस न्यू एनर्जी लिमिटेड में डायरेक्टर भी रहे हैं.
इन नियुक्तियों में खेल बैकग्राउंड की कितनी भूमिका है, इसकी मिसाल के तौर पर धनराज परिमल नाथवानी के अध्यक्ष चुने जाने की मिसाल लीजिए. भारत के सबसे ज्यादा बिकने वाले अखबार "टाइम्स ऑफ इंडिया" ने 19 नवंबर, 2022 को उनके चुने जाने की खबर देते हुए अपने पूरे न्यूज पीस में उनके क्रिकेट से संबंध पर बस इतना लिखा कि नाथवानी क्रिकेट प्रेमी हैं और अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण में अहम भूमिका निभा चुके हैं.
राजनीति भी, परिवारवाद भी
खेल संगठनों पर ना केवल राजनीति और नौकरशाही का वर्चस्व दिखता है, बल्कि परिवारवाद की भी लंबी शृंखला है. कांग्रेस नेता और नागरिक उड्डयन मंत्री रहे माधवराव सिंधिया 1990 में बीसीसीआई के अध्यक्ष बने. उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर डिविजन क्रिकेट असोसिएशन (जीडीसीए) के पैट्रन हैं. अप्रैल 2022 में ज्योतिरादित्य के 26 साल के बेटे महाआर्यमन सिंधिया जीडीसीए के उपाध्यक्ष चुने गए. मीडिया खबरों में बताया गया कि महाआर्यमन खेल प्रेमी हैं और उनकी नियुक्ति ग्वालियर क्रिकेट डिविजन में प्रतिभाओं को आकर्षित करेगी.
ऐसा ही मामला अनुराग ठाकुर का है, जो कि हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता प्रेम कुमार धूमल के बेटे हैं. बीसीसीआई के सेक्रेटरी और प्रेसिडेंट बनने से पहले अनुराग हिमाचल प्रदेश क्रिकेट असोसिएशन के प्रमुख रह चुके हैं. उन्होंने रणजी ट्रॉफी का सिर्फ एक मैच बतौर हिमाचल के कप्तान खेला है और यह उनके करियर की विवादास्पद घटनाओं में एक है. बीसीसीआई में उनका कार्यकाल विवादित रहा था. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश पर उन्हें अध्यक्षता छोड़नी पड़ी थी.
इससे धूमल परिवार की खेलों में मौजूदगी खत्म नहीं हुई. 2019 में उनके भाई अरुण धूमल बीसीसीआई में खचांजी बने. तीन साल का उनका कार्यकाल अक्टूबर 2022 में खत्म हुआ है. इसी तरह राजस्थान 2019 में वैभव गहलोत, राजस्थान क्रिकेट असोसिएशन के अध्यक्ष चुने गए. वैभव, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे हैं. जय शाह की नियुक्ति पर पहले भी काफी कुछ कहा-लिखा जा चुका है.
लंबे समय से आलोचक यह सवाल करते आए हैं कि आखिरकार नेताओं, मंत्रियों और नौकरशाहों या उनके परिवार के लोगों को स्पोर्ट्स बॉडी का नेतृत्व सौंपने का क्या आधार है. अगर उस खेल से जुड़े लोग संगठन का नेतृत्व संभालेंगे, पॉलिसी मेकिंग का हिस्सा होंगे, तो खेल और खिलाड़ियों को उनके अनुभव का फायदा मिल सकता है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित लोढ़ा कमिटी ने भी क्रिकेट के संदर्भ में दी गई अपनी अनुशंसाओं में ऐसी ही बात कही थी. ऐसे में खेल संगठनों से जुड़ी राजनीति को समझने के लिए बीसीसीआई एक आदर्श मिसाल है.
खेल संगठन के कामकाज की शैली पर सवाल
मौजूदा संदर्भ में कुश्ती संघ की बात करें, तो खिलाड़ियों ने संगठन के कामकाज की शैली पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं. अध्यक्ष बृज भूषण सिंह पर लगे इल्जाम पद और ताकत के बेजा इस्तेमाल की परिधि में भी आते हैं. भारतीय कुश्ती संघ को संचालित करने वाली बॉडी में अध्यक्ष के अलावा दो वरिष्ठ उपाध्यक्ष और चार कनिष्ठ उपाध्यक्ष होते हैं. इनके अलावा एक मानद महासचिव, एक मानद कोषाध्यक्ष और दो मानद संयुक्त सचिव भी होते हैं. जनरल काउंसिल की बैठक में अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है. यह नियुक्ति चार साल के लिए होती है.
बृज भूषण राजनीति में तो हैं, लेकिन कुश्ती का भी अनुभव रखते हैं. बताया जाता है कि जवानी में वो कुश्ती प्रतियोगिताएं आयोजित करवाते थे. फिर छात्र राजनीति से होते हुए 80 के दशक में बीजेपी से जुड़ गए. राम जन्मभूमि आंदोलन में भी वह सक्रिय रहे हैं. 1992 में बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराए जाने के 40 आरोपियों में उनका भी नाम था, हालांकि बाद में वह बरी भी हो गए थे. बीच में कुछ साल उनका समाजवादी पार्टी से भी साथ रहा है. हालांकि 2014 में उनकी बीजेपी में वापसी हो गई थी.
दूसरे देशों में अधिकारियों पर यौन शोषण के आरोप
ऐसा नहीं कि यह पहला मामला है, जब महिला खिलाड़ियों ने कोच या खेल संगठन पर यौन शोषण और उत्पीड़न के आरोप लगाए हों. अमेरिकी जिम्नास्टिक्स सेक्शन से भी ऐसी आवाजें उठ चुकी हैं. वहां 150 से ज्यादा सर्वाइवर्स ने अमेरिका की राष्ट्रीय महिला जिम्नास्टिक्स टीम के पूर्व टीम डॉक्टर लैरी नासर पर इलाज की आड़ में यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था. मामला कोर्ट में भी गया और लैरी को आपराधिक यौन व्यवहार और चाइल्ड पॉर्नोग्रफी का दोषी पाया गया और जीवनभर जेल में रहने की सजा सुनाई गई. फरवरी 2021 में अमेरिका के ही एक पूर्व ओलंपिक्स जिम्नास्टिक्स कोच ने आत्महत्या कर ली थी. उसपर मिशिगन स्थित टीम के जिम को मानव तस्करी का अड्डा बनाने, लड़कियों के साथ जबरदस्ती करने समेत कई आरोप लगे थे.
ऐसे ज्यादातर मामलों में एक कॉमन चीज यह होती है कि प्रभावशाली लोग, पद और ताकत का गलत इस्तेमाल कर खिलाड़ियों का शोषण करते हैं. विरोध करने वाली लड़कियों और महिलाओं को भेदभाव और पक्षपात का शिकार होना पड़ता है. कईयों का करियर खराब कर दिया जाता है. भारतीय पहलवानों द्वारा फेडरेशन और अध्यक्ष पर लगाए गए आरोपों के बीच एक बड़ा सवाल है कि क्या इस मामले में कार्रवाई तात्कालिक स्वभाव तक सीमित रहेगी, या संस्थागत बदलावों और सुधारों के लिए राह बनेगी. खेल संगठनों में जिस तरह सत्ता की पैठ है और पारदर्शिता की कमी है, ऐसे में सुधार तभी मुमकिन है जब ईमानदार मंशा दिखाई जाए. (dw.com)
हरियाणा के गांवों में लाडो पंचायतें हो रही हैं जिनमें कामकाजी महिलाओं के लिए माहवारी के दौरान अवकाश की मांग की जा रही है. महिला स्वास्थ्य पर विशेष कानून भी इस मांग का हिस्सा है.
डॉयचे वैले पर फैसल फरीद की रिपोर्ट-
अलीगढ़ की रहने वाली शमा परवीन एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं. एक आम शिक्षिका की तरह उन्हें भी वो सभी काम करने होते हैं जो उनकी नौकरी का हिस्सा हैं. लेकिन हर महीने कुछ दिनों वह बहुत असहज रहती हैं. कारण है मासिक धर्म या पीरियड. ऐसे में मूड स्विंग, दर्द इत्यादि सहना पड़ता है. वो बताती हैं कि शारीरिक दिक्कत तो सहन हो सकती है लेकिन माहवारी से जुड़ीं भ्रांतियों के कारण निकलना और चलना मुश्किल हो जाता है और हर समय ये दिमाग में रहता है कि कहीं कुछ ऐसा न हो जाए जिससे शर्मिंदा होना पड़ जाए.
शमा परवीन बताती हैं, "कभी-कभी रक्तस्राव इतना अधिक होता है कि हमेशा डर रहता है कि कहीं कपड़ों पर धब्बा न पड़ जाए और अजीब स्थिति न हो जाए. दर्द और उलझन इतनी कि बस कमरा बंद करके लेट जाओ."
शमा परवीन जैसी महिलाओं की संख्या कम ही है जो बिना झिझक इस बारे में बात करती हैं. वह कहती हैं कि इस कारण महिलाओं की कार्य क्षमता पर भी असर पड़ता है. बहुत सी कामकाजी महिलाएं ऐसा मानती हैं लेकिन उनकी मुश्किल भी यही है कि इस मुद्दे पर बात करना आज भी समाज में अच्छा नहीं समझा जाता है. ऐसे में इन कामकाजी महिलाओं के लिए काम और दिक्कतों में सामंजस्य बिठाना मुश्किल रहता है. इसलिए लगातार महिलाओं की मदद के लिए पीरियड लीव की मांग उठ रही है.
हरियाणा में नई पहल
हरियाणा राज्य में एक नयी पहल हुई है. गांव-गांव में लड़कियों खुद पंचायत कर ये मांग कर रही हैं. उनकी पंचायत का मुद्दा होता है सरकार से पीरियड लीव देने की मांग करना. पंचायत में जो मुद्दे उठाए जा रहे हैं उनमें महिला स्वास्थ्य के लिए सरकार से जरूरी कदम उठाने की मांग भी शामिल है. पंचायतों में शामिल हो रहीं निर्मला कहती है कि सरकारों को मासिक धर्म के समय अवकाश जरूर देना चाहिए और इसके लिए नया स्वास्थ्य बिल लाकर पारित करना चाहिए. निर्मला बताती हैं कि जरूरतमंद महिलाओं को सेनेटरी पैड भी नहीं मिल पाता.
हरियाणा में जींद जिले के पूर्व सरपंच सुनील जगलान इस मुहीम को एक अभियान के रूप में आगे बढ़ा रहे हैं. इसके लिए वह गांवों में ëलाडो पंचायतí का आयोजन करते हैं. बीते दिनों एक ऐसी ही पंचायत हिसार जिले के कंवारी गांव में आयोजित हुई. ëलाडो पंचायत फॉर हेल्थí के नारे के साथ आयोजित इस कार्यक्रम में बहुत सी महिलाओं ने अपने विचार रखे और सरकारी, अर्ध-सरकारी दफ्तरों और गैरसरकारी कंपनियों में महिला को एक दिन का पीरियड का अवकाश देने की मांग की.
पंचायत में शामिल अंकिता पांडे ने कहा कि महिलाओं के लिए मानसिक स्वास्थ्य की तरफ बहुत कम ध्यान दिया जाता है.
सुनील जगलान बताते हैं कि पहले उन्होंने एक पीरियड चार्ट अभियान शुरू किया था जिसमें उन्होंने घर में एक चार्ट बनाने का प्रयोग किया. उसके उपरांत उन्होंने महिलाओं को आराम दिलाने के लिए पीरियड लीव हेतु लड़कियों से बात शुरू की. वे बताते हैं कि कई कामकाजी लड़कियां तो पीरियड होने से रोकने के लिए दवा ले लेती हैं जो काफी हानिकारक होती हैं. यही बात सुनने के बाद उन्होंने पीरियड लीव दिलाने के लिए अभियान की शुरुआत की.
क्या है पीरियड लीव?
पीरियड लीव बहुत से देशों में प्रचलित हैं. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान से सवेतन पीरियड लीव चलन में आया था. जापान, दक्षिण कोरिया और इंडोनेशिया जैसे कुछ देशों में इसका प्रावधान है. भारत में केरल में एक स्कूल ने साल 1912 में इसको अपनाया भी था.
पीरियड लीव में महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान सवेतन छुट्टी देने की व्यवस्था है. ये छुट्टियां प्रत्येक महीने दी जाती हैं और चिकित्सा अवकाश और अन्य किसी भी प्रकार के अवकाश से अलग होगी. महिलाएं इस अवकाश को अपनी आवश्यकता के अनुसार ले सकती हैं. इस प्रकार इन महिलाओं को दर्द और मुश्किल के उन दिनों में सहूलियत हो जाती है.
वर्तमान में केवल बिहार ही ऐसा राज्य है जहां सरकार द्वारा पीरियड लीव का प्रावधान है. बिहार में साल 1992 में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की सरकार ने महीने में 2 दिन महिलाओं को पीरियड लीव देने की व्यवस्था की थी. लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा कोई कानून नहीं बना है.
सांसद निनोंग एरिंग ने 2017 में संसद में एक प्राइवेट बिल पेश किया था जिसमें महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने और चार दिन की पीरियड लीव देने इत्यादि देने की मांग की गई थी. बिल में ये सुविधा क्लास 8 या उससे ऊपर पढ़ने वाली छात्राओं के लिए भी देने की बात थी, जिसमें उनको स्कूल से छुट्टी का प्रावधान हो. बिल पर चर्चा हुई, लेकिन उसे बहुमत के अभाव में पास नहीं किया जा सका. हालांकि, कुछ प्राइवेट कंपनियां पीरियड लीव देती है लेकिन इनकी संख्या काफी कम है.
क्या हैं दिक्कतें?
सबसे बड़ी दिक्कत है पीरियड को लेकर सामाजिक दृष्टिकोण. समाज में इसे आज भी एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया नहीं माना जाता. घर में इसके बारे में कोई बात नहीं होती. पुरुषों के सामने बात करने पर पूरी मनाही रहती है. यहां तक कि सेनेटरी पैड लाने की बात हो तो भी उसे काली पॉलिथीन में छुपा कर लाया जाता है.
कार्यस्थल पर तो दिक्कतें और बढ़ जाती है. पुरुष सहकर्मी के सामने संकोच करना एवं पीरियड से जुड़ी शारीरिक दिक्कतों को सहना महिला कर्मचारियों के लिए एक नियति सी है. फील्ड वर्क पर कार्य करने वाली महिलाओं के लिए तो दिक्कतें और भी ज्यादा हैं.
चिकित्सकों के अनुसार, पीरियड के दौरान रक्तस्राव के अतिरिक्त जोड़ों में दर्द, चिड़चिड़ापन, सर में भारीपन, शरीर में ऐंठन होना स्वाभाविक है. ऐसे में किसी महिला से ये उम्मीद रखना कि वो इन सबको दरकिनार करके सामान्य व्यवहार करे, संभव नहीं है. (dw.com)
किशनगंज, 20 जनवरी | बिहार के किशनगंज रेलवे स्टेशन से पुलिस ने चार बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में यह बात सामने आई है कि ये अमृतसर जाने वाले थे। पुलिस के मुताबिक, प्लेटफार्म नंबर दो पर ये सभी लोग ट्रेन चढ़ने का इंतजार कर रहे थे, तभी रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) को शक हुआ और उनसे पूछताछ की।
आरपीएफ के निरीक्षक बी.एम. धर ने बताया कि गिरफ्तार इन बांग्लादेशी नागरिकों के पास कोई पहचान पत्र नहीं था।
गिरफ्तार बांग्लादेशी नागरिकों में रोबिन बर्मन और अमोल चंद्र बर्मन रुहिया के सेनिहारी तलटोली के रहने वाले हैं, जबकि सुमन दास और मो. अजीजुल बांग्लादेश के ठाकुरगांव जिला के रहने वाले हैं।
इन लोगों पर बंग्लादेश से भारत में अवैध तरीके से प्रवेश करने का आरोप है। इनके पास से बिना सिम लगे तीन मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं तथा भारतीय मुद्रा भी जब्त किए गए हैं।
अधिकारियों का कहना है कि पूछताछ में इन्होंने स्वीकार किया है कि ट्रेन से ये अमृतसर जाने वाले थे। रेल पुलिस उपाधीक्षक ने भी इन सभी से पूछताछ की है और पुलिस आगे की कारवाई कर रही है। (आईएएनएस)|
भारतीय विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री को खारिज कर दिया, जिसमें 2002 के गुजरात दंगों के दौरान उनके नेतृत्व पर सवाल उठाया गया था.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
ब्रिटिश संस्थान बीबीसी ने 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' नाम से दो एपिसोड में एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है. इस डॉक्यूमेंट्री में प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी और भारत के मुसलमानों के बीच तनाव की बात कही गई है. साथ ही गुजरात दंगों में मोदी की कथित भूमिका और दंगों के दौरान मारे गए हजारों लोगों को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए हैं.
गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिक्रिया दी है. सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की आलोचना करते हुए इसे 'पक्षपातपूर्ण प्रोपेगेंडा' करार दिया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, "डॉक्यूमेंट्री उस एजेंसी पर प्रतिबिंब है जिसने इसे बनाया है. हमें लगता है कि यह बदनाम करने के लिए डिजाइन किया गया प्रचार का हिस्सा है. पूर्वाग्रह, निष्पक्षता की कमी और निरंतर औपनिवेशिक मानसिकता स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है. इसे भारत में प्रदर्शित नहीं किया गया है."
बागची ने आगे कहा, "मुझे ये साफ करने दीजिए कि हमारी राय में ये एक प्रोपेगेंडा पीस है. इसका मकसद एक तरह के नैरेटिव को पेश करना है जिसे लोग पहले ही खारिज कर चुके हैं. इस डॉक्यूमेंट्री को बनाने वाली एजेंसी और व्यक्ति इसी नैरेटिव को दोबारा चलाना चाह रहे हैं."
बागची ने कहा कि इस तरह की डॉक्यूमेंट्री बनाने पर बीबीसी की मंशा पर सवाल खड़ा होता है. उन्होंने कहा, "हम इसके मकसद और इसके पीछे के एजेंडे पर सोचने को मजबूर हैं."
ब्रिटिश संसद में उठा मुद्दा
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री का मुद्दा ब्रिटिश संसद में भी उठा. दरअसल ब्रिटिश सांसद इमरान हुसैन ने इस मामले को संसद में उठाया और प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से सवाल किया कि क्या वे कूटनयिकों की इस रिपोर्ट से इत्तेफाक रखते हैं जिसमें नरेंद्र मोदी को गुजरात दंगों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. इस सवाल के जवाब में सुनकने कहा, "इस मामले पर ब्रिटिश सरकार की स्थिति स्पष्ट है, जो स्थिति लंबे समय से है वह बदली नहीं है." सुनक ने आगे कहा, "निश्चित रूप से हम उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं करते हैं, चाहे यह कहीं भी हो, लेकिन मैं उस चरित्र-चित्रण से बिल्कुल सहमत नहीं हूं, जो नरेंद्र मोदी को लेकर सामने रखा गया है."
बीबीसी ने एक बयान में कहा है कि डॉक्यूमेंट्री के लिए "गहन रिसर्च" की गई थी, और इसमें मोदी की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लोगों की प्रतिक्रियाओं समेत कई आवाजों और विचारों की "विस्तृत श्रृंखला" शामिल थी. बीबीसी के प्रवक्ता ने कहा, "हमने भारत सरकार को इस डॉक्यूमेंट्री में उठे मुद्दों पर अपना पक्ष रखने का अवसर दिया था लेकिन उसने जवाब देने से इनकार कर दिया."
साल 2002 में मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, जब वह सांप्रदायिक दंगों की चपेट में आ गया था, दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे. उनमें से अधिकांश मुस्लिम थे. हिंदू तीर्थयात्रियों को ले जा रही एक ट्रेन में आग लगने की घटना के बाद हिंसा भड़क उठी थी. ट्रेन में सवार 59 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी.
पिछले साल जून में सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगोंमें गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और कई अन्य लोगों को विशेष जांच दल द्वारा दी गई क्लीन चिट को चुनौती देते हुए कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की याचिका खारिज कर दी थी. (dw.com)
बागपत (उत्तर प्रदेश), 20 जनवरी | एक युवक अपने अफेयर का विरोध करने पर मां की गला दबाकर हत्या कर दी। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है। घटना गुरुवार को बागपत के बड़ौत कस्बे में हुई। आरोपी रजत दिल्ली में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था, तभी वह एक लड़की के संपर्क में आया।
पुलिस अधीक्षक (एसपी), बागपत, नीरज कुमार जादौन ने कहा कि आरोपी रजत सिंह एक लड़की के साथ रिश्ते में था, जो उसके माता-पिता को मंजूर नहीं था। रजत ने अपनी मां मुनेश देवी से लड़ाई की और बाद में बेल्ट से गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी।
अधिकारी ने कहा कि मुनेश की चीख सुनकर रजत के पिता जितेंद्र सिंह मौके पर पहुंचे।
जितेंद्र सिंह मुनेश को अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। (आईएएनएस)|
सैन फ्रांसिस्को, 20 जनवरी | सॉफ्टवेयर-एज-ए-सर्विस (सास) कंपनी आईसर्टिस ने पिछले साल प्रभावशाली फंड जुटाने के बावजूद ज्यादातर कर्मचारियों को सेल्स और मार्केटिंग वर्टिकल से हटा दिया है। सिएटल स्थित पगेट साउंड बिजनेस जर्नल ने बताया कि कंपनी ने यह नहीं बताया है कि कितने कर्मचारियों को जाने के लिए कहा गया है।
एक कंपनी के प्रवक्ता को रिपोर्ट में यह कहते हुए सुना गया था कि 'छंटनी ज्यादातर सेल्स और मार्केटिंग में थीं।'
आईसर्टिस के कई कर्मचारियों ने पेशेवर नेटवर्किं ग प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर बर्खास्त किए जाने के बारे में लिखा।
आईसर्टिस के वैश्विक स्तर पर 2,400 से अधिक कर्मचारी हैं।
पिछले साल अक्टूबर में, आईसर्टिस ने सिलिकन वैली बैंक से रिवोल्विंग क्रेडिट फैसिलिटी और परिवर्तनीय वित्तपोषण सहित 150 मिलियन डॉलर की फंडिंग हासिल की थी।
आइसर्टिस के सीएफओ रजत बाहरी ने एक बयान में कहा था, "हम अपने स्पष्ट मूल्य प्रस्ताव के साथ मजबूत गति देख रहे हैं क्योंकि हम ग्राहकों को अधिक चुस्त बनने, दक्षता बढ़ाने और मुद्रास्फीति, प्रतिबंध, आर्थिक मंदी और आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान जैसी बाजार चुनौतियों का जवाब देने में मदद करते हैं।"
2009 में स्थापित आइसर्टिस 40 से अधिक भाषाओं और 90 से अधिक देशों में 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के 10 मिलियन से अधिक अनुबंधों को संभालता है।
बैन एंड कंपनी की एक रिपोर्ट के मुताबिक सास कंपनियां पिछले साल राजस्व में 18 से 20 अरब डॉलर तक पहुंचने के लिए तैयार थीं। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 20 जनवरी | सुप्रीम कोर्ट द्वारा नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के आदेश को चुनौती देने वाली गूगल की याचिका पर विचार करने से इनकार करने पर गूगल ने शुक्रवार को कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा कर रहा है। ट्रिब्यूनल ने तकनीकी दिग्गज पर 1337.76 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने के भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। कंपनी के एक प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा कि एंड्रॉइड ने भारतीय उपयोगकर्ताओं, डेवलपर्स और ओईएम को बहुत लाभान्वित किया है और भारत के डिजिटल परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हम अपने उपयोगकर्ताओं और भागीदारों के लिए प्रतिबद्ध हैं और हमा सीसीआई के साथ सहयोग करेंगे।
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला ने कहा कि सीसीआई के निष्कर्षों को क्षेत्राधिकार के बिना या प्रकट त्रुटि के साथ नहीं कहा जा सकता है और उन्होंने एनसीएलएटी के आदेश की पुष्टि की, जिसने गूगल को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था।
पीठ ने एनसीएलएटी को 31 मार्च तक गूगल की अपील का निस्तारण करने का निर्देश दिया और सीसीआई द्वारा लगाए गए जुर्माने का 10 प्रतिशत जमा करने के लिए गूगल को सात दिन का समय दिया।
11 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने एनएसीएलएटी के फैसले के खिलाफ गूगल की अपील की जांच करने के लिए सहमत हो गया था। जिसमें प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा उस पर लगाए गए 1,337.76 करोड़ रुपये के जुर्माने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
एनसीएलएटी में झटके के बाद गूगल ने शीर्ष अदालत का रुख किया, जिसने एंड्रॉइड मोबाइल डिवाइस इकोसिस्टम मामले में कई बाजारों में प्रमुख स्थिति के दुरुपयोग पर सीसीआई के आदेश पर रोक नहीं लगाई। (आईएएनएस)|
चेन्नई, 20 जनवरी | अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मंत्री के.वी. रामलिंगम तमिलनाडु में इरोड पूर्व निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनाव के लिए संभावित उम्मीदवार हैं। 2021 के विधानसभा चुनाव में, तमिल मनीला कांग्रेस के नेता एम. युवराज उम्मीदवार थे, जिन्होंने कांग्रेस के ई. थिरुमहान एवरा के खिलाफ मैदान में उतरे थे।
एवरा के आकस्मिक निधन के कारण उपचुनाव जरूरी हो गया है। एवरा ने युवराज को 8,904 मतों के अंतर से हराया था।
शुक्रवार को एक बयान में तमिल मनीला कांग्रेस के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जी.के. वासन ने पुष्टि की कि अन्नाद्रमुक वर्तमान राजनीतिक स्थिति और भविष्य के चुनावों को देखते हुए सीट से चुनाव लड़ेगी।
यह बयान अन्नाद्रमुक नेताओं द्वारा पार्टी के राज्य आयोजन सचिव डी. जयकुमार के नेतृत्व में गुरुवार को वासन के आवास पर मुलाकात के बाद आया है।
उपचुनाव की चुनावी तैयारियों को लेकर तमिलनाडु भाजपा नेतृत्व शुक्रवार को अन्नाद्रमुक नेतृत्व से मुलाकात करेगा।
अन्नाद्रमुक के अंतरिम महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी इस चुनाव को काफी अहम मानते हैं और इसलिए पार्टी टीएमसी से सीट ले रही है। (आईएएनएस)|
कोलकाता, 20 जनवरी | पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती घोटाले में एक बार फिर सक्रिय होते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) युवा तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष के दो आवासों पर शुक्रवार सुबह से छापेमारी कर रहा है। ईडी के सूत्रों ने कहा कि घोष के पास कोलकाता के उत्तरी बाहरी इलाके में न्यू टाउन के चिनार पार्क इलाके में एक आवासीय परिसर में दो फ्लैट हैं। ईडी की दो टीमें एक साथ इन दोनों आवासों पर छापेमारी और तलाशी अभियान चला रही हैं। खबर लिखे जाने तक तलाशी अभियान जारी था, हालांकि अभी तक कोई नकदी या कीमती सामान के बरामदगी की सूचना नहीं मिली है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारी घोष से पहले ही दो बार पूछताछ कर चुके हैं, जो शिक्षक भर्ती घोटाले में समानांतर जांच कर रहा है।
ऑल बंगाल टीचर्स ट्रेनिंग अचीवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष तापस मंडल द्वारा सीबीआई को दिए गए बयान के बाद उनसे पूछताछ की गई थी, जो कि पश्चिम बंगाल में निजी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों का एक छत्र संगठन है, जिससे घोष को 19 करोड़ रुपये की भारी राशि मिली थी।
इस मामले में ईडी के पूरक आरोप पत्र में शामिल मोंडल तृणमूल कांग्रेस के विधायक और पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीपीई) के पूर्व अध्यक्ष मणि भट्टाचार्य के बेहद करीबी सहयोगी थे, जो वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।
मंडल ने दावा किया कि कुंतल घोष ने कई उम्मीदवारों से पैसे लिए और उन्हें सरकारी स्कूलों में नौकरी दिलाने का वादा किया। इनमें से कुछ को रोजगार मिला, जबकि अन्य को नहीं।
हालांकि, घोष ने इस संबंध में अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, अगर मैं वास्तव में दोषी होता, तो सीबीआई दो दौर की औपचारिक पूछताछ बच नहीं जाता। (आईएएनएस)|
भारतीय स्कूलों में दाखिला और पढ़ाई से जुड़े सर्वे एएसईआर से पता चला है कि सरकारी स्कूलों में दाखिला तो बढ़ा लेकिन बच्चों में निजी ट्यूशन बढ़ा है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
एएसईआर सर्वे 2022 (द ऐनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट) के ताजा संस्करण से पता चलता है कि भारत में सरकारी स्कूलों में छात्रों के नामांकन में पिछले कुछ वर्षों में काफी वृद्धि हुई है. सर्वेक्षण में शामिल छात्रों में से 72.9 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में जाते हैं साथ ही रिपोर्ट निजी ट्यूशन लेने वालों की संख्या में वृद्धि पर भी रोशनी डालती है.
कोरोना महामारी के कारण एएसईआर 2022 का संस्करण चार साल बाद किया गया है. इस सर्वे को प्रथम फाउंडेशन ने देश के 616 जिलों और 19,060 में कराया है. इस सर्वे के लिए 3,74,544 घरों और तीन से सोलह वर्ष की आयु के 6,99,597 बच्चों को शामिल किया गया. ताजा संस्करण बुधवार को जारी किया गया.
रिपोर्ट के मुताबिक 2018 के बाद से सरकारी स्कूलों में नामांकनमें काफी वृद्धि हुई है, जब पिछली बार संगठन ने नियमित राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण किया था तो उस समय यह संख्या 65.6 प्रतिशत थी.
रिपोर्ट में कहा गया, "2006 से 2014 की अवधि में सरकारी स्कूल में नामांकित बच्चों (छह से चौदह वर्ष की आयु) के अनुपात में लगातार कमी देखी गई. 2014 में यह आंकड़ा 64.9 प्रतिशत था और अगले चार वर्षों में ज्यादा नहीं बदला. हालांकि सरकारी स्कूल में नामांकित बच्चों (छह से चौदह वर्ष की आयु) का अनुपात 2018 में 65.6 प्रतिशत से तेजी से बढ़कर 2022 में 72.9 प्रतिशत हो गया."
रिपोर्ट कहती है कि सरकारी स्कूल में नामांकन में वृद्धि देश के लगभग हर राज्य में दिखाई दे रही है. वहीं निजी ट्यूशन लेने वाले छात्रों की संख्या में इजाफा भी हुआ है. एएसईआर 2022 की रिपोर्ट के अनुसार 2022 में ट्यूशन क्लास लेने वाले कक्षा एक-आठ के छात्रों का प्रतिशत 30.5 है, जबकि 2018 में यह 26.4 प्रतिशत था.
सरकारी स्कूल जातीं अधिक लड़कियां
11-14 वर्ष की आयु समूह में स्कूल नहीं जाने वाली लड़कियों की संख्या में भी कमी आई है, जहां 2018 में 4 प्रतिशत की तुलना में 2022 में यह 2 प्रतिशत है. रिपोर्ट के मुताबिक यह आंकड़ा केवल उत्तर प्रदेश में लगभग 4 प्रतिशत है और अन्य सभी राज्यों में कम है.
15-16 आयु वर्ग की लड़कियों के लिए यह खबर और भी अच्छी हो जाती है. 2008 में स्कूल में दाखिला नहीं लेने वाली इन लड़कियों का प्रतिशत 20 था, इसके बाद 2018 में यह घटकर 13.5 प्रतिशत हो गया और साल 2022 में यह संख्या 7.9 प्रतिशत रहा.
लर्निंग लेवल में गिरावट
रिपोर्ट कहती है कि बच्चों की बुनियादी पढ़ने की क्षमता '2012 के पूर्व के स्तर तक गिर गई है, जो बीच के वर्षों में हासिल धीमी गति को उलट देती है. रिपोर्ट के मुताबिक गिरावट लिंग और सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में देखी गई है और लोअर ग्रेड में अधिक तेज है.
सरकारी या निजी स्कूलों में कक्षा तीन के बच्चों का प्रतिशत जो कक्षा दो के स्तर पर पढ़ सकते हैं वह 2018 के 27.3 प्रतिशत से से गिरकर 2022 में 20.5 प्रतिशत हो गया है. वहीं कक्षा पांच के छात्र जो कम से कम कक्षा दो के स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं, वह 2018 में 50.5 प्रतिशत से गिरकर 2022 में 42.8 प्रतिशत हो गया है. (dw.com)
नयी दिल्ली, 19 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर अपना फैसला बृहस्पतिवार को सुरक्षित रख लिया।
आशीष मिश्रा केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा का बेटा है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी की पीठ ने उत्तर प्रदेश की अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद और वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी तथा दुष्यंत दवे की दलीले सुनने के बाद कहा, ‘‘ हम फैसला सुनाएंगे।’’
प्रसाद ने आशीष मिश्रा की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह अपराध जघन्य एवं गंभीर है।
उत्तर प्रदेश की अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी की पीठ से कहा कि अपराध गंभीर है।
उन्होंने कहा, ‘‘ यह एक गंभीर व जघन्य अपराध है और इससे (जमानत देने से) समाज में गलत संदेश जाएगा।’’
अदालत ने उनसे पूछा था कि वह किसी आधार पर जमानत याचिका का विरोध कर रही हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि गंभीर व जघन्य अपराध को लेकर दो तथ्य हैं और वह दोनों में किसी पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते।
पीठ ने पूछा, ‘‘ हम प्रथम दृष्टया यह मान रहे हैं कि वह घटना में शामिल था और वह आरोपी है, निर्दोष नहीं।’’ जमानत याचिका का विरोध कर रहे लोगों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘ यह एक सोची-समझी साजिश के तहत की गई हत्या है। मैं आरोपपत्र के जरिए साबित करूंगा... वह एक प्रभावशाली व्यक्ति का बेटा है जिसका प्रतिनिधित्व एक प्रभावशाली वकील कर रहे हैं।’’
मिश्रा की ओर से अदालत में पेश हुए मुकुल रोहतगी ने दवे के प्रतिवेदन का विरोध करते हुए कहा, ‘‘ यह क्या बात है? कौन प्रभावशाली है? हम यहां हर दिन आ रहे हैं। क्या जमानत न देने का यह आधार हो सकता है?’’
रोहतगी ने कहा कि उनका मुवक्किल एक साल से अधिक समय से हिरासत में है और जिस तरह से सुनवाई चल रही है, उसके पूरा होने में सात से आठ साल लग जाएंगे।
उन्होंने कहा कि जगजीत सिंह मामले में शिकायतकर्ता हैं कोई चश्मदीद गवाह नहीं हैं और उनकी शिकायत सिर्फ सुनी सुनाई बातों पर आधारित है।
शीर्ष अदालत ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख दिया।
गौरतलब है कि तीन अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में उस समय हुई हिंसा में आठ लोग मारे गए थे, जब किसान क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे का विरोध कर रहे थे।
उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी के अनुसार, एक एसयूवी ने चार किसानों को कुचल दिया था, जिसमें आशीष मिश्रा भी सवार था। घटना से आक्रोशित किसानों ने एसयूवी के चालक और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर पीट पीटकर जान ले ली थी। हिंसा में एक पत्रकार भी मारा गया था। (भाषा)
यादगिर, 19 जनवरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को यहां के कोडेकल में सिंचाई, पेयजल और राष्ट्रीय राजमार्ग से संबंधित विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास किया, साथ ही ‘डबल इंजन’ सरकार होने के फायदे गिनाते हुए कहा कि इससे ‘दोगुना कल्याण और दोगुना विकास’ होता है।
केंद्र के साथ-साथ राज्यों में भी भाजपा की सरकार बने, इसके लिए ‘डबल इंजन’ की सरकार भाजपा का प्रमुख चुनावी मुद्दा रहा है। कर्नाटक में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कर्नाटक में मई में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी है और उसने कुल 224 में से कम से कम 150 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में प्रधानमंत्री का यह दौरा महत्वपूर्ण है।
विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करने के बाद मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि देश अगले 25 वर्षों के नए संकल्पों को सिद्ध करने के लिए आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह 25 साल देश के प्रत्येक व्यक्ति के लिए अमृत काल हैं। प्रत्येक राज्य के लिए अमृत काल हैं। अमृत काल में हमें विकसित भारत का निर्माण करना है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत विकसित तब हो सकता है जब देश का हर नागरिक, हर परिवार, हर राज्य इस अभियान से जुड़े। भारत विकसित तब हो सकता है, जब खेत में काम करने वाला किसान हो या फिर उद्योगों में काम करने वाले श्रमिक, सभी का जीवन बेहतर हो।’’
आजादी के 75वें वर्ष से लेकर 100वें वर्ष तक के सफर को प्रधानमंत्री अक्सर अमृत काल कह कर पुकारते हैं। पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर इसका उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने इस कालखंड में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का आह्वान किया था।
कर्नाटक में मोदी का इस महीने इस प्रकार का यह दूसरा दौरा है। इससे पहले वह राष्ट्रीय युवा महोत्सव के उद्घाटन के लिए हुब्बल्लि आए थे और उन्होंने इस दौरान एक रोड शो भी किया था।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान कई विकास योजनाओं व कार्यक्रमों का उल्लेख किया कहा कि राज्य की जनता देख सकती है कि उन्हें ‘डबल इंजन’ सरकार का कितना फायदा मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि वह जब केंद्र की सत्ता में आए थे तब देश में केवल तीन करोड़ ग्रामीण मकान ऐसे थे जहां नल से जल की आपूर्ति होती थी लेकिन अब ऐसे 11 करोड़ ग्रामीण घर हैं।
‘‘हर घर नल से जल अभियान’’ को सर्वश्रेष्ठ उदाहरण बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘डबल इंजन सरकार यानी दोगुना कल्याण, डबल इंजन सरकार यानी दोगुना विकास।’’
उन्होंने कहा कि भारत को विकसित होना है तो सीमा सुरक्षा, तटीय सुरक्षा और आतंरिक सुरक्षा की तरह जल सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों को समाप्त करना होगा।
प्रधानमंत्री ने इससे पहले सभी घरों में नल से जल की आपूर्ति के माध्यम से स्वच्छ और पर्याप्त पेयजल प्रदान करने के अपने दृष्टिकोण के अनुरूप जल जीवन मिशन के अंतर्गत यादगिर बहु-ग्राम पेयजल आपूर्ति योजना की आधारशिला भी रखी।
इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, केंद्रीय मंत्री भगवंत खूबा सहित कई नेता मौजूद थे।
इस योजना के तहत 117 एमएलडी का जल शोधन संयंत्र बनाया जाएगा। करीब 2,050 करोड़ रुपये लागत वाली इस परियोजना से यादगिर जिले की 700 से अधिक ग्रामीण बस्तियों और तीन कस्बों के लगभग 2.3 लाख घरों को पेयजल उपलब्ध होगा।
कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने नारायणपुर लेफ्ट बैंक नहर-विस्तार नवीकरण और आधुनिकीकरण परियोजना (एनएलबीसी - ईआरएम) का भी उद्घाटन किया। दस हजार क्यूसेक की नहर वहन क्षमता वाली इस परियोजना से 4.5 लाख हेक्टेयर कमांड क्षेत्र की सिंचाई की जा सकती है और इससे कलबुर्गी, यादगिर और विजयपुर जिलों के 560 गांवों के तीन लाख से अधिक किसान लाभान्वित होंगे। परियोजना की कुल लागत लगभग 4,700 करोड़ रुपये है।
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय राजमार्ग-150सी के 65.5 किलोमीटर खंड की आधारशिला भी रखी। छह लेन की यह ग्रीनफील्ड सड़क परियोजना सूरत-चेन्नई एक्सप्रेसवे का हिस्सा है। इसे बनाने में करीब 2,000 करोड़ रुपये की लागत आ रही है।
मोदी ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने यादगिर और उत्तरी कर्नाटक के आसपास के इलाकों को पिछड़ा घोषित कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया था लेकिन उनकी सरकार ने यादगिर सहित देश के 100 से अधिक जिलों में आकांक्षी जिला कार्यक्रम शुरू किया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने इन जिलों में सुशासन पर बल दिया है। विकास के पैमाने पर काम शुरू किया है। जिन जिलों को पहले की सरकारों ने पिछड़ा घोषित किया, उन जिलों में हमने विकास की आकांक्षा को प्रोत्साहित किया। पूर्ववर्ती सरकारों की प्राथमिकता वोटबैंक की राजनीति थी लेकिन हमारी प्राथमिकता विकास है।’’
पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा कि देश में दशकों तक करोड़ों छोटे किसान हर सुख सुविधा से वंचित रहे और सरकारी नीतियों में उनका ध्यान तक नहीं रखा गया।
उन्होंने कहा, ‘‘आज यही छोटा किसान देश की कृषि नीति की सबसे बड़ी प्राथमिकता है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने जिन परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास किया है उनसे यादगिर, रायचूर कलबुर्गी सहित पूरे क्षेत्र में विकास होगा और रोजगार को बल मिलेगा। (भाषा)
मुंबई, 19 जनवरी मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) में बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र के कार्यक्रम की वजह से यातायात पाबंदियों के मद्देनज़र पुलिस ने इलाके में स्थित कार्यालयों और अन्य प्रतिष्ठानों को सलाह दी है कि वे अपने कर्मचारियों को जल्दी घर जाने की इजाज़त दें।
एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने इलाके में स्थित प्रतिष्ठानों से कहा है कि किसी भी शख्स की संदिग्ध गतिविधि, संदिग्ध ई-मेल या हैकिंग आदि की जानकारी तुरंत पुलिस को दें।
मुंबई की अपनी यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी 38,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे और देश को मेट्रो रेल लाइन 2ए और 7 समर्पित करेंगे।
कार्यक्रम बीकेसी में एमएमआरडीए के मैदान में होगा।
अधिकारी ने कहा कि इलाके में यातायात संबंधी पाबंदियों के चलते बीकेसी पुलिस ने इलाके में स्थित दफ्तरों को सलाह दी है कि वे अपने कर्मचारियों को बृहस्पतिवार को जल्दी छुट्टी दे दें।
उन्होंने कहा कि पुलिस ने क्षेत्र में स्थित कार्यालयों को निर्देश दिया कि वे अपने परिसर के सुरक्षा कर्मियों की सूची उपलब्ध कराएं और उनका सत्यापन भी करें।
पुलिस ने प्रतिष्ठानों से यह भी देखने को कहा है कि उनके यहां लगे सीसीटीवी कैमरे काम कर रहे हैं या नहीं।
पुलिस के मुताबिक, मोदी के दौरे के मद्देनज़र मुंबई के बीकेसी और आसपास के इलाकों में दोपहर से आधी रात तक ड्रोन, पैराग्लाइडर समेत किसी भी वस्तु को उड़ाने की अनुमति नहीं होगी। (भाषा)
कृष्णानगर (पश्चिम बंगाल), 19 जनवरी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने बृहस्पतिवार को पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के मायापुर में प्रतिष्ठित इस्कॉन मंदिर में पूजा-अर्चना की।
नड्डा ने इसके साथ ही पश्चिम बंगाल के अपने दो दिवसीय दौरे की शुरुआत की। उनके साथ भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार सहित पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ नेता ‘इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस’ (इस्कॉन) के वैश्विक मुख्यालय गए।
भाजपा अध्यक्ष बुधवार रात कोलकाता पहुंचे थे। अपनी दो दिवसीय यात्रा के पहले दिन उनका जिले में सांगठनिक बैठकें और जनसभाएं करने का कार्यक्रम है।
भाजपा की राज्य इकाई के महासचिव जगन्नाथ चट्टोपाध्याय ने कहा, ‘‘ बृहस्पतिवार को वह बेथुयाडहरी में एक जनसभा को संबोधित करेंगे और फिर उत्तरी नादिया के नेताओं के साथ संगठनात्मक बैठक करेंगे। वह कृष्णानगर लोकसभा सीट पर पार्टी के प्रदर्शन का आकलन भी करेंगे।’’
भाजपा को 2019 के चुनाव में कृष्णानगर लोकसभा सीट पर तृणमूल कांग्रेस ने मात दी थी।
नड्डा का दौरा देश भर के उन 144 लोकसभा क्षेत्रों में अपने संगठन को मजबूत करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व के ‘प्रवास’ अभियान का हिस्सा है जहां पार्टी 2019 के चुनाव में मामूली अंतर से हार गई थी।
अगले कुछ महीनों में, नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राज्य की 24 लोकसभा सीट का दौरा करेंगे और 12-12 रैलियों को संबोधित करेंगे।
भाजपा ने 2019 लोकसभा चुनाव में राज्य में 42 में से 18 सीट पर जीत दर्ज की थी।
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने मंगलवार को सर्वसम्मति से नड्डा के पार्टी अध्यक्ष पद पर कार्यकाल को जून 2024 तक बढ़ाने को मंजूरी दी थी।
तृणमूल कांग्रेस ने हालांकि नड्डा के दौरे को अहमियत देने से इनकार कर दिया।
तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘‘ हमने 2021 विधानसभा चुनाव से पहले देखा था कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने पश्चिम बंगाल में डेरा डाल दिया था, लेकिन पार्टी को फिर भी हार का ही सामना करना पड़ा।’’ (भाषा)
नयी दिल्ली, 19 जनवरी माता पिता को सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि ऑनलाइन मंचों पर अजनबियों द्वारा बच्चों को फंसाने के लिए जाल बिछाया जा रहा है।
एक नए अध्ययन में हिस्सा लेने वाले 424 अभिभावकों में से करीब 33 प्रतिशत ने बताया कि ऑनलाइन मंच पर उनके बच्चों से अजनबियों ने दोस्ती करने, निजी व पारिवारिक जानकारी मांगने और यौन संबंधी परामर्श देने के लिए संपर्क किया।
यह अध्ययन संयुक्त रूप से ‘क्राय’ (चाइल्ड राइट्स एंड यू) और पटना स्थित चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (सीएनएलयू) द्वारा किया गया।
महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश के 424 अभिभावकों के अलावा, इन चार राज्यों के 384 शिक्षकों और तीन राज्यों पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के 107 अन्य हितधारकों ने हिस्सा लिया।
अभिभावकों के अनुसार, ऑनलाइन दुर्व्यवहार का शिकार बने बच्चों में से 14-18 आयु वर्ग की 40 प्रतिशत लड़कियां थीं, जबकि इसी आयु वर्ग के 33 प्रतिशत लड़के थे।
अध्ययन में शहरी क्षेत्र के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में माता-पिता ने उनके बच्चों के ऑनलाइन बाल यौन शोषण व दुर्व्यवहार (ओसीएसईए) का अनुभव करने की बात अधिक साझा की।
अध्ययन में हिस्सा लेने वाले 33.2 प्रतिशत अभिभावकों ने कहा कि ऑनलाइन मंचों पर उनके बच्चों से अजनबियों ने दोस्ती करने, निजी व पारिवारिक जानकारी मांगने और रिश्तों को लेकर यौन संबंधी परामर्श देने के लिए संपर्क किया।
अभिभावकों ने बताया कि बच्चों के साथ अनुचित यौन सामग्री भी साझा की गई और ऑनलाइन उनसे यौन संबंधी बातचीत भी की गई।
यह पूछे जाने पर कि यदि उनके बच्चों को ओसीएसईए का सामना करना पड़ा तो वे क्या करना चाहेंगे केवल 30 प्रतिशत अभिभावकों ने कहा कि वे थाने जाकर शिकायत दर्ज कराएंगे, जबकि ‘‘ चिंताजनक रूप से 70 प्रतिशत ने इस विकल्प को खारिज कर दियाा।’’
अध्ययन के अनुसार, केवल 16 प्रतिशत अभिभावक ही ओसीएसईए से संबंधित कोई कानून होने से वाकिफ थे।
अध्ययन में अभिभावकों को कानूनों व कानून प्रवर्तन संस्थानों के बारे में काफी हद तक जानकारी न होने के संकेत मिले।
अध्ययन के अनुसार, शिक्षकों ने पाया किया कि इनको लेकर बच्चों के व्यवहार में जो सबसे बड़ा बदलाव दिखा, वह था उनका किसी काम में ध्यान न होना और बिना किसी उचित कारण स्कूल न आना। इन बदलावों का उल्लेख करने वालों की संख्या 26 प्रतिशत थी, जबकि स्कूल में ‘स्मार्टफोन’ का इस्तेमाल अधिक होने की बात 20.9 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कही।
‘क्राय’ के ‘डेवलपमेंट सपोर्ट’ की निदेशक एवं उत्तरी भारत में क्षेत्रीय संचालन की प्रमुख सोहा मोइत्रा ने मौजूदा कानूनी ढांचे के पुनर्मूल्यांकन और उसे कड़ा करने पर जोर दिया।
सोहा मोइत्रा ने कहा, ‘‘ इस अध्ययन में पाया गया कि इंटरनेट का इस्तेमाल बच्चों की तस्करी के लिए भी किया जा रहा है। इसमें संकेत मिले कि इंटरनेट के माध्यम से तस्करी के मामले (खासकर युवकों के) बढ़े हैं, इसलिए शायद प्रावधानों का पुनर्मूल्यांकन किए जाने की जरूरत है।’’(भाषा)
महराजगंज (उप्र), 19 जनवरी उत्तर प्रदेश के महराजगंज में गौनेरियाबाबू के पास राज्य परिवहन निगम की एक बस के, पुल की रेलिंग से टकराकर पलट जाने से उसमें सवार 40 यात्री घायल हो गये।
महराजगंज के सदर कोतवाली थाने के प्रभारी निरीक्षक रवि राय ने बृहस्पतिवार को बताया कि गोरखपुर से महाराजगंज आ रही इस बस में कुल 51 लोग सफर कर रहे थे। घटना बुधवार की रात करीब साढ़े ग्यारह बजे की है।
महराजगंज के सदर कोतवाली थाने के प्रभारी निरीक्षक रवि राय ने बताया कि 24 घायलों को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है ।
राय ने कहा कि 16 अन्य यात्रियों को मामूली चोटें आई हैं, जिनका घटनास्थल पर ही प्राथमिक उपचार किया गया। हादसे के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है।
स्थानीय पुलिस ने मौके पर पहुंचकर घायलों को नजदीकी अस्पताल पहुंचाया। मामले की जांच की जा रही है।
उधर, महराजगंज के जिलाधिकारी सतेंद्र कुमार और पुलिस अधीक्षक कौस्तुभ ने बृहस्पतिवार को जिला अस्पताल का दौरा किया, जहां घायलों का इलाज चल रहा हैं । (भाषा)