अंतरराष्ट्रीय
मास्को, 08 सितंबर (स्पूतनिक) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम गेब्रेयसस ने सोमवार को कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण आखिरी महामारी नहीं है और दुनिया भर के देशों को भविष्य में आने वाले संकटों को लेकर तैयार रहना होगा।
श्री गेब्रेयसस ने एक वर्चुअल संवाददाता सम्मेलन में कहा, “यह आखिरी महामारी नहीं होगी। इतिहास ने हमें सिखाया है कि महामारी जीवन का एक हिस्सा है। लेकिन अगली बार महामारी आने पर हम सबको इसके लिए तैयार रहना होगा।”
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकियों में काफी प्रगति के बावजूद कई देशों ने अभी तक अपने सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों पर सही दिशा में ध्यान नहीं दिया है।
गौरतलब है कि डब्ल्यूएचओ ने 11 मार्च को कोरोना वायरस संक्रमण को वैश्विक महामारी घोषित किया। सोमवार को जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक इस महामारी से अबतक 890,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
तेहरान, 7 सितंबर। ईरान के गुलिस्तान प्रांत के रामियान काउंटी में सोमवार को 5.1 तीव्रता के भूकंप की वजह से 34 लोग घायल हो गए। न्यूज एजेंसी सिन्हुआ ने ईरान के आपातकालीन संगठन के प्रमुख मोजतबा खालिदी के हवाले से बताया कि भूकंप की वजह से अभी मौत की कोई सूचना नहीं मिली है।
रामियान के गवर्नर हामिद रेजा चोबदारी ने कहा इस क्षेत्र में भूकंप से 50 घरों को नुकसान पहुंचा है।
ईरान के भूकंपीय केंद्र के अनुसार, भूकंप का उपकेंद्र जमीन से नौ किमी की गहराई में था, जो कि 37.021 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 55.101 डिग्री पूर्वी देशांतर पर था।(IANS)
वारसा, 7 सितम्बर। जर्मनी के भाला फेंक एथलीट योहानेस वेटर भाला फेंक स्पर्धा में विश्व रिकॉर्ड तोड़ने के करीब आकर चूक गए। वेटर ने पोलैंड के विश्व एथलेटिक्स कॉटिनेंटल टूर गोल्ड टूर्नामेंट में 97.76 मीटर दूरी का भाला फेंका। वह ऐसा करने वाले वे इतिहास के दूसरे खिलाड़ी बन गए हैं।
वेटर चेकोस्लोवाकिया के जन जेलेज्नी के 24 साल पुराने रिकॉर्ड तोड़ने से 72 सेंटीमीटर पीछे रह गए। जेलेज्नी ने 1996 में 98.48 मीटर भाला फेंका था।
वेटर ने 2017 के लंदन में हुई विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने खुद का पुराना रिकॉर्ड तोड़ा। उन्होंने अपने पिछले रिकॉर्ड से तीन मीटर ज्यादा दूर फेंका।
विश्व एथलेटिक्स ने वेटर के हवाले से कहा, " मुझे नहीं पता कि क्या कहना है। यह वास्तव में एक आदर्श क्षण के करीब था। जब आप अच्छा फेंकते हैं तो आप इसे अपने शरीर में महसूस कर सकते हैं।"(IANS)
बीजिंग, 7 सितम्बर। चीन में स्थित संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के उपाध्यक्ष महा अहमद ने 6 सितंबर को कहा कि नए कोरोनावायरस महामारी की वजह से यह अनुमान है कि इस वर्ष 7 करोड़ से 10 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी में गिरेंगे। वर्तमान में, संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम 10 करोड़ लोगों की खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए सक्रिय रूप से संसाधन जुटा रहा है। 6 तारीख को 23 वां चीन कृषि उत्पाद प्रसंस्करण उद्योग निवेश और व्यापार मेला चीन के हनान प्रांत के च्वूमात्येन शहर में उद्घाटित हुआ। अहमद ने उद्घाटन समारोह में कहा कि संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के अनुमानों के अनुसार, महामारी से पहले 79 देशों में गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करने वाले लोगों की संख्या 14.7 करोड़ से बढ़कर 2020 के अंत तक 27 करोड़ तक पहुंच जाएगी और हर कम-आय या मध्यम-आय वाले देश को खतरों का सामना करना पड़ेगा।
महा अहमद ने यह भी बताया कि संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम सामाजिक सुरक्षा, पोषण सेवाओं में सुधार और खाद्य प्रणाली का समर्थन करने जैसे तरीकों के माध्यम से कमजोर समूहों की मदद करने के लिए सक्रिय रूप से संसाधन जुटा रहा है।(IANS)
(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
दुबई, 7 सितंबर (आईएएनएस)| एक प्रवासी भारतीय ने दुबई में एक जॉगर महिला का उस समय यौन शोषण किया, जब वह अपने घर के पास कसरत कर रही थी। इस मामले की अदालत में सुनवाई हुई। गल्फ न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, बुर दुबई में यह घटना जून में उस समय हुई, जब महिला अपने घर के पास जॉगिंग कर रही थी।
रविवार को दुबई कोर्ट ऑफ फस्र्ट इंस्टेंस में सुनवाई के दौरान पता चला कि दुबई पुलिस के कमांड रूम को एक घटना के बारे में कॉल आया था और जब दो पुलिसकर्मी घटनास्थल पर पहुंचे तब पीड़ित महिला रो रही थी।
पुलिसकर्मियों में से एक ने कहा, "वह घबराई हुई थी। उसने हमें बताया कि वह व्यायाम कर रही थी, तभी आरोपी उसके पास पहुंचा और उससे कहा कि वह बहुत सुंदर है। इसके बाद उसने उसे छुआ और वहां से भाग गया।"
पीड़िता द्वारा आरोपी की पहचान करने के बाद दुबई पुलिस ने 41 वर्षीय भारतीय प्रवासी को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस ने बताया, "वह माफी मांग रहा था, लेकिन हमने देखा कि वह नशे में था।"
दुबई पब्लिक प्रॉसिक्यूशन ने उस पर यौन शोषण और शराब के अवैध सेवन का आरोप लगाया है।
सैन फ्रांसिस्को, 7 सितंबर (आईएएनएस)| फेसबुक ने दोहराया है कि वह नवंबर, 2020 में होने जा रहे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले मतदाताओं को प्रभावित करने या उन पर दबाव डालने के प्रयासों को नाकाम करेंगे। साथ अपने प्लेटफॉर्म पर गलत सूचना फैलाने वाली हर चीज को बाहर निकालेंगे। रविवार को सीएनएन के साथ एक साक्षात्कार में फेसबुक के ग्लोबल अफेयर्स एंड कम्युनिकेशंस के वाइस प्रेसिडेंट निक क्लेग ने कहा कि "फेसबुक मतदाताओं पर दबाव बनाने प्रयासों को हटा देगा। अभी से लेकर नवंबर तक हम इसे और अधिक सख्ती से करने जा रहे हैं।"
फेसबुक ने हाल ही में अमेरिका में सबसे बड़े मतदाता सूचना अभियान के तहत एक नया मतदाता सूचना केंद्र शुरू किया है, जिसमें 4 मिलियन यानी 4 करोड़ मतदाताओं का पंजीकरण कराने का लक्ष्य है।
इस महीने की शुरुआत में, फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने कहा था कि प्लेटफॉर्म चुनाव से पहले के एक सप्ताह में नए राजनीतिक विज्ञापनों को स्वीकार नहीं करेगा। साथ ही फेसबुक उन पोस्टों को भी हटा देगा जो यह दावा करते हैं कि वोटिंग में हिस्सा लेने पर लोगों को कोविड-19 संक्रमण हो जाएगा।
जकरबर्ग ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, "यदि कोई भी उम्मीदवार या अभियान परिणामों के आने से पहले ही जीत की घोषणा करने की कोशिश करता है, तो हम उनके पोस्ट में एक लेबल जोड़ेंगे। इस लेबल में लोगों को यह बताया जाएगा कि आधिकारिक परिणाम अभी तक नहीं आए हैं।"
कंपनी, 2020 के अमेरिकी चुनाव के दौरान प्रमुख राजनीतिक दृष्टिकोण पर फेसबुक और इंस्टाग्राम के प्रभाव को समझने के लिए एक रिसर्च करेगी। इसके लिए उसने एक कंपनी से साझेदारी की घोषणा की है।
मस्कट, 7 सितंबर (आईएएनएस)| ओमान के मस्कट में एक 50 वर्षीय प्रवासी भारतीय कलाकार ने कथित रूप से अपने अपार्टमेंट में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। रॉयल ओमान पुलिस ने यह जानकारी दी। ग्राफिक डिजाइनर और साइनबोर्ड आर्टिस्ट उज्जी कृष्णन शनिवार को अपने अपार्टमेंट के कमरे में छत से लटकते हुए पाए गए।
गल्फ न्यूज ने सोमवार को एक पुलिस अधिकारी के हवाले से बताया, "रूवी पुलिस स्टेशन को शनिवार शाम 4 बजे एक प्रवासी भारतीय के बारे में सूचना मिली कि वह रूवी के होंडा रोड स्थित अपने अपार्टमेंट में अपने गले में बंधी एक सफेद रस्सी के साथ लटका पाया गया है।"
आत्महत्या का कारण पता करने के लिए आगे की जांच जारी है।
पुलिस अधिकारी ने कहा, "इस घटना की सूचना उसके दोस्त ने दी, जिसने उसे कई बार फोन किया, लेकिन उसने उसके बार-बार फोन करने पर भी जवाब नहीं दिया।"
कृष्णन ओमान में भारतीय सांस्कृतिक समुदाय के जाने-माने सदस्य थे।
इधर, राजद के नेता तेजस्वी यादव भी बॉलीवुड अभिनेता सुशांत की मौत को लेकर कहते रहे हैं कि राजद ने इस मामले को लेकर सबसे पहले केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच की मांग की थी।
राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी भी इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं मानते हैं, हालांकि उन्होंने भाजपा पर इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव पहले नेता हैं जो सुशांत के घर पहुंचे और उनके लिए न्याय की मांग की, लेकिन सरकार इस मामले को सीबीआई की जांच की अनुशंसा करने में 44 दिनों की देर कर दी।
इधर, भाजपा की सहयोगी पार्टी जद (यू) के नेता भी इस मामले को राजनीति मुद्दा नहीं मानते हैं।
जदयू के नेता और राज्य के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि आज जो भी लोग सुशांत के लिए न्याय की मांग को उठा रहे हैें, उसे राजनीति से जेाड़ना कहीं से ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने इस मामले को लेकर प्रारंभ से ही विधिसम्मत कार्रवाई के तहत सुशांत के परिजनों को न्याय दिलाने का काम किया है।
उल्लेखनीय है कि पटना के रहने वाले बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत का शव उनके मुंबई स्थित फ्लैट में 14 जून को बरामद किया गया था। इस मामले में सुशांत के पिता द्वारा पटना के राजीव नगर थाने में एक मामला दर्ज कराए जाने के बाद मामले की जांच सीबीआई से कराने को लेकर बिहार सरकार ने अनुशंसा की थी। फि लहाल इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है।
जकार्ता, 7 सितम्बर (आईएएनएस)| इंडोनेशिया के उत्तर सुलावेसी प्रांत में रिक्टर पैमाने पर 6.7 तीव्रता के भूकम्प के झटके महसूस किए गए। देश की मेट्रोलॉजी एवं जियोफिजिक्स एजेंसी ने सोमवार को कहा है कि भूकम्प के बाद हालांकि सुनामी का कोई खतरा नहीं है।
एजेंसी ने शुरुआत में कहा था कि असल में भूकम्प की तीव्रता 6.9 मापी गई थी। एजेंसी ने यह भी कहा कि अभी किसी प्रकार से जान-माल की हानि का समाचार नहीं मिला है।
भूकम्प रविवार सुबह आया और इसका केंद्र समुद्र तल से 117 किलोमीटर नीचे था।
भूकम्प के झटके ताहुना जिले और सियायू द्वीप पर भी महसूस किए गए।
ढाका, 6 सितंबर। बांग्लादेश के फतुल्ला शहर की मस्जिद में नमाज के दौरान छह एयर कंडीशनर फटने के मामले में अब तक 24 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 50 लोग घायल हो गए हैं।
शेख हसीना नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी के चिकित्सा अधिकारी डॉ.पार्थ शंकर पाल ने बताया कि शुक्रवार की रात लगभग 9 बजे हुए धमाकों के बाद लगी आग में जलने से एक बच्चे सहित कुल 24 लोगों की मौत हो गई है।
पुलिस ने इस घटना पर एक मामला दर्ज किया है। घटना के पीछे कारण पाइपलाइन में गैस रिसाव होना माना जा रहा है।
नारायणगंज फतुल्लाह मॉडल पुलिस स्टेशन के सब इंस्पेक्टर हुमायूं कबीर ने शनिवार रात मामला दर्ज किया था। इसी थाने के प्रभारी अधिकारी असलम हुसैन ने मामले की पुष्टि की। इस मामले में मस्जिद की प्रबंधन समिति, इसके निर्माण प्राधिकरण, संबंधित बिजली और गैस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
नारायणगंज जिला प्रशासन, फायर सर्विस, टिटास गैस ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड और ढाका पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने चार अलग-अलग जांच समितियों का गठन किया गया है।
सूत्रों ने कहा कि एक एसी में स्पार्किं ग हुई और वह फट गया। इसके बाद मस्जिद के अन्य एयर कंडीशनरों में विस्फोट हुए।
घायलों में से 27 लोग गंभीर हालत में हैं।
वहीं मस्जिद समिति के अध्यक्ष अब्दुल गफूर ने टिटास गैस ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (टीजीटीडीसीएल) के स्थानीय कर्मचारियों पर मस्जिद की बिल्डिंग के नीचे गैस रिसाव को ठीक करने के लिए 50 हजार टका की रिश्वत की मांग करने का आरोप लगाया है।
मस्जिद प्रबंध समिति ने हाल ही में पाइपलाइन के रिसाव की शिकायत दर्ज की थी। लेकिन अधिकारियों ने इसे नजरअंदाज कर दिया। आरोप है कि पाइप लाइन से गैस लीक हुई जो खिड़कियों के बंद होते ही अंदर जमा हो गई थी।
बांग्लादेश के ऊर्जा और खनिज संसाधन राज्य मंत्री नसरुल हामिद ने कहा, "नारायणगंज मस्जिद विस्फोट के सिलसिले में टीजीटीडीसीएल की लापरवाही पाए जाने पर उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।"
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने घायलों को सर्वोत्तम संभव उपचार करने का निर्देश दिया है।(IANS)
न्यूयॉर्क, 6 सितंबर (आईएएनएस)| चिकित्सा पत्रिका 'द लैंसेट' के मुख्य संपादक ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अक्टूबर के अंत तक कोविड-19 वैक्सीन उपलब्ध कराने का बयान 'बिल्कुल गलत' है। सीएनएन के साथ साक्षात्कार में 'द लैंसेट के प्रधान संपादक रिचर्ड हॉर्टन ने कहा है कि अक्टूबर के अंत तक सार्वजनिक उपयोग के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं हो पाएगा और राष्ट्रपति ट्रंप बस इसके बारे में गलत हैं।
सीएनएन हॉर्टन के हवाले से कहा, "अगर हम एक भी गलती करते हैं और वैक्सीन को बहुत जल्दी लाइसेंस दे देते हैं तो जरा सोचिए कि हमें कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। इसीलिए हम जरूरी चीजों में कटौती नहीं कर सकते। अक्टूबर के अंत तक सार्वजनिक उपयोग के लिए वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो पाएगा।"
हॉर्टन ने कहा, "साफ तौर पर राष्ट्रपति ट्रंप इस बारे में गलत हैं। मुझे समझ में नहीं आता कि वह ऐसा क्यों कह रहे हैं, क्योंकि उनके सलाहकार निश्चित रूप से उन्हें बता रहे हैं कि यह असंभव है।"
हॉर्टन ने यह भी कहा कि रूस द्वारा विकसित किए गए एक टीके के परिणाम 'उत्साहजनक' हैं, लेकिन यह "सोचना पूरी तरह से असामयिक है कि यह वैक्सीन सार्वजनिक उपयोग के लिए होगा।" बता दें कि इस वैक्सीन का हयूमन ट्रायल बहुत कम लोगों पर किया गया है।
गौरतलब है कि हॉर्टन अकेले ऐसे नहीं है जिसने ट्रंप के अमेरिका में कोरोनावायरस वैक्सीन उपलब्ध कराने के समय को लेकर कठोर टिप्पणी की हो। डेमोक्रेटिक उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस ने भी शनिवार को ट्रंप पर निशाना साधते हुए कहा कि वह नवंबर चुनाव से पहले अमेरिका में इस्तेमाल होने वाले किसी भी कोरोनोवायरस वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर राष्ट्रपति के बयानों पर भरोसा नहीं करेंगी।
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपने उस कथित बयान के लिए काफ़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है जिसमें उन्होंने युद्ध में मारे गए अमरीकी सैनिकों को 'हारे हुए' और 'बुद्धू' बताया था.
ट्रंप का यह कथित बयान सबसे पहले 'द अटलांटिस' पत्रिका में छपा और उसके बाद उसके कुछ अंश को एसोसिएटेड प्रेस और फ़ॉक्स न्यूज़ ने प्रकाशित किया था.
हालांकि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके सहयोगियों ने इस बयान से इनकार किया है.
अमरीकी सेना के पूर्व सैनिकों ने इन रिपोर्टों के बाद डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना की है.
प्रगतिशील समूह वोटवेट्स ने एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें वे परिवार दिख रहे हैं जिनके बच्चे युद्ध में मारे गए हैं. एक ने लिखा है, "आपको नहीं मालूम कि बलिदान क्या होता है?"
अमरीकी सेना की ओर इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान में तैनात रहे पूर्व सैनिक पॉल रेचॉफ़ ने ट्वीट किया है, "इससे वास्तव में अचरज किसको हुआ है?"
अमरीकी राष्ट्रपति चुनावः इन 5 रणनीतियों पर टिका है ट्रंप का कैंपेन
विश्लेषकों का मानना है कि इससे डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने की उम्मीदों को झटका लग सकता है क्योंकि उन्हें सैनिकों के परिवार के मतों की ज़रूरत है.
ट्रंप ने आख़िर क्या कहा था?
'द अटलांटिस' के मुताबिक़, ट्रंप ने पेरिस में 2018 में अमरीकी सैनिकों के स्मारक स्थल पर जाने का दौरा 'हारे हुए लोगों से भरी जगह' कहते हुए रद्द कर दिया था.
इस पत्रिका को चार स्रोतों ने बताया कि है उन्होंने वहां जाना इसलिए रद्द किया था क्योंकि बारिश हो रही थी और इससे उनके बालों के बिगड़ जाने का डर था, साथ ही युद्ध में मारे गए अमरीकियों का सम्मान करना उनके लिए महत्वपूर्ण नहीं था.
इसी दौरे पर, अमरीकी राष्ट्रपति ने कथित तौर पर बेलेयूवुड में मारे गए 1800 अमरीकी सैनिकों को बुद्धू बताया था. इस युद्ध के चलते ही पहले विश्व युद्ध के दौरान जर्मन सेना पेरिस तक नहीं पहुंच पायी. इन सैनिकों को अमरीकी मरीन कार्प्स ने सम्मानित किया हुआ है.
'द अटलांटिस' ने अपनी रिपोर्टिंग में गोपनीय सूत्रों का हवाला दिया है लेकिन एसोसिएटेड प्रेस ने कहा है कि उसने स्वतंत्र रूप से इन बयानों की पुष्टि की है. वहीं फॉक्स न्यूज़ की संवाददाता ने कहा है कि उन्होंने कुछ बयानों की पुष्टि की है.
इस कार्यक्रम को रद्द किए जाने पर 2018 में अमरीकी व्हाइट हाउस ने कहा था कि ख़राब मौसम के चलते राष्ट्रपति का हेलिकॉप्टर नहीं उड़ पाया था. इस बात की पुष्टि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने हाल में लिखी किताब में की है, हालांकि वो ट्रंप के मुखर आलोचक हैं.
बाइडन राष्ट्रपति बने तो अमरीकी सपने तबाह हो जाएंगे- डोनाल्ड ट्रंप
बज़फ़ीड के रिपोर्टर जैसन लियोपोल्ड के सूचना की आज़ादी क़ानून के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में अमरीकी नौसेना ने भी कहा कि ट्रंप समाधि स्थल पर इसलिए न जा पाने की वजह बारिश थी.
ट्रंप के बयान की आलोचना करने वालों में नवंबर में राष्ट्रपति पद के लिए उनकी दावेदारी को चुनौती देने जा रहे जो बाइडन ने कहा कि ट्रंप देश का नेतृत्व करने में अनफ़िट हैं.
उन्होंने कहा है, "अगर वह आलेख सही है- अन्य बातों के आधार पर ऐसा प्रतीत भी होता है. उन्होंने जो कहा है वह अभद्र है, अपमान जैसा है."
अमरीकी सेना में रह चुकीं डेमोक्रेटिक सीनेटर टैमी डकवर्थ इराक में तैनाती के दौरान अपने दोनों पैर गवां चुकीं हैं. उन्होंने कहा, "डोनाल्ड ट्रंप अपनी इगो के लिए अमरीकी सेना का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं."
इराक में मारे गए एक सैनिक के पिता खिज़्र ख़ान ने टिम डकवर्थ की अपील का समर्थन किया है. वो 2016 में भी ट्रंप की आलोचना कर चुके हैं. उन्होंने कहा, "जब दूसरों की सेवा में अपनी जान गंवाने वालों को ट्रंप लूज़र कह सकते हैं तो इससे हम ट्रंप की आत्मा को समझ रहे हैं."
राष्ट्रपति कार्यालय कैसे निपट रहा है?
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस ख़बर को फ़ेक़ न्यूज़ बताया है.
उन्होंने कहा, "हमारी सेना के ख़िलाफ़ मैं निगेटिव बयान दे सकता हूं, अपने हीरो के ख़िलाफ़ बयान दे सकता हूं, ऐसा सोचने से पहले यह देखें कि मैंने बजट में जो किया है वो किसी ने नहीं किया है. सैन्य बजट को बढ़ाया, सैन्यकर्मियों का वेतन बढ़ाया है. यह एक पत्रिका की ओर से घृणित क़दम है और ये पत्रिका एकदम बेकार पत्रिका है."
शुक्रवार को संवाददाताओं से बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि इस स्टोरी के सोर्स व्हाइट हाउस के पूर्व चीफ़ ऑफ़ स्टॉफ़ जॉन कैली हो सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अमरीका के पूर्व मरीन जनरल इस काम के दबाव को संभालने में सक्षम नहीं हैं.
अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने फ़ॉक्स न्यूज़ से शुक्रवार की सुबह बताया कि वो राष्ट्रपति के साथ इस दौरे पर थे और उन्होंने कभी ऐसे शब्द नहीं सुने.
वहीं अमरीकी रक्षा मंत्री मार्क इस्पर ने पोलिटिको पत्रिका से कहा है कि ट्रंप देश के सैनिकों, उनके परिवार के सदस्यों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवार के प्रति काफ़ी सम्मान रखते हैं. हालांकि उन्होंने इस ख़बर का स्पष्ट तौर पर खंडन नहीं किया है.
इसके अलावा व्हाइट हाउस के पूर्व चीफ़ ऑफ़ स्टॉफ़ मिक मुलवेने और पूर्व प्रेस सचिव सारा हकाबी सैंडर्स ने भी इस ख़बर को ग़लत बताया है. ये दोनों भी ट्रंप समर्थक माने जाते हैं.
ट्रंप और अमरीकी सेना का संबंध
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमूमन दावा करते रहे हैं कि उन्हें सैन्य बिरादरी का मज़बूत समर्थन हासिल है. पिउ रिसर्च सेंटर ने बीते साल एक सर्वे में पाया था कि पूर्व सैनिक ट्रंप को कमांडर इन चीफ़ मानते हैं और क़रीब 57 फ़ीसदी पूर्व सैनिकों का समर्थन ट्रंप को हासिल है. इतना ही नहीं हर पांच पूर्व सैनिकों में तीन रिपब्लिकन समर्थक बताए गए थे.
जो बाइडन क्या डोनाल्ड ट्रंप को हरा कर अमरीका के अगले राष्ट्रपति बन पाएंगे?
हालांकि सेना को लेकर डोनाल्ड ट्रंप के बयानों पर विवाद पहले भी हुए हैं. वियतनाम युद्ध के क़ैदी रहे और बाद में सीनेटर बने जॉन मैक्कन पर टिप्पणी करते हुए ट्रंप ने कहा था, "वो युद्ध के हीरो नहीं थे. मैं उन लोगों को पसंद करता हूं जो क़ैदी नहीं बने."
डोनाल्ड ट्रंप कभी अमरीका सेना में शामिल नहीं हुए. वियतनाम युद्ध के दौरान उन्हें पांच मौकों पर सेना में शामिल नहीं किया गया, चार बार अकादमिक वजहों से और एक बार एड़ी की हड्डियों में तकलीफ़ के चलते.(bbc)
वाशिंगटन , 5 सितंबर (आईएएनएस)| अमेरिका में पिछले कई महीनों से कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप जारी है। लेकिन ट्रंप प्रशासन द्वारा त्वरित कदम न उठाए जाने से महामारी विकराल रूप लेती जा रही है। अगर चुनावों तक वैक्सीन तैयार नहीं हो पायी तो समूचे अमेरिका के लिए बहुत बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है। वायरस की रोकथाम में ढिलाई बरतने को लेकर व्हाइट हाउस की हर तरफ आलोचना हो रही है। क्योंकि इस मुद्दे को एक स्वास्थ्य संकट की तरह निपटने के बजाय अमेरिका ने इसे राजनीतिक मसला बना रखा है। अमेरिका के तमाम स्वास्थ्य विशेषज्ञ कई बार चेतावनी दे चुके हैं कि ट्रंप सरकार को इस वायरस को गंभीरता से लेना चाहिए और इसका प्रसार रोकने के लिए समुचित उपाय किए जाने की जरूरत है। बावजूद इसके अमेरिका की जिम्मेदार एजेंसियों का रवैया नहीं बदल रहा है।
गौरतलब है कि छह महीने पहले, व्हाइट हाउस ने दावा किया था कि, जो कोई भी कोविड टेस्ट करवाना चाहता है वह ऐसा कर सकता है। लेकिन अब अमेरिकी सरकार अपने पूर्ववर्ती बयान से पलट गयी है, अब सिर्फ बुजुर्ग और स्कूली बच्चों से ही टेस्ट करवाने को कहा जा रहा है। दावा है कि जिन्हें सबसे अधिक जरूरत हो वे ही वायरस संबंधी परीक्षण करवाएं।
अमेरिका के रुख में आए बदलाव का अंदाजा व्हाइट हाउस के मेडिकल सलाहकार स्कॉट एटलस के बयान से साफ हो जाता है। उनका कहना है कि बुजुर्गों को बचाने के लिए व्यापक प्रयास किये जा रहे हैं।
न्यूज वेबसाइट पॉलिटिको के मुताबिक, अमेरिका ने एबॉट लैब से 150 मिलियन डॉलर की कीमत में एंटीजन टेस्ट खरीदे हैं। लेकिन अमेरिकी प्रशासन चाहता है कि टेस्ट्स का इस्तेमाल स्कूलों और अन्य जरूरी जगहों पर किया जाए। उसका इरादा आम लोगों के परीक्षण करने का नहीं है। लेकिन स्वास्थ्य जानकार आशंका जता रहे हैं कि आने वाले दिनों में टेस्ट न करने से मुसीबत और बड़ा रूप ले सकती है।
सैन फ्रांसिस्को, 5 सितंबर (आईएएनएस)| फेसबुक के एक ऐसे नए फीचर पर काम करने की बात सामने आई है, जिससे यूजर्स फेसबुक में रहते हुए इंस्टाग्राम स्टोरीज को देख सकेंगे। फीचर की मदद से एक ही संदेश को क्रॉसपोस्टिंग करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस फीचर पर टेस्ट करने के एक हिस्से के रूप में फेसबुक पर इंस्टाग्राम स्टोरीज को देखने के लिए पहले अपने दो इन्हीं अकांउट को लिंक करना पड़ेगा।
इंस्टाग्राम पर जो लोग आपको फॉलो करते हैं, सिर्फ वही फेसबुक पर आपकी स्टोरीज को देख पाएंगे।
शुक्रवार को द नेक्स्ट वेब (टीएनडब्ल्यू) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्विटर पर इस बदलाव पर सबसे पहले नजर मैट नर्वरा की पड़ी।
फेसबुक ने बाद में सोशल मीडिया कंसल्टेंट मैट से इसकी पुष्टि की।
सोशल मीडिया नेटवर्क ने कहा कि फीचर में यूजर की गोपनीयता का भी ख्याल रखा गया है, क्योंकि इंस्टाग्राम यूजर्स के पास यह ऑप्शन रहेगा कि वे फेसबुक पर अपनी स्टोरी दिखाना पसंद करेंगे या नहीं।
तेहरान, 04 सितंबर (स्पूतनिक)। पश्चिमी ईरान में क्लोरीन का एक टैंक फटने से कम से कम 120 लोग बीमार हो गए हैं। चारदावोल जिले के प्रमुख इलियास फताही ने शुक्रवार को यह जानकारी दी है। तस्नीम न्यूज एजेंसी ने क्षेत्रीय अधिकारी के हवाले से बताया कि क्लोरीन की चपेट में आए लोगों की संख्या 120 पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि प्रभावित लोगों के इलाज के लिए घटनास्थल एक फील्ड अस्पताल की स्थापना किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है।
अरुल लुइस
संयुक्त राष्ट्र, 5 सितंबर (आईएएनएस)| दक्षिण सूडान और कांगो गणराज्य में कोविड-19 चुनौती से निपटने को लेकर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के शांति अभियानों के तहत चिकित्सा सुविधाओं को मजबूत करने के लिए भारत विशेषज्ञों की दो टीमें भेज रहा है। भारत के यूएन मिशन ने यह जानकारी दी।
मिशन ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के अनुरोध पर प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने उन देशों में कोविड-19 से निपटने के लिए भारतीय शांति मिशन के सैनिकों द्वारा प्रबंधित अस्पताल सुविधाओं को बढ़ाने के लिए सहयोग देने का आग्रह किया है।
इसने कहा, "इस अनुरोध का हमने स्वागत किया है।"
इसने बताया कि 15 विशेषज्ञों की एक टीम इस महीने के अंत में कांगो के गोमा जाएगी, जहां जनवरी 2005 से भारत द्वारा चलाए जा रहे अस्पताल में पहले से ही 18 विशेषज्ञों सहित 90 भारतीय हैं।
संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के लिए मुख्य कमांड और नियंत्रण केंद्र 'मोनुस्को' गोमा में स्थित है। मोनुस्को में 2,030 भारतीय शांति सैनिक तैनात हैं।
15 विशेषज्ञों की एक अन्य टीम दक्षिण सूडान के जुबा जाएगी, जहां दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन (यूएनएमआईएसएस) के साथ 2016 से चलाए जा रहे भारतीय अस्पताल में 12 विशेषज्ञों सहित 77 भारतीय हैं, जिसमें 2,420 भारतीय शांति सैनिक हैं।
वाशिंगटन, 5 सितंबर (आईएएनएस)। यूएस फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल का मानना है कि मास्क पहनने और सामाजिक दूरी जैसे उपायों से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भारी आर्थिक लाभ हो सकता है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पावेल ने शुक्रवार को नेशनल पब्लिक रेडियो के साथ एक साक्षात्कार में कहा, "निश्चित रूप से हमें पूर्ण इम्पलॉयमेंट के लिए इस बीमारी को नियंत्रित करने की आवश्यकता है। और ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका है कि वैक्सीन के आने तक इन सामाजिक दूरी उपायों को लागू करना।"
उन्होंने कहा, "राष्ट्रभर में लोगों द्वारा मास्क पहनने और फिजिकल डिस्टेंस का पालन करने से यहां वास्तव में भारी आर्थिक लाभ हो सकता है।"
गौरतलब है कि लेबर डिपार्टमेंट द्वारा शुक्रवार को जारी रिपोर्ट के बाद पॉवेल की टिप्पणी आई है। रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिकी इम्पलॉयर्स ने अगस्त में 14 लाख नौकरियां जोड़े हैं और बेरोजगारी दर घटकर 8.4 प्रतिशत रह गई है।
श्रम बाजार को महामारी से पूरी तरह से उबरने में लंबा समय लगने की बात कहते हुए पॉवेल ने कहा, "हालांकि हमने 1.1 करोड़ लोगों को काम पर वापस रख लिया है, लेकिन अभी भी 1 या 1.1 करोड़ लोग हैं, जो काम पर वापस नहीं आए हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "ऐसा इसलिए भी हो सकता है कि उनके लिए नौकरी खोजना कठिन हो रहा होगा, क्योंकि अर्थव्यवस्था के कुछ हिस्से ऐसे भी हैं जिन्हें महामारी से उबरने में अधिक समय लगेगा। इनमें यात्रा, मनोरंजन, होटल, जैसी चीजें हैं।"
पॉवेल ने यह भी कहा कि सेंट्रल बैंक आर्थिक सुधार का समर्थन करने के लिए लंबी अवधि तक अल्पकालिक ब्याज दर या शून्य के करीब रिकॉर्ड स्तर पर रखेगा।
उन्होंने कहा, "हमें लगता है कि अर्थव्यवस्था को कम ब्याज दरों की जरूरत है, जो लंबी अवधि तक आर्थिक गतिविधियों का समर्थन करेगा। इसे सालों में मापा जाएगा ..वहीं अर्थव्यवस्था की जो जरूरत है, उसे देखते हुए हम समय से पहले उस समर्थन को वापस नहीं लेंगे।"
न्यूयॉर्क, 5 सितम्बर (आईएएनएस)| अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) हेनरी किसिंजर तीन जून, 1971 को लाखों बंगाली शरणार्थियों को पनाह देने के लिए भारत और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से निरंकुश (वाइल्ड) थे। उस समय हेनरी और अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने बंगाली विद्रोह के शरणार्थी प्रवाह के लिए इंदिरा को दोषी माना। किसिंजर ने उनके बारे में कहा, "वे मैला ढोने वाले लोग हैं।"
किसिंजर के लिए यह माना जाता है कि वह पाकिस्तान के लिए दयालु और सौम्य थे। एक बार 10 अगस्त 1971 को पाकिस्तान में चल रही उठा-पटक और बंगाली शरणार्थियों के मुद्दे पर निक्सन के साथ चर्चा के दौरान किसिंजर ने कहा, "मैं आपको बता दूं कि पाकिस्तानी ठीक लोग हैं, लेकिन उनकी मानसिक संरचना असभ्य (आदिम) है।"
17 जून, 1971 को निक्सन और किसिंजर ने इंदिरा गांधी के साथ एक हारी लड़ाई के तौर पर भारतीय महिलाओं के लिए कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया। हाल ही में न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रिंसटन प्रोफेसर ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस और लेखक गैरी जे. बास द्वारा रिपोर्ट की गई टेप से पता चला है कि भारतीय महिलाओं के लिए 'सेक्सलेस' शब्द का इस्तेमाल किया गया था।
टेप में बास बताते हैं कि भारत में राजदूत केनेथ बी. कीटिंग को 'बास्टर्ड' के रूप में संदर्भित किया गया।
यह समझा जा सकता है कि किसिंजर भारत के बारे में अच्छी राय नहीं रखते थे। क्योंकि उन्होंने निक्सन से कहा था कि भारतीय लोग बड़े ही चापलूस किस्म के होते हैं और वे चाटुकारिता में मास्टर होते हैं। उन्होंने इसका कारण भी गिनवाते हुए कहा कि यही वजह है कि भारतीय बुरे वक्त में भी 600 वर्षो तक जीवित बचे रहे।
किसिंजर ने आगे कहा, "वह अधिकतर 'सेक्सलेस' है और इन लोगों में कुछ नहीं है। मेरा मतलब है, लोग कहते हैं, काले अफ्रीकियों के बारे में क्या? अच्छा, आप कुछ देख सकते हैं, जैसे उत्साह। मेरा मतलब है कि उनमें एक छोटे से जानवर की तरह आकर्षण है। मगर हे भगवान., वो भारतीय, वो दयनीय हैं।"
चार नवंबर, 1971 को इंदिरा गांधी के साथ एक व्हाइट हाउस शिखर सम्मेलन से एक निजी ब्रेक के दौरान निक्सन ने किसिंजर से भारतीयों के प्रति उनके यौन घृणा का खुलासा किया। उन्होंने कहा, "टू मी, दे टर्न मी ऑफ।" यानी निक्सन का कहना था कि भारतीयों में सेक्स की इच्छा की कमी होती है। निक्सन यहीं नहीं रुके, बल्कि उन्होंने किसिंजर से पूछा कि मुझे बताओ कि वह दूसरे व्यक्ति को इसके लिए (सेक्स) कैसे राजी करते होंगे।
जून 1971 में निक्सन, किसिंजर और व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ एच. आर. हेडलमैन के बीच बातचीत में भी भारतीयों के प्रति निक्सन की मानसिकता का पता चलता है। उन्होंने बातचीत के दौरान कथित तौर पर कहा, "निसंदेह दुनिया में सबसे बदसूरत महिलाएं भारतीय महिलाएं हैं।"
ढाका, 5 सितम्बर (आईएएनएस)| बांग्लादेश में नारायणगंज के फतुल्लाह की एक मस्जिद में शुक्रवार की रात ईशा की नमाज के दौरान छह एयर कंडीशनर फटने से सात साल के बच्चे की मौत हो गई और 40 से अधिक लोग घायल हो गए।
ढाका मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (डीएमसीएच) के सूत्रों ने बताया मृतक की पहचान ज्वेल के रूप में की गई है।
डॉक्टर ने आईएएनएस को बताया कि इमाम सहित अन्य सभी घायलों में से 99 फीसदी लोग जल गए हैं और उन्हें खून की जरूरत है।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, विस्फोट रात करीब 8.45 बजे हुआ।
सूत्रों ने बताया कि मस्जिद के छह एयर कंडीशनर में से एक में स्पाकिर्ंग हुई और उसमें विस्फोट हो गया। इसके बाद सभी छह एसी में विस्फोट हो गया।
नारायणगंज फायर सर्विस के उप सहायक निदेशक अब्दुल्ला अल अरेफिन ने कहा कि सूचना मिलते ही दमकलकर्मियों को घटनास्थल पर भेजा गया और घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया।
डीएमसीएच पुलिस चौकी के इंस्पेक्टर बच्चू मिया ने कहा कि मस्जिद के इमाम और मुअज्जिन सहित कुल 37 घायलों को नारायणगंज के अस्पताल से डीएमसीएच ले जाया गया। उनका इलाज शेख हसीना नेशनल बर्न इंस्टीट्यूट ऑफ बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी की बर्न यूनिट में किया जा रहा है।
ओटावा, 5 सितम्बर (आईएएनएस)| टोरंटो के पूर्व में ओशावा के एक घर में हुई गोलीबारी में पांच लोग मारे गए और एक अन्य शख्स घायल हो गया। स्थानीय मीडिया ने यह जानकारी दी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, पुलिस ने कहा कि शुक्रवार को हुई गोलीबारी में घर के चार पुरुषों और एक महिला की मौत हो गई।
एक घायल महिला घर के अंदर मिली, जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया।
पुलिस मीडिया प्रवक्ता जॉर्ज टुडोस ने कहा कि मृतकों में तीन वयस्क और दो किशोर हैं।
उन्होंने कहा कि मृतकों में से एक कथित संदिग्ध है।
पड़ोसियों ने कहा कि एक पति और पत्नी जो शिक्षक हैं, कई सालों से अपने चार बच्चों के साथ घर पर रहते हैं और हाल ही में एक कॉटेज में समय बिताने के बाद घर लौटे थे।
पुलिस ने कहा कि वे और संदिग्ध की तलाश नहीं कर रहे थे और कम्युनिटी में सुरक्षा को लेकर कोई चिंता की बात नहीं है।
गोलीबारी की घटना की जांच चल रही है।
-राजू सजवान
कोविड-19 वैश्विक महामारी और उसके बाद बने सामाजिक और आर्थिक हालात के कारण 2021 तक लगभग 4 करोड़ 70 लाख महिलाएं गरीबी के चरम स्तर का सामना कर सकती हैं। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की संस्था यूएन वूमेन और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा कराए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है। कोविड-19 से पहले वर्ष 2019 से 2021 के बीच महिलाओं में गरीबी दर 2.7 फीसदी घटने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन अब नई रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के लिए गरीबी में 9.1 फीसदी वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि विश्वव्यापारी महामारी से दुनिया भर में गरीबी की दर बढ़ी है, लेकिन इसका महिलाओं और खासकर प्रजनन उम्र की महिलाओं पर ज्यादा असर हुआ है। अनुमान है कि वर्ष 2021 तक, साल 25 से 34 वर्ष आयु वर्ग में चरम गरीबी का सामना करने वाले हर 100 पुरुषों की तुलना में 118 महिलाएं चरम गरीबी का शिकार होंगी। यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रतिदिन 1 डॉलर 90 सेंट (140 रुपए) या उससे कम रकम पर गुजारा करने वाले लोग गरीबी की श्रेणी में आते हैं।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2030 तक यह अंतर 100 पुरुषों की तुलना में 121 महिलाएं तक बढ़ने की आशंका है। "फॉर्म इनसाइट्स टू एक्शन: जेंडर इक्वलिटी इन दी वेक ऑफ कोविड-19" शीर्षक वाली इस रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि कोविड-19 के कारण साढ़े नौ करोड़ से ज्यादा लोग वर्ष 2021 तक चरम गरीबी के गर्त में चले जाएंगे।
कोविड-19 वैश्विक आपदा और उसके बाद के सामाजिक व आर्थिक दुष्प्रभाव के कारण दुनिया में चरम गरीबी का शिकार हुए कुल लोगों की संख्या 43.50 करोड़ हो जाएगी और इस आंकड़े को महामारी से पहले के स्तर पर वर्ष 2030 से पहले नहीं लाया जाएगा।
यूएन वूमेन की कार्यकारी निदेशक पुमजिले म्लाम्बो-न्गुका का कहना है कि यह रिपोर्ट इस बात की ओर इशारा कर रही है कि समाज और अर्थव्यवस्था की विसंगतियाँ व ख़ामियों के चलते महिलाओं में गरीबी की दर चरम पर पहुंची है। उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि परिवार की देखरेख करने की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी महिलाएं निभाती हैं। इसलिए वे कम आय अर्जित करती हैं और कम बचत कर पाती हैं। इसके अलावा उनके रोजगार के अवसर भी निश्चित नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि पुरुषों की तुलना में कुल मिलाकर महिलाओं के रोजगार पर 20 प्रतिशत अधिक जोखिम है। यूएन की वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इतनी सारी विषमताओं को देखते हुए कोरोना महामारी से उबरते समय नीतिगत कार्रवाई को तेज गति से आगे बढ़ाया जाना होगा और उसके केन्द्र में महिलाओं को रखना होगा।(DOWNTOEARTH)
यूरोप में इस्लाम से दुश्मनी के लिए यही समय क्यों चुना गया, क्या यूरोप ने भी इस्लाम के मुक़ाबले के लिए कमर कस ली है...
यूरोप के विभिन्न देशों और शहरों में इस्लामोफ़ोबिया और इस्लाम विरोधी कार्यवाहियों में होती वृद्धि से पता चलता है कि इन देशों में अंधा नस्लभेद अब भी कूट कूट कर भरा हुआ है।
यूरोप में इस्लामोफ़ोबिया उन विषयों में से है कि कभी तो उस पर ध्यान ही नहीं दिया जाता और कभी इसकी आग को बहुत अधिक भड़का दिया जाता है। हाल ही में यूरोप के कई देशों में इस्लामोफ़ोबिया की कार्यवाहियां हुईं हैं जिनसे पता चलता है कि इन देशों में अंधा नस्लभेद कूट कूट कर भरा हुआ है।
अभी हाल ही में स्वीडन में भी अजीबो ग़रीब घटना घटी और एक कट्टरपंथी गुट ने पवित्र क़ुरआन को आग लगा दिया। इसके कुछ ही घंटे बाद एक कट्टरपंथी महिला ने पवित्र क़ुरआन जलाने का एक वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर उसे वायरल कर दिया।
कुछ टीकाकारों का कहना है कि यूरोप में इस्लाम विरोधी इन कार्यवाहियों का मुख्य कारण इस्लामोफ़ोबिया है ताकि इस्लाम से लोगों को डरा सकें और लोगों के दिलों में इस्लाम का ख़ौफ़ पैदा कर सकें।
सोशल मीडिय के एक यूज़र अब्दुर्रहमान अलख़तीब ने ट्वीट किया कि स्वीडन और यूरोप के अन्य देशों में होने वाली इस्लामोफ़ोबिया की कार्यवाहियों पर किसी ने कुछ भी नहीं कहा इसीलिए स्वीडन के बाद बेल्जियम जैसे अब दूसरे यूरोपीय देशों में कट्टरपंथी लोग खुलकर यह कार्यवाहियां कर रहे हैं।
उनका कहना था कि अगर पहली बार ही मुसलमान एकजुट होकर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते तो किसी अन्य देश में यह घटिया हरकत दोहराई न जाती।
यूरोप में पवित्र क़ुरआन के अनादर का मुद्दा अभी गरमाया ही हुआ था कि फ़्रांस की विवादित पत्रिका शार्ली हेब्दु ने एक बार फिर पैग़म्बरे इस्लाम का अपमानजनक कार्टून प्रकाशित कर दिया। इस पर सारे मुसलमान चुप रहे और इस्राईल व संयुक्त अरब इमारात के संबंधों की ख़ुशियां मना रहे हैं। कुछ टीकाकारों का कहना है कि यह काम बहुत ही व्यवस्थित ढंग से किया जा रहा है, जहां पूरी दुनिया इस्राईल और अरब देशों के बीच संबंधों की ख़ुशियों में रंगे हुए हैं वहीं यूरोप ने इस्लामोफ़ोबिया की मशीन तेज़ कर दी है।
अल्पसंख्यक मुसलमानों के अधिकारों का समर्थन करने वाली संस्था ने यूरोप में इस्लामोफ़ोबिया की घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लिखा कि मुसलमानों की भावनाओं को आहत करने की इन सारी घटनाओं में सबसे ध्यान योग्य बिन्दु यह है कि यह सारी घटनाएं पुलिसकर्मियों के समाने अंजाम दी गयीं।
इस संस्था का कहना है कि हालैंड, फ़्रांस, डेनमार्क और अन्य यूरोपी देशों में जो घटनाएं घटी हैं उनमें हमने देखा कि पुलिस के सामने कट्टरपंथी कार्यवाहियां अंजाम दे रहे हैं और पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है।(PARSTODAY)
मोस्को, 4 सितंबर। शुक्रवार को जारी परिणाम में बताया गया है कि वैक्सीन का सेफ़्टी प्रोफ़ाइल अच्छा है और टीका लगाए जाने के 42 दिन बाद तक कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं हुआ। वैक्सीन 21 दिन के भीतर मज़बूत एंटीबॉडी भी पैदा करने में सक्षम रहा।
रिपोर्ट में बताया गया है कि दो हिस्से वाले वैक्सीन में दो adenovirus वेक्टर्स हैं जिसे SARS-CoV-2 स्पाइक प्रोटीन के लिए मोडिफ़ाइ किया गया है। इस तरह के पुनः संयोजक एडेनोवायरस वैक्टर का उपयोग लंबे समय से किया जाता रहा है। कई क्लीनिकल स्टडीज में इसके सुरक्षित होने की पुष्टि हो चुकी है। इस समय कई कोविड-19 वैक्सीन कैंडिडेट इन वेक्टर्स का इस्तेमाल करते हुए SARS-CoV-2 स्पाइक प्रोटीन को टारगेट करते हैं।
गमालिया नेशनल रिसर्च सेंटर के मुख्य लेखक डेनिस लोगूनोव ने कहा कि जब एडनोवायरस वैक्सीन लोगों के सेल्स में प्रवेश करते हैं, वे SARS-CoV-2 स्पाइक प्रोटीन जेनेटिक कोड डिलिवर करते हैं, जिसकी वजह से सेल्स स्पाइक प्रोटीन पैदा करते हैं। यह इम्यून सिस्टम को SARS-CoV-2 वायरस की पहचान कर उस पर हमला करना सिखाता है। SARS-CoV-2 के खिलाफ शक्तिशाली इम्यून प्रतिक्रिया पैदा करने के लिए बूस्टर वैक्सीनेशन महत्वपूर्ण है।
बताया गया है कि दो छोटे फ़ेज 1/2 का ट्रायल 42 दिनों तक चला, इनमें से एक वैक्सीन के फ्रोजन फॉर्म्यूलेशन का और दूसरे में फ्रीज-ड्राइज फॉर्म्यूलेशन का अध्ययन किया गया। फ्रोजन फॉर्म्युलेशन का इस्तेमाल वैक्सीन को बड़े पैमाने पर मौजूदा स्पलाई चेन के जरिए वितरण को लेकर किया जाएगा। फ्रीज-ड्राइड फॉर्म्यूलेशन का इस्तेमाल उन इलाकों के लिए किया जाएगा जहां पहुंचना मुश्किल है। इन्हें 2 से -8 डिग्री तापमान पर स्टोर किया जा सकता है।(PARSTODAY.COM)
नई दिल्ली, 4 सितम्बर। पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच 'भाईचारे' का रिश्ता, जो दशकों से घनिष्ठ आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य साझेदारी पर बना हुआ था, उसमें पिछले महीने एक अवरोध उत्पन्न हुआ है।
अपुष्ट खबरें सामने आ रही हैं कि सऊदी अरब पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को सलाह दे रहा है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को पूर्व सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ की जगह बदला जाए, जो वर्तमान में रियाद के नेतृत्व वाले इस्लामिक मिल्रिटी अलायंस टू फाइट टेररिज्म (आईएमएएफटी) के कमांडर हैं।
पाकिस्तान के विशेषज्ञों के अनुसार, सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच के हालिया विवाद को मध्य पूर्व और मुस्लिम दुनिया में हालिया रणनीतिक वास्तविकताओं के व्यापक संदर्भ में देखा जाना चाहिए।
कुछ समय से पाकिस्तान प्रतिद्वंद्वी मुस्लिम शक्तियों के साथ तटस्थ संबंधों को बनाए रखने की अपनी पारंपरिक नीति को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है।
वहीं रियाद मुस्लिम-बहुसंख्यक राष्ट्रों के प्रति पाकिस्तान के संबंध मजबूत करने से भी निराश है, जिनमें तुर्की, मलेशिया, ईरान और कतर जैसे देश शामिल हैं। दूसरे शब्दों में, रियाद मुस्लिम दुनिया के नेतृत्व को कमजोर करने की पाकिस्तान की कोशिश पर नाराज है।
पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच तीखी नोक झोंक पिछले महीने तब सामने आई, जब पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने खुले तौर पर सऊदी के नेतृत्व वाले संगठन इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) को धमकी दे डाली। कुरैशी ने ओआईसी को धमकी भरे लहजे में कहा कि या तो कश्मीर मुद्दे पर एक मंत्रिस्तरीय बैठक बुलाओ नहीं तो फिर उनकी सरकार अन्य इस्लामी देशों के साथ मिलकर इसी तरह की एक बैठक करेगी। यानी कुरैशी ने ओआईसी को जताया कि पाकिस्तान अन्य इस्लामिक देशों के साथ मिलकर संगठन के बिना ही मुद्दे को उठाएगा, जिससे रियाद काफी नाराज हो गया था।
सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, जो सऊदी अरब के वास्तविक शासक हैं, वह इस बात से खुश नहीं दिखे। यही वजह है कि सऊदी अरब ने इमरान खान सरकार की तरफ से कश्मीर मुद्दे पर इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी को अलग-थलग करने की धमकी देने के बाद पाकिस्तान के लिए ऋण पर तेल के प्रोविजन को रोक दिया।
दरअसल अक्टूबर 2018 में सऊदी अरब ने पाकिस्तान को तीन साल के लिए 6.2 अरब डॉलर का फाइनेंशियल पैकेज देने का ऐलान किया था। इसमें तीन अरब डॉलर की नकद सहायता शामिल थी, जबकि बाकी के पैसों के बदले में पाकिस्तान को तेल और गैस की सप्लाई की जानी थी। एक गंभीर आर्थिक संकट से घिरे पाकिस्तान ने सऊदी अरब से ऋण लिया था। पाकिस्तान के धमकी और चेतावनी भरे बर्ताव के कारण सऊदी ने अपनी इस वित्तीय मदद को वापस ले लिया है।
मध्य पूर्व के टिप्पणीकार अली शिहाबी का कहना है कि पाकिस्तान ने सऊदी अरब की ओर से मिलने वाली मदद को हमेशा से ही गंभीरता से नहीं लिया है। उन्होंने कहा, "खैर, पार्टी खत्म हो गई है और पाकिस्तान को इस रिश्ते को महत्व देने की जरूरत है। अब फ्री लंच या वन वे स्ट्रीट नहीं है।"
सऊदी-पाकिस्तान संबंध मुख्य रूप से सीधे पाकिस्तानी सेना और सऊदी किंग और क्राउन प्रिंस द्वारा नियंत्रित किए जाते हैं। इस बीच पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल बाजवा 17 अगस्त को रियाद पहुंचे। हालांकि प्रिंस सलमान बाजवा के प्रति उदासीन रहे। उस समय ऐसी भी बातें सुनने को मिली कि राहील शरीफ और बाजवा नाराज चल रहे सऊदी को मनाने के लिए संपर्क में हैं।(IANS)
नयी दिल्ली, 04 सितंबर। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अगले साल के मध्य तक वृहद स्तर पर कोरोना का टीकाकरण किये जाने की संभावना पर संदेह व्यक्त करते हुए कहा है कि अभी तक कोई भी कोरोना वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी साबित नहीं हुई है।
डब्यूएचओ ने यह बयान ऐसे समय में दिया है जब अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर ने कहा है कि उसे उम्मीद है कि उसके द्वारा विकसित की जाने वाली कोरोना वैक्सीन अगले माह के अंत तक व्यापक स्तर पर टीकाकरण के लिए तैयार हो सकती है।
डब्ल्यूएचओ की प्रवक्ता मार्गरेट हैरिस ने आज कहा कि किसी भी कोरोना वैक्सीन के प्रभाव और उसके सुरक्षा पहलू को देखने के लिए कड़ाई से जांच करनी जरूरी है। उन्होंने बताया कि अब तक कोई भी कोरोना वैक्सीन डब्ल्यूएचओ के मानकों पर खरी नहीं उतरी है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन के तीसरे चरण के मानव परीक्षण में समय लगना चाहिए ताकि यह देखा जा सके कि वैक्सीन कितनी प्रभावी है और हमें यह देखना भी जरुरी है कि वह कितनी सुरक्षित है।
सुश्री हैरिस ने यह भी कहा कि वैक्सीन के परीक्षण के सभी दस्तावेजों को साझा करना जरुरी है और उसकी तुलना भी आवश्यक है। कई हजार लोगों को वैक्सीन लगायी गयी है और अभी हमें यह पता नहीं कि वैक्सीन काम भी कर रही है या नहीं। इस वक्त हमें यह भी पता नहीं कि वैक्सीन का प्रभाव मानक स्तर का है या नहीं।
फाइजर के दावे से पहले रूस ने अगस्त में अपने यहां कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दी जिसे लेकर विशेषज्ञों ने गहरी चिंता जतायी कि मात्र दो माह के परीक्षण के बाद तैयार यह वैक्सीन कितनी सुरक्षित या प्रभावी होगी। उसके बाद फाइजर के दावे को लेकर भी यह कयास लगाये जा रहे हैं कि अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले कोरोना वैक्सीन को विकसित करने की होड़ के कारण कहीं कोरोना वैक्सीन की गुणवत्ता से समझौता न हो जाये।(UNIVARTA)
नई दिल्ली, 4 सितम्बर (आईएएनएस)| चीनी ऐप टिकटॉक की गैरमौजूदगी में लाखों भारतीय अपनी क्रिएटिविटी दिखाने के लिए नए मंच की तलाश में हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए फेसबुक ने अपना शॉर्ट वीडियो मेकिंग ऐप इंस्टाग्राम रील्स भारत में शुरू कर दिया है। रील्स टैब नेवीगेशन बार पर एक नया टैब होगा, जो इंस्टाग्राम में एक्सप्लोर टैब को रिप्लेस कर देगा।
रील्स टैब नेविगेशन बार में एक नया टैब है इसलिए यह सुविधा अब एक्सप्लोर में एक इकाई (यूनिट) में नहीं होगी, जैसा कि पहले हुआ करती थी।
रील्स के माध्यम से आप 15 सेकेंड का मल्टीक्लिप वीडियो और ऑडियो रिकार्ड तथा एडिट कर सकते हैं। साथ ही आप इसमें नए इफेक्ट्स और क्रिएटिव टूल्स के माध्यम से वैल्यू एडिशन कर सकते हैं।
फोटो शेयरिंग प्लेटफार्म-इंस्टाग्राम ने इसी महीने की शुरूआत में रील्स की टेस्टिंग शुरू की थी।
फेसबुक इंडिया के निदेशक (पार्टनरशिप्स) मनीष चोपड़ा ने कहा, "भारत पहला ऐसा देश है, जहां हम रील्स शुरू कर रहे हैं। हमने यहां काफी क्रिएटिविटी देखी है। हमें आशा है कि लोग रील्स का आनंद उठाएंगे।"
टैब में केवल रील्स ही दिखाई देगी और इसमें एक बेहतरीन ऑटो-प्लेइंग वीडियो होगा।
एक्सप्लोर टैब इंस्टाग्राम में आपके फीड के शीर्ष दाईं (टॉप राइट) की ओर मिलेगी।
रील्स टैब लोगों को नए रचनाकारों (क्रिएटर्स) को आसानी से खोजने में मदद करेगा। रील्स को अभी यूरोप में नहीं शुरू किया गया है।
टिकटॉक के जाने के बाद इंस्टाग्राम रील्स युवा भारतीयों का सबसे पसंदीदा ऐप बन गया था। एक शोध के मुताबिक, 18 से 29 साल के बीच के 10 में सात भारतीय इसे पसंद करते हैं और उनका कहना है कि वे वीडियो शेयरिंग प्लेटफार्म के तौर पर उपयोग में लाना चाहते हैं।
टिकटॉक चीनी ऐप है और इसके प्रतिबंध होने के बाद भारतीय भारत में बने या सीधे तौर पर गैर चीनी ऐप्स का इस्तेमाल करना चाहते हैं। 68 फीसदी टिकटॉक कंटेंट क्रिएटर्स का कहना है कि वे आने वाले समय में भारतीय या फिर गैर चीन (नॉन-चाइनीज) वीडियो शेयरिंग ऐप उपयोग में लाएंगे।