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डोनाल्ड ट्रंप की वापसी की उम्मीदों पर पानी फेर देगा यह विवाद?
06-Sep-2020 11:10 AM
डोनाल्ड ट्रंप की वापसी की उम्मीदों पर पानी फेर देगा यह विवाद?

अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपने उस कथित बयान के लिए काफ़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है जिसमें उन्होंने युद्ध में मारे गए अमरीकी सैनिकों को 'हारे हुए' और 'बुद्धू' बताया था.

ट्रंप का यह कथित बयान सबसे पहले 'द अटलांटिस' पत्रिका में छपा और उसके बाद उसके कुछ अंश को एसोसिएटेड प्रेस और फ़ॉक्स न्यूज़ ने प्रकाशित किया था.

हालांकि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके सहयोगियों ने इस बयान से इनकार किया है.

अमरीकी सेना के पूर्व सैनिकों ने इन रिपोर्टों के बाद डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना की है.

प्रगतिशील समूह वोटवेट्स ने एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें वे परिवार दिख रहे हैं जिनके बच्चे युद्ध में मारे गए हैं. एक ने लिखा है, "आपको नहीं मालूम कि बलिदान क्या होता है?"

अमरीकी सेना की ओर इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान में तैनात रहे पूर्व सैनिक पॉल रेचॉफ़ ने ट्वीट किया है, "इससे वास्तव में अचरज किसको हुआ है?"

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विश्लेषकों का मानना है कि इससे डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने की उम्मीदों को झटका लग सकता है क्योंकि उन्हें सैनिकों के परिवार के मतों की ज़रूरत है.

ट्रंप ने आख़िर क्या कहा था?

'द अटलांटिस' के मुताबिक़, ट्रंप ने पेरिस में 2018 में अमरीकी सैनिकों के स्मारक स्थल पर जाने का दौरा 'हारे हुए लोगों से भरी जगह' कहते हुए रद्द कर दिया था.

इस पत्रिका को चार स्रोतों ने बताया कि है उन्होंने वहां जाना इसलिए रद्द किया था क्योंकि बारिश हो रही थी और इससे उनके बालों के बिगड़ जाने का डर था, साथ ही युद्ध में मारे गए अमरीकियों का सम्मान करना उनके लिए महत्वपूर्ण नहीं था.

इसी दौरे पर, अमरीकी राष्ट्रपति ने कथित तौर पर बेलेयूवुड में मारे गए 1800 अमरीकी सैनिकों को बुद्धू बताया था. इस युद्ध के चलते ही पहले विश्व युद्ध के दौरान जर्मन सेना पेरिस तक नहीं पहुंच पायी. इन सैनिकों को अमरीकी मरीन कार्प्स ने सम्मानित किया हुआ है.

'द अटलांटिस' ने अपनी रिपोर्टिंग में गोपनीय सूत्रों का हवाला दिया है लेकिन एसोसिएटेड प्रेस ने कहा है कि उसने स्वतंत्र रूप से इन बयानों की पुष्टि की है. वहीं फॉक्स न्यूज़ की संवाददाता ने कहा है कि उन्होंने कुछ बयानों की पुष्टि की है.

इस कार्यक्रम को रद्द किए जाने पर 2018 में अमरीकी व्हाइट हाउस ने कहा था कि ख़राब मौसम के चलते राष्ट्रपति का हेलिकॉप्टर नहीं उड़ पाया था. इस बात की पुष्टि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने हाल में लिखी किताब में की है, हालांकि वो ट्रंप के मुखर आलोचक हैं.

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बज़फ़ीड के रिपोर्टर जैसन लियोपोल्ड के सूचना की आज़ादी क़ानून के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में अमरीकी नौसेना ने भी कहा कि ट्रंप समाधि स्थल पर इसलिए न जा पाने की वजह बारिश थी.

ट्रंप के बयान की आलोचना करने वालों में नवंबर में राष्ट्रपति पद के लिए उनकी दावेदारी को चुनौती देने जा रहे जो बाइडन ने कहा कि ट्रंप देश का नेतृत्व करने में अनफ़िट हैं.

उन्होंने कहा है, "अगर वह आलेख सही है- अन्य बातों के आधार पर ऐसा प्रतीत भी होता है. उन्होंने जो कहा है वह अभद्र है, अपमान जैसा है."

अमरीकी सेना में रह चुकीं डेमोक्रेटिक सीनेटर टैमी डकवर्थ इराक में तैनाती के दौरान अपने दोनों पैर गवां चुकीं हैं. उन्होंने कहा, "डोनाल्ड ट्रंप अपनी इगो के लिए अमरीकी सेना का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं."

इराक में मारे गए एक सैनिक के पिता खिज़्र ख़ान ने टिम डकवर्थ की अपील का समर्थन किया है. वो 2016 में भी ट्रंप की आलोचना कर चुके हैं. उन्होंने कहा, "जब दूसरों की सेवा में अपनी जान गंवाने वालों को ट्रंप लूज़र कह सकते हैं तो इससे हम ट्रंप की आत्मा को समझ रहे हैं."

राष्ट्रपति कार्यालय कैसे निपट रहा है?

अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस ख़बर को फ़ेक़ न्यूज़ बताया है.

उन्होंने कहा, "हमारी सेना के ख़िलाफ़ मैं निगेटिव बयान दे सकता हूं, अपने हीरो के ख़िलाफ़ बयान दे सकता हूं, ऐसा सोचने से पहले यह देखें कि मैंने बजट में जो किया है वो किसी ने नहीं किया है. सैन्य बजट को बढ़ाया, सैन्यकर्मियों का वेतन बढ़ाया है. यह एक पत्रिका की ओर से घृणित क़दम है और ये पत्रिका एकदम बेकार पत्रिका है."

शुक्रवार को संवाददाताओं से बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि इस स्टोरी के सोर्स व्हाइट हाउस के पूर्व चीफ़ ऑफ़ स्टॉफ़ जॉन कैली हो सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अमरीका के पूर्व मरीन जनरल इस काम के दबाव को संभालने में सक्षम नहीं हैं.

अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने फ़ॉक्स न्यूज़ से शुक्रवार की सुबह बताया कि वो राष्ट्रपति के साथ इस दौरे पर थे और उन्होंने कभी ऐसे शब्द नहीं सुने.

वहीं अमरीकी रक्षा मंत्री मार्क इस्पर ने पोलिटिको पत्रिका से कहा है कि ट्रंप देश के सैनिकों, उनके परिवार के सदस्यों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवार के प्रति काफ़ी सम्मान रखते हैं. हालांकि उन्होंने इस ख़बर का स्पष्ट तौर पर खंडन नहीं किया है.

इसके अलावा व्हाइट हाउस के पूर्व चीफ़ ऑफ़ स्टॉफ़ मिक मुलवेने और पूर्व प्रेस सचिव सारा हकाबी सैंडर्स ने भी इस ख़बर को ग़लत बताया है. ये दोनों भी ट्रंप समर्थक माने जाते हैं.

ट्रंप और अमरीकी सेना का संबंध

अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमूमन दावा करते रहे हैं कि उन्हें सैन्य बिरादरी का मज़बूत समर्थन हासिल है. पिउ रिसर्च सेंटर ने बीते साल एक सर्वे में पाया था कि पूर्व सैनिक ट्रंप को कमांडर इन चीफ़ मानते हैं और क़रीब 57 फ़ीसदी पूर्व सैनिकों का समर्थन ट्रंप को हासिल है. इतना ही नहीं हर पांच पूर्व सैनिकों में तीन रिपब्लिकन समर्थक बताए गए थे.

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हालांकि सेना को लेकर डोनाल्ड ट्रंप के बयानों पर विवाद पहले भी हुए हैं. वियतनाम युद्ध के क़ैदी रहे और बाद में सीनेटर बने जॉन मैक्कन पर टिप्पणी करते हुए ट्रंप ने कहा था, "वो युद्ध के हीरो नहीं थे. मैं उन लोगों को पसंद करता हूं जो क़ैदी नहीं बने."

डोनाल्ड ट्रंप कभी अमरीका सेना में शामिल नहीं हुए. वियतनाम युद्ध के दौरान उन्हें पांच मौकों पर सेना में शामिल नहीं किया गया, चार बार अकादमिक वजहों से और एक बार एड़ी की हड्डियों में तकलीफ़ के चलते.(bbc)

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