राष्ट्रीय
नयी दिल्ली, 21 अक्टूबर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दिवाली की पूर्व संध्या पर रविवार को अयोध्या में रहेंगे। वह रामलला विराजमान की पूजा-अर्चना करेंगे और रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में चल रहे विकास कार्यों की भी समीक्षा करेंगे।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने शुक्रवार को एक बयान में यह जानकारी दी।
पीएमओ ने बताया कि प्रधानमंत्री रविवार की शाम भगवान श्री रामलला विराजमान की पूजा अर्चना करेंगे और इसके बाद तीर्थ क्षेत्र में चल रहे निर्माण कार्यों का मुआयना करेंगे।
प्रधानमंत्री करीब 5.45 बजे भगवान राम का ‘‘राज्याभिषेक’’ करेंगे और इसके बाद वह सरयू नदी के किनारे बने नए घाट पर आरती भी करेंगे तथा दीपोत्सव समारोह में शिरकत करेंगे।
अयोध्या में यह छठा मौका है जब दीपोत्सव समारोह का आयोजन किया जा रहा है। पहली बार प्रधानमंत्री इस कार्यक्रम में व्यक्तिगत रूप से भाग लेंगे।
इस अवसर पर अयोध्या में 15 लाख दीये जलाए जाएंगे।
पीएमाअे ने कहा कि दीपोत्सव के दौरान विभिन्न राज्यों के विभिन्न नृत्य रूपों के साथ पांच एनिमेटेड झांकियां और ग्यारह रामलीला झांकियां भी प्रदर्शित की जायेंगी।
प्रधानमंत्री भव्य म्यूजिकल लेजर शो के साथ-साथ सरयू नदी के तट पर राम की पैड़ी में 3-डी होलोग्राफिक प्रोजेक्शन मैपिंग शो भी देखेंगे। (भाषा)
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को 'पुलिस स्मृति दिवस' के मौके पर राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि दी.
इस दौरान शाह ने कहा कि बीते कुछ सालों में देश राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों से लगभग मुक्त हो गया है और ये हर देशवासी के लिए गर्व और संतुष्टी की बात है.
अमित शाह ने कहा, "बीते कुछ सालों में देश की आंतरिक सुरक्षा में सकारात्मक बदलाव आए हैं. पहले पूर्वोत्तर के राज्यों, जम्मू-कश्मीर में बड़े हमले होते थे, कई राज्य नक्सलवाद से भी प्रभावित थे."
अमित शाह ने कहा कि पहले सशस्त्र बलों को पूर्वोत्तर में विशेषाधिकार दिए जाते थे लेकिन अब इस क्षेत्र में युवाओं को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए विशेष शक्तियां दी गई हैं.
गृह मंत्री ने कहा, "पूर्वोत्तर राज्यों में 70 फ़ीसदी हमले कम होना इस क्षेत्र में सुधार का संकेत है. जम्मू-कश्मीर में भी युवा पत्थरबाज़ी करते थे. लेकिन आज वही युवा जम्मू और कश्मीर के लोकतांत्रिक विकास में शामिल हैं और पंच-सरपंच बन रहे हैं."
"नक्सलवाद से प्रभावित इलाकों में एक समय पर ख़ूब हमले हुआ करते थे लेकिन अब यहां के एकलव्य स्कूलों में राष्ट्रगान बजता है और तिरंगा फहराया जाता है."
गृह मंत्री ने कहा, "आज, मैं बहुत संतुष्ट हूं कि देश में राष्ट्रविरोध गतिविधियों के अधिकांश गढ़ अब इससे मुक्त हो गए हैं." (bbc.com/hindi)
भारत की साइबर सुरक्षा एजेंसी ने कहा है कि भारतीय ग्राहकों को फर्जी मेसेज के जरिए निशाना बनाया जा रहा है. ग्राहकों को फेक मेसेज भेजकर उनका डेटा चुराया जा रहा है. इस जालसाजी में कई चीनी वेबसाइट्स शामिल हैं.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
ग्राहकों को त्योहारी सीजन में ऐसे फर्जी मेसेज भेजकर उनकी निजी जानकारी चुराने की कोशिश की जा रही है. फेक मेसेज और फोन पर लिंक भेजकर ग्राहकों के डेटा चुराया जा रहा है. इन फेक मेसेज या लिंक्स में ऐसे दावे किए जाते हैं ग्राहक अगर सही जवाब देता है तो इनाम के लिए पात्र होगा. इसके बाद वह लिंक ग्राहकों को संदिग्ध वेबसाइटों की ओर ले जाता है जो संभावित रूप से बैंक खाते के विवरण, पासवर्ड और वन-टाइम पासवर्ड जैसे संवेदनशील डेटा चुरा सकती हैं.
इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉंस टीम (सीईआरटी-इन) की ओर से जारी एक एडवाइजरी के मुताबिक यूजर्स को ऐसे लिंक्स से टारगेट किया जा रहा है, जो चीनी वेबसाइटों तक ले जाते हैं और फिर ये वेबसाइट्स बैंकिंग डिटेल्स सहित महत्वपूर्ण जानकारियां चुरा सकती हैं.
सीईआरटी-इन का कहना है कि विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे व्हॉट्सऐप, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम आदि पर फेक मेसेज भेजे जा रहे हैं. फेक मेसेज ग्राहकों को उपहार लिंक और पुरस्कारों में लुभाने वाले उत्सव प्रस्ताव का झूठा दावा करते हैं.
सीईआरटी-इन का कहना है कि ऐसे मेसेज ज्यादातर महिलाओं को निशाना बनाकर भेजे जा रहे हैं. और उनसे इन लिंक्स को व्हॉट्सऐप, टेलीग्राम और इंस्टाग्राम पर अपने साथियों के साथ साझा करने को कहा जा रहा है.
राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा एजेंसी का कहना है कि इनमें अधिकतर वेबसाइट चीनी .cn डोमेन एक्सटेंशन का इस्तेमाल करती हैं, जबकि अन्य .xyz और .top जैसे एक्सटेंशन का उपयोग करती हैं.
सीईआरटी-इन का कहना है कि इस तरह के साइबर हमले वाले अभियान ग्राहकों के संवेदनशील डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा को प्रभावी ढंग से खतरे में डाल सकते हैं और इस कारण उनके साथ वित्तीय धोखाधड़ी हो सकती है.
कैसे काम करता है फेक मेसेज
सबसे पहले ग्राहकों को स्कैम लिंक वाला एक मेसेज मिलता है. यह अन्य पीड़ितों से आ सकता है जिन्हें अपने दोस्तों और परिवार के साथ लिंक साझा करने के लिए कहा गया है. एक बार जब कोई उपयोगकर्ता लिंक पर क्लिक करता है, तो उन्हें पहले एक झूठे "बधाई" संदेश द्वारा बधाई दी जाती है. इसके बाद उन्हें एक प्रश्नावली में डिटेल्स भरने के लिए कहा जाता है.
यूजर जब सवालों के जवाब दे देता है तो उसे सामानों के एक सेट से "उपहार" चुनने के लिए कहा जाता है. एक बार जब कोई यूजर ऐसा करता है, तो उसे एक और झूठे बधाई संदेश द्वारा बधाई दी जाती है जो उन्हें पुरस्कार का दावा करने के लिए व्हॉट्सएप या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दोस्तों और समूहों के साथ संदेश साझा करने के लिए कहता है.
क्या हैं बचने के उपाय
सीईआरटी-इन ने यूजर्स को इन फर्जी मेसेज और लिंक्स से बचने के उपाय भी बताए हैं. उसका कहना है कि इस तरह के फर्जीवाड़े से बचने के लिए सबसे पहले यूजर्स को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि वह किसी ऐसी वेबसाइट के लिंक पर क्लिक न करें, जिस पर उसे भरोसा नहीं है. यहां तक कि अगर कोई लिंक ऐसा लगता है कि यह उसे वैध वेबसाइट पर ले जाएगा, तो यह सुनिश्चित करने के लिए दोबारा जांच करें कि यह किसी तरह से उससे मिलती जुलती वेबसाइट तो नहीं है. संदेह होने पर लिंक को गूगल या अन्य सर्च इंजन पर सर्च करके इसकी वैधता की जांच कर सकते हैं.
सीईआरटी-इन ने कहा है कि वैध संगठन प्रश्नावली के माध्यम से यूजर्स के लॉगिन विवरण, क्रेडिट कार्ड नंबर या अन्य गोपनीय जानकारी नहीं मांगेंगे. उसका कहना है कि यूजर अपनी निजी जानकारी को गुप्त रखें. सिर्फ वैध वेबसाइट के साथ ही अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा करें. साथ ही उसका कहना है कि वैध वेबसाइट ईमेल या एसएमएस के जरिए लॉगिन की जानकारी या क्रेडिट कार्ड से जुड़ी जानकारी नहीं मांगती है. (dw.com)
भारत ने अमेरिकी तकनीकी कंपनी अल्फाबेट पर 1337.76 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने यह जुर्माना लगाया है.
भारत में उद्योगों के बीच प्रतिस्पर्धा की निगरानी करने वाली संवैधानिक संस्था प्रतिस्पर्था आयोग ने गूगल की मालिक कंपनी अल्फाबेट पर 1337.76 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. आयोग ने आदेश दिया है कि गूगल अपने प्लैटफॉर्म एंड्रॉयड का तौर-तरीका बदले.
एंड्रॉयड प्लैटफॉर्म पर प्रतिस्पर्धा के अस्वस्थ तौर-तरीके प्रयोग किए जाने को लेकर गूगल को यह सजा दी गई है. प्रतिस्पर्धा आयोग ने कहा कि गूगल ने बाजार में अपनी प्रभावशाली स्थिति का फायदा उठाया और एंड्रॉयड प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल क्रोम और यूट्यूब जैसी अपनी ऐप्स को आगे बढ़ाने के लिए किया.
आयोग ने गूगल पर कुछ प्रतिबंध भी लगाए हैं. मसलन, वह स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों के साथ रेवेन्यू साझा करने के कुछ समझौते नहीं कर पाएगी. आयोग के मुताबिक ऐसे समझौतों के कारण गूगल के अलावा किसी और कंपनी के ऐप्स डाउनलोड करना असंभव हो गया जिससे गूगल को अपने प्रतिद्वन्द्वियों को बाजार से बाहर रखने में मदद मिली.
एक बयान में आयोग ने कहा, "बाजारों में प्रतिस्पर्धा गुणों पर आधारित होनी चाहिए और इसकी जिम्मेदारी प्रभावशाली हिस्सेदारों पर होती है कि उनका व्यवहार गुणों पर आधारित इस प्रतिस्पर्धा का अतिक्रमण ना करे.”
भारत सरकार तकनीक कंपनियों के लिए नियमों को लगातार सख्त बना रही है. अमेरिकी कंपनी अल्फाबेट पर भारत में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के नियमों का उल्लंघन करने के कई मामले चल रहे हैं. भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग एक अन्य मामले में स्मार्ट टीवी और ऐप पेमेंट के क्षेत्र में भी गूगल की जांच कर रहा है.
2019 का मामला
गूगल के खिलाफ एंड्रॉयड प्लैटफॉर्म से जुड़ी जांच 2019 में शुरू हुई थी जब वकालत के एक छात्र और प्रतिस्पर्धा के क्षेत्र में शोध करने वाले दो जूनियर शोधकर्ताओं ने कंपनी के खिलाफ शिकायत की.
ऐसा ही मामला यूरोप में भी चला था, जहां गूगल पर 5 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया गया था. यह मामला भी एंड्रॉयड फोन बनाने वाली कंपनियों को अपने फोन में गूगल के पहले से इंस्टॉल ऐप उपलब्ध कराने के लिए मजबूर करने का था.
आयोग ने गूगल को आदेश दिया है कि ग्राहकों को किसी भी फोन में पहले से इंस्टॉल ऐप जैसे जीमेल या गूगल मैप हटाने की सुविधा दी जाए. इसके अलावा गूगल को यह सुविधा भी देनी होगी कि जब ग्राहक पहली बार अपने फोन में सेटिंग्स कर रहे हों तो वे अपनी मर्जी का सर्च इंजन चुन पाएं.
काउंटरपॉइंट रिसर्च नामक संस्था के मुताबिक भारत में 60 करोड़ स्मार्टफोन ग्राहक हैं और 97 प्रतिशत फोन गूगल के ऑपरेटिंग सिस्टम एंड्रॉयड पर चलते हैं.
एप्पल के खिलाफ भी जांच
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग अन्य तकनीकी कंपनी एप्पल के खिलाफ भी ऐसे ही मामलों में जांच कर रहा है.आयोग का कहना है कि शुरुआती छानबीन से लगता है कि एप्पल ने स्पर्धारोधी कानूनों का उल्लंघन किया. इसी साल जनवरी में आयोग ने कंपनी के खिलाफ जांच का आदेश एक स्वयंसेवी संस्था की शिकायत के आधार पर दिया था. 'टुगेदर वी फाइट सोसायटी' नामक इस संस्था ने पिछले साल शिकायत की थी कि ऐप बाजार में अपनी प्रभुत्व का एप्पल फायदा उठा रही है और डेवेलपर्स को अपना सिस्टम इस्तेमाल करने पर मजबूर कर रही है.
संस्था की दलील थी कि एप्पल की खरीदकर इस्तेमाल किए जाने वाली डिजिटल सामग्री पर 30 प्रतिशत इन-ऐप फीस और अन्य पाबंदियां प्रतिस्पर्धा के लिए हानिकारक हैं क्योंकि इससे ऐप डेवेलपर्स की लागत बढ़ जाती है और ग्राहकों की कीमत भी. शिकायत में आरोप लगाया गया कि इससे बाजार में प्रवेश करने में भी बाधा पैदा होती है.
वीके/एए (रॉयटर्स)
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर । पूर्व गृह मंत्री और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवराज पाटिल अपने उस बयान से पीछे हट गए हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि गीता में भी श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जिहाद का संदेश दिया था.
विवाद बढ़ने के बाद जब शिवराज पाटिल से मीडिया ने उनके बयान पर सवाल किया तो उन्होंने कहा, "ये जिहाद का संदेश देने की बात आप (मीडिया) कर रहे हैं जो जिहाद कह रहे हैं. क्या आप कृष्ण के अर्जुन को दिए संदेश को जिहाद कहेंगे क्या? नहीं कहेंगे न? यही मैं भी कह रहा था."
क्या कहा था शिवराज पाटिल ने?
इससे पहले गुरुवार को शिवराज पाटिल ने दिल्ली में एक किताब के विमोचन के दौरान कहा था कि सिर्फ़ क़ुरान नहीं बल्कि गीता में भी जिहाद की बात कही गई है.
शिवराज पाटिल ने कहा, "कहा जाता है कि इस्लाम धर्म के अंदर जिहाद की बहुत चर्चा है. लेकिन गीता और जीसस में भी जिहाद है. जब मन के स्वच्छ विचार कोई अगर समझता नहीं है, तब शक्ति का उपयोग करने को कहा जाता है. ये सिर्फ़ कुरान शरीफ़ में नहीं है. गीता के अंदर श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन से जिहाद की ही बात कही थी."
समाचार एजेंसी एएनआई के वीडियो में शिवराज ये भी कह रहे हैं कि ये बात ईसाइयों ने भी लिखी है. अगर सबकुछ समझने के बावजूद कोई हथियार लेकर आ रहा है, तो आप भाग नहीं सकते हैं. उसको आप जिहाद भी नहीं कह सकते हैं. ये तो नहीं होना चाहिए, हथियार लेकर समझाने की बात नहीं होनी चाहिए."
शिवराज पाटिल के इस बयान पर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा और इसे 'वोटबैंक का प्रयोग' बताया है.
शहज़ाद पूनावाला ने ट्वीट किया, "हिंदुओं से ये नफ़रत संयोग नहीं बल्कि वोटबैंक का प्रयोग है. गुजरात चुनाव से पहले वोटबैंक का ध्रुवीकरण के लिए ये जानबूझकर किया गया है. इससे पहले 'जनेऊधारी' राहुल गांधी भी हिंदुत्व के बारे में काफ़ी कह चुके हैं. उन्होंने कहा लश्कर-ए-तैयबा हिंदु संगठनों से कम ख़तरनाक है, दिग्विजय ने 26/11 हमले के लिए हिंदुओं पर आरोप लगाया." (bbc.com/hindi)
बेंगलुरु, 21 अक्टूबर | राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा का अंतिम चरण शुक्रवार से कर्नाटक में शुरू होगा। यात्रा आंध्रप्रदेश के मंत्रालय से कर्नाटक के रायचूर जिले में प्रवेश करेगी। इस बीच पार्टी सूत्रों के मुताबिक शनिवार को प्रियंका गांधी वाड्रा के भी यात्रा में शामिल होने की संभावना है।
यात्रा आंध्र प्रदेश के मंत्रालय मंदिर सर्किल से सुबह छह बजे शुरू हुई और यह कर्नाटक के रायचूर जिले के गिलसेगुर में सुबह 10 बजे प्रवेश कर गई।
कांग्रेस नेता गांधी जिले में तीन दिन तक पदयात्रा करेंगे। यात्रा तुंगभद्रा पुल को पार कर यारागेरा, रायचूर शहर और शक्तिनगर से होकर गुजरेगी।
यात्रा के दौरान राहुल गांधी किसानों और स्थानीय लोगों से बातचीत कर रहे हैं। वह यारागेरा गांव के रंगनाथ स्वामी मंदिर में ठहरे हुए हैं।
यात्रा 23 अक्टूबर को तेलंगाना में प्रवेश करेगी। कांग्रेस नेताओं को यात्रा के दौरान 20 से 30 हजार लोगों को इकट्ठा करने की जिम्मेदारी दी गई है।
सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 2,000 पुलिस कर्मियों की नियुक्ति की गई है। यात्रा को अब तक राज्य में जबरदस्त समर्थन मिला है। सोनिया गांधी ने भी दक्षिण कर्नाटक के मांड्या जिले में कुछ समय के लिए यात्रा में हिस्सा लिया था।
कांग्रेस के नेता यात्रा को लेकर उत्साहित हैं और उनका कहना है कि राज्य विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी ने गति पकड़ ली है। कर्नाटक में छह महीने में चुनाव होने हैं।
कांग्रेस नेताओं द्वारा किए गए आंतरिक सर्वेक्षण के मुताबिक राज्य विधानसभा चुनाव में उसे बहुमत सकता है।
यात्रा ने 30 सितंबर को कर्नाटक में प्रवेश किया था। यह राज्य में 511 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। (आईएएनएस)|
ग़ाज़ियाबाद, 21 अक्टूबर । ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली की 38 साल की महिला को अगवा कर कथित गैंग-रेप की बात पूरी तरह से झूठी थी.
पुलिस ने महिला के तीन दोस्तों को गिरफ़्तार कर लिया है. पुलिस का कहना है कि ये तीनों से इस साज़िश के हिस्सा थे. महिला की शिकायत पर इससे पहले पुलिस ने पाँच संदिग्धों को ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया था.
पुलिस ने कहा कि महिला के तीनों दोस्तों ने फ़र्ज़ी मामला बनाने का गुनाह स्वीकार कर लिया है. महिला के ये तीनों दोस्त हैं- दिल्ली में वेलकम के आज़ाद तहसीन, गौतमबुद्ध नगर में बादलपुर के गौरव शरण और ग़ाज़ियाबाद में कालिया भट्टा के मोहम्मद अफ़ज़ल.
मेरठ रेंज के आईजी प्रवीण कुमार ने गुरुवार शाम प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर कहा, ''हमने महिला के तीनों दोस्तों को गिरफ़्तार कर लिया है. इन तीनों ने इसे स्वीकार किया है कि पूरा मामला झूठ था. हमने सबूतों के आधार पर इनकी पुष्टि भी की है. रेप का नाटक पाँच व्यक्तियों के ख़िलाफ़ संपत्ति विवाद में रचा गया था. इन्हीं पाँचों को पहले संदिग्ध माना गया था.'' (bbc.com/hindi)
जमशेदपुर, 21 अक्टूबर | झारखंड में स्कूल की टर्मिनल परीक्षा के दौरान नकल के संदेह में कपड़े खुलवाकर जांच किये जाने से आहत होकर आत्मदाह करने वाली छात्रा ऋतु मुखी ने गुरुवार रात दम तोड़ दिया। जमशेदपुर के शारदामणि गर्ल्स स्कूल की नौवीं की छात्रा ने बीते 14 अक्टूबर को स्कूल से घर लौटने के बाद खुद पर केरोसिन उड़ेलकर आग लगा ली थी। उसका इलाज जमशेदपुर के टाटा मेन्स हॉस्पिटल में चल रहा था। छात्रा की मौत से स्थानीय लोग गुस्से में हैं। तनाव को देखते हुए जिला प्रशासन ने हॉस्पिटल से लेकर अंत्येष्टि स्थल पर सुरक्षा बलों की तैनाती की है। अंत्येष्टि शुक्रवार को दोपहर की जाएगी। जमशेदपुर की उपायुक्त विजया जाधव छात्रा की मौत की खबर मिलने पर टाटा मेन्स हॉस्पिटल पहुंचीं। रात में ही मेडिकल बोर्ड गठित कर छात्रा के शव का पोस्टमार्टम करा लिया गया। इस घटना पर राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संज्ञान लेते हुए उपायुक्त को पीड़ित परिवार को हरसंभव सहायता उपलब्ध कराने और छात्रा के बेहतर इलाज का निर्देश दिया था।
इस बीच नकल की जांच के नाम पर छात्रा के कपड़े उतरवाने वाली शिक्षिका चंद्रा दास को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। स्कूल की प्रिंसिपल गीता रानी महतो को निलंबित किया जा चुका है।
छात्रा के बयान के मुताबिक स्कूल की टर्मिनल परीक्षा के दौरान शिक्षिका चंद्रा दास ने उसे चिटिंग के आरोप में पकड़ा। सबके सामने उन्होंने थप्पड़ मारा। विरोध के बावजूद उन्होंने सभी के सामने कपड़े उतरवाकर उसकी तलाशी ली। उसके पास से कोई चिट नहीं मिली, लेकिन उसे प्रिंसिपल के कमरे में ले जाया गया। इस घटना से वह अपमानित और शर्मिदा महसूस कर रही थी। इसलिए उसने शाम में स्कूल से घर लौटने के बाद अपनी बहनों को पड़ोसी के घर भेजकर खुद को आग लगा ली। उसकी चीख सुनकर परिवार और पड़ोस के लोग दौड़े। लपटों से घिरी छात्रा पर पानी डालकर आग बुझाई गई। इसके बाद उसे गंभीर हालत में टाटा मेन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। (आईएएनएस)|
सस्ते इंटरनेट और अपनी रचनात्मक शक्ति की बदौलत भारत के गांव गांव में लोग यूट्यूब चैनल चला रहे हैं. चैनल लोकप्रिय होने से गांववालों की कमाई तो हो ही रही है लेकिन यह शुरुआत उन्हें बड़े सपने देखने का एक मौका भी दे रही है.
छत्तीसगढ़ के तुलसी गांव में एक गुलाबी टी शर्ट और काली टोपी पहने एक आदमी एक बैलगाड़ी पर घास के ढेर के आगे बैठा है. बैलगाड़ी गांव की धूल भरी सड़कों से गुजर रही है, तभी अचानक वह व्यक्ति एक कैमरे के आगे एक रैप गाना गाने लगता है.
ये जो हिप-हॉप वीडियो उसने अभी अभी बनाया ये बॉलीवुड से प्रेरित लेकिन घर पर ही बने उन कई वीडियो में से एक है जिन्हें उसके गांव के अपने यूट्यूब चैनल के लिए बनाया गया है. "बीइंग छत्तीसगढ़िया" चैनल पर 200 से ज्यादा वीडियो हैं और उसके करीब 1,20,000 सब्सक्राइबर हैं.
चैनल को ज्ञानेंद्र शुक्ला और जय वर्मा ने यूट्यूब पर पहले से मौजूद कई वीडियो से प्रेरित हो कर 2018 में शुरू किया था. और अब यह चैनल उनके लिए इतना जरूरी हो गया है कि उसे मैनेज करने के लिए दोनों ने अपनी अपनी नौकरियां छोड़ दी हैं.
तालाबंदी का असर
2020 में जब कोविड-19 महामारी की वजह से लगाई गई तालाबंदी ने कइयों का रोजगार छीन लिया तो उस समय गांव के कई लोग इस चैनल के काम में शामिल हुए. और अब आलम यह है कि गांव की करीब एक-तिहाई आबादी यूट्यूब के लिए कंटेंट बनाने के किसी न किसी काम में लगी हुई है. कोई एक्टिंग कर रहा है तो कोई पोस्ट-प्रोडक्शन.
32 वर्षीय शुक्ला कहते हैं, "शुरू में तो हमें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि किस तरह के वीडियो बनाएं और कैसे बनाएं. हमने मोबाइल फोन से शूट और एडिट करना शुरू किया लेकिन हमें बाद में लगा कि हमें अपग्रेड कर लेना चाहिए."
अब ये लोग हर महीने दो से तीन वीडियो बनाते हैं, जिनमें कॉमेडी से लेकर एक्शन-ड्रामा और छोटे शैक्षणिक वीडियो से लेकर म्यूजिक वीडियो तक शामिल हैं. चैनल की बदौलत ये लोग यूट्यूब से हर महीने करीब 40,000 रुपये कमा रहे हैं. इससे पहले अपनी नौकरियों में दोनों हर महीने 15,000 रुपये ही कमा पा रहे थे.
यूट्यूब की वेबसाइट के मुताबिक कंपनी उन्हीं चैनलों को चलाने वालों को पैसे देती है जिनके कम से 1,000 सब्सक्राइबर हों और 12 महीनों की अवधि में उनके वीडियो को कम से कम कुल 4,000 घंटों तक देखा गया हो.
सपनों की उड़ान
लेकिन अधिकांश पैसा प्रोडक्शन के सामान को अपग्रेड करने में खर्च हो जाता है और सिर्फ कुछ ही लोकप्रिय अभिनेताओं को उनके काम के लिए पैसे मिल पाते हैं. बाकी लोग अपने खाली समय में अपनी सेवाएं निशुल्क देते हैं क्योंकि या तो उन्हें खुद को स्क्रीन पर देखना पसंद है या उन्हें अभिनय से प्रेम है.
24 साल की पिंकी साहू इस चैनल के वीडियो का एक लोकप्रिय चेहरा हैं. वो कहती हैं, "मुझे अभिनेत्री बनना है. मैं कोशिश करते रहना चाहती हूं...हां, अगर मुझे मौका मिले तो मैं जरूर बॉलीवुड जाना चाहूंगी."
अभिनेता अलग अलग उम्र के हैं. नन्हे मुन्नों से लेकर 80 साल की दादियां भी अभिनय कर रही हैं. लेकिन यह चैनल कुछ लोगों को बड़े सपने देखने का मौका दे रहा है - वो सपने जो इस छोटे से गांव की सीमा से बाहर तक फैले हैं.
30 साल के वर्मा कहते हैं, "हम चाहते हैं कि हमें सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया जाने."
सीके/एए (रॉयटर्स)
पुलिस द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के मुल्जिमों की सरेआम पिटाई के मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने पुलिस और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
गुजरात हाई कोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार, अहमदाबाद रेंज के पुलिस महानिरीक्षक, खेड़ा जिले के पुलिस अधीक्षक और 13 स्थानीय पुलिस कर्मियों को उंधेला गांव में पुलिस द्वारा मुसलमानों की सार्वजनिक पिटाई की शिकायत पर जवाब मांगा है.
खेड़ा में 3 अक्टूबर को एक गरबा कार्यक्रम में पथराव की एक कथित घटना हुई थी. इसके बाद पुलिस ने गरबा आयोजन पर पथराव के आरोपियों को हिरासत में लिया था. आरोप है कि इसके बाद पथराव के आरोपियों को पुलिस ने गांव के चौराहे पर सार्वजनिक रूप से पिटाई की थी और उनसे सबके सामने माफी मंगवाया था. जिसके बाद इस मामले को लेकर काफी बवाल हुआ था.
पुलिस द्वारा सार्वजनिक रूप से पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था और पुलिस की कार्यवाही की आलोचना मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी की थी.
अब इस मामले में गुजरात हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री की बेंच ने राज्य सरकार और पुलिस को नोटिस जारी किया है. पुलिस द्वारा पिटाई के पांच पीड़ितों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी.
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय उन दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया जिसमें कहा गया है कि लोगों के साथ पुलिस हिरासत में किसी तरह बर्ताव किया जाना चाहिए.
याचिकाकर्ताओं ने पुलिस द्वारा प्रताड़ना लिए मुआवजे की मांग की है. याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील आईएच सैयद ने कोर्ट को बताया कि 3 अक्टूबर को पथराव की घटना हुई थी जिसके बाद पुलिस ने 40 लोगों को हिरासत में लिया था.
उसके अगले दिन छह लोगों को पुलिस गांव के चौक पर लेकर आई और उन्हें एक-एक कर सार्वजनिक रूप से खंभे से लगाकर पिटाई की. वकील ने कोर्ट को बताया कि सिविल ड्रेस में मौजूद पुलिसकर्मी ने पिटाई का वीडियो बनाया और उसे साझा किया गया.
हाई कोर्ट ने नोटिस जारी कर कथित रूप से पिटाई के आरोपी पुलिसकर्मियों को नोटिस जारी करते हुए 12 दिसंबर जवाब देने को कहा है. (dw.com)
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर | बाहरी दिल्ली के विकास नगर इलाके में पार्किंग को लेकर 42 वर्षीय एक व्यक्ति को पड़ोसी ने गोली मार दी। पुलिस ने आरोपी विकास नगर निवासी आशीष को गिरफ्तार कर लिया है। बाहरी जिले के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) समीर शर्मा ने बताया कि 17 अक्टूबर को रणहोला पुलिस स्टेशन में गोलीबारी की घटना के संबंध में पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर) में कॉल प्राप्त हुई थी।
डीसीपी ने बताया कि सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने घायल शेर सिंह को आशीर्वाद अस्पताल में भर्ती कराया। उसके सिर में गोली लगी थी। उसकी हालत खतरे से बाहर है।
घायल शेर सिंह ने अपने बयान में कहा कि उनके पड़ोसी आशीष ने सोमवार की शाम करीब सात बजे जब वह अपनी दुकान पर बैठा था, उसे गोली मार दी। पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। डीसीपी ने कहा कि पुलिस आरोपी को घटना के 24 घंटे के भीतर गंदा नाला से पकड़ने में कामयाब रही।
डीसीपी ने बताया कि पूछताछ के दौरान आरोपी ने कहा कि पार्किंग के मुद्दे पर उसका शेर सिंह से विवाद था। उसने आरोप लगाया कि शेर सिंह ने उसके परिवार पर काला जादू किया था और बदला लेना चाहता था।
डीसीपी ने कहा कि वारदात में इस्तेमाल देसी पिस्टल आरोपी ने अपने एक दोस्त सेोरीदी थी। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर । दिल्ली पुलिस ने चीन की एक महिला को फर्ज़ी पहचान के साथ देश में रहने और भारत-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोपों में गिरफ़्तार करने का दावा किया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने दिल्ली पुलिस के हवाले से बताया कि महिला का नाम काई रुओ है और वो चीन के हेनान प्रांत की रहने वाली हैं.
पुलिस के अनुसार, ये महिला भारत में नेपाली नागरिक बनकर रह रही थीं और इन्हें उत्तरी दिल्ली के मजनू का टीला इलाके से गिरफ़्तार किया गया है.
पुलिस ने बताया कि वेरिफ़िकेशन के दौरान महिला के पास से नेपाली नागरिकता प्रमाणपत्र मिला, जिसपर डोलमा लामा नाम लिखा था. हालांकि, जब विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय से इस बारे में पूछा गया तो पता लगा कि महिला चीन की नागरिक है और साल 2019 में भारत आई थी.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार महिला के ख़िलाफ़ 17 अक्टूबर को आईपीसी की धारा 120 बी, 419, 420, 467 और अन्य संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है. फिलहाल इस महिला को 14 दिनों की पुलिस हिरासत में भेजा गया है.
नोएडा, 21 अक्टूबर | नोएडा शहर की हाई राइज सोसाइटी में आवारा कुत्तों का आतंक और चल रहे विवाद को देखते हुए नोएडा अथॉरिटी की तरफ से शहर में 4 स्थानों पर डॉग शेल्टर बनाने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। इसका मकसद शिकायत के आधार पर वैसे लावारिस कुत्तों को डॉग शेल्टर में रखना होगा जो सड़क या सोसाइटी में राह चलते लोगों को काट लेते हैं। नोएडा प्राधिकरण की ओर से सेक्टर 34, सेक्टर 50, सेक्टर 93बी और सेक्टर 135 में चार डॉग शेल्टर बनाए जाएंगे। एक डॉग शेल्टर बनाने की लागत करीब 16 लाख रूपए आएगी। यहां करीब 50 लावारिस कुत्तों को रखने की व्यवस्था होगी। लोहे की जाली में कुत्ते रखे जाएंगे। उनके लिए खाने, पानी और शेड की भी व्यवस्था होगी। इसके साथ साथ आने वाले समय के लिए शहर में 18 अन्य स्थानों को भी चिन्हित किया जा रहा है। जहां पर प्राधिकरण के तरफ से भविष्य में डॉग शेल्टर बनाए जाएंगे।
लावारिस और पालतू कुत्तों के लिए शहर में डॉग पॉलिसी बनाने की कवायद प्राधिकरण कर रहा है। पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। कुछ विशेषज्ञों की सलाह अभी बाकी है। इसके बाद मंथन किया जाएगा। पॉलिसी तैयार करने के बाद सीओ से मंजूरी ली जाएगी। फिर इसे पूरे शहर में लागू कर दिया जाएगा। (आईएएनएस)|
कोलकाता, 21 अक्टूबर | कोलकाता पुलिस की खुफिया विभाग ने शुक्रवार को शहर में ऋण-सह-विदेशी मुद्रा गबन घोटाले के मुख्य आरोपी शैलेश पांडे और तीन अन्य को ओडिशा और गुजरात से गिरफ्तार किया। इनमें दो शैलेश के भाई अरविंद व रोहित हैं। पुलिस सूत्रों ने बताया कि आरोपियों को ट्रांजिट रिमांड पर कोलकाता वापस लाने की प्रक्रिया चल रही है। संभावना है कि वे शुक्रवार दोपहर तक यहां पहुंच जाएंगे।
इस बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मामले में विदेशी मुद्रा लेनदेन के पहलू से भी मामले की जांच शुरू कर दी है।
इसके पहले सप्ताह के शुरू में कोलकाता पुलिस ने शैलेश और अरविंद पांडे के आवासों पर छापेमारी की थी। इस दौरान भारी मात्रा में सोने और हीरे के आभूषणों के साथ लगभग 8 करोड़ रुपये की नकदी भी जब्त की थी।
वहीं पुलिस ने शैलेश पांडे के दो बैंक खातों में जमा 20 करोड़ रुपये की राशि को भी सील कर दिया है।
चार्टर्ड अकाउंटेंट होने का दावा करने वाला शैलेश लोगों को कर्ज के प्रस्तावों को मंजूरी दिलाने का वादा कर ठगी करता था। (आईएएनएस)|
श्रीनगर, 21 अक्टूबर | जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को शुक्रवार को अधिकारियों ने श्रीनगर के उच्च सुरक्षा वाले गुप्कर रोड आवास को खाली करने को कहा। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि संपदा विभाग ने मुफ्ती को नोटिस देकर फेयर व्यू आवास को जल्द से जल्द खाली करने को कहा है। फेयर व्यू महमूबा मुफ्ती और उनके पिता मुफ्ती मुहम्मद सईद का सरकारी निवास था, जब वे मुख्यमंत्री थे।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 में केंद्र सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी आवास पर कब्जा करने की अनुमति देने वाले कानून में बदलाव कर दिया था।
सूत्रों ने बताया कि महबूबा मुफ्ती को उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वैकल्पिक आवास की पेशकश की गई है।
एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को भी पिछले साल गुप्कर रोड स्थित उनके सरकारी आवास से बेदखल कर दिया गया था। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 20 अक्टूबर | हिमाचल प्रदेश विधान सभा चुनाव को लेकर भाजपा ने अपने छह उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी है। दूसरी लिस्ट में भाजपा ने देहरा से रमेश धवाला, ज्वालामुखी से रविन्द्र सिंह रवि, कुल्लू से महेश्वर सिंह, बडसर से माया शर्मा, हरोली से रामकुमार और रामपुर विधान सभा क्षेत्र से कौल नेगी को उम्मीदवार बनाया है। इससे पहले भाजपा ने बुधवार, 19 अक्टूबर को हिमाचल चुनाव को लेकर अपनी पहली लिस्ट में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सहित 62 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की थी। छह उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट के साथ ही भाजपा ने राज्य विधान सभा चुनाव के लिए सभी 68 सीटों पर उम्मीदवार की घोषणा कर दी है।
हिमाचल प्रदेश चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। नामांकन भरने की आखिरी तारीख 25 अक्टूबर है। प्रदेश में 12 नवंबर को मतदान होना है और 8 दिसंबर को मतगणना होगी।
प्रदेश में हर चुनाव में सरकार बदल जाने की परंपरा को बदलने और लगातार दूसरी बार चुनाव जीतकर राज्य में सरकार बनाने के मिशन में जुटी भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का गृह राज्य होने के कारण इस पहाड़ी राज्य में भाजपा आलाकमान की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 अक्टूबर । बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती ने नया अध्यक्ष चुने जाने के बाद कांग्रेस पार्टी पर तंज कसा है और कहा है कि पार्टी बुरे दिनों में दलितों को बलि का बकरा बना देती है.
मल्लिकार्जुन खड़गे बुधवार को कांग्रेस पार्टी के नए अध्यक्ष चुने गए हैं. खड़गे पार्टी के दलित नेता हैं. अध्यक्ष पद के चुनाव में खड़गे का मुक़ाबला शशि थरूर से था.
बीएसपी चीफ़ ने कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव पर ट्वीट किया, "कांग्रेस का इतिहास गवाह है कि इन्होंने दलितों व उपेक्षितों के मसीहा परमपूज्य बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर व इनके समाज की हमेशा उपेक्षा/तिरस्कार किया. इस पार्टी को अपने अच्छे दिनों में दलितों की सुरक्षा व सम्मान की याद नहीं आती बल्कि बुरे दिनों में इनको बलि का बकरा बनाते हैं."
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी को अपने अच्छे दिनों के लंबे समय में गैर-दलितों को आगे रखने की याद आती है. उन्होंने सवाल किया कि क्या ये छलावा नहीं है?
नई दिल्ली, 20 अक्टूबर | देश में 84 प्रतिशत लोगों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग एक वास्तविकता है जिसे अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह 2011 की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है जब 69 प्रतिशत भारतीयों की राय थी कि ग्लोबल वार्मिंग अब एक वास्तविकता है। येल प्रोग्राम ऑफ क्लाइमेट चेंज कम्युनिकेशन की ओर से सीवोटर द्वारा किए गए एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण से यह खुलासा हुआ है।
सर्वे अक्टूबर 2021 और जनवरी 2022 के बीच आयोजित किया गया और 18 साल से अधिक की उम्र के 4,619 वयस्क भारतीयों से सवाल पूछे गए। स्पष्ट रूप से, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव उन समुदायों में दिखाई दे रहे हैं जहां वे रहते हैं, ग्लोबल वार्मिंग अब समकालीन भारतीयों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। जलवायु परिवर्तन पर इसी तरह का एक सर्वे 2011 के अंत में आयोजित किया गया था जो भारतीयों के जागरूकता के स्तर के बारे में जानने के लिए किया गया था।
फिर भी, येल की ओर से सीवोटर द्वारा किए गए सर्वे से यह भी पता चलता है कि बहुत सारे भारतीय उत्तरदाताओं को ग्लोबल वार्मिंग की एक संक्षिप्त परिभाषा देने की जरूरत है और इससे पहले कि वे इस विवाद से सहमत हों कि ग्लोबल वार्मिंग वास्तव में हो रही है, यह मौसम के पैटर्न को कैसे प्रभावित करता है।
उत्तरदाताओं को परिभाषा और संक्षिप्त विवरण दिए बिना जागरूकता का स्तर बहुत अधिक नहीं था। उदाहरण के लिए, सर्वे से पता चलता है कि 54 प्रतिशत भारतीय या तो ग्लोबल वार्मिंग के बारे में थोड़ा ही जानते हैं या इसके बारे में कभी नहीं सुना है, जबकि 9 प्रतिशत ने कहा कि वे ग्लोबल वार्मिंग के बारे में बहुत कुछ जानते हैं।
इस विषय पर बोलते हुए, येल विश्वविद्यालय के डॉ. एंथनी लीसेरोविट्ज ने कहा, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है, हालांकि, इस मुद्दे के बारे में जागरूकता की कमी का मतलब यह नहीं है कि व्यक्तियों ने स्थानीय मौसम और जलवायु पैटर्न में बदलाव नहीं देखा है।
ऑकलैंड विश्वविद्यालय के डॉ जगदीश ठाकर ने कहा, इससे पता चलता है कि भारत में कई लोगों ने अपने स्थानीय जलवायु और मौसम के पैटर्न में बदलाव देखा होगा, यह समझे बिना कि ये परिवर्तन वैश्विक जलवायु परिवर्तन के व्यापक मुद्दे से संबंधित हैं।
भारत में लगभग चार में से तीन लोगों ने पिछले 10 वर्षों में अपने क्षेत्र में वर्षा में बदलाव देखा है। भारत भौगोलिक रूप से विविध है, और देश के विभिन्न हिस्सों में गर्मी, वर्षा और चरम मौसम के विभिन्न पैटर्न का अनुभव होता है। भारत में अधिकांश लोगों का कहना है कि उन्होंने अपने क्षेत्र में स्थानीय जलवायु और मौसम के मिजाज में बदलाव देखा है।
राष्ट्रीय स्तर पर, भारत में दस में से चार लोगों (46 प्रतिशत) का कहना है कि पिछले 10 वर्षों में उनके स्थानीय क्षेत्र में वर्षा की औसत मात्रा में वृद्धि हुई है, जबकि 30 प्रतिशत का कहना है कि इसमें कमी आई है, और 22 प्रतिशत का कहना है कि यह रुकी हुई है। 2011 की तुलना में, भारत में लोगों का एक उच्च प्रतिशत अब कहता है कि पिछले 10 वर्षों (12 प्रतिशत से अधिक) में उनके स्थानीय क्षेत्र में वर्षा की औसत मात्रा में वृद्धि हुई है, जबकि एक छोटे प्रतिशत का कहना है कि इसमें कमी (16 प्रतिशत) हुई है।
इस मुद्दे पर सीवोटर इंटरनेशनल के संस्थापक और निदेशक, यशवंत देशमुख ने कहा, ट्रेंड स्पष्ट है। पिछले एक दशक में, भारत के लोग जलवायु परिवर्तन, जलवायु नीतियों के समर्थन के बारे में बहुत अधिक चिंतित हो गए हैं, और चाहते हैं कि भारत सरकार जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक नेता बने।
इसके अतिरिक्त, भारत में 35 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे सप्ताह में कम से कम एक बार मीडिया प्लेटफॉर्म से ग्लोबल वार्मिंग के बारे में सुनते हैं। अधिकांश भारतीय (57 प्रतिशत) सोचते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग मानवीय गतिविधियों का परिणाम है जबकि 31 प्रतिशत का मानना है कि परिवर्तन प्राकृतिक कारणों से हुआ है। जब व्यक्तिगत रूप से ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों का अनुभव करने वाले भारतीयों की बात आती है, तो 2011 की तुलना में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसमें 74 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस तर्क से सहमति व्यक्त की है। (आईएएनएस)|
संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने अपने दो दिवसीय भारत दौरे के दौरान कहा कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना भारत की जिम्मेदारी है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
गुटरेश की यात्रा की शुरूआत मुंबई से हुई. उन्होंने मुंबई के होटल ताज पैलेस में 26/11 के आतंकी हमले के मृतकों को श्रद्धांजलि दी. मुंबई हमले में डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और दर्जनों घायल हुए थे.
इस साल जनवरी में दूसरी बार कार्यभार संभालने के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा है. इससे पहले उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान अक्टूबर 2018 में भारत का दौरा किया था.
आतंकी हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा, "मैं पीड़ितों को श्रद्धांजलि देता हूं, मैं उनके परिवारों, दोस्तों, भारतवासियों और दुनिया के अन्य हिस्सों के उन सभी लोगों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करना चाहता हूं जिन्होंने मुंबई हमले में अपनी जान गंवाई."
उन्होंने आगे कहा, "कोई भी कारण आतंकवाद को सही नहीं ठहरा सकता. आज की दुनिया में इसका कोई स्थान नहीं है. यहां इतिहास की सबसे बर्बरता वाली आतंकवादी घटनाओं में से एक घटी जिसमें 166 लोगों ने अपनी जान गंवाई."
साथ ही उन्होंने कहा कि आतंकवाद से लड़ना हर देश के लिए वैश्विक प्राथमिकता होनी चाहिए और आतंकवाद से लड़ना संयुक्त राष्ट्र के लिए एक केंद्रीय प्राथमिकता है.
इसके बाद उन्होंने आईआईटी बॉम्बे के छात्रों को संबोधित करते हुए भारत को अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की सीख दी. उन्होंने छात्रों से बात करते हए कहा, "मानवाधिकार परिषद के एक निर्वाचित सदस्य के रूप में भारत पर वैश्विक मानवाधिकारों को आकार देने और अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों समेत सभी व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा और उसे बढ़ावा देने की जिम्मेदारी है."
उन्होंने कहा, "मानवाधिकारों के सम्मान के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता दिखाकर ही विश्व में भारत की बात को स्वीकार्यता और विश्वसनीयता हासिल हो सकती है."
2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से ही आलोचकों का कहना है कि देश के अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न और अभद्र भाषा में तेजी आई है. यही नहीं, सरकार के आलोचकों और पत्रकारों खास तौर पर महिला पत्रकारों के प्रति भी नफरत बढ़ी है. हाल के सालों में कई महिला पत्रकारों को बलात्कार की धमकी समेत ऑनलाइन हेट के मामलों का सामना करना पड़ा है.
गुटेरेश ने ब्रिटेन से आजादी के 75 साल बाद भारत की उपलब्धियों की प्रशंसा भी की. गुटेरेश ने यह भी स्पष्ट रूप से कहा, "बहुलता का भारतीय मॉडल एक सरल लेकिन गहरी समझ पर आधारित है. विविधता एक ऐसी खूबी है जो आपके देश को मजबूत बनाती है. यह समझ रखना हर भारतीय का जन्मसिद्ध अधिकार है, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है. इसे हर दिन बेहतर और मजबूत बनाना चाहिए."
उन्होंने पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, छात्रों और शिक्षाविदों के अधिकारों और उनकी आजादी की रक्षा करने और भारत की न्यायपालिका की निरंतर स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की जरूरत पर भी जोर दिया.
भारत यात्रा के दौरान गुटेरेश की मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी होगी. इसके बाद भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर गुटेरेश के साथ द्विपक्षीय चर्चा करेंगे. (dw.com)
कांग्रेस पार्टी में सालों से बने हुए नेतृत्व के असमंजस का अंत हो गया है, लेकिन नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को एक तरफ सत्तारूढ़ बीजेपी से लड़ना है और दूसरी तरफ गांधी परिवार के प्रतिनिधि होने की छवि से.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में 24 सालों में पहली बार गांधी परिवार के बाहर से कोई कांग्रेस का सदस्य पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना है. 1978 से पार्टी की अध्यक्षता नेहरू-गांधी परिवार के पास ही रही है. सिर्फ 1992 से 1996 तक पी वी नरसिम्हा राव और फिर 1996 से 1998 तक सीताराम केसरी अध्यक्ष रहे.
1998 से लेकर 2017 तक सोनिया गांधी का बतौर अध्यक्ष एक मजबूत कार्यकाल रहा, जिस दौरान शुरुआती झटकों के बाद पार्टी ने लगातार दो बार केंद्र में सरकार बनाई. लेकिन 2014 में सत्ता से बाहर होते ही पार्टी के लिएसंकट के एक लंबे दौर की शुरुआत हो गई, जिसका अंत अभी भी नहीं हुआ है.
2017 में राहुल गांधी ने अध्यक्षता संभाली लेकिन 2019 में लगातार दूसरी बार लोक सभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और अध्यक्ष पद बिगड़ते हुए स्वास्थ्य से जूझती उनकी मां के पास वापस चला गया.
चुनौतियों की लंबी सूची
लेकिन पार्टी के संकटों का अंत नहीं हुआ. कर्नाटक में चुनाव जीतने के बावजूद सत्ता हाथ से निकल गई. पंजाब में पार्टी चुनाव हार गई और सत्ता से बाहर हो गई. महाराष्ट्र में पुराने प्रतिद्वंदी शिव सैनिकों के साथ बनाया गया गठबंधन भी धराशायी हो गया और वहां भी पार्टी सत्ता से बेदखल हो गई.
राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में अंतरकलह बढ़ गया. राजस्थान में तो दो बार पार्टी टूटने के कगार पर पहुंच गई. कार्यकर्ताओं और पुराने नेताओं का पार्टी छोड़ कर जाना जारी रहा. अमरिंदर सिंह, कपिल सिबल, गुलाम नबी आजाद आदि जैसे बड़े नेता पार्टी छोड़ कर चले गए.
और कांग्रेस अध्यक्ष चुनावों से ठीक पहले अशोक गहलोत को लेकर जो हुआ उससे तो केंद्रीय नेतृत्व की साख पर बट्टा भी लगा और केंद्रीय नेतृत्व का राज्यों में पार्टी की इकाइयों से विसंबंधन भी उजागर हो गया. सालों से यह सब चुपचाप देख रहे पार्टी के कई सदस्यों की तरह खड़गे को भी इन हालात से जन्मी चुनौतियों का एहसास होगा.
करीब हैं 2024 के चुनाव
अब देखना यह है कि वो इन चुनौतियों से कैसे जूझते हैं. उनके साथ अतिरिक्त बोझ गांधी परिवार के प्रतिनिधि होने की उनकी छवि का भी है. ऐसे में क्या वो स्वतंत्र रूप से अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियां निभा पाएंगे या गांधी परिवार के ही इशारों पर निर्भर रहेंगे, इस तरह के सवालों का उन्हें जवाब देना होगा.
उनके पास ज्यादा समय भी नहीं है. अगले लोक सभा चुनावों में अब दो साल से भी कम का समय बचा है. विपक्ष का नेतृत्व करने की दावेदारी में भी कांग्रेस पीछे है. तृणमूल कांग्रेस, जेडीयू, आम आदमी पार्टी, टीआरएस आदि जैसी पार्टियां भी लगातार अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं.
खड़गे को एक साथ कई मोर्चों पर काम करना पड़ेगा - अपनी पार्टी की कमर कसना, विपक्ष की दूसरी पार्टियों के साथ तालमेल बनाना और बीजेपी को चुनौती देना. देखना होगा कि वो इन लक्ष्यों में कितने सफल हो पाते हैं. (dw.com)
दिल्ली में दिवाली पर पटाखे जलाने वालों को छह महीने तक की जेल हो सकती है. राज्य के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने यह ऐलान किया है.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
दिल्ली ने दिवाली पर पर्यावरण प्रदूषणको नियंत्रण में रखने के लिए सख्त कदमों का ऐलान किया है. राज्य के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि जो लोग पटाखे जलाते पकड़े जाएंगे, उन्हें छह महीने तक की जेल हो सकती है. राज्य में पहले ही पटाखे जलाने पर प्रतिबंध है. हालांकि इसके बावजूद पिछले साल बड़ी तादाद में पटाखे जलाए गए थे.
लगभग दो करोड़ लोगों की आबादी वाला दिल्ली शहर दुनिया की सबसे प्रदूषित राष्ट्रीय राजधानी के रूप में बदनाम है. सर्दियों के मौसम में तो दिल्ली की हवा की हालत बेहद खराब हो जाती है. पीएम 2.5 लेवल अत्यधिक खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है और सांस लेना तक दूभर हो जाता है.
गोपाल राय ने मीडिया को बताया कि जो कोई पटाखे जलाता पकड़ा जाएगा, उसे 200 रुपये जुर्माना और छह महीने की जेल हो सकती है. पटाखे जमा करते या बेचते पकड़े जाने वालों के लिए 5,000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है. उन्हें तीन साल तक की जेल भी हो सकती है.
दिवाली पर पटाखे जलाना भारत में पुरानी परंपरा रही है लेकिन बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दो साल पहले इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. दिल्ली सरकार ने राज्य में पटाखे बेचना और इस्तेमाल करना दोनों पर प्रतिबंध लगाया हुआ है. पिछले महीने ही पटाखों पर व्यापक प्रतिबंध लगाया गया जो 1 जनवरी तक जारी रहेगा.
राय ने कहा, "हर साल दिवाली के आसपास प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है. इसकी बड़ी वजह पटाखे जलाए जाना है. पटाखों से होने वाला उत्सर्जन खासतौर पर बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए बेहद खतरनाक है.” प्रतिबंध सुनिश्चित करने के लिए रेवन्यू डिपार्टमेंट ने 165 टीमें बनाई हैं. इसके अलावा दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की 33 और दिल्ली पुलिस की 210 टीमें भी इस दौरान निगरानी करेंगी. गोपाल राय ने बताया कि 1 सितंबर को प्रतिबंध लागू किए जाने के बाद से 188 मामले दर्ज किए जा चुके हैं और 2,197 किलोग्राम पटाखे जब्त हुए हैं.
राय ने बताया कि इसके तहत एक जागरूकता अभियान की शुरुआत की जा रही है, जिसे ‘दीये जलाओ, पटाखे नहीं' नाम दिया गया है. 21 अक्टूबर से इस अभियान की शुरुआत होगी, जबकि 24 अक्टूबर को दिवाली मनाई जाएगी. राय ने बताया कि दिल्ली सरकार कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में 51,000 दीये जलाएगी.
भावनात्मक मुद्दा
दिवाली पर पटाखे जलाने पर प्रतिबंध को कुछ हिंदू धार्मिक भावनाओं से जोड़कर भी देखते हैं. ऐसे लोगों का कहना है कि पटाखे जलाने पर प्रतिबंध लगाकर उनकी धार्मिक आजादी के साथ छेड़छाड़ की जा रही है. यही वजह है कि दिवाली पर पटाखों पर प्रतिबंध एक विवादित विषय बना हुआ है और इसका खासा विरोध होता है.
दिल्ली सरकार द्वारा सख्ती का ऐलान करते ही सोशल मीडिया पर इसे लेकर पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी टिप्पणियों का आदान प्रदान हो रहा है. एक ट्विटर यूजर सूरज बरमन ने लिखा, "मैं अपने कुत्तों की खातिर इस साल दिवाली पर पटाखे नहीं जलाऊंगा. इसका मतलब यह नहीं कि जो जलाते हैं, मैं उनका सम्मान नहीं करता. मुझे हिंदू होने पर गर्व है और अपने त्योहारों पर गर्व है.”
रजनीश चूनी ने लिखा, "अक्टूबर खत्म होने वाला है और मौसम की ओर देखिए. गर्मी! इस आग में घी डालना अतार्किक, अनचाहा और गैरजरूरी होगा, पटाखे जलाना, शोर करना और हर तरह का संभव प्रदूषण फैलाना.”
प्रतिबंध का मामला सुप्रीम कोर्ट में
पटाखों पर प्रतिबंध के बारे में मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है. हालांकि इसी महीने पटाखों पर बैन को लेकर जब एक वकील ने आपात सुनवाई की याचिका दी तो अदालत ने उसे खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि दिवाली आ रही है और लोगों ने पटाखों के धंधे में बहुत पैसा लगाया होगा.
मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच ने याचिका ठुकराते हुए कहा, "माफ कीजिए, इस मामले पर अब सुनवाई नहीं करेंगे. दिवाली आने वाली है और आप अब आए हैं. लोगों ने पटाखे के धंधे में निवेश किया होगा. आपको दो महीने पहले आना चाहिए था.”
बेंच ने कहा कि इस मामले पर अब सुनवाई बाद में ही होगी. उन्होंने कहा, "अब तो हम इस मामले पर सुनवाई नहीं कर पाएंगे. नहीं तो देखिए, कैसे परिणाम होंगे. कुछ भी किया तो उन लोगों के काम-धंधे ठप्प हो जाएंगे. माफ कीजिए, अब यह दिवाली के बाद होगा.”
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार द्वारा पटाखों पर लगाए गए पूर्ण प्रतिबंध को रोकने से भी इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि वह प्रदूषण में और इजाफा नहीं चाहता. हालांकि यह याचिका ग्रीन-पटाखे बेचने वालों ने दायर की थी. वे चाहते थे कि पूर्ण प्रतिबंध ना लगाया जाए. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पूर्ण प्रतिबंध नहीं है, सिर्फ उन पटाखों पर प्रतिबंध है जिनमें बेरियम होता है. (dw.com)
एक और भारतीय पत्रकार को विदेश जाने से रोक दिया गया. भारत सरकार द्वारा पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को विदेश यात्राओं से रोकने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इसकी आलोचना की है.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
पुलित्जर पुरस्कार लेने जाती कश्मीरी पत्रकार को एयरपोर्ट पर रोके जाने के बादअमेरिका ने कहा है कि भारत को मीडिया की आजादी का सम्मान करना चाहिए. फोटो-पत्रकार सना इरशाद मट्टू पुलित्जर पुरस्कार लेने के लिए मंगलवार को दिल्ली से न्यूयॉर्क जा रही थीं, लेकिन उन्हें अधिकारियों ने विमान में नहीं चढ़ने दिया.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि उन्हें इस घटना की जानकारी है और वे हालात पर करीबी निगाह बनाए हुए हैं. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने मीडिया से बातचीत में कहा, "मीडिया की आजादी समेत लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति साझी प्रतिबद्धता भारत-अमेरिका संबंधों का आधार है.”
पटेल ने हालांकि इसके बारे में और अधिक जानकारी देने से इनकार कर दिया. उन्होंने यह भी नहीं बताया कि अमेरिकी अधिकारियों ने यह मामला भारत के समक्ष उठाया है या नहीं.
आलोचकों का कहना है कि 2014 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद से भारत में मीडिया की आजादी लगातार कम हुई है और खासतौर पर महिला पत्रकारों व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को ऑनलाइन उत्पीड़न झेलना पड़ रहा है. बुधवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने अपनी मुंबई यात्रा के दौरान एक आयोजन में भी यह मुद्दा उठाया था. यूएन महासचिव अंटोनिया गुटेरेश ने कहा कि भारत को "पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, छात्रों और शिक्षकों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए.”
मट्टू रॉयटर्स के लिए काम कर रहीं उन तीन पत्रकारों में से एक हैं जिन्हें इस साल का प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार दिया गया है. प्रतिष्ठित मैग्नम फाउंडेशन की फेलो मट्टू ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि अधिकारियों ने उनके टिकट पर ‘बिना किसी पूर्वाग्रह के रद्द' की मुहर लगा दी.
उन्होंने कहा, "मुझे समझ नहीं आ रहा कि क्या बोलूं. ऐसा मौका जीवन में किसी को एक बार ही मिलता है. सिर्फ मुझे बिना किसी वजह के रोक लिया गया जबकि अन्य दो को जाने दिया गया. शायद ऐसा मेरे कश्मीरी होने की वजह से है.”
कश्मीरी पत्रकारों की मुश्किल
यह दूसरी बार है जब मट्टू को भारतीय अधिकारियों ने विदेश जाने से रोका है. जुलाई में भी उन्हें इसी तरह एयरपोर्ट पर रोक लिया गया था जब वह अपनी एक फोटो प्रदर्शनी के लिए पेरिस जा रही थीं.
2019 में धारा 370 निरस्त करके जम्मू और कश्मीर को मिला विशेष दर्जा खत्म किए जान के बाद से राज्य में विदेशी पत्रकारों के जाने पर मनाही है और स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि उन्हें बेहद दबाव में काम करना पड़ रहा है. यह पहला मामला नहीं है जब भारतीय अधिकारियों ने किसी कश्मीरी पत्रकार को विदेश जाने से रोका है. इससे पहले गार्डियन अखबार के लिए लिखने वाले स्वतंत्र पत्रकार आकाश हसन को जुलाई में दिल्ली से काम के सिलसिले में श्रीलंका जाने से रोका गया था.
आकाश हसन ने बताया कि महीनों बाद भी उन्हें यह नहीं बताया गया है कि उन्हें किस वजह से यात्रा की इजाजत नहीं दी गई. हसन ने कहा, "पैटर्न को देखें तो लगता है कि ऐसा सिर्फ कश्मीरी पत्रकारों के साथ किया जा रहा है.”
‘कमेटी टु प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स' की बे ली ने भारत के इस कदम की आलोचना की है. उन्होंने एक बयान जारी कर कहा, "मट्टू को देश से बाहर जाने से रोकना एक मनमाना और अतिशय निर्णय था. भारत को कश्मीर में काम कर रहे पत्रकारों के किसी भी तरीके से उत्पीड़न और धमकाने को फौरन बंद करना चाहिए.”
विदेश जाने से रोकने की घटनाएं
कश्मीरी पत्रकारों के अलावा भी कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जबकि भारत सरकार ने लोगों को बाहर जाने से रोका. बीती मार्च में पत्रकार और लेखिका राणा अय्यूब को लंदन जाने से रोक दिया गया था. मनी लॉन्डरिंग के मामले में आरोपी पत्रकार राणा अय्यूब को अधिकारियों ने विमान में नहीं चढ़ने दिया था
तब ट्विटर पर अय्यूब ने लिखा, "मुझे आज मुंबई इमिग्रेशन ने यात्रा करने से रोक दिया. मैंने हफ्तों पहले ही इस बारे में ऐलान कर दिया था. तब भी, उत्सुकता की बात यह है कि ईडी का समन रोक दिए जाने के बाद मेरे इनबॉक्स में पहुंचा.” अय्यूब को ‘इंटरनेशनल सेंटर फॉर जर्नलिस्ट्स' में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेना था. वहां वह ‘महिला पत्रकारों के खिलाफ' हिंसा विषय पर बोलने वाली थीं.
उसके बाद अप्रैल में एमनेस्टी इंडिया के प्रमुख आकार पटेल को तब विदेश जाने से रोक लिया गया जब वह बेंगालूरु से अमेरिका की फ्लाइट में चढ़ने वाले थे. पटेल ने ट्विटर पर बताया, "बेंगलुरू एयरपोर्ट पर भारत से बाहर जाने से रोक दिया गया. सीबीआई अफसर ने फोन करके बताया कि मेरे खिलाफ लुक-आउट नोटिस है क्योंकि मोदी सरकार ने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया पर मुकदमा किया हुआ है.”
मट्टू को रोके जाने की घटना के बाद एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एक बयान जारी कर भारत से ‘मनमाने यात्रा प्रतिबंधों' का इस्तेमाल ना करने का आग्रह किया है. एमनेस्टी ने कहा, "स्वतंत्र आलोचकों की आवाजें दबाने के लिए भारतीय अधिकारियों द्वारा मनमाने यात्रा प्रतिबंधों को एक औजार के रूप में इस्तेमाल करने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं.
इन मनमाने फैसलों का अधिकार किसी अदालत का आदेश, वॉरंट या लिखित रूप से दी गई वजह नहीं होता, इसलिए कार्यकर्ताओं और पत्रकारों द्वारा इन्हें अदालत में चुनौती भी नहीं दे पाते. इसलिए अधिकारी असहमति को दबाने के लिए लगातार यात्रा प्रतिबंधों का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह मानवाधिकारों का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन है और फौरन बंद होना चाहिए.” (dw.com)
गुजरात में वोट ना देने वालों को सार्वजनिक रूप से चिन्हित करने के चुनाव आयोग के कदम का विरोध हो रहा है. आयोग ने 1,000 कंपनियों से कहा है कि वो वोट ना देने वाले अपने कर्मचारियों की एक सूची बनाएं और उसे प्रकाशित करें.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
गुजरात विधान सभा चुनावों से ठीक पहले चुनाव आयोग ने एक नए प्रयोग के तहत पहली बार गुजरात में 1,000 से ज्यादा कॉरपोरेट घरानों से एक साथ संधि पर हस्ताक्षर किए हैं. इन एमओयू के तहत इन कंपनियों को अपने कर्मचारियों पर नजर रखनी होगी और पता करना होगा कि उन्होंने मतदान किया या नहीं.
मतदान ना करने वालों की एक सूची बनानी होगी और उसे दफ्तर के नोटिस बोर्ड या कंपनी की वेबसाइट पर प्रकाशित करना होगा. इंडियन एक्सप्रेस अखबार में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक इस कदम के पीछे आयोग का उद्देश्य मतदान ना करने वालों को चिन्हित करना और उन्हें शर्मिंदा करना है.
गुजरात में अमूमन राष्ट्रीय औसत से ज्यादा मतदान देखा जाता है, लेकिन पिछले चुनावों में प्रतिशत नीचे गिर गया था. 2017 में राज्य में विधान सभा चुनावों में 68.41 प्रतिशत मतदान हुआ था, जब कि 2012 में 71.32 प्रतिशत मतदान हुआ था.
कम मतदान का समाधान?
देश के अधिकांश राज्यों की तरह गुजरात में भी शहरी इलाकों में ग्रामीण इलाकों के मुकाबले कम मतदान होता है. इसी को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने यह कदम उठाया है. गुजरात की मुख्य निर्वाचन अधिकारी पी भारती ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इस मुहिम का उद्देश्य मतदान ना करने वालों को "शर्मिंदा" करना है.
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने भी अखबार को बताया, "समसामयिक मुद्दों पर चर्चा करने को लेकर उत्साह सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि मतदान में भी उसकी अभिव्यक्ति होनी चाहिए. इसलिए हम ज्यादा पैनी गतिविधियों के जरिए शहरी इलाकों में छुट्टी ले कर मतदान ना करने वालों से अनुरोध कर रहे हैं, उन्हें प्रेरित कर रहे हैं और इशारा कर रहे हैं."
हालांकि गुजरात मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने एक ट्वीट के जरिए इसका खंडन किया है और कहा है, "एमओयू पंजीकरण और कुल मतदान बढ़ाने, कंपनियों में मतदाता जागरूकता फोरम स्थापित करने के लिए किए जाते हैं. चिन्हित करना और शर्मिंदा करना कभी भी हमारा इरादा नहीं रहा."
लेकिन अखबार का कहना है कि भारती ने अपने बयान में "शर्मिंदा" करना ही कहा था. इस बीच अखबार की रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने इस कदम का विरोध किया है और मुख्य चुनाव आयुक्त को एक पत्र लिखा है.
अनिवार्य मतदान पर विवाद
येचुरी ने इस कदम को असंवैधानिक बताया है और आयोग से कहा है कि 2015 में केंद्र सरकार ने खुद सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि देश में अनिवार्य मतदान लागू करना अलोकतांत्रिक वातावरण को जन्म देगा. विधि आयोग भी कह चुका है कि अनिवार्य मतदान को मूल कर्तव्य की तरह थोपा नहीं जा सकता है.
इसके अलावा येचुरी ने यह भी कहा कि चुनावी बांड के जरिए अज्ञात कॉर्पोरेट फंडिंग की पहले से विवादित पृष्ठभूमि में, कॉर्पोरेट घरानों को चुनावी प्रक्रिया में और ज्यादा शामिल करना भी गलत है.
गुजरात समेत कई राज्यों में मतदान प्रतिशत काम रहने का लोगों का मत डालने नहीं जाना एकलौता कारण नहीं है. देश में बड़ी संख्या में ऐसे मतदाता भी हैं जो मूल निवासी किसी और राज्य के हैं और रहते किसी और राज्य में.
ऐसे मतदाता अक्सर केवल मत डालने के लिए अपने गृह राज्य वापस जाने की स्थिति में नहीं होते हैं. दूर से मत डालने की सुविधा सिर्फ सेना के जवानों और कुछ आवश्यक सरकारी विभागों के कर्मचारियों को दी जाती है.
अपने गृह राज्य से दूर रहे आम नागरिकों के लिए अक्सर अपने पते का प्रमाण जुटाना मुश्किल हो जाता है और इस वजह से वो वहां भी मतदान नहीं कर पाते. इसके अलावा मतदान सूची में भी कई गड़बड़ियां होती हैं, जिन्हें आयोग निरंतर ठीक करने की कोशिश में लगा रहता है. (dw.com)
नई दिल्ली, 20 अक्टूबर | पिछले 24 घंटों में भारत में 2,141 नए कोविड-19 मामले और 20 मौतें दर्ज की गई हैं। यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को दी। इसके साथ ही कोरोनावायरस से कुल मौतों की संख्या 5,28,943 पहुंच गई। देश में कुल 25,510 सक्रिय केसलोड है जो कुल पॉजिटिव मामलों का 0.06 प्रतिशत है।
पिछले 24 घंटों में 2,579 मरीजों के ठीक होने के बाद ठीक होने वालों की कुल संख्या 4,40,82,064 हो गई। नतीजतन, रिकवरी रेट 98.76 प्रतिशत है।
इस बीच, दैनिक और साप्ताहिक पॉजिटिव दरें क्रमश: 0.85 प्रतिशत और 0.97 प्रतिशत रही।
साथ ही इसी अवधि में, देश भर में कुल 2,51,515 परीक्षण किए गए।
गुरुवार सुबह तक, भारत का कोविड-19 टीकाकरण कवरेज 219.46 करोड़ से अधिक हो गया।
टीकाकरण अभियान की शुरूआत के बाद से 4.11 करोड़ से अधिक किशोरों को कोविड-19 वैक्सीन की पहली खुराक दी गई है। (आईएएनएस)|
लखनऊ, 20 अक्टूबर | यूपी सरकार खांडसारी इकाइयों के जरिए गन्ना किसानों को राहत देने में जुटी है। इसके लिए अब तक 284 इकाइयों को लाइसेंस दिए जा चुके हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 1250 करोड़ रुपये का निवेश होगा। साथ ही 32 हजार लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिलेगा। चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग से मिली जानकारी के अनुसार नयी खांडसारी नीति के तहत अब तक 284 इकाइयों को लाइसेंस दिए जा चुके हैं। इनको लगाने में ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 1250 करोड़ रुपये का निवेश होगा। साथ ही 32 हजार लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिलेगा। सारी इकाइयों के संचालन पर इनकी कुल पेराई क्षमता 73,550 टीसीडी (टन क्रशिंग पर डे) होगी। इस तरह से इस नई नीति से एक साथ कई लाभ हो रहे हैं। स्थानीय स्तर पर रोजगार की वृद्धि होगी, निवेश बढ़ने के साथ चीनी मिलों पर पेराई का बोझ भी कम होगा।
गौरतलब है कि उत्तरप्रदेश के करीब 65 लाख किसान परिवार गन्ने की खेती से जुड़े हैं। प्रदेश में गन्ने की पेराई एवं भुगतान एक बेहद संवेदनशील मामला रहा है। योगी सरकार ने आते ही गन्ना किसानों की समस्याओं के स्थाई हल के लिए पहल की। इसी क्रम में खांडसारी नीति में भी बदलाव किया गया।
पहले किसी चीनी मिल से किसी खांडसारी इकाई की दूरी 15 किमी (एयर डिस्टेंस) होनी चाहिए थी। योगी सरकार ने इस दूरी को आधा कर दिया। पहले से स्थापित खांडसारी इकाइयों के पुर्नसचालन के लिए नि:शुल्क लाइसेंस नवीनीकरण की व्यवस्था की। गन्ने के प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के मकसद से मुजफ्फरनगर और लखनऊ में गुड़ महोत्सव का भी आयोजन कराया गया। (आईएएनएस)|