राष्ट्रीय
गुवाहाटी, 20 जुलाई | असम सरकार ने मंगलवार को एक पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजीपी) को 2011 के बाद से सरकार की पूर्व अनुमति के बिना उनकी कई विदेश यात्राओं के लिए निलंबित कर दिया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रौनक अली हजारिका को कई मौकों पर सरकारी दिशा-निदेशरें का उल्लंघन करने और घोर कदाचार के आरोप में तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
वर्तमान में असम पुलिस की सीमा विंग के डीआईजीपी के रूप में तैनात हजारिका ने संपर्क करने पर आईएएनएस को फोन पर बताया कि उन्हें सरकार के फैसले के बारे में कुछ नहीं कहना है।
राज्य के गृह और राजनीतिक मामलों के विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि एक रिपोर्ट प्राप्त हुई है कि 1992 में असम पुलिस सेवा (एपीएस) कैडर में शामिल हुए हजारिका ने 2011 से कई विदेशी यात्राएं की हैं।
अधिसूचना के अनुसार, हजारिका ने एपीएस कैडर में शामिल होने के बाद से अपनी कई विदेश यात्राओं के लिए असम सरकार के गृह विभाग से कभी पूर्व अनुमति नहीं ली थी।
अधिसूचना में कहा गया है, असम के राज्यपाल (जगदीश मुखी) ने अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम, 1969 की धाराओं द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए हजारिका को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
इसमें कहा गया है कि हजारिका का मुख्यालय पुलिस महानिदेशक का कार्यालय होगा और वह सचिव, गृह और राजनीतिक मामलों के विभाग से अनुमति प्राप्त किए बिना मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे। (आईएएनएस)
लखनऊ, 20 जुलाई | देश की संसद में पेगासस जासूसी कांड पर मचे हंगामें पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि विपक्ष जासूसी कांड के बहाने संसद की चर्चा को आगे नहीं बढ़ाने दे रहा है और झूठे व तथ्यहीन आरोप लगाकर देश को बदनाम कर रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि विपक्ष नकारात्मक राजनीति के जरिये देश और नेतृत्व को दुनिया में बदनाम करना चाहता है। कहा कि विपक्ष विश्व पटल पर देश की छवि को खराब कर रहा है। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण काल के दौरान भी विपक्ष की नकारात्मक रवैये से देश की छवि खराब हुई, लेकिन भारत की बाद में सभी देशों ने जमकर सराहना की थी। उन्होंने कहा कि विपक्ष पूरी तरह नकारात्मक भूमिका में है। इसी दौर में विपक्ष अब तो जाने-अनजाने उन अंतरराष्ट्रीय साजिशों का शिकार हो रहा है, जो किसी न किसी रूप में भारत को अस्थिर और अस्त-व्यस्त करना चाहते हैं।
योगी ने कहा कि संसद के इस सत्र में किसानों व कोरोना पर चर्चा होनी है पर विपक्ष पूरी ताकत लगाकर इस सत्र को बर्बाद करने पर तुला हुआ है। यह लोकतंत्र का अपमान है। देश को बदनाम करने की विपक्ष की ये कुत्सित सोच कभी कामयाब नहीं होगी।
मुख्यमंत्री योगी ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि जब अमेरिकी राष्ट्रपति भारत आए थे। उस समय दंगों की साजिश रची गई थी। ये सब देश को अस्त व्यस्त करने की कोशिश है। विपक्ष देश की छवि को खराब कर रहा है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष नहीं चाहता कि देश के पिछड़े समाज के लोग आगे आएं। यही कारण है कि जब संसद के सत्र के पहले दिन दलित व पिछड़े समाज से आए मंत्रियों का परिचय होना था तो जमकर हंगामा किया गया। ये लोग पिछड़ों को आगे नहीं आने देना चाहते हैं। ये किसानों को गुमराह कर रहे हैं लेकिन ये लोग कभी भी अपने मकसद में कामयाब नहीं होंगे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 जुलाई | मानसून सत्र का दूसरा दिन भी हंगामेदार रहा। विपक्षी दलों ने राज्यसभा में कोविड मुद्दे पर चर्चा के लिए राजी होने के बाद दोपहर एक बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने पर कुछ सदस्यों ने नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामे के बीच विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "मैं अपमानित महसूस कर रहा हूं क्योंकि मुझे बोलने नहीं दिया गया। मैं पचास साल से सदस्य हूं और 2019 को छोड़कर चुनाव नहीं हारा जब चुनाव में धांधली हुई थी।" सदन के फिर से शुरू होने और कोरोना योद्धाओं को श्रद्धांजलि देने के साथ शुरू होने के बाद खड़गे ने चर्चा जारी रखी और कहा कि महामारी की दूसरी लहर के दौरान, पूरी तरह से अराजकता थी और विशेष रूप से गंगा में दयनीय स्थिति देखी गई थी।
उन्होंने कहा, "मौतों पर सरकार का आंकड़ा सही नहीं है क्योंकि भारत में छह लाख से ज्यादा गांव हैं और अगर एक गांव में पांच लोगों की मौत हुई है तो 30 लाख से ज्यादा लोगों की जान गई है, लेकिन यदि आप शहरी केंद्रों को जोड़ते हैं तो डेटा 52 लाख से अधिक लोगों का हो सकता है जिन्होंने कोविड -19 के कारण दम तोड़ दिया। सरकार गलत डेटा जारी कर रही है, इसलिए उन्हें बेनकाब करना आवश्यक है।"
उन्होंने कोविड पर मोहन भागवत के बयान पर भी आरएसएस पर हमला किया, जिन्होंने कहा था कि जो लोग कोविड के कारण मारे गए वे जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्त हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार महामारी के प्रबंधन में पूरी तरह विफल रही है क्योंकि ऑक्सीजन, अस्पताल के बिस्तर उपलब्ध नहीं थे।
खड़गे ने चुनाव प्रचार के दौरान पश्चिम बंगाल में बड़ी रैलियां करने के लिए सरकार और भाजपा पर भी हमला बोला। (आईएएनएस)
कानपुर, 20 जुलाई | कोरोना की दूसरी लहर में इस बार ऑक्सीजन की कमी ने लोगों को काफी दिक्कत में डाला है। इसी समस्या को देखते हुए आईआईटी कानपुर ने 'स्वासा' ऑक्सीराइज बनाया है। यह शरीर के आक्सीजन लेवल को बढ़ाता है। यह एक बोतलनुमा उपकरण है। जिसे कहीं भी बड़े आराम से ले जाया जा सकता है और इमरजेंसी में ऑक्सीजन की जरूरत को पूरा कर सकते हैं। इसे आईआईटी कानपुर इंक्यूबेशन सेंटर में बनाया गया है। यह पोर्टेबल ऑक्सीजन कैनेस्टर है।
आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र और ई स्पिन नैनोटेक के निदेशक डॉ. संदीप पाटिल ने आईएएनएस को बताया कि, "देश में कोरोना संकट को देखते हुए ई स्पिन नैनोटेक ने श्वासा ऑक्सीराइज बनाया है। यह बॉडी के अंदर के ऑक्सीजन को बढ़ाता है। दूसरी लहर में बहुत ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत को देखते हुए इसे बनाया है। इसे आईआईटी कानपुर इंक्यूबेशन सेंटर में बनाया गया है। ई स्पिन और जैसोलैब ने मिलकर महामारी के दौरान इसे बनाया गया है। यह मेडिकल इमरजेन्सी में काफी कारगर साबित हो सकता है। लेकिन अति गंभीर मामले में इसका प्रयोग नहीं हो सकता है।"
उन्होंने बताया कि, "फास्र्ट एड बॉक्स के साथ एक और प्रोडक्ट रख सकते हैं। इसे कोरोना काल के लिए रख सकते हैं। यह समाज की जरूरत है। यह कोरोना के अलावा अस्थमा मरीजों, ऊंची जगहों पर तैनात सेना के जवानों के लिए काफी कारगर है। इसे मेडिकल किट में बहुत आसानी से रखा जा सकता है। अचानक से यदि किसी का ऑक्सीजन लेवल कम होने लगता है, तो यह अस्पताल ले जाने में काफी सहायक हो सकता है। इसे मास्क के अंदर स्प्रे करके ऑक्सीजन ले सकते हैं। यह ज्यादा समय तक टिका रहेगा। यह आक्सीजन को बूस्ट करेगा। यह बहुत अच्छा पोर्टेबल कनेस्टर है।"
उन्होंने बताया कि 180 ग्राम की बोतल में 10 लीटर ऑक्सीजन कंप्रेस की गयी है। एक बोतल में ऑक्सीजन के 200 सौ शाट लिए जा सकते हैं। यह बोतल महज 499 में रुपए में उपलब्ध है।
डॉ. संदीप ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में इतनी जाने गयी की मन कचोट गया, तभी इस विकल्प को तैयार करने की पहल की गयी है। यह पोर्टेबल और इमरजेंसी में काफी काम आने वाला उत्पाद है। यह प्रतिदिन 500-600 के बीच में तैयार किया जा रहा है। इसकी मांग पूरे देश से आ रही है। इसकी बिक्री कंपनी की बेवसाइट स्वासा डॉट इन ने भी शुरू कर दी है।
ज्ञात हो कि अयोध्या में राम मंदिर के भूमि-पूजन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईआईटी कानपुर द्वारा बनाए हुए मास्क को पहना था। इस मास्क को आईआईटी कानपुर में इनक्यूबेटेड कंपनी ई-स्पिन ने बनाया था।
आईआईटी के इंक्यूबेटेड सेंटर में कई स्टार्टअप कंपनियां संचालित होती हैं। डॉ. संदीप ने बताया कि प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में उनकी कंपनी के मास्क की प्रशंसा कर चुके हैं। राममंदिर शिलान्यास कार्यक्रम में भी प्रधानमंत्री पूरे समय स्वासा के मास्क को पहने रहे। (आईएएनएस)
मुंबई, 20 जुलाई | बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति कारोबारी राज कुंद्रा की कथित पोर्न फिल्म मामले में सनसनीखेज गिरफ्तारी के एक दिन बाद मुंबई पुलिस ने जांच के सिलसिले में एक तकनीकी विशेषज्ञ को गिरफ्तार किया है। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यहां यह जानकारी दी। इससे पहले अपराध शाखा-सीआईडी द्वारा कथित अश्लील वीडियो रैकेट मामले में कुंद्रा को गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस ने कुंद्रा-शेट्टी की कंपनियों के तकनीकी पहलुओं को देखने वाले रयान जॉन थारपे को नवी मुंबई के नेरुल से उसकी कथित भूमिका और उक्त कथित पोर्न फिल्म मामले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
दोनों को मुंबई मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जिसने उन्हें 23 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।
इसके साथ ही इस मामले में गिरफ्तारियों की कुल संख्या अब तक करीब 12 हो गई है और कई और संदिग्ध अभी भी पुलिस के रडार पर हैं।
थारपे एक आईटी से जुड़ा व्यक्ति है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह कुंद्रा और शेट्टी की कंपनियों के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है, जिनकी अब संभावित अंतरराष्ट्रीय प्रभाव वाले अश्लील रैकेट के लिए जांच की जा रही है।
आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि जांचकतार्ओं ने कुछ आपत्तिजनक सामग्री, व्हाट्सएप चैट और अन्य सामान बरामद किया है, जबकि पूरे रैकेट में अन्य ज्ञात और अज्ञात व्यक्तियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
46 वर्षीय कुंद्रा को सोमवार देर रात अश्लील सामग्री बनाने और प्रकाशित करने और मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से प्रकाशित करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
फरवरी में दर्ज एक मामले के आधार पर कुंद्रा की गिरफ्तारी पर खुद पुलिस आयुक्त हेमंत नागराले ने घोषणा की थी।
एक ब्रिटिश-भारतीय व्यवसायी कुंद्रा सोमवार रात पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने से पहले फरवरी से ही अपराध शाखा-सीआईडी की जांच के दायरे में थे।
उनकी अचानक गिरफ्तारी ने समस्त बॉलीवुड को स्तब्ध कर दिया है, जो पिछले एक साल से पहले से ही विभिन्न नशीले पदार्थों को लेकर एजेंसियों की जांच के दायरे में है, जिससे इंडस्ट्री की छवि और खराब हो रही है।
नागराले ने कहा, "अपराध शाखा की ओर से अश्लील फिल्में बनाने और कुछ ऐप्स के माध्यम से उन्हें प्रकाशित करने के बारे में मामला दर्ज किया गया है। हमने इस मामले में राज कुंद्रा को गिरफ्तार किया है, क्योंकि वह मुख्य साजिशकर्ता प्रतीत होता है।"
पुलिस प्रमुख ने कहा, "इस संबंध में हमारे पास पर्याप्त सबूत हैं। आगे की जांच जारी है।" (आईएएनएस)
लखनऊ, 20 जुलाई उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की हालत 'अस्थिर' बनी हुई है । उन्हें संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआईएमएस) में नॉन-इनवेसिव वेंटिलेशन पर रखा गया है। अस्पताल की ओर से मंगलवार को जारी बुलेटिन के मुताबिक, "कल्याण सिंह की हालत अस्थिर है। विशेषज्ञ सलाहकारों द्वारा उनके क्लीनिकल मापदंडों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। सांस ना लेने के कारण उन्हें नॉन-इनवेसिव वेंटिलेशन पर रखा गया है।"
बयान में कहा गया है कि क्रिटिकल केयर मेडिसिन (सीसीएम), कार्डियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी और एंडोक्रिनोलॉजी के वरिष्ठ फैकल्टी उनके स्वास्थ्य से जुड़े सभी पहलुओं पर कड़ी नजर रखे हुए हैं।
बयान में कहा गया है कि एसजीपीजीआईएमएस के निदेशक प्रोफेसर आर के धीमान सिंह के इलाज की रोजाना निगरानी कर रहे हैं।
कल्याण सिंह को 4 जुलाई को एसजीपीजीआईएमएस की गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती कराया गया था। (आईएएनएस)
हैदराबाद, 20 जुलाई | तेलंगाना कांग्रेस के पूर्व नेता पाडी कौशिक रेड्डी ने मंगलवार को कहा कि वह हुजूराबाद निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) पार्टी में शामिल होंगे। रेड्डी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "कल (बुधवार) दोपहर 1 बजे मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की मौजूदगी में मैं टीआरएस में शामिल होऊंगा।"
उन्होंने कहा कि हर गांव के उनके करीबी दोस्तों और समर्थकों ने उन्हें बताया कि हुजूराबाद निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए टीआरएस में शामिल होना जरूरी है।
उन्होंने कहा, "मैं उन सभी के साथ 5-6 दिनों तक विचार-विमर्श करने के बाद इस निर्णय पर आया हूं। कल (बुधवार) दोपहर 1 बजे तक मेरे सभी दोस्त और सैनिक टीआरएस पार्टी कार्यालय में इकट्ठा हो जाएं।"
रेड्डी ने कांग्रेस छोड़ने के लिए जिन अन्य कारणों का हवाला दिया, उनमें राव द्वारा की जा रही विकास गतिविधियां शामिल हैं, जिसमें उनके स्थान पर किसानों को सिंचित पानी की आपूर्ति भी शामिल है।
उन्होंने देखा कि उनकी योजनाओं और कार्य से सभी किसान संतुष्ट हैं।
रेड्डी ने कहा, "दादा-दादी और नानी जो पेंशन प्राप्त कर रहे हैं उससे बहुत खुश हैं। शादी करने वाले युवा कल्याण लक्ष्मी और शादी मुबारक (योजनाओं) से बहुत खुश हैं।"
हुजुराबाद विधानसभा क्षेत्र हाल ही में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री एटाला राजेंदर और मुख्यमंत्री के बीच बड़े मतभेद पैदा होने के विरोध में इस्तीफा देने के कारण आलोक में खाली हो गया था।
राव ने भूमि अतिक्रमण के आरोपों के बाद, राजेंद्र को उनके मंत्री पद से हटा दिया, जिसके परिणामस्वरूप हाल ही में पार्टी के वरिष्ठ राष्ट्रीय नेताओं की उपस्थिति में बाद में टीआरएस से बाहर निकलकर दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में चले गए थे।
रेड्डी तेलंगाना कांग्रेस पार्टी से नवीनतम निकास हैं, जिसने 2014 में तेलंगाना को अलग करके सत्ता में आने का सपना देखा था, लेकिन ऐसा करने में विफल रही।
कई शीर्ष आजीवन कांग्रेस नेता टीआरएस में शामिल हो गए हैं, जबकि पूर्व में हाल ही में रेवंत रेड्डी को पार्टी के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया है ताकि उनकी किस्मत को पुनर्जीवित किया जा सके। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 जुलाई | तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने मंगलवार को कथित फोन टैपिंग के मुद्दे पर संसद में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन किया और संसद के दोनों सदनों में इस पर चर्चा के लिए नोटिस भी सौंपा। इस दिन सबसे पहले तृणमूल कांग्रेस के सांसद महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास जमा हुए और एकत्रित होकर धरना प्रदर्शन करने लगे।
पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके जासूसी का मुद्दा संसद के अंदर और बाहर एक बड़े राजनीतिक विवाद में बदल गया क्योंकि विपक्षी दलों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की गहन जांच और बर्खास्तगी की मांग की।
तृणमूल सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने राज्यसभा में नियम, 267 के तहत एक नोटिस दिया, जिसमें पेगासस मुद्दे पर चर्चा के लिए सभी कामकाज को निलंबित करने की मांग की गई।
एमनेस्टी इंटरनेशनल की सिक्योरिटी लैब द्वारा आयोजित और द वायर के साथ साझा किए गए डिजिटल फोरेंसिक के अनुसार, इस साल की शुरूआत में पश्चिम बंगाल में गर्मागर्म विधानसभा चुनावों के बीच पोल रणनीतिकार प्रशांत किशोर का फोन भी एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल करके टैप किया गया था।
इसके अलावा, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे व तृणमूल कांग्रेस के विधायक व प्रमुख रणनीतिकार अभिषेक बनर्जी के मोबाइल नंबर को भी एनएसओ समूह के एक सरकारी ग्राहक द्वारा निगरानी के लिए संभावित लक्ष्य के रूप में चुना गया था। पेगासस प्रोजेक्ट पर द वायर और उसके मीडिया पार्टनर्स द्वारा लीक किए गए डेटा से पता चला है। इस सूची में बनर्जी के निजी सचिव भी शामिल हैं। (आईएएनएस)
प्रयागराज, 20 जुलाई | उत्तर प्रदेश की महिला शिक्षक अब उन्हें मिलने वाली अन्य छुट्टियों के अलावा हर महीने तीन दिन की 'पीरियड लीव' या 'मेनस्ट्रुअल लीव' की मांग कर रही हैं। उन्होंने बिहार जैसे राज्यों में अपने समकक्षों को उपलब्ध सुविधा का हवाला दिया है।
उत्तर प्रदेश महिला शिक्षक संघ ने अपनी मांग यूपी महिला आयोग की सदस्य अनामिका चौधरी को सौंप दी है और अब उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से संपर्क करने की योजना है।
अनामिका चौधरी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मांग से अवगत कराने का वादा किया है।
महिला शिक्षकों ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि मासिक धर्म वाली महिलाओं को दर्द और रक्तस्राव का अनुभव होता है, जो उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति दोनों को प्रभावित करता है।
संघ की प्रयागराज इकाई की वरिष्ठ उपाध्यक्ष पूनम गुप्ता ने कहा कि बिहार सरकार पिछले 30 साल से महिला कर्मचारियों को यह छुट्टी दे रही है।
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि यूपी सरकार महिला शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए प्रति माह तीन दिन का अवधि अवकाश भी बढ़ाए।
"सभी इकाइयां अपने-अपने जिलों में निर्वाचित विधायकों और मंत्रियों को समान ज्ञापन सौंप रही हैं। आजमगढ़, बरेली या लखनऊ, हर विधायक और मंत्री को हमारी मांगों से अवगत कराने की योजना है। प्रयागराज में, हम डिप्टी को एक ज्ञापन सौंपने की योजना बना रहे हैं।"
उल्लेखनीय है कि भारतीय खाद्य वितरण सेवा जोमैटो ने महिला कर्मचारियों को प्रति वर्ष 10 दिनों तक पीरियड लीव देने का फैसला किया है।
पूनम गुप्ता ने कहा, "कई निजी कंपनियां भारत में भी महिला कर्मचारियों को 'पीरियड लीव' लेने का विकल्प देती हैं। यह ज्यादातर जगहों पर एक वैकल्पिक छुट्टी है और शायद ही कोई इसका दुरुपयोग करता है। आज, महिला शिक्षकों को सबसे ज्यादा काम पर आना पड़ता है। छुट्टी उनके दर्द और परेशानी को दूर नहीं कर सकती है, लेकिन यह उन्हें उन दिनों में छुट्टी दे सकती है जब वे सबसे ज्यादा असहज होती हैं।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 जुलाई | भारतीय जनता पार्टी संसदीय दल की मंगलवार को संसद भवन परिसर में हुई बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। इस बैठक में सरकार के सभी वरिष्ठ मंत्रियों और सांसदों ने हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री ने पार्टी सांसदों को जनता के बीच जाकर विपक्ष के झूठ को उजागर करने को भी कहा। प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस को अपनी नहीं बीजेपी की चिंता ज्यादा रहती है। एक साथ तीन राज्यों-बंगाल, असम और केरल का चुनाव हारने और लगातार जनाधार खिसकने के बावजूद कांग्रेस की नींद नहीं टूट रही।
प्रधानमंत्री ने पार्टी सांसदों को कोरोना काल में जनसेवा के कार्यों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की। उन्होंने कोविड की तीसरी लहर को लेकर भी सांसदों को अलर्ट करते हुए जमीन पर कार्य के लिए प्रेरित किया। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 जुलाई | केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने पेगासस प्रोजेक्ट मीडिया रिपोर्ट में सरकार की किसी भूमिका से इनकार किया है। कथित जासूसी प्रकरण में मानसून सत्र के लगातार दूसरे दिन हंगामे के बाद सदन स्थगित होने पर जोशी ने कहा कि आईटी मंत्री पहले ही इस मसले पर बयान दे चुके हैं। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा, इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है। आईटी मंत्री ने इस पर पहले ही बयान दिया है।
बता दें कि लोकसभा और राज्य सभा में मंगलवार को दूसरे दिन भी पेगासस स्पाईवेयर से जासूसी के मुद्दे को लेकर विपक्ष ने हंगामा किया। जिसके कारण लोकसभा की कार्यवाही 2 बजे और राज्य सभा की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी। (आईएएनएस)
लखनऊ, 20 जुलाई | दुनिया के विभिन्न देशों में सरकारों द्वारा मानवाधिकार कार्यकतार्ओं, पत्रकारों और वकीलों की जासूसी कराने का मामला एक बार फिर उछला है। इसे लेकर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने सरकार पर निशाना साधा और कहा कि सरकार व देश की भी भलाई इसी में है कि मामले की गंभीरता को ध्यान में रखकर इसकी पूरी स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच यथाशीघ्र कराई जाए। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने जासूसी मामले में मंगलवार को एक बाद एक ट्वीट करके निशाना साधा और कहा कि जासूसी का गंदा खेल व ब्लैकमेल आदि कोई नई बात नहीं किन्तु काफी महंगे उपकरणों से निजता भंग करके मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, अफसरों व पत्रकारों आदि की सूक्ष्म जासूसी करना अति-गंभीर व खतरनाक मामला है जिसका भण्डाफोड़ हो जाने से यहाँ देश में भी खलबली व सनसनी फैली हुई है।
उन्होंने कहा कि इसके सम्बंध में केन्द्र की बार-बार अनेकों प्रकार की सफाई, खण्डन व तर्क लोगों के गले के नीचे नहीं उतर पा रहे हैं। सरकार व देश की भी भलाई इसी में है कि मामले की गंभीरता को ध्यान में रखकर इसकी पूरी स्वतंत्र व निष्पक्ष जाँच यथाशीघ्र कराई जाए ताकि आगे जिम्मेदारी तय की जा सके।
ज्ञात हो कि विभिन्न देशों में सरकारों द्वारा मानवाधिकार कार्यकतार्ओं, पत्रकारों और वकीलों की जासूसी कराने का मामला एक बार फिर गरमाया है। इंटरनेशनल मीडिया कंसोर्टियम की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 300 से ज्यादा लोगों के फोन टैप कराए गए हैं। इनमें दो केंद्रीय मंत्री, विपक्ष के तीन नेता, 40 से अधिक पत्रकार, एक मौजूदा जज, सामाजिक कार्यकर्ता और कई उद्योगपति शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2018 और 2019 के बीच फोन टैप कराए गए थे।
फोन टैपिंग के लिए इजरायली निगरानी कंपनी एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया है। सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कुछ लोगों की सरकारी निगरानी के आरोपों का कोई भी ठोस आधार नहीं है। पूर्व में भी व्हाट्सऐप पर पेगासस के इस्तेमाल को लेकर भी इसी तरह के आरोप लगाए गए थे। उन रिपोटरें का भी कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था और सुप्रीम कोर्ट में व्हाट्सऐप समेत सभी पक्षों के जरिए इसका स्पष्ट रूप से खंडन किया गया था। सरकार के मुताबिक यह रिपोर्ट भी भारतीय लोकतंत्र और इसकी संस्थाओं को बदनाम करने की एक कोशिश प्रतीत होती है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 जुलाई )| कर्नाटक कांग्रेस में दरार दिल्ली तक पहुंच गई है और प्रदेश पार्टी अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार और विपक्ष के नेता सिद्धरमैया को मतभेदों को दूर करने और पार्टी के लिए मिलकर काम करने के लिए बुलाया गया है। सूत्रों के हवाले से यह खबर मिली है। सिद्धारमैया ने पार्टी में किसी भी दरार से इनकार किया है और कहा है कि वह और शिवकुमार दोनों मिलकर पार्टी बनाने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "मुझे राहुल गांधी से मिलने के लिए कहा गया है।"
सूत्रों ने कहा कि दोनों नेताओं के मंगलवार को नई दिल्ली में सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात करने की संभावना है।
दोनों नेता विभिन्न मुद्दों पर आमने-सामने हैं और जब सिद्धारमैया के समर्थकों ने उनको कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री के रूप में पेश किया तो शिवकुमार ने उन्हें झिड़क दिया।
उनके बीच ताजा मुद्दा अवैध खनन का है, जिस पर कर्नाटक कांग्रेस विभाजित घर बनी हुई है क्योंकि राज्य कांग्रेस अध्यक्ष शिवकुमार और विपक्ष के नेता सिद्धारमैया एक बार फिर निर्दलीय सांसद सुमलता द्वारा उठाए गए मुद्दे पर मतभेद रखते हैं।
सिद्धारमैया ने जोर देकर कहा कि एक जांच होनी चाहिए, जबकि शिवकुमार ने कहा कि इस क्षेत्र में अवैध खनन की कोई रिपोर्ट नहीं है। (आईएएनएस)
मुंबई, 20 जुलाई | भारतीय मूल के ब्रिटिश बिजनेसमैन और बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा को आज मुंबई पुलिस एक कोर्ट में पेश करेगी और उनके लिए रिमांड की मांग करेगी। सोमवार देर रात को मुंबई पुलिस ने एक चौंका देने वाला खुलासा किया है, जिसके तहत राज कुंद्रा पर अश्लील सामग्री बनाने और उन्हें मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए पब्लिश करने के आरोप लगाए गए हैं।
इस कार्रवाई पर खुलासा खुद मुंबई पुलिस आयुक्त हेमंत नागराले ने फरवरी में दर्ज एक मामले के आधार पर किया। तब से 46 वर्षीय कुंद्रा अपराध शाखा-सीआईडी की जांच के दायरे में हैं और अब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।
अचानक से हुई इस गिरफ्तारी से पूरी बॉलीवुड इंडस्ट्री हैरान है, जो पहले ही ड्रग के सेवन से जुड़े मामले पर कानून की रडार में है।
आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि जांचकर्ताओं ने कुछ आपत्तिजनक सामग्री बरामद की है, जबकि पूरे रैकेट में अन्य ज्ञात और अज्ञात व्यक्तियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
नागराले ने कहा है, "अश्लील फिल्में बनाने और कुछ ऐप्स के माध्यम से उन्हें प्रकाशित करने को लेकर क्राइम ब्रांच ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है, गिरफ्तारी भी कर ली गई है क्योंकि राज ही इसके मुख्य साजिशकर्ता लगते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "हमारे पास इस संबंध में कई सबूत हैं। आगे की जांच जारी है।" (आईएएनएस)
भभुआ, 20 जुलाई | बिहार के कैमूर जिले के दुर्गावती थाना क्षेत्र में सोमवार की देर रात एक कार के सड़क किनारे पानी भरे खाई में पलट जाने से पांच युवकों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। सभी लोग जम्मू-कश्मीर, वाराणसी से घूमकर अपने गांव लौट रहे थे। पुलिस के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि कैमूर जिले के कुछ युवक जम्मू-कश्मीर घूमने गए थे। वाराणसी से कुछ मित्र अन्य गाड़ी से अपने गांव वापस लौट गए जबकि पांच लोग एक कार से अपने गांव लौट रहे थे।
इसी दौरान जीटी रोड पर कुल्हड़िया गांव स्थित कुलेश्वरी धाम मोड़ पर चालक का कार से नियंत्रण हट गया और कार सड़क किनारे पानी से भरे खाई में जाकर पलट गई। रात को किसी भी व्यक्ति को इस घटना की खबर नहीं मिली, मंगलवार की सुबह जब लोगों ने कार देखी तब इसकी सूचना पुलिस को दी गई।
मोहनिया के पुलिस उपाधीक्षक रघुनाथ सिंह ने मंगलवार को आईएएनएस को बताया कि क्रेन मंगवाकर क्षतिग्रस्त कार को पानी से बाहर निकलवाया गया तथा सभी शवों को पानी से बाहर निकाल लिया गया है।
उन्होंने बताया कि मृतकों की पहचान मोहनियां थाना क्षेत्र के कुरई गांव निवासी सूरज सिंह, बरेज निवासी राहुल सिंह, रामगढ़ थाना के जमुरना गांव निवासी पंकज सिंह व विनोद कुमार सिंह तथा भभुआ थाना के जिगना गांव निवासी भवानी सिंह के रूप में की गई है।
उन्होंने कहा कि पुलिस ने शवों को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भभुआ सदर अस्पताल भेज दिया है और मामले की छानबीन की जा रही है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 जुलाई | भारत के शीर्ष टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना और सानिया मिर्जा ने ओलंपिक के लिए खिलाड़ियों के नामांकन को लेकर स्पष्टता की कमी को लेकर अखिल भारतीय टेनिस संघ (एआईटीए) पर निशाना साधा है। 41 वर्षीय बोपन्ना ने कहा कि भारत की शीर्ष टेनिस संस्था ने उनकी योग्यता को लेकर उन्हें और पूरे देश को गुमराह किया है।
बोपन्ना ने ट्वीट किया, आईटीएफ ने कभी भी सुमित नागल और मेरे लिए एक प्रविष्टि स्वीकार नहीं की है। आईटीएफ स्पष्ट था कि नामांकन की समय सीमा (22 जून) के बाद किसी भी बदलाव की अनुमति नहीं थी जब तक कि चोट / बीमारी न हो। एआईटीए ने खिलाड़ियों, सरकार, मीडिया और बाकी सभी को यह कहकर गुमराह किया है।
यह बताया गया कि एआईटीए ने दिविज शरण का नामांकन वापस लेकर ओलंपिक में पुरुष युगल प्रतियोगिता में बोपन्ना को सुमित नागल के साथ जोड़ा था।
एआईटीए ने दोनों की जोड़ी बनाने के बारे में सोचा था क्योंकि नागल पहले ही एकल स्पर्धा के लिए क्वालीफाई कर चुके थे और टोक्यो के लिए बाध्य थे।
हालांकि, जैसा कि बोपन्ना ने कहा कि आईटीएफ ने बदलाव को स्वीकार नहीं किया है।
सानिया ने एक ट्वीट में कहा, भारत की ग्रैंड स्लैम विजेता सानिया मिर्जा ने भी एआईटीए की आलोचना की और ट्वीट किया, क्या, अगर यह सच है तो यह बिल्कुल हास्यास्पद और शर्मनाक है. आप और मैं योजना के अनुसार खेलते। हम दोनों को बताया गया कि आपको और सुमित के नाम दिए गए हैं। (आईएएनएस)
रांची, 20 जुलाई | झारखंड सरकार ने अभी तक देवघर में श्रावणी मेला आयोजित करने पर अंतिम निर्णय नहीं लिया है। हालांकि, सूत्रों ने संकेत दिया है कि इस साल भी देवघर के प्रसिद्ध बाबा बैद्यनाथ मंदिर में कोविड -19 महामारी के कारण वार्षिक उत्सव का आयोजन नहीं किया जाएगा। माना जा रहा है कि इस बार श्रावण मास में आम भक्तों के लिए मंदिर नहीं खोला जाएगा। जिला प्रशासन द्वारा आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग को बंद करने की तैयारी की जा रही है, जिन्हें कांवड़िया मार्ग से श्रावण मास में आने से भी रोका जाएगा।
देवघर प्रशासन के एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया कि झारखंड के प्रवेश द्वार डुम्मा को भी सील कर दिया जाएगा और वहां मजिस्ट्रेट और पुलिस बल की तैनाती की जाएगी। पुलिस बिहार से आने वाले कांवड़ियों को वापस भेज देगी।"
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रशासन की ओर से दुम्मा, मातृ मंदिर स्कूल चौक, नेहरू पार्क, जलसर मोड़, रंगा मोड़, दर्शनी मोड़ और लक्ष्मीपुर चौक समेत कई जगहों पर अस्थाई कार्यालय-सह-पुलिस छावनी बनाने के निर्देश जारी किए गए हैं।
सूत्रों के अनुसार इन अस्थायी पुलिस छावनियों के लिए पंडाल बनाने के आदेश दिए गए हैं।
श्रावण मास में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल की मांग की गई है। यह निर्णय लिया गया है कि श्रावण मास की शुरूआत से पहले एक हजार से अधिक पुलिस कर्मी बाबाधाम पहुंचेंगे।
इन पुलिसकर्मियों को समायोजित करने के लिए जिला प्रशासन ने पुलिस विभाग को कई स्कूल भवन उपलब्ध कराए हैं।
देवघर में बाबा बैद्यनाथ मंदिर देश के 12 ज्योतिलिंर्गों में से एक है। हर साल, 35 लाख से अधिक भक्त श्रावण महीने में शिव लिंग पर जल चढ़ाते हैं। हालांकि, महामारी के कारण, पिछले साल वार्षिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया था। और इस साल भी आशंका के बीच देवघर में श्रावणी मेला की संभावना नहीं है। (आईएएनएस)
यूरोपीय आयोग ने कहा है कि पेगासस जैसी घटनाएं पूरी तरह अस्वीकार्य हैं और अगर इनमें सच्चाई है तो ये यूरोपीय मूल्यों के खिलाफ हैं. भारत में कई बड़े लोगों के नाम सूची में शामिल हैं.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट
इस्राएली कंपनी के जासूसी सॉफ्टवेयर की मदद से विभिन्न सरकारों द्वारा पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और नेताओं की जासूसी करने की खबरों पर यूरोपीय आयोग ने चिंता जताई है. आयोग की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लाएन ने कहा है कि अगर इन खभरों में सच्चाई है तो यह पूरी तरह अस्वीकार्य है और पत्रकारों की जासूसी यूरोपीय संघ के मूल्यों के खिलाफ है.
चेक गणराज्य में पत्रकारों से बातचीत में लाएन ने कहा, "अब तक हमने जो पढ़ा है, और उसकी सत्यता का पता लगाना बाकी है, लेकिन यदि ऐसा हुआ है, तो यह स्वीकार नहीं किया जा सकता. यह यूरोपीय संघ के हमारे नियमों के भी खिलाफ है.” एक यात्रा पर प्राग पहुंचीं लाएन ने कहा कि मीडिया की आजादी यूरोपीय संघ के मूल्यों में से एक है.
एनएसओ का खंडन
रविवार को दुनियाभर के 17 मीडिया संस्थानों ने एक साथ रिपोर्ट छापी थीं, जिनमें दावा किया गया था कि पेगासस नाम के एक स्पाईवेयर के जरिए विभिन्न सरकारों ने अपने यहां पत्रकारों, नेताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के फोन हैक करने की कोशिश की. इस्राएली कंपनी एनएसओ द्वारा बनाया गया यह स्पाईवेयर सिर्फ 37 देशों की सरकारों को बेचा गया है, जिनमें भारत भी शामिल है.
एनएसओ को 2010 में स्थापित किया गया था. तेल अवीव के नजदीक हर्त्सलिया से काम करने वाली कंपनी एनएसओ ने जासूसी के इन आरोपों का पूरी तरह से खंडन किया है.
कंपनी ने कहा, "हम जोर देकर कहना चाहते हैं कि एनएसओ अपनी तकनीक सिर्फ उन जासूसी और कानूनपालक एजेंसियों को बेचती है, जिन्हें पूरी तरह जांचा परखा गया हो. इसका मकसद अपराध और आतंकी गतिविधियों से लोगों की जानें बचाना होता है.”
पेगासस फिर विवाद में
पेगासस एक स्पाईवेयर है जिसके जरिए स्मार्टफोन्स हैक करके लोगों की जासूसी की जा सकती है. यह पहली बार नहीं है जब पेगासस का नाम जासूसी संबंधी विवादों में आया हो. 2016 में भी कुछ शोधकर्ताओं ने कहा था कि इस स्पाईवेयर के जरिए युनाइटेड अरब अमीरात में सरकार से असहमत एक कार्यकर्ता की जासूसी की गई.
सोशल मीडिया नेटवर्किंग ऐप वॉट्सऐप ने 2019 में एनएसओ पर मुकदमा किया था. वॉट्सऐप ने दावा किया था कि उसकी जानकारी के बिना पेगासस का इस्तेमाल उसके ग्राहकों पर निगरानी रखने के लिए किया जा रहा है.
एनएसओ के ग्राहकों में दुनियाभर की सरकारें हैं. इस जांच में जिन दस देशों का नाम आया है, वे हैः अजरबैजान, बहरीन, हंगरी, भारत, कजाकिस्तान, मेक्सिको, मोरक्को, रवांडा, सऊदी अरब, यूएई.
‘मीडिया की आजादी पर हमला'
भारत में मीडिया संस्थान द वायर उस जांच का हिस्सा है, जिसे ‘पेगासस प्रोजेक्ट' नाम दिया गया. इस जांच में फ्रांसीसी संस्था ‘फॉरबिडन स्टोरीज' को मिले उस डेटा का फॉरेंसिक विश्लेषण किया गया, जिसके तहत हजारों फोन नंबर्स को हैक किये जाने की सूचना थी.
अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थाओं जैसे वॉशिंगटन पोस्ट, गार्डियन और ला मोंड व जर्मनी में ज्यूडडॉयचे त्साइटुंग ने भी इस जांच में हिस्सा लिया था. जांच के बाद दावा किया गया है कि 50 हजार फोन नंबरों को जासूसी के लिए चुना गया था. इनमें दुनियाभर के 180 से ज्यादा पत्रकारों के फोन नंबर शामिल हैं.
भारत में द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन उन पत्रकारों में से हैं जिनका फोन हैक किया गया. वह कहते हैं कि यह घटना मीडिया की आजादी पर हमला है. वरदराजन ने पत्रकारों को बताया, "तो जब भी किसी सरकार को यह अस्वस्थ उत्सुकता होगी कि हमारे पत्रकार क्या कर रहे हैं या फिर अपने विपक्षी नेताओं की गतिविधियां जानने के लिए अवैध तरीकों का इस्तेमाल करती है, आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ऐसी सरकार खेल के नियमों का सम्मान नहीं करती. जो सरकार कानून का सम्मान नहीं करती, वह लोकतंत्र और उसकी संस्थाओं सम्मान नहीं करती.”
राहुल गांधी का भी नाम
भारत में जिन लोगों के नाम पेगासस जासूसी कांड की सूची में शामिल हैं उनमें 40 से ज्यादा पत्रकारों के अलावा सरकार और विपक्ष के कई नेता भी शामिल हैं. सबसे बड़ा नाम कांग्रेस नेता राहुल गांधी का है. द वायर के मुताबिक राजनीतिक कार्यकर्ता प्रशांत किशोर और हाल ही में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री बने अश्विनी वैष्णव व प्रह्लाद पटेल भी संभवतया निशाने पर थे. वैष्णव का फोन संभवतया तब हैक किया गया जब 2017 में वह मंत्री या सांसद तो क्या, भारतीय जनता पार्टी के सदस्य भी नहीं थे.
जिन लोगों के फोन जासूसी के लिए निशाने पर थे, उनमें जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली महिला और उसके रिश्तेदार भी शामिल हैं. द वायर के दावों के मुताबिक उस महिला के कम से कम 11 रिश्तेदारों के फोन हैक किए गए.
यह मामला 2019 का है जबकि जब तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर एक महिला ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. जस्टिस गोगोई को सुप्रीम कोर्ट की एक समिति ने उस मामले में क्लीन चिट दी थी, जिसके फौरन बाद केंद्र सरकार ने उन्हें राज्य सभा के लिए नामित किया था.
भारतीय जनता पार्टी सरकार की आलोचना करते हुए कांग्रेस ने उसे ‘भारतीय जासूस पार्टी' बताया है. कांग्रेस ने कहा कि सरकार लोगों के बेडरूम में हो रही बातें सुन रही थी. उधर बीजेपी ने कहा है कि जासूसी के ये आरोप बेबुनियाद हैं.
आईटी मंत्री वैष्णव ने संसद में सरकार का बचाव करते हुए कहा कि यह मात्र संयोग नहीं है कि संसद का मानसून सत्र शुरू होने के एक दिन पहले यह खबर छपी है.
चमोली त्रासदी की जवाबदेही तय करने की मांग वाली याचिका को उत्तराखंड हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. चौंकाने वाली बात यह है कि याचिका के गुणों का मूल्यांकन किया ही नहीं गया, बल्कि याचिकाकर्ताओं को किसी की कठपुतली बताया गया.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
मामले पर सुनवाई उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की पीठ कर रही थी. पीठ ने याचिका को "अत्यधिक रूप से अभिप्रेरित" और "एक अज्ञात व्यक्ति या हस्ती" के इशारे पर दायर किया हुआ बताया. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता इस अज्ञात हस्ती के हाथ की कठपुतली से ज्यादा कुछ नहीं हैं.
कोर्ट ने यह भी कहा कि उसे याचिका की "बोना फाइड" पर भरोसा नहीं है और वो जनहित याचिका दायर करने की प्रक्रिया का दुरुपयोग है. इसके बाद अदालत ने याचिका को खारिज करने के साथ साथ याचिकाकर्ताओं पर 10,000 रुपए प्रति व्यक्ति जुर्माना भी लगाया.
कौन है याचिका के पीछे
याचिकाकर्ताओं में तीन व्यक्ति चमोली आपदा से सीधे प्रभावित रैणि गांव के मूल निवासी हैं जो ग्राम सभा द्वारा सर्वसम्मति से लिये गए फैसले के तहत अदालत गए. इनमें एकभवान सिंह राणा ग्राम सभा के मौजूदा प्रधान हैं, संग्राम सिंह क्षेत्र पंचायत के पूर्व सदस्य हैं और सोहन सिंह जाने माने पर्यावरण एक्टिविस्ट हैं. वो चिपको आंदोलन की नेता गौरा देवी के पोते हैं.
बाकी दो याचिकाकर्ता जोशीमठ से हैं, जिनमें कमल रतूड़ी कांग्रेस के नेता होने के साथ साथ सामजिक कार्यकर्ता हैं. उनके अलावा अतुल सती भाकपा माले के राज्य कमेटी सदस्य हैं और कई आंदोलनों से जुड़े रहे हैं. इनमें से संग्राम सिंह पहले भी उत्तराखंड हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं.
2019 में उन्हीं की जनहित याचिका पर फैसला देते हुए अदालत ने ऋषि गंगा बिजली परियोजना के स्थल पर विस्फोट से चट्टानों को उड़ाने का काम रोकने का आदेश दिया था. कुल मिलाकर सभी याचिकाकर्ता राज्य के जाने माने लोग हैं. इन सभी का परिचय याचिका में ही विस्तार से दिया हुआ है. याचिका में सबके पहचान पत्र और उनके अपील से जुड़े कई कागजात और हलफनामे भी संलग्न हैं.
ऐसे में याचिकाकर्ताओं की पृष्ठभूमि पर अदालत का टिप्पणी करना और उसी आधार पर याचिका को खारिज कर देना विस्मयकारी है. कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता सामाजिक ऐक्टिविस्ट होने का दावा तो करते हैं लेकिन यह साबित करने के लिए उन्होंने कोई सबूत नहीं दिया है.
हलफनामा ही सबूत
इस फैसले को पूर्वाग्रह से ग्रसित बताते हुए अतुल सती ने डीडब्ल्यू से कहा कि अदालत ने पहली ही सुनवाई में बिना कोई भी दलील सुने हुए याचिकाकर्ताओं पर सवाल उठाते हुए याचिका को खारिज कर दिया. उन्होंने यह भी बताया कि एनटीपीसी का वकील पांच ही दिन पहले एक दूसरे मामले में संग्राम सिंह के ही खिलाफ उपस्थित हुआ था, लेकिन उस दिन संग्राम सिंह को पहचानने तक से इंकार कर दिया और अदालत से कहा कि पता नहीं ये कौन हैं और कहां से चले आए हैं.
अमूमन अदालतों में याचिकाओं पर सुनवाई मंजूर ही तभी की जाती है जब उसे दायर करने वालों का परिचय अच्छे से साबित हो और याचिका में दी गई दलीलों का ठोस आधार हो. याचिकाकर्ताओं की तरफ से अदालत में जिरह करने वाला मान्यता प्राप्त वकील भी पहले उन लोगों के परिचय की पुष्टि कर लेता है.
इस याचिका में भी वकील डी के जोशी ने अदालत को याचिकाकर्ताओं के परिचय का भरोसा दिलाया है. जोशी इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हैं और कहते हैं कि अदालतों के फैसले संदेह से परे होने चाहिएं, लेकिन यह फैसला तो संदेह के ही आधार पर दिया गया है.
उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया कि उन्होंने अदालत से कहा भी था कि अगर याचिकाकर्ताओं के परिचय पर कोई संदेह है तो अदालत उनकी जांच करा ले, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. उन्होंने यह भी बताया कि अदालत में अगर कोई हलफनामा दे कर अपना परिचय देता है तो अदालत हलफनामे को ही सबूत मानती है, जब तक दूसरा पक्ष एक दूसरे हलफनामे के जरिये पहले पक्ष के दावों को चुनौती ना दे. जोशी ने यह भी बताया कि सुनवाई के दौरान प्रतिवादी पक्ष ने एक शब्द भी नहीं कहा.
क्या मांग थी याचिका में
याचिका का उद्देश्य चमोली त्रासदी की जवाबदेही तय करना, पीड़ितों को मुआवजा दिलाना और भविष्य में ऐसी घटनाओं को फिर से होने से रोकना था. इसमें केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार से मांग की गई थी कि वो ऋषि गंगा और तपोवन-2 विष्णुगढ़ पनबिजली परियोजनाओं को दी गई वन और पर्यावरण स्वीकृति रद्द करें.
यह मांग भी की गई थी कि भविष्य में उस जगह की सुरक्षा और स्थिरता को देखते हुए दोनों परियोजनाओं को ही रद्द किया जाए. इसके अलावा केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय को निर्देश दिया जाए कि वो उस इलाके के पर्यावरणीय जीर्णोद्धार की प्रक्रिया शुरू करे.
सरकारी कंपनी एनटीपीसी और ऋषि गंगा परियोजना कंपनी को आदेश देने की अपील थी कि दोनों कंपनियां त्रासदी में एक या उससे ज्यादा सदस्यों को खो चुके परिवारों के लिए हर्जाना सुनिश्चित करे. इसके अलावा 200 लोगों की जान ले लेने वाली आपराधिक लापरवाही की जवाबदेही तय किए जाने की और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने की मांग थी.
उत्तराखंड सरकार को निर्देश देने की मांग थी वो पूरी ऋषि-गंगा और धौली गंगा सब-बेसिन के इलाके में ब्लास्टिंग, नदी के तल में खनन और पत्थर तोड़ने पर प्रतिबंध लगाए. इसके अलावा केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से यह भी मांग की गई थी कि वो स्थानीय पर्यावरण को अपूरणीय क्षति पहुंचाने के लिए पनबिजली क्षेत्र से ही ब्लैकलिस्ट कर दे. अदालत ने किसी भी मांग को स्वीकार नहीं किया.
त्रासदी जारी है
अतुल सती कहते हैं कि वैसे तो उनका और उनके साथियों का पहले विचार था कि वो पुनर्विचार याचिका दायर करें, लेकिन अब उन्हें लग रहा है कि उसका कोई फायदा नहीं होगा. उन्होंने बताया कि उनके और उनके साथियों के पास अदालत में लड़ने के पैसे भी नहीं थे और गांव वालों ने चंदा इकठ्ठा कर यह राशि उनके लिए जमा की थी.उन्होंने कहा कि इसलिए अब वो और उनके साथी हाई कोर्ट के हाथों दोबारा निराश होने की जगह सुप्रीम कोर्ट जाने पर विचार कर रहे हैं और इस विषय में जल्द फैसला लेंगे. उत्तराखंड में पर्यावरण को बचाने की और चमोली त्रासदी जैसे हादसों को रोकने की कितनी जरूरत है यह इस बात से ही पता चल जाता है कि वहां अभी भी आए दिन इस तरह की घटनाएं हो रही हैं.
18 जुलाई की रात को ही उत्तरकाशी के मांडो गांव में बादल फटने से बाढ़ आ गई और कम से कम तीन लोगों की जान चली गई. अतुल सती बताते हैं कि रैणि गांव के लोग अभी भी भय में जी रहे हैं और बारिश होते ही अपने घरों को छोड़ कर जंगलों में चले जाते हैं. ऐसे में उत्तराखंड हाई कोर्ट का फैसला से राज्य में कई लोगों को निराश छोड़ गया है. (dw.com)
मुंबई में भारी बारिश के कारण अलग-अलग घटनाओं में 31 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है. दीवार गिरने और भूस्खलन के कारण ये हादसे हुए. कुछ लोगों की मौत करंट लगने से भी हुई है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में रविवार को भारी बारिश के कारण घर गिरने और करंट लगने की अलग-अलग घटनाओं में कम से कम 31 लोगों की मौत हो गई. बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के मुताबिक रविवार को तड़के मुंबई के विक्रोली इलाके में एक आवासीय इमारत गिर गई, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई. इस बीच, चेंबूर के भरत नगर इलाके में भूस्खलन के कारण कुछ झोंपड़ियों पर दीवार गिरने से कई लोगों की मौत हो गई.
सोमवार को भारी बारिश
भारी बारिश ने मुंबई की आम जिंदगी को बुरी तरह से प्रभावित किया है. सोमवार को लंबी दूरी की ट्रेनों के अलावा उपनगरीय रेल सेवा प्रभावित हुईं. बारिश के कारण सड़कों पर पानी भर गया और ट्रैफिक थम गया. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मुंबई के लिए रेड अलर्ट जारी किया है, अलर्ट के मुताबिक अगले 24 घंटे की अवधि के लिए अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश का अनुमान है.
मौसम विभाग ने 45 किलोमीटर प्रति घंटे से लेकर 65 किमी प्रति घंटे तक पहुंचने वाली कभी-कभी तेज हवाओं की भी चेतावनी दी है.
रविवार को चेंबूर और विक्रोली में हुए हादसे के बाद एनडीआरएफ की टीम ने राहत और बचाव कार्य चलाया और खोजी कुत्तों की मदद से मलबे में दबे लोगों को खोजने का काम किया.
बीएमसी के मुताबिक चेंबूर में हुए हादसे में 19 लोगों की मौत हो गई है और 10 लोगों की मौत विक्रोली में हुई है. दो अन्य लोगों की मौत करंट लगने और मकान ढहने के कारण हुई.
बदलते मौसम से बार-बार आती तबाही
पूरे भारत में मौसम कठोर होता जा रहा है और जानकार इसे जलवायु परिवर्तन से जोड़ कर देख रहे हैं. इस साल गर्मी ने भी रिकॉर्ड तोड़े हैं और उत्तर के राज्यों में मानसून ने लंबा इंतजार कराया तो वहीं कुछ राज्यों में इतनी बारिश हुई कि वहां बाढ़ आ गई. तटीय शहर मुंबई हमेशा मानसून से बुरी तरह प्रभावित होती रही है और हर साल बाढ़ की शिकार भी होती है.
यह आशंका है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश के बदलते पैटर्न से और भी अधिक बाढ़ और क्षति हो सकती है. हाल के सालों में मानसून लंबे समय तक सूखे की ओर स्थानांतरित हो गया है और फिर अत्यधिक वर्षा के कारण अधिक आबादी वाले शहरों के डूब जाने की आशंका ज्यादा रहती है.
महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे कहते हैं, "हम जलवायु परिवर्तन की बात करते हैं लेकिन अब यह हो रहा है."
आपदा पर बयानबाजी
देश की सबसे अमीर नगर निगमों में से एक बीएमसी पर हर साल मानसून के दौरान बदइंतजामी के आरोप लगते आए हैं. इस बार सप्ताहंत बारिश और उसके बाद की घटनाओं ने राजनीतिक दलों को एक बार फिर बीएमसी पर "अक्षमता और कुप्रबंधन" के आरोप लगाने का मौका दे दिया. आम आदमी पार्टी ने एक बयान में कहा, "मानसून के दौरान फिर एक बार बीएमसी के अधिकारियों की विफलता सामने आई है." बीएमसी पर शिवसेना ही काबिज है.
इस बीच महाराष्ट्र के नवी मुंबई में खारघर पुलिस ने रविवार शाम दमकल अधिकारियों के साथ, एक नाले को पार कर खारघर पहाड़ियों पर गईं 78 महिलाओं और 5 बच्चों सहित 116 लोगों को बचा लिया है.मौसम विभाग ने मुंबई, ठाणे और पालघर के लिए सोमवार को भारी बारिश की चेतावनी जारी की है.
23 जुलाई, 2019 को दिए जवाब में केंद्र सरकार ने लोकसभा को बताया कि 18 जुलाई 2016 से 18 जुलाई 2019 के बीच देश में भारी बारिश के साथ आने वाले तूफान, बाढ़ और भूस्खलन के कारण 6,585 लोगों की मौत हुई मतलब हर साल औसतन 2,000 से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी.
भारी बारिश सिर्फ आम इंसानों को ही नहीं बल्कि जानवरों को भी प्रभावित करती है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2016 से 2019 के इन तीन वर्षों में बारिश से संबंधित प्राकृतिक आपदाओं के कारण दो लाख से अधिक पशुधन की मौत हुई है और 39 लाख से अधिक घरों या झोपड़ियों को नुकसान पहुंचा.
जानकार कहते हैं कि कम समय में ज्यादा बारिश और खराब जल निकासी व्यवस्था शहरों में बार-बार बाढ़ की वजह बन रही हैं.(dw.com)
भारतीय वैज्ञानिक कोविड-19 की वॉर्म वैक्सीन बनाने के काफी करीब पहुंच गए हैं. ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने इस वैक्सीन का परीक्षण किया है.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
ऑस्ट्रेलिया के कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन ने भारत के वैज्ञानिकों द्वारा बनाई एक वैक्सीन के फॉर्म्युलेशन का परीक्षण किया है और पाया है कि कोरोना वायरस के विभिन्न वेरिएंट्स पर यह वैक्सीन प्रभावी साबित हुई.
कोविड की यह वॉर्म वैक्सीन बेंगलुरू स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के वैज्ञानिकों ने बायोटेक स्टार्टअप फर्म मिनवैक्स के साथ मिलकर तैयार की है. एसीएस इन्फेक्शियस डिजीज नामक पत्रिका में छपे एक शोध में ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने कहा है कि चूहों पर वैक्सीन के प्रयोग किए गए और प्रभावशाली नतीजे मिले.
पिछले हफ्ते प्रकाशित शोधपत्र में बताया गया है कि वैक्सीन ने चूहों में शक्तिशाली प्रतिरोधक क्षमता पैदा की और हैम्सटर्स को वायरस से बचाया. यह वैक्सीन ने 37 डिग्री सेल्सियस पर एक महीने तक और 100 डिग्री सेल्सियस पर 90 मिनट तक स्थिर रही.
क्या होती है वॉर्म वैक्सीन
ज्यादातर कोविड वैक्सीन कोल्ड होती है. इसका अर्थ है कि उन्हें बहुत कम तापमान पर ही रखना पड़ता है. जैसे कि ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को 2-8 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है जबकि फाइजर को -70 डिग्री सेल्सिय तापमान से ज्यादा पर नहीं रखा जा सकता.
मेलबर्न के पास जीलॉन्ग स्थित सीएसआईआरओ के ऑस्ट्रेलियन सेंटर फॉर डिजीज प्रीपेअर्डनेस के वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन में योगदान दिया है. उन्होंने टीका लगाए जाने के बाद लिए गए चूहों के रक्त के नमूनों की जांच की. इन चूहों को पूरी दुनिया में फैल रहे डेल्टा वेरिएंट समेत विभिन्न कोरनो वायरस से संक्रमित किया गया था.
शोध के सह लेखक और प्रोजेक्ट लीडर डॉ. एसएस वासन कहते हैं कि मिनवैक्स का टीका पाए चूहों ने कोरोना वायरस के सभी स्वरूपों के खिलाफ ताकतवर प्रतिरोध क्षमता दिखाई. एक बयान में डॉ. वासन ने बताया, "हमारा डेटा दिखाता है कि मिनवैक्स ने ऐसे एंटिबॉडी बनाए जो अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा समेत सभी वेरिएंट्स को खत्म करने में कामयाब रहीं.”
सीएसआईआरओ के हेल्थ एंड बायोसिक्यॉरिटी डाइरेक्टर डॉ. रॉब ग्रेनफेल कहते हैं दुनिया को वॉर्म वैक्सीन यानी ज्यादा तापमान पर भी स्थिर रहने वाले टीके की बहुत जरूरत है. उन्होंने कहा, "ऐसी जगहों पर जहां संसाधनों की कमी है या फिर ऑस्ट्रेलिया के क्षेत्रीय इलाकों जैसे गर्म हिस्सों में, जहां कोल्ड स्टोरेज बड़ी चुनौती है, वहां के लिए वॉर्म वैक्सीन बहुत जरूरी है.”
अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी
इस वैक्सीन का मानव परीक्षण इस साल के आखिर में शुरू हो सकता है. ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों का शोध मानव परीक्षण के लिए उचित उम्मीदवार चुनने में मददगार साबित होगा.
सीएसआईआरओ के हेल्थ एंड बायोसिक्यॉरिटी डाइरेक्टर डॉ. रॉब ग्रेनफेल कहते हैं कि कोविड से लड़ने में दुनियाभर के वैज्ञानिकों का सहयोग जरूरी है. एक बयान में उन्होंने कहा, "महामारी ने बताया है कि सस्ती वैक्सीन और इलाज उपलब्ध करवाने के लिए अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक सहयोग बेहद जरूरी है.”
सीएसआईआरओ इससे पहले दो अहम कोविड वैक्सीनों का परीक्षण कर चुका है, जिनमें ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका का प्रि-क्लीनिकल परीक्षण भी शामिल है.(dw.com)
मुंबई, 19 जुलाई| दिवंगत बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की बहन प्रियंका सिंह ने सोमवार को ट्विटर पर विकिपीडिया के संस्थापक जिमी वेल्स और सह-संस्थापक लैरी सेंगर से उनकी मृत्यु का कारण बदलने का आग्रह किया है। इस रिपोर्ट को प्रकाशित करते वक्त विकिपीडिया ने अभिनेता की मौत की वजह फांसी से आत्महत्या करार दिया था।
पेशे से वकील प्रियंका का कहना है कि सुशांत की मौत की जांच अभी भी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के दायरे में है इसलिए इसका उल्लेख जांच के तहत के रूप में किया जाना चाहिए।
प्रियंका ने सोमवार को ट्वीट करते हुए कहा, "मैं सुशांत की बहन हूं। आज की दुनिया में इंफॉर्मेशन ही पावर है, ऐसे में तथ्यों पर टिके रहना ही उचित है और यही सबसे अच्छी बात है जो हम कर सकते हैं। हैशटैगजस्टिसफॉरसुशांतसिंहराजपूत।"
इसके बाद वह सुशांत के एक पुराने वीडियो का लिंक साथ में जोड़े हुए कहती हैं, "विकिपीडिया के जिमी वेल्स से मेरी मांग है कि पहले तो चूंकि एक शीर्ष भारतीय एजेंसी, केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा सुशांत की मौत के मामले में जांच अभी भी जारी है इसलिए विकी पेज पर लिखी गई मौत की वजह फांसी से आत्महत्या से जांच के तहत में बदला जाना चाहिए। दूसरी बात विकी पेज पर सुशांत की लंबाई 183 सेमी में बदल दें क्योंकि खुद से ज्यादा विश्वसनीय सूत्र कौन हो सकता है।"
प्रियंका ने इसके बाद एक धुंधली हुई तस्वीर के साथ लिखा है, "मैं उसकी बहन हूं और मैं इस बात की पुष्टि करती हूं कि उसकी लंबाई वाकई में 183 सेमी है। सुशांत की मौत के मामले के मैट्रिक्स के लिए उनकी लंबाई महत्वपूर्ण है।"
उन्होंने इसके साथ वोग मैंगजीन के लिए केंडल जेनर संग सुशांत की ली गई तस्वीर शेयर की हैं और कहा है कि केंडल ने हाई हील्स पहन रखा है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 19 जुलाई | पत्रकारों और देश की अन्य हस्तियों की पेगासस स्पाईवेयर से कथित तौर पर जासूसी करने की खबरें मीडिया में आने के एक दिन बाद सोमवार को केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में सरकार की ओर से विपक्ष के सवालों का जवाब दिया। उन्होंने जासूसी की खबरों को खारिज करते हुए कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने की कोशिश है।
आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने तर्क के आधार पर कहा कि वेबसाइट ने केवल आधारहीन समाचार रिपोर्टो के माध्यम से सनसनी पैदा करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि अगर सदस्य खबरों पर उचित ध्यान देंगे तो वे खुद इस बात को समझ जाएंगे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, "एनएसओ ने भी कहा है कि रिपोर्ट झूठी और निराधार है। हमारे सिस्टम में किसी भी तरह की अवैध निगरानी संभव नहीं है। संसद सत्र से एक दिन पहले आने वाली यह मीडिया रिपोर्ट कोई संयोग नहीं है।"
मंत्री 'द वायर' में प्रकाशित पेगासस प्रोजेक्ट की उन रिपोर्टो पर एक बयान दे रहे थे, जिसमें कहा गया है कि पेगासस स्पाइवेयर के माध्यम से हैकिंग के लिए 300 से अधिक हॉन नंबरों को निशाना बनाया जा सकता था, जिसमें दो सेवारत मंत्री, 40 से अधिक पत्रकार और तीन विपक्षी नेताओं के नाम शामिल थे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 19 जुलाई | कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा इस्तेमाल किए गए कम से कम दो मोबाइल फोन भारत के उन 300 प्रमाणित नंबरों की सूची में शामिल हैं, जिनकी निगरानी करने के लिए इजरायल के एनएसओ ग्रुप के एक भारतीय क्लाइंट द्वारा पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल करने की योजना बनाई गई थी। न्यूज आउटलेट द वायर की एक ताजा रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
गांधी की हैंकिग करने की सनक इस स्तर तक थी कि उनके पांच करीबियों पर भी निशाना बनाने की तैयारी की गई थी, जबकि इन पांचों में से कोई भी राजनीतिक या सार्वजनिक कामों संबंधी भूमिका में नहीं है।
वैसे तो गांधी अब इस नंबर का इस्तेमाल नहीं करते हैं, लेकिन यह नंबर लीक हुए उस बड़े डेटाबेस का हिस्सा है, जिसे फ्रांसीसी मीडिया नॉन-प्रॉफिट फॉरबिडेन स्टोरीज ने प्राप्त किया है और इसे 16 न्यूज संस्थानों के साथ साझा किया है, जिसमें द वायर, द गार्जियन, वॉशिंगटन पोस्ट, ल मोंद इत्यादि शामिल हैं।
एमनेस्टी इंटरनेशनल के तकनीकी लैब द्वारा इस सूची में शामिल फोन पर की गई फॉरेंसिक जांच से यह स्पष्ट हुआ है कि इसमें से 37 डिवाइस में पेगासस स्पायवेयर था, जिसमें से 10 भारतीय व्यक्तियों से जुड़े हुए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, राहुल गांधी के फोन की फॉरेंसिक जांच नहीं हो पाई है, क्योंकि फिलहाल वे उस हैंडसेट का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, जिसे वे 2018 के मध्य और 2019 के बीच किया करते थे और इसी दौरान उनका नंबर निगरानी सूची में शामिल किया गया था।
फॉरेंसिक जांच नहीं हो पाने के चलते यह स्पष्ट रूप से बताना संभव नहीं है कि गांधी के फोन में पेगासस डाला गया था या नहीं, लेकिन उनके करीबियों से जुड़े कम से कम नौ नंबरों को निगरानी डेटाबेस में पाया जाना ये दिखाता है कि इसमें राहुल गांधी की मौजूदगी महज इत्तेफाक नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार, गांधी ने द वायर को बताया कि पूर्व में उन्हें संदिग्ध वॉट्सऐप मैसेज प्राप्त हुए थे, जिसके बाद उन्होंने तत्काल अपने नंबर और फोन बदल दिए, ताकि उन्हें निशाना बनाना आसान न हो।
राहुल गांधी पर निगरानी करने की योजना ऐसे समय पर बनाना, जब वे विपक्षी कांग्रेस के अध्यक्ष थे और नरेंद्र मोदी के खिलाफ साल 2019 के आम चुनाव में अपनी पार्टी का नेतृत्व कर रहे थे, पूरी चुनावी प्रक्रिया की अखंडता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, राहुल गांधी के निजी फोन के अलावा उनके दो करीबी सहयोगियों - अलंकार सवाई और सचिन राव के नंबर भी लीक हुए डेटाबेस में शामिल हैं।
राव कांग्रेस वकिर्ंग कमेटी के सदस्य हैं, जो वर्तमान में पार्टी कैडर को ट्रेनिंग देते हैं, जबकि सवाई राहुल गांधी के कार्यालय से जुड़े हुए हैं और आमतौर पर अपना अधिकांश समय उनके साथ ही बिताते हैं। सवाई का फोन 2019 में चोरी हो गया था और इस तरह अब यह फॉरेंसिक जांच के लिए उपलब्ध नहीं है, जबकि राव ने कहा कि उनका फोन खराब हो गया है और अब यह स्विच ऑन नहीं होता है। (आईएएनएस)
विवेक त्रिपाठी
वाराणसी, 19 जुलाई | कोरोना वायरस से बचाव के हथियार बने मास्क के बेकार होंने पर अब कोई समस्या नहीं आएगी। डस्टबीन में डालते ही यह धू-धकर जल उठेगा। इसे न तो कहीं इधर-उधर फेंकने की समस्या रहेगी, न ही इस बेकार मास्क से वायरस के बढ़ने का भय भी रहेगा। वाराणसी के दो छात्र आयुष और रेशमा द्वारा बनाएं गये स्मार्ट डस्टबीन से यह संभव हो सकेगा।
प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के सक्षम स्कूल में पढ़ने वाले आयुष और रेषमा ने बताया कि कोरोना संकट में मास्क बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है। हालांकि, लोगों के इधर, उधर फेंकने से वायरस के फैलने का खतरा भी रहा है। इसे देखते हुए हमने स्मार्ट इलेक्ट्रिक डस्टबीन का इजाद किया है।
आयुष ने बताया कि "स्मार्ट डस्टबीन में प्रयोग किए हुए मास्क, ग्लब्स और पीपीईकिट को डालने से यह जल जाएगा। इससे फैलने वाले संक्रमण का खतरा भी नहीं होगा। यह कार्यलयों, अस्पतालों और एयरपोर्ट समेत अन्य सार्वजनिक जगहों पर रखकर इलेक्ट्रिक से संचालित किया जा सकता है।"
रेशमा ने बताया कि "यह डस्टबिन मेटल के चादर से बना हुआ हैं तकरीबन 3 फुट उंचा है। डस्टबीन के ऊपरी हिस्से में एक छोटा सा सेंसर ढक्कन लगा हैं जो किसी व्यक्ति के नजदीक आने पर ऑटोमेटिक खुल जाएगा। डस्टबिन के ढक्कन को खुलते ही आप अपने बेकार मास्क को इसके के अंदर डाल दें। मास्क डालते ही सेंसर 20 सेकेंड के लिए इसमें लगे हीटर को ऑन कर देता हैं। जिससे मास्क महज कुछ सेकंड में जल कर खाक हो जाते हैं। डस्टबीन में 200 मास्क, ग्लब्स होने पर डस्टबीन का हीटर ऑन होकर इसे नष्ट कर देगा। इसका प्रयोग मैनुअल और आटोमैटिक किया जा सकता है। इसे बनाने में 6 दिन का समय व 3500 रुपये का खर्च आया हैं। इसे बनाने में अल्ट्रासोनिक सेंसर, गियर मोटर, मोशन सेंसर, हीटर प्लेट 1000 वाट, स्पीकर, स्विच, का इस्तेमाल किया गया हैं। इसका आकार बढ़ाया जा सकता है। इसे आने वाले समय में बिना बिजली के चिंगारी से जलाने की तकनीक पर भी काम किया जा रहा है।"
सक्षम स्कूल की संस्थापक सुबिना चोपड़ा ने बताया, "कोरोना संकट में मास्क, ग्लब्स, पीपीई किट बहुत काम आए लेकिन यह अक्सर प्रयोग होंने के बाद लोग सार्वजनिक स्थलों फेंक देते जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। इसे देखते हुए हमने अपने दो बच्चों यह एंटी इलेक्ट्रिक स्मार्ट डस्टबीन बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। जिसे बच्चों ने बनाया है। इस डस्टबीन के प्रयोग से हम फैलने वाले संक्रमण को रोक सकते हैं।"
आइआइटी बीएचयू में बायो मेडिकल के एसोसिएट प्रोफेसर डा. मार्शल धयाल ने बताया, "स्मार्ट डस्टबीन बनाने का प्रयास काफी सराहनीय है। कोरोना संकट के दौरान देखने को मिला है कि लोगों ने प्रयोग किए हुए मास्कों या अन्य मेडिकल वेस्टेज खुले स्थानों पर पड़े रहते हैं। जिससे संक्रमण होने का भय बना रहता है। अगर यह स्मार्ट डस्टबीन में डाले जाए और यह जल जाएंगे। तो इससे संक्रमण का खतरा बिल्कुल नहीं रहेगा। यह अच्छी चीज है। इस डस्टबीन का प्रयोग कार्यालयों, अस्पतालों में किया जा सकता है।"
वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी, क्षेत्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महादेव पांडेय ने बताया कि "कोरोना को रोकने के लिए मास्क बड़ा कारगर साबित हुआ है। लेकिन, कोरोना संक्रमितों के इलाज और जांच के बाद निकले मेडिकल वेस्ट का सही से निस्तारण नहीं हो पा रहा है। इससे संक्रमण फैलने की आशंका बनी रहती है। इसमें मास्क, ग्लब्स और पीपीई किट समेत अनेक चीजें शामिल है। यह स्मार्ट डस्बीन में मेडिकल वेस्ट अपने आप जल जाएगा। यह काफी अच्छा नावाचार है। इसमें बच्चों के वेस्ट डायपर को भी नष्ट करनें का भी तरीका निकाला जा सकता है। यह काफी सराहनीय कदम है।" (आईएएनएस)