राष्ट्रीय
लखनऊ,19 जुलाई | लखनऊ विश्वविद्यालय (एलयू) में प्राचीन भारतीय इतिहास और पुरातत्व (एआईएचए) विभाग के रहने वाले छात्रों द्वारा बनाए गए एक व्हाट्सएप ग्रुप में अश्लील फोटो और भद्दे कमेंट फ्लैश होने लगे है। इस घटना के बाद वहां के छात्र सहम गए हैं। इस संबंध में विवि के मुख्य अधीक्षक ने रविवार को हसनगंज थाने में शिकायत दर्ज कराई। आरोपी छात्रों की अभी शिनाख्त नहीं हो पाई है।
यह पूरा मामला पेपर प्रेजनटेशन के लिए फैकलटी के निर्देश पर छात्रा द्वारा बनाऐ गऐ व्हाट्सएप ग्रुप में शनिवार देर रात अश्लील चित्र और अश्लील संदेश पोस्ट किए गए थे।
ग्रुप में जुड़ने के लिए शिक्षकों द्वारा सरकुलेट एक लिंक के माध्यम से लगभग 170 बीए छात्रों को जोड़ा गया।
कुछ छात्र भद्दे मैसेज पोस्ट कर बाहर निकल गए और बाद में फिर से ग्रुप में शामिल हो गए।
छात्रों का कहना है कि, बदमाश छात्रों का जो मोबाइल नंबर ग्रुप में दिख रहा था, वह उसी क्लास के एक लड़के का था। हालांकि जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने अपनी संलिप्तता से इनकार किया है।
एक छात्रा ने कहा, शनिवार देर रात के करीब 11.58 बजे, हमारे पुरुष सहपाठी के नाम और फोन नंबर के साथ ग्रुप पर पहली अश्लील तस्वीर पोस्ट की गई थी। तस्वीर के बाद एक संदेश था। जिसमें चार छात्राओं को अश्लील संदेशों के माध्यम से लक्षित किया गया था।
उसने कहा कि वह व्यक्ति कक्षा की छात्राओं और शिक्षकों के लिए भी अभद्र और आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करता रहा।
छात्रों द्वारा साझा किए गए ग्रुप के स्क्रीनशॉट में, देर रात शिक्षकों से अनुरोध करने वाली महिला छात्रों के कई संदेश के इस मामले को देखने और सख्त कार्रवाई करने के लिए कहाती है। बार-बार अनुरोध करने के बाद भी, अनियंत्रित तत्व ने कक्षा के चार लड़को ने गाली देने वाला भी मैसेज किया और एक संकाय सदस्य के नाम को कलंकित कर दिया। फिर उसने अश्लील तस्वीरें पोस्ट कीं।
इन छात्रों में से एक ने कहा कि, जब गालियों ने सभी सीमाएं पार कर लीं और हमारे संकाय सदस्य के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया, तो मैंने इस मामले को देखने के लिए कुलपति प्रोफेसर एके राय और डीन, छात्र कल्याण, प्रोफेसर पूनम टंडन को टैग करते हुए ट्विटर का सहारा लिया। .
छात्र ने बताया कि , अनियमित तत्व ने अश्लील तस्वीरें पोस्ट कीं, अपमानजनक संदेश लिखे और तुरंत समूह से बाहर हो गए। वह फिर से एक अलग नाम और नंबर के साथ वापस जुड़ गया।
जब एलयू अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो बाद में रविवार को एआईएचए के विभागाध्यक्ष प्रो पीयूष भार्गव द्वारा एलयू प्रॉक्टर कार्यालय को एक शिकायत भेजी गई, जिसके आधार पर हसनगंज थाने में मुख्य प्रॉक्टर दिनेश कुमार द्वारा कार्रवाई के लिए आवेदन दिया गया।
अधीक्षक ने कहा किहमने इस संबंध में हसनगंज पुलिस स्टेशन में एक पुलिस शिकायत दर्ज की है। साथ ही, हमने व्हाट्सएप ग्रुप और फोन नंबर का एक स्क्रीनशॉट साझा किया है। जिसका इस्तेमाल उस छात्र के नाम और संपर्क नंबर के साथ किया गया था। जिसका नाम अश्लील था। महामारी के दौरान शिक्षा के लिए ऑनलाइन क्लॉस के बहुत ही यूजफुल रहे हैं, लेकिन इस तरह के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। (आईएएनएस)
संभल (उत्तर प्रदेश), 19 जुलाई | आगरा-चंदौसी राजमार्ग पर सोमवार तड़के दो बसों की टक्कर में सात लोगों की मौत हो गई और आठ अन्य घायल हो गए। हादसा लहारवां गांव के पास उस समय हुआ जब शादी पार्टी ले जा रही एक बस का टायर पंक्च र होने से सड़क किनारे खड़ी हो गई और दूसरी बस ने उसे टक्कर मार दी।
पुलिस अधीक्षक, चक्रेश मिश्रा ने कहा, मारे गए लोगों की पहचान वीरपाल, 60, हैप्पी, 35, छोटे, 40, राकेश, 30, अभय, 18, विनीत, 30 और भूरे, 25 के रूप में हुई है।
वे एक शादी से लौट रहे थे तभी हादसा हो गया।
एसपी ने बताया कि घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर दुख व्यक्त किया है और अधिकारियों को पीड़ितों को हर संभव राहत सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। (आईएएनएस)
श्रीनगर, 18 जुलाई | बॉलीवुड अभिनेत्री और भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने रविवार को जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में माता खीर भवानी मंदिर में दर्शन किए। श्रीनगर शहर से 25 किलोमीटर दूर स्थित माता खीर भवानी मंदिर में हेमा मालिनी के दर्शन के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे।
बॉलीवुड अभिनेत्री ने एक झरने के बीच में स्थित मंदिर में माथा टेका।
गांदरबल जिले के तुल्लामुल्ला गांव में माता खीर भवानी मंदिर कश्मीरी पंडितों का सबसे पवित्र मंदिर है।
दशकों पहले खूनी उग्रवादी हिंसा के प्रकोप के बाद घाटी के बाहर विभिन्न स्थानों पर प्रवास कर रहे कश्मीरी पंडित इस साल 26 मई को आयोजित वार्षिक उत्सव के दौरान देवी का आशीर्वाद लेने के लिए देशभर से आए थे।(आईएएनएस)
भोपाल, 18 जुलाई | कोरोना संक्रमण के चलते कई बच्चों ने अपने पालकों केा खोया है। ऐसे निराश्रित बच्चों केा गैर सरकारी संगठन बिना वैधानिक प्रक्रिया को पूरा किए गोद दे रहे है। यह मामले सामने आने पर केंद्रीय बाल संरक्षण आयोग ने हिदायत दी है कि वैधानिक प्रक्रिया को अपनाए बगैर बच्चों को गोद लेने वालों पर कार्रवाई होगी। उन्हें जेल व जुर्माने की सजा तक हो सकती है। केन्द्रीय बाल संरक्षण आयोग द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि वैधानिक प्रकिया अपनाए बिना निराश्रित बच्चों को गोद लेने पर छह माह का कारावास अथवा 10 हजार रुपए जुमार्ना या दोनों सजा हो सकती है।
आयोग द्वारा कहा गया है कि पूर्व के माह में शिकायतें प्राप्त हुई हैं जिनमें यह आरोप लगाया गया है कि कई गैर सरकारी संगठन उन बच्चों के बारे में विज्ञापन प्रसारित कर रहे हैं, जो अनाथ हो गए हैं अथवा जिन्होंने कोविड संक्रमण के फलस्वरूप अपने परिवार को खो दिया है। गोद लेना व देना एक वैधानिक प्रकिया है, जिसका पालन किया जाना अनिवार्य है। गोद लेने व देने के लिए संपूर्ण भारत में एकमात्र एवं एकीकृत प्रावधान किया गया है जिसे केन्द्रीय दस्तक ग्रहण अधिकरण (कारा) कहा जाता है।
आयोग ने कहा है कि ऐसे निराश्रित व जरूरतमंद बच्चों के संबंध में सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने से बचें एवं उसकी जानकारी चाइल्ड लाइन 1098, स्थानीय पुलिस, विशेष दत्तक ग्रहण अभिकरण, बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण इकाई अथवा कारा को दें। (आईएएनएस)
चेन्नई, 18 जुलाई | तमिलनाडु सरकार दिसंबर 2021 से पहले शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराएगी। इसकी घोषणा नगरपालिका प्रशासन मंत्री के.एन. नेहरू ने की। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के विधानसभा के बजट सत्र के दौरान इस पर बयान देने की उम्मीद है।
शनिवार को एक बयान में, मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2021 से पहले राज्य के नौ नए जिलों में ग्रामीण स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया है।
द्रमुक ने पहले अपने चुनावी घोषणा पत्र में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का जिक्र नहीं किया था, लेकिन यह देखने के बाद कि सरकार जनता के बीच लोकप्रिय हो गई है, मुख्यमंत्री और उनकी करीबी टीम शहरी स्थानीय निकाय चुनाव जल्द कराने के इच्छुक हैं।
के.एन. नेहरू ने बयान में कहा, "मुख्यमंत्री ने हमें नए नौ जिलों में ग्रामीण स्थानीय निकाय चुनावों के दो महीने बाद शहरी स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी करने का निर्देश दिया है।"
मंत्री के बयान के अनुसार, राज्य सरकार ग्रामीण स्थानीय निकायों को परेशान नहीं करेगी, जिन्होंने दिसंबर 2019 में पदभार ग्रहण किया था और ये निकाय अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे।
मंत्री ने कहा कि सरकार जल्द ही नगर पालिकाओं और निगमों का भी उन्नयन करेगी। द्रमुक सरकार पिछली अन्नाद्रमुक सरकार द्वारा किए गए परिसीमन का अध्ययन करने की कवायद भी कर रही है।
के.एन. नेहरू ने कहा कि पिछली सरकार द्वारा वाडरें के संबंध में अपनाई गई नीति के बारे में कई शिकायतें थीं और अधिक महिला आबादी वाले कई वार्ड सामान्य श्रेणी के थे, जबकि कम महिला आबादी वाले वार्ड महिला आरक्षण के अधीन थे।
2011 के बाद से तमिलनाडु में शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव नहीं हुए है और अन्नाद्रमुक सरकार ने 2016 के दौरान चुनाव कराने की कोशिश की थी जब मुख्यमंत्री जयललिता अस्पताल में भर्ती थीं लेकिन मद्रास उच्च न्यायालय ने प्रस्ताव को काट दिया था। कोर्ट ने तब देखा था कि अधिसूचना तमिलनाडु पंचायत (चुनाव) नियम 1995 के अनुपालन में नहीं थी।
द्रमुक ने भी अदालत का दरवाजा खटखटाया था कि तत्कालीन अन्नाद्रमुक सरकार द्वारा किया गया परिसीमन उचित नहीं था, इसके बाद नौ नए जिलों को छोड़कर दिसंबर 2019 में ग्रामीण स्थानीय निकायों के चुनाव हुए थे। (आईएएनएस)
लखनऊ,18 जुलाई | कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने रविवार को भाजपा के उस बयान पर उसे आड़े हाथों लिया, जिसमें उसने कहा था कि वह एक 'राजनीतिक पर्यटक' हैं। उन्होंने कहा, "मैं एक राजनीतिक पर्यटक नहीं हूं। मैं नियमित रूप से यूपी आती रही हूं। मुझे और मेरे भाई राहुल को गैर-गंभीर राजनेता के रूप में दिखाने के लिए यह भाजपा का प्रचार है और हम इससे डरने वाले नहीं हैं।"
मीडियाकर्मियों के साथ अनौपचारिक बातचीत में, प्रियंका ने कहा कि भाजपा बार-बार उनके और राहुल के गंभीर राजनेता नहीं होने के बारे में एक मुद्दा बनाना चाहती है।
उन्होंने कहा, "उन्होंने (भाजपा) एक धारणा बनाई है कि मैं पिछले डेढ़ साल से यूपी से दूर हूं, जबकि तथ्य यह है कि मैं नियमित रूप से किसान पंचायत और अन्य कार्यक्रमों में शामिल हो रही हूं।"
आगामी चुनावों के मद्देनजर यूपी में कांग्रेस के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "मैं स्वीकार करती हूं कि हमारा संगठन अन्य दलों की तुलना में कमजोर है। हम यहां 32 साल से सत्ता से बाहर हैं। लेकिन हम निर्माण पर काम कर रहे हैं। संगठन और यात्रा लंबी है। मैं व्यक्तिगत रूप से सभी जिला इकाइयों के साथ चौबीसों घंटे काम कर रही हूं।"
कांग्रेस के अगले विधानसभा चुनाव में गठबंधन बनाने या अकेले जाने की संभावना के बारे में प्रियंका ने कहा, "हम इस मुद्दे पर करीबी नहीं हैं। इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी लेकिन हम ऐसा फैसला नहीं लेंगे जो संगठन या पार्टी के हितों के लिए हानिकारक हो।
प्रियंका ने कहा कि वह अधिक से अधिक पार्टी कार्यकतार्ओं और समूहों से मिलने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा, "मेरा व्हाट्सएप नंबर सबके पास है और यह कहना गलत है कि मैं योग्य नहीं हूं।" (आईएएनएस)
मुंबई, 18 जुलाई | बीएमसी आपदा नियंत्रण ने रविवार को यहां कहा कि मुंबई और मुंबई महानगर क्षेत्र में आधी रात से हो रही बारिश के कारण 11 अलग-अलग घटनाओं में कम से कम 22 लोगों की मौत हो गई। आईएमडी मुंबई के अनुसार, जब रात में मुंबई सो रहा था, गरज, बिजली के साथ कुछ क्षेत्रों में 197 मिमी से 235 मिमी से अधिक की भारी बारिश हुई, जिसने कई क्षेत्रों को जलमग्न कर दिया और सड़क और रेल यातायात को बुरी तरह प्रभावित हुआ।
बीएमसी आपदा प्रकोष्ठ और एनडीआरएफ के अनुसार, चेंबूर इलाके के वाशी नाका, न्यू भारत नगर में तड़के करीब एक बजे एक पेड़ गिरने के बाद दीवार गिरने से कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई।
एक अन्य घटना में, विक्रोली पूर्व में सूर्यनगर की बस्तियों में कुछ झोपड़ियों के ढह जाने से कम से कम 3 लोगों की मौत हो गई।
रविवार को तड़के घर की दीवार गिरने से 16 वर्षीय लड़के सोहम एम थोराट की मौत हो गई, जबकि अंधेरी पश्चिम में मिठाई की दुकान में 26 वर्षीय युवक सलीम एम. पटेल की करंट लगने से मौत हो गई।
इन सभी घटनाओं में घायल हुए लगभग 12 अन्य लोगों को विभिन्न अस्पतालों में ले जाया गया है और उनका इलाज चल रहा है, उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
बीएमसी के गेज ने दक्षिण मुंबई में 177 मिमी, पूर्वी उपनगरों में 205 मिमी और पश्चिमी उपनगरों में 195 मिमी बारिश दर्ज की।
कई क्षेत्रों में, लोगों ने कमर तक पानी की सूचना दी, बाढ़ का पानी संवेदनशील या निचले इलाकों में भूतल के घरों या दुकानों में प्रवेश कर गया।
मध्यरात्रि के बाद शुरू हुई बारिश लगभग बिना रुके जारी रही और सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी, रायगढ़, ठाणे और पालघर के तटीय कोंकण जिलों के अलावा शहर के अधिकांश हिस्सों में जलभराव या बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई।
बारिश ने उपनगरीय ट्रेन सेवाओं को प्रभावित किया, जिससे नल्ला सोपारा और विरार में डब्ल्यूआर लाइनों में पानी भर गया, और दादर, सायन, कुर्ला, परेल, चूनाभट्टी और तिलकनगर में सीआर ट्रैक जलमग्न हो गए।
सुबह 7 बजे तक जैसे ही रेलवे ट्रैक से पानी का स्तर कम हुआ, पश्चिम रेलवे ने चर्चगेट और बोरीवली के बीच सेवाएं फिर से शुरू कर दीं गईं और सीआर ने मेनलाइन और हार्बर लाइन पर सेवाएं शुरू कर दीं।
बीएमसी ने कहा कि पूरे मुंबई में कम से कम 31 इलाकों में जलभराव या बाढ़ की सूचना है, जिसमें पश्चिमी उपनगरों में नियमित हॉटस्पॉट और पूर्व-पश्चिम सबवे शामिल हैं।
हालांकि, बारिश का असर यात्रियों को ज्यादा महसूस नहीं हुआ क्योंकि रविवार का दिन था, ज्यादातर लोग घर के अंदर ही रहे।
भांडुप जल उपचार संयंत्र में बाढ़ के पानी के प्रवेश के साथ, बीएमसी ने कहा है कि मरम्मत पूरी होने तक शहर के कुछ हिस्सों में पानी की कमी होगी और लोगों से पानी का संयम से उपयोग करने का आग्रह किया।
आईएमडी मुंबई ने दिन के दौरान और बारिश की चेतावनी दी है, जिसके लिए बीएमसी, एनडीआरएफ, पुलिस, फायर ब्रिगेड और अन्य एजेंसियां मुंबई और पूरे तटीय कोंकण क्षेत्र में हाई अलर्ट पर हैं। (आईएएनएस)
लखनऊ, 18 जुलाई | उर्दू के जाने-माने शायर मुनव्वर राणा ने कहा है कि अगर योगी आदित्यनाथ 2022 में फिर से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो वह उत्तर प्रदेश छोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि अगर योगी आदित्यनाथ फिर से मुख्यमंत्री बनते हैं, तो यह ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी के कारण ही होगा।
कवि ने आरोप लगाया, "ओवैसी और भारतीय जनता पार्टी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। भाजपा और ओवैसी लोगों को गुमराह करने के लिए शैडो बॉक्सिंग में लिप्त हैं। तथ्य यह है कि वे दोनों मतदाताओं का ध्रुवीकरण करते हैं और फिर चुनावी लाभांश प्राप्त करते हैं जिससे बड़ा हिस्सा भाजपा को जाता है।"
राणा ने कहा कि अगर यूपी के मुसलमान ओवैसी के जाल में फंस गए और एआईएमआईएम को वोट दिया तो योगी आदित्यनाथ को दोबारा मुख्यमंत्री बनने से कोई नहीं रोक पाएगा।
उन्होंने कहा, "अगर योगी फिर से मुख्यमंत्री बनते हैं, तो मैं मान लूंगा कि राज्य अब मुसलमानों के रहने के लायक नहीं है और मुझे कहीं और जाना होगा।"
राणा ने आरोप लगाया कि " जिस तरह मुस्लिम युवकों को अलकायदा से जोड़कर प्रेशर कुकर के जरिए आतंक के झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है, मुझे डर है कि कल एटीएस मुझे उठा ले और मुझे पाकिस्तान में मुशायरों में भाग लेने के लिये आतंकवादी घोषित कर दे। "
प्रस्तावित यूपी जनसंख्या नियंत्रण विधेयक पर, मुनव्वर राणा ने कहा, "मुसलमानों के आठ बच्चे हैं, ताकि अगर पुलिस दो बच्चों को आतंकवादी के रूप में उठाती है और दो बच्चे कोरोनावायरस से मर जाते हैं, तो उनकी देखभाल के लिए चार बच्चे उनके घर में मौजूद होंगे।" (आईएएनएस)
लखनऊ, 18 जुलाई | उत्तर प्रदेश में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने लखनऊ, नई दिल्ली, गुरुग्राम, मुंबई और अहमदाबाद में देर रात पार्टियों के दौरान नशा सप्लाई करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है और 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। इंदिरानगर थाना क्षेत्र के पिकनिक स्पॉट ट्राइसेक्शन से गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान मोहम्मद कयूम, रियाज अली, नफीस अहमद और सद्दाम हुसैन (सभी बहराइच से), गुलाब खान और शाहनशाह अयोध्या के रूप में हुई है।
कयूम इस गिरोह का कथित सरगना है।
एसटीएफ की टीम ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तीन करोड़ रुपये की 2.65 किलोग्राम मेथाडोन ड्रग्स, 12 मोबाइल फोन, एक कार, एक एसयूवी, एक मोटरसाइकिल, दस्तावेज और 6,500 रुपये नकद बरामद किए।
डीएसपी एसटीएफ, डी.के. शाही ने संवाददाताओं से कहा कि कयूम ने कबूल किया कि वह पिछले 15-16 वर्षों से अपराध में शामिल था और पुलिस द्वारा उसकी तलाश शुरू करने के बाद वह अयोध्या चला गया।
शाही ने कहा, "उसने पूछताछकर्ताओं को बताया कि वह पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों और नेपाल में ड्रग्स की तस्करी करता था।"
उन्होंने आगे कहा कि कयूम और उनके सहयोगियों ने अपने सहयोगी गुलाब खान के माध्यम से अन्य राज्यों में अपने अभियान का विस्तार किया।
डीएसपी ने कहा, "गुलाब खान ने खुलासा किया कि वह और उसके सहयोगी कुछ ऐसे लोगों के संपर्क में थे जो नई दिल्ली में ड्रग्स की आपूर्ति करते थे। गिरोह स्काइप के जरिए उनके दिल्ली लिंक के संपर्क में था।"
पुलिस ने कहा कि आरोपियों ने बहुत अधिक संपत्ति अर्जित की थी और इस पैसे से घरों और दुकानों का निर्माण कराया था।
उन्होंने हाल ही में एसयूवी भी खरीदी थी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली,18 जुलाई | 18 जुलाई कंपनी ने कोई भी घोटाले के बारे में किसी भी जानकारी से इनकार किया है।
बिग बॉय टॉयज के एमडी जतिन आहूजा ने एक बयान में कहा: निपुन मिगलानी को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है और बिग बॉय टॉयज उनके किसी भी व्यक्तिगत के लेनदेन के प्रति कोई दायित्व और जिम्मेदारी नहीं रखता है।
बयान में कहा गया है, यह बड़े पैमाने पर आम जनता के लिए जाना जाता है कि निपुण मिगलानी ने अपनी व्यक्तिगत क्षमता में जो कुछ भी किया है, बिग बॉय टॉयज लिमिटेड उसके लिए जवाबदेही नहीं है। आगे भी यदि कोई व्यक्ति श्री निपुण मिगलानी के साथ व्यवहार करता है, तो वह खूद जिम्मेदार होगा और बिग बॉय टॉयज को उससे कोई आपसीे संबध नहीं है।
हम बड़े पैमाने पर जनता को यह भी सूचित करते हैं कि कथित मामले में कोई चिंता या प्रश्न, बिग बॉय टॉयज को नहीं लिख सकता है। क्योंकि किसी भी तरह से बिग बॉय टॉयज इसमें शामिल नहीं है।
डीआरआई ने राजनयिक विशेषाधिकारों के दुरुपयोग से जुड़े एक लक्जरी कार तस्करी रैकेट के सिलसिले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार किए गए तीन आरोपी मिगलानी, लियाकत बचाउ खान और सूर्या अर्जुनन हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 जुलाई : पंजाब कांग्रेस में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह बनाम नवजोत सिंह सिद्धू की जंग तेज हो गई है. सूत्रों का कहना है कि पंजाब के कांग्रेस सांसद आज पार्टी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात करने वाले हैं और नवजोत सिद्धू को प्रदेश बनाए जाने का विरोध करने वाले हैं. पंजाब से कांग्रेस के सभी लोकसभा और राज्यसभा सांसद आज दिल्ली में पार्टी सांसद प्रताप सिंह बाजवा के आवास पर पहले मिलेंगे. बाजवा ने भी नई दिल्ली में कहा है कि उन्होंने पंजाब के सभी (कांग्रेस) सांसदों को किसानों के मुद्दे पर रणनीति बनाने और कांग्रेस पार्टी से जुड़े कुछ मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बैठक के लिए आमंत्रित किया है.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
सूत्रों ने बताया कि पार्टी सांसद कांग्रेस नेतृत्व से नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त नहीं करने का आग्रह करेंगे.
सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी और पूर्व केंद्रीय मंत्री परिणीत कौर पार्टी सांसदों को इस मुलाकात के लिए प्रेरित कर रही हैं.
सूत्रों ने कहा कि पार्टी में पुराने समय के लोग (नेता) नवजोत सिंह सिद्धू को पदोन्नत करने के केंद्रीय नेतृत्व के फैसले से नाराज हैं, जिन्हें वे "बीजेपी से रिजेक्टेड" कहते हैं.
सीएम अमरिंदर सिंह, कुछ नए लोगों की नियुक्ति के साथ सिद्धू की पदोन्नति के लिए सहमत हो गए थे लेकिन उन्होंने नए पद पर उनकी नियुक्ति से पहले उनसे सार्वजनिक रूप से माफी की मांग करना जारी रखा है.
सिंह ने कहा था कि चुनाव से पहले महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय पार्टी नेतृत्व को उन्हें (सिद्धू को) शामिल करना चाहिए
79 वर्षीय कैप्टन ने पार्टी नेतृत्व से यह भी मांग की कि उन्हें अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल करने और सिद्धू के तहत कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति में पूरी छूट दी जाए.
सूत्रों ने कहा कि सीएम अमरिंदर सिंह ने सिद्धू से तब तक मिलने से इनकार किया है जब तक कि वह सार्वजनिक रूप से खेद व्यक्त नहीं करते या अपने खिलाफ किए गए ट्वीट के लिए माफी नहीं मांगते.
सूत्रों ने कहा कि सिंह ने कहा कि सिद्धू की नियुक्ति अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी को सत्ता में वापस लाने में मदद करने के उनके प्रयासों का पूरक होना चाहिए.
सूत्रों ने कहा कि अनरिंदर सिंह कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत के साथ कल की बैठक के बाद पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी द्वारा लिए गए किसी भी निर्णय को स्वीकार करने के लिए सहमत हो गए थे. रावत उनसे मिलने के लिए शनिवार को चंडीगढ़ गए थे.
अमरिंदर सिंह और नवजोत सिद्धू के बीच राजनीतिक लड़ाई 2017 में कांग्रेस के पंजाब चुनाव जीतने के बाद से ही चल रही है. इस झगड़े ने अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव में पार्टी को खतरे में डाल दिया है. सिद्धू, जिन्होंने भाजपा छोड़कर 2017 के चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे, सत्ता में एक बड़े हिस्से (उप मुख्यमंत्री पद समेत) की भागीदारी के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन अमरिंदर सिंह ने उनकी हर चाल को अभी तक नाकाम किया है.
हैदराबाद, 17 जुलाई | वाईएसआर तेलंगाना पार्टी (वाईएसआरटीपी) की संस्थापक और तेलंगाना में उभरतीं विपक्षी नेता वाई.एस. शर्मिला ने शनिवार को कहा कि हुजूराबाद उपचुनाव प्रतिशोध के कारण उपजा है, वरना इसकी जरूरत नहीं पड़ती। शर्मिला तेलंगाना के उस विधानसभा सीट का जिक्र कर रही थीं, जो पूर्व स्वास्थ्य मंत्री एटाला राजेंद्र के इस्तीफा देने के कारण खाली हो गई है। किसानों की जमीन कब्जाने का आरोप लगने के बाद राजेंद्र से इस्तीफा मांगने के कारण उनके और मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के बीच बड़ा मतभेद पैदा हो गया है।
राव ने भूमि अतिक्रमण के आरोपों के बाद, राजेंद्र को उनके मंत्री पद से हटा दिया, जिसके परिणामस्वरूप बाद में वह सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) से निकलकर दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में चले गए।
इन घटनाक्रमों के बाद, शर्मिला ने संकेत दिया कि उपचुनाव का उद्देश्य राजेंद्र और राव द्वारा एक-दूसरे से बदला लेना था।
नतीजतन, उन्होंने घोषणा की कि उनकी पार्टी आगामी हुजूराबाद उपचुनाव नहीं लड़ेगी।
शर्मिला ने कहा, "क्या हुजूराबाद चुनाव का कोई फायदा है? हम हुजूराबाद उपचुनाव नहीं लड़ेंगे।"
उन्होंने तर्क दिया कि क्या उपचुनाव लड़ने से बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा या दलितों को तीन एकड़ जमीन?
उन्होंने कहा, "अगर वादा किया जाता है कि ये चीजें की जाएंगी तो हम भी चुनाव लड़ेंगे।"
शर्मिला ने कहा कि वह तेलंगाना में पली-बढ़ी हैं और इसकी संस्कृति से अच्छी तरह वाकिफ हैं।
एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, "मैंने ईद के लिए एक दोस्त के घर शीर कोरमा खाया और त्योहारों पर दूसरे दोस्त के घर जाकर बथुकम्मा और बोनालु खाना भी खाया। आप मेरे धर्म के बारे में पूछ रहे हैं। सभी का अपना धर्म होता है। जैसे आपका धर्म है, उसी तरह मेरा भी धर्म है।"
शर्मिला ने रिपोर्टर से सवाल किया कि क्या उन्हें एक टेलीविजन चैनल के पत्रकार के रूप में या धर्म से संबंधित पत्रकार के रूप में प्रेस कॉन्फ्रेंस को कवर करने के लिए आमंत्रित किया गया था?
उन्होंने कहा, "धर्म से आपको क्या काम है? कौन परवाह करता है कि आप अपने घर पर क्या करते हैं या मैं अपने घर पर क्या करती हूं।"(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 जुलाई | कर्नाटक में सत्ता परिवर्तन की अटकलों के बीच मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने यहां शनिवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। इसके बाद वह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से भी मिले। नड्डा से मुलाकात से पहले कर्नाटक में संभावित बदलावों के बारे में पूछे जाने पर येदियुरप्पा ने कहा, "ये सब अफवाहें हैं। कल मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और राज्य के विकास पर चर्चा की। मैं अगले महीने के पहले सप्ताह में दिल्ली वापस आ रहा हूं। ऐसी खबरों का कोई मूल्य नहीं है।"
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने इस्तीफा दिया है, येदियुरप्पा ने कहा, "नहीं, बिल्कुल नहीं।"
भाजपा अध्यक्ष से मुलाकात के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने एक बार फिर इस्तीफे की बात से इनकार किया। येदियुरप्पा ने नड्डा से मुलाकात के बाद ट्वीट किया, "आज नई दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डाजी से मुलाकात की। कर्नाटक में 2023 के आम चुनावों से पहले पार्टी की संभावनाओं को और मजबूत करने सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।"
बाद में उन्होंने रक्षामंत्री से मुलाकात की और राज्य में रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में बात की। सिंह के साथ बैठक के बाद, उन्होंने फिर से ट्वीट किया, "आज नई दिल्ली में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जी से मिलकर खुशी हुई। हमने कर्नाटक में स्वदेशी एयरोस्पेस और रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र सहित विभिन्न मुद्दों पर बात की।"
फिर जब वह शाह से मिले, तो उन्होंने कहा, "हमने कर्नाटक के विकास के मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने (शाह ने) कर्नाटक में सत्ता में वापस आने के लिए काम करने के लिए कहा। उन्होंने राज्य से अधिक लोकसभा सीटें जीतने के लिए भी तेजी से काम करने को कहा।"
शुक्रवार को येदियुरप्पा दो दिवसीय दौरे पर राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। मुलाकात के बाद येदियुरप्पा ने कहा था कि उन्हें राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की जानकारी नहीं है।
येदियुरप्पा ने कहा, "मैं इसके बारे में नहीं जानता। आपको (मीडिया) मुझे बताना चाहिए।"
कर्नाटक के मुख्यमंत्री की नई दिल्ली की यात्रा राज्य इकाई में उनके खिलाफ बढ़ती आवाजों की पृष्ठभूमि में हुई है। पार्टी के पदाधिकारी ने कहा, "मुख्यमंत्री के खिलाफ पार्टी के भीतर बहुत सारे विरोध हैं। येदियुरप्पा और केंद्रीय नेतृत्व के बीच बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा होने की संभावना है। ऐसी बातें चल रही हैं कि कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन होने की संभावना है।"(आईएएनएस)
कोच्चि, 17 जुलाई | सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमएफआरआई) की प्रमुख वैज्ञानिक काजल चक्रवर्ती ने मधुमेह सहित विभिन्न जीवनशैली संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए समुद्री शैवाल से न्यूट्रास्युटिकल उत्पाद विकसित करने के अपने शोध प्रयासों के लिए राष्ट्रीय पहचान हासिल की है। चक्रवर्ती ने केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत कार्यरत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा स्थापित कृषि अनुसंधान में उत्कृष्टता के लिए प्रतिष्ठित नॉर्मन बोरलॉग राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
तीन अन्य सीएमएफआरआई वैज्ञानिकों ने भी अपने कार्यों के लिए पुरस्कार जीते। सभी पुरस्कार वर्चुअली केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा प्रदान किए गए।
पुरस्कार प्रदान करने के बाद सभा को संबोधित करते हुए तोमर ने कहा कि प्रासंगिक अनुसंधान कार्यक्रमों के माध्यम से कृषि और इसकी मजबूत नींव को मजबूत करने से देश के ग्रामीण विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।
इस अवसर पर स्थानीय स्तर पर कृषि को समर्थन देने के लिए आईटीसी आधारित इंटरफेस समाधान 'किसान सारथी' का भी विमोचन किया गया।
पुरस्कार, जिसकी घोषणा हर पांच साल में एक बार की जाती है, उसके लिये 10 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है। इसके अलावा, वैज्ञानिक को पांच साल के लिए एक चुनौतीपूर्ण शोध परियोजना को अंजाम देने के लिए 1.5 करोड़ रुपये का शोध अनुदान दिया जाएगा।
चक्रवर्ती की शोध उपलब्धियों में गठिया के दर्द, टाइप -2 मधुमेह, डिस्लिपिडेमिया, उच्च रक्तचाप और हाइपोथायरायडिज्म से निपटने के लिए चयनित समुद्री शैवाल से न्यूट्रास्युटिकल उत्पादों का विकास और व्यावसायीकरण शामिल है।
अनुसंधान की इस पंक्ति में नए प्रयासों में एंटीऑस्टियोपोरोटिक और प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले न्यूट्रास्यूटिकल्स शामिल हैं और बाद में कोविड -19 महामारी के मद्देनजर व्यापक ध्यान दिया गया।
पुरस्कार की घोषणा की गई और आईसीएआर के 93वें स्थापना दिवस को चिह्न्ति करते हुए प्रस्तुत किया गया।
सीएमएफआरआई के अन्य विजेताओं में पीएचडी विद्वान फासीना मक्कड़ शामिल हैं, जिन्हें कृषि और संबद्ध विज्ञान में डॉक्टरेट थीसिस अनुसंधान के लिए जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार मिला था। सीएमएफआरआई के लिए अन्य पुरस्कारों में 'सी' क्षेत्र में स्थित आईसीएआर संस्थानों के बीच राजभाषा नीति के उत्कृष्ट कार्यान्वयन के लिए राजर्षि टंडन राजभाषा पुरस्कार शामिल हैं।
सीएमएफआरआई ने अपनी इन-हाउस हिंदी पत्रिका 'मत्स्यगंधा' के लिए आईसीएआर सर्वश्रेष्ठ हिंदी पत्रिका पुरस्कार - गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार भी प्राप्त किया। (आईएएनएस)
भुवनेश्वर, 17 जुलाई | ओडिशा पुलिस ने शनिवार को भद्रक जिले में चार लोगों को गिरफ्तार किया और उनके कब्जे से एक करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की 'ब्राउन शुगर' समेत अन्य कीमती सामान जब्त किया है। भद्रक के पुलिस अधीक्षक चरण सिंह मीणा ने कहा कि एक प्रवर्तन अभियान के दौरान, भद्रक ग्रामीण पुलिस ने एनएच-16 पर चरंपा के पास चार व्यक्तियों को ले जा रहे एक ऑटो-रिक्शा से 1,090 ग्राम ब्राउन शुगर जब्त की।
जब्त ब्राउन शुगर का बाजार मूल्य एक करोड़ रुपये से अधिक है। उन्होंने बताया कि पुलिस ने एक लाख रुपये नकद, तीन मोबाइल फोन और अन्य सामान भी बरामद किया है।
पुलिस ने कहा कि एक महिला समेत चारों आरोपियों को अदालत में पेश किया गया है। आरोपियों में से दो भद्रक जिले के हैं जबकि अन्य दो बालासोर जिले के हैं, जो कथित तौर पर ओडिशा में मादक पदार्थों की तस्करी का गढ़ माना जाता है।
पुलिस ने कहा कि तीन आरोपी ऑटो रिक्शा से बालासोर जिले के जलेश्वर इलाके में गए थे और एक दवा आपूर्तिकर्ता से ड्रग्स की खरीद की थी, जबकि चौथे आरोपी ने भद्रक और उसके आसपास के इलाकों में ब्राउन शुगर की आपूर्ति की थी।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 जुलाई | विश्व हिन्दू परिषद की केंद्रीय प्रबंधन समिति की बैठक में पद्मश्री डॉ. आर.एन. सिंह को अध्यक्ष चुना गया है। जबकि कार्याध्यक्ष आलोक कुमार और महामंत्री मिलिंद परांडे होंगे। विहिप के नए अध्यक्ष आर एन सिंह प्रख्यात सर्जन हैं। बिहार के सहरसा के मूल निवासी सिंह ने करीब एक दशक तक लंदन में एफआरसीएस और अन्य डिग्री हासिल की। लंदन में निवास करने के दौरान उनका विश्व हिंदू परिषद से जुड़ाव हुआ। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 जुलाई | प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमना ने शनिवार को कहा कि लोगों को भरोसा है कि उन्हें न्यायपालिका से राहत और न्याय मिलेगा, और वे यह भी जानते हैं कि जब चीजें गलत होती हैं, तो सर्वोच्च न्यायालय, सबसे बड़े लोकतंत्र के संरक्षक के रूप में, उनके साथ खड़े रहेंगे। प्रधान न्यायाधीश ने भारत-सिंगापुर मध्यस्थता शिखर सम्मेलन में अपना मुख्य भाषण देते हुए कहा कि भारत कई पहचानों, धर्मो और संस्कृतियों का घर है जो विविधता के माध्यम से इसकी एकता में योगदान करते हैं, और यहीं पर न्याय और निष्पक्षता की सुनिश्चित भावना के साथ कानून का शासन चलन में आता है।
न्यायमूर्ति रमना ने कहा, "लोगों को विश्वास है कि उन्हें न्यायपालिका से राहत और न्याय मिलेगा। यह उन्हें विवाद को आगे बढ़ाने की ताकत देता है। वे जानते हैं कि जब चीजें गलत होती हैं, तो न्यायपालिका उनके साथ खड़ी होगी। भारतीय सर्वोच्च न्यायालय सबसे बड़े का संरक्षक है लोकतंत्र।"
उन्होंने कहा कि संविधान, न्याय प्रणाली में लोगों की अपार आस्था के साथ, सर्वोच्च न्यायालय के आदर्श वाक्य, 'यतो धर्म स्थिरो जय, यानी जहां धर्म है, वहां जीत है' को जीवन में लाया गया है।
प्रधान न्यायाधीश रमना ने कहा कि राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक विभिन्न कारणों से किसी भी समाज में संघर्ष अपरिहार्य हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संघर्षो के साथ-साथ संघर्ष समाधान के लिए तंत्र विकसित करने की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत और कई एशियाई देशों में विवादों के सहयोगी और सौहार्दपूर्ण समाधान की लंबी और समृद्ध परंपरा रही है।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "मध्यस्थता को भारतीय संदर्भ में सामाजिक न्याय के एक उपकरण के रूप में वर्णित किया जा सकता है। इस तरह की पार्टी के अनुकूल तंत्र अंतत: कानून के शासन को बनाए रखता है, पार्टियों को अपनी स्वायत्तता का पूर्ण रूप से उपयोग करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करके न्याय तक पहुंचने के लिए और न्यायसंगत परिणाम पाने के लिए।"
उन्होंने कहा कि महाभारत, एक संघर्ष समाधान उपकरण के रूप में मध्यस्थता के शुरुआती प्रयास का एक उदाहरण है, जहां भगवान कृष्ण ने पांडवों और कौरवों के बीच विवाद में मध्यस्थता करने का प्रयास किया था। यह याद करने योग्य है कि महाभारत में मध्यस्थता की विफलता के विनाशकारी परिणाम हुए।
प्रधान न्यायाधीश ने मध्यस्थता पर जोर दिया और कहा कि एक अवधारणा के रूप में, भारत में ब्रिटिश विरोधी प्रणाली के आगमन से बहुत पहले, भारतीय लोकाचार में गहराई से अंतर्निहित है। उन्होंने कहा, "1775 में ब्रिटिश अदालत प्रणाली की स्थापना ने भारत में समुदाय आधारित स्वदेशी विवाद समाधान तंत्र के क्षरण को चिह्न्ति किया।"(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 जुलाई | भारत में इस बार बकरीद 21 जुलाई को मनाई जाएगी, इस्लाम धर्म का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार ईद उल अजहा बकरीद है। हालांकि कोरोना वायरस के चलते जमीयत उलमा ए हिन्द ने मुसलमानों को सलाह देते हुए कहा है कि, कोरोना वायरस अभी समाप्त नहीं हुआ है इसलिये मस्जिदों या ईदगाहों में स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दी गई गाइडलाइन को सामने रखते हुए ईदुल अजहा की नमाज अदा करें। दरअसल इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से बकरीद का त्योहार 12वें महीने की 10 तारीख को मनाया जाता है। यानी बकरीब का त्योहार रमजान का महीने खत्म होने के 70 दिन के बाद मनाया जाता है।
जमीयत उलमा ए हिन्द के अनुसार, इस स्थिति में ज्यादा बेहतर है कि सूरज निकलने के बीस मिनट के बाद संक्षिप्त रूप से नमाज और खुतबा अदा करके कुरबानी कर ली जाए।
इसके अलावा जमीयत उलमा ए हिन्द ने बयान जारी कर कहा कि, देश, विशेषकर उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों की परिस्थितियों को देखते हुए मुसलमानों को सलाह दी जाती है कि फिलहाल प्रतिबंधित जानवरों की कुरबानी से बचें।
उन्होंने आगे कहा है कि, जिस जगह कुरबानी होती आई है और फिलहाल दिक्क़त है तो वहां कम से कम बकरे की कुरबानी अवश्य की जाए और प्रशासन के कार्यालय में दर्ज भी करा दिया जाए ताकि भविष्य में कोई दिक्क़त न हो।
जमीयत के मुताबिक, परिस्थितियों से मुसलमानों को निराश नहीं होना चाहिये और परिस्थितियों का मुकाबला शांति, प्रेम और धैर्य ही से हर मोर्चे पर करना चाहिये और कोरोना वायरस जैसी महामारी से सुरक्षा के लिये मुसलमानों को अधिक से अधिक दुआ करनी चाहिये।
दरअसल इस्लाम में सिर्फ हलाल के तरीके से कमाए हुए पैसों से ही कुरबानी जायज मानी जाती है। (आईएएनएस)
कश्मीर में पिछले कुछ सालों में संघर्ष और लॉकडाउन की वजह से युवाओं के बीच हेरोइन का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है. अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान से हेरोइन की तस्करी की वजह से नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही है.
भारत प्रशासित कश्मीर में रहने वाले 17 वर्षीय जिब्रान अहमद (बदला हुआ नाम) दो साल पहले तक सामान्य जीवन जी रहे थे. एक दिन उनके दोस्त ने उन्हें हेरोइन का स्वाद चखाया और तब से वे लगातार इसका सेवन करने लगे. अब वे पूरी तरह इसकी गिरफ्त में आ गए हैं. हेरोइन की लत लगने से पहले अहमद एक होनहार छात्र थे. इस लत की वजह से, अब उनकी और उनके परिवार दोनों की जिंदगी तबाह हो गई है.
अहमद का परिवार दक्षिणी कश्मीर के कुलगाम जिले के दमहालंजीपोरा गांव का रहने वाला है. नौवीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान अहमद ने पहली बार यह ड्रग लेने की कोशिश की थी. उन्होंने डॉयचे वेले को बताया, "मैं 14 साल की उम्र से हेरोइन ले रहा हूं. मेरे दोस्त ने मुझे इसकी लत लगाई. उसने कहा कि इसे लेने पर बहुत अच्छा लगेगा." फिलहाल, श्रीनगर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस (आईएमएचएएनएस) के ड्रग रिहैबिलिटेशन वॉर्ड में अहमद का इलाज चल रहा है.
कश्मीर में अहमद जैसे हजारों युवा हैं जिन्हें पिछले कुछ सालों में हेरोइन की लत लग गई है. कई साल से चले आ रहे संघर्ष और कोरोना महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण आर्थिक तनाव और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के मामले बढ़े हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इन समस्याओं की वजह से युवाओं के बीच हेरोइन की लत तेजी से बढ़ी है.
नाम न छापने की शर्त पर, कश्मीर के एक वरिष्ठ मनोचिकित्सक ने कहा कि संघर्ष की वजह से ‘मनोवैज्ञानिक समस्याएं पैदा हुईं'. वह कहते हैं, "संघर्ष की वजह से मादक पदार्थों की लत बढ़ती है, और अब यह कश्मीर में एक गंभीर समस्या बन गई है. मैं हर दिन करीब 60 से 70 ऐसे रोगियों का इलाज करता हूं जो नशे की लत से पीड़ित हैं. रिहैबिलिटेशन सेंटर हमेशा भरे रहते हैं."
परिवार हो रहे तबाह
अहमद के पिता सरकारी कर्मचारी हैं और उनके भाई-बहन अभी पढ़ाई करते हैं. उनकी बाहों और गर्दन पर इंजेक्शन के निशान दिखाई दे रहे हैं. उनकी मां अकसर वॉर्ड में उनके बगल में बैठी रहती हैं क्योंकि वह शरीर में दर्द, नींद न आना, और थकान की शिकायत करते हैं. वह कहते हैं, "मैंने दूसरे दिन हेरोइन की तीन लाइन ली और मेरे दोस्त ने फिर से मुझे मुफ्त में हेरोइन दी. तीसरे दिन मैंने एक हजार रुपये में इसे खरीदा." अहमद ने बाद में स्कूल छोड़ दिया.
अहमद की लत की वजह से उनके परिवार को आर्थिक, भावनात्मक, और सामाजिक तौर पर नुकसान उठाना पड़ा. सामाजिक तौर पर शर्मिंदगी झेलनी पड़ी. अहमद ने बताया, "मैं एटीएम की मदद से चुपके से पिता जी का पैसा निकाल लेता था. धीरे-धीरे हमारा पारिवारिक जीवन तबाह हो गया." अपनी लत को पूरा करने के लिए अहमद जुआ भी खेलने लगे और दूसरों को ड्रग भी बेचने लगे. ड्रग की इस लत ने उन्हें चिड़चिड़ा और झगड़ालू बना दिया था. वह अकसर अपने परिवार के सदस्यों से झगड़ने लगते थे. चचेरे भाई-बहनों की पिटाई कर देते और और घर के सामान तोड़ देते थे.
उन्होंने कहा, "मैं घर पर सब कुछ तोड़ देता था. कप, पंखे, खिड़कियां सभी कुछ. मेरी दादी के पास 5,500 रुपये बैंक में जमा थे. मैंने उसे भी निकाल लिया. मैंने अपनी मां के जेवर चुराए हैं. घर से बर्तन चुराए हैं."
अहमद की 47 वर्षीय मां हजीरा बानो (बदला हुआ नाम) उन दिनों को याद करते हुए कहती हैं कि नशे की लत लगने से पहले उनका बेटा काफी आज्ञाकारी और विनम्र था. वह कहती हैं, "वह खुद अपने बर्तन और कपड़े धोता था. वह खाना भी बनाता था और फर्श की भी सफाई कर देता था. लेकिन अब ये सब बातें सिर्फ यादें बनकर रह गई हैं."
नए तरह की लत
1990 के दशक की शुरुआत में जब अलगाववादी विद्रोह अपने चरम पर था, तब कश्मीर में नशीली दवाओं के तौर पर ज्यादातर मॉर्फिन, कोडीन या बेंजोडायजेपाइन ही मिलते थे. अब हालात बदल गए हैं. हाल के वर्षों में हेरोइन जैसे ड्रग्स का प्रचलन युवाओं के बीच तेजी से बढ़ा है. श्रीनगर स्थित आईएमएचएएनएस के रिहैबिलिटेशन वॉर्ड में फिलहाल 10 मरीज भर्ती हैं. इनकी उम्र 16 से 25 साल के बीच है. इनमें से ज्यादातर हेरोइन के आदी हैं.
आईएमएचएएनएस की तरफ से उपलब्ध कराए गए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2016 से 2019 के बीच युवाओं में नशे की लत तेजी से बढ़ी है. 2016 में जहां 489 लोगों को नशे से छुटकारा दिलाने के लिए इलाज किया गया था, वहीं 2017 में यह संख्या बढ़कर 3622 और 2019 में 7420 तक पहुंच गई. 2021 में अब तक ऐसे करीब 4000 रोगियों का इलाज किया जा चुका है.
पुलिस भी कई रिहैबिलिटेशन सेंटर चला रही है. वहां दर्ज होने वाली रिपोर्ट बताती है कि किस तरह से युवा नशे की चपेट में आ रहे हैं. हालात ऐसे होते जा रहे हैं कि ये युवा रिहैबिलिटेशन सेंटर भी नहीं जाना चाहते. अहमद की मां हजीरा बानो ने जब अपनी जान देने की चेतावनी दी, तब जाकर अहमद इलाज कराने को तैयार हुआ. बानो कहती हैं, "उसकी लत के कारण, मैं डिप्रेशन में चली गई हूं. गांव में मेरे बेटे जैसे कई युवक नशे के आदी हो गए हैं. कई लोग ड्रग बेचते हैं. इनमें महिलाएं भी शामिल हैं. ये सभी हमारे बच्चों का जीवन बर्बाद कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि ये सब बंद हो."
‘मादक आतंक' का प्रभाव
कुपवाड़ा के अधिकारियों ने डीडब्ल्यू को बताया कि पाकिस्तान से ‘बड़ी मात्रा में हेरोइन' लाए जाने के कारण नशे की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, "यह मुख्य रूप से यहां के युवाओं को नशे की गिरफ्त में लाने के लिए किया जा रहा है. यह पैसे कमाने के लिए ‘मादक आतंकवाद' योजना का एक हिस्सा भी है. इस पैसे का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है."
भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा के पास हंदवाड़ा के मराट गांव के एक युवक ने कहा कि इलाके में हेरोइन जैसी ड्रग बहुत आसानी से मिल जाते हैं. 20 वर्षीय हुसैन ने तीन साल पहले स्कूल छोड़ दिया और निर्माण के क्षेत्र में काम करने लगा, क्योंकि उसके परिवार के पास पैसे नहीं थे.
एक दिन काम से लौटने के बाद, हुसैन फर्श पर गिर पड़ा. हुसैन की मां शाहजादा (बदला हुआ नाम) ने डॉयचे वेले को बताया, "हमने उसमें अजीब आदतें देखीं. वह कमजोर हो गया था. खाना खाने के बाद उल्टी कर देता था. हमें लगा कि वह बीमार है, लेकिन एक दिन हमारे पड़ोसियों ने बताया कि उसे नशे की लत लग गई है."
हुसैन ने कहा, "मैं पहले भांग का इस्तेमाल करता था. फिर मेरे दोस्तों ने मुझे हेरोइन लेने की सलाह दी. यह हमारे जिले में आसानी से उपलब्ध है. आप जब चाहें, पैसे देकर खरीद सकते हैं. एक बार लत लगने के बाद, मैं हर दिन कम से कम 2,000 रुपये हेरोइन पर खर्च करता था, भले ही मेरे पास पैसे न हों." हुसैन की इस लत से उसका पूरा परिवार परेशान हो गया.
शाहजादा ने बताया, "मेरे पति मजदूर हैं. वह हर दिन 400 से 500 रुपये कमाते हैं. मेरा बेटा हमारी पिटाई करता है और पूरे पैसे ले लेता है. उसने घर के जानवर को भी बेच दिया. फोन भी चुरा लिया. उसने वे सारी चीजें चोरी कर लीं जो वह कर सकता था. उसने गांव के लोगों से भी उधार लिया. गांव वाले घर पर आकर हमें परेशान करने लगे. इस वजह से मेरी बेटी ने अपनी जान देने की कोशिश की."
मानसिक समस्याओं में वृद्धि
विशेषज्ञों का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि कश्मीर में मादक पदार्थों के सेवन के बढ़ते संकट के लिए जिम्मेदार है. पिछले एक साल में लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की रिपोर्ट में तेजी से वृद्धि देखी गई है, क्योंकि अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है और लोग आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं.
आईएमएचएएनएस में काम करने वाली डॉ. फरिश्ता खुर्शीद ने डॉयचे वेले को बताया कि ‘दोस्तों के दबाव में' युवा ड्रग्स का सेवन कर रहे हैं. वह कहती हैं, "लेकिन फिर हम यह भी पूछते हैं कि वे ऐसे लोगों से कैसे मिले? कुछ को घरेलू परेशानी है, किसी को आर्थिक नुकसान हुआ है, कोई अपने रिश्ते से नाखुश है या कोई आत्महत्या करना चाहता है. ज़्यादातर मामलों में देखने को मिलता है कि ये लोग हेरोइन के आदी हो चुके हैं. (dw.com)
गुरुग्राम, 16 जुलाई | गुरुग्राम के पटौदी इलाके में पटौदी-हेलीमंडी रोड स्थित एक होटल के स्विमिंग पूल में शुक्रवार को 32 और 40 साल के दो लोगों की डूबने से मौत हो गई।
पुलिस ने मृतकों की पहचान पटौदी के जटौली गांव के रहने वाले राजेश और शेर सिंह के रूप में की है।
घटना उस वक्त हुई जब चार दोस्त राजेश, शेर सिंह, मेहरचंद और भजन लाल होटल में पार्टी करने गए थे।
चारों शराब पीकर पूल में नहाने आए थे। जब वे पूल में थे, राजेश और शेर सिंह अचानक डूबने लगे और अन्य लोग मदद के लिए चिल्लाने लगे।
मेहरचंद और भजनलाल ने उन्हें बचाने की कोशिश की लेकिन असफल रहे।
सूचना मिलते ही पटौदी थाने के अधिकारी मौके पर पहुंचे और शवों को अपने कब्जे में ले लिया।
आरोप है कि पूल संचालकों ने इसे चलाने के लिए संबंधित विभाग से अनुमति नहीं ली क्योंकि कोविड प्रतिबंधों के कारण अभी भी पूल खोलने की अनुमति नहीं है और न ही वहां कोई सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।
एक पुलिस अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, आगे की जांच जारी है। (आईएएनएस)
-अनिरुद्ध शुक्ल
बाराबंकी. यूपी के बांदा जेल में बंद माफिया विधायक मुख्तार अंसारी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. चर्चित एम्बुलेंस कांड में अब तक कुल 7 अभियुक्तों की गिरफ्तारी हो चुकी है जबकि मुख्तार अंसारी पहले से ही बांदा जेल में बंद है. इस मुकदमे में पुलिस ने कई लोगों को नामजद करते हुए सात अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी थी. विवेचना के दौरान पकड़े गए अभियुक्तों के बयानों के आधार पर पुलिस इस मुकदमे में लगातार नए नाम जोड़ रही है. इसके अलावा बाराबंकी पुलिस की तीन टीमें अभी भी सुरेंद्र शर्मा और अफरोज की तलाश में जगह-जगह दबिश दे रही है.
बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक यमुना प्रसाद ने बताया कि 2 अप्रैल 2021 को बाराबंकी की नगर कोतवाली में फर्जी डाक्यूमेंट्स के आधार पर एंबुलेंस के इस्तेमाल करने और अपने पास रखने के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था. जिसमें जनपद मऊ के श्याम संजीवनी अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर की संचालिका डॉ. अल्का राय और उनके साथी शेषनाथ राय ने इस एंबुलेंस को रजिस्टर्ड कराया था. इस केस में सबसे पहले इनकी ही गिरफ्तारी की गई.
केस में मुख्तार अंसारी उसके खास साथी राजनाथ यादव, मोहम्मद शोएब मुजाहिद, आनंद यादव, ड्राइवर सलीम और शाहिद समेत कुल सात लोगों की गिरफ्तारी सुनिश्चित की जा चुकी है. मुख्तार अंसारी बांदा जेल में बंद है. पूछताछ और बाकी तथ्यों के आधार पर अन्य पांच लोगों के नाम भी प्रकाश में आये हैं. उनके लिये भी एनबीडब्ल्यू जारी कराया गया है. साथ ही इन सभी पर ईनाम भी घोषित किया गया है. यह सभी 25-25 हजार के ईनामिया हैं. इनमें कोई मुख्तार की गाड़ी चलाता था, कोई असलहा लेकर साथ चलता था. इन सभी को मुलजिम बनाया गया है. सभी की गिरफ्तारी समय के अनुसार सुनिश्चित की जाएगी. इसके अलावा केस में जिनके-जिनके नाम भी आगे आयेंगे, उनके खिलाफ भी सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.
एसपी यमुना प्रसाद ने बताया कि पकड़े गये सभी लोग मुख्तार अंसारी के सारे अवैध धंधे में संलिप्त थे. उसके लिए काम करते थे और क्रिमिनल रिकार्ड वाले हैं. एसपी के मुताबिक बाराबंकी पुलिस की कुल तीन टीमें इस समय केस में लगातार मऊ, इलाहाबाद और लखनऊ समेत अन्य जनपदों में दबिश दे रही हैं.
केंद्र ने भी उत्तर प्रदेश सरकार को कांवड़ यात्रा सीमित रूप से कराने का संकेत दिया है. सवाल उठ रहे हैं कि कोविड-19 की दूसरी लहर में कुंभ मेले के योगदान के बाद आखिर क्यों उत्तर प्रदेश सरकार वैसा ही जोखिम उठाना चाह रही है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कांवड़ यात्रा आयोजित ना करने के स्पष्ट आदेश तो नहीं दिए हैं, लेकिन अदालत की टिप्पणियां इसी तरफ इशारा कर रही हैं. बिना किसी शिकायत के कांवड़ यात्रा के मामले को अपने आप उठाने के कुछ दिनों बाद अदालत ने 16 जुलाई को उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीने का अधिकार "हम सभी" को है. अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को अपना फैसला लेने के लिए सोमवार 19 जुलाई तक का समय दिया लेकिन यह कहा कि "100 प्रतिशत" सरकार यात्रा वास्तविक रूप में आयोजित नहीं कर सकती है.
केंद्र सरकार ने भी उत्तर प्रदेश को यात्रा आयोजित नहीं करने के लिए दो टूक नहीं कहा लेकिन संकेत इसी दिशा में दिया. केंद्र ने कहा कि राज्य सरकारों को कांवड़ियों को यात्रा करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए लेकिन केंद्र ने यह भी कहा कि कांवड़ियों के लिए गंगाजल पानी के टैंकरों में उपलब्ध कराया जा सकता है. कांवड़ यात्रा हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से सावन के महीने में आयोजित की जाती है. इसमें भगवान शिव की पूजा करने वाले कंधे पर कांवड़ लेकर उत्तराखंड में हरिद्वार जाते हैं और वहां से गंगाजल लेकर प्रमुख शिव मंदिरों या अपने इलाकों के शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं.
तीसरी लहर की संभावना
यात्रा लगभग 15 दिनों तक चलती है और इसमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली जैसे राज्यों से लोग हिस्सा लेते हैं. अनुमान है कि हर साल करीब तीन करोड़ लोग इस यात्रा में हिस्सा लेते हैं. पिछले साल भी यात्रा कोविड-19 महामारी को देखते हुए रद्द कर दी गई थी. इस साल श्रावण महीना 21 जुलाई से शुरू हो रहा है और महामारी विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगस्त महीने के अंत में तीसरी लहर के आने की संभावना है. इसी वजह से विशेषज्ञों ने कहा है कि कांवड़ यात्रा जैसे समारोह अगर आयोजित किए गए तो वो भी कुंभ की तरह "सुपर स्प्रेडर" बन सकते हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार हर साल कांवड़ियों के लिए कई विशेष इंतजाम करती है. इस साल भी राज्य सरकार कांवड़ यात्रा कराना चाह रही है लेकिन कुंभ आयोजन की वजह से भारी आलोचना झेल चुकी उत्तराखंड सरकार ने यात्रा की अनुमति देने से मना कर दिया है. उत्तर प्रदेश के गढ़ मुक्तेश्वर से भी गंगा नदी हो कर गुजरती है और कांवड़ियों को गंगाजल लेने के लिए वहां भी भेजा जा सकता है लेकिन केंद्र सरकार के बयान ने इस पर भी प्रश्न चिन्ह लगा दिया है. उत्तर प्रदेश सरकार अभी भी कम से कम सांकेतिक रूप से यात्रा आयोजित करना चाह रही है.
राज्य सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को यह बताया और साथ में कहा कि सिर्फ पूरी तरह टीका ले चुके लोगों को ही यात्रा में शामिल होने दिया जाएगा. उन्होंने यह भी बताया कि गंगाजल को टैंकरों में उपलब्ध कराने का प्रबंध किया जा चुका है लेकिन सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियों ने उत्तर प्रदेश सरकार के लिए स्थिति को मुश्किल बना दिया है. देखना होगा कि राज्य सरकार 19 जुलाई को अदालत को क्या जवाब देती है. (dw.com)
नासा और हवाई विश्वविद्यालय के हाल ही में किए गए अध्ययन में कहा गया कि चांद की कक्षा में आगामी प्राकृतिक परिवर्तन और जलवायु बदलाव के कारण बढ़ते समुद्र के स्तर के साथ आने वाले वर्षों में पृथ्वी पर रिकॉर्ड बाढ़ आ सकती है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
नासा ने निकट भविष्य में चांद के अपनी ही कक्षा पर "डगमगाने" की भी संभावना जताई है. अध्ययन के मुताबिक भीषण बाढ़ 2030 के दशक में शुरू होगी और अनुमान है कि अगले दस वर्षों तक विनाशकारी बाढ़ का सिलसिला जारी रहेगा. अध्ययन में अमेरिका पर पड़ने वाले प्रभाव को केंद्रित किया गया है.
विनाशकारी बाढ़ का अनुमान
नेशनल ओशियैनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक 2019 में अमेरिका में हाई टाइड से 600 बाढ़ आई थी. नेचर क्लाइमेट पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है 2030 के दशक में यह संख्या कई गुना बढ़ने की उम्मीद है. नासा के अध्ययन में कहा गया है कि चांद जब अपनी कक्षा से डगमगाएगा तो धरती पर एक दो बार नहीं बल्कि कई बार बाढ़ आएगी. अनुमान जताया गया है कि बाढ़ उन समूहों में आएगी जो एक महीने या उससे अधिक समय तक रह सकती है.
बार-बार आने वाली बाढ़ से समुद्र तट और निचले इलाकों के पास रहने वाले लोगों के लिए खतरा पैदा हो जाएगा. यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के एसिस्टेंट प्रोफेसर फिल थॉम्पसन का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के बढ़ने के साथ-साथ धरती पर प्राकृतिक संकट भी बढ़ेंगे. थॉम्पसन के मुताबिक, "अगर यह महीने में 10 या 15 बार बाढ़ आती है तो कोई व्यवसाय पानी के नीचे काम नहीं कर सकता है. लोगों की नौकरी चली जाएगी क्योंकि वे काम पर नहीं जा सकेंगे."
चांद का डगमगाना
नासा ने कहा कि चांद का डगमगाना कोई नई या खतरनाक चीज नहीं है और पहली बार 1728 में इसके बारे में रिपोर्ट की गई थी और यह 18.6 साल के प्राकृतिक चक्र का हिस्सा है. नासा के मुताबिक चक्र के पहले भाग के दौरान पृथ्वी के नियमित ज्वार को दबाता है और आधे समय में चांद लहरों को तेज कर देता है. नासा के मुताबिक चांद वर्तमान में अपने चक्र के आधे हिस्से में है, जिससे पहले से ही कई तटों पर बाढ़ बढ़ रही है.
यह जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र के उच्च स्तर का परिणाम है. 2030 तक दुनियाभर में समुद्र का जलस्तर काफी बढ़ चुका होगा और चांद के डगमगाने के कारण और तीव्र बाढ़ आने लगेगी. नासा के एडमिनिस्ट्रेटर बिल नेलसन के मुताबिक यह अध्ययन तटीय क्षेत्रों को अधिक बाढ़ वाले भविष्य के लिए तैयार रहने के लिए महत्वपूर्ण है. (dw.com)
भारत ने डेटा स्टोरेज नियमों का उल्लंघन करने के कारण मास्टरकार्ड पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस प्रतिबंध का देश के बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र पर बड़ा असर हो सकता है.
मास्टरकार्ड इंक पर प्रतिबंध के भारतीय रिजर्व बैंक के फैसले ने देश के वित्तीय क्षेत्र को संकट में डाल दिया है क्योंकि इस कारण बैंक नए कार्ड जारी नहीं कर पाएंगे. इससे उनकी कमाई पर असर पड़ेगा और भुगतान जैसी जरूरी सेवाएं भी प्रभावित होंगी.
बुधवार को भारत के केंद्रीय बैंक ने यह आदेश जारी किया था. ऐसा ही आदेश बीते अप्रैल में अमेरिकन एक्सप्रेस के खिलाफ भी जारी हुआ था. लेकिन मास्टरकार्ड पर प्रतिबंध के ज्यादा असर हो सकते हैं क्योंकि भारतीय बाजार में उसकी पैठ कहीं गहरी है और बहुत से वित्तीय संस्थान इस अमेरिकी कंपनी के पेमेंट नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं.
सौ से ज्यादा कार्ड प्रभावित
रॉयटर्स समाचार एजेंसी के एक विश्लेषण के मुताबिक भारत में कार्यरत 11 स्थानीय और विदेशी बैंक देश में लगभग 100 तरह के डेबिट कार्ड जारी करते हैं जिनमें से एक तिहाई मास्टरकार्ड हैं. और 75 से ज्यादा क्रेडिट कार्ड इस कंपनी की ही सेवाएं प्रयोग करते हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि 22 जुलाई से नए मास्टरकार्ड जारी नहीं किए जा सकेंगे. मास्टरकार्ड पर 2018 में जारी नियमों का पालन न करने का आरोप है, जिनके तहत विदेशी कार्ड कंपनियों को भारतीय भुगतान का डेटा स्थानीय सर्वर पर ही रखना होगा और भारत को उसकी उपलब्धता होनी चाहिए.
रिजर्व बैंक के फैसले का असर मौजूदा ग्राहकों पर नहीं पड़ेगा लेकिन उद्योग जगत के विशेषज्ञ कहते हैं कि कई व्यापारिक प्रतिष्ठानों की गतिविधियां प्रभावित होंगी क्योंकि बैंकों को मास्टरकार्ड के विकल्प के रूप में वीसा जैसी कंपनियों से नए समझौते करने होंगे. बैंकों का कहना है कि इस प्रक्रिया में महीनों लग सकते हैं.
वीसा को फायदा
एक बैंक अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि मास्टरकार्ड की प्रतिद्वन्द्वी कंपनी वीसा (Visa) पर जाने में पांच महीने तक का वक्त लग सकता है. चूंकि अमेरिकन एक्सप्रेस और मास्टरकार्ड दोनों ही प्रतिबंधित हैं तो वीसा को मोलभाव में बहुत ज्यादा लाभ मिल जाएगा जबकि इस बाजार में उसका पहले ही अधिपत्य है.
इस वरिष्ठ भारतीय बैंकर ने बताया, "बैंकों के लिए इसका अर्थ होगा अस्थायी रुकावटें, बहुत सारा मोलभाव और कुछ देर के लिए व्यापार में नुकसान.”
भारतीय रिजर्व बैंक ने 2018 में नए नियम जारी किए थे. हालांकि अमेरिकी कंपनियों ने इन नियमों में ढील देने के लिए केंद्रीय बैंक को मनाने की काफी कोशिश की थी लेकिन वे कामयाब नहीं रहीं.
भारत में डेबिट और क्रेडिट कार्डों के जरिए भुगतान में काफी वृद्धि हुई है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़े बताते हैं कि देश में 6.2 करोड़ क्रेडिट कार्ड और 90.2 करोड़ डेबिट कार्ड हैं जिनके जरिए कुल मिलाकर 40.4 अरब डॉलर यानी 22 खरब रुपये से भी ज्यादा का लेनदेन होता है.
मास्टरकार्ड निराश
मास्टरकार्ड ने कहा है कि इस फैसले से वह निराश है और बताई गईं चिंताएं दूर करने पर काम करेगी. गुरुवार को जारी एक बयान में कंपनी ने कहा, "हम भारत सरकार के डिजीटल इंडिया विजन को आगे बढ़ाना चाहते हैं. इसके लिए हम अपने ग्राहकों और साझीदारों पर लगातार निवेश करते हैं. और (चिंताओं को दूर करने की कोशिश) उसी कड़ी का हिस्सा होंगे.”
मास्टरकार्ड भारत को एक अहम बाजार मानती है. 2019 में उसने अगले पांच साल के भीतर एक अरब डॉलर के निवेश का ऐलान करते हुए कहा था कि भारत को लेकर वह बहुत उत्सुक है. 2014 से 2019 के बीच भी कंपनी ने भारत में एक अरब डॉलर का निवेश किया था.
कंपनी के भारत में कई शोध और विकास केंद्र भी हैं, जहां चार हजार से ज्यादा लोग काम करते हैं, जो अमेरिका के बाद उसका दूसरा सबसे बड़ा केंद्र है. 2013 में भारत में मास्टरकार्ड के सिर्फ 29 कर्मचारी थे.
बैंकों पर असर
बैंकिंग सेक्टर में काम करने वाले लोग कहते हैं कि मास्टरकार्ड से वीसा पर जाने से बैंकों को फीस और अन्य कई तरह की आय का नुकसान होगा. आरबीआई (RBI) के फैसले पर एक रिसर्च नोट में मैक्वायरी बैंक ने कहा कि क्रेडिट कार्ड एक फायदेमंद उत्पाद थे क्योंकि इन पर 5 से 6 प्रतिशत का रिटर्न मिलता है.
कई बैंक जैसे आरबीएल की वेबसाइट पर 42 क्रेडिट कार्ड सूचीबद्ध हैं और सभी मास्टरकार्ड की सेवाएं इस्तेमाल करते हैं. यस बैंक के पास सात मास्टरकार्ड हैं और एक भी वीसाकार्ड नहीं है. सिटीबैंक के पास चार मास्टरकार्ड हैं.
आरबीएल ने एक बयान में कहा है कि उसका वीसा के साथ समझौता हो गया है लेकिन उसे लागू करने में 10 हफ्ते का समय लगेगा. एक सूत्र के मुताबिक इस समझौते के मोलभाव में छह महीने का वक्त लगा है.
यस और सिटीबैंक ने कहा है कि नए विकल्पों विचार किया जा रहा है.
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)
भारत ने कश्मीर में पहली बार महिला सैनिकों की तैनाती की है. इस प्रयास की काफी आलोचना हुई है और यह भी पूछा गया है कि स्थानीय महिलाओं के साथ संबंध मजबूत करने और सेना में लैंगिक समानता बढ़ाने में यह कदम कितना कारगर होगा.
डॉयचे वैले पर समान लतीफ की रिपोर्ट
भारत ने अशांत कश्मीर में पहली बार महिला सैनिकों की तैनाती की है. इस कदम को स्थानीय लोगों से संबंध सुधारने और अपने अर्धसैनिक बलों में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने की भारत की कोशिश बताया जा रहा है. हालांकि ये सवाल भी पूछे जा रहे हैं कि ये कदम कितना कारगर होगा. मई में भारत के केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शांतिपूर्ण तरीके से अर्द्धसैनिकल बल असम रायफल्स की एक टुकड़ी को उत्तरपूर्वी राज्य मणिपुर से कश्मीर में शिफ्ट कर दिया था. इस टुकड़ी में कई महिलाएं थीं. इस 34वीं बटालियन को गांदरबल में तैनात किया गया था. यह इलाका भारतीय प्रशासित कश्मीर की गर्मियों की राजधानी श्रीनगर से 38 किमी उत्तर में है.
महिला पैरामिलिट्री टुकड़ी को गांदरबल में गाड़ियों की जांच के लिए बनाई गई चेकपोस्ट पर तैनात किया गया है. यह रास्ता संवेदनशील लद्दाख इलाके की ओर जाता है. आने के कुछ ही दिनों के अंदर इन महिला सैनिकों ने स्थानीय महिलाओं की तलाशी लेने और आसपास के इलाकों में घूमकर स्थानीय महिलाओं और स्कूली लड़कियों से बातचीत शुरू कर दी. इन्होंने बातचीत के लिए कार्यक्रमों का आयोजन भी किया, जिसमें इन्होंने अपनी लड़ाई की तकनीकों का प्रदर्शन किया और सामाजिक मुद्दों पर स्थानीय लोगों के साथ बातचीत की.
पुरुष सैनिकों के साथ ही काम करने वाली महिला सैनिक कहती हैं कि स्थानीय लोगों से बात करने के मामले में उन्हें पुरुष सुरक्षाबलों के मुकाबले ज्यादा आसानी होती है. पश्चिमी भारतीय राज्य महाराष्ट्र से आने वाली 24 साल की सैनिक रुपाली ढांगर ने बताया, "हम स्थानीय महिलाओं को आत्मविश्वास देने की कोशिश कर रहे हैं. हमारा लक्ष्य उन्हें रोजाना के घरेलू काम छोड़ बाहर निकलकर कुछ नया करने के लिए प्रेरित करना है."
शोषण की शिकायतों के चलते तैनाती
सैन्य अधिकारियों ने बताया कि महिला सैन्यबल की तैनाती से संघर्ष से जूझ रहे कश्मीर में उग्रवाद विरोधी अभियानों के और प्रभावी होने की संभावना है. खासकर रिहायशी इलाकों में खोजी अभियान के दौरान स्थानीय महिलाओं से निपटने में इससे मदद मिलेगी. भारतीय सेना में सभी पुरुष हैं और कश्मीर में तैनात सैनिकों के बारे में स्थानीय महिलाएं कई बार यौन शोषण की शिकायतें करती रही हैं.
पश्चिम बंगाल से आने वाली 27 साल की सैनिक रेखा कुमारी कहती हैं, "हमारा पहला काम यह सुनिश्चित करना है कि उग्रवाद विरोधी अभियानों के दौरान महिलाओं को कोई परेशानी या कठिनाई न हो. खोजी अभियानों के दौरान हम उन्हें सहज रखने की कोशिश करते हैं." हालांकि अब भी यह देखना होगा कि रात के छापेमार और उग्रवाद-रोधी अभियानों में महिलाओं का शामिल होना स्थानीय महिलाओं के डर को खत्म कर रहा है या नहीं. फोर्स मैग्जीन की एक्जीक्यूटिव एडिटर गजाला वहाब मानती हैं कि सेना ने इस इलाके में महिलाओं की तैनाती "यौन शोषण के आरोपों से निपटने के लिए की है."
महिला अधिकारों को लेकर संवेदनशील
मानवाधिकार कार्यकर्ता कहते हैं कि भारतीय सेना को ऐसी शिकायतें मिली थीं कि सैनिक खोजी अभियानों के दौरान स्थानीय महिलाओं पर भद्दी यौन टिप्पणियां और इशारे करते हैं, उन्हें गलत तरीके से दबोचने की कोशिश करते हैं. यहां तक कि उनपर बलात्कार के आरोप भी लगे हैं. एसोसिएशन ऑफ पेरेंट्स ऑफ डिसअपियर्ड पर्सन्स (APDP) की एक्टिविस्ट साबिया डार कहती हैं, "1990 के दशक में भारतीय सेना खतरनाक स्तर पर ऐसे अपराध करती थी, लेकिन अब मानवाधिकार संस्थाओं के दबाव के चलते ऐसे मामलों (अपराधों) में कमी आई है." डार ने डीडब्ल्यू को बताया कि इन राइफल वुमेन की तैनाती यह दिखाने का प्रयास भी है कि भारतीय सेना कश्मीरी महिलाओं के अधिकारों को लेकर संवेदनशील है.
सितंबर, 2019 में वीमेन अगेंस्ट सेक्सुअल वायलेंस एंड स्टेट रिप्रेशन नाम के एक वीमेंस एडवोकेसी नेटवर्क ने अपने कश्मीर दौरे के दौरान पाया था कि "स्कूल जाने वाली लड़कियों को सेना के शिविरों से गुजरना पड़ता है और वर्दी वाले सैनिक उनका यौन उत्पीड़न करते हैं. अक्सर सुरक्षाबल सड़क के किनारे अपनी पैंट की चेन खोलकर खड़े होते हैं और उनपर भद्दी टिप्पणियां और इशारे करते हैं." समस्या यह भी है कि कश्मीर में विवादित आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट (AFSPA) लागू होने से सेना के किसी भी व्यक्ति पर बिना सरकारी मंजूरी के किसी भी अपराध में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है.
माहौल को सामान्य बनाने में मदद
34 असम राइफल के कमांडिंग अफसर कर्नल आरएस काराकोती कहते हैं, "महिला सुरक्षाबल जांच अभियानों के दौरान माहौल को सामान्य बनाने में मदद कर सकती हैं." काराकोती ने डीडब्ल्यू को बताया, "जब राइफल वुमेन जांच अभियान का हिस्सा होती हैं, तब हमें आसानी होती है. वे बातचीत की पहल करने में हमारी मदद करती हैं, जिससे जांच अभियान बिना रुकावट चलता रहता है." हालांकि जब स्थानीय महिलाओं की तलाशी लेते हुए महिला सुरक्षाबलों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं तब उनकी काफी आलोचना हुई थी.
उत्तरी कोलोराडो विश्वविद्यालय में राजनीतिक मानवविज्ञानी अतहर जिया कहते हैं, "महिला सैनिकों की तैनाती कश्मीर में युद्ध अपराधों की जेंडर वॉशिंग" और "नरसंहार को लैंगिक न्याय के तौर पर" बेचने जैसा है. वे पूछते हैं, "जेल में सड़ रही महिला राजनीतिक कैदियों के लिए राइफल वुमेन क्या हैं. वे उन महिलाओं के लिए क्या है, जो गंभीर मानवाधिकार हनन और युद्ध हथियार के तौर पर बलात्कार झेल रही हैं. उन महिलाओं के लिए क्या हैं, जिन पर उनके पूरे समुदाय के साथ हमेशा नजर रखी जाती है."
सेना के भीतर भेदभावपूर्ण नीतियां
महिला सैनिकों ने कहा कि स्थानीय लड़कियां अब सेना में भर्ती होना चाहती हैं, हालांकि महिलाओं के लिए सैन्य बलों में भी कई भेदभावपूर्ण नीतियां हैं. साल 2017 में असम राइफल से जुड़ने वाली रेखा कुमारी कहती हैं, "उनसे (स्थानीय महिलाओं से) हमें अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है और वे हमसे दोबारा मिलने की इच्छुक हैं. उनमें से कई भारतीय सेना में शामिल होना चाहती हैं." हालांकि राइफल वुमेन धांगर मानती हैं कि अभी सेना में ही महिला-पुरुष समानता हासिल करने में लंबा समय लगेगा. वे कहती हैं, "भारतीय सेना में अब भी महिला-पुरुष समानता दूर का सपना है. और इससे निपटने के लिए हमें खुद को दिमागी रूप से मजबूत बनाना होगा."
महिला अधिकारियों को वरिष्ठ कमांडिंग पद नहीं दिए जाते. पुरुष सहकर्मियों से उलट न ही उन्हें पूरी जिंदगी के लिए नौकरी मिलती है और न ही रिटायरमेंट की सिक्योरिटी. मार्च में भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि महिलाओं को मिलने वाले लाभ के मामले में सेना के मूल्यांकन के मानदंड में कई स्तर पर भेदभाव है. हालांकि महिलाएं 1888 से सेना में हैं, लेकिन वे मुख्यतः चिकित्सा सेवा में काम करती है. 2020 में तीन महिलाओं को तीन सितारा जनरल का पद मिला लेकिन सब की सब चिकित्सा सेवा में थीं. (dw.com)