राष्ट्रीय
-अखिलेश शर्मा
एक तरफ किसान आंदोलन चल रहा है तो दूसरी तरह बीजेपी ने बजट का प्रचार करने के लिए देशव्यापी अभियान चलाने का निर्णय किया है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने केंद्रीय मंत्रियों और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं को देश के सभी राज्यों की राजधानियों और बड़े शहरों में प्रेस कॉन्फ्रेंस और जनता के बीच सभाएं करने का निर्देश दिया है. बजट पर कार्यक्रम 6-7 फरवरी और 13-14 फरवरी को चलाया जाएगा. 7 फरवरी को स्मृति ईरानी गुवाहाटी, जितेंद्र सिंह जम्मू और थावरचंद गहलोत इंदौर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे.
बता दें कि पीएम मोदी ने गुरुवार को चौरी चौरा शताब्दी समारोह का ऑनलाइन माध्यम से उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि साल 2021-22 के आम बजट को देश के सामने खड़ी चुनौतियों के समाधान को नई तेजी देने वाला करार देते हुए आरोप लगाया कि पिछली सरकारों ने बजट को वोट बैंक के हिसाब किताब का बहीखाता और कोरी घोषणाओं का माध्यम बना दिया था.
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में देश के सामने जो चुनौतियां सामने आई उनके समाधान को यह बजट नई तेजी देगा. उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों पर आरोप लगाते हुए कहा कि दशकों से हमारे देश में बजट का मतलब बस इतना ही रह गया था कि किसके नाम पर क्या घोषणा कर दी गई. बजट को वोट बैंक के हिसाब किताब का बहीखाता बना दिया गया था." मोदी ने कहा कि पहले की सरकारों ने बजट को ऐसी घोषणाओं का माध्यम बना दिया था जो वह पूरी ही नहीं कर पाती थीं. मगर अब देश ने यह सोच बदल दी है, एप्रोच बदल दी है. प्रधानमंत्री ने किसानों का जिक्र करते हुए कहा कि अगर हमारा किसान और सशक्त होगा तो कृषि क्षेत्र में हो रही प्रगति और तेज होगी इसके लिए बजट में कई कदम उठाए गए हैं. मंडियां किसानों के फायदे का बाजार बने, इसके लिए 1000 और मंडियों को ई-नाम से जोड़ा जाएगा. (इनपुट्स भाषा से भी)
गाजीपुर बॉर्डर, 4 फरवरी | काफी फजीहत होने के बाद दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को रोकने के लिए लगाई गई नुकीसी कीलों को गुरुवार को हटा दिया है। पुलिस ने कहा कि इन्हें दूसरी जगहों पर लगाया जा सकता है। कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद से पुलिस ने सीमाओं पर सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर दी थी और कई लेयर की बैरिकेडिंग के साथ नुकीली कीलें भी लगा दी थी, जिसकी मीडिया में काफी फजीहत हुई। विपक्षी दलों ने भी पुलिस पर निशाना साधा। दिल्ली पुलिस ने अब इन कीलों को हटा लिया है।
सुबह करीब 11 बजे इन कीलों को हटा लिया गया। जो लोग ये कीलें हटा रहे थे, उनसे जब पूछा गया तो उन्होंने इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया, वहीं कर्मचारियों के साथ एक दिल्ली पुकिसकर्मी भी था जो कि इस पूरे मसले पर शांत रहा।
दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अफसर ने आईएएनएस से बाद में कहा कि, हम इन कीलों को रणनीतिक रूप से दूसरी लोकेशन पर लगाना चाह रहे हैं, इसलिए यहां से हटाया गया है। हमें जिधर जरूरत पड़ेगी हम उधर इन कीलों को लगाएंगे।
भारतीय किसान यूनियन की तरफ से इन कीलों को हटाने पर कहा गया है कि, ठीक फैसला लिया गया है, किला बन्दी करके वार्ता का माहौल नहीं बन सकता है। देर आए दुरुस्त आए। लेकिन सरकार को इस तरह का कोई फैसला नहीं करना चाहिए, जिससे नागरिकों को ये प्रतीत हो कि हम किसी दूसरे देश के बॉर्डर पर बैठे हैं।
दरअसल गणतंत्र दिवस पर हुई ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा के बाद से पुलिस प्रसाशन ने अपनी रणनीतियों में काफी बदलाव किया है। कृषि कानून पर हो रहे दिल्ली की सीमाओं पर पुलिस ने सुरक्षा में बदलाव करते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया है।
प्रशासन की ओर से बॉर्डर पर बेरिकेड, पत्थर के भारी ब्लॉक्स, कंक्रीट की दीवार खड़ी कर रखी है। वहीं कटीले तारों और जमीन पर नुकीली कीलों को भी लगाया गया। हालांकि गाजीपुर बॉर्डर पर गाजियाबाद की ओर से दिल्ली जाने वाले रास्ते की तरफ से इन्हें हटा लिया गया है।
वहीं विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने भी पुलिस द्वारा लगाई गई कीलों का विरोध किया था।
हालांकि सुबह किसानों से मिलने के लिए 10 विपक्षी दलों के सांसद गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचे थे। लेकिन तारबंदी और बैरिकेडिंग के साथ लगी नुकीली कीलों से वह दिल्ली की सीमा से यूपी गेट तक नहीं पहुंच सके थे। (आईएएनएस)
लखनऊ, 4 फरवरी | काफी अरसे से रिक्त चल रही मुख्य सूचना आयुक्त की कुर्सी पर सेवानिवृत्त आईपीएस अफसर को बिठाने की तैयारी चल रही है। भारतीय पुलिस सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी भवेश कुमार सिंह प्रदेश के अगले और चौथे राज्य मुख्य सूचना आयुक्त होंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई तीन सदस्यीय समिति की बैठक में उनके नाम पर सहमति जता दी गई है। समिति की सिफारिश से संबंधित फाइल प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मंजूरी के लिए राजभवन भेज दी गई है।
समिति ने जिन सात नामों पर विचार किया उनमें न्यायपालिका, भारतीय प्रशासनिक सेवा व भारतीय पुलिस सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी तथा आरटीआइ एक्टिविस्ट आदि शामिल थे। इनमें भवेश कुमार सिंह, जस्टिस (रिटायर्ड) अनिल कुमार, राजस्व परिषद अध्यक्ष आईएएस अधिकारी दीपक त्रिवेदी और वर्तमान में सूचना आयुक्त राजीव कपूर, दुष्यंत कुमार, ताहिर हसन नकवी, अशोक कुमार शुक्ला के नामों पर मंथन हुआ।
भवेश कुमार सिंह बिहार के सुपौल के मूल निवासी हैं। भारतीय पुलिस सेवा के उत्तर प्रदेश काडर के 1987 बैच के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। वह अलीगढ़, मऊ, मथुरा, मुरादाबाद, शाहजहांपुर, प्रयागराज, बरेली और कानपुर में एसपी-एसएसपी तथा आगरा और गोरखपुर रेंज के आइजी रह चुके हैं। एक अगस्त 2017 को महानिदेशक (डीजी) के पद पर प्रमोट हुए थे। इसके बाद बीते साल वह डीजी इंटेलिजेंस के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।
ज्ञात हो कि प्रदेश के तीसरे राज्य मुख्य सूचना आयुक्त रहे जावेद उस्मानी का कार्यकाल 16 फरवरी 2019 को खत्म हुआ था। तब से यह पद खाली था। लंबे समय से इस पद पर नियुक्ति होने का मामला अदालत में भी पहुंचा। इलाहाबाद हाईकोर्ट भी सरकार से इस बाबत जवाब मांग चुका है। (आईएएनएस)
बेंगलुरु, 4 फरवरी | कर्नाटक ने प्रयोगात्मक आधार पर अगले 4 हफ्तों के लिए सिनेमाघरों को पूरा खोलने की अनुमति दे दी है। यह कदम सरकार ने कन्नड़ फिल्म जगत के प्रतिष्ठित परिवार द्वारा सिनेमाघरों को आधी क्षमता के साथ चलाने के सरकार के फैसले का विरोध करने के बाद उठाया है। कन्नड़ फिल्म के सुपरस्टार, पुनीत राजकुमार ने ट्विटर के जरिए सवाल उठाया था कि सरकार केवल फिल्म इंडस्ट्री को ही निशाना क्यों बना रही है, जबकि मार्केट, दुकानें और सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठान बिना किसी व्यवधान के चल रहे हैं।
कन्नड़ थिएटर के मशहूर नाम डॉ. राजकुमार के सबसे छोटे बेटे के ट्वीट के वायरल होने के बाद उनके सबसे बड़े भाई और सुपरस्टार शिवा राजकुमार ने भी ट्वीट कर सरकार के फैसले का विरोध किया। इसके बाद तो सैंडलवुड इंडस्ट्री के स्टार्स समेत टेक्नीशियन आदि सरकार के विरोध में उतर पाए। इसके बाद मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने स्वास्थ्य मंत्री के. सुधाकर को इस मामले में समाधान खोजने के लिए कहा। हालांकि, इस बीच शिवा राजकुमार के नेतृत्व में फिल्म अभिनेताओं और तकनीशियनों का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमत्री को ज्ञापन सौंपने विधान सभा पहुंच गया।
इसके बाद सुधाकर ने बुधवार को कहा, "तकनीकी सलाहकार समिति की सिफारिशों के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग ने पहले सिनेमा हॉल में 50 प्रतिशत बैठने की अनुमति दी थी। हालांकि, केंद्र ने सिनेमाघरों में 100 प्रतिशत बैठक क्षमता की मंजूरी दी है, लेकिन स्थिति के आधार पर निर्णय लेने का अधिकार राज्यों को दिया था। लिहाजा हमने 50 प्रतिशत बैठक क्षमता को जारी रखने का विकल्प चुना। अब हमने पुनर्विचार के बाद सिनेमाघरों को पूर्ण क्षमता के साथ काम करने की अनुमति देने का फैसला किया है।"
उन्होंने कहा कि कन्नड़ फिल्म उद्योग ने इस फैसले का विरोध किया था और इस मुश्किल समय में मुख्यमंत्री से उनको सपोर्ट करने की अपील की है।
मंत्री ने कहा कि गुरुवार को सख्त दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे और सिनेमाघर शुक्रवार से फिल्मों की स्क्रीनिंग शुरू कर सकते हैं।
वहीं अभिनेता शिवा राजकुमार ने कहा कि पूरी फिल्म बिरादरी सिनेमाघरों के बंद रहने के कारण भारी नुकसान उठा रही है। उन्होंने कहा, "मैं प्रशंसकों से अपील करता हूं कि वे कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करें। साथ ही मुख्यमंत्री को हमारा सपोर्ट करने के लिए धन्यवाद।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 4 फरवरी | दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले पर हुई हिंसा के मामले में एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान धर्मेंद्र सिंह हरमन के रूप में हुई है जिसे 26 जनवरी को लाल किले में एक वीडियो फुटेज में देखा गया था, जब हिंसा भड़क गई थी।
पुलिस लाल किले पर धार्मिक झंडा फहराने में भी उसकी भूमिका की जांच कर रही है। लाल किले की हिंसा के समय कितने लोग सक्रिय थे, यह जानने के लिए पुलिस और डेटा को भी स्कैन कर रही है।
दिल्ली पुलिस ने अब तक कुल 124 गिरफ्तारियां की हैं और 44 एफआईआर दर्ज की गई है।
इस बीच, दिल्ली पुलिस ने विभिन्न सोशल मीडिया अकाउंट के खिलाफ चार मामले भी दर्ज किए हैं और किसानों के विरोध के बारे में आपत्तिजनक और गैरकानूनी पोस्ट हटाने के लिए कहा है। (आईएएनएस)
जबलपुर, 4 फरवरी | मध्य प्रदेश के जबलपुर में भारतीय सेना में प्रवेश के लिए महिलाओं की भर्ती रैली आयोजित की गई, इसमें 92 महिला उम्मीदवारों ने ग्राउंड टेस्ट पास किया। इन सभी का एक से तीन फरवरी तक सैन्य अस्पताल जबलपुर में चिकित्सकीय परीक्षण किया गया। बताया गया है कि सेना में प्रवेश के लिए ढाई लाख अभ्यर्थियों ने पंजीयन कराया था। उनमें से, 10 हजार उम्मीदवारों को उनके कक्षा 10वीं के परिणाम के आधार पर शॉर्टलिस्ट किया गया था। शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों में से मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड राज्यों के 1,820 उम्मीदवारों को जबलपुर में भर्ती रैली के लिए बुलाया गया था। कुल 502 उम्मीदवारों ने ग्राउंड टेस्ट के लिए उपस्थिति दर्ज की थी। इनमें से 92 महिला प्रतिभागीय ग्राउंड टेस्ट में सफल रहे है।
इस भर्ती रैली के दौरान सफल उम्मीदवार अब अप्रैल के अंतिम सप्ताह में आयोजित होने वाली कॉमन एंट्रेस परीक्षा में शामिल होंगे। चयनित उम्मीदवार महिला सैन्य पुलिस के दूसरे बैच के रूप में बैंगलोर के कोर ऑफ मिल्रिटी पुलिस सेंटर में शामिल होंगे।
सेना के भर्ती क्षेत्र जबलपुर में जम्मू और कश्मीर राइफल्स रेजिमेंटल सेंटर में अधिकारी स्तर से नीचे के रैंक में महिलाओं की दूसरी बार प्रवेश के लिए महिला भर्ती रैली का आयोजन किया। (आईएएनएस)
लखनऊ, 4 फरवरी | राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर अयोध्या में मस्जिद के निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को आवंटित पांच एकड़ भूमि के स्वामित्व पर दावा करते हुए, दिल्ली की रहने वाली दो बहनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में याचिका दायर की है। याचिका बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के समक्ष दायर की गई और 8 फरवरी को सुनवाई होने की संभावना है।
रानी कपूर उर्प रानी बलूजा और रमा रानी पंजाबी ने याचिका में कहा है कि उनके पिता ज्ञान चंद्र पंजाबी 1947 में विभाजन के दौरान पंजाब से भारत आए थे और फैजाबाद (अब अयोध्या) जिले में बस गए थे।
उन्होंने दावा किया है कि उनके पिता को नाजुल विभाग द्वारा धन्नीपुर गांव में 28 एकड़ जमीन पांच साल के लिए आवंटित की गई थी, जो उस अवधि से भी अधिक समय तक उनके पास थी।
याचिककर्ताओं ने कहा कि बाद में, उनका नाम राजस्व रिकॉर्ड में शामिल किया गया था।
हालांकि, उनके नाम को रिकॉर्ड से हटा दिया गया था, जिसके बाद उनके पिता ने अतिरिक्त आयुक्त, अयोध्या के समक्ष अपील दायर की थी, जिसकी अनुमति दी गई थी।
याचिकाकर्ताओं ने आगे दावा किया कि समेकन अधिकारी ने कार्यवाही के दौरान अपने पिता का नाम फिर से रिकॉर्ड से हटा दिया।
बहनों ने कहा कि समेकन अधिकारी के आदेश के खिलाफ, समेकन के लिए निपटान अधिकारी, सदर, अयोध्या के समक्ष अपील दायर की गई थी, लेकिन उक्त याचिका पर विचार किए बिना, अधिकारियों ने निर्माण के लिए वक्फ बोर्ड को उनकी 28 एकड़ जमीन में से पांच-एकड़ जमीन आवंटित की है।
याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि अधिकारियों को निपटान अधिकारी के समक्ष विवाद के लंबित रहने तक सुन्नी वक्फ बोर्ड को जमीन हस्तांतरित करने से रोक दिया जाए।
राज्य सरकार ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश केअनुसार मस्जिद के निर्माण के लिए धन्नीपुर गांव में सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन आवंटित की है। (आईएएनएस)
गाजीपुर बॉर्डर, 4 फरवरी | कृषि कानूनों पर दिल्ली की सीमाओं पर बीते दो महीने से अधिक समय से किसानों का विरोध जारी है। ऐसे में लगातार बॉर्डर पर राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के पहुचने का सिलसिला जारी है। गुरुवार सुबह गाजीपुर बॉर्डर पर विपक्षी नेताओं का दल किसानों ने मिलने पहुंचा। लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें किसानों से मिलने की इजाजत नहीं दी। दिल्ली पुलिस के विपक्षी नेताओं को किसानों से मिलने नहीं देने से नेताओं में काफी आक्रोश है। नेताओं ने पुलिस से किसानों से मिलने के लिए कई बार कहा, लेकिन दिल्ली पुलिस ने एक नहीं सुनी।
मजबूरन विपक्षी दलों के नेताओं को बॉर्डर से वापस जाना पड़ा।
जब दिल्ली पुलिस ने सभी नेताओं को किसानों से नहीं मिलने दिया, तो एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने आईएएनएस से कहा कि, दिल्ली पुलिस ने हमें किसानों से मिलने के लिए रोका है, हम इस मुद्दे को स्पीकर के सामने उठाएंगे।
विपक्षी नेताओं के इस प्रतिनिधिमंडल में एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले, डीएमके सांसद कनिमोझी, एसएडी सांसद हरसिमरत कौर बादल और टीएमसी सांसद सौगत रॉय समेत कई नेता शामिल थे।
एसएडी सांसद सुप्रिया सुले ने जानकारी साझा करते हुए कहा कि, 10 पार्टियों से 15 सांसद गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे हैं।
दरअसल इससे पहले भी कई राजनीतिक पार्टी के नेता बॉर्डर पहुंच कर अपना समर्थन किसानों को दे चुके हैं जिसमें आरएलडी के जयंत सिंह और शिव सेना के संजय राउत भी शामिल है। (आईएएनएस)
सुमित कुमार सिंह
बेंगलुरु, 4 फरवरी | मित्र देशों को अपने हथियारों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, भारत ने गुरुवार को स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान तेजस, आर्टिलरी गन, विस्फोटक, टैंक और मिसाइल, एंटी टैंक माइंस और अन्य के निर्यात को मंजूरी दे दी। कुल मिलाकर, सरकार ने 156 रक्षा हथियारों, उपकरणों के निर्यात को मंजूरी दी।
इनमें 19 एरोनॉटिकल सिस्टम्स, 16 परमाणु-जैविक-रासायनिक उपकरण, 41 आयुध और लड़ाकू सिस्टम, 28 नौसैनिक सिस्टम, 27 इलेक्ट्रॉनिक और कम्युनिकेशन सिस्टम, 10 जीवन सुरक्षा आइटम, चार मिसाइल सिस्टम, चार माइक्रो-इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और सात अन्य मैटेरियल शामिल हैं।
यह सूची रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा जारी की गई।
इससे पहले, यह आकाश मिसाइल थी जिसे निर्यात के लिए मंजूरी दी गई थी, लेकिन अब 'बियांड विजुअल रेंज' (बीवीआर) हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल अस्त्र, एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल नाग और ब्रह्मोस वेपन सिस्टम निर्यात के लिए तैयार हैं।
आकाश सतह से हवा में मार करने वाली एक मिसाइल प्रणाली है जो कम दूरी की एयर डिफेंस प्रदान करती है।
अस्त्र मिसाइल बियांड विजुअल हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है जो भारतीय वायु सेना की सुखोई30 एमकेआई के साथ इंटीग्रेटेड है। आने वाले समय में, अन्य भारतीय लड़ाकू विमानों के भी अस्त्र के साथ इंटीग्रेटेड किया जाएगा।
ब्रह्मोस सेना, नौसेना और वायु सेना द्वारा उपयोग के लिए एक सुपरसोनिक मिसाइल है। इस यूनिवर्सल मिसाइल को जहाजों, मोबाइल लांचर, पनडुब्बियों और एयरक्राफ्ट से लॉन्च किया जा सकता है।
सरकार अब रक्षा उत्पादन निर्यात प्रोत्साहन नीति 2020 के अनुसार, 2025 तक 35,000 करोड़ रुपये (5 अरब अमेरिकी डॉलर) के रक्षा उपकरणों के निर्यात को हासिल करने का लक्ष्य लेकर अपने रक्षा निर्यात को बढ़ा रही है।
आत्मनिर्भरता के लिए निर्यात बढ़ाने और घरेलू रक्षा उद्योग का निर्माण करने के उद्देश्य से, नीति 1,75,000 करोड़ रुपये (25 अरब डॉलर) के टर्नओवर का लक्ष्य रखती है।
यह नीति भारतीय उद्योग से घरेलू खरीद को दोगुना करने की भी है। (आईएएनएस)
गया (बिहार), 4 फरवरी | बिहार के गया जिले के अतरी थाना क्षेत्र में बुधवार की देर रात एक घर में आग लग जाने से एक ही परिवार के तीन सदस्यों की झुलसकर मौत हो गई। आग लगने का कारण अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है। पुलिस के मुताबिक, डिहुरी गांव में जगलाल मांझी अपने पूरे परिवार के साथ घर सो रहे थे, तभी उनके घर में आग लग गई। आग की सूचना पर स्थानीय ग्रामीणों ने आग बुझाने की काफी कोशिश की। आग पर ग्रामीण जब तक काबू पाते तब तक घर में सोए जगलाल मांझी, देवंती देवी और मूंगिया देवी की मौत हो गई।
अतरी के थाना प्रभारी प्रशांत कुमार ने गुरुवार को बताया कि घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस घटनास्थल पर पहुंचकर तीनों शवों को बरामद कर लिया है। शवों को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया गया है।
उन्होंने कहा कि आग लगने का स्पष्ट कारण अब तक पता नहीं चल पाया है, आशंका व्यक्त की जा रही है कि ठंड को लेकर आग तापने के लिए आग जलाई गई होगी, जिससे रात को आग लग गई। पुलिस पूरे मामले की छानबीन कर रही है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 2 फरवरी | गृह मंत्री अमित शाह गुरुवार को राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) अध्यादेश, 2021 की जरूरत पर प्रकाश डालते हुए भाषण देंगे। साथ ही वे जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन के लिए विधेयक भी पेश करेंगे। इसके अलावा सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर भी चर्चा होगी। बुधवार को भुवनेश्वर कलिता ने कहा था, "राष्ट्रपति को इन शब्दों में धन्यवाद दिया जाना चाहिए कि इस सत्र में सम्मिलित हुए राज्यसभा के सदस्य राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए बहुत आभारी हैं, जो उन्होंने संसद के दोनों सदनों को दिया।"
साथ ही रेलवे, शहरी विकास और वन की स्थायी और विभाग संबंधी समितियां अपनी रिपोर्ट उच्च सदन को सौंपेंगी। (आईएएनएस)
दिलनवाज़ पाशा
जींद में हुई किसान महापंचायत की तस्वीर
केंद्र सरकार के तीनों कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहा किसान आंदोलन अब दिल्ली की सरहदों या हरियाणा-पंजाब तक ही सीमित नहीं रह गया है.
बुधवार को हरियाणा के जींद और रोहतक, उत्तराखंड के रुड़की और उत्तर प्रदेश के मथुरा में किसानों के मुद्दों को लेकर किसान महापंचायतों का आयोजन हुआ.
इन महापंचायतों में बड़ी संख्या में किसान जुटे. किसान नेता राकेश टिकैत ने जींद की महापंचायत में किसानों से 'दिल्ली चलो' का आह्वान किया है.
जींद के कंडेला में हुई किसान महापंचायत में भारी भीड़ जुटी. इस किसान महापंचायत की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी खूब शेयर की जा रहीं हैं. हरियाणा में गांव-गांव में किसान आंदोलन के लिए समर्थन भी जुटाया जा रहा है.
वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी किसान संगठन सक्रिय हो गए हैं. अब तक मुज़फ्फरनगर, बागपत, बिजनौर और मथुरा में बड़ी किसान महापंचायतें हो चुकी हैं. पश्चिमी यूपी और हरियाणा की किसान महापंचायतों में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हो रही हैं. इसे भी एक बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है.
मथुरा की महापंचायत में राष्ट्रीय लोक दल और दूसरे राजनीतिक दलों ने भी हिस्सा लिया था. हालांकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की महापंचायतों में विपक्ष के नेता शामिल तो हो रहे हैं लेकिन उन्हें मंच से दूर ही रखा जा रहा है.
इन पंचायतों में आंदोलन की आगे की रणनीति और दिल्ली की सरहदों पर आंदोलन को और मज़बूत करने के मुद्दे पर चर्चा हुई है.
26 जनवरी के घटनाक्रम के बाद दिल्ली-उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत की भावुक अपील के बाद उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान और हरियाणा में गांव-गांव में किसान सक्रिय हो गए हैं और किसान आंदोलन में अपना योगदान कर रहे हैं.
बुधवार को उत्तराखंड के रुड़की के मंगलौर में हुई किसान महापंचायत में भी भारी तादाद में किसान जुटे. वहीं मथुरा के बलदेव कस्बे में भी किसान पंचायत हो रही है. मथुरा में हो रही किसान महापंचायत में नेताओं ने आंदोलन को जमीन पर और मजबूत करने और जब तक तीनों क़ानून वापस न हों, आंदोलन को चलाए रखने का आह्वान किया.
मथुरा के बलदेव में हुई किसान महापंचायत में राष्ट्रीय लोकदल के स्थानी नेता भी शामिल रहे. इस पंचायत में 6 फरवरी को प्रस्तावित देशव्यापी चक्का जाम को कामयाब करने की अपील भी की गई है.
उधर राजस्थान के दौसा जिले के मीन भगवान मंदिर मेंहदीपुर बालाजी में 1 फरवरी को हुई किसान महापंचायत में 5 फरवरी को एक और बड़ी किसान महापंचायत करने का फ़ैसला लिया गया है. इस दौरान पांच हजार ट्रैक्टरों का मार्च निकालने की घोषणा भी की गई है.
इस महापंचायत में मीणा समुदाय और दूसरी जातियों के लोग शामिल हुए. राजस्थान की महापंचायत में किसानों ने हर घर से एक किसान को दिल्ली की सीमाओं पर भेजने की घोषणा भी की है. 07 फरवरी को शाहजहांपुर बॉर्डर कूच करने का ऐलान भी किया गया. वहीं राजस्थन के अन्य जिलों में भी किसान महापंचायतें करने की घोषणा की गई है.
आने वाले दिनों में राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई जिलों और गांवों में और भी किसान महापंचायतें होने जा रही हैं. इससे पता चलता है कि किसान आंदोलन अब यूपी और राजस्थान के भी गांव-गांव में फैल रहा है.
इन महापंचायतों का एक स्पष्ट असर ये है कि अब बड़ी तादाद में किसान दिल्ली कूच कर रहे हैं. गाजीपुर बॉर्डर पर यूपी के बुलंदशहर से आए किसान संजीव गुर्जर कहते हैं, "यूपी में इन क़ानूनों के ख़िलाफ़ जाट-गूजर सब एक हो गए हैं. जब तक क़ानून वापस नहीं होंगे, धरना और मज़बूत होता रहेगा.'
वहीं बुलंदशहर के ही हामिद अली कहते हैं, "ये आंदोलन धर्म और जाति से बहुत ऊपर हो गया है. यहां कोई हिंदू या मुसलमान या जाट या गूजर नहीं है. सब किसान है. किसान अब अपनी आवाज़ उठाना सीख गया है. अब जब तक मांगें नहीं मानी जाएँगी, ये आंदोलन चलता रहेगा."
समाजवादी पार्टी से जुड़े हामिद अली के मुताबिक़ उनके गृह जिले में आंदोलन को मज़बूत करने के लिए गांव-गांव में लोग छोटी-छोटी पंचायतें कर रहे हैं.
SAT SINGH/BBC
मेरठ से आए धर्मेंद्र मलिक कहते हैं, "इस किसान आंदोलन का अब उत्तर प्रदेश में राजनीतिक असर भी होगा. पिछले कुछ चुनावों में जाटों ने भाजपा को खुलकर वोट दिया था. अब प्रदर्शन में अधिकतर जाट ही शामिल हैं, ऐसे में ये लोग सरकार के ख़िलाफ़ वोट भी दे सकते हैं."
मलिक कहते हैं, "ये आंदोलन गांव-गांव में मजबूत हो गया है. लोग अब खेती-किसानों के मुद्दे पर बात कर रहे हैं. किसानों को लग रहा है कि उनकी धरती मां पर हमला हो रहा है, किसान को जो समझना था समझ गया है, अब क़ानून वापस कराकर ही हटेगा."
मेरठ के ही डब्बू प्रधान कहते हैं, "उत्तर प्रदेश में 1987 में बाबा महेंद्र सिंह टिकैत ने कांग्रेस की वीर बहादुर सिंह की सरकार के ख़िलाफ़ आंदोलन किया था. उसके बाद से यूपी में कांग्रेस की सरकार नहीं आई है. यदि ये आंदोलन और आगे बढ़ा तो इसके राजनीतिक प्रभाव दिखने लगेंगे."
ग़ाज़ीपुर प्रदर्शनस्थल पर मेरठ से आए एक और बुजुर्ग किसान कहते हैं, "हम सब किसान के बेटे हैं. किसान अब अपने साथ हो रहे अन्याय को समझ रहा है. हम झूठी सच्ची बातों में आ गए थे. पंद्रह लाख के लालच में फंस गए थे. लेकिन अब सब समझ आ रहा है. साफ़-साफ़ दिख रहा है कि हमला सीधे किसान पर हो रहा है." (bbc.com)
मुंबई, 4 फरवरी | महाराष्ट्र के सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे की दूसरी पत्नी ने बुधवार को पुलिस में शिकायत कर पति पर उत्पीड़न और अपने दो बच्चों को सरकारी बंगले में कैद रखने का आरोप लगाया। पीड़ित महिला करुणा शर्मा ने पुलिस महानिदेशक हेमंत नागरे को दी शिकायत में आरोप लगाया है कि मुंडे ने अपने दो बच्चों को अपने बंगले चितकूट में 'कैद' कर रखा है।
उन्होंने दावा किया कि जब वह 24 जनवरी को बच्चों से मिलने गईं तो पुलिसकर्मियों की एक बड़ी टीम ने उन्हें बंगले में प्रवेश करने से रोक दिया। उन्होंने मंत्री पर अन्य आरोप भी लगाए।
मुंडे के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए करुणा शर्मा ने 20 फरवरी से या तो मंत्रालय, मंत्री के बंगले या आजाद मैदान के बाहर भूख हड़ताल पर जाने की धमकी दी।
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए 45 वर्षीय मुंडे ने करुणा शर्मा के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उनके बीच के मुद्दे अदालत में मध्यस्थता की प्रक्रिया के तहत चल रहे हैं।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता मुंडे ने बुधवार की देर शाम संवाददाताओं से कहा, "ये आरोप निराधार हैं। मुझे बदनाम करने का उनका इरादा है। अदालत द्वारा एक मध्यस्थ नियुक्त किया गया है।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 3 फरवरी | खेल मंत्री किरण रिजिजू ने बुधवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान राष्ट्रीय खेल विकास संहिता 2011 में छूट प्रदान की गई ताकि राष्ट्रीय खेल संघों (एनएसएफ) की मदद की जा सके। मंत्रालय ने सोमवार को सभी एनएसएफ और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को भेजे गए पत्र में कहा कि उसने खेल संहिता में छूट क्लॉज का उपयोग किया है, जिसके तहत किसी भी प्रावधान से संबंधित नियमों को शिथिल करने की शक्ति होगी।
रिजिजू ने कहा, " कोविड-19 महामारी के दौरान हमने महासंघ को छूट दी थी। नवीकरण और चुनाव के लिए आपको शारीरिक गति की आवश्यकता होती है जो संभव नहीं था। खेल संघों की मान्यता के लिए खेल संहिता में दिशानिर्देश हैं।"
उन्होंने कहा, " लेकिन कोविड जैसी विशेष परिस्थितियों के दौरान, ऐसी मदद प्रदान करना नैतिक कर्तव्य है। हम महामारी के दौरान किसी को दंडित नहीं कर सकते।"
इससे पहले, वकील से खेल कार्यकर्ता बने राहुल मेहरा ने कहा कि पत्र 'पूरी तरह से अवैध' था।
मेहरा ने आईएएनएस से कहा, " मंत्रालय ने अपने अधीन में एनएसएफ को स्वच्छ खेलों के लिए संहिता का पालन करने की वकालत की। अब यह एनएसएफ का समर्थन करने के लिए अलग बातों का सहारा ले रहा है क्योंकि उनमें से कई सुशासन के लिए सरकारी दिशानिर्देशों का पालन नहीं करते हैं।" (आईएएनएस)
अमरावती, 3 फरवरी| आंध्र प्रदेश के शिक्षा मंत्री आदिमलापु सुरेश ने बुधवार को घोषणा की कि कक्षा 10 के छात्रों के लिए वार्षिक बोर्ड परीक्षा 7 जून से शुरू होगी और 16 जून तक चलेगी। नियमित, निजी, व्यावसायिक और अन्य उम्मीदवारों के लिए परीक्षाएं एकल सत्र में सुबह 9.30 बजे से 12.45 बजे तक होंगी।
सुरेश ने कहा, "परीक्षाएं सात पेपरों के लिए आयोजित की जाएंगी, जिनमें से तीन भाषाएं हैं, दो समूह विषय हैं और दो विज्ञान के प्रश्नपत्र हैं, जहां विज्ञान के प्रश्नपत्रों को छोड़कर सभी परीक्षाएं 100 अंकों की होंगी।"
कोरोनावायरस महामारी के बाद परीक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम में 35 प्रतिशत की कमी की गई है, जबकि कक्षा 10 के छात्रों के लिए स्कूल का अंतिम दिन 5 जून को होगा।
कक्षा 1 से 9 के छात्रों के लिए वार्षिक परीक्षाएं 3 से 10 मई तक निर्धारित की गई हैं।(आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 3 फरवरी | भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने केरल लोक सेवा आयोग (केपीएससी) में अपनी ही पार्टी के लोगों को भर्ती करने के आरोपों के साथ बुधवार को सत्तारूढ़ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (माकपा) पर जमकर निशाना साधा। नड्डा ने आरोप लगाया कि केपीएससी को माकपा की भर्ती एजेंसी में तौर पर तब्दील कर दिया गया है।
नड्डा ने तिरुवनंतपुरम में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) सरकार पिछले दरवाजे के माध्यम से माकपा कैडर की भर्ती करके सरकारी नौकरियों को भर रही है। उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों में कई अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी किया जा रहा है, जिससे राज्य पीएससी अप्रासंगिक हो गया है।
नड्डा केरल के दो दिवसीय दौरे पर गए हुए हैं। नड्डा ने कहा कि कांग्रेस और माकपा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। भाजपा प्रमुख ने कांग्रेस पर सबरीमाला मंदिर मुद्दे पर कुछ वोट हासिल करने के लिए उपासकों एवं श्रद्धालुओं की पीठ पर छुरा घोंपने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने कांग्रेस नेताओं रमेश चेन्निथला और ओमन चांडी पर आपराधिक मामलों में शामिल होने का आरोप लगाया। भाजपा नेता ने कहा कि कांग्रेस और माकपा ने पश्चिम बंगाल में चुनाव से पूर्व गठबंधन किया है, लेकिन केरल में वे सुविधा की राजनीति करने के लिए एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।
नड्डा ने केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन पर भी हमला बोला और कहा कि वह संविधान पर हमला कर रहे हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट के खिलाफ विधानसभा का प्रस्ताव खतरनाक है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि माकपा सरकार कोविड-19 महामारी से पार पाने में विफल रही है और राज्य में देशभर में कोरोनावायरस के सबसे अधिक मामले दर्ज किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य में पॉजिटिविटी दर राष्ट्रीय औसत से पांच गुना है और महामारी से निपटने के लिए केरल सरकार द्वारा एक गंभीर आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता है।
नड्डा ने कहा कि केरल में भारतीय जनता पार्टी में कोई असंतोष नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा की वरिष्ठ नेता सोभा सुरेंद्रन से जुड़े मुद्दे को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कुछ छोटे मुद्दे हो सकते हैं, जिसे राज्य भाजपा में असंतोष नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने जोर दिया कि पार्टी एक इकाई के रूप में काम कर रही है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 3 फरवरी | दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित गाजीपुर बॉर्डर में पुलिस बैरिकेड्स और कंटीले तारों की बाड़ लगाकर विरोध प्रदर्शन स्थलों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। कांटेदार बाड़ लगाकर यूपी सीमा की ओर जाने वाली सड़क के एक हिस्से को बंद कर दिया गया। इसके अलावा, डीटीसी की कई बसों को सड़क पर खड़ा किया गया, ताकि किसी भी तरह के वाहनों की आवाजाही न हो सके। इसके कारण यातायात को अन्य क्षेत्रों में डायवर्ट किया गया, जिससे ट्रैफिक जाम की समस्या उत्पन्न हो गई है।
किसान नेताओं और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद हालात फिलहाल सामान्य होते नहीं दिख रहे हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 3 फरवरी | दिल्ली पुलिस ने किसान प्रदर्शन के संबंध में फर्जी खबर फैलाने के लिए विभिन्न सोशल मीडिया खातों के खिलाफ चार मामले दर्ज किए हैं और इस संबंध में आपत्तिजनक और गैरकानूनी पोस्ट को हटाने का अनुरोध भेजा है। पुलिस ने कहा है कि उन्होंने पाया कि कई सोशल मीडिया खातों का इस्तेमाल गलत बयानों को आगे बढ़ाने के लिए किया जा रहा है, जबकि इन खातों का कोई बायो डाटा भी नहीं है।
चिन्मय बिस्वाल, पीआरओ, दिल्ली पुलिस ने कहा, "कई पोस्टों में, संलग्न मीडिया रिपोर्टों को भी संपादित और हेरफेर किया गया है और समाचार रिपोर्टों की आड़ में उन्हें आगे बढ़ा दिया गया है।"
पुलिस ने कहा कि निहित स्वार्थ समूहों द्वारा किए गए दुर्भावनापूर्ण सोशल मीडिया प्रचार का उद्देश्य मुख्य रूप से आईटीओ, लाल किला और राष्ट्रीय राजधानी में अन्य स्थानों पर ट्रैक्टर रैली के प्रदर्शनकारियों द्वारा किए गए हिंसा के कारण लोगों के रोष के बीच फिर से समर्थन हासिल करना था। 26 जनवरी को हुई हिंसा में 500 से अधिक पुलिस कर्मी घायल हो गए थे।
दिल्ली पुलिस कर्मियों के सामूहिक इस्तीफे की फर्जी खबर पोस्ट करने के आरोप में राजस्थान से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। एक और फर्जी खबर पोस्ट करने के आरोप में भरतपुर से एक अन्य को गिरफ्तार किया गया है।
अधिकारी ने कहा, "दिल्ली पुलिस ने आपत्तिजनक गतिविधियों में लिप्त कई आरोपी व्यक्तियों की पहचान की है और उनकी गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं। जांच में शामिल होने के लिए चार व्यक्तियों को नोटिस जारी किए गए हैं। उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई उनके बयान के आधार पर की जाएगी।" (आईएएनएस)
गुवाहाटी, 3 फरवरी | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को असम का दौरा करेंगे और सोनितपुर जिले के ढेकियाजुली में जनसभा को संबोधित करेंगे। एक पखवाड़े के भीतर पूर्वोत्तर राज्य का यह उनका दूसरा दौरा है। राज्य के स्वास्थ्य और वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार को यह जानकारी दी। राजनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि एक पखवाड़े में प्रधानमंत्री की असम की दूसरी यात्रा सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए विधानसभा चुनाव अभियान का हिस्सा है।
सरमा ने कहा कि ढेकियाजुली से, मोदी बिश्वनाथ चाराली और चराइदेव में दो मेडिकल कॉलेजों की नींव रखेंगे और राज्य के राजमार्गो को अपग्रेड करने के लिए 'असम माला' परियोजना शुरू करेंगे।
सरमा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी शनिवार को गुवाहाटी का दौरा करेंगी, जहां राज्य के लगभग आठ लाख चाय बागान श्रमिकों में से प्रत्येक को 3,000 रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी
असम माला योजना के तहत, राज्य लोक निर्माण विभाग 15 वर्षो में 5,000 करोड़ रुपये की लागत से 2,500 किलोमीटर राज्य राजमार्गो को अपग्रेड करेगी।
इस बीच, असम सरकार ने 23 जनवरी को शिवसागर में प्रधानमंत्री की रैली के दौरान ध्वनि प्रणाली में गड़बड़ी के कारण की जांच के लिए एक उच्च-स्तरीय जांच समिति का गठन किया है। पांच-सदस्यीय समिति 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
शिवसागर जिला प्राधिकरण ने भी इसी मुद्दे पर एक जांच की थी, लेकिन जांच के नतीजों का अभी तक पता नहीं है।
असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव अप्रैल-मई में होने की उम्मीद है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 3 फरवरी | उत्तर बंगाल के चाय बगानों की बदहाली के कारण भूख और कुपोषण से अब तक 130 से अधिक मजदूरों की मौत के मुद्दे को उठाते हुए दार्जिलिंग से लोकसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि ममता बनर्जी की सरकार में चाय बागानों की हालत बद से बदतर हो चली है। शोषण से मजदूर दम तोड़ रहे हैं, फिर भी मुख्यमंत्री ने आंखें मूंद रखी हैं। मुख्यमंत्री को संकट से घिरी टी इंडस्ट्री के बारे में कोई जानकारी नहीं है। ममता बनर्जी सरकार की दमनकारी नीतियों के विरोध में चाय बगानों के मजदूर 2021 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी को सत्ता से बाहर करेंगे। भाजपा सांसद राजू बिष्ट ने कहा, "मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, चाय बागानों की जमीनी सच्चाई से कटी हुई हैं। जब नॉर्थ बंगाल के बंद चाय बागानों में भूख और कुपोषण के कारण 130 से अधिक लोगों की मौत हो गई, तो उन्होंने इस तथ्य को स्वीकार करने से बिल्कुल इनकार कर दिया। मुझे लगता है कि वह चाय बागानों की जमीनी हकीकत से पूरी तरह अनजान हैं।"
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने कहा कि चाय बागान राज्य सरकार के दायरे में आते हैं। चाय बागानों से राजस्व निचोड़ लेने के बावजूद बंगाल सरकार ने इंडस्ट्री के लिए कुछ नहीं किया। तृणमूल कांग्रेस की सरकार में चाय बागान और श्रमिक दोनों पीड़ित हैं। उन्होंने कहा, "मैं ममता बनर्जी सरकार से पूछना चाहता हूं कि उन्होंने 2011 से 2019 के बीच कौन सी योजना चाय बगानों की बेहतरी के लिए लांच की। पिछले दस वर्षों से, सरकार ने चाय बागान के श्रमिकों की दुर्दशा की तरफ से आंखें बंद कर ली हैं। चुनाव आने पर वर्ष 2020 में सरकार ने जो चाय सुंदरी स्कीम लांच की, वह भी कागजों पर सिमट कर रह गयी।"
भाजपा सांसद ने कहा कि अज्ञानता में ममता बनर्जी ने नॉर्थ बंगाल के सांसदों पर चाय बगानों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। ऐसे में उन्हें याद दिलाना कर्तव्य है कि उत्तर बंगाल के सांसदों के सामूहिक प्रयासों के कारण ही केंद्र सरकार ने श्रम सुधारों की शुरूआत की। 1951 के पुराने और शोषणकारी श्रम अधिनियम को समाप्त कर दिया। यह उत्तर बंगाल के सांसदों की वजह से चार लेबर कोड बने हैं चो चाय बागान श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करेंगे।
राजू बिष्ट ने कहा, "शायद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, वित्त मंत्री की ओर से बजट में बंगाल और असम के चाय बागान श्रमिकों के लिए घोषित एक हजार करोड़ के विशेष वित्तीय पैकेज के बारे में सुनना भूल गईं। यह उत्तर बंगाल के सांसदों के प्रयास से संभव हुआ। यह तथ्य है कि ममता बनर्जी और उनकी सरकार ने चाय बागानों में काम करने वाले लोगों को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया है और उन्हें आज तक न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत शामिल होने से रोका है। यही कारण है कि उत्तर बंगाल के लोगों ने 2019 में हमारे क्षेत्र से टीएमसी को बाहर किया, और वे 2021 के विधानसभा चुनाव में पूरी तरह से टीएमसी को उखाड़ फेंकने के लिए बेसब्र हैं।" (आईएएनएस)
मुंबई, 3 फरवरी | बॉलीवुड हस्तियों अक्षय कुमार, अजय देवगन, करण जौहर और सुनील शेट्टी ने बुधवार को किसानों के विरोध प्रदर्शन के बारे में प्रतिक्रिया व्यक्त की। अभिनेताओं ने लोगों से भारत के खिलाफ झूठे प्रचार पर विश्वास नहीं करने के लिए कहा है। भारतीय कलाकारों ने ट्वीट रिहाना, मिया खलीफा और ग्रेटा थनबर्ग जैसी अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के इस संबंध में ट्वीट के बाद किए हैं।
भारतीय हस्तियों ने इस मुद्दे के बारे में विदेश मंत्रालय (एमईए) के एक बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
सुपरस्टार अक्षय कुमार ने ट्विटर पर एमईए के बयान को साझा किया।
उन्होंने कहा, "किसानों ने हमारे देश का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया है। और उनके मुद्दों को हल करने के लिए किए जा रहे प्रयास स्पष्ट हैं। मतभेद पैदा करने वाले किसी भी व्यक्ति पर ध्यान देने के बजाय एक सौहार्दपूर्ण संकल्प का समर्थन करें।"
अभिनेता अजय देवगन ने कहा, "भारत या भारतीय नीतियों के खिलाफ किसी भी तरह के झूठे प्रचार में न पड़े। एकजुट रहना महत्वपूर्ण है।"
फिल्म निर्माता करण जौहर ने किसानों को भारत की रीढ़ कहा।
उन्होंने कहा, "हम मुश्किल घड़ी में रह रहे हैं और समय की आवश्यकता हर मोड़ पर विवेक और धैर्य का इस्तेमाल करने की है। हमें एक साथ मिल कर, हर संभव प्रयास करना चाहिए, जिससे हम कुछ समाधान खोज सकें-हमारे किसान भारत की रीढ़ हैं। आइए हम किसी को भी हमें विभाजित करने का मौका न दें।"
अभिनेता सुनील शेट्टी ने कहा कि आधे सच से ज्यादा खतरनाक कुछ नहीं होता है।
उन्होंने कहा, "हमें हमेशा चीजों के प्रति व्यापक दृष्टिकोण रखना चाहिए, क्योंकि आधे सच से ज्यादा खतरनाक कुछ भी नहीं होता है। (आईएएनएस)
सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि यूएपीए जैसे कड़े कानूनों में भी अगर स्पीडी ट्रायल के अधिकार का हनन होता है तो अभियुक्त जमानत का हकदार होगा. यूएपीए के तहत पिछले चार साल में पांच हजार से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं.
डॉयचेवेले पर शिवप्रसाद जोशी का लिखा-
गैरकानूनी गतिविधां निरोधक कानून, यूएपीए के एक दोषी को जमानत देने के केरल हाई कोर्ट के एक आदेश को चुनौती देने वाली राष्ट्रीय जांच एजेंसी, एनआईए की याचिका ठुकराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों ये अहम जजमेंट दी है. मानवाधिकार हल्कों से लेकर विधि और सुरक्षा विशेषज्ञों के बीच इस कानून के दायरे और दुरुपयोग को लेकर सवाल पूछे जाते रहे हैं. इसके प्रावधानों को शिथिल करने की मांग और बहस भी होती रही है. वैसे सुप्रीम कोर्ट का फैसला पुलिस के हाथ बांधने वाला नहीं है. ये बताता है कि सुरक्षा के लिए कड़े कानून जरूरी हो सकते हैं, लेकिन एक लोकतांत्रिक देश में उनका सावधानी से इस्तेमाल जरूरी है.
मीडिया में प्रकाशित खबरों के मुताबिक जस्टिस एनवी रामन्ना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ के मुताबिक अगर तय अवधि में सुनवाई पूरी नहीं होती है तो किसी भी सूरत में जमानत न देने का प्रावधान शिथिल पड़ता जाएगा. कोर्ट ने एनआईए की दलील को नहीं माना कि केरल हाईकोर्ट से दोषी को जमानत देने में चूक हुई है. ये मामला 2011 का है जिसमें अभियुक्त और उसके कुछ सहयोगियों पर एक कॉलेज प्रोफेसर की हथेली काट देने के आरोप में यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था. सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक हाईकोर्ट ने विचाराधीन कैदी को जमानत पर सशर्त रिहाई देते हुए अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया क्योंकि जेल में रहते हुए अभियुक्त को काफी समय हो गया था और निकट भविष्य में दूर दूर तक सुनवाई के खत्म होने के आसार नहीं थे. सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक हाईकोर्ट ने जो कारण गिनाए हैं उन्हें संविधान के अनुच्छेद 21 में भी देखा जा सकता है जो मौलिक अधिकारों की गारंटी से जुड़ा है लिहाजा उस फैसले को बहाल रखा गया.
पचास सालों में सख्त होता गया कानून
2019 में जब यूएपीए संशोधन बिल लाया गया था तो राज्यसभा में इस पर तीखी बहस हुई थी. विपक्षी दलों के नेताओं ने एक सुर में बिल के कड़े प्रावधानों को लोकतंत्र का गला घोंटने वाला करार दिया था. सरकार बिल पास कराने में सफल रही लेकिन इसे लेकर दुश्चिन्ताएं और बहसें कम नहीं पड़ी हैं. जानकारों का कहना है कि कानून का अत्यधिक इस्तेमाल इसे निरंकुशता का हथियार बना सकता है जो लोकतांत्रिक व्यवस्था को और नुकसान पहुंचाएगा. आतंक निरोधी कानून के रूप में पहली बार 1967 में ये कानून अस्तित्व में आया था.
कड़े कानूनों और एक तरह से प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ कानून की शुरुआत 1950 में लाए गए पीडीए यानी प्रिवेन्टिव डिटेन्शन एक्ट से हो गयी थी. इससे पहले 1985 में आए टाडा के रूप में भी देश एक और कड़ा कानून देख चुका है जिसे मानवाधिकार कार्यकर्ता काला कानून भी कहते थे. न्यूजक्लिक वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक टाडा के तहत 1985 से 1995 की दस साल की अवधि में 76 हजार से अधिक लोग गिरफ्तार किए गए थे लेकिन एक प्रतिशत पर ही दोष सिद्ध हो पाया. अमेरिका में 9/11 के बाद लाए गए कानूनों की तरह भारत में भी पोटा के रूप में एक और कड़ा कानून 2001 में लाया गया. यूएपीए अपने प्रावधानों में उससे भी सख्त और डरावना माना जाता है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट और उससे पहले केरल हाईकोर्ट का आदेश, इस कानून से जुड़ी दुरुपयोग की चिंताओं को भी रेखांकित करता है.
हजारों मामले लेकिन सुनवाई में देरी
पिछले साल सितंबर में राज्यसभा में एक लिखित जवाब में सरकार ने बताया था कि 2016 से लेकर 2019 तक की अवधि में 3005 मामले यूएपीए के तहत दर्ज किए गए थे. और एक्ट के तहत 3974 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी. द हिंदू अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने बताया कि ये आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो, एनसीआरबी से हासिल हुए थे जिसने 2014 से यूएपीए के मामलों को अलग कैटगरी में डालना शुरू किया था. तबसे मामले भी बढ़ते ही जा रहे हैं. 2016 में 922 मामले दर्ज हुए थे, 2017 में 901 और 2018 में 1182. अगर डाटा संग्रहण की वेबसाइट, स्टेटिस्टा में प्रकाशित 2019 के 1226 दर्ज मामलों को भी जोड़ लें तो पिछले चार साल में पांच हजार से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं.
यूएपीए के तहत माओवादी होने के आरोपों में जेल में बंद 38 वर्षीय आदिवासी एक्टिविस्ट कंचन नानावरे का मामला भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की रोशनी में देखा जा सकता है. उनकी पिछले दिनों 24 जनवरी को मौत हो गयी थी. वो दिल और दिमाग की तकलीफों से जूझ रही थीं और 16 जनवरी को उन्हे पुणे के राजकीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मीडिया रिपोर्टो के मुताबिक कंचन छह साल से अपने मुकदमे की सुनवाई का इंतजार कर रही थीं, सेशन अदालत में उनकी जमानत अर्जी खारिज हो चुकी थी और बंबई हाईकोर्ट में लंबित थी. केरल हाईकोर्ट का आदेश और उस पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर, संभवतः उनके मामले में भी नजीर बन सकती थी. बहरहाल इतना तो तय है कि यूएपीए जैसे कड़े कानूनों में भी मौलिक अधिकारों को महफूज रखे जाने के बारे में न्यायिक दृष्टि स्पष्ट है. और आने वाले समय में कई विचाराधीन मामलों पर इसका प्रभाव पड़े बिना नहीं रह सकता. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लोकतंत्र की आवाज के रूप में देखा जाना चाहिए.
-आनंद नायक
हरियाणा के जींद में बुधवार को किसानों की ''महापंचायत'' में भारी भीड़ जुटी. कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए केंद्र सरकार पर दवाब बनाने के लिए यह बैठक बुलाई गई थी. गौरतलब है कि केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर किसान, देश की राजधानी दिल्ली में नवंबर माह से आंदोलन पर डटे हैं. उनकी ऐसी बैठकें पिछले कुछ दिनों में यूपी में हुई थी जबकि बुधवार को हरियाणा के जाट बहुत जींद में बैठक हुई. बड़ी संख्या में मौजूद किसानों को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने चेतावनी भरे लहजे में केंद्र सरकार से कहा कि यदि कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो उसके लिए सत्ता में बने रहना मुश्किल हो जाएगा.जब टिकैत और अन्य नेता आसीन थे तभी वजन के कारण अचानक स्टेज गिर गया जिसके कारण बैठक कुछ देर के लिए बाधित हुई. हालांकि यूपी के जाट नेता राकेश टिकैत ने लोगों ने इसे लेकर नहीं घबराने की अपील की.
महापंचायत में टिकैत ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी के अलावा किसान मानने वाला नहीं है. उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा, ‘‘ अभी तो किसानों ने सिर्फ कानून वापसी की बात कही है, अगर किसान गद्दी वापसी की बात पर आ गए तो उनका क्या होगा? इस बात को सरकार को भलिभांति सोच लेना चाहिए.'' जींद के कंडेला में गांव आयोजित किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए टिकैत ने दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन स्थलों पर पुलिस की घेरांबदी को लेकर कहा कि सरकार ने कीलें ठुकवाईं, तार लगवाए, लेकिन ये चीजें किसानों को नहीं रोक पाएंगी. उन्होंने कहा ''राजा जब डरता है तो किलेबंदी करता है. मोदी सरकार किसानों के डर से किलेबंदी करने में जुटी है.'' उन्होंने कहा कि यह किलेबंदी एक नमूना है, आने वाले दिनों में गरीब की रोटी पर भी किलेबंदी होगी. टिकैत ने कहा कि किसी भी गरीब की रोटी तिजोरी में बंद न हो, इसीलिए किसानों ने यह आंदोलन शुरू किया है.
राकेश टिकैत ने गणतंत्र दिवस पर लाल किले पर हुई घटना को किसानों को बदनाम करने की साजिश करार दिया और कहा कि जो लोग लाल किले पर गए वो किसान नहीं थे. उन्होंने कहा,‘‘ पिछले 35 साल से किसानों के हित में आंदोलन करते आ रहे हैं. हमने संसद घेरने की बात भी कही थी, लाल किले की बात तो कभी नहीं कही और न ही किसान वहां कभी गए. लाल किले पर जो लोग गए वो किसान नहीं थे. यह किसानों को बदनाम करने के लिए साजिश रची थी.''
किसान आंदोनल को लेकर उन्होंने कहा कि उनकी कमेटी का न तो कोई मेम्बर बदला जाएगा और न ही कार्यालय बदला जाएगा तथा जो भी फैसला होगा यही 40 सदस्यीय कमेटी फैसला करेगी.उन्होंने कहा, ‘‘युद्ध में कभी घोड़े नहीं बदले जाते. हम इन्हीं घोड़ों के बल पर किसानों की लड़ाई जीतने में कामयाब होंगे.''टिकैत ने कहा कि अभी सरकार को अक्टूबर तक का वक्त दिया गया है, आगे जैसे भी हालात रहेंगे, उसी मुताबिक आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी. उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने खेत की मिट्टी और पानी की पूजा करें, क्योंकि युवा जब तक खेत की मिट्टी और पानी की पूजा नहीं करेंगे तो उन्हें आंदोलन का अहसास नहीं होगा. (भाषा से भी इनपुट)
नई दिल्ली/वाशिंगटन, 3 फरवरी | भारत के ध्रुवीकरण का स्पष्ट प्रयास करते हुए अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भतीजी मीना हैरिस और कुछ अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों ने भारतीय मामलों पर शायद ही कोई विशेषज्ञता हासिल की हो, मगर उन्होंने भारत में नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों को बुधवार को अपना समर्थन दिया। भारत सरकार ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए उन्हें 'निहित स्वार्थी समूहों' का हिस्सा करार दिया और उनके समर्थन को 'सनसनीखेज सोशल मीडिया हैशटैग और टिप्पणियों' के रूप में वर्णित करते हुए कहा कि ये 'न तो सटीक हैं और न ही जिम्मेदार हैं।'
ट्विटर पर बुधवार को उस समय हड़कंप मच गया, जब मंगलवार रात अमेरिकी पॉप गायक रिहाना ने भारत के किसानों के विरोध पर एक समाचार लिंक पोस्ट किया और ट्वीट किया, "हम इस बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं?!"
उनके इस ट्वीट पर कुछ भारतीयों ने रिहाना की साख और भारत के आंतरिक मामलों के बारे में उनके ज्ञान पर सवाल उठाते हुए व्यापक आक्रोश दिखाया।
इसके बाद, पर्यावरण की सक्रियता के लिए काम कर रहीं चर्चित किशोरी, ग्रेटा थुनबर्ग ने ट्वीट किया, "हम भारत में चल रहे किसान आंदोलन के साथ एकजुटता से खड़े हैं।"
मीना हैरिस ने बुधवार सुबह भारत पर समन्वित रूप से कटाक्ष किए जाने में भाग लिया। उन्होंने अमेरिका की घटना को जोड़ते हुए ट्वीट किया, "यह कोई संयोग नहीं है कि दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र पर एक महीने पहले भी हमला किया गया था और जैसा कि हम बोलते हैं, सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र तीखी आलोचना झेल रहा है। भारत में जो हुआ, वह इससे जुड़ा हुआ है। हम सभी को भारत के इंटरनेट शटडाउन और किसान प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अर्धसैनिक हिंसा पर नाराजगी दिखानी चाहिए।"
लेबनान-अमेरिकी पूर्व पोर्नोग्राफिक अभिनेत्री मिया खलीफा भी एक टिप्पणी के साथ भारतीय महिला प्रदर्शनकारियों की तस्वीर के साथ कमेंट पोस्ट कर इस मुहिम में शामिल हो गईं। उन्होंने ट्वीट किया, "मानवाधिकार हनन में क्या हो रहा है? नई दिल्ली के चारों ओर इंटरनेट काट दिया है?"
उनके ट्वीट को जहां दुनियाभर से सैकड़ों लाइक और रीट्वीट मिले, वहीं भारतीय फिल्म स्टार कंगना रनौत सहित हजारों भारतीयों ने उन सभी को ट्रोल किया।
इस बीच, विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर उन्हें फटकार लगाई। बयान में कहा गया, "हम आग्रह करेंगे कि ऐसे मामलों पर टिप्पणी करने से पहले तथ्यों का पता लगाया जाए और हाथ में लिए मुद्दों को अच्छी तरह समझ लिया जाए। सनसनीखेज सोशल मीडिया हैशटैग और टिप्पणियां लुभावनी बन जाती हैं, खासकर तब, जब मशहूर हस्तियों और अन्य लोग इससे जुड़ जाते हैं, जबकि उनका बयान न तो सटीक होता है और न ही जिम्मेदाराना।"
सरकार ने समझाया, "भारत की संसद ने कृषि क्षेत्र से संबंधित सुधारवादी कानून पूरी बहस और चर्चा के बाद पारित किया। इन सुधारों ने विस्तारित बाजार तक पहुंच दी और किसानों को अधिक लचीलापन दिया। ये आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से टिकाऊ खेती का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं।"
सरकार ने कहा कि भारत के कुछ हिस्सों में किसानों के एक बहुत छोटे वर्ग को इन सुधारों के बारे में कुछ संदेह है। बयान में कहा गया, "भारत सरकार ने प्रदर्शनकारियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए, उनके प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की एक श्रृंखला शुरू की है। केंद्रीय मंत्री वार्ता का हिस्सा रहे हैं, और पहले से ही ग्यारह दौर की वार्ता हो चुकी है। सरकार ने कानून कुछ महीने निलंबित रखने का भी प्रस्ताव दिया है। यह प्रस्ताव किसी और ने नहीं, भारत के प्रधानमंत्री ने दिया है।"
मंत्रालय ने कहा, "फिर भी, निहित विरोध समूहों को इन विरोध प्रदर्शनों पर अपने एजेंडे को लागू करने की कोशिश करना दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसा भारत के गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को देखा गया। एक राष्ट्रीय स्मरणोत्सव, भारत के संविधान के उद्घाटन की सालगिरह को मलिन करने के लिए भारतीय राजधानी में हिंसा और बर्बरता की गई।"
आगे कहा गया है, "इनमें से कुछ निहित स्वार्थी समूहों ने भी भारत के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाने की कोशिश की है। ऐसे भ्रामक तत्वों से प्रेरित होकर महात्मा गांधी की मूर्तियों को दुनिया के कुछ हिस्सों में उजाड़ दिया गया है। यह भारत के लिए और हर जगह सभ्य समाज के लिए बेहद परेशान करने वाला है।" (आईएएनएस)
ढाका, 3 फरवरी | बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने विपक्षी दलों पर आरोप लगाया है कि वे उनकी सरकार के खिलाफ प्रोपेगेंडा चला रहे हैं। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रोपेगेंडा के बावजूद बांग्लादेश आगे बढ़ता रहेगा। हसीना ने इस बात पर जोर दिया कि वह लोगों के कल्याण के लिए काम करती रहेंगी। संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान उन्होंने कहा कि देश और विदेश में जमात-ए-इस्लामी और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) हमारी सरकार के खिलाफ प्रोपेगेंडा चला रही है। लेकिन, दुश्मनों के चेहरे पर राख मलते हुए बांग्लादेश आगे बढ़ता रहेगा।
गौरतलब है कि संसद का 11वां सत्र 18 जनवरी को शुरू हुआ था और मंगलवार को संसद को भंग किए बगैर इसकी कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी।
प्रधानमंत्री ने संसद सदस्यों से यह याद रखने के लिए कहा कि अफवाह फैलाना ही बीएनपी का स्वभाव है। उन्होंने कहा, "उन्हें बोलने दीजिए, हम अपने काम के जरिए लोगों की सेवा करेंगे। कोरोना की वैक्सीन बांग्लादेश में पहुंचने से पहले काफी आलोचना हो रही थी। वैक्सीन यहां पहुंचना उन सारी आलोचनाओं का जवाब है।"
बांग्लादेश अवामी लीग की नेता ने दावा किया कि विपक्षी पार्टी बीएनपी नेतृत्व संकट से जूझ रही है और लोगों का ऐसी पार्टी में कोई भरोसा नहीं है, जिसमें भगोड़े और अपराधी भरे पड़े हों।
हसीना ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी ने लोगों का विश्वास जीता है। स्थानीय चुनावों में हमने यह देखा है। कोरोना वैक्सीन बांग्लादेश के सभी जिलों में पहुंच चुकी है और टीकाकरण अभियान 7 या 8 फरवरी को शुरू होगा। इस बाबत कोविड परीक्षण कराने के लिए आवश्यक दिशानिर्देश जारी कर दिए गए हैं, जो लोग कोविड का टीका लगवाना चाहते हैं, उन्हें इसके लिए अपना नाम पंजीकृत करवाना होगा।
कोविड महामारी से निपटने के लिए अपनी सरकार के प्रयासों का उल्लेख करते हुए हसीना ने कहा कि "हमारे प्रयासों को संयुक्त राष्ट्र महासचिव सहित पूरी दुनिया ने सराहा है, लेकिन देश के अंदर कोई सराहना नहीं मिली।" (आईएएनएस)