राष्ट्रीय
संदीप पौराणिक
भोपाल, 2 फरवरी | आग लगने के बाद कुआं खोदने की परंपरा पुरानी है, मध्य प्रदेश में फुटपाथी बुजुर्गो के मामले में भी ऐसा ही कुछ हो रहा है। इंदौर देश का साफ-सुथरा शहर है, यहां के नगर निगम का अमला तो सड़क सफाई के नाम पर हाड़ कंपा देने वाली सर्दी के बीच फुटपाथी बुजुर्गो को ही कचरा गाड़ी से शहर के बाहर छोड़ने चल दिया था। मामला उजागर होने के बाद बुजुर्गों को रैनबसेरा में आसरा मिला और अब राज्य के कई हिस्सों में फुटपाथ पर जिंदगी गुजार रहे बुजुर्गों को ठंड से बचाने का अभियान चलाया जा रहा है।
इंदौर में बुजुर्गों के साथ हुए अमानवीय बर्ताव के बाद तीन कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई, साथ ही प्रशासन ने फुटपाथ पर वक्त गुजारने वाले बुजुर्गों के लिए दीनबंधु अभियान शुरु किया है। संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा के अनुसार यह अभियान फुटपाथ पर रहने वाले लोगों और भिक्षावृत्ति में संलग्न व्यक्तियों के पुनर्वास, सहायता, स्वास्थ्य रक्षा आदि शुरु किया गया है। इस विशेष अभियान के अंतर्गत संभाग के सभी जिलों में एक साथ पुनर्वास तथा राहत की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
बताया गया है कि इंदौर संभाग के जिलों में ठंड से बचाव के लिये जरूरतमंदों को कहीं कंबल बांटे जा रहे हैं तो कहीं संवेदनशील पहल करते हुए उनके खाने-पीने तथा आश्रय की व्यवस्था की जा रही है।
संभागायुक्त व निगम प्रशासक डॉ. शर्मा ने बताया कि असहाय व्यक्तियों व भिक्षुकों के बचाव के लिये निगम के रैन बसेरा में गर्म कपड़े, कंबल, भोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है। शहर में सड़क किनारे रहने, सोने वाले बेसहारा व्यक्ति तथा भिक्षावृत्ति करने वाले व्यक्तियों का अरविंदो हॉस्पिटल के सहयोग से मेडिकल चेकअप कराने का अभियान चलाया जा रहा है। साथ ही मेडिकल चेकअप उपरांत आवश्यकता अनुसार चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।
भारत सरकार के सामाजिक न्याय विभाग द्वारा भिक्षुकों की संख्या के आधार पर भिक्षुक पुनर्वास के लिए चयनित 10 शहरों में इंदौर को भी शामिल किया गया है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य भिक्षावृत्ति करने वाले समुदाय को चिन्हांकित कर उनके पुनर्वास की समुचित व्यवस्था करना है। इस योजना के आरंभिक चरण में शहर में भिक्षावृत्ति एवं भिक्षुकों के रहने वाली जगहों का वास्तविक चिन्हांकन, सर्वेक्षण डेटा का कलेक्शन एवं क्लासिफिकेशन, सर्वेक्षण से प्राप्त डाटा अनुसार भिक्षुकों को उनकी कौशल क्षमता-अक्षमता के आधार पर पुर्नवास कराया जायेगा।
इंदौर संभाग के बड़वानी, खरगोन, खंडवा, अलिराजपुर, धार और झाबुआ में सड़क किनारे जीवन बिताने वाले बुजुर्गों और भीख मांगने वालों के लिए सहायता मुहैया कराई जा रही है।
इसी तरह जबलपुर में भी फुटपाथ पर वक्त गुजरने वालों की मदद के लिए जिला प्रशासन आगे आया है। यहां बढ़ती ठंड के मद्देनजर सड़क किनारे, खुले में एवं फुटपाथों पर सोने वाले निराश्रित और बेसहारा लोगों को रैन बसेरों तक पहुंचाने के लिए व्यापक मुहिम चलाई जा रही है।
जिलाधिकारी कर्मवीर शर्मा ने निगमायुक्त अनूप कुमार को साथ लेकर रात को शहर के कई क्षेत्रों का भ्रमण कर खुले में सोने वाले निराश्रित, बेसहारा और भिक्षुकों से व्यक्तिगत चर्चा की एवं उन्हें तत्काल ही बस एवं अन्य वाहनों से रैन बसेरों तक पहुंचाने की व्यवस्था कराई। वहीं शहरी क्षेत्र के एसडीएम एवं नगर निगम की अधिकारियों की अलग-अलग टीमें बनाई हैं, जो नियमित रूप से वाहनों के साथ शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर खुले में रात बिताने वाले लोगों को चिन्हित करेंगे एवं संबंधित स्थलों के आसपास संचालित रैन बसेरों में भेजने की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे।
आम तौर पर ठंड आते ही प्रमुख स्थलों पर अलाव जलाने का सिलसिला शुरु हो जाता था, मगर इस बार बहुत कम ही स्थान ऐसे हैं जहां अलाव जैसी व्यवस्था की गई है। एक तरफ जहां बुजुर्गों और भीख मांगने वालों के लिए वो इंतजाम नहीं किए गए हैं जो पहले कभी हुआ करते थे, वहीं दूसरी ओर बुजुर्गों से अमानवीय व्यवहार किया गया है। अब सरकारी मशीनरी हरकत में आई है, देखना हेागा यह सक्रियता कब तक रहती है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 2 फ़रवरी : पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय कृषि कानूनों और किसान आंदोलन के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए पंजाब भवन में सर्वदलीय बैठक बुलाई है. बैठक में हिस्सा लेने के लिए अमरिंदर सिंह मंगलवार को पंजाब भवन पहुंचे. वह सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं. सर्वदलीय बैठक शुरू करने से पहले सिंह और बैठक में शामिल अन्य नेताओं ने आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के लिए दो मिनट का मौन रखा और श्रद्धांजलि दी.
अमरिंदर सिंह ने ट्वीट में कहा, "हमारे किसानों को इस तरह से जान गंवाते देखना दर्दनाक है. इन किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ संघर्ष के दौरान हम 88 किसानों को खो चुके हैं. उन्होंने अपने अधिकारों के लिए लड़ते हुए जान दे दी. सर्वदलीय बैठक की शुरुआत से पहले हमने दो मिनट का मौन रखा और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की."
(एएनआई)
लखनऊ , 2 फरवरी | उत्तर प्रदेश सरकार ने शासन स्तर पर शीर्ष 10 अधिकारियों के तबादले देर रात कर दिए। जिसमें अपर मुख्य सचिव भर्जा अरविंद कुमार से विभाग की जिम्मेदारी छीन ली गई है। वहीं आलोक टंडन के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने से रिक्त अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त (आइआइडीसी) पद का अतिरिक्त प्रभार मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी को सौंप दिया गया है। ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखे जाने के बाद इस विभाग में वषों बाद अपर मुख्य सचिव और पावर कारपोरेशन के सीएमडी के पद पर अलग-अलग आईएएस को तैनात किया गया है। अब कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा को जहां ऊर्जा व अतिरिक्त ऊर्जा विभाग का भी दायित्व सौंपा गया है, वहीं एम़ देवराज पावर कारपोरेशन के सीएमडी और जल विद्युत निगम व उप्र राज्य विद्युत उत्पादन निगम तथा पारेषण निगम के अध्यक्ष बनाए गए हैं। हालांकि, अरविंद कुमार के प्रति सरकार का भरोसा बना हुआ है और उन्हें अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास के साथ आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग की एक साथ जिम्मेदारी दी गई है।
विधानमंडल के बजट सत्र से पहले अपर मुख्य सचिव वित्त एवं वित्त आयुक्त संजीव मित्तल का तबादला करते हुए इस पद पर एस़ राधा चौहान को तैनात किया गया है। बजट की तैयारियों के बीच मित्तल को हटाने के पीछे वित्त विभाग की अड़ंगेबाजी वाली कार्यशैली को माना जा रहा है।
एस़ राधा चौहान को अपर मुख्य सचिव वित्त एवं वित्त आयुक्त की नई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। राधा के पास महिला कल्याण तथा बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग का अब अतिरिक्त प्रभार रहेगा।
इन तबादलों से सरकार ने एक बार फिर यह संदेश दिया है कि अफसरों द्वारा जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा स्वीकार नहीं होगी। दरअसल, संजीव मित्तल के खिलाफ वित्तीय प्रावधान के बावजूद वित्तीय आवंटन से जुड़े प्रस्ताव लटकाने की शिकायतें आम हो गई थीं। निवेशकों के वित्तीय प्रोत्साहन से जुड़े प्रस्तावों को लटकाने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ी टिप्पणी की थी और उनकी कार्यशैली को लेकर आगाह किया था।
मुख्यमंत्री के सचिव आलोक कुमार की जिम्मेदारी बढ़ गई है। उन्हें सचिव मुख्यमंत्री के साथ व्यावसायिक शिक्षा एवं प्राविधिक शिक्षा का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। इसी तरह अपर मुख्य सचिव, आवास, दीपक कुमार से नगर विकास विभाग ले लिया गया है। अब चिकित्सा शिक्षा से हटाए गए रजनीश दुबे को नगर विकास विभाग का अपर मुख्य सचिव बना दिया गया है। चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में अपर मुख्य सचिव के नियंत्रण में काम कर रहे प्रमुख सचिव आलोक कुमार द्वितीय अब चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव के रूप में नेतृत्व देंगे। (आईएएनएस)
झाबुआ/भोपाल, 2 फरवरी | अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए चलाए जा रहे धन संग्रह अभियान को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने भाजपा पर हमला बोलते हुए विवादित बयान दिया है। भूरिया का कहना है कि भाजपा के लोग दिन में राम मंदिर के नाम पर जुटाई जाने वाली राशि से रात को शराब पीते हैं। भाजपा ने इस बयान को शर्मनाक बताया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूरिया ने कहा है कि पहले राम मंदिर के नाम पर हुए चंदे में करोड़ों रुपये जुटाए गए थे, इस राशि को भाजपा के लेाग दबाए बैठे हुए हैं। इस राशि को मंदिर टस्ट में जमा किया जाना चाहिए। अब फिर भाजपा के लोग घर-घर जाकर चंदा जुटा रहे है, दिन में चंदा जुटाते हैं और रात को नदी पर जाकर शराब पीते हैं।
भूरिया के इस बयान को राज्य सरकार के मंत्री विश्वास सारंग ने शर्मनाक बताया है और कहा है कि कांग्रेस ने हमेशा राम के नाम को बदनाम करने की कोशिश की है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का अभियान सिर्फ भाजपा का नहीं बल्कि देश के करोड़ों लोगों का है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 2 फरवरी | कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग करते हुए विपक्ष ने हंगामा कर मंगलवार को राज्यसभा की कार्यवाही दूसरी बार स्थगित करने के लिए मजबूर कर दिया। राज्यसभा की कार्यवाही पूर्वाह्न 10.30 बजे फिर से शुरू होने के बाद उपसभापति हरिवंश ने सदन को पूर्वाह्न 11.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
संसद में स्थगन नोटिस खारिज होने के बाद विपक्ष ने हंगामा किया। विपक्षी दलों ने मंगलवार को राज्यसभा से वॉकआउट किया और बाद में सदन में लौटने के बाद सभापति के आसन के पास नारेबाजी की।
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, "विपक्ष को सभापति के फैसले को मानना चाहिए।" इसके बाद सदन को पूर्वाह्न 10.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया था।
सदन की कार्यवाही शुरू होने के कुछ मिनटों बाद राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कृषि कानूनों पर विपक्ष द्वारा दिए गए स्थगन नोटिस को खारिज कर दिया।
सभापति ने कहा, "कल (बुधवार) राष्ट्रपति के धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान आंदोलनकारी किसानों और सरकार के बीच चल रही बातचीत पर चर्चा की जा सकती है।"
राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा, कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद, द्रमुक के टी. शिवा, बहुजन समाज पार्टी के अशोक सिद्दार्थ, माकपा के ई. करीम ने स्थगन नोटिस दिया था। विपक्ष ने राज्यसभा के नियम 267 के तहत नोटिस दिया।
नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा, "मामला गंभीर है और किसान महीनों से आंदोलन कर रहे हैं, इसलिए इस मामले पर चर्चा होनी चाहिए। यही बात बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने भी कही।"
विपक्ष ने राज्यसभा के कामकाज को स्थगित करने और कृषि कानूनों को निरस्त करने की भी मांग की है। इससे पहले, शुक्रवार को 18 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया था।
शुक्रवार को 18 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण का विरोध किया था। (आईएएनएस)
यवतमाल, 2 फ़रवरी। महाराष्ट्र के यवतमाल में पोलियो ड्रॉप वैक्सीनेशन में घोर लापरवाही सामने आई है. यहां पर पांच साल से कम उम्र वाले 12 बच्चों को तब अस्पताल में भर्ती कराना पड़ गया, जब सोमवार को उन्हें पोलियो ड्रॉप की जगह हैंड सैनिटाइज़र पिला दिया गया. यवतमाल जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीकृष्णा पांचाल ने इसकी जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि अस्पताल में भर्ती बच्चे अब ठीक हैं और इस घटना से जुड़े तीन कर्मचारियों- एक स्वास्थ्यकर्मी, एक डॉक्टर और एक आशा वर्कर को निलंबित किया जाएगा. पांचाल ने सोमवार को ANI को बताया, 'यवतमाल मेंपांच साल की उम्र से कम के 12 बच्चों को पोलियो ड्रॉप की बजाय हैंड सैनिटाइज़र दे दिया गया था. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अब वो ठीक हैं. एक स्वास्थ्यकर्मी, एक डॉक्टर और एक आशा वर्कर को निलंबित किया जाएगा. इस मामले की जांच चल रही है.'
यह घटना तब सामने आई है, जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 30 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए साल 2021 में नेशनल पोलियो इम्यूनाइज़ेशन ड्राइव लॉन्च किया है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भारत पिछले एक दशक से पोलियो मुक्त है. आखिरी पोलियो का केस देश में 13 जनवरी, 2011 को दर्ज किया गया था. हालांकि, भारत पड़ोसी राज्यों, जैसे कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान, जहां पोलियो अभी भी समस्या है, वहां से इसके भारत में फिर से शुरू होने की आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए अपने ड्राइव को लेकर सतर्क रहता है.
किसानों के आंदोलन को दबाने के प्रशासन के तरह तरह के प्रयासों के बीच किसानों ने कहा है कि वो 6 फरवरी को पूरे देश में चक्का जाम करेंगे. सरकार और किसानों के बीच गतिरोध और गहराने की संभावनाएं नजर आ रही हैं.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय का लिखा-
किसान संगठनों ने शनिवार 6 फरवरी को पूरे देश के राज्यमार्गों पर यातायात को ठप करने की योजना बनाई है. उनकी घोषणा के अनुसार यह 'चक्का जाम' दिन में 12 बजे से तीन बजे तक आयोजित किया जाएगा. इसे किसानों के प्रदर्शन स्थलों पर सरकार द्वारा इंटरनेट को बंद करने, बिजली-पानी बंद करने, रास्तों पर तरह तरह के बैरियर लगाने, किसानों पर लाठीचार्ज करने और कई किसानों को गिरफ्तार करने के खिलाफ किसानों के कदम के रूप में देखा जा रहा है.
किसानों ने आरोप लगाया है कि सरकार आंदोलन में शामिल किसानों को तरह तरह से परेशान कर रही है और उनके आंदोलन से नए सिरे से जुड़ने के लिए आने वाले लोगों को भी उनके पास नहीं आने दे रही है. दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बीच गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के धरना स्थल के इर्द गिर्द पुलिस ने बाहरी घेराबंदी कर दी है. पहले लोहे के बैरियर लगाए हैं, फिर सीमेंट के भारी बैरियर, फिर सीमेंट के बैरियरों की दो कतारों के बीच सीमेंट घोल कर डाला गया है.
इतना ही नहीं, उसके बाद फिर से लोहे के बैरियरों की कई कतारें लगाई गई हैं और उसके बाद कंटीली तारों का एक जाल बिछा दिया गया है. किसानों का आरोप है कि पंजाब से ट्रेनों से दिल्ली आ रहे किसानों को भी दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचने से रोकने की कोशिश की जा रही है. दिल्ली की सीमाओं पर पुलिसकर्मी स्टील की लाठीनुमा नए हथियारों से लैस भी नजर आ रहे हैं.
किसानों ने सोमवार को लाए गए आम बजट की भी आलोचना की और कहा कि ना सिर्फ इस बजट में उनकी मांगों को अनदेखा किया गया है, बल्कि कृषि से संबंधित कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर सरकारी खर्च को कम कर दिया गया है. किसानों ने कहा कि शनिवार को चक्का जाम का आयोजन करने के पीछे इसका विरोध जताना भी एक कारण है. देखना होगा कि शनिवार को इस प्रदर्शन का कैसा असर रहता है.
भारत में स्वतंत्र पत्रकारों के लिये खतरे बढ़ते जा रहे हैं. मुख्यधारा की मीडिया इनका इस्तेमाल तो करती है लेकिन इन्हें पहचान और सुरक्षा नहीं देती. देश में स्वतंत्र पत्रकारों की गिरफ्तारियां नये सिरे से सवाल उठा रही हैं.
डॉयचे वैले पर हृदयेश जोशी का लिखा-
स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पुनिया को 14 दिन के लिए जेल भेजे जाने के बाद मीडिया की आजादी और पत्रकारों के दमन को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. पुनिया के वकीलों ने सोमवार को अदालत में जमानत के लिए बहस की और मंगलवार को अदालत उनकी जमानत के बारे में अपना फैसला करेगी.
मनदीप के वकील सारिम नवेद ने डीडब्ल्यू को बताया, "पुलिस की एफआईआर में कई गंभीर समस्याएं हैं. हमने अदालत को इस बारे में बताया है. एफआईआर के मुताबिक कथित मारपीट और खींचतान शनिवार शाम 6.40 पर हुई और एफआईआर देर रात करीब 7 घंटे बाद लिखी गई है. इससे पता चलता है कि जब उन्हें (मनदीप को) ढूंढा जा रहा था तब पुलिस ने एफआईआर लिखने का फैसला किया. दो आम लोगों के बीच झगड़े में तो एफआईआर में देरी समझी जा सकती है लेकिन अगर एक पुलिसवाले पर हमला किया गया है तो पुलिस ही एफआईआर दर्ज करने में इतनी देर क्यों लगाएगी."
क्या है मामला
पुलिस के मुताबिक सिंघु बॉर्डर पर शनिवार शाम को पुनिया ने सुरक्षा के लिए लगाए बैरिकेड को तोड़कर घुसने की कोशिश की और पुलिस कांस्टेबल को घसीटा. सिंघु बॉर्डर पर पिछले दो महीनों से अधिक वक्त से किसान कृषि से जुड़े तीन बिलों को वापस लेने की मांग के साथ बैठे हैं. पुलिस का कहना है कि मनदीप ने अपना प्रेस पहचान पत्र भी नहीं दिखाया जबकि उनके दूसरे साथी को प्रेस कार्ड दिखाने पर जाने दिया गया लेकिन मनदीप के वकीलों का कहना है कि प्रेसकार्ड न होना मनदीप की गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं है. पुलिस ने सरकारी काम में बाधा डालने और सरकारी कर्मचारी पर हमले का मुकदमा दर्ज किया है.
मनदीप पुनिया कारवां मैगजीन के लिए काम कर रहे स्वतंत्र पत्रकार हैं. हरियाणा के झज्जर के रहने वाले मनदीप पुनिया ने पंजाब विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है और फिर दिल्ली स्थित भारतीय जन संचार संस्थान से पत्रकारिता का कोर्स किया है. कारवां की वेबसाइट देखने पर पता चलता है कि साल 2019 से उनकी रिपोर्ट छप रही हैं. पुनिया की पत्नी लीलाश्री ने कहा, "ये हमारे लिए ही नहीं बल्कि सब लोगों कि लिए, समाज के लिए और पूरे देश के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसी को पुलिस इसलिए उठा ले रही है कि वह सिर्फ अपना काम कर रहा है."
फ्रीलांस पत्रकारों पर दबाव
मनदीप पुनिया की गिरफ्तारी के बाद फ्रीलांस यानी स्वतंत्र पत्रकारों की सुरक्षा का सवाल एक बार फिर से खड़ा हो गया है. वैसे भारत के कश्मीर, उत्तर-पूर्व और बस्तर जैसे इलाकों में खबर लाने का जिम्मा अक्सर स्थानीय पत्रकारों पर होता है और कई बार उनकी बहुत महत्वपूर्ण जानकारी के आधार पर लिखी गई रिपोर्ट्स के लिए उन्हें कोई पारिश्रमिक भी नहीं दिया जाता. दूर दराज के इलाकों में ऐसे "स्ट्रिंगर" कह दिए जाने वाले पत्रकारों के पास किसी "प्रेस पहचान पत्र" की ढाल नहीं होती और उन्हें पुलिस प्रशासन के कोपभाजन का शिकार बनना पड़ता है.
पिछले करीब 10 सालों से स्वतंत्र पत्रकारिता कर रही और कमेटी फॉर प्रोटेक्शन ऑफ जर्नलिस्ट का प्रेस फ्रीडम अवॉर्ड पा चुकीं पत्रकार नेहा दीक्षित कहती हैं, "मैं देश दुनिया के तमाम मीडिया पोर्टल पर लिख रही हूं लेकिन मेरे पास कभी कोई पहचान पत्र नहीं रहा. ये काफी दिक्कत की बात है. इसकी जिम्मेदारी उन मीडिया आउटलेट्स की भी है जो हम पत्रकारों से रिपोर्टिंग करवाते हैं. हमारे देश में मीडिया में कॉरपोरेट घरानों के बढ़ने के साथ ही देश के कई हिस्सों में मुख्य धारा के मीडिया संस्थानों ने अपने ब्यूरो बंद कर दिए हैं और स्थानीय पत्रकारों से ही काम चला रहे हैं. इन पत्रकारों को न तो कोई अनुबंध दिया जाता है और न कोई पहचान पत्र. उल्टे इन्हें "स्ट्रिंगर” कहा जाता है या जब विदेशी पत्रकार आते हैं तो वो भी इन स्थानीय स्वतंत्र पत्रकारों की मदद तो लेते हैं लेकिन उन्हें "फिक्सर" कहते हैं. ये दोनों ही शब्द बहुत अपमानजनक हैं. जब मुश्किल आती है तो इन पत्रकारों से संस्थान अपना पल्ला भी झाड़ लेते हैं और इन्हें पहचानने से इनकार कर देते हैं.'
सोशल मीडिया अकाउंट्स पर रोक
ट्वीटर ने सोमवार को कारवां मैगजीन के साथ-साथ किसान आंदोलन से जुड़े कुछ अकाउंट्स पर अस्थाई रोक लगा दी है. इससे पहले 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली के बाद कारवां के संपादक विनोद जोस और पांच अन्य पत्रकारों के खिलाफ नोयडा पुलिस ने राजद्रोह का मामला दर्ज किया. एडिटर्स गिल्ड ने शुक्रवार को इसकी निन्दा की और बयान में इस एफआईआर को मीडिया को "धमकाने, प्रताड़ित करने और गला घोंटने” की कोशिश बताया. ये प्रतिबंध सरकार के निर्देश पर लगाया गया है. एक सरकारी सूत्र ने समाचार एजेंसी एएफपी को कहा कि सरकार ने 250 ट्विटर अकाउंट को बंद करने का निर्देश दिया है जो पब्लिक ऑर्डर के लिए गंभीर खतरा हैं. किसानों के एक प्रवक्ता ने कहा है कि उनके खातों से लंबे समय से चले आ रहे विरोध का समर्थन करने के अलावा कोई गलत काम नहीं किया गया है.
पत्रकारों की सुरक्षा के लिए संघर्ष करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने खातों को बंद किए जाने की निंदा की है और उसे घोर सेंसरशिप का चौंकानेवाला मामला बताया है. कारवां के राजनीतिक संपादक हरतोष बल ने सोमवार को ट्वीट कर कहा कि "मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में कारवां के स्टाफर्स पर हमले हुए हैं, (कारवां के लिए लिखने वाले) पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया है, हमारे संपादकों/मालिकों पर मुकदमे हो रहे हैं, लेकिन हम इसका सामना करते रहेंगे और रिपोर्टिंग करते रहेंगे.'
-विवेक मिश्रा
लॉकडाउन के दौरान गांव में बेरोजगारी को कम करने व भूख शांत करने का बड़ा जरिया मनरेगा बनकर उभरा था, भारी मांग के बावजूद बजट में कमी की गई है।
कोरोनाकाल में लॉकडाउन के दौरान दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों से जब करोड़ों की संख्या में प्रवासी अपने गांव-घर पहुंचे तो कृषि क्षेत्र के अलावा महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) ने बेकाम और भोजन की तलाश करने वाले लोगों के रोजमर्रा जीवन को चलाने में बड़ी भूमिका अदा की। लोगों को आम बजट में मनरेगा को और ज्यादा शक्ति और गति देने की आस थी, लेकिन बजट में मनरेगा के आवंटन ने झटका दिया है।
वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में निर्मला सीतारमण ने मनरेगा के लिए 73,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, यदि इसकी तुलना बीते वित्त वर्ष के संशोधित बजट के आवंटन 111,500 करोड़ रुपये से की जाए तो यह करीब 34.52 फीसदी कम है।
बजट कम होने का सीधा मतलब श्रमदिवस के कम होने और रोजगार के अवसरों में कमी से भी है।
नरेगा संघर्ष मोर्चा के सदस्य देबामल्या नंदी ने डाउन टू अर्थ से कहा कि मनरेगा के लिए वित्त वर्ष 2019-2020 के संशोधित बजट आवंटन से वित्त वर्ष 2021-2022 में करीब 38500 रुपये कम दिया गया है। अभी तक कुल श्रम दिव 3.4 अरब तक पहुंच चुका है, सरकार ने अगले वर्ष तक 2.7 से लेकर 2.8 अरब श्रम दिवस तक पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह न सिर्फ रोजगार के दायरे को कम करेगा बल्कि इसका परिणाम आने वाले वर्षों में श्रम का भुगतान में भी हो सकता है।
नंदी ने कहा कि यह निराशा से भरा है कि सरकार मौजूदा ग्रामीण रोजगार संकट को दरकिनार कर रही है, यद्यपि कि ग्रामीण मांग को देखते हुए मनरेगा के खर्च को बढाया जाना चाहिए था, महामारी के दौरान इस पर निर्भरता स्पष्ट भी हो चुकी है। मनरेगा बजट के साथ समझौता नाजुक या कमजोर लोगों को और अधिक संकट में डाल सकता है।
जानकारों के मुताबिक कोविड-19 के समय से भारी मांग के बीच 73,000 करोड़ रुपये का बजट में प्रावधान काफी कम है। बीते वर्ष सरकार ने 111,500 करोड़ रुपये खर्च किए थे। उस वक्त बड़ी संख्या में असंगठित मजदूर अपने गांव को वापस लौटे थे और मनरेगा में काम की ऐसी मांग पहले कभी नहीं देखी गई थी। बजट का प्रावधान सरकार के वास्तविक खर्च को प्रभावित नहीं करता है। यह मांग आधारित योजना है और सरकार ने 100 दिन रोजगार का कानूनी प्रावधान कर रखा है। यदि मांग बढ़ती है तो बजट में खर्च बढ़ाया जा सकता है। सरकार इसका प्रावधान नहीं कर सकती है। जैसे बीते वर्ष प्रावधान से 40 हजार करोड़ रुपए का ज्यादा सरकार ने बीते वर्ष ज्यादा किया। (downtoearth.org.in)
-भागीरथ श्रीवास
आम बजट में सामाजिक कल्याण योजनाओं को झटका लगा है
आम बजट में केंद्र सरकार की बहुत-सी महत्वपूर्ण योजनाओं के बजट में कटौती की गई है। पिछले वर्ष महामारी के दौरान ग्रामीण क्षेत्र को सहारा देने वाली महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (मनरेगा) का बजट पिछले बजट अनुमानों के मुकाबले बढ़ाया तो गया है लेकिन यह संशोधित अनुमान (2020-21) से काफी कम है।
मनरेगा का पिछला बजट अनुमान 61,500 करोड़ रुपए था, जबकि संशोधित अनुमान 1,11,500 करोड़ रुपए था। यानी सरकार ने अनुमानित बजट से 50,000 करोड़ रुपए अधिक खर्च किए। महामारी और लॉकडाउन के बाद मजदूरों व ग्रामीणों के पलायन को देखते हुए सरकार ने मनरेगा पर दिल खोलकर खर्च किया। सरकार ने संशोधित अनुमान के खर्च में कटौती करते हुए अगले वित्त वर्ष में मनरेगा के लिए 73,000 करोड़ रुपए का अनुमानित बजट आवंटित किया है।
राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम
मनरेगा की तरह राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के बजट में भी संशोधित अनुमानों की तुलना में भारी कटौती की गई है। पिछले बजट का संशोधित अनुमान 42,617 करोड़ था, जबकि बजट अनुमान 9,197 करोड़ था। इससे स्पष्ट है कि सरकार ने महामारी में इस कार्यक्रम के तहत अच्छा खासा पैसा खर्च किया। लेकिन सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए इस कार्यक्रम का बजट अनुमान 9,200 करोड़ रुपए रखा है जो पिछले बजट अनुमान के लगभग बराबर और संशोधित अनुमान से बेहद कम है।
अल्पसंख्यक विकास अंब्रैला कार्यक्रम
देश में अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए चल रही योजनाओं के बजट में भी कटौती की गई है। इस कार्यक्रम के लिए पिछला बजट अनुमान 1,820 करोड़ रुपए था, जिसे घटाकर 1564 करोड़ रुपए कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि पिछले बजट अनुमान की पूरी राशि भी खर्च नहीं की गई थी। केवल 1,282 करोड़ रुपए की अल्पसंख्यकों के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों पर खर्च हो पाए थे।
अन्य वंचित समूहों के विकास हेतु अंब्रैला कार्यक्रम
2020-21 के बजट में इस कार्यक्रम के लिए 2,210 करोड़ रुपए का अनुमान था। संशोधित अनुमानों के मुताबिक, इस कार्यक्रम के 1,675 करोड़ रुपए ही खर्च किए गए। यानी अनुमानित बजट से 535 करोड़ रुपए कम खर्च किए। 2021-22 में इस कार्यक्रम का बजट अनुमान 2,140 करोड़ रुपए है। यानी पिछले बजट अनुमान से 40 करोड़ और संशोधित अनुमान से 465 करोड़ रुपए कम।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना
इस योजना का बजट अनुमान भी पिछले बजट अनुमान के मुकाबले 28 करोड़ रुपए कम है। पिछले वर्ष के बजट में 6,429 करोड़ रुपए का बजट अनुमान था। संशोधित अनुमान बताते हैं कि इस बजट अनुमान का आधा भी खर्च नहीं हुआ। केवल 3,129 करोड़ रुपए ही खर्च किए गए। वित्त वर्ष 2021-22 के लिए इस योजना का बजट अनुमान 6,401 करोड़ रुपए है।
सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम
इस कार्यक्रम का बजट अनुमान पिछले बजट अनुमान से करीब 218 करोड़ रुपए कम है। इस कार्यक्रम का पिछला बजट अनुमान 784 करोड़ रुपए था, जबकि इस वर्ष का बजट अनुमान 566 करोड़ रुपए है। पिछले बजट के संशोधित अनुमानों की मानें तो केवल 50 करोड़ रुपए ही इस कार्यक्रम पर खर्च हुए।
पर्यावरण, वानिकी एवं वन्यजीव
पर्यावरण की नाजुक हालत सभी के लिए भले ही चिंता का विषय हो लेकिन शायद सरकार ऐसा नहीं मानती। पर्यावरण, वानिकी एवं वन्यजीव के लिए पिछला बजट अनुमान 926 करोड़ रुपए था। 2021-22 के बजट अनुमान में इसे घटाकर 766 करोड़ कर दिया गया है। 2020-21 के संशोधित अनुमानों के मुताबिक 556 करोड़ ही इन पर खर्च किए गए।
बाजार हस्तक्षेप एवं मूल्य समर्थन योजना
इस योजना के बजट में करीब 500 करोड़ रुपए की कमी की गई है। इस योजना का पिछला बजट अनुमान 2,000 करोड़ (संशोधित अनुमान 996 करोड़) था। 2021-22 के बजट में इसे घटाकर 1,501 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
पीएम किसान सम्मान निधि
लोकसभा चुनाव से ऐन पहले शुरू की गई इस योजना का बजट भी पिछले बजट अनुमान के मुकाबले कम कर दिया गया है। 2021-22 के बजट में इस योजना का बजट अनुमान 65,000 करोड़ रुपए है। पिछला बजट अनुमान 75,000 करोड़ रुपए का था। हालांकि संशोधित बजट अनुमान 65,000 करोड़ रुपए ही था। (downtoearth.org.in)
-अनिल अश्विनी शर्मा
सरकार का दावा कि इससे वायु प्रदूषण कम होगा और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा
केंद्र सरकार के सामने इस समय आम बजट पेश करने के बाद उसके सामने सबसे बड़ी समस्या है कि उसने जो बजट में घोषणाएं की हैं, क्या उस पर विश्वास किया जा सकता है या क्या बजटीय घोषणाओं पर ईमानदारी से क्रियान्वयन किया जाएगा? हालांकि इस अविश्वास को विश्वास में बदलने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजटीय भाषण के दौरान गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की एक कविता पढ़ी।
इस कविता का शाब्दिक अनुवाद कुछ इस प्रकार से है, “विश्वास वह चिड़िया है जो प्रकाश की अनुभति करती है और तब गाती है जब भोर में अंधेरा बना ही रहता है”। सरकार और आम जन के बीच अविश्वास की जो एक खाई बन गई है, ऐसे में वित्तमंत्री का कहना है कि हम उस चिड़िया की तरह से हैं और हमें विश्वास है कि यह बजट आमजन को राहत प्रदान करेगा।
बजट में वित्तमंत्री ने पुराने वाहनों को लेकर बड़ी घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि सरकार देश में प्रदूषण की समस्या को कम करने के लिए वाहन स्क्रैप पॉलिसी (पुराने वाहनों को हटाने की नीति) लाने जा रही है। इस नीति के तहत पुराने वाहनों को निश्चित समयकाल के बाद सड़कों पर चलाने की अनुमति दी जाएगी। इसके बाद इन वाहनों को स्क्रैप के लिए भेज दिया जाएगा।
वित्त मंत्री ने संसद में नई स्क्रैप पॉलिसी की घोषणा करते हुए कहा कि ऑटो सेक्टर को एक बड़ा तोहफा दिया है। क्योंकि पुराने वाहनों के सड़क से गायब हो जाने से ऑटो सेक्टर में वाहनों की बिक्री में तेजी देखने को मिलेगी। कोरोना काल के दौर में सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में ऑटो सेक्टर सबसे बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। बताया गया है कि इस पॉलिसी के ऐलान से ऑटो सेक्टर में वाहनों की बिक्री बढ़ेगी और इस सेक्टर में हुए नुकसान की भरपाई हो सकेगी।
ध्यान रहे कि केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले दिनों हुए एक कार्यक्रम के दौरान इस तरह के संकेत दे दिए थे। ध्यान रहे कि पिछले साल सरकार ने बिजली के वाहनों को अपनाने के लिए 15 साल से पुराने वाहनों को खत्म करने की अनुमति देने के लिए मोटर वाहन मानदंडों में संशोधनों का प्रस्ताव किया था।
बीते वर्षों में प्रदूषण भारत के लिए एक बड़ी समस्या बनकर उभरा है। कई बड़े शहरों में प्रदूषण का स्तर इतना अधिक रहा कि बुजुर्ग एवं बीमार लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने नई स्क्रैप पॉलिसी लाने का ऐलान किया है। देशभर में पुराने वाहनों से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण है। वाहन पुराने हो जाने पर अधिक प्रदूषण फैलाते हैं।
सरकार का दावा है कि नई स्क्रैप पॉलिसी के आने से सड़कों से पुराने वाहन गायब हो जाएंगे और प्रदूषण के स्तर में भी कमी देखने को मिलेगी। सरकार की इस पहल से लोगों का रुझान इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ बढ़ेगा जो कि प्रदूषण कम करने के लिहाज से बहुत आवश्यक है।
दरअसल, इलेक्ट्रिक वाहनों की दुनियाभर में बढ़ती डिमांड को देखते हुए सरकार ने इस दिशा में काम करने का निर्णय लिया है। क्योंकि सरकार की ये मंशा है कि आने वाले वक्त में भारत में अधिक से अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल किया जाए। जिसके लिए सरकार ने 15 साल से अधिक पुराने वाहनों को हटाने संबंधी यह घोषणा की है। यह नीति कारों, ट्रकों और बसों सहित 15 साल से अधिक पुराने वाहनों को हटाने के लिए है।
इस नीति के अमल शुरू करने पर निश्चिततौर देश में कबाड़ बढ़ेगा। लेकिन आश्चर्यजनक ढंग से यह क्षेत्र असंगठित है। ऐसे में बजटीय घोषणा के अमल में लाने के बाद सरकार के सामने यह एक बड़ी समस्या खड़ी होगी कबाड़ को ठिकाने लगाने की। द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (टेरी) द्वारा 2017 में प्रकाशित पोजिशन पेपर के अनुसार, वाहनों से होने वाला करीब 60 प्रतिशत प्रदूषण 10 साल से अधिक पुराने वाहनों से होता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, पुराने वाहन वर्तमान मानकों से 15 गुणा अधिक प्रदूषण फैला रहे हैं।
ध्यान रहे कि बिहार में हवा की गुणवत्ता खराब होने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 4 नवंबर 2019 को घोषणा की कि राज्य में 15 साल से पुराने व्यवसायिक और सरकारी वाहन नहीं चलेंगे। इसके अलावा 15 साल पुराने वाहनों की फिटनेस जांच होगी। इस तरह के प्रतिबंध अपनी उम्र पूरी कर चुके वाहन (ईएलवी यानी एंड ऑफ लाइफ व्हीकल) की संख्या में भारी बढ़ोतरी कर रहे हैं। लेकिन भारत में अब तक समस्या से निपटने के लिए कोई कारगर नीति नहीं बनी है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने साल 2016 में पहली बार ईएलवी के पर्यावरण हितैषी प्रबंधन हेतु गाइडलाइंस जारी की थीं। एनजीटी के आदेश के अनुपालन में जनवरी 2019 में ऑटोमोबाइल से जुड़े विभिन्न संगठनों के परामर्श के बाद संशोधित गाइडलाइंस जारी की गई। इन गाइडलाइंस में ऑटोमोबाइल कचरे के टिकाऊ प्रबंधन की रूपरेखा है। ईएलवी में हानिकारण तत्व जैसे तेल, लुब्रिकेंट्स, लेड एसिड बैटरी, लैंप, इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे, एयरबैग आदि होता है, अगर इनका वैज्ञानिक ढंग से प्रबंधन न किया जाए तो ये स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल सकते हैं। जानकार बताते हैं कि असंगठित रूप से चल रहे तमाम स्क्रैप बाजार में गाइडलाइंस की उपेक्षा की जाती है।
सीपीसीबी का अध्ययन बताता है कि देश भर में इस समय 90 लाख ईएलवी सड़कों पर चल रहे हैं। अनुमान के मुताबिक, 2025 तक 2.18 करोड़ ईएलवी हो जाएंगे।
वियोनशॉम्पिंग विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के तेजस सूर्या नाइक का जून 2018 में प्रकाशित शोधपत्र “इंड ऑफ लाइफ व्हीकल्स मैनेजमेंट एट इंडियन ऑटोमोबाइल सिस्टम” बताता है कि दुनियाभर में ऑटोमोबाइल का कचरा चुनौती बन चुका है।
दुनियाभर में वाहनों का स्वामित्व आबादी में विकास दर से अधिक है। 2010 में वाहनों का स्वामित्व 100 करोड़ पार हो चुका है। इसी के साथ ईएलवी की संख्या भी बेतहाशा बढ़ी है। इस चुनौती से पार पाने के लिए यूरोपीय यूनियन, जापान, कोरिया, चीन और ताइवान कानूनी ढांचा बनाकर इस समस्या पर काफी हद तक काबू पा लिया है। भारत में 2010 में 11 करोड़ वाहन सड़कों पर चल रहे थे। 2010 से 2015 तक बीच अतिरिक्त 10.3 करोड़ वाहनों का उत्पादन किया गया।
सड़क यातायात एवं राजमार्ग मंत्रालय के वाहन पोर्टल के मुताबिक, भारत में इस समय 22.95 करोड़ वाहनों का पंजीकरण है। अनुमान है कि 2030 तक 31.5 करोड़ वाहन सड़कों पर होंगे। सड़क पर चलने वाले वाहन पर्यावरण को प्रदूषित तो कर ही रहे हैं, साथ ही पारिस्थितिक संतुलन भी बिगाड़ रहे हैं। लेकिन इनके ठीक से प्रबंधन नहीं किया जा रहा है।
एक शोध पत्र के मुताबिक, इस वक्त अकेले दिल्ली की सड़कों पर 54.92 लाख ईएलवी हैं। 2025 तक ऐसे वाहनों की संख्या बढ़कर 77.35 लाख और 2030 तक 96.33 लाख हो जाएगी। इसी तरह चेन्नई में फिलहाल 25.18 लाख ईएलवी हैं जिनके 2025 तक 38.61 लाख और 2030 तक 49.38 लाख होने का अनुमान है।
सीपीसीबी के मुताबिक, एक कार में 70 प्रतिशत इस्पात और 7-8 प्रतिशत एलुमिनियम होता है। शेष 20-25 प्रतिशत हिस्सा प्लास्टिक, रबड़, कांच, आदि होता है। अगर पर्यावरण अनुकूल और वैज्ञानिक तरीके से रिसाइक्लिंग की जाए तो इनमें से अधिकांश चीजें दोबारा इस्तेमाल की जा सकती हैं। (downtoearth.org.in)
-राजू साजवान
पिछले साल बजट में धान्य लक्ष्मी योजना की घोषणा की गई थी, लेकिन यह योजना शुरू नहीं हो पाई
साल 2020-21 का बजट 1 फरवरी 2020 को पेश किया गया था। इस बजट में कई बड़ी योजनाओं की घोषणाएं की गई थी, लेकिन इनमें से दो योजनाएं कोरोना की वजह से शुरू नहीं हो पाई और उन्हें स्थगित कर दी गई। यह जानकारी 1 फरवरी 2021 में पेश किए गए बजट के बाद सामने आई है।
दरअसल, जब सरकार हर साल अपना बजट पेश करती है तो उसके साथ ही पिछले बजट घोषणाओं की स्थिति की भी जानकारी देती है। इस डॉक्यूमेंट को पढ़ने पर पता चलता है कि सरकार ने पिछले बजट की दो योजनाओं को स्थगित कर दिया।
जो दो योजनाएं स्थगित कर दी गई, उनमें से एक कृषि मंत्रालय से जुड़ी है, जबकि दूसरी जल शक्ति मंत्रालय से संबंधित है।
पिछले बजट में घोषणा की गई थी कि पूरे देश भर में जल संकट एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। सरकार ने 100 ऐसे जिले, जहां सबसे अधिक जल संकट है, उसके लिए एक समेकित योजना शुरू की जाएगी। इस योजना में जल संरक्षण, भूजल स्तर में सुधार, पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करना आदि शामिल था, लेकिन आज सरकार ने बताया कि कोविड-19 की वजह से पिछले साल इस योजना को स्थगित कर दिया गया।
इसके अलावा एक और बड़ी घोषणा की गई थी। इसमें कहा गया था कि किसान अपनी उपज को स्टोर नहीं कर पाता है, इसलिए उपज खराब हो जाती है या उसे औने पौने दामों में बेचनी पड़ती हे। ऐसे में सरकार ने गांवों में ही फसल के संग्रहण की व्यवस्था करने के लिए धान्य लक्ष्मी नाम की योजना शुरू करने का ऐलान किया था। इस योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों द्वारा गांवों में स्टोरेज स्कीम शुरू करने का प्रावधान किया गया था। लेकिन कोरोना की वजह से यह स्कीम भी शुरू नहीं हो पाई।
सरकार ने बताया है कि इसके अलावा कोविड-19 की वजह से मुंबई पोर्ट ट्रस्ट का काम भी लंबित रहा। साथ ही रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम का भी कोविड-19 की वजह से प्रभावित हुआ। इस स्कीम के तहत सरकार ने सस्ती दरों पर हवाई यात्राएं शुरू करने की घोषणा की थी।
साथ ही, देश में एयरपोर्ट का इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के लिए ने पिछले बजट में 1.70 लाख करोड़ रुपए खर्च करने की घोषणा की गई थी।
यह भी बताया गया है कि कोविड-19 महामारी की वजह से नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर प्लान का काम भी प्रभावित हुआ। (downtoearth.org.in)
-अनिल अश्विनी शर्मा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वायु, जल और परिवहन से जुड़ी कई योजनाओं की घोषणा की
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करने के लिए जाते हुए। फोटो: पीआईबीकेंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करने के लिए जाते हुए। फोटो: पीआईबी केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करने के लिए जाते हुए। फोटो: पीआईबी
कोविड -19 महामारी के दौर में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट पेश किया। यह देश का ऐसा पहला बजट है जो पेपरलेस है। वित्तमंत्री ने कहा कि मुश्किल हालात में यह बजट पेश हो रहा है। बजट कोरोना काल में तैयार किया गया। यह बजट ऐसे वक्त में आ रहा है, जब देश की जीडीपी लगातार दो बार माइनस में गई है, लेकिन यह ग्लोबल इकोनमी के साथ भी ऐसा ही हुआ है।
उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा कि साल 2021 ऐतिहासिक साल साबित होने जा रहा है। अपने लंबे बजट भाषण के दौरान उन्होंने पर्यावरण से जुड़ी कई घोषणाएं कीं। इनमें से जल जीवन मिशन, वायु प्रदूषण और परिवहन से जुड़ी कई घोषणाएं शामिल हैं। बजट में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए प्रस्ताव किया गया है।
वित्तमंत्री के अनुसार अगले पांच साल में दो हजार करोड़ रुपए से अधिक क्लीन एयर पर खर्च किए जाएंगे। स्वच्छ हवा के लिए देशभर के दस लाख से अधिक आबादी वाले 42 शहरी केंद्रों पर 2,217 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसके अलावा पुरानी कारों को स्क्रैप किया जाएगा। इससे प्रदूषण नियंत्रित होगा।
देशभर में ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर बनाए जाएंगे। निजी गाड़ी को 20 साल बाद इन सेंटर पर ले जाना अनिवार्य होगा। इसके अलावा शहरी स्वच्छ भारत मिशन 2.0 पर एक लाख 41 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। वित्त मंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन को आगे बढ़ाने का एलान किया, जिसके तहत शहरों में अमृत योजना को आगे बढ़ाया जाएगा। इसके लिए 2,87,000 करोड़ रुपए जारी किया गया है।
कृषि
वित्त मंत्री ने कहा कि मुश्किल के इस वक्त में भी मोदी सरकार का फोकस किसानों की आय दोगुनी करने, विकास की रफ्तार को बढ़ाने और आम लोगों को सहायता पहुंचाने पर केंद्रित रही है। उन्होंने अपने बजट भाषण के दौरान बताया कि धान खरीदारी पर 2013-14 में 63 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए थे। इस बार यह बढ़कर 1 लाख 45 हजार करोड़ रुपए हो चुका है।
इसके अलावा 2013-14 में गेहूं पर सरकार ने 33 हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। वहीं 2019 में 63 हजार करोड़ रुपए की खरीदारी की गई थी जो बढ़ कर अब लगभग 75 हजार करोड़ रुपए हो गई है। वहीं दूसरी ओर दाल की खरीदारी में 236 करोड़ रुपए 2014 में खर्च किए गए थे। इसे इस साल 10 हजार 500 करोड़ रुपए की खरीदारी की जाएगी। इसमें 40 गुना इजाफा हुआ है।
वित्तमंत्री ने बताया कि 2020-21 में 43 लाख किसानों को इसका फायदा मिला। सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने पर कायम है। एमएसपी को बढ़ाकर उत्पादन लागत का 1.5 गुना किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की भलाई के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
स्वास्थ्य
बजट में पोषण पर भी कई घोषणाएं की गई हैं। वित्तमंत्री ने कहा कि न्यूट्रीशन 112 अस्परेशनल जिलों में इस बार विशेष ध्यान दिया जाएगा।यह नेशनल हेल्थ मिशन से अलग होगा। 75 हजार ग्रामीण हेल्थ सेंटर, सभी जिलों में जांच केंद्र, क्रिटिकल केयर हॉस्पीटल ब्लॉक 602 जिलों में, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल व इंटिग्रेडेट हेल्थ इनफो पोर्टल को मजबूत बनाया जाएगा। कोविड वैक्सीन के लिए 35,000 करोड़ की व्यवस्था कि गई है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना का एलान किया। सरकार की ओर से इसके लिए 64,180 करोड़ रुपए दिए गए हैं।
बिजली
सरकार की ओर से बिजली के लिए 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक लागत की स्कीम लांच की जा रही हैं। यह स्कीम देश में बिजली से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने का काम करेंगी। सरकार की ओर से हाइड्रोजन प्लांट बनाने का भी ऐलान किया गया है। बिजली क्षेत्र में पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिफ) मॉडल के तहत कई प्रोजेक्ट को पूरा किया जाएगा। उज्ज्वला स्कीम से अबतक 8 करोड़ परिवारों को फायदा हुआ। अब आगामी बजट वर्ष के दौरान एक करोड़ परिवार और जुड़ेंगे। 100 नए शहर सिटी गैस वितरण में जोड़े जाएंगे।
रेल
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि राष्ट्रीय रेल योजना 2030 तैयार की जाएगी। मेट्रो रेल का 702 किमी पहले से ही परिचालन किया जा रहा है। वर्तमान में 1,016 किमी में पर काम चल रहा है। यात्रियो की सुविधा के लिए विस्टाडोम कोच की शुरूआत। कुल 1.10 लाख करोड़ रुपये का बजट रेलवे को आबंटित किया गया है। भारतीय रेलवे के अलावा मेट्रो, सिटी बस सेवा को बढ़ाने पर फोकस होगा। इसके लिए 18 हजार करोड़ रुपये की लागत लगाई जाएगी। कोच्चि, बंगलूरू, चेन्नई, नागपुर, नासिक में मेट्रो प्रोजेक्ट को और बढ़ाया जाएगा।
खर्च
पिछले बजट में पूंजीगत खर्च के लिए 4.21 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। इस बार इसमें 18 लाख करोड़ रुपए बढ़ाया गया है। और अब 4.39 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसी प्रकार से अगले साल 5.54 लाख करोड़ रुपए खर्च का प्रावधान है।
वित्त मंत्री ने कहा कि 2021-22 का बजट 6 स्तंभों पर टिका है। पहला स्तंभ है स्वास्थ्य और कल्याण, दूसरा-भौतिक और वित्तीय पूंजी और अवसंरचना, तीसरा-अकांक्षी भारत के लिए समावेशी विकास, मानव पूंजी में नवजीवन का संचार करना, 5वां नवाचार और अनुसंधान और विकास, 6वां स्तंभ-न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन। (downtoearth.org.in)
सोशल वायरल. हम आपको आज एक ऐसे डरावने मोबाइल नंबर के बारे में बताने जा रहे हैं. इस नंबर को जिसने भी इस्तेमाल किया, मौत उसके घर पहुंच गई. इसे भूतिया फोन नंबर कहा जाता है. इसकी कहानी जानने के बाद शायद आप दोबारा अपना मोबाइल नंबर ना बदलें अथवा बदलें भी तो हजार बार सोचें. जिसने भी इस नंबर को इस्तेमाल किया, उसकी मौत हो गई. आश्चर्य की बात यह है कि यह सिलसिला 10 साल चला और आखिर में इस भूतिया मोबाइल नंबर को संस्पेंड करना पड़ा. तीन बार ऐसी घटनाएं हुई थीं. जिन तीन लोगों ने इस मोबाइल नंबर को खरीदा, उनकी मौत हो गई था.
यह घटना कुछ सालों पहले बुल्गारिया में घटी थी. इस नंबर को सबसे पहले मोबीटेल कंपनी के सीईओ ने खरीदा था. व्लादमीर गेसनोव ने 0888888888 मोबाइल नंबर को सबसे पहले खुद के लिए जारी करवाया था. व्लादमीर को इसके बाद कैंसर हो गया था और साल 2001 में उनकी मौत हो गई थी. माना जाता है कि कैंसर से मौत होने की अफवाह उनके दुश्मनों ने फैलाई थी, जबकि उनकी मौत की असली वजह वह मोबाइल नंबर था. व्लादमीर के बाद इस मोबाइल नंबर को डिमेत्रोव नामक कुख्यात ड्रग डीलर ने खरीदा था. इस नंबर को लेने के बाद डिमेत्रोव को साल 2003 में एक असेसन ने मार दिया था.
डिमेत्रोव के बाद यह नंबर बुल्गारिया के एक व्यापारी ने खरीदा था. व्यापारी को भी साल 2005 में इस नंबर को लेने के बाद मार डाला गया गया. तीन मौतें हो जाने के बाद इस नंबर को साल 2005 में हमेशा के लिए कंपनी द्वारा सस्पेंड कर दिया गया था.
नई दिल्ली, 1 फरवरी | केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायती राज और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने केंद्रीय बजट 2021-22 को इस दशक का पहला समावेशी बजट बताया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को आम बजट 2021-22 संसद में पेश किया। तोमर ने कहा कि कृषि सुधार बिलों की ²ष्टि से जिनके मन में शंका है, वह इस बजट से दूर हो जानी चाहिए। इस बजट में सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर अपनी प्रतिबद्धता के साथ ही एपीएमसी मंडियों को सशक्त बनाने का प्रावधान किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि किसान संगठन अपनी शंका दूर होने के बाद इस विषय पर सकारात्मक रूप से विचार करेंगे।
बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा, "इसमें हर वर्ग और हर क्षेत्र का समग्रता से ध्यान रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम स्वस्थ भारत और सशक्त भारत के निर्माण की दिशा में अग्रसर हैं। यह बजट उसी दिशा में मार्ग प्रशस्त करने वाला है।"
उन्होंने कहा कि आम बजट में आत्मनिर्भरता का ध्येय निहित है और कोरोना संकटकाल के बाद देश के विकास को रफ्तार देने के लिए समुचित प्रयास एवं प्रावधान किए गए हैं। तोमर ने कहा कि बजट की सकारात्मता इसी बात से साबित होती है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट पेश किए जाने के साथ ही बाजार एवं हर वर्ग की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिलने लगीं।
कृषि मंत्री ने कहा, "वर्ष 2021-22 का बजट प्रस्ताव 6 स्तंभों पर आधारित है। इसमें मानव कल्याण और विकास का पूर्ण सार समाहित है। इन स्तंभों में स्वास्थ्य एवं खुशहाली, भौतिक एवं वित्तीय पूंजी और अवसंरचना, आकांक्षी भारत के लिए समावेशी विकास, मानव पूंजी को फिर से ऊर्जावान बनाना, नवाचार और अनुसंधान व विकास एवं न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन को शामिल किया गया है।"
केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत एक लाख करोड़ रुपये के कृषि अवसंरचना कोष में अब मंडियों को भी शामिल किया गया है। इससे मंडियां सशक्त होंगी और वहां पर बड़ी अधोसंरचनाएं विकसित हो पाएगी। उन्होंने बताया कि कृषि के क्षेत्र में किसानों को जहां पहले 7 लाख करोड़ रुपये तक का सालाना ऋण मिल पाता था, वहां मोदी सरकार में इसे पहले 15 लाख करोड़ रुपये किया गया और अब इस बजट में 16.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है।
तोमर ने कहा कि देश में और 1,000 मंडियों को ई-नाम से जोड़ा जाएगा। नाबार्ड के अंतर्गत बनाए सूक्ष्म सिंचाई कोष को दोगुना बढ़ाकर 10,000 करोड़ रुपये करने के साथ-साथ कृषि व संबद्ध उत्पादों और उनके निर्यात में मूल्यवर्धन को बढ़ावा देने के लिए ऑपरेशन ग्रीन्स स्कीम का दायरा बढ़ाकर इसमें 22 और जल्द खराब होने वाले उत्पादों को शामिल किए जाने को कृषि मंत्री ने सकारात्मक कदम बताया।
उन्होंने कहा कि पंचायती राज मंत्रालय द्वारा महात्वाकांक्षी योजना स्वामित्व के तहत अब तक 6 राज्यों के 1241 गांवों के 1.80 लाख ग्रामीणों को उनके मकानों का मालिकाना हक प्रदान किया गया है।
उन्होंने कहा कि यह योजना गांवों के सशक्तीकरण और आत्मनिर्भरता की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। इसके साथ ही ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास निधि 30,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 40,000 करोड़ रुपये की जाएगी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 1 फरवरी | केंद्र सरकार ने संसद में सोमवार को पेश किए गए आम बजट में अगले वित्त वर्ष 2021-22 के लिए खेलों के लिए 2,596.14 करोड़ रुपये आवंटित किए जो कि पिछले वित्त वर्ष में आवंटित बजट से 8.16 प्रतिशत या 230.78 करोड़ रुपये कम है। कोरोना के कारण हालांकि पिछले वित्त वर्ष में शायद ही कोई खेल आयोजन हो सका था। भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) को 660.41 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। पिछले साल पेश बजट में साई को 500 करोड़ रुपये मिले थे।
दूसरी ओर, खेल मंत्रालय का प्रमुख आयोयन-खेलो इंडिया के लिए 2020-21 में आवंटित 890.42 करोड़ रुपये की तुलना में इस साल 657.71 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है।
राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) को सरकार से मिलने वाली सहायता राशि में हालांकि इजाफा हुआ है। इस साल एनएसएफ का बजट 280 करोड़ रुपये है जबकि पिछले वित्त वर्ष यह 245 करोड़ रुपये था।
2010 में भारत में हुए राष्ट्रमंडल खेलों के लिए उपयोग में लाए गए स्टेडियमों के नवीनीकरण और रखरखाव के लिए आवंटित बजट को भी घटा दिया गया है। बीते वित्त वर्ष में इस मद के लिए 66 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे जबकि इसे इस साल घटाकर 30 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
इस साल टोक्यो ओलंपिक का आयोजन होना है। खेलों के लिहाज से यह साल अहम है। ओलंपिक का आयोजन बीते साल ही होना था लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे इस साल तक के लिए टाल दिया गया। ओलंपिक का आयोजन टोक्यो में 23 जुलाई से 8 अगस्त तक होना है।
भारतीय तीरंदाजी संघ के महासचिव प्रमोद चंदुरकर ने आईएएनएस को बताया, "टोक्यो ओलंपिक की तैयारी करने वाली राष्ट्रीय टीम के लिए हमारे एसीटीसी (वार्षिक कैलेंडर प्रशिक्षण और प्रतियोगिताओं) को मंजूरी दे दी गई है, लेकिन योजना में किसी भी बदलाव के लिए अधिक धन की आवश्यकता होगी। यदि महामारी के कारण इन अभूतपूर्व समय में एनएफएस को कुछ अतिरिक्त धनराशि दी गए है तो यह एक बड़ी बात है।"
भारतीय तलवारबाजी संघ के महासचिव बशीर अहमद खान ने कहा कि ओलंपिक वर्ष हमेशा महत्वपूर्ण होता है।
खान ने कहा, "ओलंपिक वर्ष में अधिक फंड होना हमेशा अच्छा होता है। हाल ही में हमें सीए भवानी देवी के लिए अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर के लिए 20 लाख रुपये मिले क्योंकि वह ओलंपिक कोटा पाने की कगार पर हैं और वर्तमान में इटली में प्रशिक्षण ले रही हैं। चूंकि उनकी लम्बे समय तक इटली में रहने की योजना है, ऐसे में सरकार द्वारा अनुमोदित वार्षिक प्रतियोगिता-सह-प्रशिक्षण कैलेंडर के अलावा अतिरिक्त धन प्राप्त करना अच्छा होगा।"
इससे पहले, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण के दौरान आस्ट्रेलिया में भारतीय क्रिकेट टीम की ऐतिहासिक टेस्ट जीत सीरीज की तारीफ करते हुए इसे 'बहुत शानदार' करार दिया।
सीतारमण ने कहा, "मैं मदद तो नहीं कर सकती, लेकिन आस्ट्रेलिया में टीम इंडिया की हालिया शानदार सफलता के बाद एक क्रिकेट प्रेमी राष्ट्र के रूप में महसूस की गई खुशी को याद कर सकती हूं। टीम इंडिया की ऑस्ट्रेलिया में शानदार सफलता हमें भारत के लोगों की अंतर्निहित ताकत की याद दिलाती है।"
इससे पहले एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ हाल में टेस्ट सीरीज जीतने के लिए भारतीय क्रिकेट टीम की तारीफ करते हुए कहा था कि टीम की कड़ी मेहनत और टीम वर्क प्रेरणादायक है।
मोदी ने रविवार को अपने कार्यक्रम मन की बात कार्यक्रम में कहा था, " इस महीने हमें क्रिकेट की पिच से खुशखबरी मिली। शुरूआती निराशा के बाद, भारतीय टीम ने जोरदार वापसी की और ऑस्ट्रेलिया में सीरीज पर ऐतिहासिक कब्जा जमाया। हमारी टीम की कड़ी मेहनत और टीम वर्क प्रेरणादायक था।"
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने अपनी तारीफ के लिए प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया है और ट्वीट करते हुए कहा, " धन्यवाद, नरेंद्र मोदी जी आपके ये शब्द उत्साहित करते हैं। टीम इंडिया तिरंगे को ऊंचा फहराने के लिए हर संभव कोशिश करेगी।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 1 फरवरी | कोविड-19 महामारी से पीड़ित देश के मध्यम वर्ग परिवारों की नजरें सोमवार को पेश किए गए केंद्रीय बजट पर टिकी रही। मध्यवर्गीय लोगों में बजट को लेकर विशेष उत्सुकता देखी गई। वे जानकारी के लिए दिनभर अपने टीवी से चिपके रहे। हालांकि यह बजट उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में केंद्रीय बजट 2021-22 पेश किया। मध्यवर्गीय परिवारों से जब बजट के संबंध में सवाल पूछे गए तो कई लोगों ने कहा कि उन्हें इस बजट से ज्यादा उम्मीद थी, मगर यह उनकी उम्मीदों पर पूरी तरह से खरा नहीं उतरा है।
इस साल के बजट में सरकार ने आयकर छूट के मामले में मध्यम वर्ग को कोई विशेष राहत नहीं देते हुए स्वास्थ्य सेवा, बुनियादी ढांचे और अन्य क्षेत्रों पर अधिक जोर दिया है। हालांकि बजट में बुजुर्गो को बड़ी राहत मिली है। बजट में प्रस्ताव रखा गया है कि 75 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को अब आयकर रिटर्न दाखिल करने से छूट दी गई है।
इसके अलावा करदाताओं को निश्चित रूप से निराश होना पड़ा, क्योंकि केंद्रीय वित्तमंत्री ने निर्विवाद रूप से कठिन वर्ष के दौरान घोषित बहुप्रतीक्षित केंद्रीय बजट में उनके लिए आयकर स्लैब में कोई बदलाव की घोषणा नहीं की।
यही बड़ी वजह रही, जिससे आम लोग घोषणाओं से संतुष्ट नहीं दिखे। दिल्ली की रहने वाली विनीता कपूर ने कहा, "चूंकि मेरे पति परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य हैं, इसलिए उनके आयकर पर कोई राहत न मिलने से मेरी रसोई और मेरे बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित होगी।"
एक अन्य गृहिणी ने कहा कि उन्हें बजट पसंद नहीं आया। पुष्पा शर्मा ने कहा, "सरकार को इस कठिन समय में चीजों को सस्ता करना चाहिए था। राशन और घरेलू सामान दिन-प्रतिदिन महंगे हो रहे हैं।"
दिल्ली स्थित एक दूरसंचार विशेषज्ञ ने कहा कि टेलीकॉम सेक्टर को सरकार से किसी तरह का प्रोत्साहन मिलना चाहिए था।
वोडाफोन आइडिया के उपाध्यक्ष अमरीश कपूर ने बजट को बीमार करार दिया है। उन्होंने कहा है कि यह केंद्रीय बजट दूरसंचार क्षेत्र को को निरुत्साहित करने वाला है।
कपूर ने कहा, "जीएसटी, इनपुट क्रेडिट, स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क में कमी के संदर्भ में इस क्षेत्र में नकदी (लिक्विडिटी) की जरूरत है। टेलीकॉम ऑपरेटर्स को लगातार संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है।"
दिल्ली सरकार के एक सेवानिवृत्त अधिकारी ईश्वर शर्मा ने कहा, "आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं हुआ है। हालांकि वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोई आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करना, एक बड़ी राहत है। यह सरकार जब से सत्ता में आई है, इसका कोई बजट संतोषजनक नहीं रहा है।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 1 फरवरी | इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने नई दिल्ली में इजरायली दूतावास के पास हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद सोमवार को इजरायली राजनयिकों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार के प्रयासों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को नेतन्याहू को भारत में इजरायल के राजनयिकों की सुरक्षा का आश्वासन दिया। इजराइल के प्रधानमंत्री के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि प्रधान मंत्री मोदी ने दोहराया कि भारत 'आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में इजरायल के साथ सहयोग करना जारी रखेगा।'
सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि मोदी ने 29 जनवरी को यहां इजरायली दूतावास के पास हमले की कड़ी निंदा करते हुए नेतन्याहू से फोन पर बात की थी।
मोदी ने नेतन्याहू को आश्वासन दिया कि भारत इजरायल के राजनयिकों और परिसर की सुरक्षा को सर्वोच्च महत्व देता है और अपराधियों को खोजने और दंडित करने के लिए अपने सभी संसाधनों को तैनात करेगा।
दोनों नेताओं ने मामले में भारतीय और इजरायली सुरक्षा एजेंसियों के बीच घनिष्ठ समन्वय के बारे में संतोष व्यक्त किया।
मोदी और नेतन्याहू ने अपने-अपने देशों में कोविड -19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में प्रगति के बारे में भी एक-दूसरे को जानकारी दी और बयान के अनुसार इस संबंध में और सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की। (आईएएनएस)
लखनऊ, 1 फरवरी | नरेंद्र मोदी सरकार के बजट को उत्तर प्रदेश के दोनों उप मुख्यमंत्रियों ने सराहा है। मोदी सरकार के बजट पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया को राह दिखाएगा। यूपी के उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया है, उससे तो देश अर्थव्यवस्था को काफी मजबूती तो मिलेगी ही, भारत पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था भी बनेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का शिक्षा क्षेत्र में गुणवत्ता सुधार एवं शोध पर जोर है। हायर एजुकेशन कमीशन के गठन से उच्च शिक्षा को नई दिशा मिलेगी। उन्होंने कहा कि बजट में समावेशी विकास पर जोर दिया गया है। इसमे स्वस्थ भारत के निर्माण की परिकल्पना को मूर्त रूप देने की व्यवस्था की गई है। यह गरीब, महिला, किसान व नौजवान सहित समाज के हर वर्ग का बजट है। इसमें समावेशी विकास की बात की गई है।
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि, "बजट में गरीब तबकों के लिए सरकार द्वारा खजाना खोला गया है। यह बजट देश की आशाओं की पूर्ति करने वाला बजट है। बजट में आधारभूत संरचना पर जोर दिया गया है। आम लोगों पर कोई बोझ बढ़ने नहीं दिया गया है। बीमा क्षेत्र में बड़ा फैसला किया गया है, जिसमें एफडीआई को 74 फीसदी किया गया है। शिक्षा के क्षेत्र को बढ़ावा दिया गया है। 100 नए सैनिक स्कूल खोले जाएंगे। बजट में हेल्थ सेक्टर के लिए विशेश प्रावधान किए गए हैं। आत्म निर्भर स्वस्थ भारत योजना लांच की गई है। किसानों, मजदूरों से जुड़ी अहम घोशणाएं की गई हैं। 16.5 लाख करोड़ कृशि सेक्टर में रखा गया है, जो पिछले साल के मुकाबले ज्यादा है।" (आईएएनएस)
यवतमाल, 1 फरवरी | महाराष्ट्र में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। राज्य के घाटानजी के कापसी-कोपारी गांव में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पोलियो की खुराक के बजाय हैंड सैनिटाइजर पिला दिया गया। यह घटना रविवार को हुई। 1 से 5 साल उम्र के 2,000 से ज्यादा बच्चे अपने माता-पिता के साथ सुबह शुरू किए गए राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान के तहत पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम के लिए एकत्र हुए थे।
अधिकारियों के अनुसार, कुछ बच्चों को पोलियो ड्रॉप्स के बजाय सैनिटाइजर पिलाया गया, जिसके बाद कई बच्चों के बदन में ऐंठन होने और उल्टी होने लगी। इससे माता-पिता और वहां के स्वास्थ्य अधिकारियों में खलबली मच गई।
सभी बच्चों को इलाज के लिए वसंतराव नाइक गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ले जाया गया।
वसंतराव नाइक गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के डीन डॉ. मिलिंद कांबले ने आईएएनएस को बताया, "सभी बच्चों की हालत अब स्थिर है और उनमें सुधार हो रहा है। उन्हें लगातार निगरानी में रखा जा रहा है। उनकी स्थिति के आधार पर हम उन्हें मंगलवार शाम को छुट्टी देने पर विचार करेंगे।"
यवतमाल कलेक्टर एम देवेंद्र सिंह ने रविवार रात अस्पताल का दौरा किया और बच्चों की स्थिति के बारे में जानकारी ली।
बाद में उन्होंने जिला परिषद के सीईओ श्रीकृष्ण पांचाल को महाराष्ट्र के कापसी-कोपारी गांव का दौरा करने और घटना की जांच करने का आदेश दिया। (आईएएनएस)
नवनीत मिश्र
नई दिल्ली, 1 फरवरी | केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को पेश हुए मोदी सरकार के आम बजट को क्रांतिकारी और ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने कहा है कि इससे पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और 111 लाख करोड़ के इंफ्रास्ट्रक्च र डेवलपमेंट की दिशा में कार्य होगा। जिससे प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा। यह बजट देश को विकास के मोर्चे पर काफी आगे ले जाने वाला है। मोदी सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्रियों में से एक नितिन गडकरी ने कहा कि आने वाले पांच साल में भारत में वल्र्ड स्टैंडर्ड की सड़कें होंगी।
अपने आवास पर आईएएनएस से एक्सक्लूसिव बातचीत में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने विपक्ष के चुनावी बजट करार देने के आरोप को खारिज किया। नितिन गडकरी ने बजट में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम आदि चुनावी राज्यों में सड़क परियोजनाओं के लिए भारी धनराशि की घोषणा के सवाल पर कहा, "वित्त मंत्री ने भले ही चार राज्यों का नाम लिया, लेकिन हम हर राज्य के लिए काम कर रहे हैं। दिल्ली में 60 हजार करोड़, यूपी में सवा दो, ढाई लाख करोड़ के काम कर रहे हैं, इसी तरह बिहार में दो लाख करोड़, कश्मीर में 60 हजार करोड़ और कर्नाटक में ढाई लाख करोड़ के कार्य हमारा मंत्रालय कर रहा है। हम किसी राज्य के साथ अन्याय नहीं कर रहे हैं। सबका साथ, सबका विकास हमारा लक्ष्य है।"
कांग्रेस कहती है कि मोदी सरकार पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए काम कर रही है, इस सवाल को खारिज करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कांग्रेस पर गलतबयानी करने का आरोप लगाया। उन्होंने आईएएनएस से कहा, "ये बजट पर जनता को कन्फ्यूज करने के लिए कांग्रेस राजनीतिक ²ष्टि से बात कर रही है। यह गांव, गरीब और किसान के लिए फायदेमंद बजट है।"
वाहनों के लिए नई स्क्रैंपिंग पॉलिसी के सवाल पर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री गडकरी ने कहा कि इससे प्रदूषण कम होगा। पेट्रोल-डीजल का इंपोर्ट भी कम होगा। नए रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। अभी जो ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री साढ़े चार लाख करोड़ की है, वह छह लाख करोड़ की हो जाएगी। 15 दिन के अंदर स्क्रैपिंग पॉलिसी मंत्रालय जारी करेगा। केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि 91 हजार करोड़ का बजट बढ़कर जिस तरह से एक लाख 18 हजार करोड़ हुआ है, उससे देश में सड़क निर्माण परियोजनाओं को तेज गति मिलेगी।
नई दिल्ली, 1 फरवरी | दिल्ली पुलिस के आयुक्त एस.एन. श्रीवास्तव ने सोमवार को गाजीपुर बॉर्डर का दौरा किया और वहां की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। उन्होंने क्षेत्र में तैनात दिल्ली पुलिस के कर्मियों को संबोधित किया और उनके द्वारा की गई कड़ी मेहनत की सराहना की।
इस बीच, तीनों सीमाओं - गाजीपुर, सिंघु और टिकरी में किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी से अधिक संख्या में और किसानों के आने की आशंका के बीच सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इलाके में अतिरिक्त बल को तैनात किया गया है और बैरिकेड, बोल्डर और कंटीले तार लगाए गए हैं।
ड्रोन का उपयोग निगरानी रखने के लिए किया जा रहा है और सीमावर्ती क्षेत्रों में सघन चेकिंग की जा रही है, जिसके परिणामस्वरूप राजधानी में बड़े पैमाने पर ट्रैफिक जाम हो रहा है।
दिल्ली पुलिस ने अब तक 44 किसानों के खिलाफ मामला दर्ज किया है और 122 लोगों को गिरफ्तार किया है।
गृह मंत्रालय ने सोमवार को सिंघु, गाजीपुर और टिकरी सीमाओं पर इंटरनेट का अस्थायी निलंबन 11 बजे तक बढ़ा दिया। किसानों के प्रदर्शन के मद्देनजर मंगलवार को 250 ट्विटर अकाउंट भी निलंबित रहेंगे। (आईएएनएस)
जयपुर, 1 फरवरी | राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट पर नाराजगी जताते हुए कहा कि उन्हें बजट से बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन राज्य के लोगों को निराशा हुई है। एक ट्वीट में, उन्होंने कहा, "राजस्थान को केंद्रीय बजट से बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन राज्य के लोग इससे निराश हुए हैं। हमें उम्मीद थी कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को बजट में राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिलेगा, और राजस्थान को 'हर घर नल योजना' के लिए विशेष राज्य का दर्जा मिलेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।"
गहलोत ने कहा, "आम आदमी के लिए इस बजट में एक बुरी खबर है, क्योंकि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई राहत नहीं दी गई है, बल्कि पेट्रोल और डीजल पर नया उपकर लगा दिया गया है। पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों का असर आखिरकार आम आदमी पर पड़ेगा।"
उन्होंने कहा कि बजट का पूरा फोकस केवल चुनावी राज्यों पर था। यह केंद्रीय बजट की तुलना से अधिक 'पांच चुनावी राज्यों का बजट' लगता है। एक बुरे दौर से गुजर रही अर्थव्यवस्था के लिए बजट में कोई उपाय नहीं किए गए हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 1 फरवरी। कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार को पेश किया गया बजट लोगों के साथ धोखा है। चिदंबरम ने सोमवार को कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला के साथ संयुक्त रूप से एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि उपकर लगाने से व्यापक प्रभाव पड़ेगा। चिदंबरम ने आगे कहा, "यह संघीय ढांचे के खिलाफ है, क्योंकि राज्यों को उपकर का हिस्सा नहीं मिलता है। सरकार ने गरीबों, प्रवासी कामगारों और मजदूरों की अनदेखी की है और बजट ने इतना निराश पहले कभी नहीं किया था।"
चिदंबरम ने कहा, "वित्त मंत्री ने भारत के लोगों को धोखा दिया है, विशेष रूप से गरीबों, श्रमिक वर्ग, प्रवासियों, किसानों को धोखा दिया है और औद्योगिक इकाइयों को स्थायी रूप से बंद कर दिया है और जो लोग अपनी नौकरी खो चुके हैं, वे अभी भी नौकरियों की तलाश में हैं।"
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि जो लोग सीतारमण का भाषण सुन रहे थे, यहां तक कि सांसदों को भी इस बारे में कुछ नहीं पता था कि वह पेट्रोलियम और डीजल सहित कई उत्पादों पर उपकर लगाएंगी।
उन्होंने कहा, "पेट्रोल पर प्रति लीटर 2.50 रुपये और डीजल पर 4.00 रुपये प्रति लीटर उपकर किसानों सहित औसत नागरिक के लिए एक बड़ा झटका है।"
उन्होंने कहा, "यह उन हजारों किसानों के खिलाफ एक प्रतिशोधी कृत्य है, जिन्होंने इतिहास की सबसे लंबी ट्रैक्टर रैली निकाली। यह संघवाद के लिए भी एक झटका है, क्योंकि राज्यों को उपकरों से राजस्व का हिस्सा नहीं मिलता।"
चिदंबरम ने कहा कि उम्मीद के मुताबिक वित्तमंत्री ने चुनाव से जुड़े राज्यों पर विशेष ध्यान दिया है। उन्होंने केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और असम के लिए बड़ी पूंजी की घोषणा की। (आईएएनएस)
बेंगलुरु, 1 फरवरी | कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने सोमवार को कहा कि उनका मानना है कि बजट से अर्थव्यवस्था को तेजी मिलेगी, जो कोविड-19 महामारी के कारण बुरी तरह प्रभावित हुई है। यहां चल रहे विधानसभा सत्र से इतर उन्होंने कहा, "महामारी के बावजूद, यह एक गरीब और मध्यम वर्ग हितैषी बजट है।"
उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने आर्थिक पुनरुद्धार के साथ-साथ महामारी के नियंत्रण के लिए आवश्यक रणनीतियों की घोषणा की है।
"यह एक स्वागत योग्य पहल है कि कोविड -19 के खिलाफ टीकाकरण अभियान को 35,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं और वित्त मंत्री ने आश्वासन दिया कि आवश्यकता पड़ने पर अधिक धनराशि प्रदान की जाएगी।"
उनके अनुसार, बजट का उद्देश्य कृषि क्षेत्र को मजबूत करना, कौशल विकास, बुनियादी ढांचे के विकास और औद्योगिक विकास को भी विशेष बल देना है।
उन्होंने कहा, "बजट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आकांक्षाओं के अनुसार 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लिए एक मंच प्रदान किया गया है। (आईएएनएस)