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नई दिल्ली, 22 सितंबर | बीएसएफ और सीआरपीएफ जैसे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में एक लाख से अधिक पद रिक्त पड़े हैं तथा ज्यादातर पद सेवानिवृत्ति, त्याग-पत्र और मृत्यु के कारण खाली हुए हैं. सरकार ने सोमवार को यह जानकारी दी.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में सबसे अधिक 28,926 खाली पद हैं, इसके बाद केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में 26,506, केंद्रीय औद्योगिकी सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) में 23906, सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) में 18,643, भारत तिब्बत सीमा पुलिस आईटीबीपी में 5,784 और असम राइफल्स में 7328 पद रिक्त हैं.
उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, ‘सीएपीएफ और असम राइफल्स में रिक्तियां सेवानिवृत्ति, इस्तीफे, मृत्यु, नई इकाइयां बनाने, नए पदों के सृजन, कैडर समीक्षा आदि के कारण उत्पन्न होती हैं. इन रिक्तियों में से अधिकतर पद कॉन्स्टेबल ग्रेड में हैं.’
राय ने कहा कि इन रिक्तियों को भरने के लिए एक स्थापित प्रक्रिया है, जैसे मौजूदा प्रावधानों के अनुसार सीधी भर्ती, पदोन्नति और प्रतिनियुक्ति के माध्यम से भर्ती की जाती है.
मंत्री ने कहा कि सरकार ने सीएपीएफ में रिक्त पदों को भरने के लिए त्वरित कदम उठाए हैं, जो एक सतत प्रक्रिया है.
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में, कॉन्स्टेबल के 60,210 पदों के लिए भर्ती की प्रक्रिया, कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से उप-निरीक्षकों के 2,534 पद और संघ लोक सेवा आयोग के माध्यम से सहायक कमांडेंट के 330 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चल रही है.
बीते फरवरी महीने में रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाईक ने राज्यसभा में बताया था कि रक्षा मंत्रालय में दो लाख से अधिक पद रिक्त हैं.
उन्होंने बताया था कि रक्षा मंत्रालय में 239,740 पद रिक्त पड़े हैं जिनमें से 3,782 पद समूह क के 34,289 पद समूह ख के और 201,669 अन्य पद हैं.
नाईक ने बताया था कि सेना में अधिकारियों के 6,867 पद तथा जीसीओ एवं ओआर के 36,517 पद रिक्त हैं. उन्होंने बताया कि नौसेना में अधिकारियों के 1,500 पद तथा नौसैनिकों के 15,590 पद रिक्त हैं. इसके अलावा वायु सेना में अधिकारियों के 425 पद तथा वायुसैनिक के 10,425 पद रिक्त हैं.(THEWIRE)
आठ सासंदों के निलंबन रद्द करने की मांग को लेकर विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा से वॉकआउट किया है। यह सांसद गांधी प्रतिमा के सामने प्रदर्शन करने पहुंचे हैं, जहां पहले से निलंबित सांसद धरने पर बैठे हुए हैं।
संसद के मॉनसून सत्र का आज नौवां दिन है। इस बीच किसान बिल पर तकरार जारी है। वहीं राज्यसभा में आज विपक्षी दलों के 8 सांसदों के निलंबन का मुद्दा उठा है और विपक्षी सांसद सभापति के फैसले का विरोध कर रहे हैं। आठ सासंदों के निलंबन रद्द करने की मांग को लेकर विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा से वॉकआउट किया है। यह सांसद गांधी प्रतिमा के सामने प्रदर्शन करने पहुंचे हैं, जहां पहले से निलंबित सांसद धरने पर बैठे हुए हैं।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, जब यह बिल ला रहे थे तो एमएसपी उस वक्त अनाउंस करनी चाहिए थी पर नहीं की। खैर एमएसपी बाद में अनाउंस किया गया, जिसका हम स्वागत करते हैं। एमएसपी को लेकर हमने तीन कंडीशन रखी हैं। जब तक कि सरकार हमारी 3 मांगों को स्वीकार नहीं करती है हम संसद सत्र का बहिष्कार करेंगे।
जो तीन मांगें है वो है: पहली मांग है कि सरकार एक नया बिल लाए जिसमें यह बात सुनिश्चित की जाए कि कोई भी प्राइवेट कंपनी MSP के नीचे किसानों से कोई उपज नहीं खरीद सकती हैं।हमारी दूसरी मांग है कि स्वामीनाथन फार्मूला के तहत MSP देश में तय हो। हमारी तीसरी मांग है कि भारत सरकार राज्य सरकार या फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यह सुनिश्चित करें कि किसानों से निर्धारित MSP की रेट पर ही है उनकी उपज खरीदी जाए।
वहीं राज्यसभा के अंदर विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, “पिछले दो दिनों में जो सदन में हुआ मुझे नहीं लगता कि उससे कोई भी खुश है। करोड़ों लोगों को जो रिप्रेजेंट करते हैं उन्हें करोड़ों लोग देखते हैं। जो लक्ष्य है यहां आने का वो तो पूरा होना चाहिए। आठों सांसदों के निलंबन को रद्द किया जाए।”
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद राम गोपाल यादव ने कहा, मैं संसद का एक वरिष्ठ सदस्य हूं, मैंने सदन में जो भी हुआ उसके लिए माफी मांगी है, लेकिन मुझे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। मुझे यह बहुत अपमानजनक लगा। मेरी पार्टी ने पूरे सत्र का बहिष्कार करने का फैसला किया है।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सैयद नासिर हुसैन ने कहा, हम सिर्फ निलंबन रद्द होना नहीं चाहते थे, हम ये भी चाहते थे कि किसान बिल वापस ले लिए जाएं और ऐसा होने के लिए उचित मतदान हो। लेकिन उस तरह का कुछ भी नहीं होने वाला था, क्योंकि सभापति किसी की बात सुनने के लिए तैयार नहीं थे।
धरने पर बैठे कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा ने कहा, हरिवंश जी ने कहा कि वह एक सहयोगी के रूप में हमसे मिलने आए थे, न कि राज्यसभा के उपसभापति के रूप में। वह हमारे लिए कुछ चाय और नाश्ता भी लाए थे। हमने अपने निलंबन के विरोध में कल यह धरना प्रदर्शन शुरू किया। हम पूरी रात यहां रहे हैं।
वहीं समाजवादी पार्टी सांसद रामगोपाल यादव ने हंगामे पर कहा कि सरकार ने संयम से काम लिया। उन्होंने कहा कि विपक्ष के लोगों से गलती हुई है और जो बड़े होते हैं, उनका दिल बड़ा होना चाहिए। उन्हें माफ करना चाहिए। उनका निलंबन रद्द किया जाए। मैं सभी सांसदों की तरफ से माफी मांगता हूं।
वहीं राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि मैं सदस्यों के निलंबन को लेकर खुश नहीं हूं। उनके आचरण को ध्यान में रखकर कार्रवाई की गई है। हम किसी सदस्य के खिलाफ नहीं हैं। (navjivanindia)
मुंबई, 22 सितम्बर (आईएएनएस)| निलंबित सांसदों के समर्थन में एक दिन के उपवास की घोषणा करते हुए, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने मंगलवार को कहा कि कृषि बिलों को पास कराने के लिए सरकार इतनी जल्दबाजी में क्यों थी। पवार ने मुंबई में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा, "मैंने प्रदर्शन कर रहे सांसदों के समर्थन में एक दिन उपवास रखने का फैसला किया है।"
पवार ने कहा कि सरकार की नीयत भले ही सही हो, लेकिन उन्होंने कभी भी इस तरह से बिलों को पास होते नहीं देखा। बिल पास कराने में जल्दबाजी दिखाई गई, ऐसा तब हुआ जब सांसद कृषि बिलों को लेकर सवाल उठा रहे थे।
पवार ने कहा, "सदस्य बिलों पर ज्यादा प्रश्न पूछना चाहते थे। ऐसा लगा रहा था कि वे चर्चा करना नहीं चाहते थे। जब सांसदों को जवाब नहीं मिला तो वे सदन की वेल में पहुंच गए।"
राकांपा प्रमुख ने कहा, "राज्यसभा के उपसभापति नियमों से परे नहीं है और राज्यसभा के सदस्यों को उनके विचार प्रकट करने के लिए निलंबित किया गया है।'
बेंगलुरु, 22 सितंबर (आईएएनएस)| बेंगलुरु सीरियल ब्लास्ट मामले में एंटी टेररिस्ट सेल (एटीसी) या आतंकवाद निरोधी दस्ते के हाथ एक बड़ी कामयाबी लगी है। करीब बारह सालों तक पीछा करने के बाद हमले से जुड़ा मुख्य आरोपी पुलिस के हाथ लगा है। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पत्रकारों से बात करते हुए बेंगलुरु सिटी पुलिस (क्राइम) के संयुक्त आयुक्त संदीप पाटिल ने कहा कि मुख्य आरोपी को धर दबोचने के लिए एटीसी विंग के अधिकारी पिछले एक हफ्ते से तिरुवनंतपुरम में डेरा डाले हुए थे और राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय कर रहे थे।
उन्होंने बताया, "जुलाई 2008 में, बेंगलुरु में सिलसिलेवार बम धमाके की घटना को अंजाम दिया गया, जिसमें कम तीव्रता वाले सात बम विस्फोट हुए। शहर की पुलिस ने 32 आरोपियों की पहचान की थी, जिनमें से 22 को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है और जांच अब भी जारी है। इस पूरे प्रकरण में शोएब की अहम भूमिका थी और साल 2008 यानी पिछले बारह साल से वह फरार था।"
उन्होंने आगे कहा कि निरंतर प्रयासों के बाद सोमवार रात को राष्ट्रीय एजेंसियों की मदद से शोएब को आखिरकार गिरफ्तार किया गया।
संयुक्त आयुक्त ने कहा, "पिछले साल अक्टूबर में जिस वक्त हमें उसकी जानकारी मिली, हमने तुरंत रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया और उसके तिरुवनंतपुरम लौटने की एक गुप्त सूचना के आधार पर हमने उसे धर दबोचा।"
शोएब केरल का रहने वाला है और उसे आगे की जांच के लिए शहर ले जाया गया है।
जम्मू, 22 सितंबर (आईएएनएस)| जम्मू कश्मीर के जम्मू जिले के अखनूर सीमा क्षेत्र में सुरक्षा बलों ने मंगलवार को ड्रोन से भारी मात्रा में गिराए हथियार और गोला-बारूद बरामद किए। पुलिस सूत्रों ने कहा है कि स्थानीय पुलिस और सेना ने 2 एके-47 असॉल्ट राइफल, 3 एके मैगजीन, 90 राउंड की एके-47 राइफल और 1 स्टार पिस्टल बरामद की है। हथियार, गोला-बारूद की यह खेप अखनूर के नेवला खाड इलाके में बरामद की गई।
सूत्रों ने कहा, "ये हथियार और गोला-बारूद आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल करने के लिए सीमा पार से ड्रोन द्वारा गिराए गए थे।"
सीमा पार से हथियारों और गोला-बारूद को ड्रोन के जरिए गिराना एक नया तरीका है, जिसके जरिए सीमा पार से आतंकवादियों के हैंडलर्स उनके लिए ये सामान भेज रहे हैं।
सुरक्षा बलों का मानना है कि जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों के पास हथियारों की कमी के चलते ऐसा किया जा रहा है।
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चंडीगढ़, 22 सितंबर (आईएएनएस)| राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किए गए कृषि विधेयकों के विरोध में मंगलवार को ऐलान किया कि वह पंजाबभर में 25 सितंबर को तीन घंटे तक 'चक्का जाम' रखेगा। एसएडी के प्रवक्ता और पूर्व मंत्री दलजीत चीमा ने कहा कि वरिष्ठ नेता अपने निर्वाचन क्षेत्रों और जिला मुख्यालयों में सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक विरोध प्रदर्शन की अगुवाई करेंगे।
शिअद के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार शाम को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और विवादास्पद कृषि विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं करने का आग्रह किया।
बैठक से बाहर आकर एसएडी नेता सुखबीर बादल ने मीडिया को बताया, "हमने राष्ट्रपति से संसद में पारित किसान विरोधी बिलों पर हस्ताक्षर नहीं करने का अनुरोध किया है। हमने उनसे उन बिलों को संसद में वापस भेजने का अनुरोध किया है।"
शिअद सत्तारूढ़ भाजपा का लंबे समय से सहयोगी है। शिअद की लोकसभा सांसद और सुखबीर की पत्नी हरसिमरत कौर बादल तीनों विधेयकों के विरोध में 17 सितंबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे चुकी हैं।
लखनऊ , 22 सितंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में फिल्म सिटी के ऐलान के बाद इसे लेकर बड़ा खाका तैयार किया जा रहा है। इसे लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तंज कसा है। अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा है कि, अब सपा काल की 'फि ल्म सिटी' का श्रेय लेने के लिए प्रदेश की भाजपा सरकार कैंची लेकर फीता काटने को तैयार खड़ी है पर अब न तो उनके अभिनेता का अभिनय काम आ रहा है, न ही कोई डयलाग। उनकी फ्लॉप पिक्चर उतरने वाली है क्योंकि प्रदेश की असली तस्वीर बनाने वालों की एडवांस बुकिंग हो गयी है।
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित देश की सबसे खूबसूरत तथा सबसे बड़ी फि ल्म सिटी को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बेहद गंभीर हैं। 18 सितंबर को उनकी घोषणा के बाद से फि ल्मी जगत की नामचीन हस्तियों ने योगी आदित्यनाथ को बधाई दी है। इसको आगे बढ़ाने के क्रम में योगी फि ल्मी जगत की हस्तियों से उनकी राय ले रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए फि ल्म सिटी की स्थापना को लेकर फि ल्म जगत की हस्तियों से मुखातिब हुए हैं। इसमें सुभाष घई, कैलाश खेर सहित कई शख्सियतें मौजूद रहेंगी। इससे पहले रविवार को फि ल्म निर्देशक मधुर भंडारकर लखनऊ में मुख्यमंत्री से मुलाकात कर चुके हैं।
नई दिल्ली, 22 सितम्बर (आईएएनएस)| आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 मंगलवार को ध्वनिमत से राज्यसभा में पारित हो गया। इस विधेयक में अनाज, दलहन, तिलहन, प्याज एवं आलू जैसे कृषि एवं बागवानी उत्पादों को आवश्यक वस्तु की सूची से हटाने का प्रावधान किया गया है। विधेयक को लोकसभा की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है। यह विधेयक कोरोना काल में पांच जून को अधिसूचित आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश-2020 की जगह लेगा।
इस विधेयक के माध्यम से आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन करके अनाज, दलहन, तिलहन, प्याज एवं आलू जैसे कृषि एवं बागवानी उत्पादों को आवश्यक वस्तु की सूची से हटा दिया गया है। इन उत्पादों के संग्रह के लिए सरकार अब सामान्य परिस्थिति में कोई सीमा निर्धारित नहीं करेगी। हालांकि विधेयक में विशेष परिस्थति जैसे, युद्ध, अकाल व अन्य विशेष परिस्थितियों के कारण कीमतों में काफी ज्यादा इजाफा होने की सूरत में सरकार स्टॉक लिमिट तय कर सकती है।
उच्च सदन में विधेयक पेश करते हुए दानवे रावसाहेब पाटिल ने कहा कि विधेयक के प्रावधानों से कृषि उत्पादों के भंडारण, प्रसंस्करण के क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ेगा जिससे किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि भंडारण, कोल्ड चेन और प्रसंस्करण के अभाव में सबसे ज्यादा नुकसान फलों और सब्जियों का होता है। उन्होंने एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में कटाई के बाद प्रमुख कृषि उत्पादों का नुकसान 92,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होता है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का दृष्टिकोण किसानों और उपभोक्ताओं को फायदा दिलाना है।
सरकार का तर्क है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम में इस संशोधन से कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलेगा, कीमतों में स्थिरता आएगी और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
सरकार का कहना है कि इससे देश में कृषि उत्पादों के भंडारण एवं प्रसंस्करण की क्षमता में वृद्धि होगी। भंडारण क्षमता वृद्धि से किसान अपनी उपज सुरक्षित रख सकेगा एवं उचित समय आने पर बेच पाएगा।
हालांकि विपक्ष का कहना है कि इससे कृषि उत्पाादों की जमाखोरी और कालाबाजारी बढ़ेगी। सरकार का कहना है कि कृषि उत्पादों को आवश्यक वस्तु की सूची में तब लाया गया था जब देश में खाद्यान्नों का अभाव था लेकिन अब ऐसा नहीं है। लिहाजा जमाखोरी और कालाबाजारी के लिए गुंजाइश नहीं होगी।
मथुरा (उत्तर प्रदेश), 22 सितंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक डॉक्टर ने कोरोना परीक्षणों का लक्ष्य पूरा करने के लिए 15 से ज्यादा बार अपना ही नूमना दे दिया। ऐसा करते हुए डॉक्टर की वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। यह वीडियो रविवार को सामने आया, जिसमें बलदेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता को राजकुमार सारस्वत के नमूने लेते देखा जा सकता है। फिर इन नमूनों को परीक्षण के लिए नकली नामों पर सीएमओ कार्यालय भेजा गया।
वीडियो में सारस्वत खुद स्वीकार भी करता है कि वह इसलिए अपने नमूने दे रहा है क्योंकि इकट्ठा किए गए नमूनों की संख्या मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय द्वारा निर्धारित किए गए लक्ष्य से कम है। हालांकि इस दौरान एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता उसे सलाह भी देता है कि वह अपने इतने सारे परीक्षण न कराए, क्योंकि ऐसा करने से वह मुसीबत में फंस सकता है।
इसी सामुदायिक केंद्र के एक अन्य डॉक्टर अमित ने इस मामले में सीएमओ से शिकायत की। अमित ने बताया कि उन्हें 27 जुलाई को कोविड-19 के नमूने लेने का काम सौंपा गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि सीएचसी प्रभारी योगेंद्र सिंह राणा ने उन सभी संविदा कर्मचारियों पर दबाव बनाया कि यदि मरीज नमूना देने केन्द्र पर नहीं आ रहे तो वे फर्जी नमूने लें। क्योंकि नमूनों का लक्ष्य पूरा न होने पर उनका कॉन्ट्रेक्ट खत्म कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं अमित ने यह भी कहा है कि होम आइसोलेट हुए कोरोना पॉजिटिव रोगियों के हस्ताक्षर भी नकली हैं।
अतिरिक्त सीएमओ राजीव गुप्ता ने कहा है, "इस मामले की जांच की जा रही है। स्वास्थ्य अधिकारी यदि दोषी पाया जाएगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।"
नई दिल्ली, 22 सितम्बर (आईएएनएस)| राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह के समर्थन में खुलकर आने के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को उच्च सदन में हंगामे के मुद्दे पर उप सभापति द्वारा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे एक पत्र को साझा किया। प्रधानमंत्री ने कहा, "माननीय राष्ट्रपति जी को माननीय हरिवंश जी ने जो पत्र लिखा, उसे मैंने पढ़ा। पत्र के एक-एक शब्द ने लोकतंत्र के प्रति हमारी आस्था को नया विश्वास दिया है। यह पत्र प्रेरक भी है और प्रशंसनीय भी। इसमें सच्चाई भी है और संवेदनाएं भी। मेरा आग्रह है, सभी देशवासी इसे जरूर पढ़ें।"
उक्त पत्र में, उप सभापति ने कुछ राज्यसभा सदस्यों के हिंसक व्यवहार का उल्लेख किया है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि वह जेपी (जयप्रकाश नारायण) के गांव में पैदा हुए थे, जिनके सामाजिक सुधार आह्वान ने अतीत में भारत की राजनीति को बदल दिया था। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि हंगामे ने उन्हें कैसे प्रभावित किया है।
उपसभापति ने दिनकर को उद्धृत करते हुए कहा कि वह उच्च सदन में कुछ विपक्षी सदस्यों द्वारा रविवार को किए गए हंगामे के खिलाफ एक दिन का उपवास रखेंगे।
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, "हर किसी ने देखा कि दो दिन पहले लोकतंत्र के मंदिर में उनको किस प्रकार अपमानित किया गया, उन पर हमला किया गया और फिर वही लोग उनके खिलाफ धरने पर भी बैठ गए। लेकिन आपको आनंद होगा कि आज हरिवंश जी ने उन्हीं लोगों को सवेरे-सवेरे अपने घर से चाय ले जाकर पिलाई।"
हंगामा करने वाले आठ निलंबित सांसद सोमवार से संसद भवन परिसर में धरने पर बैठे थे। बाद में इन सांसदों ने धरना समाप्त कर दिया।
नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)| राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह ने घोषणा की है कि वह रविवार को सांसदों द्वारा किए गए बेलगाम व्यवहार के विरोध में एक दिन का अनशन करेंगे। यह बात उनके द्वारा धरने पर बैठे सांसदों को सुबह चाय परोसने के बाद सामने आई। इन सांसदों को कृषि विधेयकों के पारित होने के दौरान सदन में अनियंत्रित व्यवहार करने पर निलंबित कर दिया गया था।
उपसभापति ने सभापति को पत्र लिखकर कहा है कि लोकतंत्र के नाम पर सदन में हिंसक व्यवहार हुआ। उन्होंने कहा कि वह अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए एक दिन का अनशन करेंगे।
बता दें कि 8 निलंबित सांसद विरोध में पूरी रात संसद परिसर में धरने पर बैठे रहे। इन राज्यसभा सदस्यों को सोमवार को राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सदन की बैठक शुरू होने के कुछ देर बाद ही निलंबित कर दिया था।
ये सदस्य - डेरेक ओ ब्रायन, डोला सेन, राजीव सातव, रिपुन बोरा, सैयद नसीर हुसैन, संजय सिंह, के.के. रागेश, और ई.करीम हैं।
नई दिल्ली, 22 सितम्बर (आईएएनएस)| राज्यसभा के आठ निलंबित सदस्यों ने विपक्षी नेताओं के एक अनुरोध के बाद मंगलवार को अपना दिन भर का धरना समाप्त कर दिया। उन्होंने विपक्षी नेताओं के अनुरोध पर ऐसा किया जिन्होंने इन सांसदों से मानसून सत्र के बहिष्कार में शामिल होने का भी आग्रह किया। आंदोलनकारी सांसदों ने कहा कि यह उनके निलंबन को रद्द करने के बारे में नहीं था, बल्कि किसानों के प्रति कठोर कृषि विधेयकों को वापस लेने के बारे में था।
कांग्रेस के निलंबित सांसदों में से एक सैयद नासिर हुसैन ने कहा, "हमने अपना विरोध खत्म कर दिया है, लेकिन सत्र के बहिष्कार में शामिल होंगे।" उनके पार्टी के सहयोगी राजीव सातव, जिन्हें भी निलंबित कर दिया गया था, ने कहा कि उनका विरोध संसद से सड़कों पर होगा।
विपक्ष ने संयुक्त रूप से सत्र का तब तक बहिष्कार करने का फैसला किया है जब तक कि नए कृषि बिलों पर उनकी तीन मांगें केंद्र सरकार द्वारा पूरी नहीं की जाती हैं।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी अजाद ने कहा, "जब तक हमारी तीन मांगें पूरी नहीं होतीं, विपक्ष सत्र का बहिष्कार जारी रखेगा। हम आठ सांसदों के निलंबन को रद्द करने, एक अन्य विधेयक लाने जिसके तहत कोई भी निजी कंपनी एमएसपी से नीचे कृषि उपज नहीं खरीद सके और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग करते हैं।"
आजाद ने कहा, "कोई भी इस सदन में हुई घटनाओं से खुश नहीं है। जनता चाहती है कि उनके नेताओं को सुना जाए। कोई भी उनके विचारों को महज कुछ मिनटों में सामने नहीं ला सकता है।"
समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव ने कहा कि उन्होंने निलंबित सदस्यों की ओर से उनके आचरण के लिए माफी मांगी है और इसलिए निलंबन को जरूर रद्द किया जाना चाहिए।
हालांकि, आसन पर मौजूद माननीय की ओर से कोई जवाब नहीं मिला और पार्टी ने बहिष्कार करने का फैसला किया।
सदन में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने सत्र के बहिष्कार के सात कारण बताए और आरोप लगाया कि सरकार विधेयकों को 'बुलडोजिंग' कर रही है।
राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने इस बीच विपक्ष से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की।
नई दिल्ली, 22 सितम्बर (आईएएनएस)| संसद परिसर में मंगलवार सुबह धरने पर बैठे राज्यसभा के निलंबित 8 सदस्यों के लिए राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश नारायण सिंह चाय-नाश्ता लेकर पहुंचे। इन सांसदों ने पूरी रात संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास बिताई। हालांकि इन सांसदों ने अपना धरना अब समाप्त कर दिया है। निलंबित कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा ने कहा कि उप-सभापति हरिवंश ने उन्हें बताया कि वह एक सहयोगी के रूप में उनसे मिलने आए थे। यानि कि सरकार की ओर से अब तक कोई भी प्रतिनिधि उनसे मिलने नहीं आया है।
ये सांसद अपने निलंबन के विरोध में धरने पर बैठे हुए थे रात में ये सांसद कभी गाते रहे तो कभी नारेबाजी करते नजर आए।
इन राज्यसभा सदस्यों को सोमवार को राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सदन की बैठक शुरू होने के कुछ देर बाद ही हंगामे के चलते निलंबित कर दिया था।
ये सदस्य - डेरेक ओ ब्रायन, डोला सेन, राजीव सातव, रिपुन बोरा, सैयद नसीर हुसैन, संजय सिंह, के.के. रागेश, और ई.करीम हैं।
नई दिल्ली, 22 सितम्बर (आईएएनएस)| दिल्ली हिंसा मामले में कथित साजिश के सिलसिले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा हाल ही में दायर एक आरोपपत्र (चार्जशीट) में खुलासा किया गया है कि पांच आरोपी, जिनके खिलाफ यूएपीए (गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) लगाया गया है, इन्हें साजिश को अंजाम देने के लिए 1.61 करोड़ रुपये दिए गए थे। 16 सितंबर को, पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ यूएपीए, भारतीय दंड संहिता, शस्त्र अधिनियम और सार्वजनिक संपत्ति अधिनियम की क्षति की रोकथाम की विभिन्न धाराओं के तहत एक चार्जशीट दायर की थी। चार्जशीट की कॉपी सोमवार को आरोपियों के वकीलों को दी गई।
चार्जशीट में, पुलिस ने दावा किया कि बर्खास्त नगरपालिका पार्षद ताहिर हुसैन, पूर्व पार्षद इशरत जहां, छात्र मीरान हैदर, एक्टिविस्ट खालिद सैफी और शिफा-उर-रहमान सहित पांच व्यक्तियों ने नकद या बैंक लेनदेन के रूप में 1.61 करोड़ रुपये प्राप्त किए, जिसमें 1.48 करोड़ रुपये का इस्तेमाल विरोध स्थलों के प्रबंधन और दंगों की साजिश को अंजाम देने के लिए किया गया था।
इस साल फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के पीछे साजिश के पहलू की जांच के लिए प्राथमिकी दर्ज करने के 200 दिनों से भी कम समय में चार्जशीट दायर की गई थी। नागरिकता कानून समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसक झड़पों में कम से कम 53 लोग मारे गए थो और लगभग 200 लोग घायल हो गए थे।
वित्तीय लेनदेन का उल्लेख करने के अलावा, पुलिस ने यह बताया कि हिंसा को भड़काने की साजिश कैसे रची गई थी। उन्होंने कहा कि 16-17 फरवरी की मध्यरात्रि को एक गुप्त षड्यंत्रकारी बैठक आयोजित की गई थी और तब यह था कि "प्रमुख षड्यंत्रकारियों ने अपना मन बना लिया था कि दिल्ली में विरोध प्रदर्शन को मुख्य रूप से उत्तर-पूर्व, शाहदरा, चांद बाग और जाफराबाद के क्षेत्रों के साथ दक्षिण जिलों में अंजाम दिया जाएगा।
चार्जशीट से पता चला कि इस बैठक में शामिल होने वाले प्रमुख षड्यंत्रकारियों के बीच एक स्पष्ट समझ थी कि वर्तमान में मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में साइड लेन में स्थित विरोध स्थलों को शिफ्ट करने की आवश्यकता है और चक्का जाम होना चाहिए और यातायात के सामान्य आवागमन को बाधित करने के लिए आबादी वाले क्षेत्रों और व्यस्त सड़कों पर ऐसा किया जाए।
आरोप पत्र में खुलासा किया गया है, "पुलिसकर्मियों और राहगीरों पर हमले के बाद यातायात को नुकसान पहुंचाया जाएगा, आगजनी और अन्य तरीकों से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाएगा।"
इसमें कहा गया है कि यह केवल एक संयोग नहीं है कि अपराध में इस्तेमाल हथियार ताहिर हुसैन की ओर से खरीदा गया था। राहुल सोलंकी की हत्या में प्रयुक्त कारतूसों को सुलेमान सिद्दीकी की ओर खरीदा गया था, जो इस गुप्त षड्यंत्रकारी बैठक में शामिल था।
चार्जश्ीट में ताहिर हुसैन, सफूरा जरगर, गुलफिशा खातून, देवांगना कलिता, शफा-उर-रहमान, आसिफ इकबाल तन्हा, नताशा नरवाल, अब्दुल खालिद सैफी, इशरत जहां, मीरान हैदर, शादाब अहमद, तलसीम अहमद, सलीम मलिक, सलीम खान और अतहर खान को नामजद किया गया है।
आरोपपत्र में ताहिर हुसैन को मुख्य आरोपी बनाया गया है।
हालांकि, आरोपपत्र में उमर खालिद, शरजील इमाम, मोहम्मद परवेज अहमद, मोहम्मद इलियास, दानिश और फैजल खान का नाम नहीं है। उनके नाम पूरक आरोपपत्र में जोड़े जाएंगे।
ठाणे (महाराष्ट्र), 22 सितंबर (आईएएनएस)| महाराष्ट्र के भिवंडी शहर में हुई इमारत दुर्घटना में मरने वालों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है। अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि रात में इमारत के मलबे से 7 और शव बरामद हुए हैं। भिवंडी-निजामपुर नगर निगम (बीएनएमसी) के एक अधिकारी ने बताया कि मृतकों में 2 छोटे बच्चे, 7 नाबालिग, 7 पुरुष और 4 महिलाएं शामिल हैं।
वहीं पटेल कंपाउंड की इस 4 दशक पुरानी जिलानी इमारत के मलबे से अब तक 25 लोगों को बचाया जा चुका है। यह इमारत सोमवार सुबह करीब 3.45 बजे ढह गई थी।
चूंकि उस समय सारे लोग सो रहे थे, लिहाजा बड़ी संख्या में लोगों को मलबे से निकाला गया है। इसके लिए स्थानीय बचाव दल और एनडीआरएफ के साथ-साथ डॉग स्क्वायड ने 4 दर्जनों से अधिक लोगों को खोजा, जिसमें कम से कम 10 लोग अस्पतालों में भर्ती हैं।
मामले में बीएनएमसी ने सोमवार की देर रात दो अधिकारियों सुधम जाधव और दूधनाथ यादव को निलंबित कर दिया है, वहीं नारपोली पुलिस ने बिल्डर सैयद अहमद जिलानी समेत अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
ठाणे के अभिभावक मंत्री और शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं और मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये देने की घोषणा की है। वहीं घायलों को मुफ्त चिकित्सा देने की घोषणा की है।
साथ ही अल्पसंख्यक बहुल वाली इस टाउनशिप में 102 और इमारतों को 'खतरनाक' घोषित करके एहतियात के तौर पर खाली कराया गया है।
मुंबई महानगर क्षेत्र में एक महीने से भी कम समय में यह दूसरी बड़ी दुर्घटना है। इससे पहले 24 अगस्त को रायगढ़ के महाड शहर में बिल्डिंग ढहने से 16 लोगों की जान चली गई थी।
मुंबई, 22 सितम्बर (आईएएनएस)| अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में ड्रग एंगल की छानबीन कर रहे एनसीबी ने जांच के दायरे को आगे बढ़ाते हुए अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की मैनेजर करिश्मा प्रकाश और क्वान टैलेंट मैनेजमेंट एजेंसी के सीईओ ध्रुव चिटगोपेकर को पूछताछ के लिए तलब किया है। इस मामले से जुड़े नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया, "हमने प्रकाश, जो क्वान में मैनेजर के तौर पर काम करती हैं और इसके सीईओ ध्रुव को तलब किया है।"
अधिकारी ने बताया कि इन्हें इसलिए तलब किया गया है क्योंकि व्हाट्सअप के कुछ चैट में खुलासा हुआ है कि ये भी कथित तौर पर ड्रग मामले से जुड़े हुए हैं।
प्रकाश और ध्रुव के अलावा एनसीबी ने सुशांत की पूर्व मैनेजर श्रुति मोदी और टैलेंट मैनेजर जया साहा को भी और अधिक पूछताछ के लिए अपने सामने उपस्थित होने को कहा है।
सोमवार को एनसीबी के अधिकारियों द्वारा इन दोनों से पांच घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की गई।
एनसीबी इस मामले में अभी तक सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती, उनके भाई शोविक, सुशांत के हाउस मैनेजर सैमुअल मिरांडा, निजी स्टाफ दीपेश सावंत सहित 15 से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।
एनडीए सरकार के मुखर आलोचक माने जाने वाले आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने सरकार की नीतियों पर हमला करते हुए कहा है कि सरकारी बैंकों के कामकाज और नियुक्तियों में सुधार के लिए सरकार अभी तक सिर्फ प्रयास ही कर रही है। उन्होंने एक पेपर में बैंकों की व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए 2015 में हुए "ज्ञान संगम की नाकामी" पर भी प्रकाश डाला है। इस पेपर को राजन ने आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के साथ लिखा है, जिन्होंने मोदी सरकार की आरबीआई में बढ़ती दखलंदाज़ी से चिढ़कर इस्तीफा दे दिया था।
वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवा विभाग को खत्म करने और सरकारी हिस्सेदारी को 50 प्रतिशत से कम करने सहित बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों पर कई सुझाव देते हुए, राजन ने पेपर में कहा है कि इनमें से कई मुद्दों पर पूर्व पर चर्चा तो हुई लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि यह वे मुद्दे हैं जो सरकारी बैंकों और उनको चलाने के तौर-तरीकों की बात करते हैं। राजन ने कहा, "आखिर बैंकों के सामने ऐसा कौन सा कारण है जिससे लगता हो कि इन सुझावों को अब लागू कर दिया जाएगा। " राजन और आचार्य ने पेपर में कहा, " सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सुधारने के लिए एक लाभकारी चेतावनी यह होना चाहिए कि एनडीए सरकार इस दिशा में अभी तक कोई कदम नहीं उठा पाई है।"
पेपर मे कहा गया है कि पी जे नायक कमेटी की 2014 की रिपोर्ट के बाद सरकार कई लोगों को ज्ञान संगम में लेकर आई थी। रिपोर्ट में बैंक बोर्ड ब्यूरो बनाने की सिफारिश थी जो बैंकों में नियुक्तियों और बोर्ड के गठन को तय करे ताकि सभी बैंकों की अपनी अलग-अलग व्यवसायिक नीति हो। ज्ञान संगम में एक शिकायत आम थी कि सभी सरकारी बैंकों की सारी शाखाएं एक जैसी ही लगती हैं, वह किसी भी बैंक की हों और देश के किसी भी हिस्से में हों। बैंक बोर्ड ब्यूरो के विचार के प्रधानमंत्री ने भी समर्थन दिया था। ज्ञान संगम की अध्यक्षता प्रधानमंत्री ने ही की थी। उस समय रघुराम राजन आरबीआई गवर्नर होते थे।
राजन ने पेपर में कहा है, "पांच साल बाद, ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ भी नहीं बदला है। सरकार अभी भी बैंकों के सीईओ की नियुक्ति करती है, जबकि पहले सरकारी नौकरशाहों और नियामकों (कुछ शिक्षाविदों और सेवानिवृत्त बैंकरों की एक बाहरी राय) को सुनिश्चित करने के लिए एक नामांकन समिति की नियुक्ति के पहले अभ्यास के बजाय) और उसी समिति को बैंक बोर्ड ब्यूरो में रख दिया गया है।
उन्होंने कहा, "बैंकों के सीईओ चुनने और उन्हें बैंकों में नियुक्त करने का अंतिम निर्णय अभी भी सरकार के पास है। वित्तीय सेवा विभाग अभी भी बैंक बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति करता है और विलय जैसी महत्वपूर्ण रणनीति तय करता है।"
राजन और आचार्य ने सवाल उठाया है कि, "ज्ञान संगम की नाकामी बताती है कि किसी भी परिवर्तन को स्थिर राजनीतिक समर्थन जरूरी है जिसे नौकरशाही को मानना ही होगा, खासतौर से वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवा विभाग, जिसे बदलने के लिए बहुत कम प्रोत्साहन मिलता है। फिर भी केवल नौकरशाही को दोष देना अनुचित है - सत्ता में मौजूद सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर अपनी पकड़ ढीली नहीं करना चाहती, आखिर क्यों?
पेपर में तर्क दिया गया है कि, “सरकार बैंकों को कर्ज देने के निर्देश देकर जबरदस्त शक्ति हासिल कर लेती है। कई बार इसी शक्ति का इस्तेमाल वित्तीय समावेशन या बुनियादी ढाँचे के वित्त जैसे सार्वजनिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है। कभी इसका उपयोग, उद्योगपतियों पर नियंत्रण करने या उन्हें संरक्षण देने के लिए किया जाता है।"
पेपर कहता है कि, “सरकार के पास संवेदनशील सूचनाओं का अथाह भंडार है। मसलन सरकार को पता है कि इलेक्टोरल बॉन्ड किसने खरीदे हैं, क्योंकि जाहिर तौर पर यह जानकारी सिर्फ एसबीआई के पास है।” पेपर के मुताबिक “सरकार अपनी पार्टी के मनपसंद सदस्यों को बैंक बोर्डों में नियुक्त करती है, और एक बार वे वहां पहुंच गए तो इनमें से कुछ अपने प्रभाव का इस्तेमाल अपनी पसंद के लोगों को कर्ज दिलाने में करते हैं।“
पेपर में राजन और आचार्य ने कहा है कि, “सभी दलों के सांसद भी सरकारी बैंकों की मेहमाननवाजी से वंचित नहीं हैं। कई बार बैंकों को इनकी फैक्ट फाइंडिंग टीम के लिए शानदार जगहों पर रहने-ठहरने आदि की व्यवस्था करनी होती है। वहीं वित्त मंत्रालय के अफसर भी अपनी शक्तियां कम नहीं करना चाहते क्योंकि एक युवा ज्वाइंट सेक्रेटरी तक किसी भी सरकार बैंक के चेयरमैन को आदेश दे सकता है।”
राजन और विरल आचार्य ने कहा है कि परविर्तन बहुत जरूरी है, और हो सकता है कि महामारी ऐसा करने के लिए सरकार को मजबूर कर दे।
पेपर में कहा गया है कि, “बैंकों की खर्च प्रणाली बड़े-बड़े कर्ज के नुकसान के रूप में सामने आती है, जो जल्द ही इतना बढ़ जाएगा कि सरकार को इसे चुकाना असंभव हो जाएगा। सरकारी घाटा और कर्ज का स्तर वहां पहुंच गया है जहां सरकार के पास बैंकों को फिर से वित्तपोषण करने की गुंजाइश नही नहीं रह जाएगी।”
राजन और विरल आचार्य कहते हैं कि, “बोझ में दबे और कम पूंजी वाला बैंकिंग सिस्टम कभी भी कर्ज देने की स्थिति में नहीं हो पाएगा, जिसका गहरा बोझ आर्थिक वृद्धि पर पड़ेगा। बीते 6 साल में ऐसा ही हो रहा है। इससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि अगर सुधार नहीं होते हैं तो बैंकों का नुकसान बढ़ता ही चला जाएगा।”(navjivan)
नयी दिल्ली, 21 सितम्बर (वार्ता) केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम के साथ 1400 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी मामले में सोमवार को दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान के आठ ठिकानों पर छापे मारे।
जांच एजेंसी के सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने 1400 करोड़ रुपये की वित्तीय हेराफेरी के आरोप में दिल्ली की एक कंपनी एवं उसके निदेशकों एवं अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।
सीबीआई ने इस मामले में दिल्ली के राजौरी गार्डन स्थित क्वालिटी लिमिटेड नामक एक कंपनी, संजय ढींगरा, सिद्धांत गुप्ता, अरुण श्रीवास्तव एवं अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप लगाया है।
आरोपों के अनुसार, बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम को करीब 1400 करोड़ 62 लाख रुपये का चूना लगाया गया है। इस कंसोर्टियम में केनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ोदा, आंध्रा बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, आईडीबीआई, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, धनलक्ष्मी बैंक और सिंडिकेट बैंक शामिल हैं।
इस सिलसिले में सीबीआई ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और बुलंदशहर, हरियाणा के पलवल तथा राजस्थान के अजमेर के कुल आठ ठिकानों पर छापे मारे।
कोरोना महामारी के कारण 188 दिनों तक बंद रहने के बाद प्रेम का प्रतीक, 17वीं सदी का स्मारक ताजमहल सोमवार को आगंतुकों के लिए फिर से खोल दिया गया। हालांकि, इस बीच आगरा में कोविड-19 के 144 नए मामले सामने आए हैं, जिसने जिला प्रशासन के लिए परेशानी बढ़ा दी है। हालांकि, इसके बावजूद ताजमहल को खोलने का फैसला किया गया है।
हालांकि, कोरोना के खतरे को देखते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारियों ने सीआईएसएफ सुरक्षाकर्मियों के साथ स्मारक के परिसर की सामाजिक दूरी, मास्क पहनने और स्वच्छता से संबंधित दिशानिर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराने का पुख्ता इंतजाम किया है। आगरा के जिलाधिकारी पी. एन. सिंह ने कहा कि सभी सावधानियां बरती गई हैं और कड़ी निगरानी रखी जाएगी। ऑनलाइन टिकट बिक्री ने आगंतुकों की उचित स्क्रीनिंग सुनिश्चित की है।
ऐतिहासिक स्मारक के खुलने से स्थानीय पर्यटन उद्योग के लोग उत्साहित हैं और आने वाले महीनों में इस क्षेत्र के पुनरुद्धार की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि, अभी तक एडवांस में होटल बुकिंग को लेकर प्रतिक्रिया इतनी उत्साहजनक नहीं है, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा और अगर सारी चीजें बिना किसी परेशानी के चलती रहेंगी, तो आगरा में दर्शकों की संख्या बढ़ सकती है। होटल व्यवसायियों को उम्मीद है कि आगरा को प्रमुख शहरों से जोड़ने वाली कुछ नई उड़ानें पर्यटकों को यहां आने के लिए प्रेरित करेंगी।
इस बीच पिछले 24 घंटों में आगरा में कोरोना वायरस के 144 नए मामलों का पता चला, जिसके साथ संक्रमण की कुल संख्या 4,850 पहुंच गई। अब तक 3,852 लोग इससे उबर चुके हैं। वहीं जिले में कोरोना से मरने वालों की संख्या 118 है, जबकि सक्रिय रोगियों की संख्या 880 है। अधिकारियों ने कोविड रोगियों को एडमिट करने के लिए निजी क्षेत्र में नौ एनएबीएच (नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स) अप्रूव्ड अस्पतालों को अनुमति दी है, क्योंकि विशेषज्ञों को डर है कि आने वाले दिनों में 1000 बेड की आवश्यकता हो सकती है।
वहीं भारतीय रेलवे के विशेष रूप से डिजाइन किए गए कोविड कोच बिना उपयोग के यार्ड में पड़े हुए हैं। रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि 26 आइसोलेशन कोच तैयार हैं और अगर प्रशासन चाहे तो इनका इस्तेमाल किया जा सकता है। इस बीच पिछले कुछ दिनों में मांग बढ़ने के बाद जिले में ऑक्सीजन की आपूर्ति काफी हद तक बहाल कर दी गई है। जिला स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि मरीजों को सलाह दी गई है कि वे एक ऐप के माध्यम से अपना टेस्ट रिपोर्ट ऑनलाइन एकत्र करें।
वहीं, आगरा में विशेषज्ञों ने कहा कि, कुछ दिनों में आईसीएमआर द्वारा देशभर में किए गए सीरो सर्वे के निष्कर्षों के बाद पूरी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। एस एन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने कहा, "सामाजिक संपर्क के अधिक अवसर और सख्ती में दिए गए ढील के साथ लोगों को दिशानिर्देशों का पालन करने में बहुत सावधानी बरतनी थी।" इस बीच एक अधिकारी ने संकेत दिया कि शहर में मंदिर और स्कूल 1 अक्टूबर से पहले नहीं खुलेंगे।(navjivan)
मध्य प्रदेश में भयावह रूप ले चुके कोरोना संकट में स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल इंदौर के एक कोविड स्पेशल अस्पताल में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना से उजागर हो गया है। यहां के एक कोविड स्पेशल अस्पताल में एक 87 वर्षीय कोरोना मरीज के शव को चूहों द्वारा कुतरने का गंभीर मामला सामने आया है। इतना ही नहीं, परिजनों द्वारा एक लाख रुपए का बिल भरवाने के बाद ही शव सौंपने का आरोप भी अस्पताल पर लगाया गया है। उसके बाद जब शव मिला तो उसकी हालत देख परिजनों के होश उड़ गए।
इसके बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा कर दिया। घटना से आक्रोशित परिजनों ने शव को अस्पताल के बाहर रखकर हंगामा शुरू कर दिया। सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने स्थिति को संभाला। मामला बढ़ने पर इंदौर जिला प्रशासन ने मामले में मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए हैं। वहीं इंदौर के कोरोना के नोडल अफसर ने मामले पर कहा कि जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई होगी।
मिली जानकारी के अनुसार इंदौर के इतवारिया बाजार इलाके के रहने वाले 87 वर्षीय नवीन चंद जैन को बीते 17 सितंबर को सांस लेने में तकलीफ के बाद शहर के कोविड स्पेशलिस्ट यूनीक अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। परिजनों के अनुसार रविवार रात करीब 3 बजे परिजनों को उनकी मौत की सूचना दी गई।
परिजनों का दावा है कि अस्पताल ने शुरू में कहा कि शव का अंतिम संस्कार नगर निगम की तरफ से किया जाएगा। इसके बाद दिन में परिजनों ने जैसे ही शव को देखा, उनके होश उड़ गए। शव के चेहरे और पैरों पर गंभीर घाव थे। दरअसल शव को चूहों द्वारा कई जगह से कुतर दिया गया था। जब परिजनों ने अस्पताल से इसकी शिकायत की तो उन्होंने गलती मानकर अपना पल्ला छुड़ा लिया। इसके बाद भी परिजनों से अस्पताल ने एक लाख रुपए जमा कराए गए, तब जाकर उन्हें शव सौंपा।(navjivan)
श्रीनगर, 22 सितम्बर (आईएएनएस)| कश्मीर के बडगाम जिले के चरार-ए-शरीफ में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच जारी मुठभेड़ में एक आतंकवादी मारा गया है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना के बाद सुरक्षाबलों द्वारा इलाके की घेराबंदी करने और तलाशी अभियान शुरू करने के बाद सोमवार को मुठभेड़ शुरू हो गई।
जैसे ही सुरक्षाबल आतंकवादियों के ठिकाने के करीब पहुंचे, आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी करनी शुरू कर दी जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हो गई।
पुलिस ने कहा, "एक अज्ञात आतंकवादी बडगाम मुठभेड़ में मारा गया। ऑपरेशन जारी है।"
नई दिल्ली : राज्यसभा से निलंबित आठों सांसद रातभर गांधी प्रतिमा के सामने धरने पर बैठे रहे। उन्हें सभापति वेंकैया नायडू ने रविवार को सदन में हंगामा करने और उपसभापति से बदसलूकी के लिए सस्पेंड किया था। सोमवार दोपहर से धरना दे रहे सांसदों से मिलने मंगलवार सुबह खुद डिप्टी चेयरमैन हरिवंश पहुंच गए। वह अपने साथ एक झोला लाए थे जिसमें सांसदों के लिए चाय थी। हरिवंश ने अपने हाथों से चाय निकाली। हालांकि विपक्षी सांसदों ने चाय पीने से इनकार कर दिया।उन्होंने उन सांसदों से बेहद गर्मजोशी से बात की, जिनमें से कुछ का व्यवहार रविवार को उनके प्रति ठीक नहीं था।
सांसदों के तल्ख तेवर बरकरार
धरने पर बैठे सांसदों ने उपसभापति हरिवंश की चाय पीने से इनकार कर दिया। धरने पर बैठे आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने एक चैनल से बातचीत में कहा, "जब देश के हजारों किसान भूखे-प्यासे सड़कों पर इस काले कानून के खिलाफ हैं तो हम यहां किसी से व्यक्तिगत रिश्ता कैसे निभा सकते हैं। जब वे (हरिवंश) हमारे घर पर आएंगे तो हम व्यक्तिगत रिश्ते निभाएंगे लेकिन यहां हम किसानों के लिए बैठे हैं। इसलिए ये व्यक्तिगत रिश्ते निभाने का वक्त नहीं है। हम चाहते हैं कि ये काला कानून वापस लिया जाए।" कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा ने कहा, "सरकार से कोई हमारे बारे में पूछने नहीं आया। विपक्ष के कई नेता आए और हमारा साथ दिया। हम यह धरना जारी रखेंगे।"
उपसभापति को धमकी दी गई: वेंकैया नायडू
सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सोमवार को कहा कि यह (रविवार) राज्यसभा के लिए सबसे खराब दिन था। उपसभापति हरिवंश को धमकी दी गई। उन्होंने कहा, "इससे मुझे बहुत दुख पहुंचा है, क्योंकि सदन में कल जो हुआ, वह दुर्भाग्यपूर्ण, अस्वीकार्य और निंदनीय है।" नायडू ने कहा, "कुछ संसद सदस्य वेल तक जा पहुंचे और पेपर फेंका, माइक तोड़ दिया, रूलबुक को फेंक दिया। यहां तक कि उपसभापति को भी धमकी दी गई। क्या यही संसद का स्टैंडर्ड है?" उन्होंने आगे कहा, "उपसभापति को शारीरिक रूप से धमकी दी गई और कहा गया कि अगर समय से मार्शल न आते तो उनके साथ बहुत बुरा होता। इन सब चीजों को जानकर मैं चिंतित हूं।"
बार-बार स्थगित हुई सदन की कार्यवाही
सोमवार सुबह को कार्यवाही शुरू होते ही राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने आठ सांसदों को निलंबित कर दिया। ये सासंद तृणमूल, कांग्रेस, माकपा और आम आदमी पार्टी के हैं। इन पर रविवार को संसद में हंगामा करने और राज्यसभा की कार्यवाही को बाधित करने का आरोप है। राज्यसभा में ध्वनि मत से प्रस्ताव मंजूर किए जाने के बाद सदस्यों ने नारेबाजी की। विपक्ष के हंगामा करने की वजह से राज्यसभा की कार्यवाही सोमवार को ठीक से नहीं चली। बार-बार स्थगन के बाद आखिरकार सभापति ने सदन की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी।
रूलबुक फाड़ी, टेबल पर चढ़ गए थे सांसद
रविवार को राज्यसभा में कृषि विधेयकों को लेकर विपक्षी सांसदों ने जबरदस्त हंगामा किया। जहां तृणमूल सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने नियम पुस्तिका फाड़ डाली, वहीं कांग्रस के राजीव सातव और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह सदन में विरोध करने के लिए टेबल पर ही चढ़ गए थे। सदन ने तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ'ब्रायन और डोला सेन, कांग्रेस के राजीव सातव, रिपुन बोरा, नासिर हुसैन, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और के.के. रागेश और माकपा के ई. करीम को निलंबित कर दिया।(navbharattimes)
नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)| कृषि अध्यादेश विधेयकों के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी (आप) किसानों के साथ दिल्ली सहित देश के अन्य हिस्सों में प्रदर्शन करेगी। इसके साथ ही पार्टी ने पंजाब में 25 सितंबर को किसानों द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन को समर्थन देने और इसमें शामिल होने का ऐलान किया है। आप के पंजाब प्रभारी व दिल्ली के विधायक जनरैल सिंह ने कहा कि किसानों द्वारा इस बिल का विरोध किया जा रहा है। जितने भी विरोध देशभर में हो रहे हैं, आम आदमी पार्टी किसानों के उन विरोध प्रदर्शनों का समर्थन करती है। खास तौर पर पंजाब में 25 सितंबर को होने वाले विरोध में आप के सभी नेता और कार्यकर्ता किसानों के साथ प्रदर्शन में शामिल होंगे। किसान किसी भी सूरत में इस बिल को लागू नहीं होने देना चाहते।
इससे पहले, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी विधेयक का विरोध किया। उन्होंने सभी गैर-भाजपा दलों से राज्यसभा के अंदर इस बिल के विरोध में मतदान करने की अपील की थी। हालांकि रविवार को राज्यसभा में यह बिल ध्वनि मत से पारित हो गया।
केजरीवाल ने रविवार को कहा, "केंद्र के तीनों विधेयक किसानों को बड़ी कंपनियों के हाथों शोषण के लिए छोड़ देंगे। आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि यह बिल खेती को प्राइवेट सेक्टर के हाथों में देने के लिए लाया गया है, जिससे गेहूं और धान का एमएसपी खत्म हो जाएगा।"
नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)| भारत में साइबर हमले की घटनाओं में लगातार इजाफा हुआ है। वर्ष 2020 के आठ महीने के भीतर करीब सात लाख बार साइबर अटैक की घटनाएं हुई हैं। लोकसभा में सोमवार को पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने यह जानकारी दीै। बतया गया कि 2015 में जहां 49455 बार साइबर अटैक के मामले हुए थे, वहीं अगस्त 2020 तक कई गुना ज्यादा 696938 यानी करीब सात लाख घटनाएं हुईं।
दरअसल, बहुजन समाज पार्टी के सांसद रितेश पांडेय ने सोमवार को लोकसभा में एक अतारांकित सवाल करते हुए पूछा था कि पिछले पांच वर्षों के दौरान प्रतिवर्ष कितने भारतीय नागरिकों और भारत में कंपनियों को साइबर अटैक का सामना करना पड़ा है? क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि भारत की पहचान सर्वाधिक साइबर हमलों में से शीर्ष पांच देशों में की गई है। भारत में साइबर हमले में वृद्धि के क्या कारण हैं?
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्यौगिकी राज्यमंत्री संजय धोत्रे ने इस सवाल का लिखित जवाब देते हुए पिछले पांच वर्ष में साइबर अटैक से जुड़े मामलों की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि भारतीय कंप्यूटर आपात प्रतिक्रिया दल (सर्ट इन) की रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में 49455, 2016 में 50362, 2017 में 53117, 2018 में 208456, 2019 में 394499 और अगस्त 2020 तक 696938 साइबर सुरक्षा से जुड़ीं घटनाएं हुईं। उन्होंने मार्च, 2020 में एक वेंडर के मीडिया आर्टिकल के दावे को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि भारत उन पांच शीर्ष देशों में से एक है, जहां सर्वाधिक मात्रा में साइबर हमले होते हैं। मंत्री ने कहा कि ऐसी वेंडर रिपोर्ट वैध नहीं है।
मंत्री ने बताया कि इंटरनेट और मोबाइल फोन के बढ़ते इस्तेमाल से देश में और वैश्विक स्तर पर साइबर सुरक्षा की घटनाओं की संख्या मे वृद्धि हुई है। सरकार ने साइबर सुरक्षा की स्थिति में सुधार करने और साइबर हमलों को रोकने के लिए कई उपाय किए हैं। मसलन, कंप्यूटर और नेटवर्क की सुरक्षा के लिए समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी होते हैं।
सरकार ने साइबर हमलों और साइबर आतंकवाद का सामना करने के लिए सभी मंत्रालयों, विभागों और संगठनों के लिए साइबर आपदा प्रबंधन योजना बनाई है और साइबर स्वच्छता केंद्र शुरू किया है।
नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)| कोरोनाकाल में विदेशों में फंसे भारतीयों की मदद करने में जहां 22.5 करोड़ रुपये खर्च हुए, वहीं वायरस के कारण 373 नागरिकों की मौत भी हुई। यह जानकारी केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में दी।
विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने बताया कि 10 सितंबर, 2020 के आंकड़ों के मुताबिक, विदेश में कोरोना वायरस से संक्रमित भारतीयों की संख्या 11,616 है। इनमें से कोरोना के कारण 373 भारतीयों की जान गई।
विदेश राज्यमंत्री ने बताया कि कोरोनाकाल में विदेशों में रहने वाले भारतीयों की दूतावासों ने भारतीय सामुदायिक संगठनों के माध्यम से मदद की। भोजन, आवास से लेकर आपातकालीन इलाज व्यवस्था भी उपलब्ध कराई गई। विदेशों में फंसे भारतीयों की सहायता के लिए भारतीय सामुदायिक कल्याण कोष से 22.5 करोड़ रुपये खर्च हुए।
उन्होंने कुल 73 देशों में कोरोना संक्रमित भारतीयों का आंकड़ा बताते हुए कहा कि सऊदी अरब में सर्वाधिक 284 और बहरीन में 30 भारतीयों की मौत हुई। सिंगापुर में 10 सितंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक, 4618 भारतीय संक्रमित हैं।
मंत्री मुरलीधरन ने यह जवाब, केरल के आटिंगल लोकसभा सीट से कांग्रेस सांसद अदूर प्रकाश के सवाल पर दिया। सांसद अदूर ने पूछा था कि क्या सरकार के पास विदेशों में कोविड-19 से संक्रमित भारतीयों का आंकड़ा है? भारतीय मिशनों की ओर से किस प्रकार से सहायता पहुंचाई गई? जिस पर विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने कुल 73 देशों में कोरोना संक्रमित भारतीयों का आंकड़ा उपलब्ध कराया।