राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)| भारतीय रेलवे ने सोमवार को कहा कि उसने घरेलू निर्माताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए सेमी-हाई स्पीड ट्रेन सेट बनाने के लिए नए सिरे से निविदाएं आमंत्रित की हैं। यह कदम 44 वंदे भारत ट्रेन सेटों के निर्माण के टेंडर को रद्द करने के लगभग एक महीने बाद सामने आया है। सरकार घरेलू निर्माताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया परियोजना को बढ़ावा देना चाहती है।
रेलवे मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि उसने सेमी हाई स्पीड 44 वंदे भारत ट्रेनों के संशोधित टेंडर मंगवाए हैं, जिसके लिए 29 सितंबर को निविदा पूर्व बैठक (प्री बिड मीटिंग) होगी। मंत्रालय ने कहा कि टेंडर 17 नवंबर, 2020 को खुलेगा।
रेल मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, ट्रेन सेट आईसीएफ/चेन्नई, आरसीएफ/कपूरथला और एमसीएफ/रायबरेली में निर्मित किए जाएंगे। यह स्थानीय (स्वदेशी) निविदा और दो चरणों में होगी।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि निविदा को तीन चरणों में विभाजित किया गया है। मंत्रालय ने कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत के संशोधित डीपीआईआईटी मानदंडों के तहत पहला बड़ा टेंडर है। इसमें स्थानीय सामग्री का अनुपात न्यूनतम 75 फीसदी होगा।
इससे पहले रेलवे ने 22 अगस्त को 44 सेमी हाईस्पीड वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण की निविदा रद्द कर दी थी, जो पिछले साल आमंत्रित की गई थी।
नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिट इंडिया मूवमेंट की पहली वर्षगांठ पर गुरुवार को ऑनलाइन फिट इंडिया डायलोग में देशभर के फिटनेस के जुनूनी लोगों से चर्चा करेंगे। इस ऑनलाइन बातचीत में प्रतिभागी अपनी फिटनेस के सफर के बारे में बताएंगे और प्राधनमंत्री से फिटनेस और अच्छे स्वास्थ को लेकर उनके विचार जानेंगे।
पीआईबी द्वारा जारी बयान के मुताबिक, इस ऑनलाइन बातचीत में जो लोग हिस्सा लेंगे, उनमें भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली से लेकर मिलिंद सोमन, रुजुता दिवाकर शामिल होंगे।
बयान में कहा गया है, "कोविड-19 महामारी के दौरान, फिटनेस जीवन का और ज्यादा अहम हिस्सा बन गई है। इस बातचीत में पोषण, स्वास्थ और फिटनेस के तमाम पहलुओं पर चर्चा होगी।"
नवनीत मिश्र
नई दिल्ली, 21 सितंबर (आईएएनएस)| आर्थिक क्षेत्र में काम करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने किसान बिलों के हो रहे भारी विरोध के बीच अहम प्रतिक्रिया दी है। स्वदेशी जागरण मंच ने कहा है कि नए कानूनों को लेकर सरकार की मंशा भले ही नेक हो, लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं, जिससे विपक्ष को भ्रम फैलाने का मौका मिल रहा है। सरकार को बिलों को लेकर उठती आवाजों और किसानों की प्रतिक्रियाओं का समाधान करना होगा।
स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक अश्विनी महाजन ने आईएएनएस से कहा, बेहतर होता कि सरकार इन्हीं तीन बिलों में एमएसपी की गारंटी का जिक्र करती। अगर तीन बिलों में यह व्यवस्था नहीं हो सकी तो फिर सरकार को चौथा बिल लाकर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) की गारंटी देना चाहिए। सरकार को कानून बनाकर एमएसपी से कम रेट पर खरीद को गैर कानूनी घोषित कर देना चाहिए। क्योंकि जब तक किसान को उचित मूल्य सुनिश्चित नहीं होगा, तब तक हर व्यवस्था बेमानी है।
स्वदेशी जागरण मंच का मानना है कि किसानों की बार्गेनिंग पॉवर यानी मोल-भाव करने की क्षमता बहुत कम होती है। उनकी इसी मजबूरी का फायदा बाजार उठाता है। माना कि सरकार के दावे के मुताबिक नए कानूनों से न एमएसपी खत्म होगी और न ही मंडियों की सेहत पर कोई फर्क पड़ेगा, लेकिन सवाल उठता है कि नए कानूनों से जिन प्राइवेट प्लेयर्स के लिए रास्ता खुलेगा, इसकी क्या गारंटी है कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत ही खरीद करेंगे।
अश्विनी महाजन ने कहा कि सरकार तो न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की जिम्मेदारी निभाएगी, लेकिन ऐसा कानून होना चाहिए कि प्राइवेट खरीदारों को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद करने की बाध्यता हो। अगर कोई एमएसपी से कम रेट पर खरीदे तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो। एमएसपी से कम रेट पर खरीद को गैर कानूनी घोषित किया जाए।
आरएसएस की संस्था स्वदेशी जागरण मंच ने सरकार को सुझाव देते हुए इस बिल के सभी पहलुओं पर बहस की मांग की है। सरकार से सभी हितधारकों की चिंताओं का उचित समाधान करने की दिशा में काम करने की भी अपील की है।
नई दिल्ली, 21 सितम्बर (आईएएनएस)| लोकसभा ने सोमवार को सर्वसम्मति से विदेशी अभिदाय विनियमन संशोधन विधेयक 2020 को मंजूरी दे दी है, जिसमें एनजीओ के पंजीकरण के लिए पदाधिकारियों का आधार नंबर जरूरी होने और लोक सेवक के विदेशों से धनराशि हासिल करने पर पाबंदी का प्रावधान किया गया है। इसमें प्रावधान है कि केंद्र सरकार किसी गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) या एसोसिएशन को अपना एफसीआरए प्रमाणपत्र वापस करने की मंजूरी दे सकेगी। मसौदा विधेयक में कहा गया है कि एफसीआरए के तहत आने वाले संगठनों को कुल विदेशी फंड का 20 फीसदी से ज्यादा प्रशासनिक खर्च में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। पहले इसका दायर 50 फीसदी तक होता था।
विधेयक को रविवार को सदन में पेश किया गया था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से विधेयक पारित करने के लिए बोलते हुए, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि अनुपालन तंत्र को मजबूत करके, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाकर पहले के अधिनियम के प्रावधानों को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है।
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने आश्वासन देते हुए कहा कि यह विधेयक किसी एनजीओ के खिलाफ नहीं है। यह संशोधन किसी धर्म पर हमला नहीं करता है। उन्होंने कहा कि यह संशोधन विधेयक आत्मनिर्भर भारत के लिए जरूरी है।
उन्होंने कहा, यह विधेयक किसी को दबाने के लिए नहीं, बल्कि उन लोगों को नियंत्रित करने के लिए है, जो देश के लोगों को दबाने की कोशिश करते हैं।
राय ने कहा कि कानून किसी भी संगठन के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता है। उन्होंने कहा कि यदि वे कानून का पालन करते हैं और अपने उद्देश्य से विचलित नहीं होते तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं होने वाली है। उन्होंने कहा, हम केवल नियम के तहत किसी भी संगठन के खिलाफ तभी कार्रवाई करते हैं, जब वे कानून का पालन नहीं करते हैं।
मंत्री ने कहा कि विदेशी अभिदाय विनियमन कानून (एफसीआरए) एक राष्ट्रीय और आंतरिक सुरक्षा कानून है और यह सुनिश्चित करने के लिए है कि विदेशी धन भारत के सार्वजनिक, राजनीतिक एवं सामाजिक विमर्श पर हावी नहीं हो।
मंत्री ने कहा कि विदेशी योगदान का वार्षिक प्रवाह वर्ष 2010 और 2019 के बीच लगभग दोगुना हो गया है, लेकिन विदेशी योगदान के कई प्राप्तकतार्ओं की ओर से उस उद्देश्य के लिए इनका उपयोग नहीं किया है, जिसके लिए उन्हें पंजीकृत किया गया था या उक्त अधिनियम के तहत उन्हें पूर्व अनुमति दी गई थी।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार को 2011 से 2019 के बीच गैर-सरकारी संगठनों सहित 19,000 से अधिक प्राप्तकर्ता संगठनों के पंजीकरण के प्रमाण पत्र को रद्द करना पड़ा है।
उन्होंने कहा कि ऐसे दर्जनों गैर-सरकारी संगठनों के खिलाफ भी आपराधिक जांच शुरू की गई है, जो विदेशी योगदान का गलत इस्तेमाल कर रहे थे।
विधेयक का विरोध करते हुए, कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सहित विभिन्न राजनीतिक दलों ने इसे वापस लेने की मांग की।
कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि विधेयक का उद्देश्य पीएम-केयर्स फंड को बचाना है। इसके साथ ही उन्होंने आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने की आवश्यकता पर भी सवाल उठाया।
कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने मांग की कि विधेयक को विचार के लिए स्थायी समिति के पास भेजा जाए। बहस की शुरूआत करते हुए कांग्रेस नेता एंटो एंटनी ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में 6,600 एनजीओ को रद्द कर दिया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अल्पसंख्यकों को लक्षित कर रही है।
भाजपा के सत्यपाल मलिक ने सदन को बताया कि 19,000 संगठन विशिष्ट उद्देश्य के लिए प्राप्त विदेशी धन का उपयोग नहीं कर रहे थे।
नई दिल्ली, 21 सितम्बर (आईएएनएस)| राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार शाम को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मुलाकात की और उनसे संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित विवादास्पद कृषि विधेयकों को स्वीकार नहीं करने का आग्रह किया। बैठक से बाहर आने के बाद शिअद नेता सुखबीर बादल ने मीडिया से कहा कि प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रपति से गुजारिश की कि 'किसानों के खिलाफ' जो विधेयक जबरदस्ती राज्यसभा में पास किए गए हैं, वह उन पर हस्ताक्षर नहीं करें। उन्होंने कहा, हमने उनसे उन विधेयकों को संसद में वापस भेजने का अनुरोध किया है।
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले बादल के अलावा, अकाली सांसद नरेश गुजराल और पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा भी बैठक में मौजूद थे। प्रतिनिधिमंडल ने कोविंद को एक ज्ञापन भी सौंपा।
शिअद सत्तारूढ़ भाजपा की लंबे समय से सहयोगी रही है। शिअद की लोकसभा सांसद और सुखबीर की पत्नी हरसिमरत कौर बादल ने 17 सितंबर को तीन विधेयकों के विरोध का हवाला देते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।
गौरतलब है कि सरकार जहां उक्?त दोनों विधेयकों को कृषि क्षेत्र में सबसे बड़ा सुधार बता रही है तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष इन्?हें किसान विरोधी बता रहा है।
मुंबई, 21 सितम्बर (आईएएनएस)| महाराष्ट्र सरकार ने कोविड-19 सार्वजनिक और निजी अस्पताल के वार्ड/आईसीयू में मरीजों के लिए चिकित्सा ऑक्सीजन की राशनिंग करने का फैसला किया है, जिसका चिकित्सा बिरादरी ने विरोध किया है।
राज्य में डॉक्टरों ने इस कदम को 'दुनिया में अभूतपूर्व', 'भयानक' करार देते हुए निंदा किया है, यह कुछ ऐसा है जो कोरोना मरीजों की मृत्यु दर को बढ़ा सकता है। उन्होंने कहा कि "यह बेहतर होगा कि सरकार सभी निजी अस्पतालों को अपने दम पर चलाए।"
प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) प्रदीप व्यास द्वारा जारी 18 सितंबर के एक सर्कुलर के अनुसार, कोविड ऑक्सीजन वार्ड या इंटेसिंव केयर यूनिट में मरीजों की संख्या की तुलना में ऑक्सीजन की बहुत अधिक खपत होने--राष्ट्रीय औसत से तीन बार से अधिक खपत होने के कारण यह फैसला लिया गया।
व्यास ने कहा कि मेडिकल ऑक्सीजन की वर्तमान खपत प्रतिदिन 600 टन से ऊपर है और विकास की तेज दर से, आशंका है कि यह कुछ दिनों के बाद राज्य में विनिर्माण क्षमता को पीछे छोड़ सकता है।
व्यास ने गंभीर रूप से कहा, "भारत सरकार ने महाराष्ट्र में जो मरीज ऑक्सीजन पर है, उनकी संख्या पर विचार करते हुए प्रतिदिन महाराष्ट्र में इस्तेमाल होने रही ऑक्सीजन की मात्रा पर गंभीर चिंता जताई है।"
एक तथ्य यह है कि लगभग 1,08,000 रोगियों का एक आंकड़ा - जिन्हें छुट्टी दे दी गई है - मैनुअल सारणीकरण में विसंगति के कारण सरकारी रिकॉर्ड पर अपडेट नहीं किया गया है।
इसका मतलब यह है कि महाराष्ट्र में कम संख्या में डिस्चार्ज और कम रिकवरी दर दिखाई गई है, लेकिन अगर इस आंकड़े का हिसाब लगाया जाए, तो यह राज्य में लगभग 15 प्रतिशत रोगियों के आक्सीजन उपचार प्राप्त करने की ओर इशारा करता है। उन्होंने कहा तिक राष्ट्रीय औसत 5-6 प्रतिसथ से बहुत अधिक है।
व्यास ने कहा, "तो, यह स्पष्ट है कि ऑक्सीजन का कोई विवेकपूर्ण इस्तेमाल नहीं है।" उन्होंने कहा कि पैसे बनाने के लिए निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों को ऑक्सीजन पर रखने का चलन सा बन गया है और ऐसी गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखने की जरूरत है।
सरकार ने अब आदेश दिया है कि वाडरें में ऑक्सीजन की खपत 7 लीटर प्रति मिनट और आईसीयू में 12 लीटर प्रति मिनट तक सीमित होनी चाहिए।
सभी अस्पतालों को लीक के कारण मेडिकल ऑक्सीजन के अपव्यय को रोकने के लिए खपत को लेकर इन प्रतिबंधों का पालन करने के लिए निर्देशित किया गया है।
महाराष्ट्र इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष अविनाश भोंडवे ने एक मरीज के जीवन की कीमत पर प्रशासन के इस आदेश को 'सबसे बड़ा और सबसे क्रूर हमला' करार दिया।
भोंडवे ने आईएएनएस को बताया, "यह चिकित्सकों की पेशेवर स्वायत्तता पर एक और सीधा प्रहार है, डॉक्टरों की चिकित्सकीय कुशलता पर एक अनुचित सवाल है। यह ऑक्सीजन की आपूर्ति की खराब बंदोबस्त को कवर करने का एक प्रयास है।"
उन्होंने कहा कि कुछ मरीज ऐसे हैं जिन्हें 20 लीटर / मिनट की आवश्यकता होगी और कुछ को 80 लीटर / मिनट तक भी चाहिए होगा, जिसे हाई फ्लो नेजल ऑक्सीजन (एचएफएनओ) के रूप में जाना जाता है और 7-12 लीटर की ऐसी सीमाएं रखना बिल्कुल बेतुका है और यह फैसला मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा गठित कोविड स्पेशल टास्क फोर्स की सलाह के बिना भी लिया गया है।
आईएमए के राज्य सचिव पंकज भंडारकर ने कहा, "पूरे चिकित्सा पेशे के लिए इससे अधिक हास्यास्पद, अपमानजनक कुछ नहीं हो सकता है जो घातक कोविड महामारी से लड़ रहा है और जिसने खुद को मानवता की सेवा में समर्पित किया है।"
एक पूर्व पदाधिकारी और आईएमए सदस्य पार्थिव सांघवी ने कहा कि सभी मेडिकोज इस आदेश के विरोध में हैं, क्योंकि इसका प्रभाव इस बात पर पड़ सकता है कि कोई मरीज बचता है या मर जाता है।
भोंडवे ने कहा कि केवल बड़े कोविद अस्पतालों की स्थापना करना पर्याप्त नहीं है क्योंकि यह चिकित्सा बुनियादी ढांचे और डॉक्टर हैं जो अंतत: रोगी को ठीक करने में मदद करते हैं, लेकिन "यदि रोगियों को कुछ भी होता है, तो डॉक्टर पीटे जाते हैं।"
आईएएनएस द्वारा बार-बार प्रयास करने के बावजूद, स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे और व्यास से संपर्क नहीं हो सका।
जम्मू, 21 सितम्बर (आईएएनएस)| पाकिस्तान ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर संघर्ष विराम का उल्लंघन करने के बाद राजौरी जिले में भी अकारण गोलीबारी की। पाकिस्तान ने पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा के पास शाहपुर, किरनी और कस्बा सेक्टरों में दोपहर 2.25 बजे और शाम पांच के आसपास संघर्ष विराम का उल्लंघन किया। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल देवेंद्र आनंद ने कहा कि पाकिस्तान ने राजौरी जिले के सुंदरबनी सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर भारतीय चौकियों को निशाना बनाने के लिए छोटे हथियारों और मोटारें का इस्तेमाल किया।
प्रवक्ता ने कहा, इन सभी स्थानों पर, भारतीय सेना उचित तरीके से जवाबी कार्रवाई कर रही है।
पाकिस्तान इस साल की शुरूआत से ही लगातार द्विपक्षीय युद्धविराम समझौते का उल्लंघन कर रहा है।
इस साल जनवरी से जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की ओर से किए गए 3,186 से अधिक संघर्ष विराम उल्लंघनों में 24 नागरिक मारे गए हैं और 100 से अधिक घायल हुए हैं।
लखनऊ, 21 सितंबर (आईएएनएस)| कोरोना संक्रमण से बचने के लिए बाजार में बिक रहे 'कोरोना कार्ड' को लेकर डॉक्टरों ने लोगों के लिए चेतावनी जारी की है। ऐसी अफवाह है कि कोरोना कार्ड गले के चारों ओर पहना जाए तो कोरोनावायरस संक्रमण से सुरक्षा होगी। राज्य की राजधानी की एक चिकित्सक डॉ. कमला श्रीवास्तव ने कहा, "मुझे झटका लगा कि सरकार ने इन कोरोना काडरें की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की जहमत नहीं उठाई है, जो 'शट आउट कोरोना', 'कोरोना आउट' और 'गो कोरोना' जैसे फैंसी नामों के साथ आते हैं। इन काडरें का किसी भी चिकित्सा प्राधिकरण द्वारा अनुमोदन नहीं किया गया हैं और हमें नहीं पता है कि इसके अंदर क्या है। उनमें से कुछ में कपूर की तरह गंध आती है।"
कार्ड को गले में पहना जाता है, जो वायरस के खिलाफ एक सुरक्षा कवच प्रदान करने का दावा करता है। इन्हें गले में आइडेंटीटी कार्ड की तरह पहना जाता है।
कानपुर के जी.एस.वी.एम. मेडिकल कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विकास मिश्रा ने कहा कि ऐसे काडरें के बारे में आईसीएमआर या डब्ल्यूएचओ द्वारा कोई दिशानिर्देश नहीं जारी किया गया है।
उन्होंने आगे कहा, "लोग खुशी-खुशी इन काडरें को पहनते हैं और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर घूमते हैं, जिससे उन्हें संक्रमण का खतरा होता है। कोई भी असत्यापित और अप्रमाणित उत्पाद किसी को वायरस से बचाएगा यह मानना पूरी तरह से मूर्खता है।"
मेडिकल स्टोर इससे अच्छी खासी राशि कमा रहे हैं और मालिकों का कहना है कि ये कार्ड केक की तरह बिक रहे हैं। इन काडरें की मूल्य 75 रुपये से लेकर 130 रुपये तक है, लेकिन लोग यह जाने बिना ही इसे खरीद रहे हैं कि वह वास्तव में फायदेमंद है भी या नहीं।
मेडिकल स्टोर के मालिक विक्रम सिंह ने कहा कि उन्हें खुद नहीं पता है कि कार्ड के अंदर क्या है क्योंकि यह पूरी तरह से पैक है और कपूर जैसी गंध आती है।
उन्होंने कहा, "पिछले दो महीनों से बिक्री में काफी वृद्धि हुई है। हम अब हर दिन 50 से 60 कार्ड बेच रहे हैं, उन पर कोई एक्सपायरी डेट भी नहीं है।"
नई दिल्ली, 21 सितंबर (आईएएनएस)| राष्ट्रीय राजधानी के शाहीनबाग में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ सड़क पर धरने पर बैठने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को टिप्पणी की कि लोगों के आने-जाने के अधिकार के साथ विरोध के अधिकार को संतुलित होना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि विरोध-प्रदर्शन अधिकार है, लेकिन यह किसी दूसरे के अधिकार पर अतिक्रमण करके नहीं किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर किसी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने का अधिकार है और विरोध प्रदर्शन करने के लिए सार्वजनिक सड़क को अवरुद्ध करके इस अधिकार को क्षति नहीं पहुंचाई जा सकती।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, कृष्ण मुरारी और अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने लगभग सात महीने के अंतराल के बाद दिल्ली के शाहीनबाग में सार्वजनिक रास्ते को अवरुद्ध करने वाले सीएए प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दलीलें सुनीं।
सुनवाई की शुरुआत में पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि क्या वे याचिका वापस लेने के लिए तैयार हैं। इस पर याचिकाकर्ताओं में से एक ने जवाब दिया कि वे इसके लिए तैयार नहीं हैं।
इस मामले में एक अन्य याचिकाकर्ता वकील अमित साहनी ने दलील दी कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को नहीं दोहराना चाहिए और बड़े जनहित को देखते हुए इस मामले में फैसला किया जाना चाहिए।
हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता महमूद प्राचा ने पीठ के समक्ष दलील दी कि शांतिपूर्वक विरोध करने का अधिकार निरपेक्ष है और यह लोगों का अधिकार है कि वे नागरिकता संशोधन अधिनियम और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का एक अवधारणा के रूप में विरोध कर सकें।
न्यायमूर्ति कौल ने कहा, "हम शांतिपूर्वक विरोध करने के आपके अधिकार पर बहस नहीं कर रहे हैं।"
साहनी ने पीठ से इस मामले को लंबित रखने का आग्रह किया और कहा कि इस पर एक विस्तृत आदेश पारित किया जा सकता है।
प्राचा ने कहा, "कुछ लोग विरोध स्थल पर गए और फिर दंगे हुए। मैं उनका नाम नहीं लेना चाहता।" उन्होंने कहा कि राज्य मशीनरी का दुरुपयोग करके प्रदर्शनकारियों को गलत नहीं ठहराया जाना चाहिए।
प्राचा ने शांति से विरोध करने के लिए सार्वभौमिक नीति की जरूरत का हवाला देते हुए दलील दी, "ऐसा नहीं है कि राज्य मशीनरी पूरी तरह से सही है। एक राजनीतिक दल से जुड़े व्यक्ति उनके पास क्यों गए और फिर दंगे हो गए।"
शीर्ष अदालत ने कहा, "विरोध करने का अधिकार संपूर्ण नहीं है, लेकिन फिर भी एक अधिकार है। एक सार्वभौमिक नीति नहीं हो सकती, क्योंकि हर बार स्थितियां और तथ्य अलग-अलग होते हैं। संसदीय लोकतंत्र में हमेशा बहस का एक अवसर होता है। एकमात्र मुद्दा यह है कि इसे कैसे संतुलित किया जाए।"
नई दिल्ली, 21 सितम्बर (आईएएनएस)| सुदर्शन न्यूज विवाद में केंद्र ने दोहराया है कि मौजूदा कोड की पृष्ठभूमि में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए दिशानिर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट को कवायद करने की कोई जरूरत नहीं है। केंद्र ने कहा कि इसके बजाय उसे डिजिटल मीडिया के संदर्भ में मुद्दों पर अभ्यास शुरू करना चाहिए। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक हलफनामे में कहा कि अगर शीर्ष अदालत इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के लिए दिशानिदेशरें को रखना आवश्यक समझती है, जिसकी आवश्यकता नहीं है, तो अदालत को डिजिटल मीडिया के साथ पहले अभ्यास शुरू करना चाहिए।
केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि डिजिटल मीडिया पूरी तरह से अनियंत्रित है।
हलफनामे में कहा गया है कि वेब-आधारित डिजिटल मीडिया पर पूरी तरह से कोई जांच-पड़ताल नहीं है और इससे न केवल हिंसा बल्कि जहरीली घृणा फैलती है। इसमें कहा गया है कि यह संस्थानों और व्यक्तियों की छवि को धूमिल करने में भी सक्षम है।
शीर्ष अदालत में सुदर्शन न्यूज विवाद के बाद इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को विनियमित करने की आवश्यकता से संबंधित एक सवाल पर सरकार की प्रतिक्रिया आई है। शीर्ष अदालत ने यूपीएससी जिहाद नामक सुदर्शन न्यूज चैनल के कार्यक्रम के पांच एपिसोड के प्रसारण पर रोक लगा दी थी।
हलफनामे में कहा गया है, अगर यह अदालत व्यापक मुद्दों से निपटने की इच्छा रखती है तो डिजिटल मीडिया के साथ शुरूआत करना बिल्कुल जरूरी होगा।
हलफनामे में आगे कहा गया है कि ब्रॉडकास्टर और प्रकाशक, जब उन्हें पता चला है कि वे निश्चित सामग्री के लिए रडार पर हैं, तो हो सकता है कि वे उसी चीज को प्रकाशित करने के लिए डिजिटल मीडिया का उपयोग करना शुरू कर दें, क्योंकि इसमें कोई नियम नहीं है।
एटा, 21 सितंबर (आईएएनएस)| एटा जिले के एक गांव में कुत्ते को लेकर हुई झड़प में एक बुजुर्ग को गोली मार दी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। पुलिस ने यह जानकारी सोमवार को दी। घायल राजेश मिश्रा को इलाज के लिए आगरा के एक अस्पताल ले जाया गया।
जानकारी के मुताबिक, राजेश अपने कुत्ते को टहलाने के लिए बाहर लेकर गया था, जहां उसके पड़ोसी दीपक मिश्रा ने कहा कि ये काला कुत्ता गंदा दिख रहा है।
इस मामले को लेकर दोनों के बीच काफी गरमा-गरमी हुई, जिस पर दीपक ने अपनी बदूंक से राकेश को गोली मार दी।
सहायक पुलिस अधीक्षक ओ.पी. सिंह ने कहा कि दोनों पक्षों के तरफ से गोलियां चलाईं, जिसके आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया है।
उन्होंने कहा, "फरार आरोपी को पकड़ने के लिए पुलिस की दो टीमें को लगाया गया है। राजेश के परिवार ने चार लोगों को नामजद किया है।
कोलकाता, 21 सितंबर (वार्ता) । तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कृषि संबंधी विधेयकों को पारित कराने के दौरान हंगामा करने वाले विपक्ष के आठ सांसदों को शेष सत्र के लिये निलंबित किये जाने को सरकार की तानाशाही मानसिकता का परिचायक बताते हुए सोमवार को इस लड़ाई को सड़क से संसद तक लड़ने का ऐलान किया।
राज्यसभा में रविवार को कृषि विधेयकों पर चर्चा के दौरान विपक्षी दलों के सांसदों ने जमकर हंगामा किया था। सभापति एम. वेंकैया नायडू इस की घटना से नाराज दिखे और कड़ी कार्रवाई करते हुए हंगामा करने वाले आठ सांसदों को शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया है।
सुश्री बनर्जी ने सांसदों के निलंबन को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा, “ किसानों के हितों की आवाज उठा रहे आठ सांसदों का निलंबन दुर्भाग्यपूर्ण है और यह सरकार की तानाशाही सोच को दर्शाता है जो लोकतांत्रिक मूल्यों और सिद्धांतों का सम्मान नहीं करती है। हम पीछे हटने वाले नहीं है और हम इस फासीवादी सरकार के खिलाफ संसद से सड़क तक लड़गें।”
इस बीच श्री नायडू ने आज सदन की कार्यवाही के शुरु होने पर कहा, “ कल का दिन राज्यसभा के लिए बहुत खराब दिन था। कुछ सदस्य सदन के बीचों-बीच तक आ गए औँर उपसभापति के साथ धक्कामुक्की की गई। कुछ सांसदों ने कागजों को फेंका । माइक को तोड़ दिया रूल बुक फेंका गया । घटना से बेहद दुखी हूं। उपसभापति को धमकी दी गई । यही नहीं उन पर आपत्तिजनक टिप्पणी की गयी।
निलंबित सांसदों में डेरेक ओ ब्रायन, संजय सिंह, रिपुन बोरा, सैयद नजीर हुसैन, केके रागेश, ए करीम, राजीव सातव और डोला सेन हैं।
नयी दिल्ली, 21 सितम्बर (वार्ता) । उच्चतम न्यायालय ने सुदर्शन न्यूज के ‘बिंदास बोल’ कार्यक्रम के विवादित एपिसोड देखने से सोमवार को इनकार कर दिया, साथ ही केंद्र सरकार से पूछा कि क्या कोई ऐसा कानून है जिसके तहत सरकार ऐसे कार्यक्रमों में हस्तक्षेप कर सकती है?
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या कानून के अनुसार सरकार इसमे हस्तक्षेप कर सकती है?
न्यायालय ने कहा, ‘आज कोई ऐसा कार्यक्रम है जो आपत्तिजनक नहीं है? कानून के अनुसार सरकार इसमें हस्तक्षेप कर सकती है? रोजाना लोगों की आलोचना होती है, निंदा होती है और लोगों की छवि खराब की जाती है?’’
उन्होंने श्री मेहता से पूछा कि क्या केंद्र सरकार ने चार एपिसोड के प्रसारण की अनुमति देने के बाद कार्यक्रम पर नजर रखी?
इससे पहले, न्यायालय ने सुदर्शन न्यूज के हलफनामे पर आपत्ति जताई। साथ ही उसके एपिसोड देखने से इनकार कर दिया।
हैदराबाद, 21 सितंबर (आईएएनएस)| तेलंगाना के निजामाबाद में एक बेहद क्रूर घटना सामने आई है, जहां एक व्यक्ति ने कोरोना के डर से अपनी मां को घर में नहीं घुसने दिया। बुजुर्ग महिला वायरस से उबरकर अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुकी है। अब उसके सामने समस्या है कि जाए तो जाए कहां। 65 वर्षीय महिला पिछले दो दिनों से अपने घर के सामने खुले में जमीन पर लेटी हुई है, क्योंकि उसका बेटा घर में ताला लगाकर अपने परिवार समेत बाहर चला गया है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि जी. बालमणि को कुछ समय पहले उनके बेटे ने एक वृद्धाश्रम भेज दिया था। हाल ही में महिला का कोविड-19 परीक्षण पॉजिटिव आया तो वृद्धाश्रम के केयरटेकर ने उसे सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। हफ्ते भर पहले उसका परीक्षण निगेटिव आने के बाद भी उसका बेटा उसे लेने अस्पताल नहीं आया।
पता चला है कि बेटा बिजली विभाग में एक सहायक इंजीनियर के रूप में काम करता है। अस्पताल ने उसे कई फोन किए, लेकिन उसने उनका जबाव नहीं दिया तो अस्पताल के अधिकारी महिला को उसके घर के बाहर छोड़ गए। इसके बाद बेटे ने महिला को घर में आने की अनुमति नहीं दी।
वृद्धाश्रम भी कोविड महामारी के कारण बंद हो गया और ऐसे में कहीं और ठिकाना ना पाकर महिला घर के दरवाजे के सामने ही बैठ गई। इसके बाद भी बेटे ने महिला को घर में नहीं आने दिया और घर में ताला लगाकर अपनी पत्नी-बच्चों के साथ वहां से चला गया।
महिला की दुर्दशा देखकर कुछ पड़ोसियों ने उसे खाना और पानी दिया। हालांकि, लगातार बारिश और ठंड के कारण महिला के लिए इस तरह बाहर बैठना मुश्किल हो रहा है।
बालमणि के बारे में पता चलने पर वरिष्ठ सिविल जज किरणमयी ने सोमवार को उनके घर का दौरा किया और उन्हें हरसंभव मदद देने का आश्वासन दिया।
इससे पहले, मई में 80 वर्षीय महिला को उसके बेटे ने घर में नहीं आने दिया, क्योंकि महिला महाराष्ट्र से लौटी थी। वह अपने रिश्तेदारों से मिलने सोलापुर गई थी और लॉकडाउन के कारण वहीं फंस गई थी।
यह घटना करीमनगर शहर में घटी थी। महिला के दोनों बेटों ने उसे रखने से मना कर दिया था। बाद में पुलिस के हस्तक्षेप के बाद बड़े बेटे ने मां को रखने की हामी भरी थी।
तिरुवनंतपुरम, 21 सितंबर (आईएएनएस)| केरल को जल्द ही पहली महिला पुलिस प्रमुख मिल सकती है। आर. श्रीलेखा को राज्य का पुलिस महानिदेशक बनाए जाने की संभावना है। श्रीलेखा के नाम पहले ही केरल कैडर की पहली महिला आईपीएस अधिकारी होने का रिकॉर्ड दर्ज है। वे 26 साल की उम्र में जनवरी 1987 में राज्य पुलिस सेवा में शामिल हुई थीं।
जून में उनके नाम पर एक और रिकॉर्ड तब बना, जब उन्हें अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के पद से प्रमोट करके पुलिस महानिदेशक की रैंक पर आग और बचाव सेवा विभाग का प्रमुख बनाया गया था। इस तरह वह राज्य में यह शीर्ष रैंक प्राप्त करने वाली पहली महिला अधिकारी बन गई थीं।
पहले से ही डीजीपी रैंक की अधिकारी श्रीलेखा इस समय पुलिस महानिदेशक बनने की दौड़ में हैं, क्योंकि वह इस साल क्रिसमस के दिन रिटायर्ड होने वाली हैं।
हालांकि लोकनाथ बेहरा इसके बीच में आ सकते हैं, क्योंकि उन्होंने 4 साल पूरे कर लिए हैं, लेकिन उनकी सेवानिवृत्ति जून 2021 को होनी है।
कहा जाता है कि देश के सबसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों में से एक बेहरा अपने करियर को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की उम्मीद कर रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन के करीबी माने जाने वाले बेहरा की राज्य के दो 'प्रमुख' पदों पर नियुक्ति की संभावना है।
हैदराबाद, 21 सितम्बर (आईएएनएस)| तेलंगाना में कोरोनावायरस के मामलों में कमी आई है। राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि पिछले 24 घंटों में 1,302 नए मामले सामने आए। ऐसा सप्ताहांत में कम टेस्ट करने के चलते हुआ। अधिकारियों ने सप्ताहांत पर कम टेस्ट किए जिसके बाद कोरोनावायरस के रोजाना मामले कम आए। 1,302 नए मामलों के साथ अब यहां कुल मामले 1,72,608 हो गए हैं।
पिछले 24 घंटों में इस बीमारी से 9 लोगों की मौत हुई जिसके बाद मरने वालों का आंकड़ा 1,042 हो गया।
राज्य में मृत्यु दर 0.60 फीसदी है, जबकि ये आंकड़ा राष्ट्रीय स्तर पर 1.60 फीसदी है।
राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, शनिवार और रविवार को यहां 31,095 नमूनों की जांच की गई, जबकि बाकी दिन 50-60 हजार नमूनों की जांच होती थी। अब तक राज्य में 25,19,315 नमूनों की जांच हो चुकी है।
पिछले 24 घंटों में 2,230 लोग इस बीमारी से उबर चुके हैं, जिसके बाद ठीक होने वाले मरीजों की कुल संख्या 1,41,930 हो गई है। रिकवरी रेट 82.22 फीसदी है, जबकि राष्ट्रीय औसत 79.87 फीसदी है।
राज्य में फिलहाल 29,636 एक्टिव मामले हैं जिनमें से 22,990 होम आईसोलेशन में हैं।
विवेक त्रिपाठी
कानपुर, 21 सितंबर (आईएएनएस)| कोरोनाकाल में मास्क जान बचाने का जरिया बन गया है, इसलिए आईआईटी-कानपुर ने लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए विशेष प्रकार के फैशनेबल डिजाइनर मास्क तैयार किए हैं, जो कोराना संक्रमण रोकने में काफी कारगर साबित होंगे।
इस मास्क को आईआईटी-कानपुर में इनक्यूबेटेड कंपनी ई-स्पिन ने बनाया था। ई-स्पिन के निदेशक डॉ. संदीप पाटिल ने आईएएनएस को बताया, "मास्क की यह किस्म पूरी तरह से देसी है। पहले लांच किए गए सफेद-काले मास्क के अलावा हमने एन95 का डिजाइनर कलरफुल मल्टीफैशन को जोड़ा है। इसे जल्द लांच किया जाएगा।"
उन्होंने कहा, "यह मास्क बाजार में मौजूद अन्य मास्क से पूरी तरह अलग है, मगर हमारे यहां से पहले लांच किए गए मास्कों जैसा ही है। लोगों को ब्लैक एंड व्हाइट ज्यादा पंसद नहीं आता है। इसलिए हमने अलग-अलग रंगों का बनाया है। इसके टॉप लेयर को रंगीन बनाया गया है। इसमें सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया गया है।"
डॉ. पाटिल ने कहा, "इसकी विजिबिलिटी, फिल्टरेशन और क्षमता अन्य मास्कों की तुलना में हमारे बनाए मास्क बेहतर हैं। इस मास्क से बैक्टीरिया और वायरस के हमले से आप सुरक्षित रह सकते हैं। यह पहला ऐसा मास्क है, जो नील्सन द्वारा सर्टिफाइड है। ये मास्क 300 नैनोमीटर पार्टिकल को रोकने में सक्षम है। इसकी कीमत काफी कम रखी गई है। यह अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में लोगों को आसानी से प्राप्त होने लगेगा।"
उन्होंने बताया, "हमारे मास्क का उपयोग प्रधानमंत्री ने 5 अगस्त को अयोध्या के भूमि-पूजन के दौरान किया था। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तमाम राज्यों की राजनीतिक हस्तियां इसका प्रयोग कर रही हैं। इसके अलावा बॉलीवुड में अभिनेत्री कंगना रनौत, रजनीकांत, प्रभाष कुमार, चिरंजीवी, समेत कई हस्तियां भी इसका उपयोग कर रही हैं।"
ई-स्पिन के निदेशक नितिन चराठे ने बताया कि यह मास्क वायरस, बैक्टीरिया, धुआं, धूल आदि से पूरी तरह से सुरक्षित रखता है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और बाजार में ये मास्क 'श्वासा' नाम से उपलब्ध हैं। ये मास्क कंपनी की वेबसाइट के साथ-साथ कई प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं। "हमारे यहां श्वासा द्वारा ब्लैक एंड व्हाइट रेग्युलर, एक्टिवेटेड कार्बन मास्क और अब फैशनेबुल मास्क का निर्माण हो रहा है।"
उन्होंने कहा, "हमारे यहां मास्क बनना 2018 में ही शुरू हुआ था। उस दौरान इसका उपयोग अस्पतालों में अधिक होता था। कंपनी एन95 श्वासा मास्क का निर्माण कर रही है। यहां प्रतिदिन 25 हजार मास्क बनाए जाते हैं। इस पहल का उद्देश्य महामारी से लड़ने के लिए देश के सामूहिक प्रयास में योगदान करना है।"
पटना, 21 सितंबर (आईएएनएस)| बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यसभा में कृषि विधेयकों के पेश करने के बाद विपक्षी सदस्यों द्वारा उपसभापति हरिवंश के साथ किए गए व्यवहार की निंदा करते हुए कहा कि राज्यसभा में रविवार को जो भी करने की कोशिश की गई, वह बुरा हुआ। उन्होंने कहा कि संसद में पास कृषि विधेयकों से किसानों को बहुत लाभ होगा।
मुख्यमंत्री सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बिहार की कई सड़क और पुल योजनाओं के शिलान्यास कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जुड़े हुए थे। उन्होंने कहा कि रविवार को राज्यसभा में जो कुछ भी हुआ वह गलत हुआ, इसकी जितनी निंदा की जाए कम है। उन्होंने कहा कि राज्यसभा से भी कृषि विधेयक पास हो गया।
उन्होंने कहा, "संसद से पारित नए कृषि विधेयकों से किसानों को काफी लाभ पहुंचेगा। इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी। यह विधेयक किसानों के हित में है।"
उन्होंने कहा कि आम लोगों के हक में काम हुआ हैजब इसका लाभ मिलेगा तब चीजें स्पष्ट होंगी। उन्होंने कहा कि पहले ही बिचौलियों को समाप्त कर दिया गया है।
जदयू अध्यक्ष ने दावा किया कि बिहार की जनता राज्य और केंद्र की सरकार का काम देख रही है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि विपक्ष की बातों का जनता पर कोई प्रभाव नहीं है।
नीतीश ने सोमवार को शुरू हो रही योजनाओं के लिए प्रधानमंत्री का अभिनंदन करते हुए कहा कि इन योजनाओं के शुरू होने से उन्हें खुशी हुई है। उन्होंने प्रधानमंत्री को दिल्ली-गाजीपुर सड़क को बिहार के बक्सर तक बढ़ाने का आग्रह करते हुए कहा कि इससे बिहार का लखनऊ, दिल्ली से जुड़ने का एक और विकल्प खुल जाएगा।
नई दिल्ली, 21 सितम्बर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद से पारित होने वाले किसानों से जुड़े बिलों को 21 वीं सदी के भारत की जरूरत बताया। उन्होंने कहा कि देश की संसद ने, देश के किसानों को नए अधिकार देने वाले ऐतिहासिक कानूनों को पारित किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को बिहार को हाईवे और फाइबर नेटवर्क परियोजनाओं की सौगात देने के बाद किसानों से जुड़े बिलों पर फैलाए जा रहे भ्रम को दूर करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, हमारे देश में अब तक उपज बिक्री की जो व्यवस्था चली आ रही थी, जो कानून थे, उसने किसानों के हाथ-पांव बांधे हुए थे। इन कानूनों की आड़ में देश में ऐसे ताकतवर गिरोह पैदा हो गए थे, जो किसानों की मजबूरी का फायदा उठा रहे थे। आखिर ये कब तक चलता रहता?
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नए कृषि सुधारों ने किसान को ये आजादी दी है कि वो किसी को भी, कहीं पर भी अपनी फसल अपनी शर्तों पर बेच सकता है। उसे अगर मंडी में ज्यादा लाभ मिलेगा, तो वहां अपनी फसल बेचेगा। मंडी के अलावा कहीं और से ज्यादा लाभ मिल रहा होगा, तो वहां बेचने पर भी मनाही नहीं होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों को मिली इस आजादी के कई लाभ दिखाई देने शुरू हो गए हैं, क्योंकि इसका अध्यादेश कुछ महीने पहले निकाला गया था। ऐसे प्रदेश जहां पर आलू बहुत होता है, वहां से रिपोर्ट्स है कि जून-जुलाई के दौरान थोक खरीदारों ने किसानों को अधिक भाव देकर सीधे कोल्ड स्टोरेज से ही आलू खरीद लिया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मध्य प्रदेश, यूपी, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में दालें बहुत होती हैं। इन राज्यों में पिछले साल की तुलना में 15 से 25 प्रतिशत तक ज्यादा दाम सीधे किसानों को मिले हैं। दाल मिलों ने वहां भी सीधे किसानों से खरीद की है, सीधे उन्हें ही भुगतान किया है।
उन्होंने कहा कि अब देश अंदाजा लगा सकता है कि अचानक कुछ लोगों को जो दिक्कत होनी शुरू हुई है, वो क्यों हो रही है। कई जगह ये भी सवाल उठाया जा रहा है कि कृषि मंडियों का क्या होगा? कृषि मंडियां कतई बंद नहीं होंगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने आश्वस्त किया कि ये कानून, ये बदलाव कृषि मंडियों के खिलाफ नहीं हैं। कृषि मंडियों में जैसे काम पहले होता था, वैसे ही अब भी होगा। बल्कि ये हमारी ही एनडीए सरकार है जिसने देश की कृषि मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए निरंतर काम किया है।
उन्होंने कहा कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए दूसरा कानून बनाया गया है। ये ऐसा कानून है जिससे किसान के ऊपर कोई बंधन नहीं होगा। किसान के खेत की सुरक्षा, किसान को अच्छे बीज, खाद, इन सभी की जिम्मेदारी उसकी होगी, जो किसान से समझौता करेगा।
उन्होंने कहा, कृषि व्यापार करने वाले हमारे साथियों के सामने एसेंसियल कमोडिटीज एक्ट के कुछ प्रावधान, हमेशा आड़े आते रहे हैं। बदलते हुए समय में इसमें भी बदलाव किया है। दालें, आलू, खाद्य तेल, प्याज जैसी चीजें अब इस एक्ट के दायरे से बाहर कर दी गई हैं। कृषि क्षेत्र में इन ऐतिहासिक बदलावों के बाद, इतने बड़े व्यवस्था परिवर्तन के बाद कुछ लोगों को अपने हाथ से नियंत्रण जाता हुआ दिखाई दे रहा है। इसलिए अब ये लोग एमएसपी पर किसानों को गुमराह करने में जुटे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, देश के प्रत्येक किसान को इस बात का भरोसा देता हूं कि एमएसपी की व्यवस्था जैसे पहले चली आ रही थी, वैसे ही चलती रहेगी। इसी तरह हर सीजन में सरकारी खरीद के लिए जिस तरह अभियान चलाया जाता है, वो भी पहले की तरह चलते रहेंगे।
हापुड़ (उप्र), 21 सितम्बर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के हापुड़ में जबरन वसूली करने वाले एक रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। यह लोगों को पैसे नहीं देने पर दुष्कर्म के झूठे मामले में फंसा देने की धमकी देकर ब्लैकमैल करता था। पुलिस ने कहा कि एक पुरुष और एक महिला संगीता (जिसे गुड्डी के नाम से भी जाना जाता है) को एक पीड़ित की शिकायत के बाद गिरफ्तार किया गया है। दो संदिग्ध तानिया और हरकेश फरार हैं।
रिपोर्टों के मुताबिक, हाल ही में एक शख्स ने फेसबुक पर 'माही राणा' नाम की महिला से दोस्ती की। कुछ दिनों तक ऑनलाइन चैट करने के बाद, दोनों 15 सितंबर को महिला द्वारा चुने गए स्थान पर मिलने के लिए सहमत हुए।
बताई गई जगह पहुंचने पर, शख्स को एहसास हुआ कि यह एक जाल था। दो महिलाओं सहित चार लोग उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे। गिरोह ने दुष्कर्म के झूठे मामले में नहीं फंसाने के लिए शख्स से 5 लाख रुपये की मांग की।
उसने घबराकर 1 लाख रुपये नकद, एक सोने की चेन और एक अंगूठी दे दी। हालांकि, जबरन वसूली बंद नहीं हुई।
आखिरकार, उसने पुलिस से संपर्क किया और गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने आगे की जानकारी का खुलासा करने से इनकार करते हुए कहा, "हमारा मानना है कि एक बड़ा गिरोह शामिल है और हम फिलहाल इस बारे में विस्तार से जानकारी बाहर नहीं आने देना चाहते हैं।"
नई दिल्ली, 21 सितम्बर (आईएएनएस)| दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को 3,600 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर सौदे में कथित भ्रष्टाचार के संबंध में दायर पूरक आरोप पत्र के संज्ञान पर मामले की सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टाल दी। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने शनिवार को मामले के सिलसिले में कथित बिचौलिए क्रिश्चन मिशेल और राजीव सक्सेना सहित 15 आरोपियों के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दायर किया था।
दिल्ली के राउस एवेन्यू कोर्ट में विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार ने कहा कि वह 25 सितंबर को चार्जशीट के संज्ञान पर आदेश देंगे।
पूरक चार्जशीट में सीबीआई ने संदीप त्यागी, प्रवीण बख्शी, प्रताप कृष्ण अग्रवाल, आईडीएस इन्फोटेक लिमिटेड के तत्कालीन प्रबंध निदेशक, नरेंद्र कुमार जैन, कोलकाता के राजेश कुमार जैन, ओम मेटल्स इन्फोटेक प्राइवेट लिमिटेड के तत्कालीन प्रबंध निदेशक सुनील कोठारी, मिशेल के करीबी सहयोगी कुन्हिकृष्णन को नामजद किया है।
एजेंसी ने सक्सेना, इंटरस्टेलर टेक्नॉलॉजीज लिमिटेड के तत्कालीन निदेशक, जियाकोमिनो सपनारो, अगस्ता वेस्टलैंड इंटरनेशनल लिमिटेड के तत्कालीन प्रबंध निदेशक, दीपक गोयल, गौतम खेतान के एक अधिकारी, आईडीएफसी इन्फोटेक लिमिटेड, एयरोमेट्रिक्स इन्फो सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, नील माधव कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, मैनक एजेंसी प्राइवेट लिमिटेड, और इंटरस्टेलर टेक्नॉलॉजीज लिमिटेड को भी नामजद किया है।
सीबीआई ने दूसरी चार्जशीट में किसी राजनेता या वरिष्ठ नौकरशाह को नामजद नहीं किया है।
सीबीआई ने इससे पहले, मामले में 1 सितंबर, 2017 को तत्कालीन एयर चीफ मार्शल त्यागी और 11 अन्य आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी।
अपनी पहली चार्जशीट में, सीबीआई ने बिचौलियों के माध्यम से भारतीयों को भुगतान की गई 6.7 करोड़ यूरो (करीब 452 करोड़ रुपये) की कुल रिश्वत में से 6.2 करोड़ यूरो (लगभग 415 करोड़ रुपये) का 'मनी ट्रेल' का पता लगाया था।
आगरा, 21 सितम्बर (आईएएनएस)| महामारी के कारण 188 दिनों तक बंद रहने के बाद प्रेम का प्रतीक, 17वीं सदी का स्मारक ताजमहल सोमवार को आगंतुकों के लिए फिर से खोल दिया गया। हालांकि आगरा में कोविड-19 के 144 नए मामले सामने आए हैं, जिसने जिला प्रशासन के लिए परेशानी बढ़ा दी है। एएसआई के अधिकारियों ने सीआईएसएफ सुरक्षाकर्मियों के साथ स्मारक के परिसर की सामाजिक दूरी, मास्क पहनने और स्वच्छता से संबंधित दिशानिदेशरें का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया। एक गाइड ने कहा कि ऑनलाइन टिकट बिक्री ने आगंतुकों की उचित स्क्रीनिंग सुनिश्चित की है।
स्मारक के खुलने से स्थानीय पर्यटन उद्योग के लोग उत्साहित हैं और आने वाले महीनों में इस क्षेत्र के पुनरुद्धार की उम्मीद कर रहे हैं।
जिला मजिस्ट्रेट पी. एन. सिंह ने कहा कि सभी सावधानियां बरती गई हैं और कड़ी निगरानी रखी जाएगी।
हालांकि अभी तक एडवांस में होटल बुकिंग को लेकर प्रतिक्रिया इतनी उत्साहजनक नहीं हैं, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा और अगर सारी चीजें बिना किसी परेशानी के चलती रहेंगी, तो आगरा में दर्शकों की संख्या बढ़ सकती है। होटल व्यवसायियों को उम्मीद है कि आगरा को प्रमुख शहरों से जोड़ने वाली कुछ नई उड़ानें पर्यटकों को यहां आने के लिए प्रेरित करेंगी।
पिछले 24 घंटों में यहां कोरोनावायरस के 144 नए मामलों का पता चला, जिसके साथ संक्रमण की कुल संख्या 4,850 हो गई। अब तक 3,852 लोग इससे उबर चुके हैं। मरने वालों की संख्या 118 है, जबकि सक्रिय रोगियों की संख्या 880 है।
जिला अधिकारियों ने कोविड रोगियों को एडमिट करने के लिए निजी क्षेत्र में नौ एनएबीएच (नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स) अप्रूव्ड अस्पतालों को अनुमति दी है, क्योंकि विशेषज्ञों को डर है कि आने वाले दिनों में 1000 बेड की आवश्यकता हो सकती है। वहीं भारतीय रेलवे के विशेष रूप से डिजाइन किए गए कोविड कोच बिना उपयोग के यार्ड में पड़े हुए हैं। रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि 26 आइसोलेशन कोच तैयार हैं और अगर प्रशासन चाहे तो इनका इस्तेमाल किया जा सकता है।
इस बीच पिछले कुछ दिनों में मांग बढ़ने के बाद ऑक्सीजन की आपूर्ति काफी हद तक बहाल कर दी गई है।
जिला स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि मरीजों को सलाह दी गई है कि वे एक ऐप के माध्यम से अपना टेस्ट रिपोर्ट ऑनलाइन एकत्र करें।
वहीं आगरा में विशेषज्ञों ने कहा कि, कुछ दिनों में आईसीएमआर द्वारा देशभर में किए गए सीरो सर्वे के निष्कर्षों के बाद पूरी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
एस.एन.मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने कहा, "सामाजिक संपर्क के अधिक अवसर और सख्ती में दिए गए ढील के साथ लोगों को दिशानिदेशरें का पालन करने में बहुत सावधानी बरतनी थी।"
एक अधिकारी ने संकेत दिया कि मंदिर और स्कूल 1 अक्टूबर से पहले नहीं खुलेंगे।
नई दिल्ली, 21 सितम्बर (आईएएनएस)| विपक्ष द्वारा आठ सदस्यों के निलंबन को लेकर हंगामा करने की वजह से राज्यसभा की कार्यवाही बार-बार स्थगित की गई और आखिरकार सभापति ने सदन की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी। उच्च सदन को पहले सोमवार सुबह 10 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। जब कार्यवाही शुरू हुई तो निलंबित हुए विपक्षी सांसदों ने सदन से बाहर जाने से मना कर दिया और नारेबाजी करने लगे जिसके कारण इसे सुबह 10.36 बजे तक के लिए फिर स्थगित कर दिया गया।
विपक्ष द्वारा कार्यवाही में बाधा डालना जारी रहा जिसके कारण फिर इसे पूर्वाह्न 11.07 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया, जब राज्यसभा की कार्यवाही फिर शुरू हुई तो विपक्ष का हंगामा करना नहीं थमा और एक बार फिर अपराह्न 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
अपराह्न 12 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने पर इसे मंगलवार सुबह 9 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
कार्यवाही का संचालन कर रहे आसन पर मौजूद भुवनेश्वर कलिता ने निंलबित सांसदों से बार-बार सदन से बाहर जाने का आग्रह किया, लेकिन सांसदों ने उनकी बात को अनसुना कर दिया।
सुबह में राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सोमवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही आठ सांसदों को निलंबित कर दिया। ये सासंद तृणमूल, कांग्रेस, माकपा और आम आदमी पार्टी के हैं। इन पर रविवार को संसद में हंगामा करने और राज्यसभा की कार्यवाही को बाधित करने का आरोप है।
इस प्रस्ताव को संसदीय मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने आगे बढ़ाया और सदन ने तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ'ब्रायन और डोला सेन, कांग्रेस के राजीव सातव, रिपुन बोरा, नासिर हुसैन, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और के.के. रागेश और माकपा के ई. करीम को निलंबित कर दिया।
राज्यसभा में ध्वनि मत से प्रस्ताव मंजूर किए जाने के बाद सदस्यों ने नारेबाजी की।
इससे पहले, सभापति नायडू ने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए एक दुखद दिन है और 'दुर्भाग्यपूर्ण' और 'निंदनीय' है। उन्होंने नियमों का हवाला देते हुए उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
इससे पहले रविवार को राज्यसभा में कृषि विधेयकों को लेकर विपक्षी सांसदों ने जबरदस्त हंगामा किया। जहां तृणमूल सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने नियम पुस्तिका फाड़ डाली, वहीं कांग्रस के राजीव सातव और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह सदन में विरोध करने के लिए टेबल पर ही चढ़ गए थे।
नई दिल्ली, 21 सितंबर। किसान बिल को लेकर राज्यसभा में रविवार को हुए हंगामे के चलते तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन सहित आठ विपक्षी सांसदों को सोमवार को निलंबित कर दिया गया है. निलंबित सांसदों ने सदन छोडऩे से इनकार कर दिया है। सरकार की ओर से विपक्षी सांसदों को निलंबित करने के लिए प्रस्ताव पेश किया गया था। जिन सांसदों को सस्पेंड किया गया है, उनमें टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन, संजय सिंह, डोला सेन, राजीव साटव समेत अन्य शामिल हैं।
राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन का नाम लिया और उन्हें सदन से बाहर जाने के लिए कहा गया। विपक्ष की ओर से उपसभापति के खिलाफ पेश प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया।
राज्यसभा के सभापति ने कहा कि मुझे उससे दुख हुआ, जो कल यहां हुआ। यह राज्यसभा के लिए बुरा दिन था। कुछ सदस्यों ने उपसभापति पर कागज उछाले। उपसभापति के मुताबिक, उनके लिए गलत शब्द भी निकाले गए। नायडू ने कहा कि सदन में माइक को तोडऩा अस्वीकार्य और निंदनीय है।
इससे पहले, सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली थी कि सरकार राज्यासभा में हंगामा करने वाले सांसदों के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रस्ताव ला सकती है। कहा गया था कि नियम 256 के तहत सांसदों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
रविवार को विपक्ष के कई सांसदों ने सदन में जमकर हंगामा किया था। संजय सिंह और राजीव साटव महासचिव के सामने टेबल पर चढ़ गए थे। वहीं तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने आसन के सामने रूल बुक लहराई थी। कुछ सांसदों ने आसन पर लगा माइक तोड़ दिया था। कई अन्य सांसदों ने किसान बिल की कॉपी फाड़ कर बिखेर दी थी।
इन सांसदों को किया गया सस्पेंड
डेरेक ओब्रायन (तृणमूल कांग्रेस)
संजय सिंह (आप)
राजीव साटव (कांग्रेस)
के.के. रागेश (सीपीएम)
सैयद नासिर हुसैन (कांग्रेस)
रिपुन बोरा (कांग्रेस)
डोला सेन (तृणमूल कांग्रेस)
एलामरम करीम (सीपीएम)
नई दिल्ली, 21 सितम्बर (आईएएनएस)| आगामी रबी सीजन की छह प्रमुख फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को सोमवार को कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है। न्यूनतम समर्थन मूल्य के मसले को लेकर देश में गरमाई राजनीति के बीच रबी फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी कर सरकार किसानों की आशंका दूर करने की चेष्टा करेगी कि नए नए कानून से एमएसपी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बार-बार दोहराया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद पहले की तरह जारी रहेगी।
मोदी सरकार का दावा है कि कोरोना काल में लाए गए कृषि से जुड़े तीन अहम अध्यादेश किसानों के हित में है। इन तीनों अध्यादेशों की जगह संसद के चालू मानसून सत्र में लाए गए तीन विधेयकों में से दो को संसद की मंजूरी मिल चुकी है और तीसरे विधेयक को लोकसभा में पारित होने के बाद राज्यसभा की मुहर लगने का इंतजार है।
उन्होंने राज्यसभा में दोनों विधेयकों पर चर्चा के दौरान रविवार को बताया कि वर्ष 2009-14 की तुलना में, पिछले पांच साल में दलहनी फसलों के लिए किसानों को एमएसपी भुगतान 75 गुना बढ़ा है। गत 5 साल में, 645 करोड़ रुपये के मुकाबले, 49,000 करोड़ रुपये एमएसपी का भुगतान किया गया है। इसी तरह वर्ष 2009-14 की तुलना में, पिछले पांच वर्षों के दौरान तिलहनों व कोपरा के किसानों के लिए एमएसपी भुगतान 10 गुना बढ़ा है। पिछले 5 साल में, 2460 करोड़ रुपये के मुकाबले 25,000 करोड़ रुपये एमएसपी भुगतान किया गया।
तोमर ने बताया कि इस साल रबी-2020 में गेहूं, धान, दलहन और तिलहन को मिलाकर किसानों को एक लाख 13 हजार करोड़ रुपये एमएसपी के रूप में भुगतान किया गया। यह राशि पिछले साल की तुलना में 31 फीसदी ज्यादा है।