राष्ट्रीय
मुजफ्फरपुर, 23 सितंबर। बॉलीवुड के ड्रग्स कनेक्शन से जुड़े मामले में सिने अभिनेत्री दीपिका पादुकोण समेत 8 फिल्मी हस्तियों पर बिहार की एक अदालत में परिवाद दर्ज किया गया है। ये परिवाद एसीजेएम की अदालत में दर्ज किया गया है। इसमें दीपिका पादुकोण के अलावा श्रद्धा कपूर, दीया मिर्जा, सारा अली खान, अनुराग कश्यप को अभियुक्त बनाया गया है। इन सभी पर विदेश से ड्रग्स मंगवा कर सेवन करने बेचने और देश की क्षवि खराब करने का आरोप है। अधिवक्ता सुधीर ओझा ने किया परिवाद। 29 सितम्बर को अगली सुनवाई होगी।
नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)| राज्यसभा में रविवार को कृषि संबंधी दो विवादास्पद विधेयकों को लेकर हुए हंगामे के पीछे कारण क्या नंबर गेम था? यदि कोई विपक्ष की बातों पर विश्वास करता है, तो ऐसा हो सकता है। हालांकि सरकार ने कहा है कि उसके पास विधेयक पास कराने के लिए जरूरी नंबर हैं। हंगामे को लेकर जब सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में कहा कि सरकार के पास पर्याप्त संख्या नहीं है और इसीलिए उसने कृषि बिल पास करने में अपनी विफलता को छुपाने के लिए आराजकता पैदा की, तो इस आरोप को अस्वीकार कर दिया गया।
संसदीय मामलों के मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा है कि सरकार के पास भले ही विधेयक के समर्थन में 115 सदस्य हैं फिर भी विधेयकों को पारित किया जाएगा। बदले में उन्होंने विपक्ष को ही हंगामे के लिए दोषी ठहराया।
बता दें कि रविवार को हाउस में 2 सीटें खाली होने के बाद कुल संख्या 243 थी, ऐसे में बहुमत के लिए 122 की जरूरत थी। ऐसे में कुछ सहयोगी दल जैसे बीजद, टीआरएस और एसएडी द्वारा विधेयकों का विरोध करने पर सरकार के लिए स्थिति मुश्किल हो गई थी।
बीजू जनता दल के सांसद प्रसन्ना आचार्य ने बिलों को प्रवर समिति को भेजने की मांग की, जबकि तेलंगाना राष्ट्र समिति ने बिलों का पूरी तरह से विरोध किया है।
इसे लेकर नंबर गेम की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी के पास 86 सदस्य, जनता दल-यूनाइटेड के 5 और नामित 3 सदस्य थे। बीपीएफ, आरपीआई, एलजेपी, पीएमके, एनपीपी, एमएनएफ, एसडीएफ और 1 निर्दलीय मिलाकर सरकार को कुल 103 सांसदों का समर्थन प्राप्त था।
लेकिन कांग्रेस के दावे के मुताबिक विपक्ष के पास 107 विधायक थे। इसमें कांग्रेस के 40, आप के 3, टीएमसी के 13, बीएसपी के 4, एसपी के 8, वाम दल के 6, डीएमके के 7 हैं। इसके अलावा राजद, राकांपा और एसएडी और अन्य क्षेत्रीय दलों के सदस्य भी हैं।
ऐसे में इन विधेयकों के पारित होने के लिए गैर-एनडीए और गैर-यूपीए पार्टियां महत्वपूर्ण थीं। इनमें बीजेडी के 9 और टीआरएस के 7 सदस्य हैं। इसमें वाईएसआरसीपी और एआईएडीएमके आदि के सदस्य भी शामिल हैं।
सत्तारूढ़ दल ने कहा कि कई विपक्षी सांसद उपस्थिति में नहीं थे और इसलिए सरकार को विधेयकों को पारित करना पड़ा। लेकिन विपक्ष ने कहा कि बीजद, टीआरएस और 19 सदस्यों वाले अकाली दल ने कृषि विधेयकों को रोक दिया है।
बता दें कि रविवार को उच्च सदन में जमकर हंगामा हुआ था, जिसके चलते सभापति एम. वेंकैया नायडू ने 8 सदस्यों को निलंबित कर दिया था।
जफर अब्बास
नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)| दिल्ली में एक अजीब घटना सामने आई है, जिसमें अपनी मां से डांट खाने के बाद 11 वर्षीय एक किशोर अपनी साइकिल पर हरिद्वार के लिए निकल पड़ा। वहीं किशोर के गायब होने पर उसके माता-पिता ने दक्षिण रोहिणी पुलिस स्टेशन में पुलिस से संपर्क किया और शुक्रवार रात को अपहरण का मामला दर्ज कराया गया।
इसके बाद दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर विभिन्न रेलवे स्टेशनों और बस स्टॉपों, व्यस्त सड़कों और कई अन्य राजमार्गों पर बच्चे की तलाश के लिए सख्त प्रयास किए।
रोहिणी के डीसीपी पीके मिश्रा ने कहा, "जांच के दौरान पता चला कि हाल ही में नाबालिग बच्चे ने अपने माता-पिता से गोवा के लिए ट्रेन और पहाड़गंज रेलवे स्टेशन के बारे में पूछा था और लापता होने वाले दिन वह अपनी मां के पर्स से करीब 5,000 रुपये भी लेकर गया था। अपनी मां से डांट खाने के बाद वह डर गया था। सीसीटीवी फुटेज से यह भी पता चला कि नाबालिग लड़का नाहरपुर की तरफ अपनी साइकिल पर अकेला गया था।"
बिना समय बर्बाद किए और मामले की गंभीरता को समझते हुए डीसीपी रोहिणी ने दक्षिण रोहिणी, एसएचओ इंस्पेक्टर संजय कुमार की निगरानी में कई पुलिस टीमों का गठन किया।
एक टीम जहां पास के पार्कों, सड़कों, और अस्पतालों में किशोर को खोजने की कोशिश कर रही थी, वहीं एक अन्य टीम मेट्रो स्टेशनों, करनाल बाईपास की सड़कों व पाकिर्ंग में उसे तलाश रहे थे।
पुलिस अधिकारी ने कहा, "नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन और हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के पुलिस स्टेशनों के ड्यूटी ऑफिसर को लापता बच्चे के बारे में सूचित किया गया था और उसकी तस्वीर उनके साथ व्हाट्सएप पर साझा की गई थी।"
हालांकि लड़का रात करीब 8.45 बजे लापता हुआ था, इसलिए पुलिस का प्रयास था कि उसे दिल्ली की सीमा पार करने से पहले खोज निकाला जाए।
तलाशी अभियान में शामिल एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा, "लड़के के लापता होने के समय को ध्यान में रखते हुए हमने अनुमान लगाया कि लड़का अपनी साइकिल से कितनी दूर तक जा सकता है। वह बिना मोबाइल फोन के निकला था, जिससे हमारा काम और मुश्किल हो गया, हम सड़क पर उसकी सुरक्षा व खतरे को लेकर चिंतित थे।"
आखिरकार तड़के 4.20 बजे पुलिस की एक टीम सिंघू सीमा पर पहुंची और उन्होंने हरियाणा में सीमा पार करने के बाद एक चाय की दुकान पर लापता बच्चे को अपनी साइकिल के साथ देखा।
मिश्रा ने कहा, "वह चाय विक्रेता से हरिद्वार जाने के रास्ते के बारे में पूछ रहा था। नाबालिग बच्चे को सुरक्षित उसके माता-पिता को सौंप दिया गया।"
चेन्नई, 23 सितम्बर (आईएएनएस)| ऐसे समय में जब तमिलनाडु में प्रमुख राजनीतिक दल केंद्र सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप लगा रहे हैं, अरियालुर जिले के एक डॉक्टर ने आरोप लगाया कि उन्हें हिंदी नहीं आने के कारण इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) के मैनेजर ने लोन नहीं दिया। ममाला सामने आने के बाद बैंक मैनेजर का तबादला कर दिया गया है।
बुजुर्ग डॉक्टर सी. बालासुब्रमण्यन ने यह भी आरोप लगाया कि आईओबी का मैनेजर उनके और उनके इंजीनियर दोस्त के साथ ढंग से पेश नहीं आया था।
बैंक ने मैनेजर का तबादला त्रिची में अपने क्षेत्रीय कार्यालय में कर दिया है।
बालासुब्रमण्यम के अनुसार, वह लंबे समय से आईओबी के कस्टमर रहे हैं और उन्होंने जयमकोंदम ब्रांच से संपर्क कर एक भवन के निर्माण के लिए ऋण लेने के लिए मैनेजर विशाल कांबले से मुलाकात की थी।
डॉक्टर ने मैनेजर को संपत्ति के दस्तावेजों को भी ऋण के लिए जमानत के रूप में दिखाया।
जैसा कि संपत्ति के दस्तावेज तमिल में थे, कांबले ने कथित तौर पर बालासुब्रमण्यम से कहा कि वह राज्य की भाषा नहीं जानते हैं और पूछा कि क्या डॉक्टर हिंदी जानते हैं।
बालासुब्रमण्यम के अनुसार, उन्होंने बैंकर से कहा कि वह उन दस्तावेजों को अंग्रेजी में समझाएंगे, जिससे बैंकर सहमत नहीं हुआ और भाषा संबंधी समस्या कहकर ऋण देने से मना कर दिया।
डॉक्टर ने कहा कि बैंकर किसी वैध कारण की वजह से ऋण देने से मना कर सकता था लेकिन उसने कहा कि वह महाराष्ट्र से है और 'भाषा की समस्या' के कारण ऋण देने को अस्वीकार कर दिया।
बाद में आईओबी ने कांबले का तबादला त्रिची जिले में कर दिया।
नई दिल्ली, 23 सितम्बर (आईएएनएस)| राज्यसभा ने बुधवार को विपक्ष के बहिष्कार के बीच विदेशी अभिदाय विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 (एफसीआरए) को पारित कर दिया, जिसमें विदेशी धन प्राप्त करने वाले संगठनों के पंजीकरण के लिए आधार नंबर को अनिवार्य कर दिया गया, साथ ही सरकार को संगठन को जांच के माध्यम से विदेशी धन के उपयोग को रोकने की शक्तियां भी दी गई। विदेशी अभिदाय (विनियमन) संशोधन विधेयक, 2020, जो विदेशी अभिदाय (विनियमन) अधिनियम, 2010 में संशोधन की मांग के बारे में है, यह 'लोक सेवकों' को निषिद्ध श्रेणी में शामिल करने और एक संगठन द्वारा विदेशी धनराशि के माध्यम से प्रशासनिक व्यय को घटाकर 50 प्रतिशत से 20 करने का प्रस्ताव करता है।
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, "विधेयक सुनिश्चित करता है कि एनजीओ को धन प्राप्त करने के लिए एसबीआई एफसीआरए शाखा में एक खाता खोलना अनिवार्य है और फिर अपनी पसंद के एक अन्य बैंक में एक और खाता खोलना होगा, इसके लिए उन्हें दिल्ली की यात्रा नहीं करनी है लेकिन निकटतम एसबीआई अकाउंट नई दिल्ली में खाता खोलने की सुविधा प्रदान करेगा।"
इसने किसी अन्य संघ या व्यक्ति को विदेशी योगदान के किसी भी हस्तांतरण को प्रतिबंधित करने की मांग के बारे में भी है। अधिनियम की धारा 17 में संशोधन प्रत्येक व्यक्ति जिसे धारा 12 के तहत एक प्रमाण पत्र या पूर्व अनुमति दी गई है, केवल 'एफसीआरए अकाउंट' के रूप में चिन्हित खाते में विदेशी योगदान प्राप्त करेगा।
अनुपालन तंत्र को मजबूत करने, रसीद में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने और हर साल हजारों करोड़ रुपये के विदेशी योगदान के उपयोग और पारदर्शिता के साथ ही समाज कल्याण के लिए काम करने वाले वास्तविक गैर-सरकारी संगठनों या संघों को सुविधा प्रदान करने के लिए पहले के अधिनियम के प्रावधानों को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता थी।
उन्होंने 2010 में किए गए संशोधन का उदाहरण दिया जब प्रशासनिक खचरें को घटाकर 50 फीसदी कर दिया गया था, तब इसे 10 फीसदी तक कम करने की भी मांग की गई थी। उन्होंने कहा कि पी. चिदंबरम ने तब उल्लेख किया था कि 10,000 करोड़ के विदेशी अभिदाय का ऑडिट तक नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि ऐसे दर्जनों गैर-सरकारी संगठनों के खिलाफ भी आपराधिक जांच शुरू की गई, जो विदेशी योगदान का गलत इस्तेमाल करते थे। अधिनियम की धारा 3 की उपधारा (1) के क्लॉज (सी) में संशोधन करने की मांग करते हुए, सरकार ने 'लोक सेवकों' को इसके दायरे में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनके द्वारा कोई विदेशी योगदान स्वीकार नहीं किया जाएगा।
इससे पहले, यह विधायकों, चुनाव उम्मीदवारों, पत्रकारों, प्रिंट और ब्रॉडकास्ट मीडिया, न्यायाधीशों, सरकारी कर्मचारियों या किसी निगम के कर्मचारियों या किसी अन्य निकाय या सरकार के स्वामित्व वाले कर्मचारियों तक सीमित था।
अमरीका की जानी-मानी पत्रिका टाइम ने दुनिया के 100 प्रभावशाली लोगों की लिस्ट जारी की है, जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कुछ और भारतीय नाम भी शामिल हैं।
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई, अभिनेता आयुष्मान खुराना, एचआईवी शोधकर्ता प्रोफ़ेसर रवींद्र गुप्ता और शाहीन बाग़ प्रदर्शन का चेहरा रहीं बिल्कीस बानो के नाम भी सूची में शामिल हैं। हालाँकि टाइम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिस्ट में शामिल करते हुए उनके बारे में जो संक्षिप्त लेख लिखा है, उसमें उनके बारे में तल्ख टिप्पणी की गई है।
पत्रिका ने लिखा है, लोकतंत्र के लिए मूल बात केवल स्वतंत्र चुनाव नहीं है। चुनाव केवल यही बताते हैं कि किसे सबसे ज़्यादा वोट मिले। लेकिन इससे ज़्यादा महत्व उन लोगों के अधिकारों का है, जिन्होंने विजेता के लिए वोट नहीं किया। भारत पिछले सात दशकों से दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बना हुआ है। यहाँ की 1।3 अरब की आबादी में ईसाई, मुसलमान, सिख, बौद्ध, जैन और दूसरे धार्मिक संप्रदायों के लोग रहते हैं। ये सब भारत में रहते हैं, जिसे दलाई लामा समरसता और स्थिरता का एक उदाहरण बताकर सराहना करते हैं।
टाइम लिखता है, नरेंद्र मोदी ने इस सबको संदेह के घेरे में ला दिया है। हालाँकि, भारत में अभी तक के लगभग सारे प्रधानमंत्री 80त्न हिंदू आबादी से आए हैं, लेकिन मोदी अकेले हैं जिन्होंने ऐसे सरकार चलाई जैसे उन्हें किसी और की परवाह ही नहीं। उनकी हिंदू-राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी ने ना केवल कुलीनता को ख़ारिज किया बल्कि बहुलवाद को भी नकारा, ख़ासतौर पर मुसलमानों को निशाना बनाकर। महामारी उसके लिए असंतोष को दबाने का साधन बन गया। और दुनिया का सबसे जीवंत लोकतंत्र और गहरे अंधेरे में चला गया है।
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से विदेशी पत्रिकाओं ने कई बार उन्हें मुखपृष्ठ पर जगह दी है और साथ ही साथ उनके कार्यकाल और कार्यशैली पर टीका-टिप्पणी की है।
टाइम ने पिछले साल भी आम चुनाव से पहले उन्हें अपने कवर पेज पर जगह दी थी, जिसे लेकर खासा विवाद हुआ था।
पत्रिका ने साथ ही लिखा था, क्या दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र मोदी सरकार को आने वाले और पांच साल बर्दाश्त कर सकता है?
उस वक्त बीजेपी ने आरोप लगाया था कि ये लेख प्रधानमंत्री मोदी की छवि को मलिन करने की एक कोशिश है। पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने तब कहा था कि 2014 में भी कई विदेशी पत्रिकाओं ने मोदी की आलोचना करने वाले लेख छापे थे।
2015 में मई के अंक में भी टाइम ने प्रधानमंत्री मोदी पर कवर स्टोरी की थी और तब उसका शीर्षक था-"Why Modi Matters".
आयुष्मान खुराना
टाइम की 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में आयुष्मान खुराना भी शामिल हैं। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा, टाइम मैगजीन की विश्व के 100 प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में शामिल होकर गर्व की अनुभूति हो रही है।
टाइम में आयुष्मान खुराना के बारे में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने संक्षिप्त लेख लिखा है।
वो कहती हैं, मैं आयुष्मान खुराना को उनकी पहली फिल्म विकी डोनर से जानती हूँ। बेशक इससे पहले भी वो अलग-अलग तरह से बॉलीवुड का हिस्सा रहे थे, लेकिन आज हम और आप उनके बारे में बात कर रहे हैं, तो उसकी वजह है वो यादगार फिल्में और उनके दमदार किरदार। जहाँ अधिकतर पुरुष अभिनेता ताकत और मर्दानगी की घिसी-पिटी भूमिकाओं में फंसे रहे, वहीं आयुष्मान ने इस धारणा को तोड़ते हुए कई चुनौतीपूर्ण किरदार निभाए वो भी कामयाबी के साथ।
बिल्कीस बानो
नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग़ इलाक़े में हुए आंदोलन का चेहरा रहीं 82 वर्षीय बिल्क़ीस बानो को भी टाइम मैग्ज़ीन ने विश्व के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया है।
बिल्क़ीस बानो शाहीन बाग की दादी के नाम से भी जानी जाती हैं। वे शाहीन बाग में सीएए को वापस लेने की माँग के साथ करीब 100 दिन चले प्रदर्शन में शामिल रहीं।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बिल्कीस बानो उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर जिले की रहने वाली हैं। उनके पति करीब दस साल पहले गुजर गये थे जो खेती-मजदूरी करते थे। बिल्कीस बानो फिलहाल दिल्ली में अपने बहू-बेटों के साथ रहती हैं।
टाइम मैग्जीन ने बिल्कीस बानो के लिए लिखा है कि वे भारत में वंचितों की आवाज़ बनीं। वे कई बार प्रदर्शन स्थल पर सुबह आठ बजे से रात 12 बजे तक रहा करती थीं। उनके साथ हज़ारों अन्य महिलाएं भी वहाँ मौजूद होती थीं और महिलाओं का इस प्रदर्शन को प्रतिरोध का प्रतीक माना गया।
मैग्ज़ीन ने लिखा है कि बिल्क़ीस बानो ने सामाजिक कार्यकर्ताओं, ख़ासकर छात्र नेताओं को जिन्हें जेल में डाल दिया गया, उन्हें लगातार उम्मीद बंधाई और यह संदेश दिया कि लोकतंत्र को बचाये रखना कितना जरूरी है।
शाहीन बाग प्रदर्शन के दौरान एक दफ़ा भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सीएए पर हम (मोदी सरकार) एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे। इसके जवाब में बिल्कीस बानो ने कहा था, अगर गृहमंत्री कहते हैं कि वे एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे, तो मैं कहती हूँ कि हम एक बाल बराबर भी नहीं हटेंगे।
पटना, 23 सितम्बर (आईएएनएस)| बिहार विधानसभा चुनाव के पहले राजनीतिक दलों में जुबानी जंग तो प्रारंभ है ही, इसके अलावा राजनीतिक दल एक-दूसरे पर 'हमला' करने के लिए पोस्टर का भी सहारा ले रहे हैं। पटना की सड़कों के किनारे बुधवार को कई पोस्टर लगाए गए है, जो आने-जाने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। यह पोस्टर किसने लगाया है इसका उल्लेख तो इस पोस्टर में नहीं किया गया है, लेकिन इस पोस्टर के जरिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा गया है।
पोस्टर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीर है। पोस्टर में प्रधानमंत्री को यह कहते दिखाया गया है, नीतीश कुमार के डीएनए में ही गड़बड है। मारते रहे पलटी, नीतीश की हर बात कच्ची।''
इसके अलावा एक और पोस्टर लगाया गया है। इस पोस्टर में भी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की तस्वीर है। जिसमें बिहार की जनता को यह बोलते दिखाया गया है कि भाजपा को तो बिहार की जनता विपक्ष में बैठाई थी, फिर आप सत्ता में कैसे पहुंच गए।
उल्लेखनीय है कि इसके पहले सत्ता पक्ष के समर्थन में लगाए गए पोस्टरों में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद और उनके परिवार को बिहार पर भार बताते हुए तंज कसा गया था।
नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)| चीनी शॉर्ट वीडियो ऐप टिकटॉक ने सामुदायिक दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वाले 10.4 करोड़ से ज्यादा वीडियो को इस साल की पहली छमाही में अपने प्लेटफॉर्म से हटाया है। इसमें 3.7 करोड़ वीडियो भारत के थे। भारत के बाद दूसरे स्थान पर अमेरिका है, जहां के 98 लाख वीडियो हटाए गए। अमेरिका में टिकटॉक पर प्रतिबंध लग गया है और ओरेकल-वॉलमार्ट द्वारा इसे खरीदने की उम्मीद है।
हालांकि हटाए गए इन वीडियो की संख्या इस ऐप पर अपलोड किए गए सभी वीडियो की कुल संख्या से 1 प्रतिशत से भी कम है।
भारत में इस ऐप पर प्रतिबंध लगने के पहले टिकटॉक के देश में करीब 20 करोड़ उपयोगकर्ता थे, जो कि इसके अमेरिकी बाजार से लगभग दोगुना था।
भारत और अमेरिका के अलावा, पाकिस्तान, ब्राजील और ब्रिटेन से भी क्रमश: 64 लाख, 55 लाख और 29 लाख वीडियो हटाए गए हैं।
जेडडीनेट की रिपोर्ट के अनुसार, उपयोगकर्ताओं द्वारा रिपोर्ट किए जाने से पहले ही 96.3 प्रतिशत वीडियो की पहचान कर उन्हें हटा दिया गया था, जबकि 90.3 प्रतिशत को बाद में हटाया गया।
सबसे ज्यादा 30.9 फीसदी वीडियो को न्यूडिटी और यौन गतिविधियों के कारण जबकि 22.3 फीसदी को मामूली सुरक्षा का उल्लंघन करने के लिए और 19.6 फीसदी को गैरकानूनी गतिविधियों के कारण हटाया गया था।
टिकटॉक ने कहा है कि उसे कुछ सामग्री को प्रतिबंधित करने या हटाने के लिए सरकारों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ-साथ आईपी राइट्स होल्डर से भी कानूनी अनुरोध प्राप्त हुए थे।
आगरा, 23 सितंबर (आईएएनएस)| आगरा में 21 वर्षीय बीटेक छात्र ने अपने पिता की लाइसेंसी रिवॉल्वर से कथित तौर पर खुद को गोली मारकर जान दे दी। हालांकि, मौके से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। नेहरू नगर इलाके में स्थित अपने घर पर शुभंकर शर्मा ने मंगलवार को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली।
ग्रेजुएशन तृतीय वर्ष का छात्र एनआईटी सिलचर, असम से बीटेक इलेक्ट्रॉनिक्स की पढ़ाई कर रहा था और कोविड के कारण लागू लॉकडाउन के बाद घर पर ही था।
पुलिस के अनुसार, शुभंकर ने छत पर सीढ़ी का दरवाजा बाहर से बंद करने के बाद आत्महत्या की।
शुभंकर की मां अर्चना ने कहा कि जब उन्होंने बंदूक की आवाज सुनी, तब वह अपने घर के बाहर रास्ते पर टहल रही थी। आवाज सुनते ही वह छत की ओर भागी और दरवाजा बंद पाया।
उन्होंने अपने पड़ोसी की मदद ली, जिसके बाद पड़ोसी ने उनकी छत पर कूद कर जाने के बाद देखा कि शुभंकर खून से लथपथ पड़ा था। वे उसे लेकर एस.एन. मेडिकल कॉलेज गए, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
एडिशनल एसपी सौरभ दीक्षित ने पत्रकारों को बताया कि परिवार के लोगों ने कहा कि शुभंकर ने लोगों से मिलना या बाहर जाना बंद कर दिया था। वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था, इसलिए परिवार को उसके रवैये में कुछ भी गलत नहीं लगा।
एएसपी ने कहा कि एक प्राथमिकी दर्ज की गई है और पिता के रिवॉल्वर लाइसेंस को रद्द किया जा सकता है, क्योंकि वह इसे सुरक्षित स्थान पर रखने में असमर्थ रहे और उनके बेटे को वह आसानी से मिल गया।
बदायूं (यूपी), 23 सितम्बर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के बदायूं में एक दलित किसान की इसलिए हत्या कर दी गई क्योंकि उसने दूसरे किसान के साथ सिंचाई के लिए पानी साझा करने से इनकार कर दिया। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। घटना बदायूं के दीन नगर शेखपुर गांव की है। यहां किसान नत्थू लाल जाटव सोमवार को देर रात अपने खेत में पानी दे रहा था। तभी दूसरे किसान रूप किशोर ने उससे पानी को अपने खेत में मोड़ने के लिए कहा, लेकिन जाटव ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उनके खेत में पानी की ज्यादा जरूरत है। इसके बाद गुस्साए किसान ने जाटव की जमकर पिटाई की।
कुछ स्थानीय लोगों ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही रूप किशोर ने जाटव पर कुदाल से हमला किया, लोग वहां से भाग गए। हमले में 56 वर्षीय किसान की मौत हो गई।
जाटव के बेटे ओमपाल ने संवाददाताओं को बताया, "मेरे पिता ने रात को मुझे घर जाने और उनके लिए खाना रखने को कहा। जब सुबह होने तक भी वे घर नहीं आए तो मैं खेत जाने के लिए निकला। रास्ते में मुझे स्थानीय लोगों में से एक ने बताया कि रूप किशोर ने मेरे पिता की हत्या कर दी। मैं मौके पर पहुंचा तो वहां मैंने पिता की लाश पड़ी देखी।"
ओमपाल ने कहा कि रूप किशोर अकेले हत्या नहीं कर सकता, उसके साथ कुछ अन्य लोग भी थे।
पुलिस अधीक्षक (एसपी) सिद्धार्थ वर्मा ने कहा कि ओमपाल की शिकायत के आधार पर रूप किशोर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा, "रूप किशोर पर हत्या और अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराओं के तहत बिल्सी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है। वह फरार था, लेकिन हमने उसे ढूंढकर गिरफ्तार कर लिया है। मामले की जांच जारी है।"
मंगलवार को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को शव सौंप दिया गया है।
बता दें कि दीन नगर शेखपुर गांव मुख्यत: दलितों का गांव है यहां की करीब 70 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति की है।
ठाणे, 23 सितंबर (वार्ता) महाराष्ट्र में ठाणे जिले के भिवंडी में एक बहु-मंजिली इमारत के ढहने से मरने वालों की संख्या बुधवार को बढ़कर 33 हो गयी।
अधिकारियों ने आज बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) तथा स्थानीय लोग राहत एवं बचाव कार्य जारी रखे हुए हैं। अधिकारियों के अनुसार 33 मृतकों में से दो वर्ष से 11 वर्ष की उम्र के 15 बच्चे तथा एक 75 वर्षीय वृद्ध सहित 10 पुरुष शामिल हैं।
ठाणे जिले में मंगलवार से भारी बारिश हो रही है, जिसके कारण राहत एवं बचाव कार्य में दिक्कतें आ रही हैं।
मुंबई में देर शुरू हुई मूसलाधार बारिश से मुंबई वासियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। शहर में भारी बारिश और जलजमाव को देखते हुए बीएमसी ने इमर्जेंसी सेवाओं को छोड़कर शहर के सभी निजी और सरकारी संस्थानों में छुट्टी का आदेश दिया। कमिश्नर की लोगों से अपील की है कि वे घर से बाहर ना निकलें।
रातभर हुई भारी बारिश ने मुंबई और मुंबई महानगरीय क्षेत्र में जिलों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। भारी बारिश के कारण सड़क और रेल यातायात गंभीर रूप से बाधित हुई है और आवश्यक सेवा दे रहे लोगों के आवागमन को प्रभावित किया है। यह जानकारी अधिकारियों ने बुधवार को दी।
आईएमडी के अनुसार, शहर में 12.20 सेंटीमीटर से अधिक बारिश दर्ज की गई, जबकि उपनगरों में रात के दौरान 27.50 सेंटीमीटर से अधिक बारिश हुई। आईएमडी मुंबई ने आगामी दिनों में भारी बारिश की भविष्यवाणी की है, इसके साथ ही अधिकारियों ने लोगों से आग्रह किया है कि जब तक आवश्यक न हो घर से बाहर न निकलें।
सेंट्रल मुंबई के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों जैसे सायन, माटुंगा, कुर्ला, चूना भट्टी, मझगांव, मस्जिद बंदर और बाइकुला से भारी जल-जमाव की सूचना मिली है। उपनगरों में कई इलाकों के अलावा गोरेगांव, मलाड, दहिसर, कुर्ला, घाटकोपर, मुलुंद में जलभराव होने की जानकारी सामने आई है।
कई इलाकों में बारिश का पानी रेलवे ट्रैक पर भर गया है। ऐसे में सीआर के मुख्य प्रवक्ता शिवाजी सुतार ने कहा कि, सेंट्रल रेलवे ने छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस से ठाणे और वाशी तक उपनगरीय सेवाएं निलंबित कर दी हैं। स्पेशल मेल / एक्सप्रेस ट्रेनों को रिशेड्यूल किया गया है। रेल पटरियों के जलमग्न होने की वजह से वेस्टर्न रेलवे ने चर्चगेट से अंधेरी के बीच सभी उपनगरीय सेवाओं को निलंबित कर दिया है।
आईएमडी, मौसम विज्ञान के डिप्टी डायरेक्टर जनरल केएस होसलिकर ने कहा, "मुंबई और ठाणे उपनगरों में पिछले 12 घंटों में भारी बारिश के साथ कुछ क्षेत्रों में 150 मिलीमीटर से अधिक बारिश रिकॉर्ड करने की जानकारी मिली है।"(navjivan)
भोपाल, 23 सितंबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना की तरह राज्य के किसानों को हर साल चार हजार रुपये की अतिरिक्त सम्मान निधि देने का फैसला लिया है, इस तरह किसानों के खाते में अब हर साल 10 हजार रुपये पहुंचेंगे। आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक से पहले मंत्री परिषद के सभी सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में प्रदेश के 77 लाख किसानों को प्रतिवर्ष तीन किस्तों में दो-दो हजार रुपये, कुल छह हजार रुपये प्रति किसान दिए जाते हैं। अब मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों के हित में बड़ा फैसला करते हुए उन्हें राज्य सरकार की ओर से प्रतिवर्ष दो किस्तों में दो-दो हजार रुपये यानी कुल चार हजार रुपये की सम्मान राशि देने का फैसला किया है। केंद्र व राज्य सरकार की इन योजनाओं की कुल राशि अब 10 हजार रुपये हो जाएगी।
'मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना' से प्रदेश के सभी किसानों को लाभ होगा। विशेषकर छोटे किसानों के लिए यह योजना वरदान साबित होगी।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश के 77 लाख किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ मिल रहा है। मध्यप्रदेश सरकार किसानों का सर्वे कर प्रदेश के प्रत्येक किसान को मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ देगी। प्रदेश में खातेदार किसानों की अनुमानित संख्या एक करोड़ है।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत के किसानों को सम्मान निधि की पहली किस्त के वितरण की शुरुआत पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिन पर दी जाएगी। उस दिन किसानों के खातों में मुख्यमंत्री स्वयं भोपाल से तथा मंत्रीगण व अन्य जनप्रतिनिधि अन्य जिलों में आयोजित कार्यक्रमों में राशि अंतरित करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के किसानों को सरकार पूरा सुरक्षा चक्र प्रदान कर रही है। मध्यप्रदेश सरकार एक के बाद एक किसानों के हित में फैसले ले रही है। पहले किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर फसल ऋण उपलब्ध कराने की योजना शुरू की गई। फिर उनके खातों में गत वर्षो की फसल बीमा राशि डाली गई।
मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की प्रक्रिया के विषय में बताया कि लाभान्वित किए जाने वाले किसानों की जानकारी किसान सम्मान निधि पोर्टल पर दर्ज रहेगी। क्षेत्र के पटवारी जानकारी का सत्यापन करेंगे। किसानों को सिर्फ एक बार क्षेत्र के पटवारी को भौतिक रूप से आवेदन देना होगा।
फिल्म अभिनेता और पटना के रहने वाले सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में देशभर में अपने बयानों को लेकर खूब चर्चित बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने वीआरएस ले लिया है। उनके वीआरएस के आवेदन को सरकार ने मंजूर कर लिया है। इसके साथ ही कयास लगाया जाने लगा है कि पांडेय बिहार में विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।
बिहार के गृह विभाग (आरक्षी शाखा) ने मंगलवार को इसकी अधिसूचना जारी की कि बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी गुप्तेश्वर पांडेय ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले लिया है। सूचना में बताया गया कि पांडे ने पहले ही वीआरएस का आवेदन किया था जिसे जिसे सरकार ने मंजूर कर लिया।
गुप्तेश्वर पांडेय को पिछले वर्ष बिहार का पुलिस महानिदेशक बनाया गया था। वे अगले साल फरवरी में सेवानिवृत्त होने वाले थे। उनके वीआरएस के बाद संजीव कुमार सिंघल को अगले आदेश तक डीजीपी पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। संजीव सिंघल फिलहाल नागरिक सुरक्षा एवं अग्निशमन सेवा के डीजी हैं।
बताया जा रहा है कि गुप्तेश्वर पांडे ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने के लिए ये कदम उठाया है। अब वह जल्द ही विधिवत रूप से राजनीतिक पारी शुरू करने की घोषणा कर सकते हैं।
गुप्तेश्वर पांडे के राजनीति में जाने की चर्चाएं उस वक्त जोर पकड़ने लगी थीं जब उन्होंने हाल ही में अपने गृह जिले बक्सर का दौरा किया था और वहां जिला जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष से भी मुलाकात की थी। उस वक्त जब उनसे चुनाव लड़ने के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने इससे साफ इनकार कर दिया था।
इसके बाद पटना वापस पहुंचने पर उन्होंने फिर जेडीयू के कुछ अन्य नेताओं से मुलाकात की थी। ध्यान रहे कि गुप्तेश्वर पांडेय के एनडीए के नेताओं से अच्छे संबंध रहे हैं। 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले भी उन्होंने वीआरएस लिया था लेकिन उस वक्त उन्हें टिकट नहीं मिला था। इसके बाद वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपनी नजदीकियों के चलते पुलिस सेवा में वापस आ गए थे।
(आईएएनएस इनपुट के साथ)(navjivan)
नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट बुधवार को फेसबुक इंडिया के सोशल मीडिया हेड अजीत मोहन की याचिका पर सुनवाई करेगा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली विधानसभा द्वारा भेजे नोटिस को चुनौती दी है। याचिका न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, अनिरुद्ध बोस और कृष्णा मुरारी की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध है।
रविवार को, दिल्ली विधानसभा की शांति व सद्भाव पैनल ने मोहन को 23 सितंबर से पहले पेश होने का नया नोटिस दिया था। दरअसल, पैनल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को हेट स्पीच नियमों को जानबूझकर लागू नहीं करने के आरोप में यह नोटिस दिया था और आरोपों पर स्पष्टीकरण देने को कहा था।
इससे पहले भी पैनल ने फेसबुक इंडिया के प्रमुख को 10 और 18 सितंबर को विधानसभा की स्थायी समिति के समक्ष पेश होने का नोटिस दिया था। याचिका में इन समन के तत्वाधान में दिल्ली विधानसभा की ओर से किसी कठोर कार्रवाई पर रोक की मांग की गई है।
नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)| धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से गिरफ्तार एक चीनी नागरिक यान हाओ और उसके दो सहयोगियों को आठ दिन की एजेंसी की हिरासत में भेज दिया गया है। हैदराबाद में एक पीएमएलए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। एजेंसी ने यह जानकारी दी। ईडी के एक अधिकारी ने कहा कि विशेष पीएमएलए कोर्ट ने हाओ, धीरज सरकार और अंकित कपूर को ईडी की हिरासत में भेज दिया गया। इनलोगों को चीनी नागरिक द्वारा चलाए जा रहे ऑनलाइन सट्टेबाजी एप के संबंध में धनशोधन से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया गया।
हैदराबाद में साइबरक्राइम स्टेशन ने डोकयापे टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड और लिंकयून टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड और अन्य के खिलाफ ऑनलाइन सट्टेबाजी मामले में एफआईआर दर्ज करवाई थी, जिसके आधार पर ईडी ने धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था।
अधिकारी ने कहा कि आरोपी ने अपना सदस्य बनाने के लिए बड़ी संख्या में वेबसाइटों का निर्माण किया था और ये लोग आकर्षक इनाम देने का वादा करके भोले-भाले लोगों को फंसाते थे।
अधिकारी ने कहा, "पेटीएम और कैशफ्री का प्रयोग पैसे लेने और सभी सदस्यों और एजेंटों को कमीशन देने के लिए किया जाता था। ई-कॉमर्स की आड़ में ऑनलाइन सट्टेबाजी को बढ़ावा देने के लिए सैकड़ों वेबसाइट बनाई गई थी।"
ईडी ने इस संबंध में दिल्ली, गुरुग्राम, मुंबई और पुणे में 15 जगहों पर छापे मारे और 17 हार्ड डिस्क, पांच लैपटॉप, मोबाइल फोन और कुछ दस्तावेज प्राप्त किए।
नई दिल्ली, 22 सितंबर | आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि देश की जनता की गाढ़ी कमाई से अखबारों में अंग्रेजी में विज्ञापन देकर अपना चेहरा चमकाने की कोशिश की जा रही है। पार्टी ने कहा कि भाजपा बताए कि देश के 62 करोड़ किसान और कृषि क्षेत्र के मजदूरों में वे कौन से लोग हैं, जो अंग्रेजी विज्ञापन को पढ़कर 'मिनिमम सपोर्ट प्राइस', 'पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम' और 'पब्लिक सिक्योरमेंट' को समझेंगे।
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता राघव चड्ढा ने मंगलवार को कहा, "अंग्रेजी में विज्ञापन देना, क्या गरीब, दबे, कुचले और छले गए किसानों का मजाक उड़ाना नहीं है, क्या उसके जख्मों पर नमक छिड़कना नहीं है?" राघव चड्ढा ने कहा, "2015-16 का एग्रीकल्चरल सर्वे कहता है कि देश में 80 प्रतिशत किसानों के पास 2 एकड़ से भी कम जमीन है। वह गरीब किसान आज अपने गांव से साथ वाले गांव में अपनी फसल बेचने के लिए नहीं लेकर जा पाता है। किसान को ठगने की कोशिश की और अब अंग्रेजी में विज्ञापन देकर सरकार का चेहरा चमकाना चाहते हैं।"
वहीं, एन.डी. गुप्ता ने बताया कि राज्यसभा में कामकाज का सुबह 9 से दोपहर एक बजे तक समय होता है। मंत्री जी का भाषण चल रहा था। आदरणीय उपसभापति ने 1 बजे के बाद सर्वसम्मति बनाने की बात कही। लोकसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि इस पर सिर्फ आपकी पार्टी सहमत होगी, बाकी विपक्ष इस पर बिल्कुल सहमत नहीं है और इस सदन की पिछले 70 साल में यह परंपरा रही है कि जब भी कभी निश्चित समय से संसद का समय बढ़ाना हो, तो सदन की पूरी सहमति ली जाती है और आज सहमति नहीं है। इसके बाद आगे की चर्चा शुरू हो गई। जब बिल होता है, तब उसमें वोटिंग होती है।"
एन.डी. गुप्ता के मुताबिक, हर एक अमेंडमेंट क्लाउज पर विपक्ष ने कहा कि इस पर वोटिंग करवाइए। वोटिंग करवाने का विपक्ष का अधिकार है। नियम में यहां तक प्रावधान है कि यदि 240 सदस्यों में से 239 सदस्य बिल के पक्ष में है और अगर एक सदस्य भी वोटिंग चाहता है, तो उसकी बात माननी पड़ेगी, लेकिन उसको स्वीकार नहीं किया गया और सभी संशोधन पास होते गए। उसके बाद उसमें बिल आया और उस पर फिर डिवीजन की मांग की गई, लेकिन डिवीजन नहीं दिया गया और वह पास हो गया।
आप सांसद ने कहा कि किसानों को उनके रहमो-करम पर छोड़ दिया गया है। किसानों की आवाज उठाने वाले राज्यसभा सांसद संजय सिंह का कुर्ता फाड़ दिया गया, संसद में मार्शल ने उनका पैर पकड़ खींचा और आठ सांसदों को निलंबित कर दिया गया। यह सरकार ऑर्डिनेंस सरकार हो गई है, इसे न स्टैंडिंग कमेटी, न सेलेक्ट कमेटी और न पार्लियामेंट में विपक्ष की जरूरत है।"(NAVJIVAN)
श्रीनगर, 22 सितम्बर (आईएएनएस)| कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (केपीएसएस) के अध्यक्ष संजय टिकू कश्मीर के गैर-प्रवासी पंडित समुदाय के अधिकारों के लिए श्रीनगर शहर के ऐतिहासिक गणपतियार मंदिर में अनशन पर हैं। आईएएनएस से बात करते हुए संजय टिकू ने कहा कि कश्मीर घाटी छोड़ कर न जाने वाले कश्मीरी पंडितों को नौकरी देने का सरकार का वादा अभी भी अधूरा है।
उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों ने प्रधानमंत्री के पुनर्वास पैकेज में गैर-प्रवासी पंडितों को शामिल करने के लिए 2013 में उच्च न्यायालय में मामला दायर किया था।
टिकू ने कहा, अदालत ने केंद्र और राज्य को हमारी मांगों पर विचार करने के लिए निर्देश दिए। हम कश्मीरी पंडितों की वापसी और पुनर्वास के लिए पीएम के पैकेज में शामिल थे।
उन्होंने कहा कि एसआरओ 425 के तहत गैर-प्रवासी कश्मीरी पंडितों के लिए 500 सरकारी नौकरियों का कोटा रखा गया था लेकिन प्रक्रिया बिना किसी कारण के रुकी हुई है।
उन्होंने कहा कि समुदाय में निराशा की भावना है क्योंकि अधिकांश नौकरी के इच्छुक लोग उम्र की सीमा तक पहुंच रहे हैं।
इस बीच, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया, 808 कश्मीरी पंडित परिवार घाटी में ही रह गए। कालान्तर में वे श्रीनगर में बस गए। उनकी मांग पूरी नहीं की जा रही है और अब संजय टिकू मौत की ओर बढ़ रहे हैं। वो आमरन अनशन पर हैं। कश्मीरी पंडित परिवार, जिन्होंने आतंकवाद का मुकाबला किया, की उपेक्षा की जा रही है। दुखद है।
बता दें कि 1990 के दशक की शुरूआत में कश्मीर में उग्रवाद भड़कने के बाद कश्मीरी पंडित बड़ी संख्या में या तो दिल्ली चले गए या जम्मू में रहने लगे। हालाकि, कुल 808 पंडित परिवारों ने कश्मीर घाटी में रहने का फैसला किया और पलायन नहीं किया।
--आईएएनएस
भोपाल, 22 सितंबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में किसान कर्जमाफी के मामले में शिवराज सिंह चौहान की सरकार घिर गई है, क्योंकि सरकार अभी तक यह कहती रही है कि कांग्रेस ने झूठ बोला है, कर्जमाफी हुई ही नहीं। मगर विधानसभा में एक सवाल के जवाब में सरकार ने माना है कि लगभग 27 लाख किसानों का कर्ज माफ किया गया है। सरकार के इस जवाब के बाद कांग्रेस उस पर हमलावर हो गई है और उसने मुख्यमंत्री चौहान व पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से प्रदेश की जनता को गुमराह करने के लिए माफी मांगने की मांग की है।
विधानसभा के एक दिवसीय सत्र में बाला बच्चन ने जय किसान फसल ऋण माफी को लेकर एक सवाल पूछा था। उसका लिखित में जवाब देते हुए प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने बताया कि इस योजना के तहत कुल 51 लाख 53 हजार से ज्यादा किसान फार्म भरे थे। इनमें से प्रथम चरण में 20 लाख 23 हजार 136 किसानों के लिए 71 सौ करोड़ और दूसरे चरण में छह लाख 72 हजार से ज्यादा किसानों के लिए साढ़े चार हजार करोड़ से ज्यादा की राशि स्वीकृत की गई।
कृषि मंत्री पटेल के इस जवाब पर सरकार को कांग्रेस ने घेरा है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा है कि कांग्रेस सरकार द्वारा किसानों की ऋण माफी पर पहले दिन से ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए ज्योतिरादित्य सिंधिया झूठ बोलते रहे हैं। इस झूठ की राजनीति का पर्दाफाश स्वयं शिवराज सरकार ने विधानसभा में कर दिया है और स्वीकार किया कि प्रदेश में प्रथम और द्वितीय चरण में कांग्रेस की सरकार ने 51 जिलों में 26 लाख 95 हजार किसानों का 11 हजार 6 सौ करोड़ रुपये से अधिक का ऋण माफ किया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता से सफेद झूठ बोलने और गुमराह करने की घृणित राजनीति के लिए शिवराज सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया को तत्काल प्रदेश की जनता से माफी मांगनी चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "सदन के पटल पर जो सच्चाई भाजपा सरकार ने स्वीकार की है, इससे शिवराज सिंह व भाजपा की झूठ की राजनीति का पर्दाफाश हो चुका है और मेरे द्वारा पहले दिन से ही किसान ऋण माफी की जो संख्या और सूची दी जा रही थी, वह अंतत: सच साबित हुई है। भाजपा चाहे जितना झूठ बोल ले, लेकिन जो सच्चाई है वह इस प्रदेश की जनता जानती है और हमारे किसान भाई इसके गवाह हैं। इसी सच्चाई को सदन में भाजपा सरकार के कृषि मंत्री ने लिखित में स्वीकार भी किया है।"
कमल नाथ ने कहा कि इस सच्चााई को स्वीकार करने के बाद शिवराज सरकार को शेष किसानों की ऋण माफी की प्रक्रिया जल्द शुरू करनी चाहिए। इसके साथ ही विधानसभा में जो बहाना ऋण माफी योजना की समीक्षा का बनाया गया है, वह यह बताता है कि भाजपा और शिवराज सिंह किसानों के विरोधी हैं। कांग्रेस सरकार ने ऋण माफी की जो योजना बनाई थी, वह पूरी तरह विचार-विमर्श के बाद ही तैयार की गई थी, जिसकी समीक्षा करने की कोई गुंजाइश नहीं बचती है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)| आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि देश की जनता की गाढ़ी कमाई से अखबारों में अंग्रेजी में विज्ञापन देकर अपना चेहरा चमकाने की कोशिश की जा रही है। आप ने कहा कि भाजपा बताए कि देश के 62 करोड़ किसान और कृषि क्षेत्र के मजदूरों में वे कौन से लोग हैं, जो अंग्रेजी विज्ञापन को पढ़कर 'मिनिमम सपोर्ट प्राइस', 'पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम' और 'पब्लिक सिक्योरमेंट' को समझेंगे। आप के प्रवक्ता राघव चड्ढा ने मंगलवार को प्रेस वार्ता में कहा, "अंग्रेजी में विज्ञापन देना, क्या गरीब, दबे, कुचले व छले किसानों का मजाक उड़ाना नहीं है, क्या उसके जख्मों पर नमक छिड़कना नहीं है।"
वहीं, आप के राज्यसभा सांसद एन.डी. गुप्ता ने कहा, "किसानों को उनके रहमो-करम पर छोड़ दिया गया है। किसानों की आवाज उठाने वाले राज्यसभा सांसद संजय सिंह का कुर्ता फाड़ दिया गया, संसद में मार्शल ने उनका पैर पकड़ खींचा और आठ सांसदों को निलंबित कर दिया गया। यह सरकार ऑर्डिनेंस सरकार हो गई है, इसे न स्टैंडिंग कमेटी, न सेलेक्ट कमेटी और न पार्लियामेंट में विपक्ष की जरूरत है।"
वहीं, राघव चड्ढा ने कहा, "2015-16 का एग्रीकल्चरल सर्वे यह कहता है कि देश में 80 प्रतिशत किसानों के पास 2 एकड़ से भी कम जमीन है, वह गरीब किसान आज अपने गांव से साथ वाले गांव में अपनी फसल बेचने के लिए नहीं लेकर जा पाता है। हम साफ तौर पर चेतावनी देना चाहते हैं कि किसान को जो ठगने की कोशिश की है और अब अंग्रेजी में विज्ञापन देकर सरकार का चेहरा चमकाना चाहते हैं।"
एन.डी. गुप्ता ने कहा, "राज्यसभा में कामकाज का सुबह 9 से दोपहर एक बजे तक का समय होता है। मंत्री जी का भाषण चल रहा था। आदरणीय उपसभापति ने 1 बजे के बाद सर्वसम्मति बनाने की बात कही। लोकसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि इस पर सिर्फ आपकी पार्टी सहमत होगी, बाकी विपक्ष इस पर बिल्कुल सहमत नहीं है और इस सदन की पिछले 70 साल में यह परंपरा रही है कि जब भी कभी निश्चित समय से संसद का समय बढ़ाना हो, तो सदन की पूरी सहमति ली जाती है और आज सहमति नहीं है। इसके बाद आगे की चर्चा शुरू हो गई। जब बिल होता है, तब उसमें वोटिंग होती है।"
एन.डी. गुप्ता के मुताबिक, हर एक अमेंडमेंट क्लास पर विपक्ष ने कहा कि इस पर वोटिंग करवाइए। वोटिंग करवाने का विपक्ष का अधिकार है। नियम में यहां तक प्रावधान है कि यदि 240 सदस्यों में से 239 सदस्य बिल के पक्ष में है और अगर एक सदस्य भी वोटिंग चाहता है, तो उसकी बात माननी पड़ेगी, लेकिन उसको स्वीकार नहीं किया गया और सभी संशोधन पास होते गए। उसके बाद उसमें बिल आया और उस पर फिर डिवीजन की मांग की गई, लेकिन डिवीजन नहीं दिया गया और वह पास हो गया।
--आईएएनएस
अमृतसर, 22 सितंबर (आईएएनएस)| कृषि बिलों को लेकर भाजपा नीत केंद्र सरकार पर हमलावर रुख अख्तियार करते हुए, पंजाब के पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने मंगलवार को कहा कि वह अपने संसदीय क्षेत्र अमृतसर (पूर्व) में इस बाबत हो रहे प्रदर्शनों में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के बिल का जवाब देने का कानूनी समाधान इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देना है।
सिद्धू ने यह घोषणा ऐसा समय की है, जब पार्टी ने अपने सांसद/विधायकों को सदन द्वारा पारित कृषि बिल के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए कहा है।
सिद्धू ने मीडिया से कहा, "किसान पंजाब की आत्मा है और आत्मा पर हमले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"
उन्होंने कहा, "बिल किसानों और मजदूरों की कीमत पर बड़ें पूंजीपतियों के फायदे में होगा और यह भारत के संघीय ढांचे को बुरी तरह से प्रभावित करेगा।"
कांग्रेस नेता ने कहा, "बिल 28,000 आढ़तियों और पंजाब में 4-5 लाख मंडी में काम करने वाले लोगों की आजीविका को छीन लेगा, जिनके पास 1850 बिक्री केंद्र हैं।"
--आईएएनएस
पटना, 22 सितम्बर (आईएएनएस)| बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को बिना किसी का नाम लिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद पर इशारों ही इशारों में परिवारवाद को लेकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के लिए बेटा-बेटी परिवार, हमारे लिए तो पूरा बिहार ही परिवार है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वर्चुअल रूप से पथ निर्माण विभाग, स्वास्थ्य विभाग, जल संसाधन विभाग सहित कई अन्य विभागों की योजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि लोगों ने हमें मौका दिया है सेवा करने का। हम सेवा करते हैं, सेवा ही हमारा धर्म है।
उन्होंने दावा करते हुए कहा, बिहार आगे बढ़ रहा है, बिहार विकास कर रहा है और बिहार विकसित राज्य बनेगा, ये हमारा संकल्प है।
उन्होंने कहा कि न्याय के साथ विकास करने का हम प्रयास कर रहे हैं, जो हाशिए पर थे, उनको आगे लाने का काम किया है। बिहार के हर क्षेत्र में काम हो रहा है।
नीतीश ने विरोधियों पर निशाना साधते हुए किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उन्होंने इशारों ही इशारों में राजद शासनकाल की तरफ इशारा करते हुए कहा, 1990 से मौका मिला 2005 तक, कुछ नहीं किए। अब सोशल मीडिया पर तरह तरह के भ्रम फैला रहे हैं। कुछ लोगों के लिए बेटा-बेटी ही परिवार है। हमारे लिए पूरा बिहार परिवार है।
नीतीश ने कहा कि पार्टी के अंदर भी जो हैं, उसको भी इज्जत नहीं मिल रही है।
--आईएएनएस
पटना, 22 सितंबर (आईएएनएस)| बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां अब 'चुनावी मोड' में आ गई हैं। इसी बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने रविवार को राज्यसभा में उपसभापति हरिवंश के साथ विपक्षी सदस्यों द्वारा किए गए व्यवहार को लेकर मंगलवार को अचानक आक्रामक हो गई और इस मामले को 'बिहारी अस्मिता' से जोड़ते हुए विपक्ष पर ताबड़तोड़ निशाना साध रही है।
भाजपा के बिहार प्रभारी और सांसद भूपेंद्र यादव ने विपक्षी नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्षी सांसद पंरपरागत मान्यताओं का बोध भी खो चुके हैं।
उन्होंने अपने फेसबुक एकाउंट पर 'सांसद डायरी' पोस्ट करते हुए लिखा, "जिस प्रकार का दुर्व्यवहार विपक्ष के सांसदों द्वारा राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश जी के साथ किया गया था, वह किसी भी प्रकार से सदन के अनुकूल नहीं है। कभी भी सांसदों से ऐसे व्यवहार करने की उम्मीद नहीं होती कि वे सदन में उपसभापति की मेज पर चढ़कर रूलबुक फोड़ेंगे और सेक्रेटरी जेनरल की टेबल पर खड़े होकर हंगामा करेंगे।"
उन्होंने आगे कहा कि भारत में मान्यता है कि जहां पर किताबें रखी जाती हैं, वहां पर कभी पैर नहीं रखा जाता, लेकिनु इन परंपरागत मान्यताओं का बोध भी विपक्ष के लोग खो चुके हैं।
इधर, भूपेंद्र यादव ने उपसभापति द्वारा राष्ट्रपति को लिखे पत्र को ट्वीट करते हुए लिखा, "दशकों पहले जब कांग्रेस लोकतंत्र को कुचलने निकली थी, तब बिहार से निकले जेपी ने लोकतंत्र की लड़ाई लड़ी और देश जीता। बिहार के ही हरिवंश जी का पत्र पढ़ते हुए लगा कि अब, जब कांग्रेस फिर लोकतांत्रिक मर्यादाओं के खिलाफ खड़ी है, तब यह पत्र लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाने का दस्तावेज बन रहा है।"
इधर, राज्य के बिहार के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री विनोद नारायण झा ने मंगलवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश के साथ जो घटना घटी है, उससे पूरे बिहार को आघात लगा है।
उन्होंने कहा कि समूचा बिहार इससे दुखी है, लेकिन आश्चर्य है कि राजद ऐसे लोगों के पक्ष में खड़ा है, उन्हें बचा रहा है। उन्होंने कहा, "बिहार के बेटे हरिवंश जी के साथ हुआ दुर्व्यवहार बेहद ही निंदनीय है। 'लोकतंत्र' को 'गुंडातंत्र' में बदलने पर आमादा विपक्ष के इस अमर्यादित बर्ताव एवं व्यवहार की जितनी निंदा की जाए उतनी कम है।"
उन्होंने कहा, "लोकतंत्र को जब कांग्रेस ने बंधक बना दिया था, इसी बिहार ने हुंकारा था। आज उसी बिहार को फिर ललकारा है। लोकतंत्र को शर्मसार किया है। जो धरने पर बैठे हैं, उनके लिए हरिवंश जी चाय लेकर गए। धरना देने वालों को माफी मांगनी चाहिए।"
भाजपा के प्रवक्ता और पूर्व सांसद शहनवाज हुसैन ने मंगलवार को कहा, "हरिवंश जी पर विपक्षी सांसदों का हमला निंदनीय और अनैतिक है। इसे बिहार सहन नहीं करेगा। हरिवंश जी अकेले नहीं हैं, उन पर हमला विपक्ष के अमर्यादित व्यवहार का ज्वलंत उदाहरण है।"
चुनाव से पहले हुई इस घटना को लेकर आक्रामक हुई भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल कहते हैं कि यह हमला हरिवंश पर नहीं हुआ है, यह हमला बिहार की गरिमा और सम्मान पर हुआ है, पत्रकारिता की स्वर्णिम पृष्ठभूमि पर भी हुआ है।"
बिहार भाजपा के प्रवक्ता डॉ़ निखिल आनंद ने कहा, "रात से धरने पर बैठे आठ सांसदों के लिए उपसभापति हरिवंश खुद सुबह में घर से चाय लेकर गए। यह जो उन्होंने उदाहरण पेश किया है, उससे भारतीय लोकतंत्र का मान-सम्मान बहुत ऊंचा होता है। बिहार लोकतंत्र की जननी रही है, हरिवंश जी बिहार का प्रतिनिधित्व करते हैं और उन पर सिर्फ बिहार ही नहीं, समस्त भारतवासियों को गर्व होगा।"
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)| देश में रेलवे से टिकट बुक करने के बाद आपको कन्फर्मेशन का इंतजार करना होता है। वहीं आपको टिकट कैंसल भी करनी पड़ती है, जिसकी वजह से यात्रियों के सफर पर असर पड़ता है। मुंबई स्थित स्टार्टअप रेलोफाये ने भारत की पहली 'वेस्टलिस्ट और आरएसी प्रोटेक्शन' सेवा शुरू की है, जो भारत में बकाया वेटलिस्ट समस्या से निपट रही है। यात्रियों को लंबा सफर तय करने के लिए फ्लाइट या ट्रेन ही दो विकल्प रहते हैं। लेकिन अक्सर फ्लाइट का टिकट थोड़ा महंगा होने के चलते यात्री ट्रेन से ही सफर करना पसंद करते हैं। इसके बाद आपको चार्ट तैयार होने की प्रतीक्षा करनी पड़ती है और यदि टिकट कन्फर्म नहीं होती है तो यात्रा रद्द करनी पड़ती है।
एक यात्री दीपिका अग्रवाल ने आईएएनएस को बताया, "मुंबई से दिल्ली तक सफर करना था और हमारे 6 लोगों के टिकट वेटलिस्ट के थे। हमारे टिकट आखिरी वक्त में भी कन्फर्मेशन नहीं हुए। इसके बाद हमने इस एप के माध्यम से अपना सफर पूरा किया।"
दरअसल, यात्री को रेलोफाई की वेबसाइट या एप पर जाकर, अपने टिकट का पीएनआर नंबर डालना होगा। वहीं यात्री को एक शुल्क जमा करना होगा, जो हर यात्रा के हिसाब से तय किया गया है।
इसके बाद रेलोफाये यात्री के वेटलिस्ट टिकट को ट्रैक करता रहता है। यदि यात्री का टिकट कन्फर्म नहीं होता, तो रेलोफाये यात्री को फ्लाइट का टिकट देकर उसकी यात्रा पूरी करवाता है। वहीं यात्री को ट्रेन के ही दाम पर विमान से यात्रा करने का मौका मिलता है।
दीपिका ने आगे कहा, "जैसा कि बता चुकी हूं, हमारे 6 टिकट वेटलिस्ट में थे। उस समय तत्काल टिकट का दाम 4000 था और मार्केट में फ्लाइट का एक टिकट 5000 रुपये का पड़ रहा था। हमने रेलोफाये से वेटलिस्ट प्रोटेक्शन लिया था। चार्ट बनने के बाद हमें सिर्फ 2000 रुपये में फ्लाइट का टिकट मिल गया।"
रेलोफाये की संस्थापक टीम से रोहन ने आईएएनएस को बताया, "लगभग 30 करोड़ भारतीय हर साल रेलवे की वेटलिस्ट से जूझते हैं। हम चाहते हैं कि यात्री को अपने सफर में कोई परेशानी न हो। जनवरी 2020 से हमने इसे शुरू किया और पहले कुछ महीने में ही करीब 100 यात्रियों ने हमारे माध्यम से अपना सफर पूरा किया।"
उन्होंने बताया, "रेलोफाये की सेवा अभी देश में चल रहीं सभी ट्रेनों और क्लासेस के लिए उपलब्ध है। वहीं कोरोना महामारी के दौरान प्रवासी मजदूरों ने हमारी सुविधा का लाभ उठाया। जो लोग काम पर फिर से लौट रहे हैं, वे भी हमारे माध्यम से अपना सफर पूरा कर रहे हैं।"
रोहन ने कहा कि जिन यात्रियों का गांव एयरपोर्ट से दूर है, रेलोफाये उन्हें उनके घर से एयरपोर्ट तक पहुंचाने की सुविधा भी देता है।
उन्होंने कहा कि हालांकि रेलोफाये लंबे सफर को आसान बनाने के साथ ही छोटे मार्गो के लिए बस सुविधा भी देना शुरू कर रहा है, ताकि यात्रियों को कम से कम परेशानी हो।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)| दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली सरकार के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में निजी अस्पतालों को कोविड-19 रोगियों के लिए 80 प्रतिशत आईसीयू बेड आरक्षित रखने का आदेश दिया था। न्यायमूर्ति नवीन चावला की अगुवाई वाली हाईकोर्ट की एकल न्यायाधीश पीठ ने 'एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स' द्वारा दायर एक याचिका पर नोटिस जारी करते हुए यह आदेश दिया।
पीठ ने दिल्ली सरकार, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) और केंद्र सरकार से जवाब मांगा और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 16 अक्टूबर तक टाल दिया।
वकील संयम खेतपाल और नरिता यादव के माध्यम से दायर याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने बहस की।
याचिका में कहा गया कि आदेश को इस बात का अहसास किए बिना अनियंत्रित, अनुचित और अवैध तरीके से पारित कर दिया गया कि निजी नर्सिग होम और अस्पतालों को इससे मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, इस तथ्य पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है कि नॉन-कोविड रोगियों को लंबे समय तक या अचानक बीमारी की स्थिति में आईसीयू/एचडीयू बेड की अनुपलब्धता के कारण घातक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
याचिकाकर्ता एसोसिएशन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि निजी अस्पतालों में आईसीयू/एचडीयू बेड के अधिकांश हिस्से पूरी तरह से ऑक्युपाइड हैं, इस तथ्य पर ध्यान दिए बिना आदेश को पारित कर दिया गया है.. आदेश में कोविड रोगियों के लिए 80 प्रतिशत आईसीयू/एचडीयू में बेड आरक्षित रखने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे यह एक ओर जहां नॉन-कोविड रोगियों के स्वास्थ्य और जीवन दोनों को खतरे में डालना होगा, वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य सुविधाओं की प्रभावी कार्यप्रणाली भी प्रभावित होगी।
याचिका में यह भी कहा गया है कि क्रिटिकल केयर बेड की मौजूदा मांग-आपूर्ति की स्थिति को समझने के लिए निजी अस्पतालों के साथ बिना किसी पूर्व चर्चा के आदेश जारी किया गया है।
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में गंभीर रूप से बीमार रोगियों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले आवश्यक और संवैधानिक रूप से गारंटीकृत आईसीयू / एचडीयू में गहन चिकित्सा उपचार के आवश्यक स्तर तक पहुंच से वंचित कर दिया गया।
इसमें कहा गया है कि हरियाणा राज्य में, गुरुग्राम के जिला मजिस्ट्रेट ने कोविड मामलों के उपचार के लिए सभी सार्वजनिक और निजी अस्पतालों में केवल 35 प्रतिशत बेड ही आरक्षित रखने का निर्देश दिया है।
--आईएएनएस