राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 24 सितम्बर (आईएएनएस)| केंद्र ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि प्रथमदृष्टया ऐसा लगता है कि सुदर्शन टीवी के कार्यक्रम 'यूपीएससी जेहाद' ने प्रोग्राम कोड का उल्लंघन किया है और इसी वजह से चैनल को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है और बताने के लिए कहा गया है कि उसके खिलाफ क्यों न कोई कार्रवाई की जाए। केंद्र की ओर से पेश सॉलिस्टिर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति डी.वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को कहा कि सुदर्शन टीवी को 28 सितंबर तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है और सुझाव देते हुए कहा कि कोर्ट को मामले की सुनवाई स्थगित कर देनी चाहिए।
इसपर, पीठ ने कहा कि अगर उसने मामले में हस्तक्षेप नहीं किया होता और रोक नहीं लगाई होती तो, सभी 10 एपिसोड टेलीकास्ट कर दिए जाते।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, "कार्यक्रम अभी तक समाप्त हो गया होता, अगर कोर्ट ने हस्तक्षेप नहीं किया होता।"
मेहता ने इसपर कहा कि यह अच्छा होगा अगर अदालत का हस्तक्षेप मामले में अंतिम उपाय हो।
न्यायमूर्ति ने कहा कि इसके साथ ही सुनवाई को भी समाप्त करने की जरूरत होती है, सभी अच्छी चीजों का भी अंत होता है।
नई दिल्ली, 24 सितंबर (आईएएनएस)| चुनावी राज्यों में शुमार पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का फोकस बढ़ गया है। एक साल में चार बार संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के दौरे से बड़े संकेत मिलते हैं। तीन दिवसीय दौरा पूरा करने के बाद 25 सितंबर को मोहन भागवत कोलकाता से रवाना होंगे। बताया जा रहा है कि वह कोलकाता से ओडिशा जाएंगे।
संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत 22 सितंबर को कोलकाता पहुंचे। संघ सूत्रों ने बताया कि अगले दिन 23 सितंबर यानी बुधवार को उन्होंने पश्चिम बंगाल के कुछ संघ प्रचारकों से भेंट कर उनसे राज्य के हालात के बारे में जानकारी ली। वह 24 सितंबर को भी संघ और सहयोगी संगठनों के पदाधिकारियों से मिलेंगे। इसके बाद 25 सितंबर की सुबह कोलकाता से रवाना होंगे। सूत्रों का कहना है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत के एक साल में चार बार के दौरे से पश्चिम बंगाल को लेकर आरएसएस की खास रणनीति के संकेत मिलते हैं।
राज्य में 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिस तरह से ममता बनर्जी सरकार तुष्टीकरण की नीति पर चल रही है, उससे संघ राज्य में किसी भी परिस्थिति में सत्ता परिवर्तन चाहता है। ऐसे में संघ राज्य में चुनाव से पहले अपने काडर को मजबूत करने में जुटा है। संघ के शीर्ष अधिकारियों की ओर से पश्चिम बंगाल पर लगातार ध्यान दिया जा रहा है। गांव-गांव से संघ स्वयंसेवक तैयार करने में जुटा है।
आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत की सक्रीयता की बात करें तो इससे पूर्व पिछले साल वह एक और 31 अगस्त को कोलकाता आए थे, वहीं 19 सितंबर 2019 को भी उनका दौरा हुआ था। उस दौरान भी उन्होंने कई संगठनात्मक बैठकें लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए थे। इस प्रकार मोहन भागवत का सितंबर 2020 में यह चौथा दौरा है।
- Deborah Grey
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (KPSS) के अध्यक्ष संजय टिकू रविवार, 20 सितंबर से भूख हड़ताल पर बैठे हैं। हमारे सहयोगी संपादक देबोराह ग्रे के एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि वे इस कदम को उठाने के लिए क्यों मजबूर हुए।
Q) आपने जम्मू और कश्मीर के अधिकारियों को कई ज्ञापन और अभ्यावेदन प्रस्तुत किए हैं और यहां तक कि 27 अगस्त, 2020 को उपराज्यपाल से भी मुलाकात की। इस बीच ऐसा क्या हुआ कि आप आमरण अनशन के लिए मजबूर हो गए?
संजय टिकू: घाटी में गैर-प्रवासी कश्मीरी पंडित समुदाय को तत्काल राहत की जरूरत है। यह मुख्य रूप से रोजगार योजनाओं को लागू न करने के कारण है, जिसके परिणामस्वरूप सामुदायिक सदस्यों को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह समुदाय के लिए रोजगार योजनाओं के विषय पर जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय के अक्टूबर 2016 के फैसले के बावजूद है। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के बारे में यह और अन्य चिंताओं को कई ज्ञापनों के माध्यम से अधिकारियों को सूचित किया गया था, जिनमें से अंतिम 12 अगस्त को भेजा गया था, जहां हमने उन्हें जवाब देने के लिए एक पखवाड़ा दिया। जब मैं उपराज्यपाल से मिला, तो उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि समुदाय द्वारा उठाई गई चिंताओं को दूर किया जाएगा और वह मुख्य सचिव से बात करेंगे। हालाँकि, जब मैंने एक सप्ताह पहले मुख्य सचिव कार्यालय से संपर्क किया, तो मुझे बताया गया कि एलजी के कार्यालय से ऐसा कोई संचार प्राप्त नहीं हुआ है। मैंने उन्हें दो से तीन ईमेल भेजे और उनसे इस मुद्दे पर फिर से चर्चा करने के लिए समय मांगा, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। मुझे लगा कि गैर प्रवासियों के साथ सौतेले व्यवहार को उजागर करने का एकमात्र तरीका आमरण अनशन ही है।
Q) आपने यह भी कहा है कि आपको लगता है कि आपदा प्रबंधन राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण (DMRR & R) विभाग जानबूझकर गैर-प्रवासी कश्मीरी पंडितों की अनदेखी कर रहा है। ऐसा क्यों है?
संजय टिकू: 2016 के उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद अभी तक रोजगार योजनाओं को लागू नहीं किया गया है। हमने कई बार उनसे मुलाकात की, लेकिन वे अभिमानी बने हुए हैं। साथ ही, जब भी हमने किसी प्राधिकरण को ज्ञापन या प्रतिनिधित्व भेजा है, हमने इसे राहत विभाग को भी भेजा है। फिर भी वे अभिनय करने में असफल रहे हैं। गृह मंत्रालय ने 23 जून को उन्हें सरकारी योजना के अनुसार योग्य गैर-प्रवासी कश्मीरी पंडित युवाओं के लिए नौकरियों के लिए चयन प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कहा था। हालाँकि, उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की है! यह एक आश्चर्य है कि राहत विभाग के अधिकारी जानबूझकर हमारी अनदेखी कर रहे हैं। मुझे आश्चर्य है कि शायद हमारे सभी ज्ञापन सिर्फ कूड़ेदान में फेंक दिए जाते हैं!
Q) बेरोजगारी अभी भी युवाओं में सबसे बड़ी समस्या है, या यह नहीं है?
संजय टिकू: अक्टूबर 2016 में उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, 600 गैर-प्रवासी युवा कश्मीरी पंडित सरकारी योजना के तहत नौकरी पाने के योग्य पाए गए थे। लेकिन योजना के क्रियान्वयन में देरी के कारण इनमें से 86 लोग अपात्र हो गए हैं क्योंकि वे उम्र के मानदंडों को पार कर चुके हैं। अब, उनके साथ क्या होने जा रहा है? हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वे इस योजना के लिए विचार करें क्योंकि यह प्रशासनिक देरी थी जिससे वे अयोग्य हो गए। इसके अलावा, 500 से अधिक युवा ऐसे हैं जो पात्र हैं और यहां तक कि उन्हें अभी तक नौकरी नहीं दी गई है। सेवा चयन बोर्ड ने गैर-प्रवासी कश्मीरी पंडितों से आवेदन आमंत्रित करने वाले विज्ञापन भी नहीं लिए हैं, ताकि वे योग्यता परीक्षण के लिए उपस्थित हो सकें। पहले हम राज्य प्रशासन से संपर्क करते थे। जब अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया, तो हमने यूटी अधिकारियों से संपर्क किया। अब, कोविड के कारण, बेरोजगारी की स्थिति बदतर हो गई है और बदले में समुदाय द्वारा सामना की जाने वाली वित्तीय कठिनाइयों को बढ़ा दिया है।
Q) क्या आपको लगता है कि समुदाय का इस्तेमाल सिर्फ राजनीतिक सेंकने के लिए किया गया है?
संजय टिकू: हर कोई मुझे बताता है कि केंद्र में सत्तारूढ़ दल कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा के प्रति सहानुभूति रखता है। लेकिन फिर गैर-प्रवासी कश्मीरी पंडितों की पीड़ा को कम करने के लिए क्यों कुछ नहीं किया गया है? हम इस उदासीनता, इस सौतेले व्यवहार से थक चुके हैं। कश्मीर पंडितों के बीच पात्र परिवार जिन्होंने उग्रवाद के कारण घाटी छोड़ दी, उन्हें मासिक वित्तीय सहायता प्राप्त होती है। लेकिन गैर-प्रवासी परिवारों को कुछ नहीं मिलता है! यह क्या है? हम कुछ अतिरिक्त नहीं मांग रहे हैं। गैर-प्रवासियों को वही राशि दें जो प्रवासी कश्मीरी पंडित परिवारों को दी जाती है। यह हमारी प्रमुख मांगों में से एक है। हमने कुल 160 ज्ञापन भेजे हैं, जिनमें से 110 को जून 2020 से ही भेजा गया है। कोई भी हमें गंभीरता से नहीं ले रहा है!(sabrangindia)
वाराणसी, 24 सितंबर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक और कीर्तिमान जुड़ गया। फाइटर विमान राफेल के स्क्वाड्रन गोल्डन एरो में पहली महिला फ्लाइट लेफ्टिनेंट वाराणसी की शिवांगी सिंह शामिल हुई हैं। वाराणसी के फुलवरिया स्थित शिवांगी के घर पर पड़ोस के बच्चे जुटे और परिवार के साथ खुशियां मनाईं। शिवांगी की इस सफलता पर मां सीमा सिंह ने कहा कि बेटी ने जो सपना देखा था, उसे पूरा किया है।
शिवांगी की पोस्टिंग इस समय राजस्थान में है। शिवांगी के बचपन के बारे में मां ने बताया कि वह शुरू से ही पढ़ने में होनहार थीं। शुरुआती स्कूलिंग के बाद उच्च शिक्षा के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) पढ़ने गई थीं। एक महीने के तकनीकी प्रशिक्षण में क्वालीफाई करने के बाद अब वह राफेल की टीम का हिस्सा बन गई हैं।
शिवांगी के पिता कुमारेश्वर सिंह ने बताया कि हम लोगों को गर्व है कि हमारी बेटी देश का नाम रोशन करेगी। बीएचयू में ही वह नेशनल कैडेट कोर में 7 यूपी एयर स्क्वाड्रन का हिस्सा थीं। बीएचयू से 2013 से 2015 तक एनसीसी कैडेट रहीं। साथ ही सनबीम भगवानपुर से बीएससी किया। शिवांगी दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड में 2013 में उत्तर प्रदेश टीम का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। उन्होंने 2016 में प्रशिक्षण के लिए वायु सेना अकादमी ज्वाइन की थी। पिछले 16 दिसंबर 2017 को ही हैदराबाद स्थित एयर फोर्स अकादमी में उन्हे फाइटर पायलट का तमगा मिला था। हैदराबाद में ट्रेनिंग पूरी होने के बाद शिवांगी इस समय मिग-21 की फाइटर पायलट हैं।
कुमारेश्वर सिंह ने बताया कि बिटिया ने मान बढ़ाया है। पिता ने बताया कि एक दिन पहले ही बेटी से बात हुई तो जानकारी मिली। बेटी पर हमें नाज है। वह अन्य बेटियों के लिए एक नजीर बनी है। इसे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि अब बस बिटिया को राफेल उड़ाते देखने का सपना है, वो भी पूरा हो जाएगा। शिवांगी की मां सीमा सिंह गृहिणी हैं और भाई मयंक बनारस में 12वीं का छात्र है।
नई दिल्ली, 24 सितंबर (आईएएनएस)| सीबीआई ने बुधवार को अवैध मवेशी व्यापार मामले में दिल्ली, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और पंजाब में 15 स्थानों पर छापेमारी की। इस छापेमारी में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) कमांडेंट सतीश कुमार का आवास भी शामिल है। अधिकारी ने कहा कि एजेंसी ने रायपुर, गाजियाबाद, दिल्ली, मुर्शिदाबाद और रायपुर में तैनात कुमार के सिलीगुड़ी परिसर में तलाशी ली।
सीबीआई ने प्रारंभिक जांच के बाद अवैध कारोबार में भारत-बांग्लादेश सीमा पर तैनात अधिकारियों की संलिप्ता का खुलासा होने के बाद कुमार, मोहम्मद इनामुल हक, अरनुल एसके, मोहम्मद गोलम मुस्तफा और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया।
सीबीआई ने कहा, "मामले में नामित तस्करों ने आरोपी अधिकारियों को पैसे दिए थे। सीमा शुल्क अधिकारियों भी तस्करों से माल का 10 प्रतिशत हिस्सा घूस के रुप में लेते थे।"
सीबीआई ने दावा किया कि नीलामी में केवल कुछ ही तस्करों को मवेशियों को बहुत ही कम कीमत पर खरीदने की अनुमति दी जाती थी। स्थानीय बाजारों में मवेशियों के रिकॉर्ड रखने के बाद जानवरों को बांग्लादेश में बेच दिया जाता था।
नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)| केंद्रीय रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगड़ी का बुधवार को नई दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। वह करीब 65 वर्ष के थे। कोरोना संक्रमण की चपेट में आने के कारण उनका एम्स में इलाज चल रहा था। हालत बिगड़ जाने पर बुधवार की देर शाम उन्होंने आखिरी सांस ली। कर्नाटक के बेलगाम से सांसद सुरेश अंगड़ी 11 सितंबर को कोरोना पॉजिटिव हुए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगड़ी के निधन पर गहरा दुख जताया है। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें एक असाधारण कार्यकर्ता और प्रभावी मंत्री बताया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "सुरेश अंगड़ी, एक असाधारण कार्यकर्ता थे, जिन्होंने कर्नाटक में पार्टी को मजबूत बनाने में कड़ी मेहनत की। वह एक समर्पित सांसद और प्रभावी मंत्री थे, जो हर जगह प्रशंसित थे। उनका निधन बहुत दुखद है। परिवार और सगे-संबंधियों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं।"
भोपाल, 23 सितंबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार द्वारा की गई किसानों की कर्जमाफी को शिवराज सरकार द्वारा विधानसभा में स्वीकार किए जाने के दो दिन बाद सरकार की सफाई आई है। सरकार का कहना है कि 'अधिकारियों ने गलत जानकारी दे दी'। कांग्रेस ने सफाई में दिए गए बयान को गैर-जिम्मेदाराना करार दिया है। राज्य की विधानसभा में सरकार की ओर से दो दिन पहले स्वीकार किया गया था कि कांग्रेस के शासनकाल की जय किसान कर्जमाफी योजना में लगभग 27 लाख किसानों के कर्जमाफी की स्वीकृति दी गई है। इस पर कांग्रेस के भाजपा को जमकर घेरा, क्योंकि भाजपा किसानों का कर्ज माफ न होने का आरोप लगाती रही है।
इस मामले के तूल पकड़ने पर सरकार की ओर से बुधवार को नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने सफाई दी। उनका कहना है कि किसान कर्जमाफी को लेकर अधिकारियों ने गलत जानकारी दी थी, सरकार इसकी जांच करा रही है।
नगरीय प्रशासन मंत्री और सरकार की सफाई को पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव ने गैर-जिम्मेदाराना बयान करार दिया है। उनका कहना है कि विधानसभा संवैधानिक संस्था है, वहां बोले गए एक-एक शब्द का महत्व होता है। किसी सवाल का जवाब देने की प्रक्रिया है, सदन में जवाब शेष किए जाने से पहले मंत्री को ब्रीफिंग की जाती है। मंत्री खुद जवाब पर हस्ताक्षर करता है, उसके बाद सदन में उत्तर आता है। किसान कर्जमाफी के मामले में अधिकारी वही कह रहे हैं, जो सच्चाई है। सच्चाई है यह है कि किसानों का कर्ज माफ किया गया है।
नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)| देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए अब तक निर्भया फंड का 1910 करोड़ रुपये इस्तेमाल हुआ है। यह जानकारी केंद्र सरकार ने बुधवार को लोकसभा में हुए एक सवाल के जवाब में दी है। वर्ष 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप के बाद केंद्र सरकार ने 2013 में निर्भया फंड की स्थापना की थी। फंड के तहत राज्यों को आर्थिक सहायता देकर महिला सुरक्षा की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित किया जाता है। दरअसल, केरल से लोकसभा सांसद एंटो एन्टोनी ने लोकसभा में बुधवार को एक अतारांकित सवाल में पूछा था कि क्या सरकार निर्भया योजना के तहत महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा में सुधार के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता दे रही है? पिछले पांच वर्षों में कितनी धनराशि का इस्तेमाल हुआ? इस सवाल का बुधवार को लिखित में जवाब देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया कि निर्भया फंड के तहत प्राप्त प्रस्तावों की जांच अधिकारियों की एक अधिकार प्राप्त समिति करती है। इसे समिति सिफारिशें करती हैं। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया कि निर्भया फंड के शुरू होने के बाद से विभिन्न मंत्रालयों के मुताबिक अब तक 1910 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने सभी राज्यों को पिछले कुछ वर्षों के दौरान मिले निर्भया फंड की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दिल्ली को 2018-19 में निर्भया फंड का 74.23 करोड़ और 2019-20 में 291.32 करोड़ रुपये जारी किया गया। इसी तरह उत्तर प्रदेश को 2018-19 में 93.96 और 2019-20 में 105.50 करोड़ मिले। गुजरात को पिछले दो वर्षों में 58.07 और 68.95 करोड़ मिले। अगर पिछले पांच वर्षों की बात करें तो 2015-16 में 26.49 करोड़, 2016-17 में 460.42 करोड़, 2017-18 में 298.04 करोड़, 2018-19 में 1003.19 और 2020-21 में 1144.57 करोड़ रुपये जारी हुए।
नई दिल्ली, 23 सितम्बर (आईएएनएस)| उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित कानून के मुद्दों के मद्देनजर, दिल्ली विधानसभा की समिति शांति और सद्भाव के समक्ष बुधवार फेसबुक मामले की कार्यवाही स्थगित कर दी। आगे की कार्रवाई और समिति के बैठने की अगली तारीख को नियत समय में अधिसूचित किया जाएगा। दिल्ली विधानसभा की शांति एवं सद्भाव समिति ने फेसबुक इंडिया के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजीत मोहन को समन किया था। घृणा फैलाने वाले नियमों को लागू करने में जानबूझ कर निष्क्रियता बरतने का आरोप लगाने वाली शिकायतों का हवाला देते हुए फेसबुक प्रबंध निदेशक को समन किया गया है। समिति के मुताबिक इससे कथित तौर पर दिल्ली में शांति भंग हुई थी।
दिल्ली विधानसभा के एक पैनल ने बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय को आश्वासन दिया कि फेसबुक इंडिया के उपाध्यक्ष अजीत मोहन के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिसने शीर्ष अदालत का रुख किया है।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली एक पीठ के समक्ष विधानसभा की शांति और सद्भाव समिति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "वह केवल फेसबुक के भारत प्रमुख से सुझाव चाहते थे कि इसका दुरुपयोग कैसे रोका जा सकता है। मोहन को केवल गवाह के रूप में बुलाया जा रहा है।"
इस पर, न्यायमूर्ति कौल ने कहा, "यह आपने नोटिस में नहीं कहा है। आपने उन्हें (दिल्ली सरकार) सलाह दी है, उन्हें बेहतर सलाह दें और बेहतर नोटिस जारी करें।"
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और कृष्ण मुरारी की पीठ ने भी दिल्ली और केंद्र सरकारों, दिल्ली पुलिस, लोकसभा और राज्यसभा को नोटिस जारी किया। शीर्ष अदालत ने कहा कि जवाबी हलफनामा एक हफ्ते में दाखिल किया जाए। मामले पर अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी। पीठ ने राघव चड्ढा की अध्यक्षता में दिल्ली विधानसभा पैनल द्वारा फेसबुक इंडिया वीपी को जारी किए गए सम्मन पर प्रतिकूल टिप्पणी की।
उधर विधानसभा समिति ने सुनवाई टाल दी है जो बुधवार को होनी थी। 23 सितंबर को दिल्ली विधानसभा पैनल ने अजीत मोहन को 23 सितंबर को पेश होने के लिए एक नया नोटिस दिया था।
इससे पहले पिछली सुनवाई के दौरान समिति के अध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा, "फेसबुक इंडिया द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण पर विचार-विमर्श किया और इसे स्पष्ट रूप से गलत और तुच्छ पाया। फेसबुक इंडिया द्वारा दिखाई गई अवमानना को लेकर गंभीरता समिति के सामने यह बात आई कि फेसबुक जानबूझकर कानूनी प्रक्रिया से बचने की कोशिश कर रहा है।"
राघव चड्ढा के मुताबिक आरोप की वास्तविकता का पता लगाने में फेसबुक पूरा सहयोग नहीं दे रहा है। इस अवमानना के संबंध में, भारत के संविधान द्वारा प्राप्त शक्तियों और विशेषाधिकारों का उपयोग करते हुए उन्हें समिति के सामने पेश होने का एक अंतिम अवसर प्रदान करने के लिए सम्मन करने का फैसला लिया गया।
चेन्नई, 23 सितंबर (आईएएनएस)| तमिलनाडु के पशुपालन मंत्री उडुमलाई के. राधाकृष्णन के एक निजी सहायक का कथित तौर पर बुधवार को अपहरण कर लिया गया, हालांकि बाद में अपहर्ताओं ने उन्हें रिहा भी कर दिया, जिसके बाद मामले पर जांच शुरू की गई है। पुलिस ने कहा कि तिरुपुर जिले के उडुमलाई से चार सदस्यीय गिरोह ने चाकू के दम पर कर्णन का अपहरण किया।
गिरोह ने कर्णन को एक गाड़ी में जबरन बिठाकर अपने साथ ले गए, जिसके बाद जांच के रूप में पुलिस ने वाहनों की चेकिंग शुरू कर दी। इसे देखते हुए अपहर्ताओं ने कर्णन को कुछ किलोमीटर की दूरी पर सड़क पर छोड़कर भाग खड़े हुए।
तिरुपुर पुलिस कर्णन से इस पर पूछताछ कर रही है, ताकि उनके हाथ कोई सुराग लग सके।
मुंबई, 23 सितंबर (आईएएनएस)| मुंबई में एक लिफ्ट में पानी भर जाने के कारण उसमें फंसे दो वाचमैन की मौत हो गई। पुलिस अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। वाचमैन सुबह 8 बजे के आसपास अग्रीपाड़ा के नैथानी रेजिडेंसी भवन में पानी से भरे कॉम्पलेक्स में पानी की आपूर्ति को बहाल करने के लिए जल भरे तहखाने में गए थे, लेकिन वे बढ़ते पानी में वहां फंस गए।
अग्रीपाड़ा पुलिस थाना के सीनीयर इंस्पेक्टर सवलारम अगवने ने कहा, "जान बचाने के लिए दोनों इमारत की लिफ्ट में चले गए और उन्होंने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया, लेकिन लिफ्ट में भी जल का स्तर बढ़ने के कारण वे बाहर निकले में असमर्थ रहे।"
उन्होंने कहा, "लिफ्ट में पानी भरता देख वाचमैन ने सुरक्षा अलार्म बजाया, लेकिन जलभराव के कारण मदद करने के लिए दौड़े सोसाइटी के लोगों को पहुंचने में देरी हुई। तब तक दोनों की मौत हो गई।"
मुंबई, 23 सितम्बर (आईएएनएस)| नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो(एनसीबी) ने बुधवार को कहा कि उसने सुशांत मामले में ड्रग्स से संबंधित जांच के सिलसिले में बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण, सारा अली खान, श्रद्धा कपूर और रकुल प्रीत सिंह को पूछताछ के लिए बुलाया है। जांच से जुड़े एनसीबी अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, "पूछताछ के लिए दीपिका, सारा, श्रद्धा, रकुल को समन दिया गया है। बॉलीवुड अभिनेताओं के अलावा, एनसीबी ने फैशन डिजायनर सिमोन खंबाटा को भी समन किया है।"
अधिकारियों ने हालांकि इस बात की जानकारी नहीं दी कि इन अभिनेत्रियों को किस दिन पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा।
ड्रग्स प्रवर्तन एजेंसी ने दीपिका की मैनेजर करिश्मा प्रकाश को भी पूछताछ के लिए बुलाया है। एजेंसी ने इन अभिनेत्रियों को यह नोटिस सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में ड्रग्स से जुड़ी जांच के सिलसिले में दिया है।
सुशांत 14 जून को बांद्रा के फ्लैट में मृत पाए गए थे।
अधिकारी ने कहा कि जांच के दौरान इनके ड्रग्स के बारे में चर्चा करने के कथित चैट सामने आ रहे थे, जिसके सिलसिले में समन दिया गया है।
इसके अलावा इस मामले में सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती, उसके भाई शोविक, मिरांडा, सुशांत के निजी स्टॉफ दीपेश सावंत समेत 16 लोगों को एनसीबी गिरफ्तार कर चुकी है।
अधिकारी ने हालांकि इस बात से इनकार किया कि एजेंसी ने दिया मिर्जा को समन भेजा है। इससे पहले दिन में, एनसीबी ने सुशांत की टैलेंट मैनेजर जया साहा से लगातार तीसरे दिन पूछताछ जारी रखी।
साहा के अलावा, एनसीबी ने मधु मंटेना वर्मा से भी पूछताछ कर रही है, जिन्होंने उड़ता पंजाब और गजनी जैसी ब्लॉकबास्टर मूवी दी हैं।
नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)| मोदी सरकार द्वारा खेती-किसानी को लाभकारी बनाने के मकसद से लाए गए तीन अहम विधेयकों को लेकर पूरे देश में राजनीति गरमा गई है। विधेयक का विरोध संसद के बाद अब सड़कों पर जोर पकड़ने लगा है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) समेत विभिन्न किसान संगठनों ने 25 सिंतबर को देशभर में चक्का जाम करने का एलान किया है। किसान संगठनों द्वारा आहूत भारत बंद को विपक्ष में शामिल विभिन्न राजनीतिक दलों का साथ मिल रहा है। भाकियू के प्रवक्ता और उत्तर प्रदेश के किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि कृषि विधेयकों के विरोध में पूरे देश में 25 सितंबर को चक्का जाम रहेगा, जिसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक समेत तकरीबन पूरे देश के किसान संगठन अपनी विचारधाराओं से ऊपर उठकर एकजुट होंगे।
किसान संगठनों ने केंद्र सरकार से इन विधेयकों को किसान विरोधी और कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाने वाले विधेयक करार देते हुए, इन्हें वापस लेने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने के लिए कानूनी प्रावधान करने की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार ने विधेयकों पर किसानों की सहमति नहीं ली।
भाकियू की ओर से बुधवार को पंजाब के मोगा में किसानों के साथ एक बैठक कर आगामी बंद की रूपरेखा तैयार की गई। पंजाब में भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष और संगठन के ऑल इंडिया कोर्डिनेशन कमेटी के सीनियर कोर्डिनेटर अजमेर सिंह लखोवाल ने आईएएनएस को बताया 25 सितंबर को पूरे देश में चक्का जाम रहेगा और पंजाब में इसे तमाम दलों का समर्थन मिल रहा है।
कृषि से जुड़े विधेयकों के विरोध में संसद में आवाज मुखर करने वाला शिरोमणि अकाली दल (शिअद) समेत कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार के इस कदम को किसान विरोधी बताया है। विधेयक के विरोध में शिअद सांसद हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्री परिषद से इस्तीफा दे दिया।
हालांकि, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने तीनों विधेयकों को किसान हितैषी बताया है। उनका कहना है कि इससे किसानों को मौजूदा व्यवस्था के साथ एक और विकल्प मिलेगा।
बीते रविवार को हरियाणा में किसानों और व्यापारियों ने प्रदेशभर में सड़कों पर जाम लगाकर विरोध प्रदर्शन किया। भाकियू के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष गुराम सिंह ने आईएएनएस को बताया कि अब 25 सितंबर को देशव्यापी बंद की तैयारी चल रही है।
उत्तर प्रदेश में भारतीय किसान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र यादव ने बताया कि 25 सितंबर के भारत बंद में उनका संगठन भी शामिल है। यादव ने कहा कि यह किसानों का मसला है, इसलिए किसी भी दल से जुड़े किसान संगठनों हों उनको इसमें शामिल होना चाहिए। यादव ने कहा कि सरकार जब इस कानून को किसान हितैषी कहती है, तो इस पर किसानों की राय लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट घरानों और पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए कोरोना काल में सरकार ने कृषि से संबंधित अध्यादेश लाए। कृषि से जुड़े तीन अहम विधेयकों, कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 को भी संसद की मंजूरी मिल चुकी है। ये तीनों विधेयक कोरोना काल में पांच जून को घोषित तीन अध्यादेशों की जगह लेंगे। पहले विधेयक में किसानों को कृषि उपज विपणन समिति द्वारा संचालित मंडी के बाहर देश में कहीं भी अपनी उजप बेचने की आजादी दी गइर्, जिस पर कोई शुल्क नहीं लगेगा। लेकिन किसान संगठनों का कहना है कि इससे मंडियां समाप्त हो जाएंगी, जिसके बाद किसान औने-पौने भाव अपने उत्पाद बेचने को मजबूर होंगे। वहीं, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 पर किसान संगठनों का कहना है कि इससे वे कॉरपोरेट के बंधुआ मजदूर बन जाएंगे।
हैदराबाद, 23 सितंबर (आईएएनएस)| अग्रणी वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक ने कोविड-19 के 'नोवल चिम्प एडेनोवायरस, सिंगल डोज इंट्रानेजल' वैक्सीन के लिए बुधवार को सेंट लुइस में वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के साथ लाइसेंसिंग समझौता होने की घोषणा की। हैदराबाद स्थित कंपनी के पास अमेरिका, जापान और यूरोप को छोड़कर सभी बाजारों में वैक्सीन वितरित करने का अधिकार है।
जहां एक ओर परीक्षण के पहले चरण का ट्रायल सेंट लुइस यूनिवर्सिटी की 'वैक्सीन एंड ट्रीटमेंट इवैल्यूएशन यूनिट' में होगा, वहीं भारत बायोटेक आवश्यक विनियामक अनुमोदन प्राप्त करने के बाद, भारत में क्लिनिकल परीक्षणों के आगे के चरणों को आगे बढ़ाएगा और हैदराबाद के जीनोम वैली में स्थित जीएमपी सुविधा में वैक्सीन के बड़े पैमाने पर निर्माण का कार्य करेगा।
भारत बायोटेक के अनुसार, इस इंट्रानेजल वैक्सीन ने चूहों पर अध्ययन में सुरक्षा के अभूतपूर्व स्तर को दिखाया है। प्रौद्योगिकी और डेटा को हाल ही में प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिका 'सेल' में और 'नेचर' के एक संपादकीय में प्रकाशित किया गया है।
भारत बायोटेक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कृष्णा एला ने कहा, "हमें इस इनोवेटिव वैक्सीन पर सहयोग करने पर गर्व है। हमें उम्मीद है कि हम इस वैक्सीन को 1 अरब डोज तक पहुंचा देंगे। एक इंट्रानेजल वैक्सीन न केवल एडमिनिस्टर करने में सरल है, बल्कि सुई, सीरिंज आदि जैसे चिकित्सा उपभोग्य सामग्रियों के उपयोग को कम करने के लिए भी सरल होगा।"
उन्होंने कहा कि एक प्रभावी नेजल डोज न केवल कोविड-19 से बचाएगा, बल्कि यह एक अन्य प्रकार की प्रतिरक्षा बनाकर रोग के प्रसार को भी रोकेगा।
मुंबई, 23 सितंबर (आईएएनएस)| मुंबई की स्कूल छात्रा अनाश्रुता गांगुली ने दूसरे इंडो-कोरियन फ्रेंडशिप क्विज कॉन्टेस्ट-2020 में शीर्ष सम्मान हासिल किया है। बुधवार को एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। पवार पब्लिक स्कूल, चांदीवली की कक्षा 8वीं की छात्रा ने इनाम में दक्षिण कोरिया की छह दिवसीय निशुल्क यात्रा करने का पहला पुरस्कार जीता है।
उत्साहित छात्रा ने कहा, "इस क्विज में भाग लेने से पहले मुझे समृद्धता और विविधता से परिपूर्ण कोरियाई संस्कृति के बारे में बिल्कुल जानकारी नहीं थी। मुझे यह अब समझ में आया है कि कोरिया 'पूर्व का दीपक' है। मैं इस देश की यात्रा करने के लिए बेहद उत्साहित हूं।"
कोविड-19 के कारण फैली निराशा के बावजूद प्रतियोगिता में मुंबई समेत अन्य जगहों के 20 स्कूलों के 10 हजार से अधिक स्टूडेंट्स ने ऑनलाइन हिस्सा लिया था। प्रतियोगिता का फाइनल राउंड 22 सितंबर को आयोजित हुआ था।
कोरियाई सांस्कृतिक केंद्र भारत द्वारा आयोजित किया जाने वाला यह कॉन्टेस्ट मुंबई रीजन में अंतर्राष्ट्रीय विषय पर स्कूली छात्रों के लिए आयोजित होने वाले सबसे बड़े क्विज कॉन्टेस्ट में से एक है।
कोरियाई महावाणिज्य दूत किम डोंग यंग के अनुसार, इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि भारतीय छात्र उनके देश के इतिहास, संस्कृति और संबंधित पहलुओं के बारे में अधिक जानें।
कॉन्टेस्ट में 10 हजार रुपये का दूसरा पुरस्कार जसुदबेन एमएल स्कूल, खार की छात्रा तारिणी पाडिया को मिला। 14 और विजेताओं को भी नकद पुरस्कार मिले हैं।
चंडीगढ़, 23 सितम्बर (आईएएनएस)| पंजाब में पार्टी लाइन से ऊपर उठते हुए 31 किसान संगठनों ने 25 सितंबर को कृषि बिलों के विरोध में संयुक्त राज्यव्यापी प्रदर्शन की घोषणा की है। संगठनों ने कृषि बिल के विरोध में पूरी तरह से 'पंजाब बंद' का आह्वान किया है।
इस संबंध में निर्णय मोगा में आयोजित 31 किसान संगठनों की बैठक में लिया गया। संगठनों ने किसी भी प्रकार के राजनीतिक समर्थन नहीं लेकर इस अवसर को ऐतिहासिक बनाने पर निर्णय लिया है।
किसान संगठनों ने 25 सितंबर को प्रदर्शन के बाद रणनीति पर भी चर्चा की।
यह निर्णय लिया गया कि अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के सदस्य जगमोहन सिंह पटियाला प्रदर्शन की अगुवाई करेंगे।
उन्होंने कहा कि किसान सरकार के इस काले कानून के खिलाफ हैं।
उन्होंने कहा, "अगर सरकार किसानों की इच्छा का सम्मान करती है तो बिलों को वापस ले।"
वहीं एनडीए की सहयोगी शिरोमणी अकाली दल ने भी मंगलवार को बिल के विरोध में 25 सितंबर को पूरे राज्य में चक्का जाम की घोषणा की है।
अकाली दल के प्रवक्ता और पूर्व मंत्री दलजीत चीमा ने कहा, "वरिष्ठ नेता अपने क्षेत्र और जिला मुख्यालय में पूर्वाह्न् 11 बजे से अपराह्न् 1 बजे प्रदर्शन की अगुवाई करेंगे।"
इसबीच, पूरे पंजाब में बुधवार को प्रदर्शन जारी है। कई जगहों पर केंद्र सरकार का पूतला भी फूंका गया।
बीकेयू (राजेवल) अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवल ने आईएएनएस से कहा, "हम सरकार को किसानों की कीमत पर कॉर्पोरेट हाउस को खुश करने का मौका नहीं देंगे। यह अबतक सरकार द्वारा लाया गया सबसे खराब बिल है और इसे एक दिन भी नहीं रहना चाहिए।"
इसी बात को दोहराते हुए बीकेयू(लाखोवाल) के महासचिव हरिंद्रर सिंह लाखोवाल ने कहा कि 31 किसान संगठनों ने अपने गुस्से का इजहार करने के लिए एक-दूसरे से हाथ मिलाया है।
उन्होंने कहा, "ये फॉर्म रिफॉर्म नहीं है, बल्कि किसानों के लिए डेथ वारंट है।"
वहीं मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने अकाली दल की ओर से 25 सितंबर को ही चक्का जाम करने के निर्णय की आलोचना की है। उन्होंने कहा, "आप दिल्ली क्यों नहीं जाते और भाजपा नेता व अन्य के घर के बाहर प्रदर्शन क्यों नहीं करते हैं, जिन्होंने बेशर्मी से अपने हित के लिए पंजाब के किसानों के हित को बड़े कॉर्पोरेट हाउस को बेच दिया। अगर अकाली दल सच में किसानों की परवाह करती है तो, उसे सरकार का साथ छोड़ देना चाहिए।"
नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)| दिल्ली हाईकोर्ट ने 'भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड' (बीपीएसएल) के पूर्व अध्यक्ष संजय सिंघल द्वारा 'दिवाला एवं दिवालियापन संहिता' (आईबीसी) 2016 के तहत व्यक्तिगत गारंटीकर्ताओं के खिलाफ व्यक्तिगत दिवाला कार्यवाही के प्रावधान को चुनौती देने वाली दायर याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की अगुवाई वाली हाईकोर्ट की एक पीठ ने मोदी सरकार, 'इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया' और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को सिंघल की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें आईबीसी की धारा 95, 96 97, 99, 100 और 101 को अनदेखा करने की मांग की गई है, जो कॉर्पोरेट देनदार के व्यक्तिगत गारंटर और परिणामी नियमों पर लागू होते हैं।
पीठ ने हालांकि, विवादास्पद प्रावधानों के तहत एसबीआई द्वारा सिंघल को दिए नोटिस पर रोक लगाने का कोई आदेश देने से मना कर दिया।
पक्षों की सुनवाई के बाद अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 6 अक्टूबर का दिन निर्धारित किया है।
भुवनेश्वर, 23 सितंबर (आईएएनएस)| ओडिशा सरकार ने अस्पतालों को मृत मरीजों का कोविड-19 टेस्ट नहीं करने का निर्देश दिया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी बुधवार को दी। निर्देश में अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) प्रदीप्ता महापात्र ने कहा कि मौत के बाद कोविड-19 टेस्ट शव को परिजनों द्वारा ले जाने में देरी के साथ शोक संतप्त परिवार को परेशान करता है।
राज्य सरकार ने यह निर्णय कई ऐसी घटनाओं के सामने आने के बाद लिया, जहां मरीज की मौत के बाद कोविड-19 रिपोर्ट पॉजीटिव आने पर रिश्तेदारों को उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने से रोका गया।
महापात्र ने अस्पताल अधिकारियों को राज्य-स्तरीय मृत्यु ऑडिट के उद्देश्य से मरीज के मृत्यु के 48 घंटे के भीतर बेड हेड टिकट, जांच रिपोर्ट और कोविड परीक्षण स्थिति की प्रतिलिपि के साथ हेल्थ सर्विसेज के निदेशक को मरीजों की मृत्यु रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा।
अस्पतालों को यह भी निर्देशित किया जाता है कि वे मरीज के संबंधित जांच रिपोर्टो के साथ अस्पताल में प्रवेश के समय संकेतों और लक्षणों के साथ पहले से ग्रसित सभी बीमारियों को रिकॉर्ड करें।
लखनऊ, 23 सितंबर (आईएएनएस)| मेरठ में आईपीएस अधिकारी अजय पाल शर्मा और हिमांशु कुमार के खिलाफ उनके ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए कथित रूप से पैरवी करने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने उनके सेल फोन से कॉल और चैट में अधिकारियों के खिलाफ सबूत पाया।
इस मामले में कथित रूप से शामिल चंदन राय, स्वप्निल राय और अतुल शुक्ला जैसे पत्रकारों के नाम भी एफआईआर में शामिल किए गए हैं। उन सभी पर 'भ्रष्टाचार के लिए एक सरकारी अधिकारी को उकसाने' का आरोप है।
गौरतलब है कि आईपीएस अधिकारी और तत्कालीन नोएडा पुलिस प्रमुख वैभव कृष्ण की एक लड़की के साथ की चैटिंग के तीन वीडियो कुछ महीने पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हुए थे। अधिकारी ने इसे 'स्पष्ट' करने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी और कहा था कि उनकी छवि को धूमिल करने के लिए वीडियो को 'जानबूझकर छेड़छाड़ कर पेश' किया गया था।
कृष्णा ने पुलिस उपमहानिरीक्षक और मुख्य सचिव (गृह) से भी शिकायत की थी और दावा किया था कि उन्होंने तत्कालीन नोएडा एसएसपी अजय पाल शर्मा और अन्य अधिकारियों सुधीर सिंह, राजीव नारायण मिश्रा, गणेश शाहा और हिमांशु कुमार की पोस्टिंग की पैरवी में शामिल पांच पत्रकारों के एक गिरोह का भंडाफोड़ किया था।
कृष्ण को इस साल की शुरुआत में निलंबित कर दिया गया था।
नई दिल्ली, 23 सितम्बर (आईएएनएस)| देश में हजारों की संख्या में किसान संसद में पारित कृषि बिल का विरोध कर रहे हैं, इसबीच अमेरिका स्थित अलगाववादी समूह सिख फॉर जस्टिस(एफएफजे) इस मौके का लाभ उठाना चाह रहा है। संगठन ने खालिस्तान को समर्थन देने के बदले किसानों को 10 लाख डॉलर का अनुदान देने की घोषणा की है।
एसएफजे की ओर से इस नए ऑफर पर सुरक्षा एवं खुफिया एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं। एजेंसियों ने तत्काल दोनों राज्यों के कानून प्रवर्तन एजेंसियों को इस बारे में नवीनतम जानकारी साझा की है।
अधिकारियों ने ऐसे तत्वों के खिलाफ राज्य पुलिस बलों को तत्काल कार्रवाई करने को कहा है, जो किसान प्रदर्शनों के बीच भारत-विरोधी एजेंडा को आगे बढ़ा रहे हैं।
किसानों के मौजूदा प्रदर्शन का लाभ उठाते हुए, एसएफजे ने कहा कि वह कृषि ऋण न चुका पाने वाले किसानों के बीच 10 लाख डॉलर का वितरण करेगा।
एसजेएफ ने कहा, "1 अक्टूबर से 8 अक्टूबर के बीच किसी भी धर्म से ताल्लुक रखने वाले किसान खालिस्तान रेफ्रेंडम 2020 के लिए 25 वोट रजिस्टर कर सकते हैं और अपने कृषि लोन को चुकाने के लिए 5,000 रुपये की सहायता प्राप्त कर सकते हैं।"
एसएफजे के जनरल काउंसिल गुरपतवंत सिह पन्नून ने भारत सरकार के नए कृषि बिल को उपनिवेशी एजेंडा बताया, जो किसानों से अंतत: उनकी जमीन छीन लेगी। पन्नून ने कहा, "मोदी सरकार पंजाब और हरियाणा के किसानों को कंगाल बनाकर उन्हें गुलाम बनाना चाहती है। एसएफजे ने हरियाणा के किसानों को भी शामिल किया है, क्योंकि हम हरियाणा को भी खालिस्तान का हिस्सा मानते हैं।"
यह बताना जरूरी है कि 21 सितंबर से 20 अक्टूबर तक चलने वाले एसएफजे के 'डोर टू डोर' वोटर पंजीकरण के तत्वाधान में, इस कट्टरपंथी सिख समूह ने अब तक पंजाब के 12,000 गांवों में वोट रजिस्टर करने के लिए 400 'रेफ्रेंडम एंबेसेडर' की नियुक्ति की है। वोटों के पंजीकरण के लिए ऐसे प्रत्येक नियुक्त लोगों को 7500 रुपये दिए जाएंगे।
एक खुफिया अधिकारी और एनआईए के दो अधिकारियों ने नाम न उजागर करने की शर्त पर आईएएनएस को बताया था कि एसएफजे ने यह रणनीति उसके कनाडा और रूसी पोर्टल के ऑनलाइन 'रेफ्रेंडम 2020' विफल होने के बाद उठाया है।
एसएफजे ने नवंबर में इस वर्ष 'रेफ्रेंडम 2020' कैंपेन को आयोजित करने की घोषणा की थी। इससे पहले, समूह ने रेफ्रेंडम से पहले पंजाब के किसानों को लुभाने के लिए प्रत्येक किसानों को 3500 रुपये की राशि की पेशकश की थी।
एनआईए की अनुशंसा के आधार पर, गृह मंत्रालय ने सितंबर की शुरुआत में एसएफजे के प्रमुख नेता गुरपतवंत सिंह पन्नून और हरदीप सिंह निज्जर की संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया था।
पन्नू एसएफजे का जनरल काउंसिल है, जबकि निज्जर 'रेफ्रेंडम 2020' का कनाडा कोर्डिनेटर।
नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)| दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी वकीलों के लंबित बिलों के भुगतान नहीं होने के मामले में बुधवार को सरकार के खिलाफ सख्त रुख अख्तियार कर लिया। अदालत एक सरकारी वकील द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस वकील की पिछले आठ वर्षो से बिलों का भुगतान नहीं किया गया है।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई के दौरान, मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की खंडपीठ ने सरकार से कहा, "अपने अधिकारियों को बताएं कि यदि वकीलों को सुनवाई की अगली तारीख तक भुगतान नहीं किया गया, तो हम उनका वेतन रोकने का आदेश देंगे।"
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील सतीश अग्रवाल ने कहा कि पिछले आठ साल से फीस के बिल लंबित हैं और यह राशि उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण थी, क्योंकि उनके भाई कैंसर से पीड़ित हैं।
कोर्ट ने मामले की सुनवाई 4 दिसंबर तक टाल दी और कहा, "आप सुधर जाएं .. यदि देय राशि का भुगतान अगली तारीख तक नहीं होता है तो तो हम ऑर्डर पास करेंगे।"
अधिवक्ता कपिल गोयल के माध्यम से वकील पीयूष गुप्ता द्वारा दायर की गई याचिका पर हाईकोर्ट सुनवाई कर रही थी।
गुप्ता ने अपनी याचिका में कहा कि सरकारी वकील न्यायिक प्रणाली में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन ये दुर्भाग्य की बात है कि अधिकारियों को इसकी चिंता नहीं कि उनके बिलों का भी भुगतान करें।
याचिका में ये भी कहा गया है कि संबंधित विभागों ने 3 सितंबर, 2015 तक अदालत के आदेश के बावजूद बिलों का भुगतान नहीं किया था।
ऑक्सफैम की एक रिपोर्ट दिखाती है कि दुनिया के सबसे अमीर एक फीसदी लोग जितना कार्बन उत्सर्जन करते हैं, वह दुनिया की आधी गरीब आबादी के उत्सर्जन से दोगुना है. ऑक्सफैम ने अपनी स्टडी के लिए सन 1990 से लेकर 2015 के बीच 25 सालों के आंकड़ों का अध्ययन किया. यह वही अवधि है जिसमें विश्व का कार्बन उत्सर्जन दोगुना हो गया. रिपोर्ट में बताया गया है कि इस दौरान विश्व के 10 फीसदी सबसे अमीर लोग ही कुल वैश्विक उत्सर्जन के आधे से भी अधिक (करीब 52 फीसदी) के लिए जिम्मेदार हैं. यहां तक कि विश्व के 15 फीसदी उत्सर्जन को रिसर्चरों ने केवल टॉप एक फीसदी अमीरों की गतिविधियों से जुड़ा पाया.
इन नतीजों को दिखाते हुए इस अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संस्था ने ऐसे अमीरों पर कार्बन उत्सर्जन से संबंधित पाबंदियां लगाने की मांग की है. विश्व में जलवायु परिवर्तन के मामले में सबकी भागीदारी तय करने और इसकी न्यायोचित व्यवस्था स्थापित करने के लिए सार्वजनिक ढांचों में निवेश बढ़ाने और अर्थव्यवस्था में सुधार करने की मांग की है.
वहीं दुनिया की आधी गरीब आबादी ने इसी अवधि में केवल 7 फीसदी उत्सर्जन किया, जबकि जलवायु परिवर्तन का सबसे बुरा असर दुनिया के गरीबों को ही झेलना पड़ा रहा है. इसका कारण समझाते हुए ऑक्सफैम जर्मनी से जुड़ी सामाजिक असमानता विशेषज्ञ एलेन एमके बताती हैं दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं उपभोक्तावाद, आर्थिक विकास और पैसों के आधार पर लोगों के बंटवारे पर चलती हैं. वह बताती हैं कि इसी व्यवस्था के कारण मुट्ठी भर अमीर लोगों की खपत और सुविधाओं का खामियाजा दुनिया के सबसे गरीब लोग भरते हैं.
अमीरों और गरीबों के कार्बन उत्सर्जन में इतना बड़ा अंतर नजर आने का सबसे बड़ा कारण ट्रैफिक है. खासकर हवाई यात्रा से जुड़ी व्यवस्था में बदलाव लाकर बहुत कुछ बदला जा सकता है. ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट में बड़ी बड़ी एसयूवी गाड़ियों की खासकर निंदा की है. स्टडी में पाया गया है कि 2010 से 2018 के बीच यही गाड़ियां कार्बन उत्सर्जन का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत रहीं.
बेहतरी के सुझाव
ऑक्सफैम का अनुमान है कि धरती के तापमान में बढ़ोत्तरी को 1.5 डिग्री तक सीमित रखने के वैश्विक लक्ष्य को पूरा करने के लिए सबसे अमीर 10 फीसदी आबादी को अपने उत्सर्जन को वर्तमान स्तर से 10 गुना नीचे लाना होगा. इसके लिए एनजीओ ने एसयूवी गाड़ियों और जल्दी जल्दी हवाई यात्रा करने वालों पर ज्यादा टैक्स लगाए जाने की मांग की है.
रिपोर्ट के मुख्य लेखक और संस्था में जलवायु नीति के प्रमुख टिम गोर ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन से बातचीत में कहा कि अमीरों से अपनी इच्छा से व्यक्तिगत स्तर पर बदलाव लाने की उम्मीद करना काफी नहीं होगा, "इसकी कमान सरकारों को अपने हाथ में लेनी ही होगी."
अमीरों पर ज्यादा टैक्स
कोरोना महामारी के काल में हवाई यात्राओं में वैसे ही बहुत कमी दर्ज हुई है. मिसाल के तौर पर, विमानों में बिजनेस क्लास, प्राइवेट जेट से यात्रा करने वालों और साल में कई बार विमान से यात्रा करने वालों की संख्या में बहुत कमी आई है. जलवायु से जुड़े मुद्दों पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं का मानना है कि नए और ऊंचे टैक्स लागू करने के लिए यह सबसे सही मौका होगा.
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के अतिरिक्त टैक्सों से होने वाली कमाई को दुनिया के सबसे गरीब लोगों की मदद में लगाया जाना चाहिए. उनका प्रस्ताव है कि इससे गरीबों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा, सार्वजनिक यातायात और डिजिटल ढांचे स्थापित किए जाने चाहिए.
फ्रांस ने एसयूवी गाड़ियों पर पहले ही टैक्स बढ़ा दिए हैं. न्यूजीलैंड और स्कॉटलैंड जैसे इलाकों में इस बारे में समझ बढ़ रही है कि सफलता की परिभाषा में केवल आर्थिक विकास पर ही नजर ना हो बल्कि लोगों की "खुशहाली" का व्यापक मूल्यांकन करने के लिए इन सब कारकों को देखा जाए.
आरपी/एके (डीपीए, एएफपी, रॉयटर्स)
नई दिल्ली, 23 सितंबर। आतंकी हमलों के शिकार हुए लोगों की पत्नी और बच्चों को अब एमबीबीएस और बीडीएस परीक्षा में रिजर्वेशन का लाभ मिलेगा। यह कोटा सिस्टम 2020-21 के सालाना कैलेंडर से ही लागू हो जाएगा।
बताया गया है कि मेडिकल एडमिशन के लिए आरक्षण के जरिए मिलने वाली सीटें केंद्रीय पूल की होंगी। ऑल इंडिया रेडियो न्यूज के मुताबिक, इस बारे में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को चि_ी भी लिखी है। खतरे में पड़े परिवारों के लिए अहम होगी सुविधा: रिपोर्ट्स के मुताबिक, जो भी लोग आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन से जुड़े हैं, जो लोग आतंकी संगठनों की हिट लिस्ट में आ चुके हैं और उन परिवारों के बच्चे, जो कश्मीर की मौजूदा स्थिति की वजह से अपनी संपत्ति छोडक़र आए हैं, उनके बच्चों भी एमबीबीएस और बीडीएस की सीटों पर रिजर्वेशन के पात्र होंगे।
इस फैसले की एक खास बात यह है कि इससे बड़ा फायदा उन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को होगा, जो मेडिकल एजुकेशन में अभी पीछे हैं। इसके अलावा उन छात्रों को भी लाभ होगा, जिनके परिवार का कोई सदस्य आतंकी गतिविधि की वजह से या सेना और आतंकियों के बीच क्रॉस फायरिंग का शिकार हुए होंगे। छात्रों को यह कोटा नेशनल इलीजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) के आधार पर या मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा तय अन्य परीक्षाओं पर ही मिलेगा।
नीट परीक्षाएं 13 सितंबर को हुई थीं, जिसके लिए 15.9 लाख छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया था। जो भी स्टूडेंट्स नीट क्वालिफाई करते हैं, उन्हें ही एमबीबीएस और बीडीएस के कोर्सों में एडमिशन मिलता है।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आरक्षण के लिए पात्र स्टूडेंट्स को अपने आवेदन के साथ सभी दस्तावेज [email protected] पर भेजने होंगे। या फिर अभ्यर्थी स्पीडपोस्ट और रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए भी अपने दस्तावेज- Rajeev Kumar, Under Secretary (CT-II), Room No 81, North Block, New Delhi – 110001 पर भेज सकते हैं।"
न्यूयॉर्क, 23 सितंबर (आईएएनएस)| कोविड-19 संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती मरीजों में किडनी खराब होने या 'डैमेज' होने का खतरा बढ़ सकता है। ये बात एक शोध में सामने आई है। शोध का निष्कर्ष जर्नल ऑफ द अमेरिकन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी में प्रकाशित हुआ है। इसके मुताबिक, कोविड-19 रोगियों में घुलनशील यूरोकैकेन रिसेप्टर का स्तर बढ़ता है, जो एक प्रतिरक्षा पैदा करने वाला प्रोटीन है और किडनी के डैमेज होने का कारण बनता है।
अमेरिका में मिशिगन विश्वविद्यालय के शोध लेखक जोचन रेसर ने कहा, "यह रिसेप्टर एक ऐसा कारक है, जो हजारों रोगियों के किडनी को डैमेज करने का कारण बनता है। एचआईवी और सार्स-कोव-2 (कोविड-19 का कारण बनने वाला वायरस) जैसे आरएनए वायरस के कारण खून में इस रिसेप्टर का स्तर बढ़ने लगता है। यदि यह प्रक्रिया हाइपरइन्फ्लेमेटरी होती है, तो किडनी की कोशिकाओं को नुकसान हो सकता है।"
उनकी स्टडी के निष्कर्ष बताते हैं कि कोविड-19 के एक तिहाई से अधिक रोगियों को डायलिसिस की जरूरत होती है और उनमें मृत्यु का जोखिम भी बहुत अधिक होता है।
रिसर्च टीम ने 352 प्रतिभागियों के इस रिसेप्टर के स्तर का परीक्षण किया, जिन्हें कोविड-19 संक्रमण के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इनमें से एक चौथाई रोगियों की किडनी तेजी से डैमेज हुईं। ऐसे में रिसेप्टर के ऊंचे स्तर ने रोगियों में डायलिसिस की जरूरत को 20 गुना बढ़ा दिया था।
कुल मिलाकर, अस्पताल में भर्ती गंभीर कोविड-19 रोगियों में रिसेप्टर का स्तर औसत दर्जे के स्वस्थ लोगों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक था।
शोधकर्ताओं ने कहा, "निश्चित रूप से अस्पताल में भर्ती ऐसे मरीजों में रिसेप्टर का स्तर एक अहम जोखिम है, जो मरीज के किडनी डैमेज से सीधा जुड़ा है।"
मुंबई, 23 सितंबर (आईएएनएस)। रातभर हुई भारी बारिश ने मुंबई और मुंबई महानगरीय क्षेत्र में परेशानी खड़ी कर दी है। भारी बारिश के कारण सड़क और रेल यातायात गंभीर रूप से बाधित हुए हैं और आवश्यक सेवा दे रहे लोगों के आवागमन को प्रभावित किया है। यह जानकारी अधिकारियों ने बुधवार को दी। आईएमडी के अनुसार, दक्षिण मुंबई (कोलाबा) में सुबह 8 बजे तक 14.78 सेंटीमीटर बारिश दर्ज की गई, जबकि उपनगरों (सांताक्रूज) में मंगलवार को रात 8 बजे से अब तक 28.64 सेंटीमीटर बारिश हुई, लेकिन ज्यादातर बारिश रात के दौरान हुई जो औसतन 36.03 सेंटीमीटर था।
आईएमडी मुंबई ने आगामी दिनों में भारी बारिश की भविष्यवाणी की है, इसके साथ ही अधिकारियों ने लोगों से आग्रह किया है कि जब तक आवश्यक न हो घर से बाहर न निकलें।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अवकाश की घोषणा कर दी है, ऐसे में बॉलीवुड अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती और उनके भाई शोविक की जमानत याचिका जैसे कुछ हाई-प्रोफाइल मामलों पर फैसला अब गुरुवार को आने की उम्मीद है।
वहीं नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी), जिसने ग्लैमर वल्र्ड के कई हस्तियों को ड्रग मामले में पूछताछ के लिए समन भेजा है, उनका कहना है कि पूछताछ पर निर्णय ग्राउंड सिचुएशन के आधार पर लिया जाएगा।
बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) आपदा नियंत्रण ने कहा कि दक्षिण व सेंट्रल मुंबई के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों जैसे सायन, माटुंगा, कुर्ला, चूनाभट्टी, मझगांव, मस्जिद बंदर और बाइकुला से भारी जल-जमाव की सूचना मिली है।
उपनगरों में कई इलाकों के अलावा गोरेगांव, मलाड, दहिसर, कुर्ला, घाटकोपर, मुलुंद में जलभराव होने की जानकारी सामने आई है।
वहीं मीठी नदी के जलस्तर में खतरनाक वृद्धि के बाद कुर्ला के क्रांति नगर झुग्गियों से करीब 50 लोगों को बुधवार तड़के सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया और स्थिति में ढील के बाद उन्हें घर वापस भेज दिया गया।
सीआर के मुख्य प्रवक्ता शिवाजी सुतार ने कहा कि, सेंट्रल रेलवे ने छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस से ठाणे और वाशी तक उपनगरीय सेवाएं निलंबित कर दी हैं। स्पेशल मेल / एक्सप्रेस ट्रेनों को रिशेड्यूल किया गया है।
वहीं डब्ल्यूआर प्रमुख प्रवक्ता सुमित ठाकुर ने कहा, इसी तरह पटरियों के जलमग्न होने के कारण पश्चिम रेलवे को चर्चगेट से अंधेरी के बीच सभी उपनगरीय सेवाओं को निलंबित करना पड़ा। हालांकि स्थिति में सुधार होने के बाद चर्चगेट से बांद्रा के बीच सेवाएं चलाई गईं।
आईएमडी, मौसम विज्ञान के डिप्टी डायरेक्टर जनरल केएस होसलिकर ने कहा, "मुंबई और ठाणे उपनगरों में पिछले 12 घंटों में भारी बारिश के साथ कुछ क्षेत्रों में 150 मिलीमीटर से अधिक बारिश रिकॉर्ड करने की जानकारी मिली है।"
मुंबई के सार्वजनिक बस सेवा ऑपरेटर बीईएसटी ने शहर के आसपास के करीब 18 मार्गों पर अपने परिचालन को रद्द कर दिया है और कुछ को डायवर्ट कर दिया है।
बारिश के कारण मकान गिरने और दीवार ढहने जैसी करीब आठ बड़ी और छोटी घटनाएं दर्ज कई गईं, वहीं जयफलवाड़ी, तारदेओ में मामूली भूस्खलन, बिजली के शॉर्ट-सर्किट की लगभग 40 शिकायतों के अलावा पेड़ों या शाखाओं के गिरने की 12 घटनाएं हुईं। हालांकि कोई हताहत नहीं हुआ।
तीन सालों में पहली बार, 14,47,363 मिलियन-लीटर की कुल क्षमता के साथ झीलों में कुल 14,30,152 मिलियन-लीटर (98.81 प्रतिशत) का रिकॉर्ड जल-भंडारण देखा गया, जबकि साल 2019 में यह भंडारण 98.55 प्रतिशत और साल 2018 में 93.61 था।
वहीं तटीय कोंकण के अन्य हिस्सों जैसे सिंधुदुर्ग, रत्नागिरि, रायगढ़, ठाणे और पालघर में भी भारी बारिश से सामान्य जीवन बाधित हुई और कई कस्बों और समुद्र के किनारे के गांवों में बाढ़ आ गई।