राष्ट्रीय
श्रीनगर 19 सितंबर (वार्ता) पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रो. सैफुद्दीन सोज ने जम्मू-कश्मीर में किसी के नजरबंद नहीं होने के केंद्र सरकार के बयान पर सवाल उठाते हुए शुक्रवार को कहा कि वह अभी भी नजरबंद हैं।
प्रो. सोज ने शुक्रवार को कहा ,“ मैं अभी भी नजरबंद हूं। ”
उन्होंने सवाल किया कि कौन किस को गुमराह कर रहा है। केंद्रीय गृहमंत्री संसद को गुमराह कर रहे हैं या प्रशासनिक अधिकारी उन्हें गलत बयान देने के लिए गुमराह कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में संसद में कहा था कि केंद्र शासित प्रदेश में कोई भी व्यक्ति नजरबंद नहीं है।
नयी दिल्ली, 19 सितंबर (वार्ता) दिल्ली पुलिस की स्पेशल ने फ्रीलांस जर्नलिस्ट राजीव शर्मा को आधिकारिक गुप्त अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है।
स्पेशल सेल के एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि रक्षा से जुड़े गोपनीय दस्तावेज राजीव के पास पाए गए हैं। पुलिस मामले की जांच कर रही है। पुलिस ने उसे अदालत में पेश की जहां से उसे छह दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया।
नई दिल्ली, 19 सितंबर (आईएएनएस)| देश में मौसम का पूवार्नुमान लगाने के लिए सरकार अब और अधिक हाईटेक तरीकों का इस्तेमाल करेगी। 250 करोड़ रुपये की लागत से एक ऐसा विमान सिस्टम खरीदने की तैयारी है, जो देश के विभिन्न हिस्सों में मौसम के बारे में सटीक भविष्यवाणी करने में मदद करेगा।
विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय यह विमान खरीदने पर विचार कर रहा है। इस विभाग के मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने शुक्रवार को लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में विमान खरीदने के बारे में जानकारी दी।
दरअसल, लोकसभा में शुक्रवार को एक सांसद ने सवाल किया था कि क्या सरकार मौसम पूवार्नुमान से संबंधित प्रयोग करने के लिए एक खास विमान खरीदने के प्रस्ताव पर विचार कर ही है? खरीदे जाने वाले विशेष विमान से क्या लाभ होंगे?
इस सवाल का लिखित में जवाब देते हुए विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया क मंत्रालय देश में वायुमंडलीय प्रक्रिया अध्ययनों के लिए एक उपकरण युक्त विशेष शोध विमान खरीद पर विचार कर रहा है। वैज्ञानिक उपकरणों से लैस इस विमान प्रणाली की कीमत ढाई सौ करोड़ रुपये हो सकती है।
केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि इस विमान का उपयोग देश के विभिन्न हिस्सों में मौसम, वातावरण में विभिन्न वायुमंडलीय अनुसंधान समस्याओं के समाधान के लिए किए जाने की संभावना है। मौसम संबंधी क्लाउड भौतिकी डेटा में यह मदद करेगा।
मंत्री ने बताया कि इसके अलावा, यह वायु प्रदूषण मूल्यांकन और भारत में स्वास्थ्य, ²श्यता, जलवायु पर्यावरण और जल विज्ञान संबंधित अध्ययनों के समाधान में भी मददगार हो सकता है।
केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि इस पूरी योजना के नोडल एजेंसी के रूप में भारतीय ऊष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) पुणे काम करेगा। यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक ऑटोनॉमस बॉडी है। इस नोडल एजेंसी के जरिए जनता को मौसम के बारे में जानकारी मिलेगी।
ग्वालियर, 19 सितंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में उप-चुनाव से पहले ग्वालियर-चंबल इलाके में सियासत गर्माने लगी है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेषाध्यक्ष कमल नाथ शुक्रवार को ग्वालियर पहुंचे और रोड-शो के जरिए अपनी ताकत का प्रदर्शन किया, तो दूसरी ओर भाजपा कार्यकर्ता उनके विरोध में उतरे। राज्य में 28 सीटों पर विधानसभा के उप-चुनाव होने वाले हैं। उनमें 16 सीटें ग्वालियर-चंबल अंचल से हैं। बीते दो साल में यह पहला मौका है जब कमल नाथ ग्वालियर के प्रवास पर हैं।
कमल नाथ शुक्रवार को पहुंचे तो कार्यकर्ता उनका स्वागत करने के लिए सड़कों पर उतर आए। उनका रोड शो कई किलोमीटर लंबा रहा। कमल नाथ ने काफी देर कार से बाहर निकलकर कार्यकर्ताओं का अभिवादन किया।
कमल नाथ का जब रोड शो निकल रहा था इसी दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनका विरोध करते हुए नारेबाजी की। पुलिस ने भाजपा कार्यकर्ताओं को खदेड़ने के लिए हल्का बल प्रयोग किया।
कांग्रेस के मीडिया विभाग के ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के प्रभारी केके मिश्रा ने बताया है कि ग्वालियर में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के अभूतपूर्व स्वागत ने सभी रिकार्ड ध्वस्त किये। सरकार-भाजपा के पार्टीजनों के काफिलों को रोकने के बाद भी सारे कुप्रयास किए जो असफल रहा।
रोड शो के दौरान कमल नाथ ने वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के समाधिस्थल पर पुष्प अर्पित किए।
नई दिल्ली, 18 सितम्बर (आईएएनएस)| मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए किसान-समर्थक विधेयकों के विरोध में कांग्रेस का वर्तमान रुख पाखंडी है क्योंकि जब पार्टी केंद्र में सत्ता में थी तो कृषि उपज का अवरोध मुक्त व्यापार चाहती थी। सरकार के करीबी सूत्रों ने यह कहा है । सूत्रों का कहना है कि अतीत में कांग्रेस के कृत्य दिखाते हैं कि सत्ता में होने पर पार्टी उसी दिशा में काम कर रही थी और अब विपक्ष में है, तो यह इन सुधारों का विरोध कर रही है।
सूत्रों ने कहा, "यह स्पष्ट है कि कांग्रेस भी कृषि उपज का अवरोध मुक्त व्यापार चाहती थी। इस प्रकार, मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए किसान-समर्थक विधेयकों के विरोध में कांग्रेस पाखंडी है।"
कांग्रेस और अन्य समान विचारधारा वाले दल संसद के अंदर और बाहर किसान समर्थक सुधारों का विरोध कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि इस तरह के सुधार के संबंध में कांग्रेस का रुख दिखाए गए रुख के उलट है।
सूत्रों का कहना है कि विभिन्न राज्यों में, विभिन्न समय अवधि में स्थानीय आवश्यकता के अनुसार 'कांट्रेक्ट फार्मिंग' की व्यवस्था को प्रोत्साहित किया गया था। यह किसी विशेष पार्टी तक सीमित नहीं था, विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने कार्यकाल के दौरान इसे अपनाया। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, "वही पार्टियां जो संबंधित राज्यों में सत्ता में थीं, वे अब केंद्र सरकार द्वारा लाए गए सुधारों का विरोध कर रही हैं?"
विभिन्न राज्य जैसे आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हरियाणा (2007, आईएनसी), हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक (2003, कठउ), महाराष्ट्र (2006, आईएनसी-एनसीपी), मध्य प्रदेश (2003, आईएनसी) , मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा (2006, बीजेडी), राजस्थान, सिक्किम, तेलंगाना, त्रिपुरा और उत्तराखंड ने राज्य एपीएमसी अधिनियम के तहत अनुबंध खेती के लिए प्रावधान किए हैं। पंजाब (2013, एसएडी), तमिलनाडु (2019, अन्नाद्रमुक), ओडिशा (2020, बीजेडी) ने अलग अनुबंध कृषि अधिनियम पारित किया है।
ग्रामीण भारत को ऐतिहासिक बढ़ावा देते हुए, किसानों के लाभ के लिए और कृषि क्षेत्र को बदलने के लिए 5 जून 2020 को तीन अध्यादेशों की घोषणा की गई।
ये अध्यादेश थे:
कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अध्यादेश, 2020 कृषि उत्पादन में अवरोध मुक्त इंटर स्टेट और इंट्रा स्टेट व्यापार को बढ़ावा देने के लिए है।
कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अध्यादेश, 2020 किसानों को कृषि करारों के संबंध में निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से पारस्परिक रूप से सहमत लाभकारी कीमत रूपरेखा पर कृषि सेवाओं और कृषि उत्पादों की बिक्री के लिए कृषि व्यापार फर्मो, प्रोसेसर, थोक विक्रेताओ, निर्यातकों या बड़ी संख्या में फुटकर विक्रेताओं के साथ कृषकों का संरक्षण करते हैं, सशक्त बनाते हैं।
किसानों के लिए विनियामक वातावरण को उदार बनाने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन किया गया।
इन अध्यादेशों को कानून बनाने के लिए लोकसभा में 14 सितंबर को तीन विधेयक पेश किए गए - कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरीलकरण) विधेयक, 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 ।
कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 को एक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए प्रस्तावित करेंगे, जहां किसान और व्यापारी बिक्री और खरीद से संबंधित चयन की स्वतंत्रता का लाभ पाते हैं।
कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र 2019 में उल्लेख किया था कि कांग्रेस कृषि उपज बाजार समिति के अधिनियम को निरस्त करेगी और कृषि उपज सहित निर्यात और इंटरस्टेट व्यापार को सभी प्रतिबंधों से मुक्त बनाएगी।
रिपोर्टों के अनुसार, 2014 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि कांग्रेस शासित राज्यों को एपीएमसी अधिनियम से फलों और सब्जियों को डी-नोटिफाई करना चाहिए। इसके बाद, कांग्रेस शासित राज्यों -- कर्नाटक, असम, हिमाचल प्रदेश, मेघालय और हरियाणा के राज्यों को फलों और सब्जियों को डिनोटिफाई किया गया।
2004 में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने राज्यों के साथ कृषि एपीसी कानून 2003 को लागू करने के लिए मॉडल एपीएमसी एक्ट को अपनाने के लिए राजी करना शुरू कर दिया।
यूपीए सरकार ने मॉडल एपीएमसी अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए मॉडल एपीएमसी नियम 2007 भी तैयार किया।
यूपीए ने महाराष्ट्र सरकार के तत्कालीन संसदीय मामलों के मंत्री हर्षवर्धन पाटिल की अध्यक्षता में कृषि विपणन को बढ़ावा देने के लिए राज्य मंत्रियों की समिति का भी गठन किया।
2013 में अपनी रिपोर्ट में समिति ने कृषि उत्पाद इंटर-स्टेट व्यापार और वाणिज्य (विकास और विनियमन), बाधा मुक्त बाजारों के लिए विधेयक का प्रस्ताव किया।
सूत्रों ने कहा कि ये सब दर्शाते हैं कि कांग्रेस भी सुधार चाहती थी लेकिन अब मोदी सरकार का विरोध कर रही है।
नई दिल्ली, 18 सितम्बर (आईएएनएस)| दिल्ली में सभी स्कूल 5 अक्टूबर तक बंद रहेंगे। दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को ये घोषणा की। सरकार ने दिल्ली में कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के मद्देनजर ये फैसला किया है, हालांकि इस दौरान ऑनलाइन क्लासेज चलते रहेंगे।
बता दें कि गुरुवार को दिल्ली में कोरोनावायरस के 4,432 मामले सामने आए थे।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 18 सितंबर (आईएएनएस)| दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पूर्ण पीठ द्वारा दिए गए पहले आदेश पर स्पष्टीकरण मांगने वाले एक आवेदन पर विचार करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट द्वारा पारित सभी अंतरिम आदेश में बेल और पैरोल भी शामिल थे। मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और तलवंत सिंह की अध्यक्षता वाली हाईकोर्ट की तीन जजों की पीठ ने 10 साल बाद जेल से रिहा हुए एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। याचिका में उन्होंने आरोप लगाया था कि कोर्ट के आदेश में कुछ अस्पष्टता के कारण, पुलिस कथित तौर पर उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर कर रही थी।
दिल्ली पुलिस के लिए अपील करते हुए दिल्ली सरकार के वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने तर्क दिया, "वे बैकग्राउंड क्यों बना रहे हैं, अगर वे स्पष्टीकरण चाहते हैं कि वे ईमानदारी से कोर्ट में आ सकते हैं, तो वे क्यों कह रहे हैं कि पुलिस उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए कह रही है।"
मेहरा और याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक सूद की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या वह याचिका वापस लेना चाहते हैं, जिस पर वकील सहमत हो गए।
इसके बाद कोर्ट ने उक्त अर्जी को वापस लेते हुए खारिज कर दिया और कहा, "कुछ दलीलों को सुनने के बाद और श्री राहुल मेहरा की सुनवाई के बाद दिल्ली सरकार के एनसीटी के लिए वकील ने याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस लेने की मांग की, जिसकी अनुमति दी गई .. याचिका को खारिज कर दिया गया है।"
इस 24 अगस्त को हाईकोर्ट की तीन न्यायाधीश की खंडपीठ ने अपने और अपने अधीनस्थ न्यायालयों द्वारा पारित किए गए सभी अंतरिम आदेशों को 31 अक्टूबर तक बढ़ा दिया था।
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली हाईकोर्ट की तीन-न्यायाधीश पीठ ने कहा, "हम इसे अक्टूबर के अंत तक बढ़ा रहे हैं।"
उक्त अंतरिम आदेशों में अंतरिम जमानत, पैरोल, आदि शामिल हैं। मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल ने कहा, "हम धीरे-धीरे सभी की सहमति से शारीरिक सुनवाई शुरू करेंगे।"
उक्त आदेश कोविड -19 महामारी के प्रकोप को ध्यान में रखते हुए पारित किए गए थे।
बेगूसराय (बिहार), 18 सितंबर (आईएएनएस)| बिहार के बेगूसराय जिले के नगर थाना क्षेत्र में गुटखा नहीं देने के कारण हुए विवाद में दुकानदार सहित दो लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए इस मामले के मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस के एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि गुरुवार की रात महादेव चौक पर नयागांव के रहने वाले विकास कुमार अपनी पान दुकान पर बैठे थे, तभी दो मोटरसाइकिल पर सवार होकर आए चार लोगों ने पान दुकानदार से गुटखा की मांग की, जिस पर दुकानदार ने मना कर दिया।
इसी को लेकर दोनों पक्षों में विवाद प्रारंभ हो गया। इसी दौरान, नगादाह गांव के रहने वाले रोशन कुमार बीच-बचाव करने पहुंच गए। इससे गुस्साए बदमाशों ने दुकानदार और रोशन को गोली मार दी और फ रार हो गए। गोली लगने से घटनास्थल पर ही दोनों की मौत हो गई।
बेगूसराय नगर थाना के प्रभारी अमरेंद्र कुमार झा ने बताया कि इस घटना के मुख्य आरोपी राजीव कुमार को घटना में प्रयुक्त हथियार और बाइक के साथ गिरफ्तार कर लिया गया है तथा अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।
नई दिल्ली, 18 सितम्बर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को बिहार की जनता को कोसी रेल महासेतु के रूप में एक बड़ी सौगात दी। उन्होंने वर्चुअल माध्यम से ऐतिहासिक कोसी रेल महासेतु को देश की जनता को समर्पित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने ऐतिहासिक कोसी महासेतु सहित यात्री सुविधा से जुड़ी 12 रेल परियोजनाओं को भी बिहार राज्य की जनता को समर्पित किया। प्रारंभ होने वाली परियोजनाओं में कोसी महासेतु, किउल नदी पर नया रेलपुल, दो नई लाइन परियोजनाएं, पांच विद्युतीकरण परियोजनाएं, एक इलेक्ट्रिक लोको शेड और तीसरी रेल लाइन परियोजना शामिल है।
प्रधानमंत्री मोदी ने 450 करोड़ की लागत से हाजीपुर, घोसवर, वैशाली तथा 409 करोड़ की इसलामपुर-नटेसर नई रेल लाइन परियोजना और 240 करोड़ की करनौती-बख्तियारपुर लिंक बाईपास तथा बख्तियारपुर-बाढ़ के बीच तीसरी लाईन परियोजना का भी उद्घाटन किया।
नई दिल्ली, 18 सितंबर। कृषि सुधार बिल पर बोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी- कल लोकसभा में कृषि सुधार बिल पारित हुआ है। इससे किसानों को अपनी उपज बेचने में और ज्यादा विकल्प मिलेंगे। साथ ही उन्हें ज्यादा अवसर मिलेंगे। मैं देशभर के किसानों को इस विधेयक के पारित होने पर बधाई देते हूं। किसान और ग्राहकों के बीच रहने वाले बिचौलियों से किसानों का फायदा मारा जाता था। इस विधेयक से किसानों को रक्षाकवच मिला है, लेकिन जो लोग दशकों तक देश में शासन करते रहे, सत्ता में रहे हैं, वो लोग किसानों को इस विषय पर भ्रमित कर रहे हैं और उनसे झूठ बोल रहे हैं। ऐसे लोग किसानों को लुभाने के लिए चुनाव में बड़े-बड़े वायदे करते थे और चुनाव के बाद भूल जाते थे। आज जब वही चीजें जो इतने दशकों तक राज करने वाली पार्टी के मेनिफेस्टों में है तो वही काम हमारी सरकार के करने पर भ्रम फैला रहे हैं। एग्रीकल्चर मार्केट के प्रावधानों में बदलाव का विरोध करने वाले दलों ने भी अपने घोषणापत्र में लिखी थी। लेकिन जब एनडीए सरकार ने काम कर दिया तो ये विरोध कर रहे हैं। ये लोग सिर्फ विरोध करने के लिए विरोध कर रहे हैं। वो ये भूल गए कि देश का किसान जागरुक है।
देश का किसान ये देख रहा है कि वो कौन से लोग हैं जो बिचौलियों के साथ खड़े हैं। ये लोग एमएसपी को लेकर बड़ी बातें करते थे लेकिन कभी अपना वायदा पूरा नहीं किया। किसानों से किया ये वायदा अगर किसी ने पूरा किया है तो भाजपा-एनडीए की सरकार ने पूरा किया है। अब ये दुष्प्रचार किया जा रहा है कि किसानों को एमएसपी का लाभ नहीं दिया जाएगा, किसानों से सरकार धान-गेंहू नहीं खरीदेगी। ये सरासर झूठ है, किसानों को सरकार एमएसपी के माध्यम से सही कीमत दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकारी खरीद भी पहले की तरह जारी रहेगी। सभी व्यापारी अपना उत्पाद जहां चाहे वहां बेच सकते हैं। लेकिन एकमात्र मेरे किसान भाइयों को इससे अलग रखा गया, लेकिन अब किसान अपनी फसल को किसी भी बाजार में मनचाही कीमत में बेच सकेगा। ये बिहार में जीवीका जैसे समूहों के लिए सुनहरा अवसर लेकर आया है।
नीतीशजी भली भांति समझते हैं कि एपीएमसी एक्ट से किसानों को कितना नुकसान होता है। इसीलिए उन्होंने बिहार में इस एक्ट को ही खत्म कर दिया। हमने किसानों की हर परेशानी को दूर करने की कोशिश की है।
कृषि सुधार बिल पर बोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी- ऐसे लोगों से किसान सावधान रहें जिन्होंने दशकों तक देश पर राज किया और आज किसानों से झूठ बोल रहे हैं। दरअसल वो लोग किसानों को अनेक बंधनों में जकडक़र रखना चाहते थे। वो लोग बिचौलियों का साथ दे रहे हैं। किसानों को देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की आजादी देना एक ऐतिहासिक कदम है। 21वीं सदी में भारत का किसान खुलकर खेती करेगा और जहां मन आएगा वहीं अपना अनाज बेचेगा। अपनी उपज और आय बढ़ाएगा। किसान हों, महिलाएं हों या नौजवान हों, राष्ट्र के विकास के लिए सभी को सशक्त बनाना हमारा दायित्व है।
नई दिल्ली, 18 सितम्बर (आईएएनएस)| केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एक और महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। उन्हें शुक्रवार को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय का भी प्रभार सौंपा गया। तोमर पहले से ही तीन मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। तोमर के पास कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अलावा, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय की जिम्मेदारी पहले से ही थी और अब उनको खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
इससे पहले खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय का जिम्मा शिरोमणि अकाली दल सांसद हरसिमरत कौर बादल के पास था जिन्होंने गुरुवार को लोकसभा में कृषि विधेयकों के विरोध में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 और मूल्य आश्वासन पर किसान समझौता (अधिकार प्रदान करना और सुरक्षा) और कृषि सेवा विधेयक, 2020 गुरुवार को लोकसभा में पारित हुए। दोनों विधेयकों के पारित होने से पहले सदन में चर्चा के दौरान शिरोमणि अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने इनका विरोध किया। उन्होंने विधेयकों को किसान विरोधी बताया, जिसके बाद हरसिमरत कौर बादल ने मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया।
लोकसभा में चर्चा के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री ने पूर्व का उदाहरण देते हुए विपक्ष के विरोध का जवाब दिया। लोकसभा में तोमर के वक्तव्य की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके उनका भाषण सुनने की सलाह दी है। मोदी ने कहा, किसानों और कृषि से जुड़े सभी लोगों से मेरा अनुरोध है कि वे लोकसभा में कृषि सुधार विधेयकों पर चर्चा के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा दिए गए भाषण को जरूर सुनें।
तोमर ने इन विधेयक में एक 'एक राष्ट्र, एक कृषि उत्पाद बाजार' की परिकल्पना के संबंध में कांग्रेस को जवाब देते हुए कहा, इस सुधार पर किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। नौ अप्रैल 2005 को दिल्ली में कृषि सम्मेलन हुआ था। उस समय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे। उन्होंने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि सभी वस्तुओं और सेवाओं के लिए स्थानीय मार्केट को एकीकृत करने को लेकर उनकी सरकार प्रतिबद्ध है। समय आ गया है कि कृषि उत्पादों के लिए हमें पूरे देश को एक कॉमन व सिंगल मार्केट बनाना है।
कृषि मंत्री ने कहा कि विधेयक में जो 'एक राष्ट्र, एक कृषि बाजार' का जिक्र है उसकी बात उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने की थी। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री के बयान का जिक्र करते हुए आगे कहा, हमें व्यवस्थित तरीके से आंतरिक नियंत्रण और बाधाओं को हटाना है। किसानों और एनजीओ, सहकारी संस्थाओं और निजी कंपनियों के माध्यम से इसे प्रोत्साहित करना चाहिए। तोमर ने कहा, यह मैं नहीं मनमोहन सिंह जी ने कहा है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने अपने भाषण में विपक्ष के सारे सवालों का जवाब दिया और दोनों विधेयकों को किसान-हितैषी बताया।
कृषि एवं बागवानी उत्पादों के मूल्यवर्धन के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का विशेष महत्व है। केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज के तहत फार्मगेट इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए एक लाख करोड़ रुपये का कोष बनाया है। कृषि क्षेत्र में बुनियादी ढांचा तैयार होने से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।
चंडीगढ़, 18 सितम्बर (आईएएनएस)| भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के विरोध के बावजूद लोकसभा में दो विवादास्पद कृषि विधेयकों के पारित होने के एक दिन बाद, शुक्रवार को पंजाब में विधेयकों का विरोध कर रहे एक किसान ने जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की। शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने विधेयकों को किसान विरोधी करार दिया था।
मुक्तसर जिले में पंजाब की राजनीति में सक्रिय बादल परिवार के गृहनगर बादल गांव में किसान ने एक विरोध स्थल पर आत्महत्या करने की कोशिश की।
भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) के राज्य सचिव शिंगारा सिंह मान ने कहा कि 60 वर्षीय किसान प्रीतम सिंह लोकसभा में कृषि विधेयकों के पारित होने पर परेशान थे।
किसान को डर था कि बिल किसानों के खिलाफ होगा।
किसान की हालत गंभीर बताई गई है।
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए विधेयकों के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के आवास के ठीक बाहर बादल गांव में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।
नरेंद्र मोदी सरकार में अकाली दल की एकमात्र मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इन विधेयकों के विरोध में गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया।
केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंत्री के इस्तीफा देने के निर्णय की घोषणा करते हुए, एसएडी अध्यक्ष सुखबीर बादल ने कहा कि पार्टी सरकार और भाजपा को समर्थन देना जारी रखेगी, लेकिन किसान विरोधी नीतियों का विरोध करेगी।
नई दिल्ली, 18 सितम्बर (आईएएनएस)| राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है और नरेंद्र सिंह तोमर को उनके मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। एक प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई। शुक्रवार को जारी विज्ञप्ति में कहा गया, "भारत के राष्ट्रपति ने, जैसा कि प्रधानमंत्री द्वारा सलाह दी गई थी, संविधान के अनुच्छेद 75 के क्लॉज (2) के तहत तत्काल प्रभाव से, श्रीमती हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है।"
कृषि बाजारों को उदार बनाने के लिए लाए गए नए कानून के विरोध में हरसिमरत कौर ने गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा दे दिया था।
उन्होंने ट्वीट कर कहा था, "मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और कानून के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने पर गर्व है।"
राष्ट्रपति के विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है, "आगे, जैसा कि प्रधानमंत्री द्वारा सलाह दी गई है, राष्ट्रपति ने निर्देश दिया है कि श्री नरेंद्र सिंह तोमर, कैबिनेट मंत्री, को उनके मौजूदा विभागों के अलावा, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय का प्रभार सौंपा जाए।"
लोकसभा ने गुरुवार को कृषि विधेयकों को पारित किया।
केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफ़ा देकर अपनी पार्टी शिरोमणि अकाली दल के कड़े रुख़ का संकेत दिया है.
शिरोमणि अकाली दल लंबे समय से बीजेपी की सहयोगी पार्टी रही है. हरसिमरत का इस्तीफ़ा तीन अध्यादेशों के ख़िलाफ़ है. ये तीन अध्यादेश हैं- उत्पाद, व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020, किसान सशक्तीकरण और संरक्षण अध्यादेश और आवश्यक वस्तु (संशोधन).
अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल का कहना है कि उनकी पार्टी से इन अध्यादेशों को लेकर संपर्क नहीं किया गया, जबकि हरसिमरत कौर ने इसे लेकर आपत्ति जताई थी और कहा था कि 'पंजाब और हरियाणा के किसान इससे ख़ुश नहीं हैं.'
केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफ़ा देने के बाद हरसिमरत कौर बादल ने ट्वीट किया, "मैंने केंद्रीय मंत्री पद से किसान विरोधी अध्यादेशों और बिल के ख़िलाफ़ इस्तीफ़ा दे दिया है. किसानों की बेटी और बहन के रूप में उनके साथ खड़े होने पर गर्व है."
लेकिन एक महीने से भी कम वक़्त हुआ, जब अकाली दल ने इन अध्यादेशों का बचाव किया था.
28 अगस्त को पंजाब विधानसभा के सत्र की शुरुआत से पहले सुखबीर सिंह बादल ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का एक पत्र दिखाया था और कहा था कि 'न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी में कोई बदलाव नहीं होगा.'
उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर किसानों को भ्रमित करने का आरोप लगाया था. अब सुखबीर और उनकी पत्नी, दोनों इन अध्यादेशों का विरोध कर रहे हैं.
अकाली दल का विरोध क्या है?
पंजाब में किसान अकाली दल की रीढ़ हैं. इस हफ़्ते की शुरुआत में ही सुखबीर सिंह बादल ने कहा था कि 'सभी अकाली किसान हैं और सभी किसान अकाली हैं.'
पंजाब की सभी किसान यूनियन अपने मतभेदों को किनारे रखकर इन अध्यादेशों का विरोध कर रही हैं.
मालवा बेल्ट के किसान यह चेतावनी जारी कर चुके हैं कि जो भी नेता इन अध्यादेशों का समर्थन करेगा, उन्हें गाँवों में नहीं घुसने दिया जाएगा.
100 साल पुरानी पार्टी - अकाली दल पंजाब में अभी हाशिये पर है. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में 117 सीटों वाली विधानसभा में पार्टी महज़ 15 सीटों पर ही सिमटकर रह गई थी. ऐसे में अकाली दल अपने वोट बैंक को किसी भी सूरत में और नाराज़ नहीं करना चाहता.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह पार्टी के अस्तित्व का सवाल है.
साल 2017 से पहले अकाली दल लगातार दो बार सत्ता में रहा. 2017 के चुनाव में बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल गठबंधन को महज़ 15 फ़ीसदी सीटों पर जीत मिली थी, जबकि कांग्रेस को 1957 के बाद सबसे बड़ी जीत मिली.
एमएसपी को लेकर चिंता
कहा जा रहा है कि किसानों के आंदोलन के सामने अकाली दल को झुकना पड़ा है, नहीं तो वो बीजेपी का विरोध करने की स्थिति में नहीं थे.
पंजाब में किसानों को डर है कि आने वाले वक़्त में एमएसपी को ख़त्म कर दिया जाएगा. दूसरी तरफ कमीशन एजेंटों को डर है कि उनके कमीशन ख़त्म हो जाएंगे.
बीबीसी पंजाबी सेवा के संपादक अतुल सेंगर कहते हैं, ''अकाली दल ने मजबूरी में यह फ़ैसला लिया है. इनके ख़िलाफ़ किसानों में बहुत ग़ुस्सा है. हालांकि यह ग़ुस्सा अब भी शांत नहीं हो जाएगा क्योंकि एनडीए के साथ ये अब भी हैं. मुझे नहीं लगता कि ये अभी एनडीए से अलग होने की स्थिति में हैं. लेकिन दूसरी तरफ़ अकालियों के ख़िलाफ़ कई गाँवों में पोस्टर लगा दिये गए थे और ये बहुत दबाव में थे."
वे कहते हैं, "पंजाब और हरियाणा के किसान इसलिए सबसे ज़्यादा परेशान हैं क्योंकि एफ़सीआई यहाँ से भारी मात्र में चावल और गेहूँ की ख़रीदारी एमएसपी पर करती है. यहाँ के किसानों को लग रहा है कि आने वाले दिनों में एमएसपी ख़त्म कर दिया जाएगा.''
दाँव पर क्या लगा है?
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के अनुसार, यहाँ 12 लाख परिवार किसान हैं और 28 हज़ार रजिस्टर्ड कमीशन एजेंट (आढ़तिया) हैं.
पंजाब की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा केंद्र सरकार की एजेंसियों के फ़ंड पर निर्भर है. इनमें एफ़सीआई सबसे प्रमुख है.
पंजाब में होने वाले गेहूँ और चावल का सबसे बड़ा हिस्सा या तो पैदा ही एफ़सीआई द्वारा किया जाता है, या फिर एफ़सीआई उसे ख़रीदता है. साल 2019-2020 के दौरान रबी के मार्केटिंग सीज़न में, केंद्र द्वारा ख़रीदे गए क़रीब 341 लाख मिट्रिक टन गेहूँ में से 130 लाख मिट्रिक टन गेहूँ की आपूर्ति पंजाब ने की थी.
वहीं साल 2018-19 में केंद्र द्वारा की गई 443 लाख मेट्रिक टन गेहूँ की कुल ख़रीद में से 113.3 लाख मेट्रिक टन गेहूँ पंजाब से लिया गया था.
प्रदर्शनकारियों को यह डर है कि एफ़सीआई अब राज्य की मंडियों से ख़रीद नहीं कर पाएगा, जिससे एजेंटों और आढ़तियों को क़रीब 2.5% के कमीशन का घाटा होगा. साथ ही राज्य भी अपना 6 प्रतिशत कमीशन खो देगा, जो वो एजेंसी की ख़रीद पर लगाता आया है.
प्रदर्शनकारियों की समझ है कि ये अध्यादेश जो किसानों को अपनी उपज खुले बाज़ार में बेचने की अनुमति देता है, वो क़रीब 20 लाख किसानों- ख़ासकर जाटों के लिए तो एक झटका है ही. साथ ही मुख्य तौर पर शहरी हिन्दू कमीशन एजेंटों जिनकी संख्या तीस हज़ार बताई जाती है, उनके लिए और क़रीब तीन लाख मंडी मज़दूरों के साथ-साथ क़रीब 30 लाख भूमिहीन खेत मज़दूरों के लिए भी यह बड़ा झटका साबित होगा.
अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने भी गुरुवार को लोकसभा में यही आँकड़े दिए और कहा कि 'सरकार 50 साल से बनी फसल ख़रीद की व्यवस्था को बर्बाद कर रही है और उनकी पार्टी इसके ख़िलाफ़ है.'
अकाली-बीजेपी आमने-सामने, नुकसान किसका?
अब जो स्थिति बनी है, उसके बाद अकाली दल और बीजेपी के संबंधों में खटास पड़ने की काफ़ी संभावना जताई जा रही है. हालांकि, इस तरह की अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि एस एस ढिंडसा के नेतृत्व वाले अकाली दल के साथ अपने संबंधों में कुछ बदलाव करने के बारे में बीजेपी सोच ही रही थी.
इसके अलावा, माना यह भी जा रहा है कि सुखबीर सिंह बादल ने अपने पिता प्रकाश सिंह बादल की तरह एनडीए गठबंधन को बनाए रखने की 'मज़बूत इच्छाशक्ति' भी नहीं दिखाई है.
लेकिन इन अध्यादेशों का नुक़सान बीजेपी को भी होगा, ख़ासकर बीजेपी के शहरी वोट बैंक में जिसमें कमीशन एजेंट शामिल हैं और पार्टी को यह भी सोचना होगा कि अगले पंजाब विधानसभा चुनाव में वो किस आधार पर इन लोगों के बीच जाकर वोट माँगेगी.
दूसरी ओर, अकाली दल द्वारा अपने ही गठबंधन सरकार के ख़िलाफ़ कार्रवाई किए जाने से केंद्र में बीजेपी की किरकिरी होगी.
पंजाब के राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि हर कैबिनेट सदस्य कैबिनेट के निर्णयों से बाध्य होता है. पर हरसिमरत का इस्तीफ़ा अपरिहार्य रहा क्योंकि अध्यादेशों के ख़िलाफ़ जाकर उन्होंने आर्टिकल-75 का उल्लंघन किया होगा.
पर सवाल है कि क्या अकाली दल ने पहली बार ऐसा किया? तो जवाब है- नहीं.
इसी साल जनवरी में अकाली दल ने पंजाब विधानसभा में एक प्रस्ताव का समर्थन किया था जो केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के ख़िलाफ़ था, जबकि संसद में पार्टी ने इस अधिनियम के समर्थन में वोट किया था. बाद में, पार्टी ने इस मुद्दे पर भाजपा के साथ अपने मतभेदों को लेकर दिल्ली विधानसभा चुनाव अलग लड़ने का फ़ैसला किया था.
इसी हफ़्ते की शुरुआत में, सुखबीर सिंह बादल ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के लिए नई भाषाओं के बिल में पंजाबी को शामिल ना करने पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि 'यह खालसा राज के समय से ही स्थानीय लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है.'(bbc)
बैंकिंग धोखाधड़ी पर रोक लगाने के लिए SBI ने ATM से कैश निकालने का नियम बदल दिया है। यह नियम आज यानी 18 सितंबर से लागू हो गया है। अब हर बार ATM से कैश निकालते हुए आपको अपने साथ मोबाइल फोन रखना होगा। ATM कार्ड और पिन डालते ही आपके फोन पर एक OTP आएगा। ATM पिन के साथ यह OTP डालने पर ही अब ATM से पैसा निकल पाएगा।
SBI के नए नियम का फायदा ये होगा कि अगर आपका डेबिट कार्ड और पिन किसी को पता चल भी जाता है तो वह तब तक आपके खाते से पैसे नहीं निकाल सकता जब तक उसके पास आपका मोबाइल फोन ना हो।
OTP बेस्ट सिस्टम 24 घंटे करेगा काम
ATM पर होने वाले अनऑथाराइज्ड लेनदेन पर रोक लगाने के लिए SBI ने ओटीपी बेस्ड सुविधा (OTP based system) को 24 घंटे के लिए शुरू कर दिया है। यह सुविधा 24X7 सातों दिन काम करेगी। पहले बैंक ने यह सुविधा केवल 10 हजार रुपए से ज्यादा की निकासी पर लागू किया था जिसका समय रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक रखा गया था। SBI ने अपने बयान में कहा कि OTP based withdrawal 24 घंटे लागू होने से ग्राहक कार्ड क्लोनिंग, कार्ड स्कीमिंग, अनऑथाराइज्ड ट्रांजेक्शन और फ्रॉड जैसी समस्याओं से बच सकेंगे।
कैसे काम करेगा नया नियम
18 सिंतबर से अगर 10 हजार या इससे अधिक पैसे ATM से निकालने जाते हैं तो कार्ड एंटर करने और अमाउंट डालने के बाद SBI की तरफ से रजिस्टर्ड मोबाइल पर एक OTP आएगा। इस OTP को डेबिट कार्ड की पिन के साथ डालना होगा, तभी आप SBI के ATM से पैसे निकाल सकेंगे। SBI देश की सबसे बड़ी बैंक है जिसके बैंकिंग नेटवर्क में करीब 22,000 शाखाएं देशभर में मौजूद हैं। SBI के 6.6 करोड़ से ज्यादा ग्राहक मोबाइल बैंकिग और ATM की सुविधा का इस्तेमाल करते हैं।(moneycontrol)
चंडीगढ़, 18 सितंबर (आईएएनएस)| पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मोदी कैबिनेट से अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह सब अकाली दल के नाटकों की एक कड़ी है। अमरिंदर सिंह ने कहा कि अकाली दल ने अभी तक सत्तारूढ़ गठबंधन को नहीं छोड़ा है। उन्होंने कहा कि हरसिमरत कौर बादल का इस्तीफा किसानों की चिंता के लिए नहीं है, बल्कि अपने राजनीतिक भविष्य को बचाने के लिए है और किसानों के लिए यह बहुत देर बाद किया गया बहुत कम काम है।
केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा बने रहने के शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के फैसले पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हरसिमरत का इस्तीफा भी पंजाब के किसानों के साथ खिलवाड़ करने से ज्यादा कुछ नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये इस्तीफा राजनीतिक जमीन तलाशने के लिए है। हरसिमरत कौर का इस्तीफा नाटक है।
उन्होंने कहा कि हरसिमरत ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन अभी भी सत्तारूढ़ गठबंधन नहीं छोड़ा है। सिंह ने कहा कि ये किसानों की चिंता के लिए नहीं, बल्कि खुद की घटती राजनीतिक जमीन को बचाने से प्रेरित है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरसिमरत का केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा पंजाब और उसके किसानों को किसी भी तरह की मदद के लिए देर से आया है।
दरअसल, भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के कोटे से मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने किसानों से जुड़े नए विधेयक के विरोध में मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है।
पंजाब के बठिंडा से सांसद और केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने ट्वीट कर अपने इस्तीफे की जानकारी दी। उन्होंने लिखा, "मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और कानून के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने पर गर्व है।"
बता दें कि किसानों से संबंधित तीन विधेयकों को लेकर पंजाब के किसानों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने इस पर चर्चा में कहा था कि इस कानून को लेकर पंजाब के किसानों, आढ़तियों और व्यापारियों के बीच बहुत शंकाएं हैं, इसलिए सरकार को इस विधेयक और अध्यादेश को वापस लेना चाहिए। इसके अलावा पंजाब के मुख्यमंत्री भी विधेयकों के खिलाफ मुखर हैं।
वाराणसी, 18 सितंबर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र का पूवरेत्तर रेलवे के मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम अब बनारस हो गया है। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने नाम बदलने की अनुमति दे दी है। 18 अगस्त को मंडुवाडीह स्टेशन का नाम बदलकर बनारस रखने का गृह मंत्रालय से आदेश पत्र जारी हो गया था। इसके बाद से अन्य कागजी तैयारियों ने जोर पकड़ लिया था। बनारस स्टेशन नामकरण को अब राज्यपाल ने भी हरी झंडी दे दी है।
रेलमंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर इस संबंध में जानकारी दी। उन्होंने लिखा, "प्रधानमंत्री जी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के मंडुआडीह स्टेशन को अब पूरे देश में लोकप्रिय व प्रसिद्ध नाम बनारस से जाना जाएगा। उत्तर प्रदेश के महामहिम राज्यपाल द्वारा, केंद्र सरकार के अनापत्ति पत्र के आधार पर, इस स्टेशन का नाम परिवर्तित कर बनारस रखने की अनुमति दी गई।"
इससे पहले 17 अगस्त को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के लिए मंजूरी दे दी थी। मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन पर कुल आठ प्लेटर्फार्म हैं। वाराणसी-नई दिल्ली की सबसे महत्वपूर्ण ट्रेन शिवगंगा एक्सप्रेस, ग्वालियर के लिए बुंदेलखंड एक्सप्रेस, आधा दर्जन प्रमुख ट्रेनों का संचालन होता है।
इस्लामाबाद, 18 सितंबर (आईएएनएस)| इमरान खान सरकार अवैध रूप से कब्जा किए गए गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को देश का पांचवां प्रांत बनाकर जल्द ही एकीकृत करने की तैयारी कर रही है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक, कश्मीर एवं गिलगित-बाल्टिस्तान मामलों के मंत्री अली अमीन गंडापुर ने बुधवार को यह बात कही है।
अली अमीन ने पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून से कहा है कि प्रधानमंत्री इमरान खान जल्द ही क्षेत्र का दौरा करेंगे और इसका औपचारिक ऐलान करेंगे।
उन्होंने कहा है कि क्षेत्र को नेशनल असेंबली और सीनेट समेत हर संवैधानिक निकाय में पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। अमीन ने कहा कि नवंबर में यहां चुनाव कराए जाएंगे।
वहीं भारत का इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख है और इसने इसे लेकर साफ कहा है कि गिलगित-बल्टिस्तान समेत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का क्षेत्र उसके अंतर्गत आता है।
गंडापुर ने कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान को नेशनल असेंबली और सीनेट समेत सभी संवैधानिक संस्थाओं में पर्याप्त नुमाइंदगी दी जाएगी। मंत्री ने कहा, "सभी पक्षकारों से विचार-विमर्श के बाद संघीय सरकार ने गिलगित-बाल्टिस्तान को संवैधानिक अधिकार देने पर सैद्धांतिक सहमति जताई है।"
उन्होंने यह भी कहा कि चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीसीई) के तहत मोकपोंदास विशेष आर्थिक क्षेत्र पर भी काम शुरू किया जाएगा।
मंत्री ने कहा, "हमारी सरकार ने वहां के लोगों से किए गए वादे को पूरा करने का फैसला किया है।"
उन्होंने कहा कि क्षेत्र को दिए जाने वाले गेहं पर सब्सिडी और कर छूट तब तक जारी रहेगी, जब तक वहां के लोग अपने पैरों पर खड़े नहीं हो जाते। गंडापुर ने कहा कि पिछले 73 वर्षों से गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों को वंचित रहना पड़ा है।
क्षेत्र के आगामी चुनावों के बारे में गंडापुर ने कहा कि मतदान नवंबर के मध्य में होगा और उम्मीदवारों को पार्टी टिकटों का वितरण जल्द ही शुरू होगा। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि पाकिस्तान की सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) किसी भी स्थानीय पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन में प्रवेश कर सकती है, लेकिन वह पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के साथ किसी प्रकार का कोई गठबंधन नहीं करेगी।
नई दिल्ली, 18 सितंबर (आईएएनएस)| पाकिस्तान आधारित प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) भारत के खिलाफ जिहाद को बढ़ावा देने के लिए बच्चों एवं युवाओं का ब्रेनवॉश करने के लिए गेमिंग एप्लिकेशन का उपयोग कर रहा है। आतंकी संगठन ऐप्स के जरिए पैगंबर मोहम्मद की शिक्षाओं का ढोंग और युवाओं को शिक्षित करने का दावा करते हुए ऐसे कदम उठा रहा है।
जेयूडी प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़ा हुआ है। एक सूत्र ने कहा, "जेयूडी के गेमिंग ऐप्स के माध्यम से लश्कर-ए-तैयबा ने भारत में जिहाद फैलाने की साजिश रची है।"
भारत में 26/11 आतंकी हमले के मास्टरमाइंड लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद ने पाकिस्तान में 45 स्थानों पर कार्यालय खोले हैं। सूत्र ने कहा, "युवाओं को गेम्स के बारे में अवगत कराया जाता है और इन केंद्रों में स्थापित कंप्यूटरों का उपयोग करने की अनुमति दी जाती है।"
जेयूडी ने गेम और मोबाइल फोन ऐप विकसित करने के लिए कंप्यूटर प्रोग्रामर से मदद मांगी है। गेम और एप्स को विकसित करने के लिए जेयूडी की ऐसी योजनाओं के बारे में पहला संकेत जेयूडी ऑफिशियल के अकाउंट से माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर किए गए कुछ ट्वीट्स के रूप में 2018 में सामने आया था।
तब आतंकी समूह ने कहा था कि वे गेम और एप विकसित करने की योजना बना रहे हैं, जो जाहिर तौर पर पैगंबर मोहम्मद की शिक्षाओं से प्रेरित हैं।
हाल के महीनों में भारत में अशांति फैलाने के उद्देश्य से फंड जुटाने और प्रसार के लिए जेयूडी ने ट्विटर और फेसबुक सहित सोशल मीडिया के उपयोग को आगे बढ़ाया है।
भारत के खिलाफ हजारों नकली प्रचार सामग्री और देश में दंगे फैलाने की साजिश के साथ, जेयूडी की सोशल मीडिया टीम ने हैशटैग के माध्यम से भारत के खिलाफ नफरत फैलाई।
सईद की सोशल मीडिया टीम को 'जेयूडी साइबर टीम' के रूप में भी जाना जाता है।
इस साल दिल्ली में हुई हिंसा के संदर्भ में जेयूडी के एक साइबर सेल ने ट्विटर और फेसबुक पर भारत के खिलाफ बड़ी संख्या में आपत्तिजनक पोस्ट साझा किए।
विभिन्न हैशटैग के माध्यम से, भारत में मुसलमानों पर अत्याचार की झूठी खबरों के तहत कई पोस्ट साझा किए गए।
भारतीय एजेंसियों ने दावा किया कि पाकिस्तान इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने भारत के खिलाफ खाड़ी देशों को आगे बढ़ाने के लिए जेयूडी के साथ एक बड़ी भूमिका निभाई है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने जमात-उद-दावा पर प्रतिबंध लगाए हैं और इसके प्रमुख चार नेताओं को आतंकवादी घोषित किया था, जिसमें जेयूडी प्रमुख हाफिज सईद और मुंबई हमले के मास्टरमाइंड जकी-उर-रहमान लखवी शामिल हैं।
नई दिल्ली, 18 सितंबर (आईएएनएस)| सरकार ने गुरुवार को संसद को बताया कि उसने पाकिस्तान के सीमा पार आतंकवाद वाले मंसूबों को खारिज कर दिया है। सरकार ने कहा कि पाकिस्तान को अपने क्षेत्र के बारे में ऐसे दावे नहीं करने चाहिए, जिनकी कोई कानूनी मान्यता और अंतर्राष्ट्रीय विश्वसनीयता न हो। राज्यसभा में विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने पाकिस्तान के उस राजनीतिक मानचित्र के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में यह बात कही, जिसमें उसने गुजरात, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के क्षेत्रों पर अपना अनर्गल दावा किया है। मुरलीधरन ने कहा कि भारत सरकार, पाकिस्तान की इस कार्रवाई और विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर जम्मू-कश्मीर सहित अन्य मुद्दों पर उसके दुष्प्रचार का यथोचित जवाब दे रही है।
राज्यसभा में इस मुद्दे पर एक लिखित प्रश्न का उत्तर देते हुए मुरलीधरन ने यह बात कही।
पाकिस्तान ने चार अगस्त को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के साथ ही गुजरात के कुछ हिस्सों में अपना दावा पेश करते हुए नया नक्शा जारी किया था। मंत्री ने लिखित जवाब में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की ओर से नक्शा जारी करने को बेतुका कदम करार दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत, पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी जैसे संबंध चाहता है। उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि दोनों देशों के बीच किसी भी मुद्दे को आतंकवाद, शत्रुता और हिंसा से मुक्त माहौल में द्विपक्षीय तथा शांतिपूर्ण ढंग से हल किया जाना चाहिए।
मुरलीधरन ने कहा कि सीमापार से भारत के विरुद्ध किसी भी तरह के आतंकवाद पर नियंत्रण लगाना चाहिए तथा किसी तरह की आतंकवादी गतिविधि के लिए अपनी धरती का इस्तेमाल नहीं होने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मंचों पर सीमापार आतंकवाद और आतंकवादियों की घुसपैठ को पाकिस्तान की ओर से समर्थन दिए जाने का मुद्दा निरंतर उठाया है। इसके फलस्वरूप आतंकी गुटों और आतंकवादियों की गतिविधियां निरंतर जारी रहने सहित पाकिस्तान से आतंकवाद फैलाए जाने पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ी है।
नई दिल्ली, 18 सितंबर (आईएएनएस)| केंद्रीय मंत्री पद से हरसिमरत कौर के इस्तीफे को लेकर भारतीय जनता पार्टी नेशनल यूनिट की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। भाजपा का मानना है हरसिमरत कौर के केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफे के पीछे पंजाब की स्थानीय राजनीति प्रमुख वजह है। हालांकि, भाजपा को अब भी उम्मीद है कि वह इस मसले पर सहयोगी दल से बातचीत कर मामले को सुलझा लेगी।
भाजपा में आर्थिक मामलों के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा, " तीनों कृषि बिलों से किसानों को ही फायदा पहुंचने वाला है। लेकिन पंजाब में जिस तरह से कांग्रेस ने झूठ फैलाया है, उससे मुझे लगता है कि शिरोमणि अकाली दल भी स्थानीय राजनीति के दबाव में आ गई। जिसकी वजह से हरसिमरत कौर से इस्तीफा दिलाया गया। जबकि तीनों बिलों से किसानों को होने वाले फायदे से शिरोमणि अकाली दल भी वाकिफ है।"
गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि भाजपा तीनों बिलों को लेकर फैलाए जाने वाले झूठ का लगातार पदार्फाश कर रही है। कांग्रेस आदि विरोधी राजनीति दल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) हटाने का झूठ फैला रहे हैं। जबकि तीनों बिलों से एमएसपी का कोई लेना-देना नहीं है। एमएसपी ही नहीं एपीएमसी भी नहीं हट रहा है।"
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि जिस तरह से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विपक्ष ने जनता में भ्रम फैलाने की कोशिश की थी, उसी तरह से कृषि सुधारों से जुड़े इन तीनों बिलों पर भी विपक्ष झूठ फैला रहा है। गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि वर्षों से किसानों की चली आ रही मांगों को ही इन तीनों बिलों के जरिए सरकार पूरा करने की कोशिश कर रही है।
दरअसल, मौजूदा संसद सत्र मोदी सरकार कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन प्रमुख बिल लेकर आई है। जिसका विपक्ष विरोध कर रहा है। पहला बिल है अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम का। दूसरा, द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रोमोशन एंड फेसिलिटेशन) नाम का बिल है। इसके जरिये हर किसी को कृषि उत्पाद खरीदने-बेचने की अनुमति देने की मंशा है।
तीसरा बिल है फार्मर (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्युरेंस एंड फार्म सर्विसेज का। इसके जरिये अनुबंध आधारित खेती को वैधता प्रदान होगी। विरोध करने वाले नेताओं का कहना है कि ये बिल किसानों को नहीं बल्कि पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने वाले हैं।
नई दिल्ली, 18 सितंबर (आईएएनएस)| कृषि से जुड़े विधेयकों का पंजाब में काफी विरोध हो रहा है क्योंकि किसान और व्यापारियों को इससे एपीएमसी मंडियां समाप्त होने की आशंका है। यही कारण है कि प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दलों ने कृषि विधेयकों का विरोध किया है। इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कृषि से जुड़े विधेयकों के विरोध में मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने गुरुवार को लोकसभा में कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 और मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा विधेयक 2020 का विरोध किया। इसके बाद मोदी सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। बादल के आवास से उनके इस्तीफा देने की पुष्टि हुई।
कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 में कहा गया है कि किसान अब एपीएमसी मंडियों के बाहर किसी को भी अपनी उपज बेच सकता है, जिस पर कोई शुल्क नहीं लगेगा, जबकि एपीएमसी मंडियों में कृषि उत्पादों की खरीद पर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग मंडी शुल्क व अन्य उपकर हैं। पंजाब में यह शुल्क करीब 4.5 फीसदी है। लिहाजा, आढ़तियों और मंडी के कारोबारियों को डर है कि जब मंडी के बाहर बिना शुल्क का कारोबार होगा तो कोई मंडी आना नहीं चाहेगा। वहीं, पंजाब और हरियाणा में एमएसपी पर गेहूं और धान की सरकारी खरीद की जाती है। किसानों को डर है नये कानून के बाद एमएसपी पर खरीद नहीं होगी क्योंकि विधेयक में इस संबंध में कोई व्याख्या नहीं है कि मंडी के बाहर जो खरीद होगी वह एमएसपी से नीचे के भाव पर नहीं होगी।
पंजाब में सत्ताधारी कांग्रेस पहले से ही विधेयक का विरोध कर रही है। किसानों, आढ़तियों और कारोबारियों की आशंका को लेकर कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा ने कहते हैं कि, जब मंडी के बाहर बिना शुल्क का कारोबार होगा तो फिर मंडी में कोई शुल्क देना क्यों चाहेगा। उन्होंने बताया कि पंजाब और हरियाणा में बासमती निर्यातकों और कॉटन स्पिनिंग और जिनिंग मिल एसोसिएशनों ने मंडी शुल्क समाप्त करने की मांग की है।
पंजाब और हरियाणा में विरोध होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा में एपीएमसी मंडियों का अच्छा इन्फ्रास्ट्रक्च र है और एमएसपी पर गेहूं और धान की ज्यादा खरीद होती है। शर्मा ने बताया कि पंजाब में मंडियों और खरीद केंद्रों की संख्या करीब 1,840 हैं और ऐसी मंडी व्यवस्था दूसरी जगह नहीं है।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का घटक शिअद ने कृषि से जुड़े विधेयकों को किसान विरोघी बताया है। शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा, "देश के कुछ राज्यों ने आईटी सेक्टर का विकास किया तो कुछ ने पर्यटन का विकास किया, लेकिन पंजाब ने कृषि का बुनियादी ढांचा तैयार किया है। इस विधेयक से पंजाब के किसानों, आढ़तियों, व्यापारियों और मंडी में काम करने वाले मजदूरों से लेकर खेतिहर मजदूरों को नुकसान होगा।"
बादल ने विधेयकों को किसान विरोधी बताते हुए कहा, "मैं इस विधेयक का पुरजोर विरोध करता हूं।"
शिअद प्रमुख ने कहा कि पंजाब ने देश को अनाज उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनाया है। उन्होंने कहा कि एक किलो चावल के उत्पादन में 5,000 लीटर पानी की जरूरत होती है और पंजाब के किसान अपना पानी त्याग कर देश के लिए अनाज पैदा करता है।
उन्होंने कहा कि पंजाब में पूरी दुनिया में सबसे अच्छी मंडी व्यवस्था है, इस विधेयक के पारित होने के बाद चरमरा जाएगी।
आईएएनएस को मिली जानकारी के अनुसार, शिअद के राजग से अलग होने के बारे में अभी फैसला नहीं हुआ है।
नई दिल्ली, 18 सितंबर (आईएएनएस)| देश में कृषि सुधार के लिए दो अहम विधेयकों को लोकसभा ने गुरुवार को मंजूरी दे दी। विपक्षी दलों के विरोधों के बीच कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 और मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा विधेयक 2020 संसद के निम्न सदन में ध्वनिमत से पारित हो गए हैं। विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष की आशंकाओं को दूर करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सदन को आश्वस्त किया कि इन दोनों विधेयकों से फसलों के एमएसपी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा और किसानों से एमएसपी पर फसलों की खरीद जारी रहेगी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सरकार ने स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू किया और फसलों का एमएसपी डेढ़ गुना बढ़ाया। उन्होंने कहा कि सरकार पूरी तरह किसानों के प्रति प्रतिबद्ध है। तोमर ने विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि एक राष्ट्र एक कृषि बाजार की बात पूर्व प्रधानमं़ी मनमोहन सिंह ने 2005 में ही की थी। उन्होंने यह बात कांग्रेस सदस्यों द्वारा विधेयकों के विरोध पर कही।
भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने विधेयक को किसान विरोधी बताया। विधेयक लोकसभा में पारित होने के पहले शिअद कोटे से केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
तोमर ने कहा कि किसानों को इन विधेयकों के माध्यम से अपनी मर्जी से फसल बेचने की आजादी मिलेगी। तोमर ने स्पष्ट किया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बरकरार रखा जाएगा तथा राज्यों के अधिनियम के अंतर्गत संचालित मंडियां भी राज्य सरकारों के अनुसार चलती रहेगी। उन्होंने कहा कि विधेयकों से कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन आएगा, किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। खेती में निजी निवेश से होने से तेज विकास होगा तथा रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होने से देश की आर्थिक स्थिति और सु²ढ़ होगी।
ये दोनों विधेयक कोरोना काल में मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020 और मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश 2020 की जगह लेंगे। चालू मानसून सत्र के पहले ही दिन 14 सितंबर को केंद्रीय मंत्री तोमर ने ये दोनों विधेयक लोकसभा में पेश किए थे जिन पर चर्चा के बाद लोकसभा ने अपनी मुहर लगा दी।
तोमर ने कहा कि विधेयक से किसानों को विपणन के विकल्प मिलेंगे, जिससे वे सशक्त बनेंगे। स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट अपने शासनकाल में लागू नहीं करने वाली कांग्रेस ने भ्रम फैलाने की कोशिश की कि एमएसपी पर उपार्जन खत्म हो जाएगा,जो पूर्णत: असत्य है।
उन्होंने कहा, "किसानों के पास मंडी में जाकर लाइसेंसी व्यापारियों को ही अपनी उपज बेचने की विवशता क्यों, अब किसान अपनी मर्जी का मालिक होगा। करार अधिनियम से कृषक सशक्त होगा व समान स्तर पर एमएनसी, बड़े व्यापारी आदि से करार कर सकेगा तथा सरकार उसके हितों को संरक्षित करेगी। किसानों को कोर्ट-कचहरी के चक्कर नहीं लगाना पड़ेंगे, तय समयावधि में विवाद का निपटारा एवं किसान को भुगतान सुनिश्चित होगा।"
तोमर ने कहा कि कृषक उपज व्योपार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक एक इको-सिस्टम बनाएगा। इससे किसानों को अपनी पसंद के अनुसार उपज की बिक्री-खरीद की स्वतंत्रता होगी।
उन्होंने कहा कि किसानों के पास फसल बेचने के लिए वैकल्पिक चैनल उपलब्ध होगा जिससे उनको उपज का लाभकारी मूल्य मिल पाएगा।
कांग्रेस, डीएमके, बहुजन समाज पार्टी, तृणमूल कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के सांसदों ने विधेयकों को किसान विरोध करार दिया और देश के संघीय ढांचे के विरुद्ध बताया। तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी ने इसे कठोर विधेयक बताया और कहा कि इस विधेयक का पास होना संसद के इतिहास में काला दिन होगा। बहुजन समाज पार्टी के सांसद रितेश पांडेय ने देश के 86 फीसदी छोटे किसानों को धन्नासेठों और कॉरपोरेट के रहमोकरम पर छोड़ दिया गया है।
नई दिल्ली, 18 सितंबर (आईएएनएस)| संसद के मानसून सत्र में लाए गए कृषि से जुड़े विधेयकों को किसान विरोधी बताते हुए शिरोमणि अकाली दल कोटे से मोदी सरकार में मंत्री हरसिमरत कौर ने इस्तीफा दे दिया। मोदी सरकार 2.0 में यह पहला इस्तीफा है। हरसिमरत कौर ने प्रधानमंत्री मोदी को सौंपे इस्तीफे में अपनी पार्टी और किसानों को एक दूसरे का पर्याय बताया है। कहा है कि, किसानों के हितों से उनकी पार्टी किसी तरह का समझौता नहीं कर सकती। हरसिमरत कौर और उनकी पार्टी को मनाने के लिए भाजपा लगातार प्रयासरत थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बुधवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेस कांफ्रेंस के दौरान शिरोमणि अकाली दल से कृषि बिलों के मसले पर बातचीत चलने की पुष्टि की थी। उन्होंने कहा था कि कृषि बिलों पर भ्रम फैलाया जा रहा है। सहयोगी अकाली दल से पार्टी की बातचीत चल रही है। अकाली दल की जल्द ही बिलों को लेकर गलतफहमी दूर होगी। हालांकि, नड्डा के दावे के अनुरूप ऐसा नहीं हो सका। कृषि बिलों को किसान विरोधी बताते हुए हरसिमरत कौर ने इस्तीफे की घोषणा कर दी।
दरअसल, कृषि सुधारों से जुड़े तीनों बिलों पर शिरोमणि अकाली दल के तेवर शुरूआत से ही तल्ख थे। राज्यसभा के चीफ व्हिप नरेश गुजराल ने बुधवार को पार्टी सांसदों को बिल के खिलाफ वोटिंग का निर्देश दिया था। भाजपा सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि सहयोगी शिरोमणि अकाली दल को मनाने के लिए बीजेपी के रणनीतिकारों की ओर से बातचीत चल रही थी। पार्टी ने अपने तीन प्रमुख सांसदों के साथ पंजाब की प्रदेश इकाई के एक नेता को बातचीत के मोर्चे पर लगाया था। भाजपा को उम्मीद थी कि बातचीत के जरिए वह शिरोमणि अकाली दल को कृषि बिलों के पक्ष में रजामंद कर सकती है। लेकिन, भाजपा की कई दफा की बातचीत के कारण भी शिरोमणि अकाली दल की नाराजगी दूर नहीं हो सकी।
आखिरकार गुरुवार को लोकसभा में अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने हरसिमरत कौर के इस्तीफे की बात कह दी। वहीं बाद में हरसिमरत कौर ने ट्वीट कर आधिकारिक तौर पर बयान भी जारी कर दिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, "मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और बिल के खिलाफ केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। किसानों की बेटी और बहन के रूप में उनके साथ खड़े होने पर गर्व है।"
नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)| केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को कहा कि उसने कई कंपनियों के खिलाफ मालवेयर इंफेक्शंस सहित गंभीर तकनीकी समस्याओं के बारे में चेतावनी या फर्जी संदेशों के साथ पीड़ितों के पर्सनल कंप्यूटरों में पॉप-अप संचारित करने के लिए मामला दर्ज किया है। एजेंसी ने मामले के संबंध में कई राज्यों में 10 स्थानों पर खोजबीन की। सीबीआई के एक प्रवक्ता ने कहा कि एजेंसी ने सॉफ्टविल इन्फोटेक प्राइवेट लिमिटेड, इनोवाना थिंकलैब्स लिमिटेड जयपुर, बेनोवेलिएंट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड नोएडा, सिस्टविक सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड जयपुर, सबुरी टीएलसी वल्र्डवाइड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, सबुरी ग्लोबल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड गुरुग्राम और अन्य कंपनियों के खिलाफ एक शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया है।
अधिकारी ने कहा कि यह आरोप लगाया गया था कि इन कंपनियों ने अपने माइक्रोसॉफ्ट विंडोज सिस्टम में मालवेयर इंफेक्शन सहित गंभीर तकनीकी समस्याओं के बारे में चेतावनी या फर्जी संदेशों के साथ पीड़ितों के व्यक्तिगत कंप्यूटरों में पॉप-अप प्रसारित किया।
अधिकारी ने कहा, "इन कंपनियों के कर्मचारी कथित तौर पर पीड़ितों को कुछ एंटी-मालवेयर या एंटी-वायरस स्थापित करने की सलाह देते हैं, जो अनिवार्य रूप से पॉप-अप हैं। इसके बाद पीड़ितों को कथित रूप से पॉप-अप को सक्रिय करने का विकल्प दिया गया था।"
उन्होंने कहा कि पीड़ितों को धोखे से प्रभावित किया गया था कि वे अपने सिस्टम को ठीक से बनाए रखने के लिए जाल में फंस चुके हैं।
उन्होंने कहा, "राजस्थान के जयपुर, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के नोएडा और मैनपुरी, हरियाणा के गुरुग्राम और फरीदाबाद सहित 10 स्थानों पर इन कंपनियों और अन्य व्यक्तियों के आवासीय परिसरों में तलाशी की जा रही है।"