बेमेतरा

धान शार्टेज जिम्मेदारी तय करने समेत मांगों को ले सौंपा ज्ञापन
21-Oct-2021 6:31 PM
धान शार्टेज जिम्मेदारी तय करने समेत मांगों को ले सौंपा ज्ञापन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 21 अक्टूबर।
प्रदेश सरकार के धान खरीदी की गलत नीतियों के विरोध में भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों ने राज्यपाल के नाम एसडीएम दुर्गेश वर्मा को 12 बिंदुओं में ज्ञापन सौंपा ।  

सहकारिता प्रकोष्ठ के सोशल मीडिया प्रभारी चतुर साहू ने कहा कि प्रदेश सरकार की धान खरीदी की गलत नीतियों के कारण सेवा सहकारी समितियों की आर्थिक स्थिति दिनोंदिन खराब होती जा रही है। कर्मचारियों को कई महीनों से तनख्वाह नहीं मिल पा रही है, बावजूद प्रदेश सरकार समितियों की आर्थिक स्थिति को सुधारने, धान का उठाव, शॉर्टेज समेत अन्य समस्याओं के निराकरण को लेकर गंभीर नहीं है । धान खरीदी में बीते दो वर्षों में व्याप्त समस्याओं के निराकरण के लिए एसडीएम दुर्गेश वर्मा को ज्ञापन सौंपा गया है ।  जिसमें बताया गया है कि शासन की गलत नीति के चलते प्रदेश के 2311 उपार्जन केन्द्रों में धान सड़ते हुए पड़ा हुआ है।  प्राकृतिक रूप से धान में सूखत के कारण आई कमी एवं वर्षा से सडऩे के कारण जो कमी आई है उसका प्रावधान कर सोसायटियों को क्षतिपूर्ति की राशि मुहैया कराए जाने की मांग की गई है । इस दौरान सुमित गुप्ता, ओंकार साहू, महेश कौशल, साकेत, यश जैन आदि उपस्थित थे ।

शार्टेज जिम्मेदारी राज्य सरकार ले, समितियां भारी घाटे में
यश जैन ने बताया कि खरीदी की नीति के अनुसार उपार्जन केंद्रों में धान की आवक  बफर  लिमिट से  ज्यादा  आती  है तो उसे 72 घंटे  में उठाए जाने की अनिवार्यता है । सम्पूर्ण धान को 31 मार्च तक आवश्यक रूप से उठाए जाने का खरीदी नीति में स्पष्ट उल्लेख है । किंतु उक्त नीति का पालन नहीं होने के कारण ही धान में भारी शार्टेज आ रहा है जिसकी जिम्मेदारी शासन को लेनी चाहिए।

समय सीमा में मिलर और ट्रांसपोर्टर को परिवहन का आदेश नहीं दिए जाने की हो जांच
सुमित गुप्ता ने बताया कि माह मार्च और अप्रैल 2021 में उपार्जन केंद्रों से धान का उठाव नहीं किया गया। उक्त अवधि में धान उठाव के लिए राइस  मिलर और ना ही ट्रांसपोर्टरों को परिवहन आदेश दिया गया। जबकि राइस मिलें एवं संग्रहण केंद्र पूरे खाली पड़े रहे । जिसके कारण आज तक धान का उठाव ना तो उपार्जन केंद्रों से हुआ है ना ही संग्रहण केंद्र से हो पाया है। इसकी सूक्ष्मता से  जांच किया जाना आवश्यक है, सोसायटियों में कई महीनों तक पड़े रहे धान के  रख रखाव में आए अतिरिक्त खर्च  का भी प्रावधान किया जाना चाहिए, धान खरीदी किए जाने के एवज में समितियों  को दी जाने वाली कमीशन की पूरी राशि मुहैया कराई जाए । धान में आई कमी की भरपाई सोसायटियों को दिए जाने वाले कमीशन की राशि से नहीं काटी जानी चाहिए,  समितियों को प्रोत्साहन राशि अति शीघ्र मुहैया कराया जाए ।

लंबित बोनस और बारदाने की राशि का शीघ्र भुगतान करें सरकार
 खरीफ वर्ष 2020-21 में धान खरीदी के समय  किसानों द्वारा दिए गए बारदाने की आधी अधूरी राशि  अभी तक मिली है । शेष राशि का भुगतान अति शीघ्र कराया जाए, खरीफ वर्ष  2019-20 एवं 2020-21 में धान खरीदी के लिए  सोसायटी /शासकीय उचित मूल्य की दुकानों से  लिए  गए बारदानों की राशि का भुगतान  अभी तक नहीं किया गया है उसे शीघ्र दिलवाया जाए, इस वर्ष धान खरीदी 1 नवंबर से आवश्यक रूप से प्रारंभ किया जाए, कांग्रेस के वायदे के  अनुसार विगत दो वर्षों के लंबित धान के बोनस का भुगतान तत्काल किए जाने की मांग की गई है ।

समितियों के कर्मियों को महीनों से वेतन अप्राप्त, तुरंत हो भुगतान
ओंकार साहू ने बताया कि पुनर्गठन पश्चात अस्तित्व में आई नवीन सोसाइटियों तथा अन्य समितियों में कार्यरत कर्मचारियों को कई महीनों से वेतन अप्राप्त है। सोसाइटियों के माध्यम से किसानों को रासायनिक खाद खरीदते समय गुणवत्ता विहीन बर्मी कम्पोष्ट खरीदने की बाध्यता समाप्त किया जाए।

इन कारणों से सहकारी समितियों की आर्थिक स्थिति दिनों दिन कमजोर होती जा रही है।  जिसके कारण  किसानों को सोसायटी से मिलने वाले लाभांश से वंचित होना पड़ रहा है ।

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