रायपुर
रायपुर, 20 फरवरी। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने गर्भवती महिलाओं में गंभीर बीमारी प्लासेंटा परक्रेटा के एक कठिन केस का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया है। इससे न सिर्फ महिला का बल्कि उसके नवजात शिशु का जीवन भी बचाया गया। यह बीमारी सिजेरियन करवाने वाली एक हजार महिलाओं में एक को होने की संभावना होती है। इस सफलता ने और रोगियों के लिए भी उम्मीदें बढ़ा दी हैं। अभी एम्स में इस प्रकार के 14 रोगियों का इलाज चल रहा है।
गर्भावस्था में शिशु प्लासेंटा की मदद से ही पोषण प्राप्त करता है। कई बार सिजेरियन की स्थिति में महिलाओं के दूसरे या तीसऱे गर्भधारण में यह असामान्य हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में महिला को अत्याधिक रक्तस्नाव की वजह से कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसी ही एक 27 वर्षीय रायपुर की महिला रोगी को 34 सप्ताह के गर्भ के साथ एम्स के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में भर्ती किया गया। महिला और गर्भस्थ शिशु की नाजुक हालत को देखते हुए एम्स के रेडियोडायग्नोसिस, एनेस्थिसिया और ब्लड बैंक विभाग के समन्वय से कठिन ऑपरेशन किया गया।
विभागाध्यक्ष डॉ. सरिता अग्रवाल ने बताया कि ऑपरेशन में इंटरनल इलियक बैलून तकनीक की मदद से महिला का ऑपरेशन किया गया। इसमें रक्त कोशिकाओं को दबाकर रक्तस्नाव रोका गया और बाद में सफलतापूर्वक डिलीवरी करवाई गई। यह ऑपरेशन पांच घंटे चला। महिला और नवजात शिशु दोनों स्वस्थ हैं।