बलौदा बाजार
वीसीए से काफी कम पैसे देने पड़ रहे अब उपभोक्ताओं को
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 11 जून। छत्तीसगढ़ के 61 लाख से ज्यादा बिजली उपभोक्ताओं के लिए जून काफी राहत भरा है।एक तो वीसीए के स्थान पर लाया गया एफपीपीएएस का नया फार्मूला राहत दे रहा है। साथ ही जून में आ रहे मई के बिजली बिल सुरक्षा निधि का ब्याज मिलने के कारण डबल राहत मिली है।
गर्मी में वैसे ही बिजली बिल पसीना छूट आने वाला रहता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। इस बार गर्मी में राहत की बारिश हो गई है। केंद्रीय सरकार के निर्देश पर छत्तीसगढ़ राज्य बिजली नियामक आयोग ने अब उत्पादन लागत के अंतर की राशि को उपभोक्ताओं को वसूलने के लिए नया फार्मूला फ्यूल पावर परचेज एडजस्टमेंट सरचार्ज (एफपीपीएएस) ऐप लागू कर दिया है।
नए फार्मूले के हिसाब से ऊर्जा प्रभार में प्रतिशत के हिसाब से शुल्क लिया जा रहा है। जून में मई का जो बिजली बिल आया है, उसमें अप्रैल के बिल का विषय के स्थान पर 5.3 फ़ीसदी एफपीपीएएस लिया जा रहा है। यह शुल्क वीसीए से काफी कम हैै।
कम खपत करने वालों को कम और ज्यादा खपत करने वालों को थोड़ा राहत ज्यादा शुल्क लग रहा है। घरेलू उपभोक्ताओं को 400 यूनिट तक ऐप एफपीपीएएस के उपभोक्ता में वीसीए की तरह ही बिजली बिल हाफ योजना का लाभ भी दिया जा रहा है और आधे पैसे लग रहे हैं। 400 यूनिट से ज्यादा में पूरे पैसे लग रहे हैं।
कम खपत पर ज्यादा राहत
नए फार्मूले में बड़ा फायदा यह हो रहा है कि जिस में वीसीए की तरह हर यूनिट पर एक ही तय शुल्क नहीं लग रहा है। पिछला वीसीए 43 पैसे था तो सभी यूनिट पर 43 पैसे लगे थे, फार्मूले में पहले 100 यूनिट का ऊर्जा प्रभार 370 रु. है तो इस पर 5.3 फीसदी के हिसाब से 91.61 रुपए लग रहे हैं, यानी एक यूनिट पर 20 पैसे से कम। 200 यूनिट का ऊर्जा प्रभार 760 रु. है। इस पर 40.28 लग रहे हैं। यानी 20 पैसे से कुछ ज्यादा। 300 यूनिट का ऊर्जा प्रभार 1290 रुपए हैै। इस पर 68.37 लग रहे हैंं। करीब 23 पैसे प्रति यूनिट 400 यूनिट का ऊर्जा प्रभार 1720 रुपए है इस पर 91.16 रुपए लग रहे हैं। इस पर भी प्रति यूनिट 23 पैसे लग रहे हैं।
सुरक्षा निधि का प्याज भी मिल रहा
जून में मई का माह का जो बिल आ रहा है उसमें सुरक्षा निधि पर ब्याज भी मिल रहा है। यह ब्याज 100 से लेकर 2000 रु. तक है। जिनकी सुरक्षा नीति कम जमा है। उनको कम और जिनकी ज्यादा जमा है उनको ज्यादा ब्याज मिल रहा है। ऐसे में जबकि मई माह में गर्मी के कारण उपभोक्ताओं की खपत ज्यादा हुई है तो उनको ब्याज के कारण कम पैसे देने से राहत मिल रही है।