बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 1 सितंबर। जिले के शहरी और ग्रामीण अंचलों में रक्षाबंधन का पर्व लोगों ने मुहूर्त को ध्यान में रखकर मनाया। लोगों के मन में ये दुविधा थी कि वे रक्षाबंधन बुधवार को मनाएं या गुरुवार को। लेकिन पंडितों के अनुसार बताए मुहूर्त का पालन करते हुए बहनों ने अपने भाइयों को राखी बांधी। बुधवार को भद्राकाल के चलते रात के 9 बजकर 3 मिनट से लेकर गुरुवार की सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक राखी बांधी गई। वहीं उदया तिथि में पूर्णिमा होने के चलते दिन में भी बहनों ने राखी बांधी।
वहीं बाजार में राखी और मिठाइयों की खरीदी के लिए लोगों की काफी भीड़ रही। यातायात पुलिस व्यवस्था बनाने दिनभर जुटी रही। शहर की सडक़ों पर वाहन भी काफी दिखे। मंगलवार और गुरुवार को स्कूलों में छात्राओं ने छात्रों को राखी बांधी। कई जगह पौधरोपण भी किया गया। पौधों को रोपकर उन्हें सहेजने की शपथ भी ली।
रक्षाबंधन का त्योहार बुधवार की रात व गुरुवार की सुबह बारगांव सहित आसपास क्षेत्र में धूमधाम के साथ मनाया गया। बहन-भाई के प्यार का प्रतिक इस त्योहार में देवी देवताओं की पूजा अर्चना किया। इसके उपरांत बहनों ने भाइयों की कलाई में रक्षा सूत्र बांधकर सुख-दु:ख में साथ निभाने का वचन भाईयों से लिया। वहीं भाईयों ने भी बहनों को उपहार देकर हमेशा साथ निभाने का वादा किया। इस दौरान मुंह मीठा करने का दौर भी जारी रहा। घर के बुजुर्गों का पैर छुकर आशिर्वाद लिया। पंडित बोसेन्द्र पांडेय ने बताया कि रक्षाबंधन भाई बहन के प्यार को अटूट बंधन मे बांधने का कार्य करती है। वही समाज मे समरसता का भाव जगाती है। हम रक्षाबंधन इसलिए मनाते है कि समाज की रक्षा कर सके एक-दूसरे के सुख-दुख के सहयोगी बन सके जिस प्रकार कृष्ण ने द्रोपदी की रक्षा की थी।