राजनांदगांव

नामांकन के बाद कांग्रेस-भाजपा का जमीनी प्रचार पर रहेगा जोर
01-Apr-2024 1:22 PM
नामांकन के बाद कांग्रेस-भाजपा का जमीनी प्रचार पर रहेगा जोर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

राजनांदगांव, 1 अप्रैल। लोकसभा चुनाव की नामांकन की मियाद खत्म होते ही कांग्रेस-भाजपा समेत अन्य राजनीतिक दल जमीनी स्तर पर प्रचार करने के लिए ताकत झोंकेंगे। राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र में 26 अप्रैल को दूसरे चरण के तहत मतदान होंगे।

अप्रैल की शुरूआत होते ही राजनीतिक पार्टी और प्रत्याशियों की उल्टी गिनती शुरू हो गई है।  मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच होना तय है। सियासी रूप से यह चुनाव दोनों पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। फिलहाल कांग्रेस-भाजपा  में कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ बैठक का सिलसिला चल रहा है।

संसदीय क्षेत्र के 8 विधानसभा में कांग्रेस के 5 विधायक हैं, जबकि तीन सीटें भाजपा के खाते में है। कांग्रेस और भाजपा में अखबारी बयानबाजी ही हो रही है, जबकि प्रचार के दौरान उम्मीदवार अपनी पार्टियों की नीति और योजनाओं को आधार बनाकर राजनीतिक माहौल बनाने की कोशिश में है।

  बताया जा रहा है कि 4 अप्रैल को नामांकन की तारीख खत्म होते ही समूचे संसदीय क्षेत्र में बड़ी राजनीतिक सभाएं और रैलियां होंगी। सभाओं और रैली के जरिये ही आम लोगों का ध्यान पार्टियां अपनी ओर खींचने के लिए पूरी ताकत लगाएगी।

 कांग्रेस और भाजपा के बीच रणनीतिक स्तर पर मोर्चाबंदी की तैयारी है। कार्यकर्ताओं को फिलहाल जिम्मेदारी नहीं दी गई है। सांगठनिक नेताओं के दिशा-निर्देश पर प्रचार और अन्य राजनीतिक गतिविधि को धार देने के लिए योजनाबद्ध तैयारी की जा रही है।

कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। भाजपा से दोबारा सांसद के लिए चुनाव लड़ रहे संतोष पांडे भी अपनी पकड़ मजबूत बनाकर जीतने की उम्मीद के साथ आगे बढ़ रहे हैं। 

बताया जा रहा है कि सभी स्तर पर दोनों राजनीतिक दल ऐड़ी-चोटी का जोर लगाकर प्रचार करने के अभियान को तेज करने की दिशा में काम कर रही है। नामांकन जमा करने की अंतिम तारीख के अगले दिन से चुनावी रण में दोनों पार्टी के धाकड़ नेता धमाचौकड़ी करते नजर आएंगे। सियासी रण में एक-दूसरे को मात देने के लिए बयानबाजी के अलावा अन्य पैतरेबाजी भी नजर आएगी। दोनों मुख्य दल के पास चुनावी इतिहास बनाने का भी मौका रहेगा।

 कांग्रेस के खाते में जीत दर्ज होने से तकरीबन ढाई दशक बाद संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस का कब्जा होगा। वहीं भाजपा की जीतने की स्थिति में दोबारा सांसद चुने जाने वाले उम्मीदवार में पांडे शिवेन्द्र बहादुर का रिकार्ड तोड़ेंगे। बहरहाल राजनीतिक स्तर पर कई तरह की मोर्चेबंदी की तैयारी है। नामांकन के अंतिम दिन के बाद मुकाबला तेज होगा।

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