रायपुर
सीएम को शिक्षक संघ अध्यक्ष का पत्र
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 6 जुलाई। स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता को लेकर शिक्षा सचिव के पत्र के जवाब में सीएम विष्णु देव साय को पत्र भेजकर कई सुझाव दिए गए हैं। छत्तीसगढ़ प्राथमिक प्रधान पाठक संघ के प्रदेश अध्यक्ष त्रिभुवन वैष्णव ने कहा कि बड़े ही दुखी मन से आपको अवगत कराना पड़ रहा है । विभाग के सचिव ने पत्र में शिक्षकों की उपस्थिति,शिक्षा में गुणवत्ता,शाला की रखरखाव सहित विभिन्न बिंदुओं पर आपने दूसरे विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने का आदेश देकर एक तरह से शिक्षा विभाग व प्रदेश के समस्त शिक्षकों पर अपने कर्तव्य निर्वहन के प्रति जो भ्रम और संदेह जारी किया है वह अत्यंत निंदनीय है।जो शिक्षक सरकार की नजर में संदेह के दायरे में है वह भला समाज के लिए कैसे सम्माननीय हो सकता है?
अगर शिक्षा में गुणवत्ता वास्तव में चाहिए,तो कभी शिक्षकों से मुक्त चर्चा करके देखिए,वे आपका इंतजार कर रहे हैं कि कब हमारे मुख्यमंत्री आयेंगे और हमारी समस्याओं पर मरहम लगाएंगे। सबसे पहले तो प्रदेश का स्कूल शिक्षकों की कमी की समस्याओं से जूझ रहा है,प्राथमिक में पांच कक्षा है तो कहीं तीन शिक्षक,कहीं दो तो कहीं एक ही हैं,यही हाल माध्यमिक और उच्च कक्षाओं का है।एक तो शिक्षकों की कमी तो दूसरी तरफ ,वास्तव में हमे स्कूल में पढ़ाने ही नही दिया जाता,स्कूल पहुंचने से पहले तीन चार अर्जेंट डाक हमारा इंतजार कर रहे होते हैं,जिसको बनाने में डेढ़ दो घंटे लग जाते हैं।
वैसे शिक्षा विभाग में प्रयोगों का अड्डा बन चुका है,आए दिन प्रयोग करना,और बकायदा झूठे फोटो खींचकर वेबसाइट में डालना,मतलब विभाग ही चाहता है की पढ़ाओ मत सिर्फ फर्जी तरीके से फोटो खींच खींच कर अपलोड करते जाओ।
न ही प्राथमिक और न ही मिडिल स्कूलों में लिपिक है,किंतु जाति प्रमाण पत्र,छात्रवृत्ति,निवास प्रमाण पत्र बनवाने के लिए स्कूल किसी ऑफिस से कम नहीं लगता।संकुल शैक्षिक समन्वयकों को डाकिया कहना अनुचित नहीं होगा।
छत्तीसगढ़ में शिक्षक बेचारा हो गया है,हर शिक्षक के एंड्रॉयड मोबाइल में शिक्षा विभाग का दर्जनों एप डाउनलोड है,जो पढ़ाने के अलावा कभी यू डाइज,कभी उपस्थिति कभी गतिविधि को अपलोड करने में लगे रहते हैं,शिक्षक स्कूल में मोबाइल देखते रहते हैं लेकिन शिक्षा विभाग के काम में ही मोबाइल में व्यस्त रहते हैं। सरकारी इतनी योजनाएं होती है जिनके क्रियान्वयन का मुख्य केंद्र बिंदु स्कूल और शिक्षक होता है,चाहे जनगणना हो,मतदाता सूची पुनरीक्षण, पशु गणना, आर्थिक जनगणना, चुनाव या कोई भी बिना शिक्षक के कोई भी विभाग में इतनी सामर्थ्य नहीं कि वो सफलता पूर्वक किसी भी काम को कर ले। एक योजना चालू ही हुई रहती है तो दूसरीआ जाती है,क्रियान्वयन ढंग से होने ही नहीं दिया जाता।
गर्मियों में तो पुरातन काल से ही शिक्षकों की भी छुट्टियां लगती थी किंतु कुछ सचिवों को यह छुट्टियां भी खटकने लगीं,इस साल गर्मी भर ऑनलाइन,ऑफलाइन ट्रेनिंग होती रही,बेचारा शिक्षक मूक बधिर जैसा सिर्फ आज्ञा का पालन करता रहा।
जब गर्मियों की छुट्टियां समाप्त होती थी तब वह तरोताजा होकर झूम झूम कर कैसे पढ़ाता था,आप भी तो सरकारी स्कूल में पढ़े हैं।
अब शिक्षकों की निगरानी के लिए इन भ्रष्ट लोगों को लगा दिए हैं जो बिन पैसा लिए अपने ऑफिस में एक काम नहीं करते,क्या वे लोग शिक्षा में गुणवत्ता की जांच करेंगे?
एक बात और आचार्य चाणक्य ने कहा था जिस राज्य में गुरु की इज्जत नहीं उसे ढहने में में देर नहीं लगती,पहले सरचनात्मक ढांचे को सुधारिए,व्यर्थ का बर्डन शिक्षकों पर मत थोपिए,सुविधाएं मुहैया करवाइए वर्तमान में बहुत प्रकार से अभावों के बीच भी रहकर शिक्षक बहुत कुछ दे रहा है समाज को।