सरगुजा

सरगुजा के गौठानों में जिमीकंद की खेती
20-Mar-2021 4:48 PM
सरगुजा के गौठानों में जिमीकंद की खेती

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

अम्बिकापुर, 20 मार्च। कलेक्टर संजीव कुमार झा के मार्गदर्शन में जिले के गौठानों में जिमीकन्द की खेती की शुरुआत की जा रही है। इसी कड़ी में लुण्ड्रा जनपद के आदर्श गोठान असकला और बटवाही में जिमीकंद की खेती के लिए खुदाई एवं अन्य तैयारियां की शुरआत कर दिया गया है ।

लुण्ड्रा जनपद सीईओ संजय दुबे ने बताया कि दोनों ही गोठानो में करीब एक-एक एकड़ में जिमीकंद लगाने की तैयारी की जा रही है। जिमीकंद के बीज उद्यान विभाग द्वारा उपलब्ध करा दिया गया है। जिमीकंद की खेती जैविक पद्धति से उद्यान एवं कृषि विभाग के मार्गदर्शन में समूह की महिलाएं देख रेख करेंगी। जिमीकंद की खेती कम समय मे अच्छी आमदनी के लिए फायदेमंद है। इससे समूह की महिलाओं को अतिरिक्त आय मिलेगा।

उल्लेखनीय है कि कलेक्टर संजीव कुमार झा जिले के गोठानो को मल्टी एक्टिविटी सेंटर के रूप में विकसित कर समहू की महिलाओं को आजीविका के साधन उपलब्ध कराने गोठानो में कम समय और संसाधन मे तैयार होने वाले नकदी फसल जिमीकंद, शकरकंद, हल्दी, अदरक की खेती पर जोर दे रहे है।

खेत की जुताई व मिट्टी की तैयारी

 जिमीकंद की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी जिसमें जीवांश पदार्थ की प्रचुर मात्रा होए उपयुक्त होती है। पहली जुताई मिट्टी पलट वाले हल से करने के बाद 3-4 जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करते हैं। बुवाई मार्च महीने से प्रारंभ हो जाती है। बुवाई करने के लिए अंतिम जुताई के समय गोबर की सड़ी खाद गड्ढ़ों में डालने के बाद कंदों के आकार के अनुसार 75 से 90 सेंमी की दूरी पर कुदाल की सहायता से 20.30 सेंमी गहरी नाली बनाकर कंदों की बुवाई कर दी जाती है तथा नाली को मिट्टी से ढक दिया जाता है। कंदों को बुआई के बाद मिट्टी से पिरामिड के आकार में 15 सेंमी ऊँचा कर देना चाहिए।

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