कोण्डागांव

कम से कम लॉकडाउन में तो चावल दे दो सरकार
19-May-2021 7:32 PM
कम से कम लॉकडाउन में तो चावल दे दो सरकार

आदिवासी परिवार को 10 माह से नहीं मिला राशन

राज शार्दुल

विश्रामपुरी, 19 मई (‘छत्तीसगढ़’)। दस माह पूर्व कुछ गरीबों का गरीबी रेखा राशन कार्ड निरस्त हो गया है जिससे उन परिवारों पर  गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। मजदूरी करके किसी तरह पेट चल रहा था कि इस बीच लाकडाउन हो गया। लॉकडाउन के वक्त कहीं पर मजदूरी भी नहीं मिल रहा है न ही मनरेगा का कार्य चल रहा है। जिससे इन गरीब परिवारों पर भूखमरी की नौबत आ गई है।

ऐसा ही एक परिवार बड़े राजपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत केरागांव का है जहां राजमन मरकाम के  परिवार जिसमें उनकी पत्नी, दो बच्चे सहित कुल 4 लोग रहते हैं। राजमन की पत्नी घसनीन मरकाम के नाम पर गरीबी रेखा का राशन कार्ड था, जिसमें उसे 20 किलो चावल के अलावा नमक, शक्कर एवं अन्य राशन सामग्री मिल रहा था। दस माह पूर्व जुलाई 2020 में अचानक उसका राशन कार्ड निरस्त होना बताया गया। घसनीन जब हमेशा की तरह राशन कार्ड लेकर राशन दुकान बांसकोट पहुंची तो वहां सेल्समेन ने उसे कहा कि तुम्हारा राशन कार्ड तो निरस्त हो गया है। 

मैं अभी अपने तरफ से 10 किलो दे सकता हूं ऐसा कहकर उसने उसे 2 माह तक 10- 10 किलो चावल दिया किंतु उसके बाद तीसरे माह से उसने साफ मना कर दिया कि अब तुम्हें राशन का कोई सामान नहीं मिलेगा, क्योंकि तुम्हारा नाम राशन की लिस्ट से हट गया है। उसके बाद घसनीन ने राशन दुकान जाना बंद कर दिया है। जैसे-तैसे उनके जवान बेटे संपत लाल गांव मजदूरी करके पूरे परिवार का पालन पोषण कर रहा था, लेकिन लॉकडाउन के बाद इस परिवार की स्थिति बेहद खराब है। गांव में कोई रोजगार मूलक कार्य नहीं चल रहा है। न ही मनरेगा में कोई कार्य चल रहा है जिससे यह परिवार दाने-दाने को मोहताज हो गया है। 

पड़ोसियों से चावल मांगकर बनाते हैं खाना
राजमन एवं घसनीन ने बताया कि बेटा  मजदूरी करके पैसा लाता है उसका आधा रकम तो चावल और नमक में खर्च हो जाता है। अब मजदूरी भी नहीं चल रहा है। कई बार पड़ोसियों से चावल उधारी में मांगकर परिवार का पेट चलता है लेकिन बार-बार पड़ोसियों से उधारी मांगकर भी शर्म महसूस हो रहा है। कई बार दुकानदारों के पास भी चावल उधारी में लेकर  काम चलाते हैं। 

इसी गांव के सांयतु पिता गट्टू एवं गांडो राम पिता गट्टटी की भी यही स्थिति है। इनका राशन कार्ड भी तकनीकी गलती से निरस्त हुआ है। जिसका खामियाजा यह गरीब परिवार भुगत रहे हैं।

जिला खाद्य अधिकारी भूपेंद्र मिश्रा से उनके मोबाइल पर संपर्क किया गया किंतु  संपर्क नहीं हो पाया। 

इस संबंध में खाद्य निरीक्षक बड़ेराजपुर कविता ठाकुर ने बताया कि सत्यापन के समय कुछ लोगों का नाम कट गया था। नाम कटने के कई कारण हो सकते हैं। डबल नाम या भुइयां पोर्टल में गड़बड़ी आदि के कारण भी नाम कट जाता है। जांच के बाद ही पता चल पायेगा। 
 

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