बलौदा बाजार
दीगर प्रांतों से लौट रहे मजदूर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 20 मई। बढ़ते लॉकडाउन से जिले के छोटे मंझले कारोबारियों को परिवार पालना मुश्किल हो रहा है। वहीं रोज कमाने खाने वाले व्यापारियों का कहना है कि इस समय सबसे बड़ा सवाल यह कि कोरोना से तो बच जाएंगे मगर बिना रोजी-रोटी के ऐसे हालात हमें जीने देंगे या नहीं। दूसरी तरफ इस बार गरीब वर्ग के लोगों को किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं मिल पा रहा है, जिसकी वजह से वे भी परेशान हो चुके हैं, खासकर उन प्रवासी मजदूरों को जो लॉकडाउन के चलते वापस लौट रहे हैं।
बुधवार को चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष जुगल भट्टर ने कलेक्टर सुनील कुमार जैन को पत्र लिखा है कि 38 दिनों से व्यापारियों ने संस्थान बंद रख शासन के आदेशों का पालन किया। अब जब कोरोना के केसों में कमी आ चुकी है। आसपास के जिलों की तरह हमारे जिले में भी सुबह 8 से शाम 7 बजे तक व्यापार करने की छूट प्रदान की जाए ताकि परेशानियों से जूझ रहे व्यापारियों को आर्थिक संकट से उबरने में मदद मिल सके।
व्यवसाय चौपट होने से अर्थव्यवस्था वेंटिलेटर पर है, व्यापारियों के लिए ऑक्सीजन माने जाने वाले शादी-विवाह का सीजन लगातार दूसरे साल भी कोरोना की भेंट चढ़ चुका है। संक्रमण की चेन को तोडऩे के लिए बिना किसी विरोध के लॉकडाउन के नियमों का पालन करने वाले व्यापारियों का धैर्य अब जवाब देने लगा है।
उनका कहना है कि लॉकडाउन ने हमें मरणासन्न स्थिति में पहुंचा दिया है। हमें भी ऑक्सीजन चाहिए इसलिए 24 मई को खत्म होने वाले लॉकडाउन को आगे और न बढ़ाया जाए।
लॉकडाउन से निकलकर फिर लॉकडाउन में आ गए हैं, अब भूख से मरें या कोरोना से मरना तो है ही...सोमवार को गाजियाबाद से लौटे ऐसे ही 70 मजदूरों के एक दल में खड़े सोहनलाल ध्रुव के ये शब्द मानवीय संवेदनाओं को झकझोरने के लिए काफी थे। जिले में अब तक 50 हजार से अधिक प्रवासी मजदूर लौट चुके हैं।
मिली जानकारी के अनुसार 24 मई से जिले में आंशिक छूट के साथ बाजार सुबह 8 से शाम 5 बजे तक खोला जा सकता है। कलेक्टर ने मीडिया से कहा कि हमारे जिले की स्थिति अन्य जिलों से भिन्न है, फिर भी 2-3 दिन इंतजार कीजिए। 24 मई के बाद जिले को भी लॉकडाउन में छूट दी जाएगी। चैंबर के सदस्य लॉकडाउन में कैसी छूट चाहते हैं, यह आपस में चर्चा कर बताएं।