सरगुजा

प्रोजेक्ट इज्जत: 80 से अधिक महिला समूह गांव-गांव में कर रहीं जागरूक, निशुल्क सेनेटरी पैड बांटे
27-May-2021 9:06 PM
 प्रोजेक्ट इज्जत: 80 से अधिक महिला समूह गांव-गांव  में कर रहीं जागरूक, निशुल्क सेनेटरी पैड बांटे

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

अम्बिकापुर, 27 मई। आज माहवारी स्वच्छता दिवस है, वैश्विक स्तर पर आज का दिन माहवारी को समर्पित है। किंतु इसकी चर्चा केवल एक दिन नहीं बल्कि हमेशा करने की जरूरत है जिससे कि माहवारी को लेकर समाज में फैले अंधविश्वास, रूढि़ परम्पराओं को बदला जा सके। सरगुजा जिले में एक संस्था वर्ष 2014 से लगातार इस विषय पर कार्य कर रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार जागरूकता कार्यक्रम, महिलाओं की पारा-टोल्लों में संगोष्ठी, स्कूल व कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम एवं नि:शुल्क सैनेटरी पैड का वितरण कर रही है। यह संस्था ने 17000 स्कूली छात्राओं तक हर महीने स्कूल में नि:शुल्क सेनेटरी पैड उपलब्ध करा कर एक अलग तरह के सामाजिक कार्य का उदाहरण जिले एवं प्रदेश में दिया है।

सरगुजा साइंस ग्रुप नाम की इस संस्था ने 2014 से प्रोजेक्ट इज्जत की शुरुआत की। एक जनवरी 2014 से संचालित इस प्रोजेक्ट के तहत सर्वप्रथम माहवारी पर चर्चा स्कूलों से आरंभ की गई, जिससे स्कूली छात्रायें एवं शिक्षक-शिक्षिकाएं जुड़ती चली गईं और उन्होंने इस कार्यक्रम को स्वयं ही गांवों में ले जाने की योजना बनायी, जिससे सरगुजा के 80-90 फीसदी गांवों तक माहवारी पर खुली चर्चा समूह की महिलाएं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, स्कूली छात्राओं और ग्रामीण महिलाओं को साथ लेकर शुरू की गई। धीरे-धीरे महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इस प्रोजेक्ट से जुड़ीं और माहवारी में उपयोग आने वाले सेनेटरी पैड को ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर पहुंचाने का काम शुरू किया,आज 80 से अधिक महिला समूह सैनेटरी पैड विक्रय कर माहवारी के इस कार्यक्रम के साथ जुड़ी हुई हैं।

संस्था द्वारा माहवारी को लेकर समाज में व्याप्त भ्रान्तियों को लेकर, रूढि़ परंपराओं को लेकर बात शुरू की गई, महिलायें, लड़कियां इससे कैसे जूझती हैं, इससे बाहर आने क्या करना चाहती हैं। महिला स्वास्थ्य, पोषण, माहवारी के दौरान गंदगी से संक्रमण, बीमारी, सहित कपड़ा साफ कैसे हो, कैसा कपड़ा उपयोग करना चाहिए, सेनेटरी पैड कितने देर उपयोग करें-जैसे कई विषयों पर महिलाओं और लड़कियों से चर्चा करती है। इस तरह के मुहल्ले और टोल्लों में होने वाले चर्चा से काफी लड़कियां और महिलाएं लाभान्वित हो रहे हैं और स्व स्वच्छता और सैनेटरी पैड के उपयोग को लेकर स्वयं जागरूक तो हुई ही दूसरों को भी जागरूक कर रही हैं।

संस्था के इस प्रयास को सरगुजा जिले में प्रशासन ने भी काफी सराहा और संस्था के सुझाव पर जिले के कस्तूरबा गांधी कन्या आश्रम में सैनेटरी पैड वेडिंग एवं डिस्पोजल मशीन भी स्थापित कराया, साथ ही जिले के 50 से अधिक स्कूलों में भी इंसीनरेटर एवं वेंडिंग मशीन स्थापित किये गए हैं। संस्था के द्वारा किये जा रहे इस कार्य के लिए राष्ट्रीय स्तर के कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। संस्था द्वारा लगातार ग्रामीण क्षेत्र में माहवारी पर जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कोरोना काल में भी ग्रामीण क्षेत्रों में समूह की महिलाएं इस कार्य में लगी रहीं, जबकि कई स्कूलों के शिक्षकों ने ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर लड़कियों तक, छात्राओं तक सैनेटरी पैड पहुंचाया है। लॉकडाउन के दौरान शहरी क्षेत्रों में जरूरत एवं मांग पर घर पर जरूरतमंदों को नि:शुल्क सेनेटरी पैड संस्था द्वारा उपलब्ध कराए गये हैं। संस्था के कार्यों से प्रभावित होकर अब तक 82 स्कूली शिक्षक जुड़े हैं जो कि प्रत्येक महीने अपने स्कूलों के लिए नि:शुल्क सेनेटरी पैड संस्था से लेकर जाते हैं और अपने स्कूलों में छात्राओं को उपलब्ध कराते हैं।

राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित

 हो चुकी हंै संस्था

इस कार्य के लिए 15 स्कूली शिक्षिकाओं को महिला दिवस 2019 पर राज्यपाल अनुसुईया उइके ने भी सम्मानित किया है। साथ ही संस्था के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को कई बार राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। सरगुजा, बलरामपुर एवं सुरजपुर जिले में संस्था द्वारा स्कूलों में सेनेटरी पैड का नि:शुल्क वितरण सरकारी एवं प्राइवेट स्कूलों में किया जा रहा है। साथ ही लुण्ड्रा, बतौली, मैनपाट एवं सीतापुर, लखनपुर, उदयपुर, अम्बिकापुर ब्लॉक में लगातार जागरूकता कार्यक्रम संचालित हो रही है।

न थकना है न हिम्मत हारना है, प्रयास करते रहेंगे-अंचल

सरगुजा साइंस ग्रुप के अध्यक्ष अंचल ओझा ने बताया कि माहवारी जैसे विषय पर घर में जल्दी बात नहीं होती। यह मेरे आपके सबके घर की बात है, ऐसे में सार्वजनिक स्थलों पर बड़ी बात है, शुरुआत में 2014 में जब हमने इसे शुरू किया काफी दिक्कतें आयी, लेकिन जब स्कूल और कॉलेज के शिक्षक ही साथ हो लिए तो हमारे लिए रास्ता तय करना आसान हो गया। आज लगभग 100 के आसपास स्कूली शिक्षक इस अभियान से जुडक़र निस्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं और लगातार माहवारी पर चर्चा चल रही है महिलाएं और लड़कियां जागरूक हो रही हैं।

17000 स्कूली छात्राओं तक पैड पहुंचाना और वह भी नि:शुल्क आसान नहीं है, हम लगातार लोगों से सहयोग मांगते हैं, कोई 1000 पैकेट पैड, कोई 500 पैकेट तो कोई 1000 रुपये कोई 10000 रुपये उपलब्ध कराता है, सबसे 95 प्रतिशत सहयोग राज्य के बाहर से मिलते हैं, स्थानीय स्तर अब भी जागरूकता की कमी है, लोग ऐसे विषय पर सहयोग नहीं करना चाहते। कोरोना काल में बाहर से मिलने वाले लगभग 50 फीसदी सहयोग में कमी आयी है, अब हम बड़ी कम्पनियों, बड़ी संस्थाओं को पत्र लिख रहे हैं लगातार बात कर रहे हैं ताकि यह अभियान लगातार जारी रहे। आगे बढ़े हैं तो जाएंगे काफी दूर तक, न थकना है न हिम्मत हारना है प्रयास करते रहेंगे।

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