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ईशनिंदा के आरोपी पाकिस्तानी पति-पत्नी की मौत की सजा खारिज
04-Jun-2021 3:34 PM
ईशनिंदा के आरोपी पाकिस्तानी पति-पत्नी की मौत की सजा खारिज

पाकिस्तान में ईशनिंदा के एक और मामले में मौत की सजा खारिज हो गई है. सालों से जेल में बंद पति-पत्नी को अब रिहाई मिल सकती है. लेकिन लगभग 80 लोग ऐसे ही खतरे के साये में जेलों में बंद हैं.

   (dw.com)

पाकिस्तान की एक अदालत ने एक इसाई पति-पत्नी को ईशनिंदा के आरोपों में मिली मौत की सजा खारिज कर दी है. गुरुवार को एक अदालत ने 2014 के निचली अदालत के फैसले को खारिज कर दिया. शफाकत इमानुएल मसीह और उनकी पत्नी शगुफ्ता कौसर मसीह पर अपने एक मुस्लिम सहकर्मी को ऐसे संदेश भेजेने का आरोप था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर मुहम्मद साहब का अपमान किया था. मसीह पति-पत्नी खुद को अनपढ़ बताते हैं.

इस जोड़े ने दावा किया कि उनके मुस्लिम सहकर्मी ने उन्हें साजिशन फंसाया था क्योंकि उनका काम को लेकर कोई विवाद चल रहा था. शगुफ्ता की सहकर्मी ने कथित तौर पर उनके दस्तावेज चुराए और उनसे एक फोन व नंबर खरीद लिया था. मसीह पति-पत्नी को जब गिरफ्तार किया गया था, तब पाकिस्तान में फोन नंबर उपलब्ध करवाने वाली कंपनियां ग्राहकों से अंगूठे का निशान नहीं लगवाती थीं.

मसीह पति-पत्नी की इस मामले में रिहाई यूरोपीय संसद के अप्रैल में लाए गए एक प्रस्ताव का समर्थन करती है, जिसमें ईशनिंदा के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई गई थी. इस मामले पर टिप्पणी करते हुए सांसदों ने कहा था कि मसीह दंपती के खिलाफ सबूत बहुत ज्यादा दोषपूर्ण हैं. यूरोपीय सांसदों ने मौत की सजा को फौरन और बिना किसी शर्त के खारिज करने की मांग की थी.

क्यों अहम है यह मामला?
गुरुवार को फैसले के बाद मसीह दंपती के वकील सैफुल मलूक ने कहा कि अगले हफ्ते तक दोनों के जेल से छूट जाने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, "मुझे बहुत खुशी है कि हम उन्हें रिहा कराने में कामयाब रहे. वे समाज के सबसे कमजोर तबके से आते हैं.” मुस्लिम बहुल देश पाकिस्तान में ईशनिंदा बहुत गंभीर मामला है. देश के कई इलाकों में सिर्फ अफवाहों के कारण अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमले हो जाते हैं.

मसीह दंपती को जब गिरफ्तार किया गया था, तब वे अपने चार बच्चों के साथ गोजरा कस्बे में रहते थे. वहां, 2009 में एक कुरान को नुकसान पहुंचाए जाने की अफवाह फैलने पर भीड़ ने ईसाई मोहल्ले पर हमला कर दिया था, जिसमें कम से कम सात लोग मारे गए थे. इस दंपती के वकील सैफुल मसीह ने ही चर्चित आसिया बीबी मामले की वकालत भी की थी. बीबी को ईशनिंदा के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी.

हालांकि मीडिया में यह मामला काफी चर्चित हो गया था और पश्चिमी देशों के दबाव में आसिया बीबी की मौत की सजा पलट दी गई थी. 2018 में जब आसिया बीबी को रिहा किया गया तो देश में बड़े विरोध प्रदर्शन हुए थे. आसिया बीबी बाद में कनाडा चली गई थीं. स्थानीय अखबार डॉन की एक खबर के मुताबिक पाकिस्तान में आज भी लगभग 80 लोग ईशनिंदा के आरोपों में जेलों में बंद हैं. उनमें से कम से कम आधे मौत की सजा या उम्रकैद पा सकते हैं.

वीके/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)
 

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