अंतरराष्ट्रीय

चीन विरोधी खेमे की स्थापना करने की कोशिशों से पूरी दुनिया को नुकसान होगा
04-Jun-2021 8:46 PM
चीन विरोधी खेमे की स्थापना करने की कोशिशों से पूरी दुनिया को नुकसान होगा

बीजिंग, 4 जून | अमेरिकी नव सरकार की चीन नीति, यानी प्रतिस्पर्धा और टकराव का नीतिगत ढ़ांचे का रूप उभरने लगा है। इस नीति के तहत चीन के खिलाफ निरंतर दबाव बनाए रखने की आवश्यकता है। यानी अमेरिका, नैतिक मूल्य हमलों, कूटनीतिक अलगाव, तकनीकी अवरोधों और आर्थिक व व्यापार बाधाओं के माध्यम से, चीन के विकास को चौतरफा तरीके से अवरुद्ध करने का प्रयास कर रहा है। और साथ ही एक चीन विरोधी शिविर को भी स्थापित करने की पूरी कोशिश करनी पड़ेगी। इसी नीति के मार्गदर्शन में, अमेरिका 'मध्य देशों', यानी कि ऐसे देश जो चीन और अमेरिका दोनों के साथ समान संबंध बनाए रखते हैं, को अपनी ओर खीचने का अथक प्रयास भी करता रहेगा। अमेरिका के दबाव में, कुछ छोटे और मध्यम वाले देशों को दुबधा का सामना करना पड़ता है। एक तरफ, वे अपने चीन के साथ घनिष्ठ आर्थिक संबंधों को त्याग करना नहीं चाहते हैं, पर दूसरी ओर, अमेरिकी दबाव के कारण, उन्होंने 'पक्ष चुनने' के अमेरिका के अनुरोध को अस्वीकार करने का साहस भी नहीं है। अमेरिका के दबाव में उन्हें चीन की घरेलू और विदेशी नीतियों पर आलोचनात्मक टिप्पणी करनी पड़ी। हालांकि, इसका नतीजा यह है कि उनके चीन के साथ बनाए गए मैत्रीपूर्ण संबंधों को प्रभावित किया गया है। उदाहरण के लिए, न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री ने हाल ही में मीडिया से कहा, "न्यूजीलैंड और चीन के बीच संबंध ठंडा बनने का दिन आएगा।" विश्लेषकों के अनुसार, न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री की टिप्पणी से संकेत मिलता है कि न्यूजीलैंड सरकार अमेरिका के बढ़ते दबाव का सामना कर रही है।

दूसरी ओर, छोटे और मध्यम वाले देशों को अपनी ओर खींचने के लिए, अमेरिका ने चीनी उत्पादों पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय औद्योगिक श्रृंखला के पुनर्गठन की योजना पेश की है। इससे पहले, वैश्वीकरण के विकास से दुनिया की प्रारंभिक स्थिति बनाई है, जहां विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाएं एक साथ अन्योन्याश्रित और समृद्ध हैं। चीन की मजबूत उत्पादकता विश्व बाजार को माल प्रदान करना जारी रखती है, जिसने अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों को घरेलू मुद्रास्फीति के दबाव से बचने और बुनियादी औद्योगिक उत्पादों की जरूरतों को पूरा करने की अनुमति दी है, जबकि उनके उद्योग उच्च अंत उद्योगों में स्थानांतरित हो रहे हैं। हालांकि, औद्योगिक श्रृंखला का पुनर्गठन करने से दुनिया की आर्थिक संरचना को बाधित कर दिया गया है। कुछ कंपनियों को फेरबदल का सामना करना पड़ रहा है, और कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियों, जो चीन से जल्दबाजी में निकल गयी हैं, को नये औद्योगिक वातावरण में असंख्य कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

पर अधिकांश मध्यवर्ती देशों के लिए, वे चीन और अमेरिका के बीच चयन करने के लिए बेहद अनिच्छुक हैं। इससे एक तरफ, वे महा-शक्तियों के संघर्षों में शामिल होने के जोखिम से बच सकते हैं, दूसरी तरफ वे खुद को ऐसी स्थिति में डाल सकते हैं जो महा-शक्तियों द्वारा जीती जाती है। यदि उन्हें विश्व महाशक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा में पक्ष चुनने के लिए मजबूर किया जाता है, तो वे केवल अपने हितों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। वर्तमान में, अपनी राजनीतिक और सैन्य शक्ति के साथ, अमेरिका ने कुछ छोटे और मध्यम देशों को अमेरिका का समर्थन और चीन की आलोचना का बयान देने के लिए मजबूर किया है। लेकिन साथ ही, इन देशों को चीन के साथ आर्थिक और व्यापारिक संबंधों से लाभ उठाने का अवसर भी खोना होगा।

डिकॉप्लिंग और डी-सिनिसाइजेशन के अमेरिकी आक्रमण का सामना करने में, चीन ने खुलेपन का विस्तार जारी रखने और वैश्वीकरण के प्रति अपने वायदे को ²ढ़ बनाने का प्रयास किया है। और चीन का विशाल उपभोक्ता बाजार और लगभग असीमित उत्पादन क्षमता विश्व अर्थव्यवस्था का एक अनिवार्य तत्व बन गई है। यह दुनिया के आर्थिक विकास में चीन का सबसे बड़ा योगदान भी है। मानव जाति के साझा भाग्य समुदाय के निर्माण के आदर्श के तहत, चीन समावेशी और पारस्परिक लाभ को सुरक्षित रखने की कूटनीतिक नीति अपनाता है, और चीन अन्य सभी देशों के साथ समानता और पारस्परिक लाभ वाले संबंधों को विकसित करने को तैयार है। चीन की विदेश नीति ने दुनिया के अधिकांश देशों की समझ और समर्थन हासिल किया है। लेकिन अमेरिका के द्वारा चीन को रोकने के लिए खेमे को स्थापित करने की कोशिशें, जो पूरी दुनिया के हितों को नुकसान पहुंचाता है, पूरी दुनिया की जनता के विरोध करने के कारण से विफल हो जाएंगी।(आईएएनएस)

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