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बांग्लादेश ने पासपोर्ट से ‘इस्राएल को छोड़कर’ शब्द क्यों हटाया
05-Jun-2021 2:11 PM
बांग्लादेश ने पासपोर्ट से ‘इस्राएल को छोड़कर’ शब्द क्यों हटाया

बांग्लादेश ने अपने ई-पासपोर्ट से ‘इस्राएल को छोड़कर’ हिस्सा हटा दिया है, लेकिन वह इस्राएल की मान्यता पर अपने पुराने रुख पर कायम है. कई लोग अब ये पूछ रहे हैं कि क्या बांग्लादेश के नागरिक इस्राएल की यात्रा कर सकते हैं.

  डॉयचे वैले पर अराफातुल इस्लाम की रिपोर्ट

नए बांग्लादेशी ई-पासपोर्ट से ‘इस्राएल को छोड़कर' हटाने के बाद यह बहस तेज हो गई है कि क्या यह देश इस्राएल के साथ अपने संबंधों को सामान्य कर सकता है और बांग्लादेशी नागरिकों के मध्य पूर्व देश में जाने का रास्ता साफ कर सकता है. बांग्लादेश के पुराने पासपोर्ट पर लिखा होता था, "यह पासपोर्ट इस्राएल को छोड़कर दुनिया के सभी देशों के लिए मान्य है.” हालांकि, जब करीब छह महीने पहले बांगलादेश ने इलेक्ट्रोनिक चिप वाले अपना ई-पासपोर्ट लॉन्च किया, तब उसमें ‘इस्राएल को छोड़कर' वाक्यांश शामिल नहीं था. ऐसा करने से पहले सरकार ने किसी तरह की सूचना भी जारी नहीं की थी.

बदलाव की यह खबर जंगल में आग की तरह उस समय फैली जब दो बांग्लादेशी नागरिकों ने दावा किया कि उन्हें दो हफ्ते पहले "यह पासपोर्ट दुनिया के सभी देशों के लिए मान्य है" लिखा हुआ पासपोर्ट मिला है. इस पूरे मामले पर बांग्लादेश के गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल ने जल्द ही बदलाव को स्वीकार करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने "इस्राएल को छोड़कर" वाक्यांश को हटा दिया, ताकि यह पक्का हो सके कि यह पासपोर्ट "अंतर्राष्ट्रीय मानकों" को पूरा करता है.

इस्राएल के विदेश मंत्रालय में पब्लिक इंक्वायरी डिवीजन की प्रमुख रूथ जाख ने बांग्लादेश के इस कदम की सराहना की है. उन्होंने डॉयचे वेले को बताया, "इस्राएल बांग्लादेशी पासपोर्ट से 'इस्राएल को छोड़कर' वाक्यांश हटाने का स्वागत करता है.”

इस्राएल के विदेश मंत्रालय में एशिया और प्रशांत क्षेत्र के उप महानिदेशक गिलाद कोहेन ने भी इस बदलाव का स्वागत किया. साथ ही, उन्होंने बांग्लादेशी सरकार से आगे बढ़ने और इस्राएल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने का आह्वान किया.  

बांग्लादेश का इस्राएल से सामान्य संबंधों से इनकार
पासपोर्ट से ‘इस्राएल को छोड़कर' वाक्यांश हटाने के फैसले से कई लोग हैरान रह गए. वजह ये है कि बांग्लादेश इस्राएल को एक देश के तौर पर मान्यता नहीं देता है और दशकों से अपने नागरिकों को वहां जाने पर रोक लगा रखा है. 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर एक स्वतंत्र मुल्क बनने के बाद से बांग्लादेश ने सिर्फ फलस्तीन को एक देश के तौर पर मान्यता दी है. बांग्लादेश ने कहा है कि वह तब तक इस्राएल को मान्यता नहीं देगा जब तक कि फलस्तीन एक आजाद मुल्क नहीं बन जाता.

बांग्लादेश का कहना है कि वह "1967 से पहले की सीमाओं और पूर्वी यरुशलम को फलस्तीन की राजधानी के रूप में मान्यता देने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के आलोक में फलस्तीन-इस्राएल संघर्ष के ‘दो देशों वाले समाधान' का समर्थन करता है."

पिछले मई महीने में ही इस्राएल और हमास के बीच 11 दिनों तक चले संघर्ष के दौरान फलस्तीनी एनक्लेव गजा में काफी ज्यादा हवाई हमले हुए. इस्राएल की बमबारी में 232 फलस्तीनी मारे गए जिनमें 65 बच्चे और तीन दर्जन से अधिक महिलाएं शामिल हैं. हमास सशस्त्र फलस्तीनी आतंकवादी समूह है जिसे यूरोपीय संघ और अमेरिका ने आतंकवादी संगठन के तौर पर वर्गीकृत किया है. इससे पहले इस्राएल और हमास के बीच 2014 में 50 दिनों तक भीषण संघर्ष हुआ था.

बांग्लादेश में फलस्तीनी प्राधिकरण के राजदूत यूसेफ रमदान ने स्थानीय मीडिया को बताया कि वह पासपोर्ट में इस्राएल को बाहर न करने के बांग्लादेश के कदम से "दुखी" हैं. उन्होंने कहा, "यह हमारे लिए स्वीकार्य नहीं हो सकता.” हालांकि, बांग्लादेश ने इस्राएल के साथ अपने संबंधों को सामान्य बनाने की योजना से इनकार किया है. साथ ही कहा है कि इस्राएल को लेकर उसकी विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं आया है. यात्रा पर लगी रोक जारी रहेगी. 

बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ने कहा, "कोई भी बांग्लादेशी नागरिक इस्राएल की यात्रा नहीं कर सकता है. अगर कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.” मोमेन ने कहा कि ई-पासपोर्ट में बदलाव सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखते हुए किया गया है. मंत्री ने कहा, "पासपोर्ट सिर्फ एक पहचान है और यह किसी देश की विदेश नीति को नहीं दिखाता है. बांग्लादेश की विदेश नीति वैसी ही बनी हुई है जैसी बंगबंधु (शेख मुजीबुर रहमान) के समय थी.”

जर्मनी में बांग्लादेश के राजदूत मुशर्रफ हुसैन भुइयां ने कहा कि ‘इस्राएल को छोड़कर' वाक्यांश बांग्लादेशी पासपोर्ट से एक साल पहले हटाया गया था, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम इस्राएल के साथ राजनायिक संबंध स्थापित करने जा रहे हैं. हमारी नीति में कोई बदलाव नहीं होगा. अभी तक करीब एक लाख ऐसे पासपोर्ट जारी हो चुके हैं जिसमें लिखा है ‘यह पासपोर्ट दुनिया के सभी देशों के लिए मान्य है'.

पासपोर्ट में बदलाव से पैदा हुई भ्रम की स्थिति
ई-पासपोर्ट से वाक्यांश को हटाने के बांग्लादेश के फैसले ने इस्राएल की यात्रा पर सरकार के रुख के बारे में कई लोगों को हैरान कर दिया है. वाशिंगटन स्थित वुडरो विल्सन सेंटर फॉर स्कॉलर्स में दक्षिण एशिया मामलों के विशेषज्ञ माइकल कुगेलमैन ने डॉयचे वेले को बताया, "बांग्लादेश ने जो संदेश दिया है उसमें अभी और स्पष्टता की जरूरत है. अब इन नए पासपोर्ट में यह नहीं लिखा है कि इस्राएल जाने पर प्रतिबंध है, तो आप यह कैसे कह सकते हैं कि अभी भी इस्राएल जाने पर प्रतिबंध लागू है? यह काफी विचित्र स्थिति है.”

ढाका में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता शाहिदुल आलम का कहना है कि यात्रा पर प्रतिबंध की बात तब तक "तर्कहीन" है जब तक इसे पासपोर्ट में लिखित तौर पर शामिल नहीं किया जाता. उन्होंने डॉयचे वेले को बताया, "यह पूरी तरह तर्कहीन है कि आप किसी व्यक्ति को ऐसा दस्तावेज देते हैं जिस पर लिखा है कि आप पूरी दुनिया में कहीं भी यात्रा कर सकते हैं और फिर कहते हैं कि ‘इस तरह' की यात्रा की अनुमति नहीं है.”

क्या बांग्लादेश इस्राएल की यात्रा पर प्रतिबंध लगा सकता है?
कतर स्थित अल जजीरा न्यूज आउटलेट ने आव्रजन अधिकारियों का हवाला देते हुए बताया कि बदलाव के बाद, बांग्लादेशी नागरिक को अब किसी तीसरे देश से वीजा मिल जाता है, तो वे उस स्थिति में इस्राएल की यात्रा कर सकते हैं. अल जजीरा ने मोमेन की कानूनी कार्रवाई के दावे का खंडन करते हुए अपनी रिपोर्ट में लिखा कि किसी देश की यात्रा करने के लिए सिर्फ पासपोर्ट होना ही जरूरी नहीं है. इसके लिए वीजा भी चाहिए होता है. बांग्लादेश के आव्रजन नियमों को नियंत्रित करने वाले 17 कानूनी धाराओं में से किसी के तहत इस्राएल की यात्रा पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है. 

रूथ जाख ने कहा कि बांग्लादेशी नागरिक अभी भी इस्राएल की यात्रा पर जा सकते हैं. उन्होंने डॉयचे वेले से कहा, "बांग्लादेशी नागरिक पुराने पासपोर्ट के साथ भी इस्राएल जा सकते थे. हमने हमेशा 'इस्राएल को छोड़कर' वाक्यांश को नजरअंदाज किया जब यह दूसरे देशों के पासपोर्ट में दिखाई दिया. हजारों पर्यटक और तीर्थयात्री जिनके पास 'इस्राएल को छोड़कर' का पासपोर्ट होता है, हर साल इस्राएल आते हैं और उनका गर्मजोशी से स्वागत किया जाता है.”

इलिनॉय स्टेट यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर अली रियाज ने डॉयचे वेले को बताया, "जिस व्यक्ति को इस्राएल जाने के लिए वीजा मिल जाएगा, उसे न तो रोका जा सकता है और न ही उस पर किसी तरह का मुकदमा चलाया जा सकता है. ऐसा कोई कानून नहीं है जिससे उस व्यक्ति को यात्रा करने से रोका जा सके. हालांकि, अगर सरकार किसी दूसरे कानून के तहत मुकदमा चलाती है, तो यह अलग मामला है.”

इस्राएल संबंध मजबूत करने को तैयार
रूथ जाख कहती हैं, "इस्राएल बांग्लादेश के साथ अपने राजनायिक संबंध स्थापित करने के लिए तैयार है. 73 साल पहले अपनी स्थापना के बाद से इस्राएल की नीति पृथ्वी पर मौजूद सभी देशों तक पहुंचने और उन सभी के साथ संबंध स्थापित करने की थी. बांग्लादेश कोई अपवाद नहीं है. इस्राएल बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा के तुरंत बाद उसे मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था.”

जाख कहती हैं, "2017 में इस्राएल ने बांग्लादेशी अधिकारियों से संपर्क किया था और पड़ोसी देश म्यांमार से भागे रोहिंग्या शरणार्थियों को मानवीय और चिकित्सा सहायता देने की अनुमति मांगी थी. पहले हमारी उपेक्षा की गई और फिर हमें मना कर दिया गया. प्रस्ताव अभी भी मेज पर है.”

विश्व बैंक के वर्ल्ड इंटीग्रेटेड ट्रेड सॉल्यूशन डेटाबेस से पता चलता है कि बिना किसी राजनयिक संबंध के बांग्लादेश और इस्राएल के बीच अभी भी व्यापार होता है. डेटाबेस के मुताबिक, इस्राएल ने 2010 और 2018 के बीच अन्य देशों के माध्यम से बांग्लादेश से लगभग 27.35 करोड़ यूरो के उत्पादों का आयात किया. (dw.com)
 

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