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पाकिस्तान के विदेश मंत्री महमूद क़ुरैशी ने कहा- मेरा ख़ून खौल रहा है
06-Jun-2021 5:56 PM
पाकिस्तान के विदेश मंत्री महमूद क़ुरैशी ने कहा- मेरा ख़ून खौल रहा है

पाकिस्तान के ख़िलाफ़ अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्लाह मोहिब की टिप्पणियों के जवाब में इमरान ख़ान हुकूमत के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने शनिवार को कहा कि उन्हें अपनी भाषा में सुधार लाना चाहिए.

पाकिस्तानी अख़बार 'डॉन' के मुताबिक़ मुल्तान में राजनीतिक कार्यकर्ताओं की एक सभा को संबोधित करते हुए शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा, "अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कान खोलकर मेरी बात सुन लो...."

"अगर तुम ऐसी जुबान का इस्तेमाल करने से बाज़ नहीं आए या पाकिस्तान पर जो इलज़ाम तुम लगा रहे हो, जो तुम कर रहे हो, तो पाकिस्तान के विदेश मंत्री की हैसियत से मैं कह रहा हूँ कि कोई पाकिस्तानी न तुम से हाथ मिलाएगा और न ही तुम से बात करेगा."

शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान ने चरमपंथ की वजह से जान-माल की बड़ी क़ीमत चुकाई है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस इलाक़े में केवल शांति और स्थिरता चाहता है.

'वॉइस ऑफ़ अमेरिका' की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मई की शुरुआत में नंगरहार सूबे के दौरे पर थे जहाँ उन्होंने पाकिस्तान को 'चकलाघर' कहा था.

अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्लाह मोहिब

अफ़ग़ानिस्तान एनएसए के भाषण पर प्रतिक्रिया

रिपोर्ट के मुताबिक़ हमदुल्लाह मोहिब पाकिस्तान पर अक्सर ही अफ़ग़ान तालिबान को समर्थन और मदद देने का आरोप लगाते रहे हैं.

शाह महमूद क़ुरैशी ने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि पाकिस्तान की तरफ़ से प्रधानमंत्री और सेना-प्रमुख से लेकर विदेश मंत्री तक अमन के लिए काबुल का दौरा करते रहे हैं लेकिन इसके बावजूद अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को पाकिस्तान को 'चकलाघर' कहते हैं.

क़ुरैशी ने अफ़ग़ानिस्तान के एनएसए पर तमतमाते हुए कहा, "तुम को इस बात पर शर्म आनी चाहिए. कोई कहे या न कहे लेकिन जब से मैंने नंगरहार में तुम्हारी तक़रीर सुनी है, मेरा तो ख़ून खौल रहा है. डंके की चोट पर कह रहा हूँ, अपना रवैया सुधार लो."

"मैं ये बात अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से भी कहना चाहूँगा कि अगर यही बर्ताव जारी रहता है तो ये आदमी जो ख़ुद को अफ़ग़ानिस्तान का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कहता है, तो ये अमन का माहौल बिगाड़ने वाला काम कर रहा है."

उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान एनएसए अमन की राह में बाधाएं खड़ी कर रहे हैं. वे इसमें सुधार करने के बजाय हालात बिगाड़ रहे हैं. इसलिए अफ़ग़ानिस्तान और उसके अमनपसंद समझदार नागरिकों को उनसे अपील करनी चाहिए कि वे अपना बर्ताव ठीक कर लें.

अफ़ग़ानिस्तान का जवाब
शाह महमूद क़ुरैशी ये बात पहले भी उठाते रहे हैं कि अफ़ग़ानिस्तान में ऐसे लोग मौजूद हैं जो अमन की राह में रोड़ा अटका रहे हैं.

अफ़ग़ानिस्तान की न्यूज़ वेबसाइट 'टोलो न्यूज़' की रिपोर्ट के अनुसार इसी हफ़्ते यूरोपीय संघ की संसद को एक वर्चुअल संबोधन के दौरान उन्होंने ये बात कही थी. उसके बाद इसी हफ़्ते इस्लामाबाद में तजाकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान के साथ मुलाक़ात में उन्होंने ये आरोप फिर से लगाया था.

उन्होंने कहा था, "अफ़ग़ानिस्तान के अंदर और बाहर ऐसे लोग हैं जो शांति और सुरक्षा नहीं चाहते हैं. हमें ऐसे काम बिगाड़ने वाले लोगों से सतर्क रहना चाहिए."

इस पर अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने जवाब देते हुए कहा कि अमन के दुश्मन वे लोग हैं जिन्होंने हिंसा जारी रखकर अफ़ग़ानिस्तान की आवाम और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की अपील को ठुकराया है.

"इस नाज़ुक मोड़ पर इलज़ाम लगाने से कुछ भी अच्छा नहीं होने वाला है. अफ़ग़ानिस्तान में अमन इस क्षेत्र के मुल्कों ख़ासकर पाकिस्तान के हित में है. सार्थक शांति वार्ता शुरू करने के लिए अफ़ग़ानिस्तान के लोग और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी पाकिस्तान से व्यावहारिक क़दम की उम्मीद रखते हैं."

अफ़ग़ानिस्तान के सांसद नेमतुल्लाह कारयाब ने कहा, "पाकिस्तान के विदेश मंत्री का हालिया बयान अफ़ग़ानिस्तान के अंदरूनी मामलों में साफ़ तौर पर दखलंदाज़ी है."

शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा कि वे अगले साल मार्च में कश्मीर के मुद्दे पर बात करने के लिए मुस्लिम देशों के विदेश मंत्रियों को इस्लामाबाद बुलाएंगे.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में फ़लस्तीन का मुद्दा उठाते वक़्त उन्होंने कश्मीरियों और फ़लस्तीनियों की मांग के बीच समानता की याद दिलाई थी.

क़ुरैशी ने कहा, "मैं ये वादा करता हूं कि मैंने जिस तरह से फ़लस्तीनियों के लिए लड़ा हूँ, अगर ख़ुदा ने वक्त दिया तो मार्च, 2022 में इस्लामिक जगत के विदेश मंत्रियों को इस्लामाबाद बुलाऊंगा और उनके सामने कश्मीर का मुद्दा रखेंगे. कश्मीरियों का मु्द्दा सच और इंसाफ़ का है जो उनके सामने रखा जाएगा."

अफ़ग़ानिस्तान से विदेशी सैनिकों की वापसी
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने घोषणा की है कि अफ़ग़ानिस्तान में तैनात सभी अमेरिकी सैनिक सितंबर की 11 तारीख़ तक लौट जाएंगे. टोलो न्यूज़ के अनुसार इमरान ख़ान चाहते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान से विदेशी सैनिकों के जाने से पहले कोई शांति समझौता हो जाए. अमेरिका की इस डेडलाइन पर पाकिस्तान की नज़र है. पाकिस्तान का कहना है कि अमेरिकी सैनिकों के वापस जाने को अफ़ग़ान शांति प्रक्रिया से जोड़ा जाना चाहिए.

बीस साल यहाँ रहने के बाद अमेरिकी और ब्रिटिश सेना अफ़ग़ानिस्तान छोड़ रहीं हैं. अप्रैल में राष्ट्रपति बाइडन ने घोषणा की थी कि बचे हुए 2,500-3,500 अमेरिकी सैनिक 11 सितंबर तक वापस चले जाएंगे. ब्रिटेन भी अपने बचे हुए 750 सैनिकों को वापस बुला रहा है.

अल-क़ायदा ने अमेरिका पर 9/11 हमले को अफ़ग़ानिस्तान की धरती से अंजाम दिया था. उसके बाद अमेरिका के नेतृत्व में योजनाबद्ध तरीक़े से वहां से तालिबान को सत्ता से हटाया गया और अस्थायी रूप से अल-क़ायदा को बाहर किया गया.

20 साल तक सेना को बहुत बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ी है- पैसों और ज़िदगियों से. अमेरिकी सेना के 2300 से ज़्य़ादा पुरुष और महिलाओं को जान गंवानी पड़ी और 20,000 से ज़्यादा घायल हुए. इसके अलावा ब्रिटेन के 450 सैनिकों समेत दूसरे देशों के सैंकड़ों सैनिक मारे गए या घायल हुए.

लेकिन सबसे ज़्यादा नुकसान अफ़ग़ानिस्तान के लोगों को हुआ है. उनके 60,000 से अधिक सुरक्षाकर्मी इस दौरान मारे गए और इससे दोगुनी संख्या में नागरिक की जान गई.

अमेरिकी सैनिकों के अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने का फ़ैसला अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा में 2020 में हुई संधि के बाद आया था.

इसकी आधिकारिक घोषणा इसी साल अप्रैल में हुई, जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि 11 सितंबर तक अमेरिकी सैनिक लौट आएंगे.

11 सितंबर, 2021 को अमेरिका पर हुए आतंकी हमले की 20वीं बरसी भी है. इस हमले के बाद ही अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान पर हमला किया था. (bbc.com)

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