अंतरराष्ट्रीय

जर्मनी की जमीन पर हमास के झंडों पर प्रतिबंध के लिए सहमत सरकार
21-Jun-2021 3:50 PM
जर्मनी की जमीन पर हमास के झंडों पर प्रतिबंध के लिए सहमत सरकार

 

पिछले फलस्तीन-समर्थक प्रदर्शनों के दौरान जर्मनी में कई यहूदी-विरोधी घटनाएं होने के बाद जर्मन सरकार ने कुछ कड़े कदम उठाने का फैसला किया है. जर्मन सरकार अपने यहूदी नागरिकों को भी एक संदेश देना चाहती है.

  dw.com

वेल्ट अम जोनटाग अखबार ने खबर दी है कि जर्मन सरकार में शामिल सभी दलों ने प्रदर्शनों के दौरान हमास के झंडे के इस्तेमाल पर प्रतिबंध को सहमत हो गए हैं. हमास फलस्तीन का कट्टरपंथी संगठन है जिसे अमेरिका समेत कई अंततराष्ट्रीय देशों में आतंकवादी संगठनों की सूची में रखा गया है.

इस संगठन के झंडे पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव सबसे पहले चांसलर अंगेला मैर्केल के पार्टी क्रिश्चन डेमोक्रैटिक यूनियन की ओर से आया था. सीडीयू और उसकी बवेरियाई सहयोगी क्रिश्चन सोशल यूनियन के संसदीय उप प्रवक्ता थॉर्स्टन फ्राई ने कहा, "हम नहीं चाहते कि आतंकी संगठनों के झंडे जर्मनी की धरती पर लहराए जाएं.”

यहूदियों को संदेश
सीडीयू के साथ सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल वामपंथी सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी (एसपीडी) ने हालांकि इस प्रतिबंध को लेकर कुछ संवैधानिक चिंताएं जाहिर की थीं लेकिन बाद में उसने भी प्रस्ताव का समर्थन किया. फ्राई ने वेल्ट अम जोनटाग को बताया, "मुझे खुशी है कि एसपीडी ने हमारी पहल का समर्थन किया है. ऐसा करके हम अपने यहूदी नागरिकों को एक स्पष्ट संदेश दे सकते हैं.”

सितंबर में होने वाले चुनावों में सीडीयू की ओर से चांसलर पद के उम्मीदवार आर्मिन लाशेट ने पिछले महीने भी हमास के झंडे पर बैन लगाने की मांग की थी. इस्राएल और हमास के बीच मई में गजा में संघर्ष होने के दौरान दुनिया के कई देशों में प्रदर्शन हुए थे. जर्मनी में हुए फलस्तीन समर्थक प्रदर्शनों के दौरान साइनागॉग्स पर हमले किए गए, इस्राएल के झंडे जलाए गए और यहूदी विरोधी नारे लगाए गए.

जर्मनी ने इस्राएल के समर्थन में ऐसे कदम पहले भी उठाए हैं. मध्य-पूर्व एशियाई लोगों के इस्राएल विरोधी संगठनों के खिलाफ भी इस तरह की कार्रवाई की जा चुकी है. पिछले साल अप्रैल में जर्मनी के गृह मंत्री ने लेबनान के संगठन हिजबुल्ला पर प्रतिबंध लगाने और उसे आतंकवादी संगठनों की सूची में जोड़ने का ऐलान किया था. इसके बाद हिजबुल्ला का सार्वजनिक तौर पर समर्थन करना और उसके झंडे लहराना गैरकानूनी हो गया था. अमेरिका और यूरोपीय संघ, जिसमें जर्मनी भी शामिल है, हिजबुल्ला और हमास दोनों को आतंकवादी संगठन घोषित कर चुके हैं.

क्या है हमस?
हमास असल में हमस से आया है जो हरकत अल-मकवामा अल-इस्लामिया का छोटा रूप है, जिसका अर्थ है इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन. हमास एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ हौसला या बहादुरी होता है. 1987 में इस संगठन की स्थापना हुई थी और 2007 से यह गजा पर शासन कर रहा है. तब से हमास और इस्राएल के बीच कई युद्ध लड़े जा चुके हैं.

मई में दोनों पक्षों के बीच 11 दिनों की लड़ाई के बाद पिछले महीने संघर्ष विराम समझौता हुआ था. इस लड़ाई में लगभग 250 फलस्तीनियों की मौत हुई थी, जिनमें दर्जनों बच्चे और महिलाएं शामिल थीं और 13 इस्राएली नागरिक भी जान से हाथ गंवा बैठे थे. फिर मिस्र की मध्यस्थता के बाद युद्ध विराम समझौता हुआ. इस बीच येरूशलम में एक बार फिर तनाव का माहौल है. पिछले मंगलवार को अतिराष्ट्रवादी दक्षिणपंथी यहूदी प्रदर्शनकारियों ने अरब-बहुल पूर्वी येरुशलम में एक मार्च निकाला और झंडे लहराए. पूर्वी येरुशलम के उस पुराने शहर में यह प्रदर्शन हुआ, जो इस्राएल-फलस्तीन विवाद में सबसे विवादास्पद इलाका है. कथित ‘ध्वज यात्रा' दमिश्क दरवाजे से होती हुई पुराने शहर के बीचोबीच से गुजरी, जहां यहूदी, इस्लाम और ईसाई धर्म के पवित्र स्थल हैं.

इस प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा के लिए हजारों इस्राएली पुलिसकर्मी मौजूद थे. पुलिस ने दमिश्क दरवाजे के सामने से मैदान साफ करवा दिया था. सड़कें और बाजार बंद कर दिए गए थे और फलस्तीनी प्रदर्शनकारियों को भी वहां से हटा दिया गया था. फलस्तीनियों ने बताया कि इस दौरान पुलिस के साथ लोगों की झड़पें भी हुईं, जिसके दौरान पांच लोग घायल हुए और छह को गिरफ्तार कर लिया गया. स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया कि 33 फलस्तीनियों को चोटें आई हैं.
अतिराष्ट्रवादी सांसदों इतमार बेन-ग्वीर और बेजालेल समोत्रिच ने भी इस मार्च में हिस्सा लिया. प्रदर्शनकारियों ने उन्हें कंधों पर उठा रखा था. एक वक्त पर तो कुछ युवकों ने ‘अरब मुर्दाबाद' और ‘तुम्हारे गांव जलकर राख हो जाएं' जैसे नारे भी लगाए.

इस्राएल में 14 जून को ही नई सरकार का गठन हुआ है और दक्षिणपंथी नेता नफताली बेनेट ने 12 साल तक प्रधानमंत्री रहे बेन्यामिन नेतन्याहू से कुर्सी हासिल की है. इस सरकार में यहूदी और अरब दक्षिणपंथियों के अलावा वामपंथी दल भी शामिल हैं. 

रिपोर्ट: वेज्ली डॉकरी

 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news