अंतरराष्ट्रीय

म्यांमार के सैन्य शासन पर यूरोपीय संघ और ब्रिटिश प्रतिबंध
22-Jun-2021 12:48 PM
म्यांमार के सैन्य शासन पर यूरोपीय संघ और ब्रिटिश प्रतिबंध

लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर नकेल कसने पर पश्चिमी देशों ने सैन्य जुंटा पर दबाव बढ़ा दिया है. नए प्रतिबंध ऐसे समय में लगाए गए हैं जब म्यांमार की सेना रूस के साथ संबंध मजबूत कर रही है.

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यूरोपीय संघ ने सोमवार को मानवाधिकारों के हनन को लेकर म्यांमार के सैन्य जुंटा प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों पर नए प्रतिबंध लगाए हैं. 27 सदस्यीय ब्लॉक ने आठ अधिकारियों पर यात्रा प्रतिबंध लगाया है और म्यांमार की सेना से जुड़ी चार "आर्थिक संस्थाओं" पर कार्रवाई की है. यूरोपीय संघ ने "लोकतंत्र और कानून के शासन की अवहेलना करने और गंभीर मानवाधिकारों के हनन" के लिए म्यांमार के अधिकारियों की आलोचना की है.

सेना द्वारा नियंत्रित कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का उद्देश्य सैन्य जुंटा को आर्थिक रूप से चोट पहुंचाना है. ईयू ने सोमवार को एक बयान में कहा, "इस कदम का उद्देश्य म्यांमार के प्राकृतिक संसाधनों से लाभ उठाने की सेना की क्षमता को सीमित करना है. प्रतिबंध इस तरह से लगाए गए जिससे म्यांमार की जनता को कोई नुकसान न पहुंचे."

ब्रिटेन ने भी सोमवार को म्यांमार की तीन कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगा दिए. इनमें से एक सरकारी स्वामित्व वाली मोती का काम करने वाली कंपनी है और दूसरी लकड़ी का कारोबार करने वाली कंपनी है.

मास्को के साथ मजबूत होते संबंध
प्रतिबंध ऐसे वक्त में लगाए गए हैं जब सैन्य जुंटा मदद के लिए रूस की ओर देख रहा है. इस सप्ताह मॉस्को में एक अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सम्मेलन से पहले सैन्य जुंटा नेता मिन ऑन्ग ह्लाइंग ने सोमवार को रूसी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रमुख निकोलाई पेट्रोसोव से मुलाकात की.

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने आतंकवाद, क्षेत्रीय सुरक्षा और म्यांमार के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की. दोनों देशों ने "द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने की इच्छा" दोहराई.

रूस, म्यांमार की सेना को हथियारों का प्रमुख सप्लायर है. इसी साल फरवरी में आंग सान सू ची के नेतृत्व वाली सरकार को उखाड़ फेंकने और म्यांमार में सत्ता पर कब्जा करने के बाद से यह ह्लाइंग की दूसरी मॉस्को यात्रा है.

म्यांमार की राजनीतिक स्थिति
म्यांमार की सेना ने 1 फरवरी को सैन्य तख्तापलट कर दिया था और स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची और उनके सत्तारूढ़ एनएलडी के अन्य सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया था. विद्रोह से पहले, सेना ने सू ची की पार्टी पर पिछले साल के चुनाव में धांधली का आरोप लगाया था.

सू ची पर इस समय अपने अंगरक्षकों के लिए अवैध रूप से वॉकी-टॉकी आयात करने और कोरोना महामारी के नियमों का उल्लंघन करने का मुकदमा चल रहा है. उन पर भ्रष्टाचार और अन्य अपराधों का भी आरोप लगाया गया है, लेकिन सू ची समर्थकों का कहना है कि आरोप राजनीति से प्रेरित हैं और उनका उद्देश्य उन्हें पद पर दोबारा लौटने से रोकना है.

सू ची के वकीलों ने सोमवार को कहा कि उनके खिलाफ पेश किए गए कुछ सबूत झूठे हैं. विद्रोह के बाद से सेना ने प्रदर्शनकारियों और विरोधियों पर हिंसक कार्रवाई की है. एक प्रमुख मानवाधिकार समूह का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में सुरक्षा बलों ने 860 से अधिक लोगों को मार डाला है, जबकि 4,500 से अधिक लोगों को जेल में डाल दिया है.

अमेरिका भी म्यांमार के साथ व्यापार समझौता रोक चुका है और उसने कई आर्थिक प्रतिबंध भी लगाए हैं. मार्च के महीने में अमेरिका ने 2013 के व्यापार और निवेश फ्रेमवर्क समझौते के तहत म्यांमार से हर तरह के व्यापार पर रोक लगा दी थी. इस समझौते के तहत दोनों देश व्यापार और निवेश के मोर्चों पर एक दूसरे के साथ सहयोग कर रहे थे ताकि म्यांमार को वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ा जा सके. यह समझौता कुछ समय पहले देश को लोकतंत्र की तरफ लौटने की अनुमति देने के सेना के फैसले का इनाम था, लेकिन इस प्रक्रिया को सैन्य तख्तापलट ने अचानक रोक दिया.

एए/वीके (एएफपी, रॉयटर्स)

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