अंतरराष्ट्रीय

रूस-यूक्रेन युद्ध में डीपफ़ेक राष्ट्रपति का भी हो रहा है इस्तेमाल
19-Mar-2022 9:13 AM
रूस-यूक्रेन युद्ध में डीपफ़ेक राष्ट्रपति का भी हो रहा है इस्तेमाल

इमेज स्रोत,OTHER, यूक्रेन के टीवी नेटवर्क यूक्रानिया 24 की वेबसाइट को हैक करके राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का ये डीपफ़ेक वीडियो पोस्ट किया गया.

-जेन वेकफील्ड

ट्विटर पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का एक ऐसा डीपफ़ेक वीडियो पोस्ट किया गया जिसमें वो युद्ध समाप्त करने की घोषणा कर रहे हैं.

इसी बीच, इस सप्ताह यूट्यूब और मेटा ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की का एक डीपफ़ेक वीडियो हटाया जिसमें वो रूस के समक्ष आत्मसमर्पण की बात कर रहे हैं.

युद्ध में दोनों ही पक्ष प्रभावित करने वाले मीडिया कंटेंट का इस्तेमाल कर रहे हैं. सवाल उठता है कि इस युद्ध में ग़लत जानकारियों को लेकर ये डीपफ़ेक वीडियो क्या दर्शाते हैं.

राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का डीपफ़ेक बहुत विश्वसनीय नहीं था और यूक्रेन में बहुत से लोगों ने इसे मज़ाक में लिया.

इस वीडियो में वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की एक पोडियम के पीछे से बोल रहे हैं. वे यूक्रेन के लोगों से हथियार डालने के लिए कह रहे हैं. वीडियो में उनका सिर शरीर के मुक़ाबले अधिक बड़ा और धुंधला नज़र आ रहा है. यही नहीं उनकी आवाज़ भी अधिक ग़हरी सुनाई दे रही है.

अपने अधिकारिक इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में असली राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने इस वीडियो को बचकाना हरकत बताया है.

लेकिन यूक्रेन के सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक कम्यूनिकेशन ने चेतावनी दी है कि रूस की सरकार ऐसे ही डीपफ़ेक वीडियो का इस्तेमाल करके यूक्रेन के लोगों को हथियार डालने के लिए उकसा सकती है.

मेटा के सिक्यूरिटी पॉलिसी प्रमुख नैथेनियल ग्लाइशर ने ट्विटर पर कई सिलसिलेवार ट्वीट कर के बताया है कि उन्होंने तुरंत डीपफ़ेक वीडियो की समीक्षा की और इसे भ्रामक मीडिया को लेकर कंपनी की पॉलिसी के तहत हटा दिया गया.

वहीं यूट्यूब का भी कहना है कि उसने भी भ्रामक जानकारियों को लेकर अपनी नीति के तहत इस वीडियो को हटा दिया है.

डीपफ़ेक्स किताब की लेखिका नीना श्चिक के मुताबिक ज़ेलेंस्की के वीडियो को डिलीट करना सोशल मीडिया कंपनियों के लिए आसान जीत की तरह था क्योंकि ये वीडियो इतना बदतर था कि इसे आम दर्शकों ने भी आसानी से पकड़ लिया.

वे कहती हैं कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इस वीडियो से निबटने के लिए अपनी पीठ थपथपा सकते हैं लेकिन ये प्लेटफॉर्म दूसरी भ्रामक जानकारियों से निबटने के लिए बहुत कुछ नहीं कर रहे हैं.

"युद्ध को लेकर बहुत सी भ्रामक जानकारियां हैं जिन्हें अभी तक झूठ नहीं ठहराया गया है. भले ही ये वीडियो बहुत ख़राब और क्रूड हों लेकिन नज़दीकी भविष्य में मामला इतना आसान नहीं होगा."

वे कहती हैं, "बावजूद इसके ये वीडियो विश्वसनीय मीडिया में भरोसा कम तो करेगा ही."

नीना श्चिक कहती हैं, "लोग ये मानने लगेंगे कि कुछ भी फ़र्ज़ी या फ़ेक हो सकता है."

"ये एक नया हथियार है और दृश्यों के ज़रिए झूठ फैलाने का संभावित तरीक़ा है और हर कोई इसका इस्तेमाल कर सकता है."

मृत रिश्तेदारों के एनिमेशन बनाने का टूल बहुत चर्चित हुआ है और मॉय हेरिटेज़ वेबसाइट अब डीपफ़ेक के बोलने की क्षमता भी दे रही है.

डीपफ़ेक तकनीक कई चेहरे
रिश्तेदारों के पुराने तस्वीरों से डीपफ़ेक एनिमेशन बनाने वाला टूल बहुत चर्चित हुआ है और अब इसे बनाने वाली कंपनी मॉयहेरिटेज एक नया फ़ीचर लाइवस्टोरी लेकर आई हैं जिसके जरिए चरित्र बोल भी सकते हैं.

लेकिन पिछले साल जब दक्षिण कोरिया के प्रसारक नेटवर्क एमबीएन ने बताया कि वो अपनी एक न्यूज़रीडर किम जू हा के डीपफ़ेक का इस्तेमाल कर रहा है तब इसे लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया हुई थी.

कुछ लोग इस बात से प्रभावित थे कि वो कितना असली दिख रहीं थीं जबकि बाकी ये चिंता ज़ाहिर कर रहे थे कि इससे किम जू हा की नौकरी जा सकती है.

डीपफ़ेक तकनीक के ज़रिए अब पोर्न वीडियो भी बनाए जा रहे हैं. कुछ वेबसाइटें यूजर को तस्वीरों को न्यूड करने की तकनीक भी दे रही हैं.

और इसका इस्तेमाल व्यंग्य के लिए भी किया जा सकता है. पिछले साल चैनल 4 ने महारानी का डीपफ़ेक बनाकर नए साल का संदेश साझा किया था.

हालांकि राजनीति के क्षेत्र में अभी डीपफ़ेक का इस्तेमाल दुर्लभ ही है.

अगर डीपफ़ेक पकड़ा ना जाए तो?
विटनेस डॉट ओआरजी के निदेशक सेम ग्रेगरी कहते हैं कि ज़ेलेंस्की का वीडियो डीपफ़ेक की समस्या का अच्छा उदाहरण है.

"ये बहुत अच्छा डीपफ़ेक नहीं था इसलिए शुरुआत में ही पकड़ लिया गया. यूक्रेन ने इसका पर्दाफ़ाश कर दिया था और राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने स्वयं सोशल मीडिया पर इसे फ़र्ज़ी बताया, ऐसे में फ़ेसबुक के लिए इसे हटाना आसान नीतिगत फ़ैसला था."

लेकिन दुनिया के कई हिस्सों में पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की चिंता है कि न ही उनके पास डीपफ़ेक को पकड़ने के टूल हैं और न ही उन्हें डीबंक (फ़र्ज़ी ठहराने) करने की क्षमता.

लेकिन बीते साल एक ऑनलाइन डिटेक्टर ने बताया था कि म्यांमार के एक वरिष्ठ राजनेता का एक सही माना गया वीडियो वास्तव में डीपफ़ेक था. इस वीडियो में ये राजनेता भ्रष्टाचार के आरोप स्वीकार करते दिख रहे थे. अभी इस बात को लेकर बहस है कि ये वीडियो असली था या डीपफ़ेक था.

ग्रेगरी कहते हैं, "सौ प्रतिशत सबूत का अभाव और लोगों की ये मानने की अनिच्छा की ये डीपफ़ेक था, वास्तविक माहौल में डीपफ़ेक की चुनौतियों को प्रदर्शित करता है."

"कुछ सप्ताह पहले राष्ट्रपति पुतिन का एक डीपफ़ेक वीडियो आया था और इसे अधिकतर लोगों ने व्यंग्य ही माना था. हालांकि व्यंग्य और भ्रामक जानकारी के बीच रेखा बहुत मोटी नहीं है."

बीबीसी मॉनिटरिंग के शायान सरदारीजादेह का विश्लेषण
बुधवार को यूक्रेन के टीवी चैनल यूक्रानिया 24 के प्रसारण के दौरान ज़ेलेंस्की के वीडियो का ट्रांस्क्रिप्ट सबसे पहले टिकर पर दिखाई दिया.

बाद में इसका स्क्रीनशॉट और पूरा भाषण उसकी वेबसाइट पर नज़र आया.

यूक्रानिया 24 ने बाद में पुष्टि की कि उसकी वेबसाइट और टिकर को हैक कर लिया गया था. बुधवार को अधिकतर समय ये वेबसाइट बंद रही.

बाद में ये वीडियो रूस में टेलीग्राम और रूस के फ़ेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीके पर जमकर शेयर किया गया.

वहां से ये फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी पहुंच गया.

काफ़ी समय से ये चेतावनी दी जाती रही कि डीपफ़ेक तकनीक युद्ध जैसे हालातों में घातक साबित हो सकती है.

हालांकि भरोसेमंद डीपफ़ेक बनाना महंगा और समय लेने वाला काम है.

इस युद्ध में अभी तक पुराने वीडियो और छेड़छाड़ करके बनाए जा रहे मीम अभी तक दुष्प्रचार का सबसे प्रभावी तरीक़ा नज़र आ रहे हैं.

ज़ेलेंस्की का डीपफ़ेक न ही बहुत अच्छे से बनाया गया था और न ही ये भरोसा करने लायक था. अभी तक इतना ख़राब डीपफ़ेक हमने नहीं देखा है.

लेकिन ये ग़ौर करने वाली बात है कि युद्ध के दौरान एक डीपफ़ेक बनाया गया और उसे साझा किया गया है.

हो सकता है कि आगे आने वाले डीपफ़ेक इतने ख़राब न हों.

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