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मां के पास ही रहेगी बेटी, पिता को नियमित मिलने की इजाजत दी हाईकोर्ट ने
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 27 मई। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने भिलाई के एक कारोबारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला दिया है कि वह अपनी मां के साथ अलग रह रही 9 साल की बेटी से नियमित रूप से मिल सकेगा और दादा दादी के साथ भी समय गुजारने का मौका दिया जाएगा। कोर्ट ने कहा पति-पत्नी में अलगाव के बाद सबसे ज्यादा दिक्कत बच्चों को होती है जो माता-पिता का एक साथ प्यार पाने से वंचित हो जाते हैं।
भिलाई के निमिश अग्रवाल और रूही के बीच सन 2007 में विवाह हुआ था। जनवरी 2012 में उनसे एक बेटी पैदा हुई। कुछ समय बाद दोनों के बीच संबंध बिगड़ गए और पत्नी बेटी के साथ अपने मायके आ गई। उसने पति और ससुराल वालों के खिलाफ केस दर्ज करा दिया, जिसके चलते उन्हें जेल जाना पड़ा।
इसके बाद निमिष अग्रवाल ने बेटी की उचित देखभाल के लिए फैमिली कोर्ट में परिवाद दायर कर अपने साथ रखने की इजाजत मांगी। पत्नी ने इसका विरोध किया। फैमिली कोर्ट ने बच्ची को पिता के संरक्षण में देने से मना कर दिया। इस पर बेटी के पिता ने हाईकोर्ट में अपील दायर की। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की डबल बेंच ने पिता को अपनी बेटी से मिलने का अधिकार दिया है, साथ ही पिता के माध्यम से वह अपने दादा-दादी से भी मिल सकेगी।
आदेश में यह बताया गया है कि पिता का बच्ची के साथ मुलाकात किस तरह होगी। प्रत्येक शनिवार और रविवार को 1 घंटे के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बच्ची से पिता और उसके दादा-दादी बात कर सकेंगे। प्रत्येक 15 दिन में शनिवार को पिता अपनी बच्ची को दिनभर अपने पास रख सकेंगे। बच्ची को लेकर उसकी मां दुर्गे फैमिली कोर्ट में सुबह पहुंचेगी और फैमिली कोर्ट में ही शाम को पिता को अपनी बेटी को उसकी मां के पास छोड़ना होगा। इसके अलावा दशहरा, दिवाली, होली और अन्य त्योहारों में भी बच्ची से पिता मिल सकेगा और साथ ले जा सकेगा।