अंतरराष्ट्रीय
![पाकिस्तान: 'मैं और मेरे साथियों ने बाढ़ के पानी से कई लाशें निकाली हैं...' पाकिस्तान: 'मैं और मेरे साथियों ने बाढ़ के पानी से कई लाशें निकाली हैं...'](https://dailychhattisgarh.com/uploads/article/1662215984ownload_(49).jpg)
इमेज स्रोत,MUHAMMAD AWAIS TARIQ इमेज कैप्शन, बहुत सारे लोग पर्याप्त सहायता न मिल पाने के कारण ग़ुस्से में हैं
-स्वामीनाथन नटराजन और अहमन ख़्वाजा
अब धीरे-धीरे पाकिस्तान में बाढ़ पीड़ितों को मदद पहुँचनी शुरू हो गई है.
लेकिन अब भी भयंकर बाढ़ के कारण विस्थापित लाखों लोगों तक मदद नहीं पहुँच पा रही है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री हिना रब्बानी ख़ार ने देश में बाढ़ को 'प्रलय जैसा संकट' बताया है.
उन्होंने कहा, "पाकिस्तान के बेहद ग़रीब लोग न के बराबर कार्बन उत्सर्जन करते हैं लेकिन जलवायु परिवर्तन की सबसे बड़ी मार उन्हें ही पड़ रही है."
पाकिस्तान का एक तिहाई हिस्सा पानी में डूबा हुआ है. बाढ़ में अब तक कम से कम एक हज़ार लोग मारे जा चुके हैं. एक अनुमान के मुताबिक पाकिस्तान को बाढ़ से करीब 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है.
'मैंने पानी से लाशें निकाली हैं'
बीबीसी ने पाकिस्तान में कुछ ऐसे लोगों से बात की है जिन्होंने अपना सबकुछ गंवा दिया है.
अब इन लोगों को किसी भी तरह की मदद का इंतज़ार है.
मोहम्मद अवेस तारिक़ कहते हैं, "मेरे यहाँ कई लोगों की मौत हुई है. मैं और मेरे साथियों ने बाढ़ के पानी से 15 से अधिक लाशें निकाली हैं."
बीस वर्षीय मोहम्मद अवेस तारिक़ डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे हैं और इस्लामाबाद से 490 किलोमीटर दूर तौंसा शरीफ़ नाम के क़स्बे में रहते हैं.
क़स्बे का अधिकतर हिस्सा जलमग्न है. इसी में शहर का कब्रिस्तान भी शामिल है.
बाढ़ की मार झेल रहे कई लोग ख़ुद को प्लास्टिक शीट से ढक कर ही काम चला रहे हैं. नीचे बाढ़ का पानी और आसमान से गिरती बारिश लोगों को राहत की सांस नहीं लेने दे रही है
"कब्रिस्तान में कोई सूखी जगह बची ही नहीं है. पूरा इलाक़ा पानी में डूबा पड़ा है. इसलिए हमने फ़ैसला किया कि मृतकों को उनके घर में दफ़ना दिया जाए."
बाढ़ के पानी में डूब कर मरे कई लोगों को लाशें अब लापता हैं. इन्हीं लाशों को खोजते हुए तारिक़ को एहसास हुआ कि बाढ़ के विषय में कोई पूर्वानुमान या चेतावनी न होने के परिणाम कितने भयंकर हो सकते हैं.
तारिक़ बताते हैं, "मैंने अपने शहर के करीब एक गांव में एक पांच साल के बच्चे को कीचड़ से सना हुआ पाया. मुझे वहां लोगों ने बताया कि कुछ ही घंटे पहले फ़्लैश फ़्लड आया था और उसमें ये बच्चा और उसके पिता फंस गए थे."
"पिता ने किसी तरह से बच्चे को तो सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दिया लेकिन ख़ुद को नहीं बचा पाए."
गांव वालों ने किसी तरह से पिता के शव को निकाल लिया और लड़का अब अपनी मां के पास सुरक्षित है.
तारिक़ बताते हैं, "10 से 22 अगस्त के बीच हमारा इलाक़ा जलमग्न था. लेकिन अब बारिश रुक गई है. और पानी का स्तर नीचे आ रहा है."
तारिक़ ने ये भी बताया कि अब गांव के लोग शहरों का रुख़ कर रहे हैं ताकि पानी से बचाव हो सके और कहीं सिर छिपाने के लिए सुरक्षित जगह मिल जाए. और इस वजह से उन जगहों पर भी असर पड़ रहा है जो शुरुआत में बाढ़ से बच गई थीं.
तारिक़ का ख़ुद का घर पानी में डूबा पड़ा है. उनके क़स्बे में कई लोगों के घर पानी में पूरी तरह से डूबे पड़े हैं. लेकिन क़रीब एक हफ़्ते बाद बिजली लौट आई है जिससे स्थानीय लोगों को राहत है.
'झील के पानी से बह गए कई घर'
34 वर्षीय पीरज़ादा प्रॉपर्टी डीलर हैं और ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह प्रांत के बुनी इलाक़े में रहते हैं.
पीरज़ादा कहते हैं, "मेरे इलाक़े में कम से कम छह गांव बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित हैं. बहुत सारे लोगों के घर तबाह हो गए हैं. सौ से अधिक घर बाढ़ में बह गए हैं."
"बाढ़ का का पानी बुनी इलाक़े में तो नहीं पहुँचा है पर आस-पास के गांवों में भीषण तबाही हुई है. यहां भारी बारिश हुई है. साथ ही कुछ झीलों का पानी भी उफान पर रहा है. इन सभी कारणों से भयंकर बाढ़ आई है."
पीरज़ादा कहते हैं कि आस-पास के गांवों में किसी के मरने की तो उन्हें जानकारी नहीं है लेकिन उनके यहाँ सैकड़ों लोग विस्थापित हो चुके हैं और वे सभी अब टेंटों मे रह रहे हैं.
उन्होंने बीबीसी को बताया कि बहुत सारे घरों में घुटने तक कीचड़ भरा हुआ है और लोगों को पीने के पानी और ज़रूरत के बाक़ी सामान की भारी क़िल्लत है.
पीरज़ादा कहते हैं कि उनके क़स्बे में ग्लेशियर से बनी झील के पानी से सैंकड़ों घर डूब चुके हैं
'हम बाढ़ प्रभावित नहीं हैं इसलिए मदद कर रहे हैं'
पीरज़ादा ने बीबीसी को बताया, "लोगों को ठंड से बचने के लिए स्वेटर चाहिए, कंबल चाहिए क्योंकि यहां काफ़ी ठंड हो गई है. सितंबर के अंत तक यहाँ का तापमान शून्य से नीचे चला जाएगा. तब लोग टेंटों में नहीं रह पाएंगे."
पाकिस्तान पंजाब के गुजरात ज़िले के मुबीन अंसार ने भी बीबीसी से बात की.
वो बताते हैं कि उनके यहाँ बाढ़ नहीं आई है. वे उन लोगों को मदद में व्यस्त हैं जो बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं.
"दरअसल हमारे इलाक़े में कोई बाढ़ नहीं है. इतनी बारिश भी नहीं हुई है. अब हम अपने लोगों से बाढ़ प्रभावितों की मदद की गुहार कर रहे हैं."
हर संभव मदद की कोशिश
मुबीन 300 लोगों के अपने गांव से बाढ़ पीड़ितों के लिए कपड़े इकट्ठा कर रहे हैं.
"हम लोगों से मदद मांगने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं. हम मस्जिद में भी राहत सामग्री जमा कर रहे हैं. "
अंसार बताते हैं कि उन लोगों ने अब तक कपड़ों, चावल और दालों से भरा एक ट्रक बाढ़ पीड़ितों को दान कर दिया है.
"हम अब बेबी फ़ूड और सैनेटरी नैपकिन ख़रीदने की योजना बना रहे हैं."
अंसार के गांव वालों ने लोगों की मदद के लिए करीब चार लाख रुपये भी जमा किए हैं. अंसार और उनके दोस्त हर संभव मदद की कोशिश कर रहे हैं. (bbc.com/hindi)