खेल

किलियन एमबापेः फ़ुटबॉल के जुनून से दमकते सितारे की कहानी
20-Dec-2022 8:43 AM
किलियन एमबापेः फ़ुटबॉल के जुनून से दमकते सितारे की कहानी

-जूलियन लॉरेंज़

कई मायनों में दुनिया किलियन एमबापे के क़दमों में है. रविवार को वर्ल्ड कप में अर्जेंटीना से मिली उनकी फ़्रांसिसी टीम को पेनाल्टी शूटआउट में हार के बावजूद, एमबापे हैट्रिक लगाकर दुनिया भर में चर्चाओं के केंद्र में है.

23 साल के एमबापे ने जो कल किया है उस पर कई सुपरस्टार बस रश्क कर सकते हैं. किसी भी खिलाड़ी के लिए वर्ल्ड कप के फ़ाइनल में हैट्रिक लगाना एक सपने-सा हो सकता है. एमबापे ने वही किया है.

बस उनकी टीम जीत जाती तो सोने पर सुहागा हो जाता.

तो आख़िर क्या है एमबापे की कहानी?

फ़ुटबॉल के लिए उनके जुनून को समझने के लिए आइए शुरुआत करते हैं उनके बचपन से.

फ़्रांस की नंबर टेन जर्सी पहनने वाले एमबापे पेरिस के उत्तर के छोटे से शहर बॉन्डी में पैदा हुए थे. एमबापे के परिवार में उनके अलावा उनके पिता विलफ़्रेड, मां फ़ैज़ा और गोद लिया भाई केंबो इकोको हैं.

ये परिवार बॉन्डी फ़ुटबॉल क्लब के घरेलू मैदान के ठीक सामने रहता था. यहीं उनके सबसे छोटे भाई एथन का जन्म हुआ था. सिर्फ़ सड़क पार करनी थी कि एमबापे फ़ुटबॉल के ग्राउंड में होते थे. वो घंटों अपने दोस्तों के साथ सिर्फ़ फ़ुटबॉल खेलते.

उनके पिता विलफ़्रेड लोकल क्लबों से जुड़े हुए थे. उन्होंने कई टीमों को कोचिंग भी दी थी. इलाक़े में उनका ख़ासा सम्मान था. पेरिस के फ़ुटबॉल क्लबों में भी उनकी साख अच्छी थी.

विलफ़्रेड के बेटे एमबापे को फ़ुटबॉल के अलावा कुछ पसंद नहीं था. वो तो बस अपने पिता के आस-पास मंडराते रहते और जिन टीमों को पिता कोच करते वहां जमकर फ़ुटबॉल खेलते रहते.

घर में हर चीज़ फ़ुटबॉल के इर्द-गिर्द घूमती थी, फिर चाहे टीवी पर मैच देखने हों, दोस्तों के साथ मैच खेलने हों या स्कूल की फ़ुटबॉल टीम के लिए खेलना हो…

एमबापे की हर सांस फ़ुटबॉल था. उनके कमरे की दीवारों पर क्रिस्टियानो रोनाल्डो के पोस्टर अटे पड़े थे. रोनाल्डो को एमबापे अपना आदर्श मानते हैं.

शुरू में ही ये साफ़ हो गया था कि एमबापे के पास फ़ुटबॉल का गिफ़्ट है.

बहुत जल्द उनके हुनर की चर्चा सारे पेरिस में फैलने लगी. फ़्रांस के हर क्लब और कई बड़ी यूरोपीय टीमों के स्काउट भी एलर्ट थे.

लेकिन एमबापे तो एक योजना पर काम कर रहे थे. परिवार भी चाहता था कि किलियन आने वाले कुछ वर्षों तक फ़्रांस में ही रहें. हालांकि अंतरराष्ट्रीय एक्सपोज़र को इनकार करना आसान नहीं रहा.

तो परिवार ने आख़िर में 11 साल के एमबापे के लिए इंग्लैंड के चेल्सी क्लब का ऑफ़र स्वीकर कर लिया. चेल्सी किलियन को एक हफ़्ते की ट्रेनिंग के लिए अपने साथ ले गया. उसके बाद किलियन ने 12 साल की उम्र में रियाल मैड्रिड के साथ भी एक सप्ताह बिताया.

यूरोप के इन दोनों बड़े क्लबों ने किलियन के मां-बाप को मनाने की कोशिश की लेकिन वे न तो अपने बेटे को लंदन भेजना चाहते थे और नहीं मैड्रिड. हांलाकि ये क्लब मुंहमांगी क़ीमत देनें को तैयार बैठे थे.

लेकिन परिवार अपने सितारे को अभी और परखना चाहता था. वो जहां भी गया, सबसे बेहतरीन साबित हुआ. पेरिस की अभिजात एकेडमी क्लोयरफ़ोंते में भी वो सबसे बढ़िया खिलाड़ी साबित हुए.

सैकड़ो 13 वर्षीय बच्चों में से चुनकर आए खिलाड़ी इस नामचीन एकेडमी में दो साल बिताते हैं. और वीकेंड में छोटे-मोटे क्लबों के साथ मैच खेले जाते हैं. कई बार प्रोफ़ेशनल क्लब भी आते हैं. उन्हें कोई खिलाड़ी पसंद आए तो उसका करियर संवर जाता है.

इस एकेडमी में एमबापे का हुनर देखकर कई क्लब उनके पीछे पड़ गए. लेकिन उनका इरादा एकेडमी में पूरे दो साल बिताने के बाद ही अगला क़दम तय करने का था.

सेएन क्लब को एक बार लगा कि एमबापे उनके पास आ रहे हैं पर ऐन वक़्त पर उन्होंने मोनाको को चुना. मोनाको ने वादा किया था कि उन्हें जल्द ही मुख्य टीम में खिलाया जाएगा. 15 साल के एमबापे को और क्या चाहिए था. फ़ुटबॉल के लिए उनका जुनून हदों के बाहर था.

मोनाको में वो युवा टीमों में शामिल किये जाने लगे थे. लेकिन उनका सपना तो अपने आदर्श यानी रोनाल्डो की तरह चैंपियन्स लीग में खेलने का था.

एमबापे को मिली बेतहाशा कामयाबी को समझने के लिए उनके परिवार को समझना पड़ेगा. सारा परिवार हमेशा उनके साथ रहा. एमबापे मोनाको गए तो सभी वहीं चले गए.

जब बेहतरीन खेल खेलने के बाद भी उन्हें मोनाको में बड़ों की टीम में अवसर नहीं दिया गया तो उन्होंने इसका पुरज़ोर विरोध किया.

आख़िरकार दिसंबर 2015 में मोनाको फ़ुटबॉल क्लब के कोच लियानार्डो जार्डिम ने एमबापे को अवसर दिया. 16 साल 347 दिन की उम्र में मोनाको के लिए खेलकर उन्होने थॉरी ऑनरी का सबसे कम उम्र का क्लब खिलाड़ी होने का रिकॉर्ड तोड़ दिया था.

जल्द ही उन्होंने मोनाको क्लब के लिए सबसे युवा गोलस्कोरर बनने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया.

उसके बाद तो उन्हें कोई नहीं रोक पाया. पहली बार 15 मार्च 2017 को, 18 साल 95 दिन की उम्र में उन्हें फ़्रांस की राष्ट्रीय टीम के लिए खेलने का मौक़ा मिला. अगले ही मैच में एमबापे ने अपना पहला गोल कर दिया.

इसके बाद तो सारे यूरोप के क्लबों में उन्हें साइन करने की होड़ लग गई.

रियाल मैड्रिड ने तो एमबापे को अपने साथ मिलाने के लिए भरसक कोशिश की. क्लब कई ट्रायल करवाए, फ्रैडली मैच खिलवाए, ज़िडान और रोनाल्डो से मिलवाया. क्लब ने उन्होंने लुभावने ऑफ़र दिए लेकिन कुछ काम नहीं आया.

अंत में एमबापे ने फ़्रांस के नामचीन क्लब पीएसजी को चुनाव. 13 करोड़ पाउंड की इस डील के बाद, पीएसजी ने पांच से चार लीग वन टाइटल जीते हैं.

और जैसे कि अंग्रेज़ी में कहते हैं- द रेस्ट इज़ हिस्ट्री. (bbc.com/hindi)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news