खेल

लियोनेल मेसी ने वर्ल्ड कप उठाया तो भारतीय फैन्स को सचिन तेंदुलकर क्यों याद आए
20-Dec-2022 9:49 AM
लियोनेल मेसी ने वर्ल्ड कप उठाया तो भारतीय फैन्स को सचिन तेंदुलकर क्यों याद आए

लियोनेल मेसी ने अर्जेंटीना के लिए 36 साल बाद फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप जीता और न केवल उनके देश का बल्कि ख़ुद इस स्टार फ़ुटबॉल खिलाड़ी के लिए एक ऐसा सपना पूरा हुआ जो उन्होंने एक लंबे अरसे से संजोया हुआ था.

सात बार बैलॉन डोर जीतने वाले मेसी, 10 बार ला लीगा खिताब और चार बार चैंपियन्स लीग खिताब जीतने वाली टीम में शामिल रहे हैं.

क़तर में रविवार को खेले गए फ़ाइनल से पहले वर्ल्ड कप के सिवा मेसी के नाम फ़ुटबॉल की हर बड़ी मौजूदा उपलब्धि मौजूद थी.

यहां तक कि अर्जेंटीना को भी वर्ल्ड कप जीते 36 साल हो गए थे. अर्जेंटीना ने 1986 में इससे पहले मैराडोना के नेतृत्व में वर्ल्ड कप जीता था.

अर्जेंटीना की टीम बेहतरीन फ़ुटबॉल खेलती है और इस साल भी यह टीम मजबूत प्रदर्शन कर रही थी लेकिन टीम को वर्ल्ड चैंपियन का खिताब जीतने के लिए कुछ अलग करने की ज़रूरत थी. इस वर्ल्ड कप में मेसी के 'मिडास टच' ने वो ज़रूरी करामात भी कर डाला.

जीत के बाद मेसी की आंख से आंसू बहते दिखे. अपनी टीम के साथ वे इस जीत के जश्न में शामिल हुए. पूरी टीम का स्टेडियम में दर्शकों ने अभिवादन किया.

जीत का तोहफ़ा मां ने मेसी को गले लगा कर दिया. कुछ देर के बाद मेसी के पिता भी मैदान में दिखे. फिर उनकी पत्नी और बच्चे भी आ गए.

मेसी के बच्चों के चेहरे पर ये भाव साफ़ झलक रहा था कि उनके पिता ने कोई बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की है. यह मेसी का छठा वर्ल्ड कप था. वे पहले ही यह एलान कर चुके हैं कि ये उनका आखिरी वर्ल्ड कप होगा.

ग्रेटेस्ट ऑफ़ ऑल टाइम
हालांकि इस मुक़ाबले से पहले तक मेसी के लिए GOAT यानी ग्रेटेस्ट ऑफ़ ऑल टाइम का इस्तेमाल नहीं किया गया. लेकिन मैच के बाद प्रीमियर लीग के स्टार फ़ुटबॉलर ने मेसी के लिए GOAT शब्द का इस्तेमाल किया.

फ़ाइनल में रविवार को मेसी ने गोल करने की अपनी जबरदस्त क्षमता का प्रदर्शन किया.

मेसी के करियर पर नज़र दौड़ाते हुए दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमी खेल के एक और बड़े दिग्गज को याद करने लगे.

वो दिग्गज खिलाड़ी हैं भारत के मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर.

तारीख़- 2 अप्रैल, 2011. वेन्यू- वानखेड़े स्टेडियम, मुंबई.

तब सचिन के नाम 10,000 से अधिक रन थे.

सचिन तब क्रिकेट के कई प्रतिष्ठित टूर्नामेंट जीतने वाली टीम के सदस्य भी रह चुके थे. मैच फिक्सिंग की आंधी के बाद वो भारतीय क्रिकेट की छवि को दुरुस्त करने वाले खिलाड़ियों की अगुवाई करने वालों में से थे. तब वो कप्तानी का कांटों भरा ताज भी पहन चुके थे.

मिडिल ऑर्डर से ओपनर के किरदार में नई गेंद का सामना करने और बड़े से बड़े गेंदबाज़ की गेदों पर चौके छक्के जड़ने और शतकों का अंबार लगाने का कारनामा कर रहे थे. यह वो शख़्स थे जिनके ईर्द-गिर्द भारतीय क्रिकेट की बल्लेबाज़ी घूमा करती थी.

सचिन भारतीय क्रिकेट का वो नाम थे कि जब मैच में वो आउट हो जाते तो घरों के टीवी सेट भी बंद कर दिए जाते थे.

सचिन के नाम इतना कुछ तब था लेकिन वर्ल्ड कप जीतने का सौभाग्य तब उन्हें प्राप्त नहीं था.

1983 में कपिल देव के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट टीम ने वेस्टइंडीज जैसी मजबूत टीम को हरा कर पहली बार वर्ल्ड कप जीता था. तब सचिन केवल 10 साल के थे.

वहीं जब 2007 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम ने टी20 वर्ल्ड कप जीता तब सचिन तेंदुलकर समेत टीम के सभी सीनियर खिलाड़ियों को आराम दिया गया था और वो टीम में शामिल नहीं थे.

2011 में क्या हुआ था?
सचिन तेंदुलकर 1992 से पांच वर्ल्ड कप खेल चुके थे. अब 2 अप्रैल 2011 को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम यानी अपने घरेलू मैदान पर भारतीय टीम वर्ल्ड कप का फ़ाइनल खेल रही थी.

टीम ने सचिन तेदुलकर के लिए वर्ल्ड कप जीतने की ठानी थी. दर्शकों का समर्थन जबरदस्त था.

टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और कोच गैरी कर्स्टन की जोड़ी ने खिलाड़ियों को उनके प्रदर्शन के लिए पूरी छूट दे रखी थी. खुल कर खेलने और मैच को एन्जॉय करने का संदेश था. अपनी खराब सेहत के बावजूद युवराज सिंह ने मैच में ज़ोरदार खेले.

पूरे टूर्नामेंट में युवराज सिंह ने बल्ले, गेंद और फील्डिंग में बेहतरीन प्रदर्शन किया था. उस टूर्नामेंट के हर मैच में टीम को एक नया हीरो मिल रहा था. कभी ज़हीर ख़ान तो कभी सुरेश रैना, तो कभी गौतम गंभीर.

भारतीय टीम ने दिखाया कि पूरी टीम अगर एकजुट हो कर प्रदर्शन करे को नतीजा किस कदर सकारात्मक होता है.

जब टीम इंडिया के साथ-साथ सचिन जीते
फ़ाइनल में भारतीय टीम 274 रनों का पीछा कर रही थी, सचिन उस मैच में अपने कद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर सके. लेकिन गौतम गंभीर और महेंद्र सिंह धोनी ने शानदार साझेदारी की और टीम को चैंपियन बना ले गए. जीत के बाद सचिन तेंदुलकर को खुशी में आंसू बहाते देखा गया.

उन्होंने युवराज सिंह को गले लगाया. वो तस्वीर आज भी क्रिकेट प्रशंसकों के जेहन में क़ैद है. सचिन ने अपने हाथ में तिरंगा थामा तो युसूफ़ पठान ने उन्हें कंधे पर उठा लिया और मैदान के चक्कर लगाने लगे और मास्टर ब्लास्टर दर्शकों का अभिवादन स्वीकार करते रहे.

पूरा स्टेडियम क्रिकेट के इस दिग्गज को सलाम करने लगा. सचिन ने वर्षों तक क्रिकेट की दुनिया में अपनी बल्लेबाज़ी से कई रिकॉर्ड बनाए.

दोनों पर लाखों लोगों की उम्मीदें लदी रहती थीं
अर्जेंटीना दक्षिण अमेरिका में एक देश है. तो भारत में क्रिकेट की पूजा होती है. उनका हीरो मेसी है तो यहां सचिन तेंदुलकर को 'भगवान' की संज्ञा तक दी गई.

क्रिकेट और फ़ुटबॉल दोनों ही अलग खेल हैं. हालांकि दोनों ही दिग्गजों के लिए अपने सपने को पूरा करने का तरीक़ा एक जैसा रहा. मेसी ने अपनी ताक़त दिखाई और अपने आखिरी वर्ल्ड कप मैच में गोल किए तो सचिन ने अपने अंतिम वर्ल्ड कप में दो शतक और दो अर्धशतकों समेत 482 रन बनाए.

दोनों खिलाड़ियों के कंधे पर उनके देश के लाखों लोगों की उम्मीदें लदी रहती थीं. दोनों इस दबाव से थके नहीं. फैन्स के प्यार ने उनकी ताक़त को बढ़ाया ही.

नायाब तोहफा
क़तर के वर्ल्ड कप फ़ाइनल में ऐसा भी पल आया जब (एमबापे ने गोल कर बराबरी कर दी तो) ये लगने लगा कि मेसी का ये सपना अधूरा ही रह जाएगा. कुछ ऐसा ही वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए 2011 के उस फ़ाइनल में भी आया था जब टीम इंडिया ने लक्ष्य का पीछा लड़खड़ाते क़दमों से किया था. लेकिन दोनों ही मुक़ाबले में लगता है कि नीयती ने भी ये तय कर लिया था कि कई वर्षों से चला आ रहा ये सूखा ख़त्म हो जाए.

11 साल के अंतराल पर खेल के दो दिग्गजों ने न केवल अपने सपने पूरे किए बल्कि अपने देश को और प्रशंसकों को वर्ल्ड कप के रूप में लंबे अरसे बाद एक नायाब तोहफा दिया.

जर्सी नंबर-10
रविवार के मुक़ाबले के बाद सचिन तेंदुलकर और मेसी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर लगातार शेयर की जा रही थीं. ख़ुद सचिन तेंदुलकर ने भी मेसी और अर्जेंटीना को ट्वीट कर बधाई दी.

वर्ल्ड कप फ़ाइनल के शुरू होने से पहले सचिन क्रिकट्रैकर के हैंडल के ट्वीट को रीट्वीट भी किया था. वो एक फ़ोटो ट्वीट था जिसमें सचिन तेंदुलकर और लियोनेल मेसी की जर्सी शेयर की थी. मैदान पर दोनों खिलाड़ियों की पहचान 10 नंबर की जर्सी रही है.

दोनों में एक और समानता है. दोनों आठ साल पहले वर्ल्ड कप के फ़ाइनल में उपविजेता टीम के हिस्सा थे. सचिन को जहां 2011 में वर्ल्ड कप की ट्रॉफ़ी उठाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ वहीं मेसी ने अब 2022 में यह ट्रॉफ़ी हासिल की. (bbc.com/hindi)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news