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प्योंगयांग, 10 फरवरी । बुधवार की रात उत्तरी कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में मिसाइलों की ही नुमाइश नहीं हुई. ये किम जोंग-उन के लिए इससे भी बड़ा अवसर था.
इस परेड के ज़रिए वो अपनी बेटी को भी दुनिया के सामने ले आए.
जैसे ही उत्तरी कोरिया के तानाशह ने परेड की सलामी के लिए अपनी जगह ली उनके साथ काली ड्रेस में एक बच्ची भी थी. माना जाता है कि वो किम जोंग की दूसरी औलाद है और उनका नाम है किम जू-एई. उनकी उम्र 10 साल बताई जाती है.
बीते तीन महीनों में वे पांचवी बार सार्वजनिक रूप से दिखी हैं. इस छोटे से वक्त में किम जू-एई में कई बदलाव आए हैं. ये बदलाव इस बाती की ओर संकेत देते हैं कि शायद उन्हें किम जोंग उन के उत्तराधिकारी के तौर पर तैयार किया जा रहा है.
ये बच्ची पहली बार बीते साल नंवबर में एक इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइल के लांच के समय दिखी थीं. तभी फुसफुसाहट शुरू हो गई थी क्या एक दिन यही बच्ची उत्तर कोरिया की लीडर होगी?
लेकिन उस समय ये बात दूर की कौड़ी लग रही थी. सफ़ेद जैकेट और लाल रिबन बांधे उसने अपने पिता का हाथ पकड़ा था और वो नन्हीं सी लग रही थी.
शायद किम जोंग उन ख़ुद को अच्छे पिता के रूप में पेश करना चाहते थे. या शायद वो ये साफ़ करना चाहते थे कि वे अपने जंगी हथियारों और परिवार के साथ सुरक्षित हैं और कोरिया पर उनका नियंत्रण मजबूत है.
लेकिन हर बार किम जू-एई, पहले से ही अधिक प्रभावी नज़र आई हैं.
'सम्मानित बेटी' होने का मतलब
परेड से पहले मंगलवार की रात वो उत्तरी कोरिया को शीर्ष मिलिट्री अधिकारियों के साथ एक भोज में भी शामिल हुईं. उन्होंने सफ़ेद शर्ट और काली स्कर्ट पहली थी. उत्तर कोरिया के मामले में दिलचस्पी रखने वाले जानकारों के लिए ये सब हैरान करने वाला था.
अपनी मां और पिता के बीच बैठी हर तस्वीर में ये बच्ची आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी. दूसरी दिलचस्प बात इसी बच्ची के वर्णन में प्रयोग की गई भाषा है.
उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया ने पहले उन्हें किम जोंग-उन की प्रिय बेटी कह कर संबोधित किया. लेकिन मंगलवार पर सैन्य भोज के दिन उन्हें 'सम्मानित बेटी' कहा गया.
उत्तर कोरिया में 'सम्मानित' एक ऐसा विश्लेषण है जो सिर्फ़ बेहद इज़्ज़तदार लोगों के नाम के आगे लगाया जाता है.
किम जोंग-उन के नाम के आगे भी सम्मानित तभी लगा था जब उनका नाम नेता के रूप में पक्का हो गया था.
अपनी स्थापना के बाद से ही उत्तर कोरिया पर, किम परिवार की तीन पीढ़ियों का शासन रहा है. वहां के लोगों को बताया जाता है कि किम परिवार एक पवित्र ख़ानदान है और वही उन पर राज करने का हक़दार है.
किम जोंग-उन पूरी कोशिश करेंगे कि वे अपने परिवार की चौथी पीढ़ी को देश की बागडोर दें.
इतनी जल्दबाज़ी क्यों?
लेकिन मिस जू-एई को इतनी छोटी उम्र में ही उत्तराधिकारी बनाने की जल्जबाज़ी क्यों? देश के नेता किम जोंग-उन की उम्र अभी 39 साल है. और उनकी बेटी अभी बहुत छोटी है.
बताया जाता है कि किम जोंग-उन आठ साल के थे तभी तय हो गया था कि वे अपने पिता किंग जोंग द्वितीय के उत्तराधिकारी बनेंगे.
ये बात भी सेना के शीर्ष नेताओं को निजी तौर पर बताई गई थी. लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था. पिता की मौत के एक साल पहले ही ये बात सार्वजनिक की गई. शायद वो अपनी बेटी की राह को आसान करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि जब वो सत्ता संभालने लायक हों तो उनकी स्थिति पहले से मजबूत हो.
और शायद इसलिए भी कि उनकी सेहत बहुत अच्छी नहीं है और उनके पास उतना समय नहीं है जितना हम समझते हैं. हालांकि इन दोनों बातों की पुष्टि असंभव है. लेकिन एक और कारण हो सकता है.
उत्तर कोरिया की शीर्ष नेता कभी महिला नहीं रही, हालांकि कुछ उच्च पदों पर महिलाएं रही हैं, जैसे किम की बहन किम यो-जोंग बहुत ताज़ा उदाहरण हैं. हो सकता है कि तानाशाह अपने देश को एक महिला शासक के लिए तैयार करना चाहते हों.
उत्तर कोरिया की निगरानी करने वाले एनके न्यूज़ के विश्लेषक जेम्स फ्रेटवेल का कहना है, "हालांकि उत्तर कोरिया पुरुष प्रधान समाज है, लेकिन उससे अहम ये है कि ये किम के दबदबे वाला समाज भी है."
उन्होंने बीबीसी से कहा, "सबसे ज़रूरी है ख़ून का रिश्ता. वही किसी को शीर्ष नेतृत्व का उम्मीदवार बनाएगा. ये हैरानी की बात होगी अगर उत्तराधिकारी किम परिवार के बाहर से कोई हो."
एक महिला को शीर्ष पद पर तभी बिठाया जा सकेगा जब उसे लोग, सेना और देश का संभ्रांत तबका स्वीकार करे.
उत्तरी कोरिया के अगले नेता के रूप में किम जू-एई की नियुक्ति की कोई गारंटी नहीं है लेकिन वो जब-जब सार्वजनिक समारोहों में दिखेंगी, उसकी संभावना बढ़ती जाएगी. (bbc.com/hindi)