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रायपुर, 13 मार्च। सुप्रीम कोर्ट में अभी एक मामला चल रहा है जिसमें कई समलैंगिक लोगों ने शादी का हक मांगा है। अभी हिन्दुस्तान में सिर्फ औरत और मर्द की शादी को कानूनी दर्जा हासिल है, लेकिन समलैंगिक लोग जोड़ों में रहते हैं, और उनमें से बहुत से आपस में शादी भी करते हैं। यह एक अलग बात है कि उन शादियों को कोई कानूनी दर्जा हासिल नहीं है, इसका मतलब यह भी होता है कि इन जीवनसाथियों को एक-दूसरे से किसी तरह की सुरक्षा भी हासिल नहीं होती। अभी सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को एक नोटिस जारी करके एलजीबीटीक्यू समुदाय के सभी तरह की यौन-प्राथमिकताओं के लोगों के बीच शादी को कानूनी दर्जा देने पर उसकी राय पूछी थी। दो दिन पहले केन्द्र सरकार ने इसके खिलाफ राय दी है और कहा है कि वह सिर्फ औरत और मर्द की शादियों की हिमायती है।
इस मुद्दे पर थोड़ी सी चर्चा के लिए छत्तीसगढ़ और बाहर भी लगातार सक्रिय रहने वाली ट्रांसजेंडर सामाजिक कार्यकर्ता विद्या राजपूत से इस अखबार ‘छत्तीसगढ़’ के संपादक सुनील कुमार ने कुछ सवाल किए। इस वीडियो में तमाम सवाल और जवाब हैं, इसका और कोई बखान करना गैरजरूरी होगा।