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-सुचित्र मोहंती
समलैंगिक विवाह की याचिकाओं पर अब सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट में 18 अप्रैल से सुनवाई शुरू होगी.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इस मुद्दे से जुड़ी कई याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कहा, "हम इस मामले की सुनवाई 18 अप्रैल को करेंगे. हम अनुच्छेद 145(3) के तहत इसे संवैधानिक मामले की तरह सुनेंगे.."
सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ये फ़ैसला संसद को करना चाहिए कि सेम सेक्स मैरिज को मान्यता दी जाए या नहीं.
वहीं एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील नीरज किशन कौल ने कहा, "स्पेशल मैरेज एक्ट के अधिनियम की धारा 4 में दो व्यक्तियों के बीच विवाह शब्द का प्रयोग किया गया है."
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि, "सभी पर्सनल लॉ और शादी से जुड़े क़ानूनी प्रावधान केवल औरत और मर्द के रिश्तों को मान्यता देते हैं. जब इसे लेकर एक स्पष्ट क़ानून है और जिसमें ये बात साफ़ की गई है तो क़ानून को फिर से लिखने की न्यायिक दखलंदाज़ी की इजाजत नहीं दी जा सकती है. जब क़ानूनी प्रावधानों में लिंग को स्पष्ट करने वाले 'मर्द' और 'औरत' शब्द इस्तेमाल किए गए हों, अदालतें उनकी व्याख्या करने के नाम पर उन्हें कोई और अर्थ नहीं दे सकती हैं." (bbc.com/hindi)