खेल
विधांशु कुमार
भारतीय क्रिकेट टीम नवनिर्माण के दौर से गुज़र रही है. इसकी दो मुख्य वजह बताई जा सकती हैं.
एक तो टीम के कई वरिष्ठ खिलाड़ी अपने करियर के आख़िरी पड़ाव पर हैं.
हालांकि उनमें से कई अब भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन वो सभी अपने करियर की पीक से नीचे उतर आए हैं और वक़्त तेज़ी से गुज़र रहा है.
दूसरी बड़ी वजह है पिछले कई साल से आईसीसी ट्रॉफ़ी के अकाल ने टीम मैनेजमेंट और फ़ैंस के धीरज के बांध को भी तोड़ दिया है. टीम में नई ऊर्जा की ज़रूरत महसूस की जा रही है और कई क्षेत्रों में बदलाव किए भी जाने लगे हैं.
युवा खिलाड़ियों की खोज में आईपीएल, घरेलू टूर्नामेंट, अंडर-19 और इंडिया ए के मैचों में खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर चयनकर्ताओं की कड़ी नज़र है.
इस लिहाज़ से श्रीलंका में ख़त्म हुआ एशियन क्रिकेट काउंसिल का इमर्जिंग कप टूर्नामेंट काफ़ी अहम रहा है.
जैसा कि इस टूर्नामेंट का नाम था, इसके लिए ऐसे उभरते खिलाड़ियों को चुना गया जिन पर चयनकर्ताओं को लंबे समय तक खेलने का भरोसा है.
टूर्नामेंट में भारत की शानदार शुरुआत रही और इंडिया ए की टीम ने यूएई, नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान को हराते हुए फ़ाइनल में जगह बनाई. लेकिन जहां लीग मुक़ाबले में भारत ने पाकिस्तान को आसानी से 8 विकेटों से हराया था, वहीं फ़ाइनल में भारतीय टीम की हवा निकल गई.
पाकिस्तान ने पहले बैटिंग करते हुए 8 विकेट के नुकसान पर 352 रनों का बड़ा स्कोर बनाया. जवाब में भारतीय पारी 40 ओवरों में 224 पर ही सिमट गई और टीम ने 128 रनों के बड़े अंतर से मैच गंवा दिया.
वैसे फ़ाइनल में ढुलमुल प्रदर्शन ने भारतीय खिलाड़ियों की चमक को फीका कर दिया, लेकिन फिर भी कुछ खिलाड़ी ऐसे रहे जिन्होंने अपनी प्रतिष्ठा में इज़ाफा किया.
नज़र डालते हैं कुछ ऐसे खिलाडियों पर जिन्होंने इस टूर्नामेंट में अपने प्रदर्शन से भारतीय सीनियर टीम के दरवाज़े पर दस्तक दी है.
यश ढुल
इस लिस्ट में सबसे पहला नाम है भारतीय कप्तान यश ढुल का. मिडिल ऑर्डर में, आमतौर पर नंबर चार पर बल्लेबाज़ी करने वाले ढुल ने टूर्नामेंट में कुल 234 रन बनाए और वो सर्वोच्च स्कोरर की लिस्ट में दूसरे नंबर पर रहे.
सबसे ज्यादा 255 रन श्रीलंका के अविष्का फर्नांडो ने बनाए थे लेकिन वो सीनियर प्लेयर्स के अंतरराष्ट्रीय मैच पहले ही खेल चुके है.
ढुल ने यूनाइटेड अरब अमीरात के ख़िलाफ़ 108 नाबाद रन बनाए और बांग्लादेश के विरुद्ध भी उन्होंने 66 रनों की मैच जिताऊ पारी खेली.
दिल्ली से घरेलू क्रिकेट खेलने वाले ढुल बड़ी पारियां खेलने के लिए जाने जाते हैं और एक बार वो जम जाते हैं तो उन्हें आउट करना मुश्किल हो जाता है.
इस टूर्नामेंट की चार पारियों में ढुल 2 बार नॉट आउट रहे और उनका औसत 117 का रहा.
ये औसत टॉप स्कोरर अविष्का के 64 की औसत से कहीं ज्यादा रहा. 50 ओवर के क्रिकेट में भी उन्होंने 100 से ऊपर का स्ट्राइक रेट रखा और 102 के स्ट्राइक से रन बनाए जो दिखाता है कि वो ऐसे बल्लेबाज़ हैं जो बड़े स्कोर्स करते हैं और तेज़ी से रन बनाते हैं.
साई सुदर्शन
साई सुदर्शन ने इस टूर्नामेंट के पांच पारियों में 73 की औसत से 220 रन बनाए. उनका स्ट्राइक रेट भी 99 का रहा जिसे बढ़िया कहा जा सकता है.
एक ओपनर के तौर पर उन्होंने भारतीय टीम को लगभग हर मैच में अच्छी शुरुआत दिलाई. उन्होंने बड़े मैचों में बड़ा दिल दिखाया और जमकर खेले.
पाकिस्तान के खिलाफ़ लीग मैच में उन्होंने 104 रनों की नाबाद पारी खेली और पाकिस्तान के तेज़ गेंदबाज़ों और स्पिनर्स के अटैक को धो डाला.
उनकी पारी की वजह से भारत को पाकिस्तान के खिलाफ बड़ी जीत मिली थी. फाइनल में भी पाकिस्तान के बड़े स्कोर का पीछा करते हुए उन्होंने अच्छी शुरुआत दिलवाई थी लेकिन 29 रनों पर वो आउट हो गए जिसके बाद भारतीय टीम बड़ी पार्टनरशिप नहीं बना सकी.
उनका आउट होना भी विवादों से घिरा रहा क्योंकि वो गेंद शायद नो बॉल थी. साई सुदर्शन के खाते में एक और अच्छी बात जाती है कि वो बाएं हाथ से बैटिंग करते हैं और टीम इंडिया को इसकी बहुत ज़रूरत है क्योंकि आज की तारीख में वनडे के टॉप पांच में उनके पास कोई भी लेफ्ट हैंडर नहीं है.
अभिषेक शर्मा
पंजाब से खेलने वाले ऑलराउंडर अभिषेक शर्मा ने टूर्नामेंट में साई सुदर्शन के साथ बेहतरीन ओपनिंग जोड़ी बनाई.
उन्होंने 5 पारियों में 44.20 की औसत से 221 रन बनाए और टूर्नामेंट में सर्वोच्च स्कोरर की लिस्ट में तीसरे नंबर पर रहे.
उन्होंने इस सिरीज़ में दो अर्धशतक लगाए. नेपाल के विरुद्ध उन्होंने 87 रन बनाए और फ़ाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ़ 61 रन पर आउट हुए.
पिछले कुछ सीज़न से वो आईपीएल में भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. इस साल उन्होंने हैदराबाद के लिए आईपीएल में 11 पारियों में 225 रन बनाए थे. क़रारे औऱ लंबे शॉट्स लगाने वाले शर्मा बाएं हाथ के गेंदबाज़ भी हैं और इमर्जिंग कप में उन्हें 2 विकेट भी मिले.
साई सुदर्शन की ही तरह वो भी लेफ्ट हैंड बैटर हैं और भारतीय टीम के लिए अभी वर्क इन प्रोग्रेस माने जा सकते हैं.
भारतीय मैनेजमेंट मानती है कि मैदान पर चारों तरफ शॉट्स लगाने वाले अभिषेक शर्मा जब अपने पीक पर होंगे तो दुनिया भर के गेंदबाज़ों के लिए सिरदर्द साबित हो सकते हैं.
निशांत सिंधु
एसीसी इमर्जिंग कप ने भारतीय क्रिकेट को जो नया सितारा दिया, उसका नाम निशांत सिंधु है. हरियाणा से खेलने वाले सिंधु इस टूर्नामेंट में सबसे अधिक विकेट लेने वाले बॉलर बने हैं.
उन्होंने 11.81 की ज़बरदस्त औसत के साथ 11 विकेट लिए. बांग्लादेश के खिलाफ सेमीफाइनल में भारतीय टीम मैच हार गई होती अगर सिंधु और मानव सुथार ने शानदार बॉलिंग ना की होती.
उस लो-स्कोरिंग मैच में सिंधु ने 20 रन देकर 5 विकेट लिए थे. उन्नीस साल के सिंधु बाएं हाथ के बल्लेबाज भी है और टीम में बतौर ऑलराउंडर खेलते हैं.
फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उन्होंने अपने छोटे से करियर में अभी तक 14 मैचों में 40 की औसत से 921 रन भी बनाए हैं और 34 की औसत से 27 विकेट भी लिए हैं.
वो खुद को एक टॉप ऑर्डर बल्लेबाज़ मानते हैं जो विकेट भी ले सकता है. कम से कम अगले आईपीएल में इस खिलाड़ी पर बड़े दांव लग सकते हैं.
मानव सुथार
सिंधु के बॉलिंग पार्टनर मानव सुथार ने इमर्जिंग कप में खुद को एक डिपेंडेबल बॉलर के रूप में स्थापित किया.
राजस्थान के लंबे कद के और बाएं हाथ के स्पिनर सुथार ने श्रीलंका में खेले गए इमर्जिंग कप में 19.50 की औसत से 10 विकेट चटकाए.
सेमीफ़ाइनल में 211 के स्कोर का पीछा करते हुए बांग्लादेश की टीम एक समय 90 पर एक विकेट के स्कोर पर खेल रही थी, लेकिन इसके बाद सुथार और सिंधु की बॉलिंग का जादू छाया और दोनों ने मिलकर कुल 2 बांग्लादेशी विकेट झटके.
सुथार ने 32 रन देकर 3 विकेट लिए, जबकि सिंधु की झोली में 5 विकेट आए और बांग्लादेश की टीम 51 रनों से मैच हार गई.
सुथार की बॉलिंग की खासियत है कि वो पिच से गेंद को अच्छा टर्न कराते हैं और साथ ही साथ एक मंझे हुए बाएं हाथ के बॉलर की तरह बहुत ही सटीक लाइन और लेंथ पर बॉलिंग करते हैं.
इसकी वजह से उनकी इकॉनमी भी ठीक रहती है और विकेट भी वो खूब झटकते हैं. राजस्थान से खेलने वाले सुथार ने 2022-23 सीज़न में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 39 विकेट लिए.
टीम में उनकी अहमियत कितनी है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपने से सीनियर रवि बिश्नोई को भी टीम में जगह बनाने के लिए मुश्किल खड़ी कर दी थी.
भारतीय ए टीम के ये सभी खिलाड़ी 19 से 22 की उम्र के हैं और इन्होंने अपने करियर की अभी शुरुआत ही की है, लेकिन अपने टैलेंट के बल पर इन्होंनें छोटे से ही करियर में बड़ा नाम कर लिया है.
आम तौर पर किसी भी वर्ल्ड कप के बाद टीम में बड़े परिवर्तन करने का मौक़ा मिलता है. इन खिलाड़ियों का 2023 के वर्ल्ड कप की टीम में आना तो मुश्किल लगता है लेकिन उसके बाद के सफ़र में बड़ी संभावना है कि आप ज़रूर इनके नाम भारतीय टीम के साथ जुड़ते हुए देखेंगे. (bbc.com)