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प्रयागराज (यूपी), 3 सितंबर। इलाहाबाद विश्वविद्यालय (एयू) के पूर्व छात्र सहित विभिन्न देशों के वैज्ञानिकों ने एक शोध निष्कर्ष में दावा किया है कि तंबाकू का पत्ता कैंसर के कई रूपों से लड़ने की क्षमता रखता है।
यह निष्कर्ष एक हैरान करने वाला विरोधाभास पेश करता है, क्योंकि डब्ल्यूएचओ के अनुसार, तंबाकू का उपयोग दुनियाभर में कैंसर से संबंधित सभी मौतों में से एक चौथाई के लिए जिम्मेदार है और फेफड़ों के कैंसर का प्राथमिक कारण बना हुआ है।
यूके में टेलर एंड फ्रांसिस लिमिटेड के प्रकाशन 'जर्नल ऑफ बायोमोलेक्यूलर स्ट्रक्चर एंड डायनेमिक्स' में एयू के पूर्व छात्र अमित दुबे, भारतीय वैज्ञानिक आयशा तुफैल और मलेशियाई शोधकर्ताओं मिया रोनी और प्रोफेसर ए.के.एम. मोयेनुल हक के साथ की गई उल्लेखनीय खोज प्रकाशित हुई है।
शोध निष्कर्ष के अनुसार, "4-[3-हाइड्रॉक्सीनिलिनो]-6,7-डाइमेथॉक्सीक्विनाज़ोलिन" नामक एक अद्वितीय कैंसर-रोधी तत्व तंबाकू के पत्तों से निकाला जा सकता है, जिसका कोई स्पष्ट दुष्प्रभाव नहीं होता है।
अमित दुबे ने बताया, “कैंसर कोशिकाओं का प्रसार, अस्तित्व, आसंजन, प्रवासन और विभेदन सभी एपिडर्मल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर (ईजीएफआर) से महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित होते हैं। ट्यूमर कोशिकाओं की दीवारों में ईजीएफआर होता है। उन्हें जीवित रहने और विकसित होने के लिए इस प्रोटीन की आवश्यकता होती है।''
अनुसंधान टीम ने ईजीएफआर प्रोटीन को लक्षित करने वाले ड्रग बैंक तत्वों की स्क्रीनिंग के लिए एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण का उपयोग किया।
इसे ड्रग बैंक के माध्यम से अलबर्टा विश्वविद्यालय और अलबर्टा कनाडा में मेटाबोलॉमिक्स इनोवेशन सेंटर द्वारा बनाए गए एक व्यापक फ्री-एक्सेस ऑनलाइन डेटाबेस के माध्यम से सुविधाजनक बनाया गया था, जहां से टीम ने अपने अध्ययन के लिए तंबाकू के पत्तों में पाए जाने वाले तत्व को प्राप्त किया था।
अमित ग्रेटर नोएडा में क्वांटा कैलकुलस प्राइवेट लिमिटेड में वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। (आईएएनएस)