सेहत-फिटनेस

10 सेकेंड में पता चलेगी टाइप-2 डायबिटीज
01-Nov-2023 12:42 PM
10 सेकेंड में पता चलेगी टाइप-2 डायबिटीज

वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसके जरिए केवल 10 सेकेंड में यह पता लगाया जा सकता है कि किसी व्यक्ति को डाइबिटीज है या नहीं. यह एआई की मदद से संभव है. भारत में डायबिटीज के करीब 10 करोड़ मरीज हैं.

   डॉयचे वैले पर स्वाति बक्शी की रिपोर्ट- 

इस नई खोज की वजह से टाइप-2 डायबिटीज यानी मधुमेह का पता लगाना बेहद आसान हो जाएगा. इसके लिए जरूरत होगी अपने स्मार्टफोन में केवल दस सेकेंड तक बोलते रहने की. अमेरिका के मेयो क्लिनिक के प्रोसीडिंग्सः डिजिटल हेल्थ में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों ने लोगों की सेहत के बुनियादी डाटा जैसे उम्र, सेक्स, ऊंचाई और वजन के साथ-साथ आवाज के छह से दस सेकेंड लंबे सैंपल लेकर एआई मॉडल विकसित किया, जिसकी मदद से पता चल सके कि व्यक्ति को टाइप-2 डायबिटीज है या नहीं.

इस मॉडल का डायग्नोसिस 89 फीसदी महिलाओं और 86 फीसदी पुरुषों के मामले में सही साबित हुआ. अमेरिका की क्लिक लैब ने यह एआई मॉडल तैयार किया है, जिसमें वॉइस टेक्नॉलजी के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके मधुमेह का पता लगाने में प्रगति हुई है. 

कुछ वक्त पहले ब्रिटिश मेडिकल जर्नल लांसेट में छपे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के शोध के मुताबिक भारत के कुछ राज्यों में मधुमेह के मामले तेजी से बढ़े हैं. करीब दस करोड़ भारतीय लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं.

क्लिक लैब्स का कमाल
लैब से जुड़ी वैज्ञानिक जेसी कॉफमैन ने कहा, "हमारा शोध डायबिटीज और बिना डायबिटीज वाले लोगों की आवाज में महत्वपूर्ण उतार-चढ़ाव दिखाता है और इससे डायबिटीज का पता लगाने की प्रक्रिया पूरी तरह से बदल सकती है. फिलहाल जो तरीके इस्तेमाल होते हैं, उनमें बहुत वक्त लगता है, आना-जाना पड़ता है और ये महंगे पड़ सकते हैं. वॉइस टेक्नॉलजी में यह संभावना है कि इन सारी रुकावटों को पूरी तरह से दूर कर दे.

इस अध्ययन में 18,000 आवाजों का इस्तेमाल हुआ, ताकि पता लगाया जा सके कि डायबिटीज के मरीजों और दूसरे लोगों की ध्वनियों में क्या फर्क है. सिग्नल प्रोसेसिंग के जरिए आवाज के सुर और गहनता में अंतर पता लगाया गया, जो सामान्य तौर पर इंसानी कानों को सुनाई नहीं देता.

बड़े काम की तकनीक
इस नई तकनीक के जरिए दुनियाभर में ऐसे 24 करोड़ लोगों को बहुत मदद मिलेगी, जो टाइप-2 डायबिटीज के शिकार हैं, लेकिन उन्हें इसका पता ही नहीं है. यह आंकड़ा इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन का है.

यह ताजा रिसर्च हेल्थकेयर में एआई के बढ़ते रोल की तरफ इशारा करती है, जहां मशीन लर्निंग मॉडल और डाटा साइंस का मेल रोगियों के इलाज और मेडिकल प्रक्रिया को आसान बनाने में मददगार है. रिसर्चरों का दावा है कि यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल, जो सेहत से जुड़े बुनियादी डाटा का इस्तेमाल करते हैं, ताकि मधुमेह का पता लगाया जा सके, इनका इस्तेमाल दूसरी बीमारियों का पता लगाने में भी हो सकता है. (dw.com)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news