अंतरराष्ट्रीय
पहली बार दुनियाभर में एक साल में ग्लोबल वॉर्मिंग 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ी है.
ये डेटा यूरोपियन यूनियन के क्लाइमेट सर्विस ने बताया है.
विश्व के नेताओं ने 2015 में वादा किया था कि दीर्घकालिक तापमान वृद्धि को 1.5 सेल्सियस तक सीमित करने की कोशिश रहेगी, ये जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक असर को कम करने की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण है.
यह पहला साल है जब तापमान वृद्धि ने ऐतिहासिक "पेरिस समझौते" के तय तापमान (2 डिग्री सेल्सियस) को तो पार नहीं किया लेकिन ये चिंता बड़ी हो चुकी है कि लंबे समय में ये सीमा पार हो सकती है.
वैज्ञानिक मानते हैं कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने की रफ्तार काफ़ी कम है.
रॉयल मौसम विज्ञान सोसाइटी के मुख्य कार्यकारी प्रोफ़ेसर लिज़ बेंटले ने कहा, "तापमान का सालाना औसत (1.5 सेल्सियस) से ऊपर जाना महत्वपूर्ण है. ये गलत दिशा में बढ़ रहा एक और कदम है लेकिन हमें पता है कि हमें क्या करना है." (bbc.com/hindi)